जुआली द्वारा मंगलवार को जारी एक अधिसूचना में सभी गांवों को इलाके में म्यांमार के शरणार्थियों के दिखने पर जिला प्रशासन को सूचित करने का निर्देश दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि 1980 के दशक में सैन्य जुंटा के कारण म्यांमार के चिन समुदाय के हजारों सदस्य मिजोरम आ गए थे। पड़ोसी देश में लोकतंत्र बहाल होने पर कई लोग लौट गए थे लेकिन हजारों लोग अब भी राज्य में हैं। म्यांमार के चिन और भारत के मिजो, एक ही कुल और संस्कृति के हैं।
बुधवार, 10 फ़रवरी 2021
म्यांमार के सशस्त्र समूह ने भारत में मांगी पनाह
तुर्की का वर्ष 2023 में चंद्रमा पर पहुंचने का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में चंद्र मिशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग से होगा’ जबकि दूसरे चरण में तुर्की के रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा। राष्ट्रपति ने कहा हमारे राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का प्राथमिक एवं सबसे अहम लक्ष्य होगा कि देश के गणराज्य बनने के 100वें साल में हम चांद पर पहुंचे। उन्होंने कहा ईश्वर की इच्छा से हम चांद पर जा रहे हैं।
असफलता के डर से बदलावों को रोक नहीं सकते
प्रधानमंत्री ने कहा कि कानूनों को बदलने में आखिर क्या जाता है। ये देश इसके नागरिकों का देश है। अगर लोग इससे सहमत नहीं हैं तो सरकार उसे बदल देगी। उन्होंने कहा कि सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर कृषि कानूनों के ‘कलर’ पर खूब चर्चा की गयी। अच्छा होता कि ‘कंटेट’ और ‘इंटेंट’ पर बात होती तो आंदोलन करने वाले किसानों को दिशा मिलती। आंदोलन करने वालों के बीच जो गलतफहमी और अफवाहें फैलायी गयीं हैं, उनका जवाब मिल पाता।प्रधानमंत्री के इतना कहते ही कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी खड़े हो गये और अफवाह शब्द के प्रयाेग पर आपत्ति जताने लगे। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री के भाषण में कई बार किसान आंदोलन को लेकर बहुत टोकाटाकी की। कांग्रेस के सदस्य भी टोकाटाकी करने लगे। अध्यक्ष ओम बिरला ने भी कांग्रेस सदस्यों को रोकने की कोशिश की। एक बार तो प्रधानमंत्री ने भी कहा, “प्लीज अधीररंजन जी अब ज्यादा हो रहा है। …हम आपका इतना आदर करते हैं …पर अब हद से ज्यादा हो रहा है।”
इसके बादजूद शोरशराबा होने लगा तो मोदी ने कहा, “अध्यक्ष जी संसद में ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है। रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा। इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है।”
18 फरवरी को होगा राष्ट्रव्यापी ‘रेल रोको’ अभियान
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करते हुए प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों ने 18 फरवरी को चार घंटे के राष्ट्रव्यापी ‘रेल रोको’ अभियान की बुधवार को घोषणा की। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में यह भी घोषणा है। बयान में कहा गया है, ”पूरे देश में 18 फरवरी को दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक ‘रेल रोको’ अभियान चलाया जायेगा।” तीन कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर इस महीने के शुरू में उन्होंने तीन घंटे के लिए सड़कों को अवरुद्ध किया था। गौरतलब है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले कई महीनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
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