बुधवार, 5 मई 2021

एससी ने मराठा आरक्षण पर चलाईं कैंची, खारिज

अकांशु उपाध्याय           

नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार की ओर से राज्य में दिए गए मराठा आरक्षण पर कैंची चलाते हुए उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को समाप्त करते हुए कहा कि यह पहले से ही निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिए गए मराठा आरक्षण मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही न्यायालय की पीठ ने वर्ष 1992 के इंदिरा साहनी मामले में दिए गए फैसले की समीक्षा करने से भी इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर अपनी कैंची चलाते हुए कहा है कि यह 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता है। अदालत ने कहा कि यह समानता के अधिकार का हनन है। इसके साथ ही अदालत ने वर्ष 2018 के राज्य सरकार के कानून को भी खारिज कर दिया है। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 50 प्रतिशत की सीमा से बाहर जाते हुए आरक्षण दिए जाने का ऐलान किया था। राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2018 में लिए गए इस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में दायर की गई थी। जिस पर बुधवार को सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने अपना यह फैसला सुनाया है। निर्णय सुनाते हुए जस्टिस भूषण ने कहा कि वह इंदिरा साहनी केस पर दोबारा विचार करने का कोई कारण नहीं समझते हैं। न्यायालय ने मराठा आरक्षण पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकारों की ओर से आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को नहीं तोड़ा जा सकता है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि मराठा आरक्षण देने वाला कानून 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को तोड़ता है और यह समानता के खिलाफ है। इसके अलावा न्यायालय ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार यह बताने में नाकाम रही है कि कैसे मराठा समुदाय सामाजिक और आर्थिक तौर पर बिछड़ा हुआ है। इसके साथ ही इंदिरा साहनी केस में वर्ष 1992 के शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा से भी न्यायालय ने इंकार कर दिया है।

ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर एचसी की टिप्पणी

बृजेश केसरवानी         
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुये कहा कि यह न केवल आपराधिक कृत्य है। बल्कि ऐसा करना नरसंहार से कम नही हैं। ऐसी मौतों की जवाबदेही आक्सीजन आपूर्ति करने वालो की है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कहा " मेडिकल साइंस इतना आगे है कि हम हार्ट ट्रांसप्लांट कर रह है। ब्रेन आपरेट कर रहे और दूसरी तरफ आक्सीजन की कमी से मौत हो जा रही है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि सामान्यत: कोर्ट सोशल मीडिया की खबरों पर ध्यान नहीं देती, मगर इस खबर का समर्थन वकीलो ने भी किया है कि प्रदेश में कई जिलों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न हो सकने के चलते मौतें हुईं हैं। कोर्ट ने कहा कि इसके सुधार के लिये तुरंत कदम उठाये जाएं।
उन्होने लखनऊ व मेरठ के जिलाधिकारी को ऑक्सीजनन की कमी से मौत की खबरो की 48 घंटे मे जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने तथा जवाबदेही तय करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि केस की सुनवाई के दौरान दोनों जिलों के डीएम वर्चुअल सुनवाई के समय उपस्थित रहेंगे। न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के पंचायत चुनाव मतगणना सीसीटीवी के साये मे करने और कोविड 19 गाइडलाइंस के पालन के निर्देश पर राज्य चुनाव आयोग को आठ जिलों की मतगणना का सीसीटीवी फुटेज पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी,गोरखपुर, गाजियाबाद मेरठ,गौतमबुद्धनगर, व आगरा जिले की पंचायत चुनाव के मतगणना के दौरान की सीसीटीवी फुटेज सात मई को पेश किया जाएं।
खंडपीठ ने हाईकोर्ट के कार्यरत जज की लखनऊ के एसजीपीजीआई में हुई मौत का भी संज्ञान लिया है और उनके इलाज की रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि जस्टिस वी के श्रीवास्तव 23 अप्रैल को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती हुए। शाम 7:30 बजे तक उनकी ठीक से देखभाल नहीं की गयी। बाद में उन्हें लखनऊ एसजीपीजीआई में शिफ्ट किया गया, जहाँ उनकी मौत हो गयी। कोर्ट ने जस्टिस श्रीवास्तव के इलाज से सम्बन्धित रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इस जनहित याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट अब 7 मई को करेगी।
केस की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने पक्ष रखा और कहा कि सरकार इस कोरोना महामारी सक्रमण की चेन तोड़ने के लिए सप्ताहांत दो दिन के लाकडाउन की अवधि को और बढ़ा दिया है। उन्होने बताया कि मरीजों की अधिक से अधिक टेस्टिंग की जा रही है। उन्हें इलाज की समुचित व्यवस्था कराने के शासन के आदेश का हर जिलों में अनुपालन कराया जा रहा है।
कोर्ट ने कहा कि आरटीपीसीआर की रिपोर्ट चार दिन बाद क्यों मिल रही है। जबकि जाँच रिपोर्ट जल्दी मिल जानी चाहिए।

रावण का रोल अदा करने वाले अभिनेता का निधन

अकांशु उपाध्याय                
नई दिल्ली। देशभर में चारों तरफ अपने पांव पसारते हुए तेजी के साथ चल रही कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच अनेक बुरी खबरें सुनने और देखने को मिल रही है। ऐसे हालातों के बीच कई सेलिब्रिटी के निधन की अफवाहें भी सामने आ रही हैं। पहले फिल्मी पर्दे की अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्री और लकी अली के बाद विख्यात रामायण सीरियल में रावण का रोल अदा करने वाले अभिनेता अरविंद त्रिवेदी के निधन की खबर सोशल मीडिया पर पूरी तरह से उड़ रही है। इस खबर का खंडन रामायण सीरियल में लक्ष्मण बने सुनील लहरी ने किया है। उन्होंने लोगों से गुजारिश की है कि कृपया कोरोना वायरस के संक्रमण की महामारी के बीच इस प्रकार की अफवाहें ना उड़ायें। सुनील लहरी ने अभिनेता अरविंद त्रिवेदी की कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए मैसेज में लिखा है कि आजकल कोरोना संक्रमण की वजह से कोई ना कोई बुरी खबर सुनने को मिल रही है। ऊपर से रामायण के रावण अरविंद त्रिवेदी की झूठी खबर फैलाने से लोगों के दिलों को ठेस पहुंच रही है।
उन्होंने कहा है कि मेरी सभी से प्रार्थना है कि कृपया झूठी अफवाह ना फैलाएं। परमपिता परमेश्वर की दया से अभिनेता अरविंद त्रिवेदी पूरी तरह से ठीक है और मैं प्रार्थना करता हूं कि भगवान उन्हें सदैव स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रखें। उल्लेखनीय है कि बीते साल भी रामायण सीरियल के रावण अरविंद त्रिवेदी के निधन की खबर तेजी के साथ उड़ी थी। उस समय उनके भतीजे ने ट्विटर पर सफाई देते हुए कहा था कि अरविंद त्रिवेदी बिल्कुल ठीक हैं। बीते वर्ष कोरोना संक्रमण की पहली लहर की रोकथाम की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के दौरान रामायण और महाभारत सीरियलों का प्रसारण हुआ था। दर्शको ने इन दोनों धारावाहिकों को खूब पसंद किया था।

