सोमवार, 7 दिसंबर 2020

एमएसपी बना सरकार के गले की फांस

एमएसपी बना केंद्र सरकार के गले की फांस


नई दिल्ली। किसान संगठन ही नहीं अपने भी चाहते हैं। गारंटी
तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए चल रहे किसान आंदोलन में मुख्य पेच न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी को लेकर बना हुआ है। एमएसपी के सवाल पर आंदोलनकारी किसान संगठन ही नहीं बल्कि संघ के अनुषांगिक संगठन भी सरकार के खिलाफ हैं। हालांकि इस मांग से जुड़ी जटिलताओं के कारण सरकार पूरी तरह असमंजस में है।
सरकार के सूत्रों का भी कहना है। कि अगर एमएसपी की कानूनी गारंटी की घोषणा कर दी जाए तो तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग संबंधी स्वर धीमे हो सकते हैं। क्योंकि सरकार पहले से ही इन कानूनों के कई प्रावधानों में संशोधन के लिए तैयार है। मसलन सरकार किसानों को सीधे अदालत का दरवाजा खटखटाने, एनएसआर क्षेत्र से जुड़े नए प्रदूषण कानून में बदलाव करने, निजी खरीददारों के लिए पंजीयन अनिवार्य करने और छोटे किसानों की हितों की रक्षा के प्रावधानों में जरूरी बदलाव के लिए तैयार है।
छठे दौर से पहले माथापच्ची
पांचवें दौर की बैठक के बेनतीजा रहने के बाद सरकार में आंदोलन खत्म कराने के लिए माथापच्ची जारी है। मुख्य चिंता एमएसपी को लेकर है। कृषि मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के बीच शनिवार रात से ही कई दौर की बातचीत हुई है। इस पर अंतिम निर्णय से पहले सरकार 8 दिसंबर को किसान संगठनों की ओर से बुलाए गए भारत बंद के जरिए उनका दमखम भी तौलना चाहती है। एक मुश्किल यह भी
आजादी के बाद से ही सरकारें किसान और ग्राहकों के बीच सीधा संबंध स्थापित करने में नाकाम रही हैं। इसके कारण ग्राहकों को तो ज्यादा कीमत चुकानी पड़ी मगर ग्राहक के द्वारा चुकाई गई रकम का मामूली हिस्सा ही किसानों की जेब तक पहुंचा। मसलन ग्राहकों ने कई बार किसान द्वारा बेची गई रकम से चार से पांच गुना अधिक कीमत चुकाई। कृषि क्षेत्र का मुनाफा बिचौलियों की भेंट चढ़ता रहा। आजादी के सात दशक से अधिक समय बीत जाने के बावजूद सरकारें किसानों का आय बढ़ाने में नाकाम रही।
इसको लेकर है। असमंजस
सरकार का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ाने की है। एमएसपी को सरकार कानूनी तो बना देगी मगर निजी क्षेत्र को खरीदारी के लिए बाध्य नहीं कर पाएगी। ऐसे में अगर फसल की मांग कम हुई तो निजी क्षेत्र खरीददारी करेंगे ही नहीं।
सरकार एक सीमा तक ही एमएसपी के तहत खरीदारी कर सकती है। सरकार औसतन कुल उपज का छह फीसदी की ही खरीद करती है। वर्तमान क्षमता के अनुरूप इसे दस फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। भंडारण क्षमता अर्थव्यवस्था पर बोझ सहित कई ऐसे कारण है। जिसके चलते सरकार बहुत अधिक मात्रा में अनाज नहीं खरीद सकती।
किसी एक फसल की अधिक उपज होने के बाद उसकी मांग में कमी आएगी। सरकार एक सीमा से अधिक फसल नहीं खरीदेगी। इसके बाद एमएसपी से कम कीमत पर खरीद गैरकानूनी होने पर निजी क्षेत्र खरीदारी प्रक्रिया से नहीं जुड़ेंगे। ऐसे में किसान उन फसलों का क्या करेगा?
- बड़ा सवाल कीमत तय करने का भी है। एमएसपी के दायरे में आने वाली फसलों की अलग-अलग गुणवत्ता होती है। गुणवत्ता के हिसाब से एक फसल का अलग-अलग मानक तय करते हुए अलग-अलग एमएसपी तय करनी होगी। मानकों पर खरा नहीं उतरने वाली फसलों का क्या होगा? सरकार के सूत्र इसे बेहद जटिल प्रक्रिया मानते हैं। सरकार का कहना है। कि तीनों कानूनों के जरिए उसकी कोशिश कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा कराने की थी। निजी क्षेत्र अपनी सूझबूझ से ऐसी फसलों की खेती कराएंगे जिनकी भविष्य में मांग ज्यादा होने की संभावना रहेगी। मगर एमएसपी को कानूनी बनाने से नए कानूनों का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। सरकार प्रतिस्पर्धा के लिए निजी क्षेत्र पर शर्तें नहीं थोपना चाहती। सरकार के सूत्रों का कहना है कि वैसे भी कृषि क्षेत्र निजी क्षेत्र के लिए आकर्षण की प्राथमिकता वाला क्षेत्र नहीं है। शर्तें थोपने से निजी क्षेत्र कृषि क्षेत्र की ओर आकर्षित नहीं होगा। एमएसपी का प्रावधान एक तरह से किसानों को सुरक्षा देने के लिए किया गया था। मसलन मांग और आपूर्ति में ज्यादा अंतर होने से किसानों को होने वाले घाटे से बचाने के लिए एमएसपी प्रक्रिया अपनाई गई थी। दूसरी ओर निजी क्षेत्र का कारोबार मांग और आपूर्ति के आधार पर चलता है। इसमें जिस फसलों की मांग ज्यादा होगी उसकी कीमत एमएसपी से ज्यादा होगी।                                    


