सोमवार, 7 दिसंबर 2020

अमेरिका के कई शहरों में सिखों का प्रदर्शन

कृषि कानूनों के विरोध में अमेरिका के कई शहरों में सिखों का प्रदर्शन


वाशिंगटन डीसी। भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के समर्थन में अमेरिका के कई शहरों में सिखों ने शांतिपूर्वक विरोध रैलियां निकालीं। कैलिफोर्निया में प्रदर्शनकारियों की कारों के काफिले के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास की ओर बढ़ने से बे ब्रिज पर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। इसके अलावा इंडियानापोलिस में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए और किसानों के समर्थन में नारे लगाए। यहां प्रदर्शन कर रहे गुरिंदर सिंह खालसा ने कहा किसान देश की आत्मा हैं। हमें अपनी आत्मा की रक्षा करनी होगी। सिख नेता दर्शन सिंह दरार ने कहा हम भारत सरकार से कानूनों का वापस लेने का आग्रह नहीं कर रहे हैं। बल्कि यह हमारी मांग है। इससे पहले शिकागो में सिख अमेरिकी समुदाय के लोगों ने इकट्ठा होकर भारतीय दूतावास के सामने रैली निकाली थी। सिखों ने बे एरिया की तरह ही न्यूयार्क, ह्यूस्टन मिशिगन शिकागो और वाशिंगटन डीसी में भी रैली निकालने की चेतावनी दी है।                                   


दिल्ली इलाके से 5 आतंकी गिरफ्तार किएं

दिल्ली के शकरपुर इलाके से पांच आतंकवादी गिरफ्तार


शकरपुर। दिल्ली के शकरपुर इलाके से सोमवार को पांच आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया है। इन पांचों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया है। इनमें से दो पंजाब और तीन कश्मीर से ताल्लुक रखते हैं। आतंकियों के पास से हथियार और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। वहीं अन्य आतंकियों के छिपे होने की जानकारी भी मिली है। 
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के कार्यालय में आतंकियों से पूछताछ जारी है। स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाहा ने कहा दिल्ली के शकरपुर इलाके में मुठभेड़ के बाद पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से दो पंजाब के तीन कश्मीर के हैं। उनके पास से हथियार और दस्तावेज बरामद किए गए हैं।                                     


आंदोलनः लखनऊ में सपा कार्यालय सील

किसान आंदोलन, लखनऊ में सपा कार्यालय सील


लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा हर जिले में किसानों के समर्थन में यात्रा आयोजित करने के आह्वान के बाद लखनऊ में सोमवार सुबह सपा कार्यालय से लेकर अखिलेश यादव के घर तक पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया। वहीं कन्नौज में जिलाधिकारी ने अखिलेश यादव के किसान मार्च को मंजूरी नहीं दी।
लखनऊ में विक्रमादित्य मार्ग पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। और किसी भी प्रदर्शन से निपटने की पूरी तैयारी की गई। पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट पर है।                                      


एमएसपी बना सरकार के गले की फांस

एमएसपी बना केंद्र सरकार के गले की फांस


नई दिल्ली। किसान संगठन ही नहीं अपने भी चाहते हैं। गारंटी
तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए चल रहे किसान आंदोलन में मुख्य पेच न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी को लेकर बना हुआ है। एमएसपी के सवाल पर आंदोलनकारी किसान संगठन ही नहीं बल्कि संघ के अनुषांगिक संगठन भी सरकार के खिलाफ हैं। हालांकि इस मांग से जुड़ी जटिलताओं के कारण सरकार पूरी तरह असमंजस में है।
सरकार के सूत्रों का भी कहना है। कि अगर एमएसपी की कानूनी गारंटी की घोषणा कर दी जाए तो तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग संबंधी स्वर धीमे हो सकते हैं। क्योंकि सरकार पहले से ही इन कानूनों के कई प्रावधानों में संशोधन के लिए तैयार है। मसलन सरकार किसानों को सीधे अदालत का दरवाजा खटखटाने, एनएसआर क्षेत्र से जुड़े नए प्रदूषण कानून में बदलाव करने, निजी खरीददारों के लिए पंजीयन अनिवार्य करने और छोटे किसानों की हितों की रक्षा के प्रावधानों में जरूरी बदलाव के लिए तैयार है।
छठे दौर से पहले माथापच्ची
पांचवें दौर की बैठक के बेनतीजा रहने के बाद सरकार में आंदोलन खत्म कराने के लिए माथापच्ची जारी है। मुख्य चिंता एमएसपी को लेकर है। कृषि मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के बीच शनिवार रात से ही कई दौर की बातचीत हुई है। इस पर अंतिम निर्णय से पहले सरकार 8 दिसंबर को किसान संगठनों की ओर से बुलाए गए भारत बंद के जरिए उनका दमखम भी तौलना चाहती है। एक मुश्किल यह भी
आजादी के बाद से ही सरकारें किसान और ग्राहकों के बीच सीधा संबंध स्थापित करने में नाकाम रही हैं। इसके कारण ग्राहकों को तो ज्यादा कीमत चुकानी पड़ी मगर ग्राहक के द्वारा चुकाई गई रकम का मामूली हिस्सा ही किसानों की जेब तक पहुंचा। मसलन ग्राहकों ने कई बार किसान द्वारा बेची गई रकम से चार से पांच गुना अधिक कीमत चुकाई। कृषि क्षेत्र का मुनाफा बिचौलियों की भेंट चढ़ता रहा। आजादी के सात दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद सरकारें किसानों का आय बढ़ाने में नाकाम रही।
इसको लेकर है। असमंजस
सरकार का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ाने की है। एमएसपी को सरकार कानूनी तो बना देगी मगर निजी क्षेत्र को खरीदारी के लिए बाध्य नहीं कर पाएगी। ऐसे में अगर फसल की मांग कम हुई तो निजी क्षेत्र खरीददारी करेंगे ही नहीं।
सरकार एक सीमा तक ही एमएसपी के तहत खरीदारी कर सकती है। सरकार औसतन कुल उपज का छह फीसदी की ही खरीद करती है। वर्तमान क्षमता के अनुरूप इसे दस फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। भंडारण क्षमता अर्थव्यवस्था पर बोझ सहित कई ऐसे कारण है। जिसके चलते सरकार बहुत अधिक मात्रा में अनाज नहीं खरीद सकती।
किसी एक फसल की अधिक उपज होने के बाद उसकी मांग में कमी आएगी। सरकार एक सीमा से अधिक फसल नहीं खरीदेगी। इसके बाद एमएसपी से कम कीमत पर खरीद गैरकानूनी होने पर निजी क्षेत्र खरीदारी प्रक्रिया से नहीं जुड़ेंगे। ऐसे में किसान उन फसलों का क्या करेगा?
- बड़ा सवाल कीमत तय करने का भी है। एमएसपी के दायरे में आने वाली फसलों की अलग-अलग गुणवत्ता होती है। गुणवत्ता के हिसाब से एक फसल का अलग-अलग मानक तय करते हुए अलग-अलग एमएसपी तय करनी होगी। मानकों पर खरा नहीं उतरने वाली फसलों का क्या होगा? सरकार के सूत्र इसे बेहद जटिल प्रक्रिया मानते हैं। सरकार का कहना है। कि तीनों कानूनों के जरिए उसकी कोशिश कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा कराने की थी। निजी क्षेत्र अपनी सूझबूझ से ऐसी फसलों की खेती कराएंगे जिनकी भविष्य में मांग ज्यादा होने की संभावना रहेगी। मगर एमएसपी को कानूनी बनाने से नए कानूनों का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। सरकार प्रतिस्पर्धा के लिए निजी क्षेत्र पर शर्तें नहीं थोपना चाहती। सरकार के सूत्रों का कहना है कि वैसे भी कृषि क्षेत्र निजी क्षेत्र के लिए आकर्षण की प्राथमिकता वाला क्षेत्र नहीं है। शर्तें थोपने से निजी क्षेत्र कृषि क्षेत्र की ओर आकर्षित नहीं होगा। एमएसपी का प्रावधान एक तरह से किसानों को सुरक्षा देने के लिए किया गया था। मसलन मांग और आपूर्ति में ज्यादा अंतर होने से किसानों को होने वाले घाटे से बचाने के लिए एमएसपी प्रक्रिया अपनाई गई थी। दूसरी ओर निजी क्षेत्र का कारोबार मांग और आपूर्ति के आधार पर चलता है। इसमें जिस फसलों की मांग ज्यादा होगी उसकी कीमत एमएसपी से ज्यादा होगी।                                    


20 करोड़ की ठगी करने वाली महिला गिरफ्तार

एनसीआर में फ्लैट देने के नाम पर 20 करोड़ की ठगी


महिला निदेशक गिरफ्तार, मास्टरमाइंड पति फरार


राजनगर। गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन स्थित परियोजना में फ्लैट देने के नाम पर निवेशकों से 20 करोड़ की ठगी के मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने सीआरपीएफ के पूर्व अधिकारी की पत्नी व कंपनी की महिला निदेशक को मुंबई से गिरफ्तार किया है। महिला वैल्यू इन्फ्राकॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की निदेशक है। और इस कंपनी पर फर्जीवाड़े के दर्जनों मामले दर्ज हैं। महिला का पति पूरे मामले का मास्टरमाइंड है। जिसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है। आर्थिक अपराध शाखा ने संयुक्त आयुक्त डॉक्टर ओपी मिश्रा ने बताया कि लोगों ने गाजियाबाद राजनगर एक्सटेंशन स्थित विस्टा प्रोजेक्ट के तहत आवासीय फ्लैट बुक कराए थे। कंपनी ने निवेशकों ने समय पर फ्लैट देने का वादा किया था। लेकिन उन्हें न तो फ्लैट ही मिले और न ही पैसे ही वापस किए।
इस पर निवेशकों ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत की। छानबीन के बाद वर्ष 2019 में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। जांच के दौरान पता चला कि कंपनी ने आवासीय प्रोजेक्ट के लिए गाजियाबाद प्राधिकरण से कोई अनुमति नहीं ली थी। इसके अलावा निवेशकों से मिले पैसों को गलत तरीके से अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया। कंपनी का प्रमुख सीआरपीएफ का पूर्व अधिकारी प्रमोद कुमार सिंह मामला दर्ज होने के बाद  फरार हो गया। पुलिस टीम लगातार आरोपियों की तलाश कर रही थी। इसी दौरान महिला निदेशक के मुंबई में होने की जानकारी मिली। पलिस की एक टीम ने वहां दबिश देेकर उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में दो निदेशकों प्रवीण कुमार सिंह और आशीष वर्मा की गिरफ्तारी हो चुकी है। प्रमोद कुमार सिंह सहित अन्य आरोपियों की तलाश में दबिश दी जा रही है। महिला निदेशक ने गोरखपुर से स्नातक की पढ़ाई की है। वह पति के साथ कंपनी के सभी बैंक खातों की अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थी।                               


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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

दिसंबर 08, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-113 (साल-02)
2. मंगलवार, दिसंबर 08, 2020
3. शक-1983, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-नवमी, विक्रमी संवत 2077।


4. प्रातः 07:03, सूर्यास्त 05:15।


5. न्‍यूनतम तापमान 09+ डी.सै., अधिकतम-20+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेंगी।


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8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।


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