बिना मंत्रिमंडल के अकेले ही सीएम की शपथ ली

मोनिका लोधी   
कोलकाता। विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद आज ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद की तीसरी बार शपथ ली। यानी एक बार फिर बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बन गई है। कोरोना संकट काल और उसकी गाइडलाइन्स की वजह से शपथ ग्रहण समारोह छोटा ही रखा गया है। ममता बनर्जी ने अकेले ही शपथ ली है। उनके साथ किसी भी मंत्री ने शपथ नहीं ली है। इस दौरान मंच पर ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ ही नजर आए।
ममता बनर्जी ने बुधवार सुबह 10:50 बजे तीसरी बार बंगाल के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण में चौंकाने वाली बात रही, राज्यपाल की हिदायत और उस पर बंगाल की सीएम का रिएक्शन। शपथग्रहण के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता को समझाते हुए कहा कि राज्य में जारी हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए। इसके बाद ममता ने कहा कि अभी राज्य की व्यवस्था चुनाव आयोग के पास थी, अब मैं नई व्यवस्था शुरू करूंगी।
बंगाल में जारी हिंसा का मुद्दे पर सीएम और राज्यपाल, दोनों बोले
ममता ने शपथ ग्रहण के बाद कहा कि अभी प्राथमिकता कोविड के खिलाफ लड़ाई को जीतना है। उन्होंने बंगाल में चल रही हिंसा को लेकर कहा कि बंगाली जनता हिंसा पसंद नहीं करती है। हिंसा फैलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। आज के बाद हिंसा की घटना नहीं होनी चाहिए। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी कहा- उम्मीद है ममता बनर्जी संविधान का पालन करेंगी। हम चाहते हैं कि राज्य में कानून-व्यवस्था का राज हो और ये हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए।

प्रदेश में चल रहे मिनी लॉकडाउन का दायरा बढ़ाया

संदीप मिश्र   
लखनऊ। यूपी में निरंतर बढ़ते जा रहे कोविड-19 केसों पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश में चल रहे मिनी लॉक डाउन (तालाबन्दी) का दायरा धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है। इस बीच यूपी वासियों को लॉक डाउन (तालाबन्दी) के नियमों के बीच महत्वपूर्ण सामानों की आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए घर से बाहर निकलने में बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, किंतु अब प्रदेश सरकार की ओर से इमरजेंसी में घर से बाहर निकलने वालों के लिए ई-पास जारी करने का फैसला लिया गया है। 
जारी हुई वेबसाइट

अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने सोमवार को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को लेटर भेज कर बीते वर्ष की भांति इस वर्ष भी लॉक डाउन (तालाबन्दी) की अवधि के दौरान आवश्यक सामानों की आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवाओं हेतु आवागमन करने वालों के लिए ई-पास जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से rahat.up.nic.in/epass वेबसाइट भी जारी की गई है, जिसके माध्यम से कोई भी संस्थान या व्यक्ति अपना विवरण देकर ई-पास के लिए आवेदन कर सकता है। इसके साथ ही इस बार संस्थागत पास का भी प्रावधान रखा गया है। जिसमें एक संस्था अपने आवेदक समेत अधिकतम पांच कर्मियों के लिए आवेदन कर सकती है।

दूसरी लहर के मुकाबले कम रहेगा संक्रमण: कोरोना

हरिओम उपाध्याय 
नई दिल्ली। दिल्ली स्थित देश के अग्रणी चिकित्सा संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया लगातार कोविड-19 को लेकर नई सलाह और सुझाव जारी करते रहते हैं। मंगलवार को डॉ. गुलेरिया ने भारत में तीसरी लहर की आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि अगर वायरस आगे चलकर उत्परिवर्तन करता है और इम्यून से बचने का तंत्र विकसित कर लेता है तो देश में कोविड-19 की तीसरी लहर आ सकती है।

वीकेंड लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू बेअसर

रणदीप गुलेरिया ने राज्यों के द्वारा नाइट कर्फ्यू और वीकेंड लॉकडाउन लगाए जाने के फैसले को वायरस को रोकने के लिए अक्षम बताते हुए कहा है कि इसका सफल होना बहुत मुश्किल है।

यह पूछे जाने पर कि देश में ऐसे कोविड संकट के चलते जिसमें अस्पतालों में मरीज का भर्ती हो पाना मुश्किल बना हुआ है और ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है क्यां राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की एकमात्र विकल्प बचा हुआ है, रणदीप गुलेरिया ने कहा कि वायरस संक्रमण में विस्तार को कम करने के लिए एक अवधि तक लॉकडाउन की आवश्यकता है।

बात करते हुए एम्स निदेशक ने कहा, "तीन चीजों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पहला अस्पताल का बुनियादी ढांचा है। दूसरा मामलों की संख्या में आक्रामक तरीके से कमी लाना और तीसरा टीकाकरण करना।" गुलेरिया ने कहा संक्रमण की शृंखला को तोड़ना होगा। यदि हम लोगों के बीच संपर्क को तोड़ने में सफल होते है तो वायरस संक्रमण में भी कमी आएगी।

