गुरुवार, 24 जून 2021

अमेरिका के फैसले के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित

वाशिंगटन डीसी। क्यूबा पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के अमेरिका के फैसले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में निंदा प्रस्ताव पारित किया गया है। इस प्रस्ताव का कुल 193 सदस्य देशों में से 184 ने समर्थन किया है। वहीं अमेरिका, इजरायल ने इसका विरोध किया है। इसके अलावा ब्राजील, कोलंबिया और यूक्रेन प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए। वहीं चार देशों ने वोट ही नहीं किया। इन देशों में सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, म्यांमार, मोलडोवा और सोमालिया शामिल हैं। प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले अमेरिकी राजनयिक रोडनी हंटर ने बाइडेन प्रशासन का पक्ष रखते हुए कहा कि हमारा मतदान इसके खिलाफ है। इसकी वजह यह है कि अमेरिका मानता है कि लोकतंत्र और ह्यूमन राइट्स की रक्षा के लिए यह अहम है। क्यूबा को लेकर यह हमारी नीति का प्रमुख आधार रहा है।

अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि क्यूबा पर हमारी ओर से लगाए गए प्रतिबंध जारी रहेंगे। अमेरिका ने क्यूबा पर अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंध हटाने को लेकर पूर्ववर्ती डोनाल्ड प्रशासन के विरोध को बरकरार रखते हुए और 2016 में बराक ओबामा प्रशासन के प्रतिबंध हटाने के सुझाव को मानने से इनकार करते हुए 29वें साल भी क्यूबा पर आर्थिक प्रतिबंध जारी रखा है। जिसकी इस प्रस्ताव में घोर निंदा की गई है। क्यूबा के विदेश मंत्री ब्रूनो रोड्रिगेज ने बाइडेन प्रशासन पर पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन की नीतियों के अनुसरण का आरोप लगाया।

कश्मीर को पूर्ण राज्य देने के प्रति पूरी तरह से प्रतिबंध

अकांशु उपाध्याय                 
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य देने के प्रति पूरी तरह से प्रतिबंध है। समय आने पर राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा।बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों की सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह बात कही। गृहमंत्री अमित शाह ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा हैं कि, "जम्मू कश्मीर पर आज की बैठक बहुत खुशनुमा माहौल में हुई हैं। 
बैठक में मौजूद सभी राजनेताओं ने लोकतंत्र और संविधान के प्रति अपनी वचनबद्धता व्यक्त की हैं। जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाने की बात भी जोर देकर कही गयी हैं। हम जम्मू कश्मीर के चहुमुखी विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा , बैठक में जम्मू कश्मीर के भविष्य पर चर्चा की गयी और यह कहा गया कि परिसीमन प्रक्रिया तथा शांतिपूर्ण चुनाव पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किये जाने के महत्वपूर्ण पड़ाव हैं जिसका संसद में आश्वासन दिया गया था। 

8 वर्षीय बच्ची को मल्टीसिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम

अकांशु उपाध्याय           
नई दिल्ली। दिल्ली में कोरोना वायरस के एक संदिग्ध मामले में आठ साल की बच्ची को मल्टीसिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम (एमआईएससी) होने का पता चला है। यह बीमारी कोविड-19 के संक्रमण के बाद होती है। अस्पताल प्राधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। आम तौर पर यह बीमारी संक्रमण होने के तीन से छह हफ्तों बाद पैदा हो सकती है। 
डॉक्टरों ने बताया कि मौत होने से रोकने के लिए एमआईएस-सी का शुरुआती स्तर पर पता लगना महत्वपूर्ण है। यह शरीर में सूजन की प्रतिक्रिया के तौर पर प्रतिरक्षा तंत्र संबंधी बीमारी है जो आम तौर पर बच्चों में पायी जाती है। इसका अनियंत्रित होना घातक हो सकता है। अस्पताल ने एक बयान में कहा, ‘‘बच्ची को जून की शुरुआत में यहां अपोलो अस्पताल लाया गया। रक्तचाप, ऑक्सीजन के कम स्तर और नब्ज धीमी होने के कारण बच्ची की हालत गंभीर थी। वह कोविड-19 से संक्रमित नहीं पायी गई लेकिन उसमें कोविड एंटीबॉडीज का उच्च स्तर पाया गया जिससे यह एमआईएस-सी का मामला बन गया।’’ 
अस्पताल के एक प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा संदेह है कि वह बिना लक्षण वाली, कोरोना वायरस की मरीज रही हो। बाल चिकित्सा गहन कक्ष में वरिष्ठ परामर्शक डॉ. नमीत जेराथ ने कहा, ‘‘बच्ची को वेंटीलेटर की बहुत ज्यादा आवश्यकता थी और ऑक्सीजन स्तर भी कम हो रहा था तो हमने फौरन उसे ईसीएमओ पर रखने का फैसला किया। उसकी हालत में धीरे-धीरे सुधार आया और एक हफ्ते बाद ही उसे ईसीएमओ से हटा दिया गया।’’ उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के बाद होने वाली बीमारी एमआईएस-सी बिना लक्षण या लक्षण के साथ होने वाले संक्रमण के तीन से छह हफ्तों बाद पैदा हो सकती है तथा मौत होने से रोकने के लिए शुरुआती स्तर पर इसका पता लगाना महत्वपूर्ण है। बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी में वरिष्ठ परामर्शक डॉ. मुथु ज्योति ने कहा कि यह बीमारी उन बच्चों में हो सकती हैं। 
जिनमें कोविड-19 के गंभीर लक्षण न रहे हों। बयान में कहा गया है कि एक हफ्ते तक अत्यधिक बुखार, पेट में दर्द, उल्टी और लगातार सिर में दर्द की शिकायत के बाद लड़की को एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी हालत बिगड़ गयी। इसके बाद उसे यहां इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के बाल चिकित्सकों के पास भेजा गया।

कारवार नेवल बेस के 2 दिवसीय दौरे पर पहुंचे राजनाथ

अकांशु उपाध्याय                  
​नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह केरल के कोच्चि और कर्नाटक के कारवार नेवल बेस के दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार को पहुंचे हैं। उन्होंने कारवार में नौसेना के महत्वाकांक्षी 'प्रोजेक्ट सीबर्ड' के तहत किये जा रहे विकास कार्यों के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने कारवार में चल रहे बुनियादी ढांचे के विकास और कोच्चि में स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी) के निर्माण की प्रगति के बारे में भी समीक्षा की। इसके बाद रक्षा मंत्री ने नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के साथ कारवार में 'प्रोजेक्ट सीबर्ड' का हवाई सर्वेक्षण किया। 
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज सुबह कारवार नेवल बेस पहुंचे। वेस्टर्न नेवल कमांड के कमांडर-इन-चीफ वाइस एडमिरल आर. हरि कुमार और रियर एडमिरल महेश सिंह ने उनका स्वागत किया। उन्होंने सीएनएस के साथ प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत चल रहे बुनियादी विकास कार्यों की समीक्षा की। इसके बाद उनके साथ 'प्रोजेक्ट सीबर्ड' का हवाई सर्वेक्षण किया। रक्षा मंत्री नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के साथ एक विशेष विमान से आज शाम 7.30 बजे कोच्चि के नौसेना वायु स्टेशन आईएनएस गरुड़ में पहुंचेंगे। रक्षा मंत्री अपने दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार को सुबह 9.45 बजे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) जाकर आईएनएस विक्रांत के निर्माण की समीक्षा करेंगे। देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत का निर्माण इस समय तीसरे चरण में है। 
रक्षा मंत्री का यह दो दिवसीय दौरा विमानवाहक पोत के समुद्री ट्रायल में देरी होने के कारण किया जा रहा है। पोत को इस साल के पहले छह महीनों में समुद्र में उतारकर उसका परीक्षण किया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण इस परीक्षण को टाल दिया गया था। इससे पहले पिछले साल दिसंबर में सीएसएल की तरफ से किए बेसिन ट्रायल में विमानवाहक पोत पूरी तरह खरा उतरा था। नौसेना अध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह ने तीन दिसम्बर 2019 को कहा था कि विक्रांत 2022 तक ही पूरी तरह कार्यशील हो पाएगा और इस पर मिग-29 के विमानों का बेड़ा तैनात होगा। इस दौरान राजनाथ सिंह दक्षिणी नौसेना कमान की विभिन्न प्रशिक्षण इकाइयों का दौरा करेंगे। अपनी दौरे के बाद केंद्रीय मंत्री शुक्रवार दोपहर तीन बजे दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
भारतीय नौसेना के लिए यह सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजना है जिसके तहत भारत के पश्चिमी तट पर कारवार में एक नौसेना बेस का निर्माण किया जाना है। 3 बिलियन डॉलर का यह प्रोजेक्ट भारतीय नौसेना को पश्चिमी तट पर अपने सबसे बड़े नौसैनिक अड्डे और स्वेज नहर के पूर्व में सबसे बड़ा नौसैनिक आधार प्रदान करेगा। भारत के लिए सबसे बड़ी नौसैनिक बुनियादी ढांचा परियोजना में भारत के पश्चिमी तट पर कारवार में एक नौसैनिक अड्डे का निर्माण शामिल है। एक दशक तक चलने वाली परियोजना के दौरान अमेरिकी बहुराष्ट्रीय इंजीनियरिंग फर्म नए नेवल एयर स्टेशन के निर्माण सहित संपूर्ण कार्यों की योजना, डिजाइन, अनुबंध, निर्माण और स्वीकृति का प्रबंधन और देखरेख करेगी। 
नए और विस्तारित नौसैनिक परिसर में कई प्रमुख युद्धपोतों और पनडुब्बियों का विशेष डॉकयार्ड बनना है। यहां मरम्मत और रखरखाव सुविधाओं के साथ जहाजों और पनडुब्बियों के लिए नई तकनीकी रूप से उन्नत सुरक्षा और संचार प्रणाली होगी। नौसेना वायु स्टेशन में एक से अधिक रनवे, हैंगर, आवास सहित आयुध प्रबंधन क्षेत्र, सेवाएं, कार्मिक सहायता अवसंरचना आदि होंगी। समुद्री तट के साथ आंशिक रूप से पहाड़ी इलाके में स्थित इस परियोजना में कई तकनीकी और पर्यावरणीय चुनौतियां शामिल हैं। इसके अतिरिक्त सुविधाओं का निर्माण पहाड़ी इलाके में करना होगा। अमेरिकन कंपनी पर्यावरण में कम से कम व्यवधान सुनिश्चित करते हुए इस कार्य को करने के लिए अपनी तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग करेगी।