20 करोड़ की ठगी करने वाली महिला गिरफ्तार

एनसीआर में फ्लैट देने के नाम पर 20 करोड़ की ठगी


महिला निदेशक गिरफ्तार, मास्टरमाइंड पति फरार


राजनगर। गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन स्थित परियोजना में फ्लैट देने के नाम पर निवेशकों से 20 करोड़ की ठगी के मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने सीआरपीएफ के पूर्व अधिकारी की पत्नी व कंपनी की महिला निदेशक को मुंबई से गिरफ्तार किया है। महिला वैल्यू इन्फ्राकॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की निदेशक है। और इस कंपनी पर फर्जीवाड़े के दर्जनों मामले दर्ज हैं। महिला का पति पूरे मामले का मास्टरमाइंड है। जिसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है। आर्थिक अपराध शाखा ने संयुक्त आयुक्त डॉक्टर ओपी मिश्रा ने बताया कि लोगों ने गाजियाबाद राजनगर एक्सटेंशन स्थित विस्टा प्रोजेक्ट के तहत आवासीय फ्लैट बुक कराए थे। कंपनी ने निवेशकों ने समय पर फ्लैट देने का वादा किया था। लेकिन उन्हें न तो फ्लैट ही मिले और न ही पैसे ही वापस किए।
इस पर निवेशकों ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत की। छानबीन के बाद वर्ष 2019 में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। जांच के दौरान पता चला कि कंपनी ने आवासीय प्रोजेक्ट के लिए गाजियाबाद प्राधिकरण से कोई अनुमति नहीं ली थी। इसके अलावा निवेशकों से मिले पैसों को गलत तरीके से अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया। कंपनी का प्रमुख सीआरपीएफ का पूर्व अधिकारी प्रमोद कुमार सिंह मामला दर्ज होने के बाद  फरार हो गया। पुलिस टीम लगातार आरोपियों की तलाश कर रही थी। इसी दौरान महिला निदेशक के मुंबई में होने की जानकारी मिली। पलिस की एक टीम ने वहां दबिश देेकर उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में दो निदेशकों प्रवीण कुमार सिंह और आशीष वर्मा की गिरफ्तारी हो चुकी है। प्रमोद कुमार सिंह सहित अन्य आरोपियों की तलाश में दबिश दी जा रही है। महिला निदेशक ने गोरखपुर से स्नातक की पढ़ाई की है। वह पति के साथ कंपनी के सभी बैंक खातों की अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थी।                               


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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

दिसंबर 08, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-113 (साल-02)
2. मंगलवार, दिसंबर 08, 2020
3. शक-1983, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-नवमी, विक्रमी संवत 2077।


4. प्रातः 07:03, सूर्यास्त 05:15।


5. न्‍यूनतम तापमान 09+ डी.सै., अधिकतम-20+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेंगी।


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रविवार, 6 दिसंबर 2020

बॉर्डर पर निहंग सिखों ने संभाला मोर्चा

मोमिन मलिक


नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 11वें दिन में प्रवेश कर गया है। दिल्ली-हरियाणा पर स्थित सिंधु बॉर्डर पर हजारों किसानों की भीड़ पिछले 10 दिनों से 24 घंटे से दिन रात डटी है। किसानों का प्रदर्शन गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर पर भी जारी है। इसके अलावा बुराडी ग्राउंड पर भी कुछ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। गौरतलब है कि सिंघु बॉर्डर पर एक तरफ RAF के जवानों को फ्रंटलाइन पर तैनात किया गया है तो दूसरी ओर किसानों की तरफ से फ्रंट लाइन पर निहंग सरदार तैनात हैं। हांथों में तलवार कृपाण लिए, घोड़े के साथ मौजूद निहंग सरदार वक्त वक्त पर तलवारबाजी दिखा रहे हैं। हरियाणा का स्वास्थ्य विभाग हरियाणा में जहां किसान धरना दे रहे हैं वहां पर मेडिकल हेल्थ कैंप लगा रहा है। इन स्थानों पर डॉक्टर दवाइयां एम्बुलेंस सब मौजूद रहेंगी। ताकि आपात स्थिति में किसानों को चिकित्सा सेवा दी जा सके। दरअसल सिंघु बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों की संख्या हर रोज बढ़ रही है तो यहां फोर्स की तैनाती में भी इजाफा हो रहा है। दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर स्क्वाड, स्पेशल सेल के सीनियर अफसर भी अब ड्यूटी में तैनात किए गए हैं। ये अधिकारी बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।


बॉर्डर पर आईटीबीपी, आरएएफ, सीआरपीएफ के जवान तैनात किए गए है। यहां पर नए सिरे से सीमेंटेड बैरिकेडिंग की जा रही है। तो वहीं हरियाणा जाने के लिए धंसा, दरौला, कापसेहड़ा, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन, पलाम विहार और दुंढेरा बॉर्डर का इस्तेमाल किया जा सकता है। नोएडा लिंक रोड पर चिल्ला बॉर्डर को बंद कर दिया गया है। पुलिस के मुताबिक दिल्ली आने के लिए नोएडा लिंक रोड का इस्तेमाल न करें बजाय इसके डीएनडी का इस्तेमाल करें।


बतादें कि दिल्ली पुलिस ने राजधानी में ट्रैफिक मैनेजमेंट की जानकारी देते हुए कहा है कि कालिंदी कुंज, सूरज कुंड, बदरपुर और आयानगर बॉर्डर दोनों ओर खुला हुआ है। गौरतलब है कि किसानों और सरकार के बीच 5 राउंड की बात हो चुकी है, लेकिन गतिरोध जारी है। अब किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। इसी के साथ सबकी निगाहें अब 9 दिसंबर को सरकार के साथ होने वाली किसानों पर बातचीत पर टिकी है।                               


पीएम किसान योजना से 2 करोड़ नाम गायब








पालूराम

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश भर के किसानों को दी जाने वाली 6 हजार रुपये की सहायता वाली पीएम किसान सम्मान निधि योजना से 2 करोड़ से अधिक किसानों को हटा दिया है। सरकार फिलहाल किसानों के खातों में सातवीं किस्त के तहत 2 हजार रुपये ट्रांसफर कर रही है।

















कसी जा रही फर्जी किसानों पर नकेल
वहीं दूसरी तरफ सरकार फर्जी किसानों पर भी अपनी नकेल कस रही है, इस वजह से लिस्ट में से ऐसे किसानों को हटाया गया है। इस समय पीएम किसान पोर्टल में योजना का लाभ लेने वाले किसानों की संख्या 9 करोड़ 97 लाख के आसपास रह गई है जबकि कुछ दिन पहले तक यह संख्या 11 करोड़ के करीब थी।

हर बार कम हो रहे हैं किसान
किस्त-दर-किस्त योजना का लाभ लेने वाले किसानों की संख्या घटती जा रही है। पीएम किसान पोर्टल के मुताबिक पहली किस्त  10.52 करोड़ किसानों को मिली थी, वहीं दूसरी किस्त  9.97 करोड़, तीसरी  9.05 करोड़, चौथी  7.83 करोड़ और पांचवीं किस्त 6.58 करोड़ किसानों तक पहुंची, जबकि छठी किस्त पाने वाले किसानों की संख्या केवल 3.84 करोड़ रह गई है।
नई लिस्ट में ऐसे चेक करें अपना नाम



  • वेबसाइट pmkisan.gov.in पर जाएं. 

  • होम पेज पर मेन्यू बार देखें और यहां ‘फार्मर कार्नर’ पर जाएं.

  • यहां ‘लाभार्थी सूची’ के लिंक पर क्लिक करें.

  • इसके बाद अपना राज्य, जिला, उप-जिला, ब्लॉक और गांव विवरण दर्ज करें.

  • इतना भरने के बाद Get Report पर क्लिक करें और पाएं पूरी लिस्ट                           













प्राथमिक विद्यालय में विविध कार्यक्रम आयोजित

भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण पर प्राथमिक विद्यालय में विविध कार्यक्रम आयोजित


कौशाम्बी। सिराथू तहसील क्षेत्र के कड़ा विकासखंड अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय टांडा में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए विद्यालय द्वारा संगोष्ठी का आयोजन कर बाबा भीमराव अंबेडकर के जीवन पर चर्चा की गई है। इस मौके पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं अध्यापकों द्वारा एक रैली निकालकर बाबा भीमराव के बारे में चर्चा की गई है। विद्यालय से निकाली गई रैली गांव गांव घूमी इस मौके पर चित्र वितरण और खिचड़ी भोज का भी आयोजन विद्यालय की ओर से किया गया है। कार्यक्रम में तान्या केसरवानी, शिप्रा मौर्या, रिचा पांडेय, दीपू कुमार, अवनीश कुमार, मधु यादव, दीपेंद्र बिहारी, अनुज पांडेय, अर्जुन प्रसाद, शुभम सिंह, सौरभ केसरवानी, संतोष विश्वकर्मा सहित क्षेत्र के तमाम गणमान्य लोग मौजूद रहे।


राजकुमार


यूपी: लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे अखिलेश

यूपी: लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे अखिलेश  संदीप मिश्र  लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके ...