रविवार, 9 मई 2021

4,03,738 नए संक्रमित, कुल 2,22,96,414 हुए

अकांशु उपाध्याय   
नई दिल्ली। भारत में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के 4,03,738 नए मामले सामने आने के बाद देश में अब तक संक्रमित हुए लोगों की कुल संख्या बढ़कर 2,22,96,414 हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के रविवार सुबह आठ बजे अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, देश में 4,092 और मरीजों की मौत होने के बाद कुल मृतक संख्या बढ़कर 2,42,362 हो गई। देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या लगातार बढ़कर 37,36,648 हो गई है, जो संक्रमण के कुल मामलों का 16.76 प्रतिशत है, जबकि संक्रमित लोगों के स्वस्थ होने की दर 82.15 प्रतिशत है। आंकड़ों के अनुसार, एक दिन में 3,86,444 और मरीजों के ठीक होने के साथ अब तक स्वस्थ हो चुके लोगों की कुल संख्या बढ़कर 1,83,17,404 हो गई है, जबकि मृत्युदर 1.09 प्रतिशत है। भारत में कोविड-19 के मामले पिछले साल सात अगस्त को 20 लाख का आंकड़ा पार कर गए थे।इसके बाद संक्रमण के मामले 23 अगस्त को 30 लाख, पांच सितंबर को 40 लाख और 16 सितंबर को 50 लाख के पार चले गए थे।
वैश्विक महामारी के मामले पिछले साल 28 सितंबर को 60 लाख, 11 अक्टूबर को 70 लाख, 29 अक्टूबर को 80 लाख, 20 नवंबर को 90 लाख और 19 दिसंबर को एक करोड़ का आंकड़ा पार कर गए थे। भारत में महामारी के मामले चार मई को दो करोड़ के पार चले गए थे। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के मुताबिक, आठ मई तक 30,22,75,471 नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 18,65,428 नमूनों की जांच शनिवार को की गई।

एमपी के 4 शहरों में संक्रमण के 42% एक्टिव केस

मीनाक्षी लोधी   
भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना के एक्टिव केस 1 लाख से ज्यादा हो गए हैं। 42% एक्टिव केस सिर्फ भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में हैं। इसे ध्यान में रखते हुए शिवराज सरकार ने इन चार शहरों में आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है। इस काम में प्राइवेट अस्पतालों की मदद ली जाएगी।कोरोना के मामलों को देखें तो 24 घंटे में चारों बड़े शहरों में एक्टिव केस बढ़े हैं। नए मरीजों की तुलना में ठीक होने वाले मरीज बहुत ही कम हैं। 24 घंटे में 2,513 मरीज रिकवर हुए हैं, जबकि 4,722 नए केस सामने आए हैं।
भोपाल में लगातार दूसरे दिन एक्टिव केस बढ़े हैं। यहां अब 13,192 एक्टिव केस हो गए हैं। दो दिन पहले 10,829 थे। यहां नए केस 1,556 आए हैं, जबकि 1,302 लोग ठीक हुए हैं। 7 मरीजों ने जान गंवाई है। इंदौर में 1,679 नए मामले सामने आए हैं, जबकि 301 मरीज ठीक हुए हैं। 7 मरीजों ने दम तोड़ दिया। वहीं, ग्वालियर में 861 संक्रमित आए और 6 की मौत हुई है। जबकि 274 मरीज रिकवर भी हुए हैं। जबलपुर में कोरोना ने अब तक रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पिछले 24 घंटे में कोरोना के नए संक्रमितों की संख्या 926 पहुंच गई, जबकि स्वस्थ्य होने वालों की संख्या 636 है। इसकी वजह से एक बार फिर एक्टिव केस 6,042 हो गए।
सीएम ने अफसरों से कहा- वेंटिलेटर बढ़ाएं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार देर शाम कोरोना नियंत्रण के लिए गठित कोर ग्रुप के अफसरों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की उपलब्धता 100% सुनिश्चित की जाए। प्रदेश के जिन प्रमुख अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाई जा सकती है, वहां कैपेसिटी के आधार पर बढ़ाएं। उन्होंने साफ निर्देश दिए हैं कि अगर मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है तो उसे बेड मिलना ही चाहिए।

चीन का 21 हजार किलो का बेलगाम रॉकेट गिरा

दुष्यंत सिंह टीकम   

नई दिल्ली। अंतरिक्ष में बेकाबू हो चुका चीन का 21 हजार किलो का बेलगाम रॉकेट आखिरकार गिर चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक लॉंग-मार्च-5 नाम का ये बेकाबू रॉकेट भारत के पास समुन्द्र में गिरा है। बताया जा रहा है कि ये हिन्द महासागर में गिरा है। चीनी मीडिया ने दावा किया है कि 21 हजार किलो का अनियंत्रित हो चुका ये रॉकेट भारत के पास ही समुन्द्र में गिरा है। हालांकि, अभी तक ये पता नहीं लगाया जा सका है कि इस रॉकेट के गिरने से क्या नुकसान भी हुआ है?