राज्य द्वारा सुझाएं एहतियाती कदमों से आश्वस्त नहीं

अकांशु उपाध्याय             

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आंध्र प्रदेश से कहा कि वह 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए राज्य द्वारा सुझाए एहतियाती कदमों से आश्वस्त नहीं है और जब तक वह इस बात से संतुष्ट नहीं होता कि कोविड-19 के कारण किसी की मौत नहीं होगी। तब तक परीक्षाएं कराने की अनुमति नहीं दी जाएंगी। न्यायालय पीठ ने कहा, ‘‘परीक्षा के दौरान किसी की मौत होने के मामले में मुआवजे के पहलू को हमें देखना होगा। कुछ राज्यों ने कोविड के कारण होने वाली मौत के लिए एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है। हम उस पहलू के जरिए भी चीजों को देख सकते हैं।’’

शीर्ष अदालत कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बोर्ड परीक्षाएं न कराने के राज्य सरकारों को निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायलाय ने परीक्षाओं के लिए कक्षाओं में 5,19,510 छात्रों को बैठाने की व्यवस्था पर खास चिंता जतायी और कहा कि राज्य सरकार का कहना है कि एक कक्षा में अधिकतम 15 से 18 छात्र होंगे। पीठ ने कहा, ‘‘अगर आपके आंकड़ों पर चले तो हर कक्षा में 15 छात्रों के लिए आपको 34,644 कमरों की आवश्यकता होगी और अगर हम हर कक्षा में 18 छात्रों को बैठाने की बात करे तो आपको 28,862 कमरों की जरूरत होगी। हमें बताइए आप कहां से ये सभी कमरे लाएंगे।’’ न्यायालय ने नज्की से कहा, ‘‘केवल परीक्षाएं कराने के लिए परीक्षाएं मत कराइए। यह सिर्फ पांच लाख छात्रों के परीक्षाएं देने की बात नहीं है बल्कि इस प्रक्रिया में प्रत्येक कक्षा के लिए 34,000 पर्यवेक्षकों समेत एक लाख से अधिक लोग शामिल होंगे। आपको उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के बारे में भी सोचना होगा।’’

न्यायालय ने कहा कि राज्य को कोरोना वायरस की दूसरी लहर के असर को ध्यान में रखना चाहिए कि यह कितनी जल्दी फैली और अगर तीसरी लहर आती है तो वह इससे कैसे उबरेगा। पीठ ने कहा, ‘‘क्या आपके पास किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने की योजनाएं हैं? अगर आप तीसरी लहर की चपेट में आ जाते हैं या कोई अवांछित स्थिति पैदा हो जाती है तो आप इससे कैसे निपटेंगे। हमने आपके हलफनामे में ऐसी कोई चीज नहीं देखी। यहां कोई भी कुछ साबित करने के लिए नहीं है। आपको छात्रों तथा शिक्षकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए।’’

नज्की ने कहा कि बड़ी दिक्कत यह है कि 10वीं कक्षा के छात्रों को केवल ग्रेड दिए गए और छात्रों के मूल्यांकन का कोई तंत्र नहीं है। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हम आपकी परेशानी समझते हैं कि ग्रेड्स को अंकों में बदलने या छात्रों का मूल्यांकन करने में दिक्कत होगी। लेकिन हर समस्या के दस समाधान होते हैं। आपको विशेषज्ञों से बात करनी चाहिए। आप यूजीसी, सीबीएसई, सीआईएससीई या अन्य राज्यों और विशेषज्ञों से बात कर सकते हैं तथा एक फॉर्मूला निकाल सकते हैं। कई राज्यों को दिक्कतें थीं लेकिन उन्होंने परीक्षाएं रद्द करने का फैसला किया।’’

शीर्ष अदालत ने इस पर भी चिंता जताई कि आंध्र प्रदेश ने परीक्षाओं या नतीजों के लिए कोई समयसीमा नहीं बतायी है और उसने राज्य को यह स्पष्ट करने के लिए कहा ताकि छात्रों के मन में कोई अनिश्चितता की स्थिति न हो। न्यायालय ने कहा, ‘‘आप चीजों को अनिश्चितता में नहीं रख सकते। अगर आप परीक्षा कराना चाहते हैं तो हमें कल तक एक ठोस योजना चाहिए। हम जानना चाहते हैं कि आपका कोविड प्रोटोकॉल प्रबंधन क्या है और आप कैसे इसे लागू करेंगे। आपको यह पता होना चाहिए कि कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर अलग है और विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर भी अलग होगी। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल में डेल्टा स्वरूप को लेकर सतर्क किया गया है।’’ उच्चतम न्यायालय ने नज्की को पूरी योजना बताते हुए शुक्रवार तक एक हलफनामा दायर करने को कहा और अदालत को यह आश्वस्त करने के लिए कहा कि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए उसके पास सभी आवश्यक संसाधन हैं। पीठ ने केरल के हलफनामे पर भी गौर किया जिसमें कहा गया कि उसने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं करा ली है और वह सितंबर में 11वीं कक्षा की परीक्षाएं भी कराएगा।

सोमवार को असम, त्रिपुरा और कर्नाटक सरकारों ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि उन्होंने महामारी के कारण 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी हैं। शीर्ष अदालत को 17 जून को बताया गया था कि 28 में से छह राज्यों ने बोर्ड परीक्षाएं करा ली है, 18 राज्यों ने परीक्षाएं रद्द कर दी है लेकिन चार राज्यों (असम, पंजाब, त्रिपुरा और आंध्र प्रदेश) ने अभी तक इन्हें रद्द नहीं किया है।

सरकार पर लोकतंत्र के खिलाफ कार्य करने का आरोप

कविता गर्ग              
मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे की सरकार पर लोकतंत्र के खिलाफ कार्य करने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा कि यह सरकार सभी मोर्चे पर विफल भी साबित हो रही है। फडणवीस ने कहा कि उद्धव सरकार की नाकामियों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब आम जनता के बीच ले जाएगी।  फडणवीस गुरुवार को मुंबई में आयोजित भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सीटी रवि, सह प्रभारी ओमप्रकाश धुर्वे, जयभानसिंह पव्वैया आदि वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे। फडणवीस ने कहा कि राज्य में सरकार चल रही है या सर्कस; समझ में ही नहीं आ रहा है। 
सभी विभागों के मंत्री खुद को मुख्यमंत्री समझकर काम कर रहे हैं। इस तरह की स्थिति पिछले 60 साल में देखने को नहीं मिली। राज्य के हर विभाग में सिर्फ वसूली का काम जोरदार तरीके से चल रहा है। मुख्यमंत्री सहित राज्य के किसी भी मंत्री में मराठा आरक्षण और ओबीसी आरक्षण के लिए काम करने की इच्छाशक्ति नहीं है। फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार आरक्षण के लिए केंद्र सरकार पर अनायास आरोप लगाकर जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है। ओबीसी आरक्षण जब तक उनकी सरकार थी, तब तक लागू था। सर्वोच्च न्यायालय ने जो कागजात उद्धव ठाकरे की सरकार से मांगे थे, उसे समय पर नहीं दिया गया। इसी वजह से स्थानीय निकाय में मिलने वाला ओबीसी आरक्षण रद्द हो गया है। फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार की गलती की वजह से आज ओबीसी समाज स्थानीय निकाय में आरक्षण से वंचित हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार हर मोर्चे पर विफल है। किसानों की समस्या, कोरोना काल में हुए भ्रष्टाचार, बिजली ग्राहकों की समस्या, महिलाओं पर होने वाले अत्याचार आदि मामले विधानमंडल के दोनों सदनों में उठाने की तैयारी भाजपा ने की थी लेकिन सरकार ने सिर्फ दो दिन का अधिवेशन आयोजित कर लोकशाही का दरवाजा ही बंद कर दिया है। 
भाजपा अब इन समस्याओं को लेकर आम जनता के बीच आवाज बुलंद करेगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि तीन दलों की महाविकास आघाड़ी सरकार को खुद पता नहीं है कि यह कितने दिन चलेगी। इसी वजह से इस सरकार में शामिल समर्थक दलों ने कमाई अभियान जारी रखा है। सरकार को आम जनता की कोई फिक्र नहीं है। इस अवसर पर पूर्व मंत्री आशीष शेलार, भाजपा की राष्ट्रीय सचिव पंकजा मुंडे, प्रदेश महासचिव श्रीकांत भारतीय, पूर्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, मुंबई भाजपा अध्यक्ष मंगलप्रभात लोढ़ा आदि उपस्थित थे। 

टोक्यो ओलंपिक से कोरोना संक्रमण तेजी से फैला

टोक्यो। जापान के राजा नारुहितो ‘बेहद चिंतित’ हैं कि टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक से कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से फैल सकता है। राजमहल के प्रमुख ने गुरुवार को यह जानकारी दी जबकि खेलों के उद्घाटन समारोह में एक महीने का समय बचा है। 
विशेषज्ञों के संक्रमण के खतरे को लेकर चिंता जताने और जनता के लगातार इन खेलों को रद्द या और समय के लिए स्थगित करने की मांगों के बावजूद महामारी के बीच खेलों के दौरान हजारों विदेशी खिलाड़ी, अधिकारी, प्रायोजक और पत्रकार जापान आएंगे। ‘इम्पीरियल हाउसहोल्ड एजेंसी’ के ‘ग्रैंड स्टीवर्ड’ यासुहिको निशिमुरा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राजा ने चिंता जताई है।
निशिमुरा ने कहा, ”महामहिम कोविड-19 संक्रमण की मौजूदा स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं। जनता के बीच असंतोष की आवाजें उठ रही हैं। मेरा मानना है कि (राजा) ओलंपिक और पैरालंपित के आयोजन को लेकर चिंतित है। इसके कारण संक्रमण के मामलों में इजाफा हो सकता है। पिछले साल स्थगित किए गए ओलंपिक खेलों का उद्घाटन समारोह 23 जुलाई को है जबकि पैरालंपिक इसके एक महीने बाद शुरू होंगे। निशिमुरा ने आयोजकों से अपील की कि वे हर संभव विषाणु रोधी कदम उठाएं जिससे कि ओलंपिक और पैरालंपिक के दौरान संक्रमण नहीं फैले। 
राजा ओलंपिक और पैरालंपिक के मानद संरक्षक हैं। राजा को कोई राजनीतिक अधिकार नहीं हैं लेकिन अपने पिता की तरह नारुहितो भी काफी लोकप्रिय हैं और उनकी बातों का काफी सम्मान किया जाता है। प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा जनता और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंताओं के बावजूद ओलंपिक के आयोजन को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला

यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला  संदीप मिश्र  लखनऊ। यूपी में गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदल गया है। कक्षा एक से लेकर आठ तक के स्कू...