बीजिंग/ हैदराबाद। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह के दावे के विपरीत अब तेलंगाना बिजली विभाग के अधिकारियों ने भी चीनी साइबर हमले का दावा किया है। अधिकारियों के मुताबिक, मुंबई में पिछले साल 12 अक्टूबर को चीनी हैकर्स ने पावर सप्लाई सिस्टम में सेंध लगाकर 12 घंटे ब्लैकआउट कर दिया था। उसी दिन तेलंगाना में भी 40 सब-स्टेशन को भी इन हैकर्स ने टारगेट किया था। हालांकि, कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम से अलर्ट मिलने के बाद इसे असफल कर दिया गया। इधर, पिछले साल मुंबई में हुए साइबर अटैक को लेकर महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत का बयान आया है। राउत ने कहा कि स्काडा यूनिट में फायरवाॅल तोड़कर 8 ट्रोजन होर्स मॉलवेयर की एंट्री चीन और ब्रिटेन समेत अन्य देशों से हुई थी। महाराष्ट्र पावर कंपनी से भी चीन में बने उपकरण का इस्तेमाल नहीं करेगी। अधिकारियों के मुताबिक, चीनी हैकर्स के द्वारा तेलंगाना स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर टीएस ट्रांस्को और टीएस गेनको पावर सिस्टम को हैक करने की कोशिश की। क्रेट-इन से अलर्ट मिलने के बाद इन सेंटर्स ने फौरन कार्रवाई करते हुए आइपी सर्वर को ब्लॉक कर दिया। साथ ही रिमोट ऑपरेशन के लिए कंट्रोल फंक्शन को भी बंद कर दिया। टीएस ट्रांस्को और टीएस गेनको तेलंगाना की प्रमुख पावर यूटिलिटी हैं। अमेरिकी कंपनी रिकॉर्डेड फ्यूचर के मुताबिक चीनी हैकर्स की ओर से अब तक एनटीपीसी, 5 रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर और दो बंदरगाह पर साइबर अटैक किया गया है। इससे पहले इसी कंपनी ने मुंबई में पिछले साल हुए ब्लैकआउट के पीछे चीनी हैकर्स के हाथ होने का खुलासा किया था। अब तक चीनी हैकर्स ने भारत की बिजली सप्लाई को ज्यादा टारगेट किया है। इसके पीछे उनका एकमात्र उद्देश्य देश की इंटरनल सिस्टम को डिस्टर्ब करना है।रिकॉर्डेड फ्यूचर ने दावा है कि गलवान में हुई हिंसा के बाद चीनी हैकर्स लगातार भारत के इंटरनल सिस्टम को हैक करने की साजिश कर रहे हैं। कुछ में वे सफल भी हुए हैं। उन्होंने भारतीय कंपनियों को इसके लिए अलर्ट भी रहने की सलाह दी है। हालांकि, सरकार की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम क्ररेट-इन और नेशनल क्रिटिकल इंफॉर्मेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर से संगठन इस पर कड़ी नजर रख रहे हैं। दो दिन पहले भी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन के हैकर्स ने भारत में कोरोना वैक्सीन तैयार कर रही दो कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक पर भी साइबर हमले किए थे। हालांकि, चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर ऐसे किसी भी आरोपों से इनकार कर दिया था।
बुधवार, 3 मार्च 2021
अडानी व अंबानी की ही चिंता करती है सरकार
सारांश कनौजिया
नई दिल्ली। जब हम भारत की अर्थव्यवस्था की बात करते हैं, तो सामान्यतः जीडीपी के आंकड़ों की चर्चा होती है। किंतु जीडीपी अर्थव्यवस्था का मात्र एक भाग है। जहां वित्त (फाइनेंस) विभाग जीडीपी सहित कई आंकड़ों को विकास की गति मानता है, तो वहीं अर्थ शास्त्र (इकोनोमिक्स) लोगों की आर्थिक स्थिति की बात करता है। कई सालों से मोदी सरकार पर आरोप लगता रहा है कि वो सिर्फ अडाणी व अंबानी की ही चिंता करती है। उन्हें अन्य उद्योगपतियों की चिंता बिल्कुल नहीं है। जीडीपी का अधिकांश भाग अडाणी और अंबानी जैसे उद्योगपतियों की विकास दर को दिखाता है। इस दृष्टि से देखें तो भारत की जीडीपी कोरोना काल में भी