रविवार, 18 अप्रैल 2021
यूपीपीएससी: चेयरमैन ने श्रीनेत के नाम पर मुहर लगाईं
महामारी से मुकाबला, टीकाकरण को बढ़ाना महत्वपूर्ण
ग्रामीण डाक सेवक के 1421 पदों पर भर्ती निकलीं
रेमडेसिवर का उत्पादन दोगुना किया जाएंगा: मनसुख
13 रुपये के रिचार्ज प्लान में ग्राहकों को 2 जीबी डेटा
महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगा दिल्ली एचसी
आंदोलन खत्म हो जाएंगा तो कोरोना खत्म: टिकैत
बंगाल को जीतने की जंग के दौरान थोड़ा-सा वक्त
देश में लॉकडाउन लगाने की स्थिति नहीं: गृहमंत्री
कांग्रेस नेता-जिला पंचायत उपाध्यक्ष रोहिणी का निधन
अनियंत्रित होकर खाई में गिरीं कार, 5 लोगों की मौत
स्मार्टफोन खरीदने का मिला सुनहरा मौका, छूट
कोरोना के कारण साहित्यकार डॉ. कोहली का निधन
पांच चरणों में 180 सीटों पर मतदान हुआ: गृहमंत्री
पीएम ने महामारी से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की
बंगाल: राहुल ने प्रचार की सभी चुनावी रैलियां रद्द की
देश में कोरोना वायरस से बढ़ते मामलों के बीच रैलियां करने के लिए कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना करती रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महामारी से निपटने के बजाए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रचार करके स्तब्ध करने वाली संवेदनहीनता का परिचय दे रहे हैं।चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री को दिल्ली में रहकर अपना काम करना चाहिए और मुख्यमंत्रियों के साथ समन्वय बनाकर कोरोना वायरस से निपटना चाहिए।
प्रधानमंत्री आठ चरणीय पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में जनरैलियों को संबोधित कर रहे हैं। भारत में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। देश में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के 2,61,500 नए मामले सामने आने के साथ कोविड-19 के कुल मामले बढ़कर 1,47,88,109 पर पहुंच गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के रविवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक उपचाराधीन मामले 18 लाख के पार पहुंच गए हैं। मंत्रालय द्वारा सुबह आठ बजे जारी आंकड़ों के मुताबिक, 1,501 संक्रमितों की मौत होने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,77,150 पर पहुंच गई।
बढ़ते मामलों के कारण जेईई-मेन्स को किया स्थगित
देश में कोरोना के 2,61,500 नए मामलें सामने आएं
या देवी सर्वभूतेषु 'कालरात्रि' रूपेण संस्थिता: नवरात्रि
माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गा पूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन 'सहस्रार' चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। देवी कालात्रि को व्यापक रूप से माता देवी - काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृित्यू, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है। रौद्री और धुमोरना देवी कालात्री के अन्य कम प्रसिद्ध नामों में हैं। माना जाता है कि देवी के इस रूप में सभी राक्षस,भूत, प्रेत, पिसाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है। जो उनके आगमन से पलायन करते हैं |यह ध्यान रखना जरूरी है कि नाम, काली और कालरात्रि का उपयोग एक दूसरे के परिपूरक है। हालांकि, इन दो देवीओं को कुछ लोगों द्वारा अलग-अलग सत्ताओं के रूप में माना गया है। डेविड किन्स्ले के मुताबिक, काली का उल्लेख हिंदू धर्म में लगभग 600 ईसा के आसपास एक अलग देवी के रूप में किया गया है। कालानुक्रमिक रूप से, कालरात्रि महाभारत में वर्णित, 600 ईसा पूर्व - 300 ईसा के बीच वर्णित है। जो कि वर्त्तमान काली का ही वर्णन है। सिल्प प्रकाश में संदर्भित एक प्राचीन तांत्रिक पाठ, सौधिकागम, देवी कालरात्रि का वर्णन रात्रि के नियंत्रा रूप में किया गया है। सहस्रार चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णतः माँ कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है। उनके साक्षात्कार से मिलने वाले पुण्य (सिद्धियों और निधियों विशेष रूप से ज्ञान, शक्ति और धन) का वह भागी हो जाता है। उसके समस्त पापों-विघ्नों का नाश हो जाता है और अक्षय पुण्य-लोकों की प्राप्ति होती है।
वर्णन
इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं। इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें निःसृत होती रहती हैं।
माँ की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ (गदहा) है। ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं। दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है।
महिमा
माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है।लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है। माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है।
माँ कालरात्रि के स्वरूप-विग्रह को अपने हृदय में अवस्थित करके मनुष्य को एकनिष्ठ भाव से उपासना करनी चाहिए। यम, नियम, संयम का उसे पूर्ण पालन करना चाहिए। मन, वचन, काया की पवित्रता रखनी चाहिए। वे शुभंकारी देवी हैं। उनकी उपासना से होने वाले शुभों की गणना नहीं की जा सकती। हमें निरंतर उनका स्मरण, ध्यान और पूजा करना चाहिए।
नवरात्रि दिवस
नवरात्रि की सप्तमी के दिन माँ कालरात्रि की आराधना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है, तेज बढ़ता है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में सातवें दिन इसका जाप करना चाहिए।
मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे पाप से मुक्ति प्रदान कर।
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