शनिवार, 7 नवंबर 2020

उत्तराखंडः राज्य में बनेंगे नए 'नगर निगम'

देहरादूनः राज्य में बनेंगे नए नगर निगम, इन निकायों का भी सीमा विस्तार


पंकज कपूर


देहरादून। उत्तराखंड सरकार राज्य में कुछ नए नगर निगम तथा नगर निकायों की सीमाएं विस्तार करने जा रही है।
श्रीनगर को नगर निगम बनाया जा रहा है। वहीं ऋषिकेश नगर निगम की सीमाएं बढ़ाई जा रही हैं। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
मदन कौशिक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अधिकारियों से बैठक ली। उन्होंने नगर निगम, नगर पालिका विस्तार व नए निकाय बनाने के संबंध में जिला अधिकारियों से एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। हरिद्वार जनपद में भगवानपुर नगर पालिका में सीमा विस्तार होगा। जबकि, इमलीखेडा, रामपुर, पाडली गुर्जर और ढण्डेरा को नगर पंचायत बनाने का प्रस्ताव है। इसी तरह, उधम सिंह नगर में लालपुर, सिरोरीकला व नगला, बागेश्वर में गरुड़ और पौड़ी गढ़वाल में थलीसैंण को भी नगर पंचायत बनाया जाना प्रस्तावित है। बैठक में कुल 13 निकायो के विस्तार पर चर्चा की गई। इस बैठक में सम्बन्धित जिलाधिकारियो को वीडियो क्रन्फे्रसिंग के माध्यम से जोडा गया था। निर्देशित किया गया कि इस सम्बन्ध में एक सप्ताह के अन्दर अपनी रिपोर्ट उपलब्ध कराये।                 


डाकघर उपलब्ध कराएगा जीवन 'प्रमाण-पत्र'

डाकघर उपलब्ध करायेगा घर बैठे जीवन प्रमाण पत्र


संदीप मिश्र


रायबरेली। डाक विभाग सदैव उन कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है। जो आम-जन से जुड़े हुए होते हैं। फिर चाहे वह करोना महामारी के दौरान उनके घर पर डाक पत्रों को बांटने का मामला हो अथवा उनके घरों पर धन के वितरण करने का मामला हो अथवा दवाई इत्यादि को पहुंचाने की बात हो अथवा आधार बनाने व अपडेशन करने का कार्य रहा हो। इसी क्रम में डाक विभाग ने 1 नवम्बर 2020 को जीवन प्रमाण पत्र योजना की शुरुआत किया है। इस योजना के अंतर्गत डाकघर में तो जीवन प्रमाण पत्र हासिल किया ही जा सकता है। साथ ही अब किसी भी व्यक्ति को घर बैठे जीवन प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाएगा मात्र ₹70 के चार्ज पर। इसके लिए कोई भी ग्राहक अथवा पेंशनधारक अपने नजदीकी डाकघर अथवा पोस्टमैन को फोन करके जीवन प्रमाण पत्र की मांग कर सकता है। पोस्टमैन अपनी एक बायोमेट्रिक डिवाइस लेकर ग्राहक के घर पर जाएगा और ग्राहक से बायोमेट्रिक लेकर वेरिफिकेशन करवा कर तुरंत जीवन प्रमाण पत्र जारी कर देगा। इस संबंध में सुनील कुमार सक्सेना अधीक्षक डाकघर रायबरेली के द्वारा अवगत कराया गया कि यह योजना 1 नवंबर से प्रारंभ हो चुकी है। तथा बड़े बुजुर्ग पेंशनर को नवंबर दिसंबर माह में इधर-उधर भागने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी व घर बैठे ही उन्हें जीवन प्रमाण पत्र उपलब्ध करा दिया जाएगा । इस कड़ी में आज रायबरेली मंडल के अंतर्गत विभिन्न स्थानों पर कैंप लगाकर के अनेक लोगों के जीवन प्रमाण पत्र जारी किय गये। आशा व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा कि पेंशनधारक इसका भरपूर लाभ उठाएगा तथा भारत सरकार की डिजिटलीकरण के क्षेत्र में यह योजना बहुत ही कारगर साबित होगी।               


महिला को गोली मारने के केस में हुआ खुलासा

जींद में महिला को गोली मारने के मामले में बड़ा खुलासा, धर्म का भाई निकला मास्टरमाइंड


झज्जर। जींद के राजा की कोठी के पास महिला पूजा को गोली मारने के मामले में पुलिस ने धर्म के भाई समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों को दो दिन के रिमांड पर लिया है। पुलिस ने रोहतक जिले के गांव गिरवाड़ निवासी कुलदीप झज्जर जिले के गांव लंगरपुरा निवासी देवेंद्र उर्फ सीटू, गांव सूरा निवासी सोनू को गिरफ्तार किया है। थाना प्रभारी दिनेश कुमार ने बताया कि आरोपितों को अदालत में पेश करने के बाद दो दिन के रिमांड पर लिया है। पूछताछ के दौरान खुलासा हुआ है। कि आरोपी कुलदीप घायल हुई महिला पूजा का धर्म का भाई बना हुआ है। पूजा का मायका गिरावड़ गांव में है। आरोपी भाई का पूजा के घर दस साल से आना जाना था। अब करीब आठ महीने पहले कुलदीप ने पूजा की बेटी की शादी अपने भांजे के गांव जुलानी के युवक विक्की साथ करवाई थी। लेकिन वह परिजनों के साथ लड़ाई कर वापस आ गई थी। इस दौरान कहासुनी हुई तो पूजा ने ससुराल वालों को झूठे केस में फंसाने की धमकी दी थी।
इस घटना के बाद कुलदीप ने ही पूजा को ठिकाने लगाने की योजना बनाई थी। योजना के मुताबिक एक नवंबर को उसने झज्जर जिले के गांव लंगरपुरा निवासी देवेंद्र उर्फ सीटू गांव सूरा निवासी सोनू को हत्या करने के लिए भेज दिया। जहां पर देवेंद्र और सोनू कमरा किराये पर लेने के बहाने पूजा के पास चले गए और पूजा को अकेली घर के बाहर बैठी देखकर उस पर फायर कर दिया। लेकिन इसमें पूजा बच गई।
हालांकि इस केस में पूजा ने इस मामले में अपने दूसरे पति जेठ राजेश पर हमला करवाने का आरोप लगाया था। इस मामले में पुलिस ने अनिल और राजेश से पूछताछ की लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। इसके बाद पुलिस को महिला के मायके पक्ष के कुलदीप पर शक हुआ तो उससे पूछताछ की थी। पूछताछ में कुलदीप ने हमला करवाने की बात स्वीकारी।
गौरतलब है, कि महिला पूजा की शादी कई साल पहले सामण गांव के पवन के साथ हुई थी। 5 साल पहले उसके पति की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी गई थी और नहर पर उसका शव बरामद हुआ था। उसके बाद महिला ने भिवानी के धनाना निवासी अनिल के साथ शादी कर ली थी। काफी दिन पहले महिला का अपने पति अनिल के साथ विवाद चल रहा था।
इसी तरह से पहले पति पवन के बड़े भाई सामण निवासी राकेश के साथ मारपीट का केस कोर्ट में चल रहा है। पूजा पिछले 3 साल से अमरहेड़ी गांव के पास मकान बनाकर अपने बेटे के साथ रही थी। महिला के दामाद जुलानी निवासी विक्की ने भी पुलिस को बयान दिया है कि अनिल व राकेश ने रंजिश के चलते उसकी सास पूजा को गोली मरवाई है। लेकिन अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है।                 


विदेशी पटाखों की खरीद पर 2 साल की सजा

सुरेंद्र सिंह यादव


भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रेस में जानकारी दी है कि दिवाली का त्यौहार नजदीक है पटाखे चलाने का भी समय है, खुशियां मनाएं उमंग हर्षोल्लास करना है। लेकिन देवी देवता और चीनी पटाखों का उपयोग नहीं करें।


उक्त समाचार के अनुसार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि की फटाके के ऊपर भगवान के फोटो देवी देवताओं के फोटो चीनी पटाखे का उपयोग नहीं करें खरीदने वाले और बेचने वाले के ऊपर ठोस कार्रवाई हो सकती है 2 साल की सजा भी हो सकती है इसलिए देवी देवता के पटाखे विदेशी फटाके का उपयोग बिल्कुल नहीं करें स्वदेशी पटाखे का ही उपयोग करें देवी देवता वाले पटाखे का भी उपयोग नहीं करें शांतिपूर्वक दिवाली का त्यौहार मनाया ।                      


कोई अष्टमी व्रत कथा एवं पूजन विधि


अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन किया जाता है। पुत्रवती महिलाओं के लिए यह व्रत अत्यन्त महत्वपूर्ण है। माताएं अहोई अष्टमी के व्रत में दिन भर उपवास रखती हैं और सायंकाल तारे दिखाई देने के समय होई का पूजन किया जाता है। तारों को करवा से अर्घ्य भी दिया जाता है। यह होई गेरु आदि के द्वारा दीवार पर बनाई जाती है अथवा किसी मोटे वस्त्र पर होई काढकर पूजा के समय उसे दीवार पर टांग दिया जाता है।



































अहोई अष्टमी
अहोई अष्टमी व्रत एवं कथा पूजन हेतु श्री अहोई माता का चित्र
आधिकारिक नामअहोई अष्टमी व्रत
अनुयायीभारतीय प्रवासी
प्रकारHindu
उद्देश्यसर्वकामना पूर्ति
  
  


 

अहोई माता



होई के चित्रांकन में ज्यादातर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। उसी के पास साही तथा उसके बच्चों की आकृतियां बना दी जाती हैं। करवा चौथ के ठीक चार दिन बाद अष्टमी तिथि को देवी अहोई माता का व्रत किया जाता है। यह व्रत पुत्र की लम्बी आयु और सुखमय जीवन की कामना से पुत्रवती महिलाएं करती हैं। कृर्तिक मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण पक्ष में यह व्रत रखा जाता है इसलिए इसे अहोई अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।




उत्तर भारत के विभिन्न अंचलों में अहोईमाता का स्वरूप वहां की स्थानीय परंपरा के अनुसार बनता है। सम्पन्न घर की महिलाएं चांदी की होई बनवाती हैं। जमीन पर गोबर से लीपकर कलश की स्थापना होती है। अहोईमाता की पूजा करके उन्हें दूध-चावल का भोग लगाया जाता है। तत्पश्चात एक पाटे पर जल से भरा लोटा रखकर कथा सुनी जाती है। अहोईअष्टमी की दो लोक कथाएं प्रचलित हैं।



अहोई अष्टमी व्रत कथा



एक नगर में एक साहूकार रहा करता था, उसके सात लडके थे, सात बहुएँ तथा एक पुत्री थी। दीपावली से पहले कार्तिक बदी अष्टमी को सातों बहुएँ अपनी इकलौती नंद के साथ जंगल में मिट्टी लेने गई। जहाँ से वे मिट्टी खोद रही थी। वही पर स्याऊ–सेहे की मांद थी। मिट्टी खोदते समय ननद के हाथ सेही का बच्चा मर गया।


स्याऊ माता बोली– कि अब मैं तेरी कोख बाँधूगी।


तब ननंद अपनी सातों भाभियों से बोली कि तुम में से कोई मेरे बदले अपनी कोख़ बंधा लो सभी भाभियों ने अपनी कोख बंधवाने से इंकार कर दिया परंतु छोटी भाभी सोचने लगी, यदि मैं कोख न बँधाऊगी तो सासू जी नाराज होंगी। ऐसा विचार कर ननंद के बदले छोटी भाभी ने अपने को बंधा ली। उसके बाद जब उसे जो बच्चा होता वह सात दिन बाद मर जाता।


एक दिन साहूकार की स्त्री ने पंडित जी को बुलाकर पूछा की, क्या बात है मेरी इस बहु की संतान सातवें दिन क्यों मर जाती है?


तब पंडित जी ने बहू से कहा कि तुम काली गाय की पूजा किया करो। काली गाय स्याऊ माता की भायली है, वह तेरी कोख छोड़े तो तेरा बच्चा जियेगा।


इसके बाद से वह बहु प्रातःकाल उठ कर चुपचाप काली गाय के नीचे सफाई आदि कर जाती।


एक दिन गौ माता बोली– कि आज कल कौन मेरी सेवा कर रहा है, सो आज देखूंगी। गौमाता खूब तड़के जागी तो क्या देखती है कि साहूकार की के बेटे की बहू उसके नीचे सफाई आदि कर रही है।


गौ माता उससे बोली कि तुझे किस चीज की इच्छा है जो तू मेरी इतनी सेवा कर रही है ?


मांग क्या चीज मांगती है? तब साहूकार की बहू बोली की स्याऊ माता तुम्हारी भायली है और उन्होंने मेरी कोख बांध रखी है, उनके मेरी को खुलवा दो।


गौमाता ने कहा,– अच्छा तब गौ माता सात समुंदर पार अपनी भायली के पास उसको लेकर चली। रस्ते में कड़ी धूप थी, इसलिए दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गई। थोड़ी देर में एक साँप आया और उसी पेड़ पर गरुड़ पंखनी के बच्चे थे उनको मारने लगा। तब साहूकार की बहू ने सांप को मार कर ढाल के नीचे दबा दिया और बच्चों को बचा लिया। थोड़ी देर में गरुड़ पंखनी आई तो वहां खून पड़ा देखकर साहूकार की बहू को चोंच मारने लगी।


तब साहूकारनी बोली– कि, मैंने तेरे बच्चे को मारा नहीं है बल्कि साँप तेरे बच्चे को डसने आया था। मैंने तो तेरे बच्चों की रक्षा की है।


यह सुनकर गरुड़ पंखनी खुश होकर बोली की मांग, तू क्या मांगती है?


वह बोली, सात समुंदर पार स्याऊमाता रहती है। मुझे तू उसके पास पहुंचा दें। तब गरुड़ पंखनी ने दोनों को अपनी पीठ पर बैठा कर स्याऊ माता के पास पहुंचा दिया।


स्याऊ माता उन्हें देखकर बोली की आ बहन बहुत दिनों बाद आई। फिर कहने लगी कि बहन मेरे सिर में जूं पड़ गई है। तब सुरही के कहने पर साहूकार की बहू ने सिलाई से उसकी जुएँ निकाल दी। इस पर स्याऊ माता प्रसन्न होकर बोली कि तेरे सात बेटे और सात बहुएँ हो।


सहुकारनी बोली– कि मेरा तो एक भी बेटा नहीं, सात कहाँ से होंगे ?


स्याऊ माता बोली– वचन दिया वचन से फिरूँ तो धोबी के कुंड पर कंकरी होऊँ।


तब साहूकार की बहू बोली माता बोली कि मेरी कोख तो तुम्हारे पास बन्द पड़ी है ।


यह सुनकर स्याऊ माता बोली तूने तो मुझे ठग लिया, मैं तेरी कोख खोलती तो नहीं परंतु अब खोलनी पड़ेगी। जा, तेरे घर में तेरे घर में तुझे सात बेटे और सात बहुएँ मिलेंगी। तू जा कर उजमान करना। सात अहोई बनाकर सात कड़ाई करना। वह घर लौट कर आई तो देखा सात बेटे और सात बहुएँ बैठी हैं । वह खुश हो गई। उसने सात अहोई बनाई, सात उजमान किये, सात कड़ाई की। दिवाली के दिन जेठानियाँ आपस में कहने लगी कि जल्दी जल्दी पूजा कर लो, कहीं छोटी बहू बच्चों को याद करके रोने न लगे।


थोड़ी देर में उन्होंने अपने बच्चों से कहा–अपनी चाची के घर जाकर देख आओ की वह अभी तक रोई क्यों नहीं?


बच्चों ने देखा और वापस जाकर कहा कि चाची तो कुछ मांड रही है, खूब उजमान हो रहा है। यह सुनते ही जेठानीयाँ दौड़ी-दौड़ी उसके घर गई और जाकर पूछने लगी कि तुमने कोख कैसे छुड़ाई?


वह बोली तुमने तो कोख बंधाई नही मैंने बंधा ली अब स्याऊ माता ने कृपा करके मेरी को खोल दी है। स्याऊ माता ने जिस प्रकार उस साहूकार की बहू की कोख खोली उसी प्रकार हमारी भी खोलियो, सबकी खोलियो। कहने वाले की तथा हुंकार भरने वाले तथा परिवार की कोख खोलिए।।



तारों को अर्घ्य देती महिला



व्रत के दिन प्रात: उठकर स्नान करें और पूजा पाठ करके संकल्प करें कि संतान की लम्बी आयु एवं सुखमय जीवन हेतु मैं अहोई माता का व्रत कर रही हूं। अहोई माता मेरे पुत्रों को दीर्घायु, स्वस्थ एवं सुखी रखें। अनहोनी को होनी बनाने वाली माता देवी पार्वती हैं इसलिए माता पार्वती की पूजा करें। अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवाल पर अहोई माता का चित्र बनायें और साथ ही स्याहु और उसके सात संतानो का चित्र बनायें। उनके सामने अनाज मुख्य रूप से चावल ढीरी (कटोरी), मूली, सिंघाड़े रखते हैं और सुबह दिया रखकर कहानी कही जाती है। कहानी कहते समय जो चावल हाथ में लिए जाते हैं, उन्हें साड़ी/ सूट के दुप्पटे में बाँध लेते हैं। सुबह पूजा करते समय जि गर (लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं।) यह करवा, करवा चौथ में इस्तेमाल हुआ होना चाहिए। इस करवे का पानी दिवाली के दिन पूरे घर में छिड़का जाता है। संध्या काल में इन चित्रों की पूजा करें। | पके खाने में चौदह पूरी और आठ पूयों का भोग अहोई माता को लगाया जाता है। उस दिन बयाना निकाला जाता है - बायने मैं चौदह पूरी या मठरी या काजू होते हैं। लोटे का पानी शाम को चावल के साथ तारों को आर्ध किया जाता है। शाम को माता के सामने दिया जलाते हैं और पूजा का सारा सामान (पूरी, मूली, सिंघाड़े, पूए, चावल और पका खाना) पंडित जी या घर के बडो को दिया जाता है। अहोई माता का कैलंडर दिवाली तक लगा रहना चाहिए। अहोई पूजा में एक अन्य विधान यह भी है कि चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे स्याहु कहते हैं। इस स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है। पूजा चाहे आप जिस विधि से करें लेकिन दोनों में ही पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रख लें। पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुने और सुनाएं।


पूजा के पश्चात सासु मां के पैर छूएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके पश्चात व्रती अन्न जल ग्रहण करें।


नोट - अगर घर में कोई नया मेम्बर आता है, तो उसके नाम का अहोई माता का कैलंडर उस साल लगाना चाहिए। यह कैलंडर, जहाँ हमेशा का अहोई माता का कैलेंडर लगाया जाता है, उसके लेफ्ट में लगते हैं। जब बच्चा होता है, उसी साल कुण्डवारा भरा जाता है। कुण्डवारे में चौदह कटोरियाँ/ सर्रियाँ, एक लोटा, एक जोड़ी कपडे, एक रुमाल रखते हैं। हर कटोरी में चार बादाम और एक छुवारा (टोटल पांच) रखते हैं और लोटे में पांच बादाम, दो छुवारे और रुमाल रखकर पूजा करते हैं। यह सारा सामान ननद को जाता है।          



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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस   (हिंदी-दैनिक)


 नवंबर 08, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-84 (साल-02)
2. रविवार, नवंबर 08, 2020
3. शक-1980, कार्तिक, कृष्ण-पक्ष, तिथि- अहोई अष्टमी, विक्रमी संवत 2077।


4. प्रातः 06:31, सूर्यास्त 05:25।


5. न्‍यूनतम तापमान 14+ डी.सै., अधिकतम-29+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेंगी।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7. स्वामी, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहींं है।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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डीएम ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की

डीएम ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की पंकज कपूर  नैनीताल/हल्द्वानी। उच्च न्यायालय उत्तराखंड द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में नैनीताल ...