गुलेरिया ने कहा "हम इसे लॉकडाउन

कह सकते हैं या फिर एक क्षेत्रीय लॉकडाउन जैसा कि ब्रिटेन में किया गया था। यह राज्य स्तर पर होगा या फिर बड़े स्तर पर होगा यह तय किया जा सकता है। यह कुछ ऐसा है जिसे नीति निर्माताओं को तय करना है क्योंकि यह जीवन और आजीविका के संदर्भ में सब कुछ व्यवस्थित करने की भी बात है। साथ ही यहां आवश्यक सेवाओं को चालू करना भी जरूरी है क्योंकि इसमें बहुत सारे लोग ऐसे भी प्रभावित होते हैं जो दैनिक मजदूर वाले हैं।' हालांकि उन्होंने लॉकडाउन के सख्त और आक्रामक करने की बात कही है।

एम्स निदेशक ने आगे कहा कि हमारा फोकस केवल हॉस्पिटल के बुनियादे ढांचे पर ही नहीं रखा जा सकता जब तक कि इसमें कोविड-19 संक्रमण की संख्या को कम करने पर ध्यान केंद्रित नहीं किया जाता है। गुलेरिया ने कहा कि वीकेंड लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू का कोई मतलब नहीं है। लॉकडाउन तब काम करेगा जब इसे पर्याप्त समय के लिए लगाया जाए। उन्होंने कहा कि यह समयावधि कम से कम दो सप्ताह की होनी चाहिए।

वायरस के उत्परिवर्तन को देखना जरूरी

डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अगर वायरस में उत्परिवर्तन जारी रहता है तो भारत में कोरोनोवायरस महामारी की तीसरी लहर की संभावना बनी हुई है। "हमें कुछ चीजों के समझना होगा। हम कितनी जल्दी लोगों को टीका देकर उन्हें प्रतिरक्षा प्रदान कर सकते हैं? और दूसरा यह है कि वायरस कैसे बदलता है? यदि वायरस आगे विकसित होता है और यह एक प्रतिरक्षा बचाव तंत्र विकसित करता है यानि लोगों द्वारा विकसित प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है तो आप फिर से संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में हम महामारी की तीसरी लहर को देख सकते हैं।

उन्होंने कहा हम संभवतः एक और लहर देखेंगे लेकिन मुझे उम्मीद है कि उस समय तक बड़ी संख्या में लोगों को टीका लगाया जा चुका होगा जिसके चलते यह कोरोवायरस की वर्तमान लहर जितनी बड़ी नहीं हो सकती है और इसे प्रबंधित करना आसान होगा।

घरेलू उपाय खूबसूरती में लगा सकते है चार चांद

कविता गर्ग  
गर्मियों के मौसम में चेहरे का इंस्टेंट ग्लो कम होने लगता है। और इसका सबसे बड़ा कारण है ओपन पोर्स। चेहरे पर ओपन पोर्स की वजह से चेहरे पर पिम्पल्स और रिकल्स दिखने लगते हैं। लेकिन कुछ घरेलू उपाय से आप इनसे छुटकारा पा सकते है। गर्मियों में छाछ पीने के कई फायदे है। लेकिन ये बढ़े हुए रोमछिद्रों को बंद करने या छोटा दिखाने में मदद भी करता है।
  • एक कप में तीन चम्मच छाछ और एक चम्मच नमक लें।
  • इस मिश्रण को अच्छी तरह से मिलाएं और मुलायम ब्रश की मदद से इसे चेहरे पर दस से पंद्रह मिनट के लिए लगाएं।
  • इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे को धो दें।
  • यह उपचार प्राकृतिक होने के साथ प्रभावशाली भी है।ओपन पोर्स को बंद करने के लिए ब्राउन शुगर का लेप भी बहुत असरदार है। ब्राउन शुगर का इस्तेमाल चेहरे पर स्क्रब की तरह करने से मृत त्वचा हटने लगती है, जिसके बाद बढ़े हुए रोमछिद्र कम होने लगते हैं।
  • इसके लिए दो चम्मच ब्राउन शुगर और एक चम्मच ऑलिव ऑयल को मिलाएं।
  • स्क्रब की तरह इस्तेमाल करते हुए चेहरे पर पांच मिनट तक मसाज करें।
  • इसके बाद ठंडे पानी से चेहरा धो दें।
  • पहले इस्तेमाल के बाद से ही फायदा नजर आने लगेगा।
  • गुलाब जल और खीरा
  • गुलाब जल और खीरे का जूस चेहरे को ठंडक देता है और ये एस्ट्रिंजेंट का काम करते हैं। गुलाब जल त्वचा का पीएच लेवल सामान्य रखता है। इसके अलावा इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। खीरे के साथ गुलाब जल का मिश्रण रोमछिद्रों को प्रभावशाली तरीके से छोटा करता है।
    • गुलाब जल और खीरे के जूस को मिलाकर चेहरे पर लगाएं।
    • 15 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें।
    • त्वचा चमक उठेगी।

    चंदन और हल्दी

    चंदन भी चेहरे को चमकदार, मुलायम और कोमल बनाने में उपयोगी है। इसकी तासीर ठंडी होती है। लिहाजा, रोमछिद्रों को छोटा करने में यह कारगार साबित होता है। इसमें हल्दी पाउडर मिलाने के बाद यह एक अच्छा एंटी-बैक्टीरियल मिश्रण बन जाता है।
  • चंदन पाउडर में हल्दी पाउडर और गुलाब जल डालें और अच्छी तरह से मिलाएं।
  • अब इस पेस्ट का इस्तेमाल फेसपैक के रूप में करें।
  • जब फेसपैक अच्छी तरह से सूख जाए तो चेहरे को ठंडे पानी से धो लें।
  • प्रभावी परिणाम के लिए सप्ताह में तीन दिन इस पेस्ट का इस्तेमाल करें।

बेकिंग सोडा

बेकिंग सोडा रोमछिद्र में फंसी गंदगी और मृत त्वचा को निकालने में काफी असरदार है।

  • एक बाउल में बेकिंग सोडा और एक छोटा चम्मच पानी डालकर पेस्ट तैयार करें।
  • इस पेस्ट को चेहरे पर फेसपैक की तरह लगाएं।
  • पेस्ट को पंद्र्रह से बीस मिनट के लिए छोड़ दें।
  • इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे धो लें।
  • थोड़े दिनों बाद आप खुद फर्क महसूस करने लगेंगी।

गडकरी को सौंपे महामारी से निपटने का दायित्व

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। कोरोना की बढ़ती महामारी के बीच भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि इससे निपटने का जिम्मा नितिन गडकरी को सौंप देना चाहिए। सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि भारत में एक और कोरोना की लहर आ सकती है जिसमें बच्चे और अधिक खतरे में होंगे। ऐसे में जरूरी कड़े कदम उठाने होंगे।

सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर लिखा है कि कोरोना से पूरी लड़ाई को लड़ने का जिम्मा प्रधानमंत्री मोदी को नितिन गडकरी को सौंप देना चाहिए। पीएमओ पर सिर्फ निर्भर रहने से काम नहीं चलेगा। कोरोना के बढ़ते केस के बाद जो हालात हैं उससे निपटने के तरीकों को लेकर विपक्ष की ओर से आलोचना हो रही है।
देश कोरोना के कहर से जूझ रहा है। एक ओर हजारों की संख्या में रोजाना मामले दर्ज हो रहे हैं तो वहीं सैकड़ों लोग अपनी जान गवां रहे हैं। वहीं, केंद्र सरकार समेत राज्य सरकारें इस लड़ाई से निपटने की हर संभव प्रयास कर रही है। वहीं, हर कोई एक दूसरे की मदद के लिए सामने आते भी दिख रहा है। रेलवे प्रशासन ने भी इसमें भाग लेते हुए ट्रेन के कोच में आइसोलेशन की सुविधा शुरू की है। बताया जा रहा है कि अब तक आइसोलेशन कोचों में 146 कोरोना मरीजों को भर्ती किया गया है। वहीं, 80 लोग अब तक डिसचार्ज किए जा चुके हैं। जानकारी के मुताबिक अभी 66 मरीजों का इलाज चल रहा है। रेलवे मिनिस्ट्री की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि रेलवे अब तक 4000 आइसोलेशन कोच बना चुका है। जिसमें 64 हजार बेड की व्यवस्था है। बता दें, रेलवे ने ये सुविधा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में दे रही है। वहीं, जल्द गुजरात और नागालैंड में भी इसकी शुरुआत की जाएगी।
आपको बता दें, देश में कोरोना से बनी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। आंकड़े प्रतिदिन रिकोर्ड बनाते दिख रहे हैं। देश में कुल आंकड़ों की बात करें तो ये आंकड़ा 2 करोड़ के पार हो गया है। 
वहीं, इस महामारी के चलते 2 लाख 22 हजार 408 लोगों ने अपनी जान गवां दी है। महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ये वो राज्य हैं जहां कोरोना के सबसे अधिक मामले देखें गए हैं। महाराष्ट्र में 47 लाख 71 हजार 022 मामले दर्ज हो चुके हैं, तो वहीं 70 हजार से अधिक लोगों ने इस गंभीर बीमारी से अपनी जान गवां दी है।

दूसरी लहर से अर्थव्यवस्था काफी बिगड़ी: गवर्नर

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर चल रहा है। कई राज्यों में लॉकडाउन या लॉकडाउन जैसी स्थिति है। इसे देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर इकोनॉमी के लिए नुकसानदेह है और रिजर्व बैंक हालात पर पूरी तरह से नजर बनाए हुए है।

उन्होंने कहा कि भारत मजबूत सुधार की ओर बढ़ रहा था। जीडीपी बढ़त पॉजिटिव हो गई थी। लेकिन दूसरी लहर आने के बाद पिछले कुछ हफ्तों में हालत काफी​ बिगड़ गई है। रिजर्व बैंक लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि आउटलुक काफी अनिश्चित है। गर्मी में ज्यादातर देशों में टीका आ जाएगा। उन्होंने कहा कि मॉनसून के इस साल सामान्य रहने का अनुमान जारी किया गया है जिसका महंगाई पर सकारात्मक असर रहेगा। खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल भी अच्छा रहा है। कारोबार जगत के लोग यह सीख चुके हैं कि भौतिक प्रतिबंधों के बीच किस तरह से काम किया जाए। लेकिन मांग पर दबाव रहेगा। लॉकडाउन और कोरोना संकट की वजह से इकोनॉमी पर फिर से खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का यह संबोधन काफी महत्वपूर्ण है। कोरोना को रोकने के लिए राज्य स्तर पर लागू किए जा रहे लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियां थम सी गई हैं। 
कोरोना संकट कम नहीं
गौरतलब है कि कोरोना वायरस का नया रूप देश में भारी तबाही मचा रहा है। देश में रोजाना 3.50 लाख से कोरोना के नए मामले आ रहे हैं। पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना के 3,82,691 नए केस सामने आए हैं।
RBI ने ट्वीट कर कहा था, 'आरबीआई गर्वनर स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे मीडिया को संबोधित करेंगे।' पिछले साल लॉकडाउन लगना अर्थव्यवस्था के लिए काफी नुकसानदेह साबित हुआ था। अप्रैल 2020 की वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में करीब 24 फीसदी की भारी गिरावट आई थी।
इकोनॉमी की चिंता
इसकी अगली तिमाही में भी जीडीपी नेगेटिव रही थी. लगातार दो तिमाही में जीडीपी में आई गिरावट की वजह से इकोनॉमी तकनीकी रूप से मंदी के दौर में पहुंच गई थी। उस दौर में केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज तो दिया ही था, रिजर्व बैंक ने भी सिस्टम में नकदी डालने के कई इंतजाम किए थे। आम लोगों को राहत देने के लिए लोन पर मोरेटोरियम की सुविधा दी गई थी।