अच्छी हुई है। यह बात आश्चर्यजनक लग सकती है। लेकिन आंकड़े तो यही बताते हैं। पिछले 1 वर्ष में भारत के अंदर 40 और लोग अरबपति बन गये। एक रिपोर्ट के अनुसार इनको मिलाकर इस समय भारत में 177 अरबपति हैं। भारत की जीडीपी को यदि मानक मान लें, तो भी इस क्षेत्र में भारतीयों और भारत सरकार ने अच्छा काम किया है। कोरोना के बाद वर्तमान वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी -23.9 प्रतिशत थी, दूसरी तिमाही में सुधार हुआ और यह -7.5 प्रतिशत रही, तीसरी ही तिमाही में हमने नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल दिया और जीडीपी 0.4 प्रतिशत हो गयी। अर्थात पहली तिमाही से अब तक 23.5 प्रतिशत का सुधार हो चुका है। चौथी तिमाही में और अच्छे आंकड़े आने की उम्मीद है। यदि विश्व की कुल जीडीपी में भारत की जीडीपी का प्रतिशत देखें तो वर्ष 2019 में यह 7.09 प्रतिशत था। जबकि 2020 में यह गिर कर 6.66 प्रतिशत रह गया। वर्ष 2014 में मोदी सरकार के आने से पहले 2013 में भारत की जीडीपी विश्व की जीडीपी का 6.17 प्रतिशत थी अर्थात कोरोना काल में भी हमारी जीडीपी प्रभावित होने के बाद भी 2013 से बेहतर स्थिति में थी। यहां आंकड़े जनवरी से दिसंबर तक की गणना के अनुसार प्रस्तुत किये गये हैं।जब हम अर्थव्यवस्था की बात करते हैं, तो मंहगाई दर (इंफ्लेशन रेट) की बात भी होती है। 2013 में यह दर 9.4 प्रतिशत थी, 2020 में यह 4.9 प्रतिशत रही। अर्थशास्त्र में माना जाता है कि यदि मांग अधिक हो और आपूर्ति कम तो मंहगाई बढ़ती है। यदि मांग के अनुसार आपूर्ति रहेगी, तो मंहगाई नियंत्रित रहती है। अर्थात कोरोना काल में भी मांग और आपूर्ति का संतुलन बना रहा। कुछ लोग कह सकते हैं कि पैसा न होने के कारण लोगों ने खरीददारी नहीं की। उन लोगों को हाल ही में 40 नये बने अरबपतियों की सूची पर नजर डालनी चाहिए। ये सभी तब अरबपति बने हैं। जब हम भारतीयों ने इनके उत्पादों या सेवाओं का उपयोग किया है। एक और तर्क है कि फार्मा कम्पनियों को कोरोना काल में लाभ अधिक हुआ है। नये अरबपतियों की सूची में नजर डालने पर सभी क्षेत्रों से लोग इसमें शामिल हुये हैं। पतंजलि के संचालक आचार्य बालकृष्ण की सम्पत्ति में 32 प्रतिशत की गिरावट हुई है। उनका नाम इसलिये बता रहा हूं कि पतंजलि प्रणेता बाबा रामदेव को कुछ लोग मोदी समर्थक बताते हैं। कई आयुर्वेदिक उत्पादों को शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना जाता है। इस कारण बहुत से लोगों ने अपने नये स्टार्टअप खोल लिये। इसके बाद भी आयुर्वेदिक फार्मा के क्षेत्र में सक्रिय आचार्य बालकृष्ण की सम्पत्ति घट गयी।ईएसआईसी के आंकड़े भी अर्थव्यवस्था को दिखाते हैं। इन आंकड़ों की सहायता से यह पता चलता है कि कितने लोगों को रोजगार मिल रहा है। हर महीने इस सूचि में 10 लाख से भी अधिक लोग जुड़ रहे हैं। यदि भारत सरकार काम नहीं कर रही है। उद्योग बंद हैं या लोगों को नौकरियों से निकाल रहे हैं, तो फिर नये लोगों को रोजगार कैसे मिल रहा है? कोरोना काल में करोड़ों लोगों के बेरोजगार होने की बात कही गयी थी। उस समय भी स्पष्ट किया गया था कि इनमें से अधिकांश अपनी रोजी रोटी के लिये काम करने वाले दैनिक मजदूर हैं या फिर किसी छोटे व्यवसाय से जुड़े हुये लोग। जैसे ही कोरोना की स्थिति नियंत्रित होने लगी। इन लोगों को दोबारा अपना काम वापस मिल गया। हो सकता है कि इस बार मालिक अलग हो। लेकिन वो बेरोजगार नहीं हैं।ऐसा नहीं है कि स्थिति पूरी तरह से ठीक हो चुकी है। नौकरीपेशा एक वर्ग की सैलरी कोरोना काल में घटा दी गयी थी। अभी भी इनमें से अधिकांश की सैलरी कम ही बनी हुई है। यह स्थिति अगले आर्थिक वर्ष में ठीक हो सकती है। कई आर्थिक संगठनों का मानना है कि भारत की जीडीपी वर्ष 2021-22 में दो अंकों की वृद्धि दर्ज करेगी। यदि उद्योग बढ़ेंगे, तो निश्चित रुप से लोगों को अधिक रोजगार मिलेगा। कोरोना काल में कृषि वृद्धि दर अधिक थी। किसान रेल, किसानों के लिये ऑनलाइन मार्केट आदि की व्यवस्था कर इस वृद्धि दर को बनाये रखने के लिये भी मोदी सरकार काम कर रही है। अभी स्थिति बहुत अच्छी तो नहीं है। लेकिन तेजी से अच्छी होने की दिशा में बढ़ अवश्य रही है।
प्रभाग-विभाग के द्वारा की गई कार्यशाला आयोजित
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। सामाजिक वानिकी प्रभाग, गाजियाबाद द्वारा “मानव वन्य जीव द्वन्द” विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी। इस कार्यशाला में जनपद गाजियाबाद में पूर्व में “मानव वन्य जीव द्वन्द ” की घटित घटनाओं पर विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ. जॉयदीप बोस, एसोसिएट्स डायरेक्टर एण्ड लीड प्रोटेक्शन, वाईल्ड लाईफ और हैबिटेट्स डिवीजन, डब्लूडब्लूएफ इण्डिया, द्वारा तकनीकी जानकारी दी गयी और विभिन्न श्रेणियों के वन्य जीवों जैसे: तेन्दुआ, सांप, नीलगाय, बन्दर आदि से “मानव वन्य जीव द्वन्द” की समस्याओं एवं उनके समाधान के लिए प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर मानव वन्य जीव द्वन्द के समाधान में प्रयुक्त होने वाले विशेष उपकरणों का प्रदर्शन किया गया तथा उनके प्रयोग के लिए तकनीकी जानकारी भी दी गयी। कार्यक्रम में प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी प्रभाग गाजियाबाद दीक्षा भण्डारी, उप प्रभागीय वनाधिकारी सामाजिक वानिकी प्रभाग आशुतोष पाण्डेय और गाजियाबाद और मोदीनगर के प्रभारी क्षेत्रीय वनाधिकारी, वन कर्मी और अन्य जन सामान्य उपस्थित रहे।
उद्दमी खुद ही हटाएं निर्माण, निगम करेगा कार्यवाही
अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने कहा है कि निगम के अंतर्गत आने वाले औद्योगिक क्षेत्र के संगठनों के बाहर यदि किसी भी प्रकार का पक्का निर्माण, कब्जा पाया जाता है तो उनके विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकारी भूमि, हरित पट्टी, सड़क पटरी इत्यादि पर अवैध निर्माण अथवा सामग्री रखकर अनाधिकृत रूप से अतिक्रमण करने वालों को 15 दिन का समय दिया जा रहा है। इस संबंध में हमें शहर के सभी औद्योगिक संगठनों से उद्यमियों को जागरूक करने का अनुरोध किया है। 15 दिवस के बाद गाज़ियाबाद नगर निगम द्वारा सभी औद्योगिक क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाएगा। अभियान के दौरान किसी प्रकार की सामग्री या कब्जा सरकारी भूमि पर पाया जाता है तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही के साथ-साथ सामग्री जब्त करने के साथ-साथ अर्थ दंड भी वसूला जाएगा।
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हापुड़ः पुलिस ने फर्जी तरीके से 4 नटवरलाल दबोचे
किसानों के हित के लिए छोड़ा विधायक पद: अभय
सिरसा। ऐलनाबाद के पूर्व विधायक एवं इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने कहा कि उनकी रगों में चौधरी देवीलाल का खून है और वे उनके ही नक्शेकदम पर चलकर किसानों के हितों के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं। इनेलो नेता बुधवार को ऐलनाबाद की अनाजमंडी में किसान मजदूर एकता शक्ति मंच के बैनर तले आयोजित विशाल किसान महापंचायत में शामिल हजारों किसानों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि उनके सामने केवल दो ही विकल्प थे जिसमें पहला, उनके पास हरियाणा विधानसभा का सदस्य बने रहने और दूसरा किसानों के हितों के लिए अपनी सुविधाओं को त्यागना और उन्होंने चौधरी देवी लाल की राह पर चलते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि किसान आंदोलन को कमजोर करने की मंशा रखने वाले लोगों के मुंह पर तमाचा मारते हुए किसान आंदोलन को पहले से भी कहीं अधिक मजबूत बनाएं। इनेलो नेता ने कहा कि किसान संगठित होकर लंबे समय तक किसान आंदोलन को मजबूत बनाएं और अपने खेतों में खड़ी गेहूं की फसल की चिंता न करें। वे उनकी गेहूं की फसल को प्रभावित नहीं होने देंगे और कंबाइन को उनके खेतों तक पहुंचाएंगे। इनेलो नेता ने भाजपा-जजपा गठबंधन को कटघरे में खड़ा करते हुए किसानों से आह्वान किया कि वे शपथ लें कि दोनों राजनीतिक दलों के मंत्रियों और विधायकों को गांवों में नहीं घुसने देंगे और यदि वे आएं तो उनसे अपने पदों से इस्तीफा देने को कहें। अभय सिंह चौटाला ने कहा कि निकट भविष्य में ऐलनाबाद में उपचुनाव होंगे और वे संगठित होकर अन्य राजनीतिक दलों को सबक सिखाएं। उन्होंने पुरजोर कहा कि उन पर ऐलनाबाद की जनता का कर्ज है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान स्वयं प्रधानमंत्री ने भी उनके खिलाफ आकर लोगों से वोट मांगे थे, मगर ऐलनाबाद की सूझवान जनता ने उन्हें ही विधायक चुना। उन्होंने अन्य राजनीतिक दलों को घेरते हुए कहा कि जो दल स्वयं को किसान हितैषी बताते थे, वे कभी भी टिकरी, गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर नहीं गए और केवल घडियाली आंसू बहाते रहे। मौजूदा गठबंधन सरकार पर बरसते हुए उन्होंने कहा कि इस सरकार ने किसानों को गेहूं व बाजरे की फसल पर एमएसपी तक नहीं दिया और आज वे किसान हितैषी बनने का ढोंग रच रही है। उन्होंने इस अवसर पर किसानों से कहा कि लोकतंत्र की बहाली के लिए भाजपा को सत्तामुक्त करने का भी संकल्प लें। कार्यक्रम के आरंभ में इनेलो नेता ने किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए 250 किसानों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। इससे पूर्व किसान मजदूर एकता शक्ति मंच के पदाधिकारियों ने उन्हें किसानों की शक्ति के रूप में हल और सम्मानस्वरूप पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया। इस संगठन के अलावा जिले के 23 अन्य विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठनों ने भी इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला को सम्मानित किया। किसान महापंचायत में पूरे सिरसा जिले से भाकियू के झंडों तले एकत्रित हजारों किसानों ने एक स्वर में केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कृषि कानूनों को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग करते हुए अभय सिंह चौटाला का समर्थन किया। कलाकार मलकीत औलख एवं सोनिया मान ने भी तीनों कृषि कानूनों पर बेबाकी से अपनी राय रखी। इस अवसर पर पूनम पंडित, सुरेश कोथ, इनेलो जिलाध्यक्ष कश्मीर सिंह करीवाला, रादौर के पूर्व विधायक श्याम सिंह राणा, इनेलो नेता रवि चौटाला, सुनैना चौटाला, पूर्व मंत्री भागीराम, रणधीर जोधकां, विनोद दड़बी एवं प्रकाश सिंह साहुवाला सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
पुलिस मामले में बैकफुट पर दिखे गृहमंत्री अनिल
चंडीगढ। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज अपने अलग ही अंदाज के बारे में जाने जाते हैं। हरियाणा में गब्बर नाम से मशहूर गृह मंत्री अनिल विज को यदि कोई बात या मसला पसंद नहीं आता तो वह खुलकर उसके खिलाफ आ जाते हैं। अभी हाल ही में हरियाणा पुलिस महानिदेशक मनोज यादव की नियुक्ति को लेकर उन्होंने अपना रुख स्पष्ट कर दिया कर दिया है। परंतु शायद इस बार भी उनके अपने ही पुलिस विभाग में उनकी नहीं चली। क्योंकि मुख्यमंत्री के चाहने मात्र से ही मनोज यादव को डीजीपी पद पर पुनः एक वर्ष की सेवा अवधि मिल गई है। गत वर्ष भी हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने सीआईडी विभाग को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से सीधी लड़ाई लड़ी थी। क्योकि उनका मानना था कि सीआईडी विभाग भी पुलिस विभाग का ही एक अंग है। परंतु सीएम ने वहां भी उनको पटकनी देते हुए सीआइडी अपने अधीन ही रखा था। इस तरह गृहमन्त्री विज को अपने विभाग में सुधार लाने के लिए लड़ते हुए देखा गया है। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज को शायद शिकस्त का मुंह देखना पड़ा ऐसा हम कह सकते हैं। परंतु एक बात सत्य है, आज बुधवार को अगर हरियाणा में कोई नेता लोकप्रिय है तो वह सिर्फ अनिल विज ही है। जिसके ऊपर प्रदेश की जनता, सत्तापक्ष और विपक्षी दल सभी विश्वास करते हैं।
आप पार्टी ने चुनाव में फिर दी भाजपा को शिकस्त
नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा है। यहां पर भाजपा को सूपड़ा साफ हो गया है। पांचों सीटों में से भाजपा को एक भी सीट नहीं आई है। दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी को चार और कांग्रेस के खाते में एक सीट आई है। वहीं भाजपा दिल्ली नगर निगम चुनाव में अपना खाता नहीं खोल पाई है। दिल्ली के त्रिलोकपुरी, शालीमार बाग वार्ड, रोहिणी-सी कल्याणपुरी सीट पर आम आदमी पार्टी उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। जबकि पूर्वी दिल्ली की चौहान बांगड़ सीट से कांग्रेस उम्मीदवार विजयी हुए हैं। नगर निगम के पांच वार्ड के लिए 28 फरवरी को उपचुनाव हुए थे। इनमें 50 फीसदी से अधिक मतदान हुआ थ। त्रिलोकपुरी वार्ड से आम आदमी पार्टी उम्मीदवार विजय कुमार ने 4986 वोट से जीत दर्ज की। कुल वोट मिले 12845. जबकि बीजेपी उम्मीदवार ओम प्रकाश को 7859 वोट मिले। शालीमार बाग वार्ड से AAP उम्मीदवार सुनिता मिश्रा ने 2705 वोट से जीत दर्ज की। कुल वोट मिले 9764. BJP उम्मीदवार सुरभि जाजू को 7059 वोट मिले। रोहिणी-C सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रामचंद्र 2985 वोट से जीते। आप उम्मीदवार रामचंद्र को 14,388 वोट मिले। बीजेपी उम्मीदवार राकेश को 11,343 वोट मिले। पूर्वी दिल्ली की चौहान बांगड़ सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार जुबेर अहमद विजयी हुए। अहमद 10,642 वोट से जीते हैं। कांग्रेस उम्मीदवार को कुल 16,203 वोट मिले, जबकि दूसरे नंबर पर रहे आम आदमी पार्टी के मोहम्मद इशराक को 5561 वोट मिले। कल्याणपुरी में AAP उम्मीदवार धीरेंद्र कुमार ने 7043 वोट से जीत दर्ज कर ली है। उन्हें कुल 14302 वोट मिले हैं। जबकि दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी उम्मीदवार सिया राम को 7259 मिले हैं।
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 1. अंक-161, (वर्ष-11) पंजीकरण:- UPHIN/2014/57254 2. शनिवार, मार्च 30, 2024 3. शक-1945, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-षष्ठी,...
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55 साल की उम्र में भी बरकरार है खूबसूरती कविता गर्ग मुंबई। 55 की उम्र में भी यह हसीना बेहद खूबसूरत दिखती है, और मलाइका की हॉटनेस उसकी ...
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