चीनी मीडिया ने दावा किया है कि अंतरिक्ष में बेकाबू हो चुका लॉंग-मार्च-5 रॉकेट भारत के दक्षिणपूर्व हिस्से में या श्रीलंका के आसपास हिंद महासागर में कहीं गिरा है। वहीं, अमेरिका के स्पेस फोर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिक्ष में बेकाबू हो चुका ये चीनी रॉकेट 18 हजार मील प्रतिघंटे की रफ्तार से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा था, जिसकी वजह से ये कहां गिरने वाला था इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी। हालांक, अभी तक किसी नुकसान की खबर नहीं आई है।रिपोर्ट के मुताबिक पृथ्वी के वायुमंडल में आने के बाद इस रॉकेट का बड़ा हिस्सा जल गया था। मगर, फिर अगर ये हिस्सा किसी शहर पर गिरता तो भारी तबाही मचाने के लिए काफी था। चीनी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस रॉकेट को लेकर तीन अलग अलग कक्षाओं की संभावना जताई गई थी, जिनमें एक पृथ्वी पर तो तीन समुन्द्र में था। ये रॉकेट 100 फीट लंबा और 16 फीट चौड़ा था और इसका वजन 21 टन के करीब था। पहले आशंका जताई जा रही थी कि ये रॉकेट अमेरिका के न्यूयॉर्क, न्यूजीलैंड, चिली या मैड्रिड के आसपास कहीं गिर सकता है। वहीं, इस रॉकेट के भारत या फिर ऑस्ट्रेलिया में भी गिरने की आशंका जताई गई थी। लेकिन, अब चीनी मीडिया ने दावा किया है कि ये रॉकेट भारत के नजदीक हिंद महासागर में गिरा है।

कुछ वैज्ञानिकों ने कहा था कि पृथ्वी के दो तिहाई हिस्से में पानी है, ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि चीन का बेकाबू हो चुका ये रॉकेट किसी ना किसी समुन्द्र में गिर सकता है। हालांकि, इसके जमीन पर गिरने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। वहीं, फॉक्स न्यूज ने वैज्ञानिकों के हवाले से कहा था कि ‘ये रॉकेट न्यूयॉर्क के उत्तरी हिस्से में या फिर चीन की राजधानी बीजिंग में या फिर न्यूजीलैंड के दक्षिणी हिस्से में गिर सकता है।’ वहीं, हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के एयरोस्पेस के प्रोफेसर जोनाथन मैकड्वेल ने कहा था कि ‘मुझे नहीं लगता है कि इस रॉकेट को लेकर ज्यादा चिंता करने की बात है, ये रॉकेट थोड़ा बहुत नुकसान कर सकता है। किसी शहर को नुकसान पहुंचा सकता है लेकिन इसका रिस्क बहुत कम लग रहा है। लिहाजा इस रॉकेट की चिंता को लेकर मैं अपनी नींद खराब नहीं करूंगा’

बेकाबू हुआ चीन का रॉकेट चीन के इस रॉकेट का नाम लॉंग मार्च 5बी रॉकेट है और इसका वजन 21 टन यानि 21 हजार किलो है। इसे 29 अप्रैल को ही लॉन्च किया गया था लेकिन अंतरिक्ष में जाने के बाद ये ऑउट ऑफ कंट्रोल हो गया है। जिसके चलते अब इस रॉकेट पर नियंत्रण बनाना काफी मुश्किल हो रहा था। आशंका इस बात को लेकर सबसे ज्यादा थी कि अगर ये रॉकेट आबादी वाले हिस्से में गिरेगा है तो फिर क्या होगा? वैज्ञानिकों ने आशंका जताई थी कि अगर 21 हजार किलो का ये रॉकेट किसी शहर के ऊपर गिरता है तो ये भारी तबाही मचा सकता है और सैकड़ों लोगों की जान ले सकता है। सबसे दिक्कत की बात ये थी कि ये रॉकेट दुनिया के किस हिस्से में गिरेगा, इसकी सटीक जानकारी नहीं लग पा रही थी और हुआ भी यही। रॉकेट को लेकर कुछ घंटे पहले तक वैज्ञानिकों को कुछ भी जानकारी नहीं लग सकी।

वैज्ञानिक जोनाथन मैकडोवेल के मुताबिक इसके पीछे पूरी तरह से चीन की लापरवाही थी। जिस रॉकेट का वजन 10 टन से ज्यादा होता है, उसे हम बेकाबू होकर अंतरिक्ष से गिरने के लिए नहीं छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा था कि गिरने की संभावना कई जगहों को लेकर जरूर है लेकिन इसकी रफ्तार में आया जरा सा भी परिवर्तन इसकी दिशा को मोड़ सकता है। उन्होंने कहा था कि ये 8 से 12 मई के बीच धरती पर गिर सकता है।

आपको बता दें कि चीन ने अमेरिका को टक्कर देने के लिए 29 अप्रैल को स्पेस स्टेशन के पहले कोर कैप्सूल मॉड्यूल को लॉंच किया था। चीन अंतरिक्ष में अपना अलग स्पेस स्टेशन बना रहा है जो 2022 के खत्म होने तक बनकर तैयार हो जाएगा। इसके लिए चीन ने 11 प्लान्ड मिशन तैयार किए हैं। इस वक्त स्पेस में सिर्फ नासा द्वारा तैयार किया गया ही एक मात्र स्पेश स्टेशन है। वहीं चीन ने अपने स्पेश स्टेशन का नाम टियोंगॉन्ग नाम रखा है और इसका डिजाइन T आकार का किया जा रहा है। चीन इस अंतरिक्ष स्टेशन को पृथ्वी की निचली कक्षा से करीब 340 किलोमीटर से 350 किलोमीटर के बीच स्थापित कर रहा है और उसी मिशन में लगा हुआ एक रॉकेट बेकाबू होकर धरती पर गिरा है।

हरियाणा की सगी बहनों की पीट पीटकर हत्या की

भानु प्रताप उपाध्याय  
शामली। उत्तर प्रदेश के शामली में हरियाणा के पानीपत की रहने वाली दो सगी बहनों की पीट पीटकर हत्या कर दी गई है। हत्या का आरोप सगी बहनों के ससुराल वालों पर है। हत्या के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच की जा रही है।जानकारी के मुताबिक हरियाणा के पानीपत जिले के रिशपुर निवासी सरोज उर्फ शिवानी की शादी यूपी के शामली में हुई थी। अब इनका किसी बात को लेकर विवाद चल रहा था और रिश्तेदारी से भी लोग आए हुए थे।

मृतका डिंपल के पति ने बताया कि वो पानीपत जिले के रहने वाले हैं। उसकी पत्नी डिंपल अपनी छोटी बहन सरोज और उसके पति विक्रम से समझौता करने के लिए झिंझाना आई थी।आरोप है कि छोटी बहन के पति और उसके तीन भाइयों ने मिलकर दोनों बहनों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। पीड़ित ने अपनी साली के पति और उसके तीन भाइयों पर दोनों बहनों की हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। आरोपी दो भाई हिरासत में हैं जिनसे पूछताछ की जा रही है।शनिवार सुबह गांव रिसपुर, जनपद पानीपत, हरियाणा निवासी ऋषिपाल पुत्र आभेराम ने थाना झिंझाना में तहरीर देते हुए बताया कि शुक्रवार को उसकी पत्नी डिंपल अपनी छोटी बहन सरोज के घर आई थी। बताया कि सरोज का अपने पति विक्रम से मनमुटाव चल रहा था, जिसमें डिंपल ने दोनों समझा बुझाकर सुलहनामा कराने लगी थी। आरोप है इसी बीच विक्रम ने अपने तीन भाइयों विपिन, सुशील, अंकुर के साथ मिलकर उसकी पत्नी डिंपल और उसकी साली सरोज पीटकर हत्या कर दी। 

सूचना पर एसपी सुकीर्ति माधव व सीओ कैराना जितेन्द्र सिंह भी घटना स्थल पर पहुंचे। मामले की जानकारी की।थाना प्रभारी श्यामवीर सिंह ने बताया दो सगी बहनों की हत्या की सूचना मिली थी, दोनों बहनों डिम्पल व सरोज के शवों को कब्जे मे लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। मृतका डिंपल के पति ऋषिपाल की तहरीर पर मृतका सरोज उर्फ शिवानी के पति विक्रम व उसके तीन भाईयों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपी दो भाई हिरासत में हैं जिनसे पूछताछ की जा रही है।बताया जा रहा है कि करीब तीन महीने पहले भी पति-पत्नी का झगड़ा हुआ था। पति विक्रम ने शिवानी पर गंभीर आरोप लगाए थे और गांव के ही एक युवक के साथ झगड़ा करके 112 पर कॉल करके उसे पुलिस से पकड़वाया था। उसके बाद गांव के ही गणमान्य लोगों ने दोनों पक्षों का फैसला करा दिया था।

6 हजार कैदियों को घर भेजने की तैयारी: हरियाणा

राणा ओबरॉय  
चंडीगढ़। हरियाणा में कोरोना की दूसरी लहर कोविड संक्रमितों का आंकड़ा रोज नए रिकार्ड को छू रहा है। दिल्ली से सटे जिलों में तो स्थिति भयावह है। हरियाणा में कोविड-19 की दूसरी लहर को देखते हुए राज्य की जेलों में बंद करीब छह हजार कैदियों को घर भेजने की तैयारी है। बिजली व जेल मंत्री रंजीत सिंह ने बताया कि हरियाणा के छह हजार ऐसे कैदी हैं जो विभिन्न जेलों में बंद विचाराधीन हैं। उनके बारे में उन्होंने सरकार व पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश व हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजन गुप्ता तथा हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की हाई पावर्ड कमेटी को लिखा है।
उन्होंने बताया कि न्यायमूर्ति राजन गुप्ता तथा हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों एसीएस होम राजीव अरोड़ा व डीजीपी जेल शत्रुजीत कपूर की कमेटी अगले दो तीन दिनों में इस पर निर्णय ले सकती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत इन कैदियों को घर भेजा जाएगा।

17 मई सुबह 7 बजे तक यूपी में रहेगा लॉकडाउन

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बड़ा फैसला 17 मई तक लॉकडाउन को बढ़ाया गया 17 मई सुबह 7:00 बजे तक यूपी में रहेगा लॉकडाउन। 
संभल में आज डीएम संभल ने बताया खाद बीज की दुकान पूरे दिन खुलेगी कल कुछ खाद बीज व्यापारी ने हमें बताया था 2 घंटे बाद ही पुलिस द्वारा बंद करा दी जाती है । इसका संज्ञान लेते हुए अभी डीएम संभल  से हमने संवाद कर उसकी पुष्टि कर ली है। कोतवाली के सामने बीज खेती संबंधित दवाइयां दुकान को  बन्द कराया जाता था। अब आज से आगे नहीं होगा ,बाकी  अन्य दूध सब्जी  सुबह 6:00 से 11:00 बजे तक खुली रहेंगी जिसमें आवश्यक जरूरी सामग्री किराना की दुकानें। ,चंदौसी तहसील, गुन्नौर तहसील में तो शनिवार को ही ये राहत दे दी गई थी । जबकि जिला अधिकारी ने उपधिकारी संभल को संभल बाजार के व्यापारियों पद एसोसिएशन से संवाद कर स्वयं के निर्णय पर को कहा था जिसकाआदेश मीडिया ग्रुप में नहीं दिया गया। केवल व्यक्तिगत ही दिया आज आज 9 मई रविवार से सुबह 6:00 से 11:00 बजे तक जरूरी चीजें आवश्यक सामग्री शामिल है। दूध की दुकान शाम खोली जाएंगी, फल और सब्जी की बिक्री ठेलों पर शाम भी की जा सकती है । संभल उप जिला अधिकारी आज 1:00 बजे व्यापारियों से संबंधित समस्याओं को लेकर बैठक करेंगे । एसडीएम ने आदेश तो जारी कर दिया है ।मगर कल शाम तक किसी मीडिया प्रभारी से  साझा नहीं किया था । जिस कारण ये आपको संदेश देरी से बता रहे है । एसडीएम संभल ने बताया है 6:00 से 11:00 बजे तक  किराना दूध फल सब्जी की दुकान खोली जा सकेंगी मेडिकल के लिए कोई समय सीमा तय नहीं किया गया है 11:00 बजे के बाद स्थाई दुकानें बंद करा दी जाएंगी और शाम के समय दूध की दुकान खोली जा सकती है इसके अलावा फल और सब्जी ठेलों के माध्यम से गली मोहल्लों में सब्जी फल बेची जा सकती हैं । सैनिटाइजर मास्क का इस्तेमाल करते हुए सामाजिक दूरी का पालन करते हुए । साथ ही जो बड़े होलसेल दुकानदार वह छोटे दुकानदारों को रेट बढ़ा कर सामान दें है ।जिला अधिकारी का कहना है कि अगर किसी ने ओवर रेट बढ़ाकर सामान बेचा और वह सत्य पाया गया तो कठोर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी ,गली मोहल्लों में छोटे दुकानदार या बड़े दुकानदार जो अन्य सामान बेचते हैं । वह अब या लॉकडाउन ओपन की स्थिति में केलकुलेटर चलाकर समान का पर्चा कॉन्टिटी न जोड़ें हाथ से पर्चे का बिल बना कर दिए हुए सामान के सामने पैसे लिखें इस तरीके की आइटम गिन  कर दे ।  काफी शिकायतें आ रही हैं कि लोग जल्दबाजी में क्रेता और विक्रेता दोनों ही अपने सामान की सूची पर्चा बिना मिलाएं उस में अमाउंट जरूर चेक करें। 
जल्दी ही खैनी गुटखा कुबेर तंबाकू हर तरह की गई तंबाकू मसाले किसी भी प्रकार से ब्लैक करने बेचने वाले स्टॉक करने वाले 2020 में जिन्होंने करोड़ों रुपए कमाए थे । उनकी शिकायतें काफी आ रही हैं। और जो खाने वाले इसका सेवन करने वाले हैं वह कुछ लिखने में असमर्थ हैं , शराब की हो रही होम डिलीवरी गली मोहल्ला गोदामों से रात को निकाल कर बाटीजा रही है । शराब माफिया हो रहे मालामाल गरीब मजदूर राशन दवाई से परेशान। सभी उनका 2021 में फैसला आने वाला है । दूसरा एक खुलासा जल्द होगा स्वास्थ्य विभाग में फर्जी मार्कशीट लगाकर   नौकरी कई अल्ट्रासाउंड सेंटरों के हैं मालिक एक नहीं कई  करोड़ रुपए का खेल।
  विनीत शर्मा/संदीप मिश्र

2.1 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारी नौकरी से हाथ धो बैठे

अविनाश  
निजी मालिकाने पर आधारित पूँजीवादी व्यवस्था अपनी स्वाभाविक गति से समाज में एक तरफ़ कुछ लोगों के लिए विलासिता की मीनारें खड़ी करती जाती है तो दूसरी ओर करोड़ों-करोड़ छात्रों समेत आम आबादी को गरीबी और भविष्य की अनिश्चितता के अँधेरे में ढकेलती है। मुनाफ़ा पूँजीवादी व्यवस्था की चालक शक्ति होती है। आज विश्व पूँजीवाद मुनाफ़े की गिरती दर के असमाधेय संकट के दौर से गुजर रहा है। पूँजीवादी होड़ से पैदा हुई इस मंदी की कीमत छँटनी, तालाबन्दी, भुखमरी, दवा-इलाज़ का अभाव, बेरोज़गारी आदि रूपों में मेहनतकश वर्ग को ही चुकानी पड़ती है।
यूँ तो बेरोज़गारी की समस्या आम जनता के किसी न किसी हिस्से के सामने हमेशा खड़ी रहती है। मगर आर्थिक संकट के दौरान बहुत बड़ी मज़दूर आबादी बेरोज़गारी के नर्ककुण्ड में धकेल दी जाती है। मौजूदा दौर में भारत की अर्थव्यवस्था भयंकर मंदी के दौर से गुजर रही है। कोरोना महामारी के दौरान बिना योजना और तैयारी के लगाये गए लॉकडाउन से स्थिति और भी गंभीर हो गयी है। सीएमईआई के आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लगभग सवा बारह करोड़ लोगों की रोज़ी-रोटी छिन गयी थी। लॉकडाउन के पहले की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं थी। जुलाई 2017 के 3.7 फीसदी बेरोज़गारी दर के मुकाबले मार्च 2020 में बेरोज़गारी दर 8.7 फीसदी पर पहुंच चुकी थी। सीएमईआई के ही एक अन्य आंकड़े के मुताबिक अप्रैल-अगस्त के दरमियान लगभग 2.1 करोड़ वेतनभोगी कर्मचारी नौकरी से हाथ धो बैठे। बढ़ती बेरोज़गारी और छँटनी का डर दिखाकर पूँजीपति रोज़गारशुदा लोगों को भी कम मज़दूरी/वेतन पर काम करने के लिए मजबूर करता है। मतलब साफ़ है कि मुनाफ़े के लिए जारी पूँजीवादी अराजक प्रतिस्पर्धा की वजह से पैदा हुई मन्दी का संकट एक तरफ नौजवानों को बेरोज़गारी में धकेलता है तो दूसरी ओर रोज़गारशुदा लोगों की ज़िन्दगी को भी कठिन बना देता है। पूँजीपतियों के मुनाफ़े की हवस से पैदा हुये संकट की कीमत इस रूप में आम जनता चुकाती है।
1991 में आर्थिक उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों के लागू होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के दरवाजे वैश्विक पूँजी के लिए खोल देने के बाद युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों के अवसर कम होने लगे तो वहीं शुरुआती तेज़ी के बाद अब पूँजीवादी होड़ की वजह से प्राइवेट सेक्टर में भी नौकरी पैदा होने की दर लगातार कम हो रही है। सातवें वेतन आयोग के आँकड़ों के मुताबिक 1995 में केंद्र सरकार के अलग-अलग विभागों में (सैन्य बलों को छोड़कर) कुल नौकरी करने वालों की संख्या 39 लाख 82 हज़ार थी, वह 2011 में घटकर 30 लाख 87 हज़ार पर आ गयी। पिछले दो सालों में 16 राज्यों मे कोई भर्ती ही नहीं हुई है। स्थिति यह है कि एक सीट के लिए औसतन 5000 फॉर्म भरे जा रहे हैं। मोदी के सत्ता में आने के बाद नयी भर्तियों की जो रफ्तार है उससे सहज ही समझा जा सकता है कि अब स्थिति क्या होगी? दूसरी ओर मन्दी की वजह से उत्पादन के क्षेत्र में कम होते निवेश (2009-14 के बीच निजी क्षेत्र में मशीनरी और संयंत्र में औसतन सालाना निवेश दर 14 प्रतिशत से घटकर 2016-18 के बीच 6.4 प्रतिशत पर आ गयी।) से प्राइवेट सेक्टर में भी नौकरी पैदा होने की दर लगातार कम हो रही है। 2004-09 के बीच निजी क्षेत्र में रोज़गार सृजन की दर 10.5 से गिरकर 2014-18 के दौरान 1.3 फीसदी पर आ गयी थी। इसमें दो चीज़ों पर ध्यान देने की ज़रूरत है। पहली बात कि यह वह दौर है जब मोदी सरकार और उसका भोंपू मीडिया अर्थव्यवस्था के मज़बूत होने के दावे कर रहे थे और दूसरा कि जो रोज़गार पैदा हुए है उसका भी बड़ा हिस्सा ठेका मज़दूरों, कॉन्ट्रैक्ट आदि का है। इसको सीएमईएआई के इस आंकड़े से समझा जा सकता है।
जनवरी-अप्रैल-2016 में देश में व्हाइट कालर मज़दूरों की संख्या 1.25 करोड़ थी जो अप्रैल- जुलाई 2020 में घटकर 1.21 करोड़ रह गयी है। एनएसएसओ पीएलएफएस सर्वे (नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइज़ेशन के पेरिओडिक लेबर फोर्स सर्वे- 2017-18) की रिपोर्ट आज के भारत की स्थिति को और साफ-साफ बयान कर रही है। यही कारण था कि मोदी सरकार इस रिपोर्ट को जनता के बीच आने से रोकने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक बिना अनुबन्ध वाले नियमित मजदूरों की संख्या 2011-12 के 64.4% से बढ़कर 2017-18 मे 71.1% हो गयी और सवेतन छुट्टी के अधिकार से वंचित नियमित मजदूरों की तादाद 50% से बढ़कर 54.2% हो गयी है। मतलब साफ है कि अब प्राइवेट सेक्टर में भी बेहतर नौकरियों के अवसर लगातार सिकुड़ते जा रहे है। फ़ासिस्ट मोदी सरकार की ‘फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट’ की नीति इस स्थिति को और भयंकर करने वाली है। हरदम बेरोज़गार नौजवानों को उपदेश देने के मूड में रहने वाला भारत का खाया-पिया-अघाया मध्यवर्ग, गोदी मीडिया चीख़-चीख कर उद्यमी बनने का सलाह देते रहते है। अब जरा आइये कुछ तथ्यों से देखें कि देश में स्वरोज़गार करने वाले युवाओं की क्या स्थिति है?
2018-19 की सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक स्वरोज़गार करने वाले व्यक्तियों की औसत मासिक आय 8,363 रुपये थी, जो बहुत से प्रदेशों में मिलने वाली न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। 95 फ़ीसदी से अधिक स्वरोज़गार करने वाले किसी दूसरे को काम पर नहीं रखते हैं। मतलब साफ है ये 95 फीसदी का आँकड़ा नौजवानों की वह आबादी है जो 28-30 साल की उम्र तक तो नौकरी की तलाश करती है, और फिर कुछ न मिलने कि स्थिति में रेहड़ी-खोमचा लगाकर या छोटी-मोटी दूकान खोलकर किसी तरह से जीवन यापन करती है। स्वरोज़गार करने वालों के लिए एक तो आज की महंगाई में इतनी कम आमदनी में खर्च चलना भी मुश्किल है ऊपर से छोटी पूँजी का बड़ी पूँजी से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ना निश्चित है, इसलिए स्वरोज़गार में हर-हमेशा भविष्य का संकट मुँह खोले खड़ा रहता है।
बेरोज़गारी की चक्की में सबसे ज्यादा नौजवान पिस रहे हैं। देश का हर पाँचवा डिग्री होल्डर रोज़गार के लिए भटक रहा है। देश में ग्रेजुएट बेरोज़गारों की तादाद सवा करोड़ के ऊपर पहुँच चुकी है। अंडर ग्रेजुएट नौजवानों में औसत बेरोज़गारी की दर 24.5% पहुँच चुकी है। मतलब यह कि देश का हर चौथा डिग्रीधारी बेरोज़गार है। वहीं 21-24 साल के नौजवानों में यह स्थिति और भी गंभीर है। इस आयु वर्ग का हर दूसरा नौजवान स्नातक की डिग्री लिए बेरोज़गार घूम रहा है।ग्राफ 1 में 21-24 आयु वर्ग के कॉलेज/यूनिवर्सिटी से निकलने वाले छात्रों को दर्शाता है, जो बेहतर नौकरी के लिए सरकारी विभागों में भर्तियों की तैयारी करते रहते है। फ़ासीवादी सरकार नौकरियाँ पैदा करने की जगह सरकारी भर्तियों पर अप्रत्यक्ष रोक लगा चुकी है। 2014-15 में देशभर में कुल 1,13,524 सरकारी भर्तियाँ हुईं तथा पब्लिक सेक्टर मे कुल 16.91 लाख लोग कार्यरत थे, वह 2016-17 में घटकर एक लाख और 15.23 लाख पहुँच गयी है। जो नौकरियाँ आ भी रही रही है वो भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रही है। अदालती कार्रवाई भर्तियों का एक आवश्यक चरण बन गया है। इसीलिए हताशा-निराशा का शिकार होकर आत्महत्या करने वाली छात्र आबादी में सबसे बड़ा हिस्सा इसी आयु वर्ग का है। 30 साल आयु वर्ग आते-आते बेरोज़गारी दर में अचानक बहुत तेज़ गिरावट आई है (हालाँकि तब भी बेरोज़गारी दर 13% है जो कि भयानक स्थिति है)। इसका कतई मतलब यह नहीं है कि यह आयु वर्ग आते-आते ज़्यादातर लोगों को रोज़गार मिल जाता है बल्कि इस उम्र तक पहुँचते-पहुँचते छात्र नौकरी पाने की आस छोड़ रेहड़ी-खोंमचा लगाने, ई-रिक्शा चलाने आदि काम करने लगते है। जिसको यह बेशर्म व्यवस्था सेल्फ एम्प्लायड का “खूबसूरत” नाम देती है।

लॉकडाउन को एक सप्ताह के लिए बढ़ाया: दिल्ली

सुनील श्रीवास्तव   

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन के कारण कम हुए कोरोना के आंकड़ों के चलते रविवार को एक बार फिर लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन को बढ़ाने का ऐलान करते हुए कहा कि 26 अप्रैल को 35 प्रतिशत से ज्यादा केस आने शुरू हो गये थे जिसको देखते हुए हमने लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया था। जिसके बाद से कोरोना के मामलों में गिरावट आई है और कोरोना की चेन टूटी है। लेकिन अभी समय नहीं आया ढिलाई देने का, इसलिए हमने लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला लिया है। जान है तो जहान है। इस बार और सख्त लॉकडाउन लगाया जा रहा है। कल से मेट्रो भी बंद की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन की वजह से यहां रोजाना सामने आने वाले मामलों में काफी गिरावट आई है और यह 17 हजार तक आ गया है। दिल्ली में पॉजिटिविटी रेट में भी काफी कमी आई है और यह 25 फीसदी से नीचे रह रही है। राष्ट्रीय राजधानी में बीते 19 अप्रैल से लॉकडाउन लागू है, जिसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल  तीन बार बढ़ा चुके हैं। दिल्ली में 10 मई की सुबह खत्म होने वाले लॉकडाउन को एक बार फिर बढ़ा दिया गया है।  जिसके बाद दिल्ली सरकार के अगले आदेश के आने तक दिल्ली में लॉकडाउन की स्थिति बरकार रहेगी।

वहीं, एक सर्वे की मानें तो कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 85 फीसदी दिल्ली वाले चाहते हैं कि लॉकडाउन की अवधि कम से कम एक हफ्ते और बढ़ाई जाए। जबकि 47 प्रतिशत ने तीन हफ्ते लॉकडाउन बढ़ाने के पक्ष में राय दी। ये राय ऑनलाइन मंच लोकलसर्कल के सर्वेक्षण में आई है। यह सर्वेक्षण 6 से 8 मई के बीच कराया गया और सर्वेक्षण में शामिल 84 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि बिना संपर्क सभी सामान की घर में आपूर्ति करने की अनुमति दी जाए, जिससे कारोबार चलता रहे है और ग्राहकों को भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण के नए मामलों में थोड़ी कमी आई है। लेकिन संक्रमण होने वाली मौत का आंकड़ा लगातार तीन सौ के ऊपर बना हुआ है। दिल्ली सरकार की तरफ से शनिवार को जारी किए गए आंकड़ों के हिसाब से बीते 24 घण्टे में राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना से 332 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 17,364 नए मामले सामने आए हैं। जो बीते कई हफ्ते में सबसे कम हैं। इस दौरान पॉजीटिविटी रेट 23.34 प्रतिशत की रही।

दिल्ली में कोरोना संक्रमण दर के कम होते आंकड़े थोड़ी राहत जरूर दे रहे हैं। लेकिन समस्या अभी खत्म नहीं हुई है। दिल्ली में बीते 24 घण्टे में 74 हजार से ज्यादा लोगों की कोरोना जांच की गई है जिसमें लगभग 17 हजार लोग संक्रमित पाए गए हैं। वहीं 20 हजार 160 लोग स्वस्थ होकर वापस अपने घर गए हैं। ये बताता है कि दिल्ली में लॉकडाउन के प्रतिबंध से कोरोना के बढ़ते मामले पर आंशिक असर पड़ा है।

6 वर्षों से बायोलॉजिकल वेपन तैयार कर रहा चीन

अकांशु उपाध्याय  

बीजिंग/नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत साल 2019 के आखिर में चीन से हुई और इसने तेजी से पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। एक साल से अधिक समय हो गया है लेकिन दुनिया अब भी इस संकट में फंसी हुई है। चीन को लेकर अमेरिका और ब्राजील जैसे देश साफतौर पर कहे चुके हैं कि उसने कोरोना वायरस को बायोलॉजिकल हथियार (Biological Weapons) के तौर पर तैयार किया है। साथ ही कई देशों ने तो इस मामले में चीन की जांच करने की मांग की है। अब अमेरिकी जांचकर्ताओं ने कुछ बड़े खुलासे किए हैं, जिनमें ये बायो हथियार बनाने वाली बात का भी जिक्र किया गया है।

अमेरिकी जांचकर्ताओं के हाथ एक दस्तावेज लगा है, जिसके आधार पर उन्होंने कहा है कि चीन के वैज्ञानिक पिछले छह साल से तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी कर रहे हैं, जिसे कोरोना वायरस जैसे बायोलॉजिकल और जेनेटिक हथियारों से लड़ा जाएगा।

इस हैरान कर देने वाले दस्तावेज (Secret Covid Document) में कहा गया है कि युद्ध में ‘जीत के लिए ये मुख्य हथियार होंगे’। इसमें लिखा है कि वो बेहतर परिस्थिति कौन सी होगी जब बायो हथियार को जारी किया जाएगा और इससे ‘दुश्मन के मेडिकल सिस्टम’ पर क्या प्रभाव पड़ेगा। चीन 2015 से ही SARS कोरोना वायरस को सैन्य क्षमता के तौर पर इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा था। कई अधिकारी तो अब भी ये मानते हैं कि वायरस चीनी लैब से ही निकला है।

वरिष्ठ अधिकारी देश को लेकर चिंतित

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People’s Liberation Army) के वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य अधिकारियों के डोजियर में बीमारी के साथ छेड़छाड़ कर एक ऐसे हथियार को बनाने की जांच का जिक्र किया गया है, जैसा ‘पहले कभी नहीं देखा गया’। वरिष्ठ अधिकारियों ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी लोगों के इरादों पर चिंता व्यक्त की है।

वह देश को लेकर डर में हैं क्योंकि लैब में होने वाली इस तरह की गतिविधियों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। दस्तावेज लिखने वालों ने कहा है कि तीसरा विश्व युद्ध ‘बायोलॉजिकल होगा’ और बाकी के दो विश्व युद्ध से बिल्कुल अलग होगा। इसमें इन दो युद्धों को कैमिकल और न्यूक्लियर युद्ध बताया गया है।

जापान पर परमाणु हमले का जिक्र

इसमें जापान (Japan) पर गिराए गए दो परमाणु बम और उसके बाद उसके सरेंडर करने के साथ ही दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति का जिक्र है और फिर दावा किया गया है कि बायो हथियार तीसरे विश्व युद्ध में जीत के लिए एक प्रमुख हथियार है। इसमें बताया गया है कि कौन सी परिस्थिति में इस तरह के हथियार को जारी किया जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो सके।

चीनी वैज्ञानिकों ने कहा है कि ऐसे हमले साफ दिन में नहीं किए जाने चाहिए क्योंकि सूरज की रोशनी रोगजनकों को मार सकती है, जबकि बारिश या बर्फ एयरोसोल कणों (हवा में मौजूद) को प्रभावित कर सकते हैं। इसके बजाय इसे रात में या फिर सुबह, शाम, या जब बादल छाए हों, ‘तब स्थिर हवा की दिशा में टार्गेट वाले इलाके में जारी करना चाहिए, ताकि वो हवा से वहां तक पहुंच जाए।

स्वास्थ्य सिस्टम को ध्वस्त करने का इरादा

दस्तावेज में कहा गया है कि ऐसे हमलों से अस्पताल आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ेगी और उस देश का स्वास्थ्य सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा (Wuhan Covid Origin)। अमेरिका ने चीन के घातक इरादों पर चिंता जताई है। वहीं ब्रिटेन में विदेश मामलों की समिति के चेयरमैन सांसद टॉम टुगेधांत का कहना है कि जो शीर्ष नेतृत्व की बात करते हैं, उनके इराकों को लेकर ये दस्तावेज चिंता देने वाला है। चाहे कितना भी सख्त नियंत्रण कर लिया जाए लेकिन ये हथियार फिर भी खतरनाक ही रहेंगे। इस दस्तावेज के 18 लेखक हैं, जो ‘उच्च जोखिम’ वाली लैब में काम कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलियाई स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीटर जेनिंग्स ने भी इसपर चिंता जताई है।

बोल्सनारो ने कही थी यही बात

खुफिया एजेंसियों का मानना है कि कोविड-19 चीन की वुहान लैब से ही पूरी दुनिया में फैला है, लेकिन अभी तक ऐसे सबूत नहीं मिल सके हैं, जो ये साबित कर सकें कि संक्रमण को जानबूझकर फैलाया गया है। इसी हफ्ते ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सनारो (Jair Bolsonaro) ने चीन की आलोचना की और कहा है कि उसी ने रसायनिक युद्ध छेड़ने के लिए कोविड बनाया है। वह देश में बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों के कारण लगातार आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं। बोल्सनारो ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है, ‘ये एक नया वायरस है, कोई नहीं जानता कि ये कहां उत्पन्न हुआ, लैब में या इंसानों ने कुछ जानवरों को खाया। सेना जानती है कि रासायनिक, बैक्टीरियोलॉजिकल और रेडियोलॉजिकल युद्ध क्या होता है। क्या हम एक नए युद्ध का सामना नहीं कर रहे हैं? किस देश ने अपनी जीडीपी को सबसे ज्यादा बढ़ाया है? मैं आपको नहीं बता सकता।’

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण    
1. अंक-267 (साल-02)
2. सोमवार, मई 10, 2021
3. शक-1984,बैसाख, कृष्ण-पक्ष, तिथि- त्रयोदशी, विक्रमी सवंत-2078। 
सहरी 04:03, इफ्तार 07:08। 27 रमजान, हिजरी 1442।
4. सूर्योदय प्रातः 06:04, सूर्यास्त 07:05।
5. न्‍यूनतम तापमान -13 डी.सै., अधिकतम-38+ डी.सै.।
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