श्रीमान जी गद्दी छोड़ दीजिए, कुर्सी से उतर जाइए

अरुंधति राय 
हमें सरकार की जरूरत है बहुत बुरी तरह से। जो हमारे पास है नहीं। सांस हमारे हाथ से निकलती जा रही है। हम मर रहे हैं। हमारे पास यह जानने का भी कोई सिस्टम नहीं है कि यदि मदद मिल भी जाए तो इसका इस्तेमाल कैसे हो पाएगा।
क्या किया जा सकता है? अभी, तत्काल? हम 2024 आने का इंतजार नहीं कर सकते हैं। निजी तौर पर मैं उनसे कुछ भी मांगने से पहले जेल जाना पसंद करती। लेकिन आज, जब हम अपने घरों में, सड़कों पर, अस्पतालों में, खड़ी कारों में, बड़े महानगरों में, छोटे शहरों में, गांव में, जंगलों और खेतों में मर रहे हैं।मैं एक सामान्य नागरिक के तौर पर, अपने स्वाभिमान को ताक पर रखकर करोड़ों लोगों के साथ मिलकर कह रही हूं, श्रीमान्, कृपया, आप गद्दी छोड़ दीजिए।
अब तो कम से कम कुर्सी से उतर जाइए। इस समय मैं आपसे हाथ जोड़ती हूं, आप कुर्सी से हट जाइए। यह संकट आप की ही देन है। आप इसका समाधान नहीं निकाल सकते हैं। आप इसे सिर्फ बद से बदतर करते जा रहे हैं। यह विषाणु भय व घृणा और अज्ञानता के माहौल में फलता-फूलता होता है। यह उस समय फलता-फूलता है जब आप बोलने वालों को प्रताड़ित करते हैं। यह तब होता है जब आप मीडिया को इस तरह प्रतिबंधित कर देते हैं कि असली सच्चाई सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मीडिया में ही बताई जाती है।
यह तब होता है जब आपका प्रधानमंत्री अपने प्रधानमंत्रित्व काल के दौरान एक भी प्रेस कांफ्रेस नहीं करता है, जड़वत कर देनेवाले इस भयावह क्षण में भी जो किसी भी सवाल का जवाब देने में अक्षम है। अगर आप पद से नहीं हटते हैं तो, हममें से लाखों लोग, बिना किसी वजह के मारे जाएंगे। इसलिए अब आप जाइए। झोला उठा के। अपनी गरिमा को सुरक्षित रखते हुए। एकांतवास में आप अपनी आगे की जिन्दगी सुकून से जी सकते हैं।
आपने खुद कहा था कि आप ऐसी ही जिन्दगी बसर करना चाहते हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोग इसी तरह मरते रहे तब वैसा संभव नहीं हो सकेगा।
आपकी पार्टी में ही कई ऐसे लोग हैं जो अब आपकी जगह ले सकते हैं। वे लोग संकट की इस घड़ी में राजनीतिक विरोधियों से मदद लेना जानते हैं।
आरएसएस की सहमति से, आपकी पार्टी का वह व्यक्ति सरकार का नेतृत्व कर सकता है और संकट प्रबंधन समिति का प्रमुख हो सकता है। राज्य के मुख्यमंत्रीगण सभी पार्टियों से कुछ लोगों को चुन सकते हैं जिससे कि दूसरी पार्टियों को लगे कि उनके प्रतिनिधि भी उसमें शामिल हैं। राष्ट्रीय पार्टी होने के चलते कांग्रेस पार्टी को उस कमिटी में रखा जा सकता है। उसके बाद उसमें वैज्ञानिक, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉक्टर्स और अनुभवी नौकरशाह भी होंगे। हो सकता है आपको यह समझ में नहीं आए, लेकिन इसे ही लोकतंत्र कहते हैं।
आप विपक्ष मुक्त लोकतंत्र की परिकल्पना नहीं कर सकते हैं। वही निरंकुशता कहलाता है। इस विषाणु को निरंकुशता भाता भी है।अभी यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, क्योंकि इस प्रकोप को तेजी से एक अंतरराष्ट्रीय समस्या के रुप में देखा जाने लगा है जो पूरी दुनिया के लिए खतरा है, आपकी अक्षमता दूसरे देशों को हमारे आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने का वैधता दे रही है कि वह कोशिश करके और मामले को अपने हाथ में ले ले।
यह हमारी संप्रभुता के लिए लड़ी गई कठिन लड़ाई से समझौता होगा। हम एक बार फिर से उपनिवेश बन जाएंगे। इसकी गंभीर आशंका है। इसकी अवहेलना बिल्कुल नहीं करें।इसलिए कृपया आप गद्दी छोड़ दीजिए। जवाबदेही का यही एक काम आप कर सकते हैं। आप हमारे प्रधानमंत्री होने के नैतिक अधिकार को खो चुके हैं।
(अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद – जितेंद्र कुमार)

वर्तमान पीएम मोदी से कुर्सी छोड़ने का तीखा आग्रह

नरेंद्र दामोदरदास मोदी,
प्रधानमंत्री, भारत सरकार।
अकांशु उपाध्याय   
नई दिल्ली। भारत की 130 करोड़ अवाम को आज ऑक्सीजन नहीं चाहिए- वह तो लोग जुगाड़ कर ही रहे हैं। भारत को आज रेमडेसीविर और प्लाज़्मा भी नहीं चाहिए- वह भी किसी तरह जमाखोरों से जुगाड़ किया जा रहा है, या लोग दान कर रहे हैं।
आपकी अवाम को अस्पताल भी नहीं चाहिए, जो आपने बीते 8 साल में नहीं दिए। हम खुद ही बिस्तर जुगाड़ लेंगे या सड़क पर मरना पसंद करेंगे। भारत की अवाम को ऐसा पिट्ठू राष्ट्रपति भी नहीं चाहिए, जो अपनी सरकार की नाकामी और चहुंओर आलोचनाओं पर भी लाचार और चुप है।
आज भारत की 130 करोड़ अवाम को एक अदद सरकार चाहिए। देश की अवाम और खासकर मेरे जैसे लोग इसके लिए 2024 तक इंतज़ार नहीं कर सकते। मैं आपके आगे मदद के लिए गिड़गिड़ाने के बजाय जेल जाना या सड़क पर मरना पसंद करूंगा।
मैं एक आम नागरिक के रूप में अपने वतनपरस्त साथियों और देश की अवाम की ओर से प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि कृपया तुरंत अपने पद से इस्तीफा दें। कुर्सी से हट जाएं। आप इस देश को जन्नत बनाने की कला नहीं जानते, पर आपको इसे नर्क बनाने की कला खूब आती है। आप हालात को संभाल नहीं पा रहे।
प्रधानमंत्री जी, आप अभी कुर्सी नहीं छोड़ेंगे तो आगे और लाखों लोग मरेंगे। आपने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद योग और ध्यान करके वक़्त काटेंगे। तो जाइये, वही कीजिये। आपकी बची-खुची गरिमा बनी रहेगी। आपकी पार्टी के बहुत से नेता आपकी जगह ले सकते हैं। आरएसएस की अनुमति से। उम्मीद है वे आपसे तो बेहतर और संवेदनशील ही होंगे।
राष्ट्रपति देश की तमाम राज्य सरकारों से एक सर्वदलीय समिति के गठन को कहें, जिसमें विपक्ष के नेताओं के साथ वैज्ञानिक, डॉक्टर, जन स्वास्थ्य के विशेषज्ञ शामिल हों।
प्रधानमंत्री जी, भारत इस वक़्त दुनिया के लिए खतरा बन चुका है। भारत में कोविड की समस्या सिर्फ देश की ही नहीं, दुनिया के लिए भी है। प्रधानमंत्रीजी, आपकी अक्षमता दुनिया के ताक़तवर देशों को भारत के मामलों में घुसपैठ करने का मौका दे रही है।
आज पूर्वी लद्दाख में चीन की घुसपैठ को एक साल हो गए। हमने अपनी ज़मीन खोई, 1959 की LAC को मान लिया, आपने अपनी ही सेना को शर्मसार किया, क्योंकि चीन ने उसे घुसपैठिया बताया था और आप चुप रहे।
आपके शासन में अभी भारत की संप्रभुता भी खतरे में है। भारत विदेशी ताक़तों का उपनिवेश बनता जा रहा है। देश के हज़ारों नौजवानों, सेनानियों ने इसी संप्रभुता के लिए जान दी है। आप भी जानते हैं कि आरएसएस ने अंग्रेजों से सिर्फ माफ़ी ही मांगी। अब आपकी पार्टी तो लोकतंत्र के लिए ही खतरा बन चुकी है।
मोदीजी, आपने ही कहा था कि फ़कीर आदमी हूं, झोला उठाकर निकल लूंगा। तो निकल लीजिए, वक़्त आ चुका है। हम भारतीयों को मंदिर-मस्जिद, मूर्तियां, नई संसद, आपकी हवेली और बिकता हुआ देश नहीं, एक सरकार चाहिए-जो मौत नहीं, ज़िन्दगी बांटे।
मोदीजी, आप भारत का प्रधानमंत्री बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं। इसलिए अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं और कुर्सी छोड़ दें। हम सब भारत के नागरिक आपसे विनती करते हैं। 

आपदा में अवसर, नींबू-नारियल के दाम तीन गुणा

राणा ओबरॉय  
रोहतक। जिले में कोरोना महामारी ने हर तरफ से लोगों की कमर तोड़ दी है। कमाई के साधन बंद पड़े हैं और उस पर महंगाई बढ़ने लगी है। कोरोना के मरीजों के लिए लाभदायक नींबू-नारियल जैसी सामान्य वस्तुओं के दामों में भी भारी उछाल देखा जा रहा है। अनेक लोगों को मायूस होकर मजबूरी में इतने महंगे दामों पर भी ये खरीदने पड़ रहे हैं।
शहर में 40 से अधिक स्थानों पर फुटपाथ पर कच्चा नारियल बेचा जा रहा है। इसके अलावा दुकानों पर भी कच्चे नारियल बेचे जा रहे हैं। महामारी के दौर में खुद को स्वस्थ्य रखने या मरीजों के स्वास्थ्य में जल्दी सुधार के लिए लोग इसका सेवन कर रहे हैं। जिससे इसकी मांग बढ़ रही है।
ऐसे में जो नारियल दो सप्ताह पहले तक 40 रुपये का मिल रहा था, वहीं अब 70 से 80 रुपये में मिल रहा है। झज्जर रोड पर निवासी अनिल ने बताया कि वो कच्चा नारियल लेने के लिए मानसरोवर पार्क के निकट आया था। जब उन्होंने नारियल का रेट पूछा तो दुकानदार ने 80 रुपये बताया। यह सुनकर वह दंग रह गया।
वहीं, मकडौली गांव निवासी सुमित ने बताया कि नारियल पानी के दाम 70-80 रुपये लिए जा रहे हैं। इनके अलावा नींबू भी 120 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है। जबकि दो सप्ताह पहले तक इसके दाम 80 रुपये प्रति किलोग्राम थे। वहीं, पपीता, कीवी, संतरा और मौसमी के दामों में भी भारी उछाल हो गया है।
उधर, लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि महामारी के ऐसे समय में इन सामान्य वस्तुओं के दाम तय किए जाने चाहिए। ताकि जरूरत के समय आम लोगों को दिक्कतें न उठानी पड़े। इस कोरोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि रोहतक में दिल्ली से फल आते है। दिल्ली में लॉकडाउन का असर यहां हो रहा है। वहीं से फल महंगे मिल रहे हैं और मांग भी बहुत बढ़ गई है।
जिसका असर दामों पर पड़ रहा है। नई फल एवं सब्जी मंडी आढ़ती वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान सोनू छाबड़ा ने बताया कि महामारी के बीच कच्चे नारियल, नींबू, संतरा व कीवी आदि फलों की मांग बढ़ गई है। कच्चे नारियल का प्रति पीस 60 रुपये थोक में ही मिल रहा है। वहीं, दूसरी तरफ आवक कम है। इसी कारण दामों में वृद्धि हो गई है।

आप से नहीं संभल रहा, दायित्व सेना को सौंपे: एचसी

 अविनाश श्रीवास्तव  
पटना। देशभर समेत बिहार में भी कोरोनावायरस को लेकर हालात बिगड़ते जा रहे हैं। राज्य में हर दिन संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ रहा है। वहीं कई पीड़ित लोग ऑक्सीजन और बेड की कमी से जूझ रहे हैं। बिहार में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अगर आप से स्थिति नहीं संभल रही है तो क्या कोविड का प्रबंधन सेना को सौंप देना चाहिए? अदालत ने कहा कि बार-बार आदेश देने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। कोर्ट ने यहां तक कह डाला कि ये शर्म की बात है कि हमारे बार-बार आदेश देने के बाद भी लोग मर रहे हैं। इस बीच राज्य में ना तो सरकारी अस्पताल और न निजी अस्पताल में लोगों को बेड मिल रहा है और जो भर्ती हैं उन्हें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन भी नहीं मिल रहा है।

ऑक्सीजन के अभाव में मौत को हत्या क्यों ना माने

बृजेश केसरवानी  

प्रयागराज। कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन की कमी को लेकर देशभर की अदालतें सरकारों से बेहद नाराज हैं। इसी सिलसिले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार सख्त टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं होने से कोरोना मरीजों की जान जाना अपराध है, यह किसी नरसंहार से कम नहीं है।

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों और क्वारैंटाइन सेंटर्स की स्थिति को लेकर दायर पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी। इसी दौरान लखनऊ और मेरठ में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के रेफरेंस में कोर्ट ने कमेंट किया। साथ ही दोनों जिलों के DM को ऐसी खबरों की 48 घंटे में जांच कर अगली सुनवाई पर ऑनलाइन पेश होकर रिपोर्ट देने को कहा है।

कोर्ट ने कहा, ‘कोरोना मरीजों को मरते देख हम दुखी हैं। यह उन लोगों द्वारा नरसंहार से कम नहीं, जिन पर ऑक्सीजन की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी है। हम अपने लोगों को इस तरह कैसे मरने दे सकते हैं, जबकि विज्ञान इतना एडवांस है कि आज हार्ट ट्रांसप्लांटेशन और ब्रेन सर्जरी भी हो रही हैं।’

हाईकोर्ट ने कहा कि आमतौर पर हम राज्य सरकार और जिला प्रशासन को सोशल मीडिया पर वायरल खबरों की जांच करने के लिए नहीं कहते, लेकिन इस मामले से जुड़े वकील भी इस तरह की खबरों का जिक्र कर रहे हैं। उनका यहां तक उनका है कि राज्य के बाकी जिलों में भी यही स्थिति है। इसलिए हमें (कोर्ट) सरकार को तुरंत कदम उठाने के आदेश देना जरूरी लगा।

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को लगाई फटकार
दिल्ली में ऑक्सीजन संकट पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा कि आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर डालकर बैठे रह सकते हैं हम नहीं। इसके बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई करने के आदेश का पालन नहीं करने पर क्यों न आपके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाया जाए।

मां बनने के बाद 800 महिलाओं की मौत: संक्रमण

ब्रासीलिया। कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहे ब्राजील में गर्भवती महिलाओं के लिए यह महामारी काल बनती जा रही है। ब्राजील में गर्भवती और मां बनने के तुरंत बाद 800 महिलाओं की मौत से पूरा देश हिल गया है। देश के अधिकारियों ने महिलाओं को चेतावनी दी है कि वे अपने गर्भधारण करने की योजना को कुछ समय के लिए टाल दें। ब्राजील में अब तक कोरोना वायरस से 4 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

ब्राजील के एक टास्कफोर्स के मुताबिक पिछले साल फरवरी महीने में कोरोना महामारी की चपेट में आने के बाद ब्राजील में कम से कम 803 गर्भवती और बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाओं की मौत हो गई। इनमें से 432 महिलाओं की मौत इस साल हुई है। ब्राजील में इस साल कोरोना वायरस सबसे खतरनाक स्घ्तर पर पहुंच गया है। हाल ही में ब्राजील के अखबार गर्भवती महिलाओं की मौत की खबरों से भरे हुए थे। 

गुरुद्वारे में 250 बेड का कोविड केयर सेंटर बनाया

सत्येंद्र ठाकुर  

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी इस कदर कहर बरपा रही है कि आए दिन मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड की कमी से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। इस मुश्किल घड़ी में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी डीएसजीएमसी मानवता की रक्षा के लिए आगे आई है। कोरोना काल में लोगों की जिंदगी की ढाल बनने के लिए कमेटी ने दिल्ली के ऐतिहासिक गुरुद्वारे रकाबगंज साहिब में 250 बेड का कोविड केयर सेंटर बनाया है। जहां ऑक्सीजन और दवाईयों समेत हर प्रकार की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है। आगामी गुरुवार को सेंटर की शुरुआत की जाएगी।

मंगलवार को डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि कमेटी की तरफ से गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब के भाई लक्खी शाह वणजारा हाल में बनाया गया 250 बेड का कोरोना केयर सेंटर गुरुवार छह मई से शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले चरण में 100 बेड की सुविधा मिलेगी और इसके एक हफ्ते बाद और 150 बेड भी सेवा में उपलब्ध होंगे। दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष ने यह स्पष्ट किया है कि यह कोरोना केयर सेंटर सिफ ऑक्सीजन की सुविधा प्रदान करने के लिए बनाया गया है। इसमें उन मरीजों को दाखिल नहीं किया जाएगा जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत होगी।मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, " जिन का ऑक्सीजन स्तर कम होगा, उन मरीजों को यहां भर्ती किया जाएगा और ऑक्सीजन प्रदान की जाएगी। लेकिन गंभीर मरीजों को यहां भर्ती नहीं किया जाएगा। यहां हर बेड के साथ ऑक्सीजन, दवाएं और लंगर प्रदान किया जाएगा और किसी मरीज से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका से 250 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मंगाए गए हैं और अब तक लगभग 100 कंसंट्रेटर आ गए हैं जो इस कोरोना केयर में इस्तेमाल किए जाएंगे।

कोविड केयर सेंटर में एम्बुलेंस की भी व्यवस्था रहेगी। सिरसा ने बताया कि कमेटी की ओर से एम्बुलेंस के साथ-साथ डॉक्टर्स भी हायर किए गए हैं। मरीजों की देखभाल में कोई कमी न रहे, इसके लिए कमेटी के वॉलंटियर्स भी यहां चैबीसों घंटे ड्यूटी पर रहेंगे। इसके अलावा गुरुद्वारा कमेटी की ओर से कोरोना संक्रमित लोगों के घर पर लंगर पहुंचाने की भी सेवा की जा रही है। कमेटी ने इसके लिए कुछ हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं जिस पर कॉल करके कोरोना संक्रमित लोग अपने घर पर भोजन मंगा सकते हैं।

सीएम राहत कोष से 100 करोड रुपए जारी: टीका

पंकज कपूर 
देहरादून। उत्तराखंड से आज की सबसे बड़ी खबर प्रदेश में कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए राज्य के 18 से 44 वर्ष की आयु सीमा के नागरिकों को वैक्सीनेशन किए जाने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 100 करोड रुपए जारी कर दिए गए हैं, अपर सचिव मुख्यमंत्री अरुणेंद्र सिंह चौहान ने महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग को पत्र लिखकर इसके आदेश जारी कर दिए हैं, जिसके तहत वैक्सीनेशन किए के दृष्टिगत कोवीशील्ड व कोवैक्सीन के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 100 करोड़ स्वीकृत कर महानिदेशक चिकित्सा व स्वास्थ्य के निवर्तन पर रखे जाने का निर्णय लिया गया है। 
इसके तहत कुछ शर्ते भी लगाई गई हैं जिसके तहत मुख्यमंत्री राहत कोष से स्वीकृत धनराशि का उपयोग उसी मध्य में किया जाए जिस मद में धनराशि स्वीकृत की गई है। मुख्यमंत्री राहत कोष से स्वीकृत धनराशि से कोई सिल्वर को वैक्सीन का क्रय संगत नियमों में किया जाए आपको बता दें प्रदेश सरकार की वैक्सीनेशन को लेकर लगातार बात चल रही है अभी 18 से 45 वर्ष आयु के युवाओं के टीकाकरण का अभियान शुरू नहीं हो पाया है।

मोर्चरी में रखा महिला का शव चींटी-चूहे खा गए

शैलेश श्रीवास्तव  
आजमगढ़। देश एक तरफ जहां कोरोना से लड़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली की वजह से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। हालात अब इअसे हो गए हैं कि मृतकों के शवों का अंतिम संस्कार होने के बजाय उन्हें चूहे और चीटियां खा रहे हैं। कई बार तो कर्मचारियों को इस बात का पता का तब तक पता नहीं चल पाता है जब तक लाश से दुर्गंध नहीं आने लग जाती हैताजा मामला उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के बलरामपुर मंडलीय अस्पताल का है। जहां 29 अप्रैल की शाम बिलरियागंज में सड़क पर घायल अवस्था में मिली 32 वर्षीय अज्ञात महिला को 108 नंबर की एंबुलेंस के कर्मचारियों ने शाम पांच बजे मंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया था। अगले दिन 30 अप्रैल की सुबह उसकी मौत हो गई तो कर्मचारियों ने शव मोर्चरी में रखवा दिया। इसके साथ ही शव के शिनाख्त और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया के लिए पुलिस को सूचना भेज दी। लेकिन स्वास्थ्य और पुलिस विभाग दोनों की लापरवाही के चलते न तो शव की शिनाख्त हो सकी, न ही पोस्टमार्टम कराया गया। नतीजन महिला का शव बीते 5 दिनों से मोर्चरी में ही पड़ा हुआ है और अबतक उसकी लाश के अधिकांश हिस्से चूहे और चीटियां खा चुके हैं। 
बता दें कि मंडलीय अस्पताल परिसर में आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस बनवाया गया है। शवों को रखने के लिए यहां फ्रीजर भी लगवाया गया है लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते वो खराब पड़ा है। जिसके कारण शवों को बाहर ही रखना पड़ता है। यह मुद्दा कई बार उठा लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सीएमओ डॉ. एके मिश्र ने बताया किमोर्चरी मेरी देखरेख में ही आती है। अभी घटना मेरी जानकारी में नहीं है. मेरे पास दूसरे भी कई काम हैं। यह काम पुलिस का भी है। सूचना दी गई तो पुलिस को पोस्टमार्टम कराना चाहिए था। इस बारे में फार्मासिस्ट से जानकारी लूंगा।

वहीं, बलरामपुर चौकी प्रभारी अनिल मिश्रा का कहना है किजिला अस्पताल में मरीज की मौत होने पर मेमो कोतवाली भेजा जाता है। वहां से ही ड्यूटी निर्धारित कर पोस्टमार्टम कराया जाता है। हमेशा होता भी रहा है, चूक कैसे हुई कहना मुश्किल है। शव का पोस्टमार्टम बुधवार को कराया जाएगा।


कोरोना संक्रमण की रफ्तार के बीच राजनीति गरमाई

अविनाश श्रीवास्तव  
पटना। बिहार में कोरोना संक्रमण काफी तेजी से बढ़ रहा है। अब जाकर राज्य सरकार ने 10 दिनों का लॉकडाउन लागू किया है। कोरोना संक्रमण से हर दिन सैकड़ों लोग मर रहे। सरकार के तमाम दावों के विपरीत अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की भारी कमी है। लोग बिना इलाज के ही मर रहे हैं। इन सब के बीच बिहार में राजनीति भी जारी है। तेजस्वी यादव भले ही बिहार से बाहर हों लेकिन वो ट्वीट पर सक्रिय हैं और लगातार नीतीश सरकार पर हमला बोल रहे हैं। तेजस्वी ने सीएम नीतीश को हर मोर्चों पर फेल बताया है। तेजस्वी के आरोप पर जेडीयू के कद्दावर नेता और सांसद ललन सिंह ने जवाब दिया है।
किस बिल छुपकर ट्वीट कर रहे- ललन

जेडीयू सांसद ललन सिंह ने तेजस्वी यादव के हमले पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव किस बिल में छुपकर ट्वीट कर रहे हैं। इसकी जानकारी सार्वजनिक करें। बिहार की जनता यह जानना चाहती है कि संकट की घड़ी में नेता प्रतिपक्ष कहां हैं.ललन सिंह ने आगे कहा कि जब भी संकट आता है तेजस्वी यादव गायब हो जाते हैं। 

तेजस्वी यादव आपको बिहार की जनता खोज रही-जेडीयू

जेडीयू सांसद ने कहा कि बिहार में लॉक डाउन कब लगाना है,राज्य सरकार ने इस मंथन किया और लॉकडाउन लगाया गया। तमाम परिस्थितियो को देखकर मुख्यमंत्री ने लॉकडाउ लगाया। सिर्फ आरोप लगा देने भर से कुछ नही होता है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव आपको बिहार की जनता खोज रही है।


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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण    
1. अंक-263 (साल-02)
2. बृहस्पतिवार, मई 6, 2021
3. शक-1984,बैसाख, कृष्ण-पक्ष, तिथि- नवमी, विक्रमी सवंत-2078। 
सहरी 04:10, इफ्तार 07:01। 23 रमजान, हिजरी 1442।
4. सूर्योदय प्रातः 06:05, सूर्यास्त 06:59।
5. न्‍यूनतम तापमान -15 डी.सै., अधिकतम-39+ डी.सै.।
6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
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कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया

कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया पंकज कपूर  रुद्रपुर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलक...