सोमवार, 28 सितंबर 2020

पर्यटन स्थलों के विकास पर दिया जोर

केंद्रीय मंत्री ने स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े पर्यटन स्थलों के विकास पर दिया जोर।


नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश में स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े पर्यटन स्थलों के विकास पर जोर दिया है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पर्यटन मंत्रालय को सुझाव देते हुए कहा कि वर्ष 2022 में देश आजादी की 75वीं सालगिरह मनाएगा। ऐसे में हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता से जुड़े और अधिक पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए काम करना चाहिए।
पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के साथ ‘पर्यटन और ग्रामीण विकास’ पर आयोजित एक वर्चुअल मीटिंग में हिस्सा लेते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने इस सेक्टर के विकास की असीम संभावनाएं बताईं। उन्होंने पर्यटन मंत्रालय की नई पहल ‘देखो अपना देश’ के लिए मंत्रालय की सराहना करते हुए कहा कि इस पहल से स्थानीय विरासत और पर्यटन स्थलों को बढ़ावा और प्रोत्साहन मिलता है।
उन्होंने भारत की समृद्ध संस्कृति, इतिहास और प्राचीन वास्तु चमत्कारों के बारे में बताया कि इससे पर्यटन उद्योग के विकास के लिए काफी गुंजाइश है। दुनिया को एक वैश्विक गांव बनाने में इंटरनेट की भूमिका के बारे में बात करते हुए प्रधान ने भारत को वैश्विक पर्यटक केंद्र के रूप में मजबूती से स्थापित करने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग करने की अपील की।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पर्यटन उद्योग में रोजगार के नए अवसरों के सृजन और ग्रामीण क्षेत्रों में भी युवाओं के सशक्तीकरण की अभूतपूर्व क्षमता है। देश के हर जिले में लोगों को बताने के लिए ऐतिहासिक कहानियां हैं। इससे जुड़े स्थलों का विकास करने पर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।               


आरबीआई एमपीसी की बैठक में की तब्दीली

आरबीआई एमपीसी की बैठक में तब्दीली, अगली तारीख की घोषणा जल्द।


मनोज सिंह ठाकुर


मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की मंगलवार से होने वाली बैठक में तब्दीली हो गई है और बैठक की अगली तिथि की घोषणा जल्द ही होगी। एमपीसी की बैठक में फेरबदल की जानकारी आरबीआई ने सोमवार को दी। आरबीआई की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, एमपीसी की बैठक, जो 29 सितंबर से लेकर एक अक्टूबर के दौरान होने वाली थी, उसमें फेरबदल हो गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि बैठक की अगली तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी।                 


एक्टरः सड़क पर प्रेमी की पत्नी ने की पिटाई

अतुल त्यागी, प्रवीण कुमार


हरियाणा की मशहूर एक्टर रेनू चौधरी की बीच सड़क पर प्रेमी की पत्नी के साथ मारपीट की वीडियो वायरल।


हापुड़। मामल जनपद हापुड़ के थाना पिलखुवा क्षेत्र का है। जहां हैरान करने वाली वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल वायरल हो रही है। प्रेमी की पत्नी ने अपने पति के साथ रेनू चौधरी को अय्याशी करते पकड़ा। अनुज चौधरी की पत्नी ने अय्याशी करते हुए देख कर जमकर बीच सड़क पर जमकर किया हंगामा। एक्टर रेनू चौधरी व उसके प्रेमी की पत्नी में जमकर चले बीच सड़क पर लात घुसे,सरे आम मार पिटाई की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल,घण्टो तक चला बीच सड़क पर हाईवोल्टेज ड्रामा। हरियाणा की मशहूर एक्टर रेनू चौधरी ने बनाया था बहु जमीदार का गाना। रेनू चौधरी अपने पति के घर रेलवे रोड भोला पूरी की रहने वाली बताया जा रही है। तहरीर के आधर पर पुलिस ने मामले को संज्ञान में लेते हुऐ जाँच कर कार्यवाही के करने के निर्देश दिये।               


कोतवाली का गहनता से निरीक्षण, दिए निर्देश

अतुल त्यागी, प्रवीण कुमार


हापुड़ पहुंचे एडीजी जोन कोतवाली का किया गहनता से वार्षिक निरीक्षण दिये दिशानिर्देश ।


हापुड़। उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ में पहुंचे एडीजी जोन मेरठ किया वार्षिक निरीक्षण। गढ़मुक्तेश्वर कोतवाली में एडीजी जोन ने किया कोतवाली का निरीक्षण जहाँ पर उन्होंने ने अभिलेख, बैरक पुलिस कोतवाली में साफ-सफाई और शस्त्र हत्यारों समेत सभी का भृमण किया। एडीजी ने सब इंस्पेक्टरों का भी पिस्टल खोलने और चलाने की परीक्षा ली।एसपी हापुड़ संजीव सुमन,एएसपी सर्वेश कुमार मिश्र व पुलिस क्षेत्राधिकारी गढ़मुक्तेश्वर पवन कुमार समेत मौके पर मौजूद, एडीजी के आने की सूचना मिलते ही बलात्कार की पीड़ित महिला, एक माह से लापता किशोरी के परिजन समेत फरियादी भी पहुँचे कोतवाली में एडीजी जोन को सुनाने फरियाद, एडीजी जोन मेरठ ने सुनी कोतवाली में फरियादियों की फरियाद कार्रवाई का दिया आश्वासन।


मृतक संख्या-95,542, संक्रमित-60,74,402

देश में कोरोना के पिछले 24 घंटों में 82 हजार से अधिक नए मामले।


नई दिल्ली। घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 82 हजार से अधिक नए मामले सामने आने से संक्रमितों का आंकड़ा 60.74 लाख से पार हो गया जबकि 74 हजार से ज्यादा लोग स्वस्थ हुए जिससे कोरोनामुक्त होने वालों की संख्या 50.16 लाख हो गयी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में 82,170 नए मामलों के साथ इसके संक्रमितों की संख्या 60,74,702 हो गयी। इसके साथ ही 74,892 मरीज ठीक हुए हैँ जिसे मिलाकर अब तक 50,16,520 लोग कोरोना की महामारी से निजात पा चुके हैं। इसी अवधि में 1039 संक्रमित अपनी जान गंवा बैठे और इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 95,542 हो गयी है।
कोरोना संक्रमण के नए मामलों में बढ़ोतरी के कारण सक्रिय मामले 6238 बढ़कर 96,2640 हो गये। देश में अभी सक्रिय मामलों का प्रतिशत 15.85 और रोगमुक्त होने वालों की दर 82.58 प्रतिशत है।जबकि मृत्यु दर 1.57 फीसदी रह गयी है।
कोरोना महामारी से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान सक्रिय मामले 4111 बढ़कर 2,73,646 हो गये हैं जबकि 380 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 35,571 हो गयी है। इस दौरान 13,565 लोग संक्रमणमुक्त हुए जिससे स्वस्थ हुए लोगों की संख्या बढ़कर 10,30,015 हो गयी
दक्षिणी राज्य कर्नाटक में पिछले 24 घंटों के दौरान मरीजों की संख्या में 2942 की वृद्धि हुई है।और राज्य में अब 1,04,743 सक्रिय मामले हैं। राज्य में मरने वालों का आंकड़ा 8582 पर पहुंच गया है। तथा अब तक 4,62,241 लोग स्वस्थ हुए हैं। आंध्र प्रदेश में इस दौरान मरीजों की संख्या 918 कम होने से सक्रिय मामले 64,876 रह गये। राज्य में अब तक 5708 लोगों की मौत हुई है। वहीं कुल 6,05,090 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं।
आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इस दौरान 1483 मरीज कम हुए हैं जिससे सक्रिय मामले 55,603 हो गये हैं। तथा इस महामारी से 5594 लोगों की मौत हुई है जबकि 3,25,888 मरीज ठीक हुए हैं।
तमिलनाडु में सक्रिय मामलों की संख्या 46,341 हो गयी है तथा 9313 लोगों की मौत हुई है। वहीं राज्य में अब तक 5,25,154 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं। केरल में सक्रिय मामले 56,786 हो गये तथा 677 लोगों की मौत हुई है जबकि स्वस्थ हुए लोगों की संख्या बढ़कर 1,17,921 हो गयी है। ओडिशा में सक्रिय मामले 35,006 हो गये हैं। और 797 लोगों की मौत हुई है। जबकि रोगमुक्त लोगों की संख्या 1,73,571 हो गयी है।
राजधानी दिल्ली में इस दौरान सक्रिय मामले 489 कम होने से यह संख्या 29,228 हो गयी है। वहीं संक्रमण के कारण मरने वालों की संख्या 5235 हो गयी है। तथा अब तक 2,36,651 मरीज रोगमुक्त हुए हैं।
तेलंगाना में कोरोना के 29,673 सक्रिय मामले हैं। और 1107 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1,56,431 लोग इस महामारी से ठीक हुए है। पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस के 25,723 सक्रिय मामले हैं। तथा 4781 लोगों की मौत हुई है। वहीं अब तक 2,16,921 लोग स्वस्थ हुए हैं।
हल्दूचौड़। गोल्डन टच पार्लर में पुलिस का छापा, दो युवतियों समेत पांच हिरासत में
पंजाब में सक्रिय मामलों की संख्या 18,556 हो गयी है तथा संक्रमण से निजात पाने वालों की संख्या बढ़कर 88,312 हो गयी है। जबकि अब तक 3238 लोगों की मौत हो चुकी है। मध्य प्रदेश में सक्रिय मामलों की संख्या 22,431 है। तथा 97,571 मरीज स्वस्थ हुए हैं। जबकि 2207 लोगों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। गुजरात में सक्रिय मामले 16,633 हैं तथा 3416 लोगों की मौत हुई है। और 1,13,008 लोग इस बीमारी से स्वस्थ भी हुए हैं। बिहार में सक्रिय मामले 12,827 हो गये हैं। राज्य में 888 लोगों की मौत हुई है। जबकि 1,64,987 लोग संक्रमणमुक्त भी हुए हैं।
कोरोना महामारी से अब तक राजस्थान में 1441, हरियाणा में 1307, जम्मू-कश्मीर में 1132, छत्तीसगढ़ में 848, झारखंड में 679, असम में 655, उत्तराखंड में 574, पुड्डुचेरी में 513, गोवा में 401, त्रिपुरा में 273, चंडीगढ़ में 147, हिमाचल प्रदेश में 175, मणिपुर में 64, लद्दाख में 58, अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 53, मेघालय में 43, सिक्किम में 33, नागालैंड में 16, अरुणाचल प्रदेश में 14 तथा दादर-नागर हवेली एवं दमन-दीव में दो लोगों की मौत हुई है।             


कोई भी व्यक्ति कर सकता है नेत्रदान ?

क्या कोई भी व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है। देशभर में ऐसे कई लोग हैं। जो आंख में चोट, फूले व धब्बे की समस्या की वजह से अंधता के शिकार हैं। इन परेशानियों के उपचार में नेत्रदान एक असरदार उपाय साबित हो सकता है। नेत्रदान के लिए लोग जागरूक होकर कई लोगों की जिंदगी में रोशनी ला सकते हैं। 
दृष्टिबाधित बंधु हमारे द्वारा नेत्रदान करने से दृष्टि पा सके, प्रकृति की सुन्दरता, हरितिमा, रंग संयोजन की अद्भुत विविधता निहार सके।
आइये दिनांक 21 सितम्बर से 4 अक्टूबर 2020 तक चलने वाले इस ईश्वरीय अभियान  मे हम सहभागी बने स्वयं नेत्रदान का संकल्प ले और हमारे परिजन, मित्र, अड़ोसी-पड़ोसी सभी को संकल्प लेने के लिए प्रेरित करे। नेत्रदान कौन कर सकता है।
किसी भी उम्र का व्यक्ति जिसका कॉर्निया पूरी तरह से स्वस्थ हो वह नेत्रदान कर सकता है। वैसे 10-50 वर्ष के व्यक्ति की आंखें ज्यादा उपयोगी होती हैं। दुर्घटना, हार्ट अटैक, लकवा, ब्लड प्रेशर डायबिटीज, अस्थमा और मूत्र संबंधी रोग के कारण मौत होने पर आंखों का प्रयोग प्रत्यारोपण के लिए किया जा सकता है।
नेत्रदान कौन नहीं कर सकता।
जिन लोगों की मृत्यु वायरल बैक्टीरियल इंफेक्शन या एड्स की वजह से होती है। उनकी आंखों के कॉर्निया का प्रयोग नेत्रदान के लिए नहीं किया जा सकता है।                      


कांग्रेसियों ने किया सरकार का विरोध

किसानों के सम्मान में कांग्रेसियों ने ग्रामीणों के साथ वर्तमान सरकार का विरोध किया।


सोनभद्र। सोमवार को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर कांग्रेस जिला महासचिव बद्री सिंह गौड़ एवं कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष सेतराम केशरी (वि०वि०) के नेतृत्व में ब्लाक चोपन के न्याय पंचायत जूगैल के करइली डाड़ में किसान बिल के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित युवा कल्याण समिति के कार्यकर्ता एवं ग्रामीणों के साथ किसानों के सम्मान में वर्तमान सरकार का विरोध जताते हुए प्रदर्शन किया। जहां श्री बद्री सिंह ने कहा कि आयेदिन आदिवासियों एवं किसानों का शोषण किया जा रहा है। जिसके कारण हम सरकार का पुरजोर विरोध करते हैं। वही श्री सेतराम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी गरीबों असहायों आदिवासियों एवं किसानों की लड़ाई वर्तमान की भ्रष्ट सरकार से लड़ रही है। और उनका हक दिलाकर रहेगी एवं जनता के बीच रहकर भ्रष्ट सरकार को आईना दिखाने का काम करेगी। इस मौके पर कांग्रेस नेता संतोष सिंह नेताम, संदीप नारायण गुप्ता ,विजय कुमार यादव, कमलेश गुप्ता, विजया गोड़, भागीरथी , बिंदु गोड़ एवं अन्य कांग्रेस जनों सहित दर्जनों ग्रामीण मौजूद रहे।               


डीएम-एसपी ने जाना कैदियों का हाल

जेल पहुच कर डीएम और एसपी ने जाना कैदियो का हाल


तारकेशवर मिश्रा


अमेठी। जिलाधिकारी अरुण कुमार व पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह ने आज जिला कारागार रायबरेली का संयुक्त रूप से निरीक्षण किया गया। जनपद अमेठी में जिला कारागार न होने के कारण तहसील तिलोई के थाना जायस, फुरसतगंज मोहनगंज व शिवरतनगंज के अपराधियों को रायबरेली जेल भेजा जाता है। आपको बता दें कि डीएम व एसपी ने जिला कारागार रायबरेली का आज निरीक्षण किया। जिला कारागार रायबरेली में जनपद अमेठी के 170 अपराधी बंद हैं। जिनमें से 15 अपराधी दोष सिद्ध हैं। व 155 अपराधी न्यायालय में विचाराधीन है। इस दौरान जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा महिला बैरक कारागार चिकित्सालय व अन्य बन्दियों की बैरकों का निरीक्षण किया गया।  डीएम व एसपी ने चिकित्सालय में भर्ती बंदियों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली एवं उनके समुचित उपचार हेतु डॉक्टरों को निर्देश दिए। इसके बाद उन्होंने बैरकों में कैदियों के सामानों एवं बिस्तरों की सघन तलाशी ली गयी। डीएम ने बैरकों में नियमित रूप से साफ-सफाई कराने हेतु अधीक्षक को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि जेल के अन्दर किसी भी तरह के प्रतिबन्धित सामाग्री को अन्दर कदापि न जाने दिया जाये। 
जिला कारागार में जिलाधिकारी ने जनपद अमेठी के कैदियों से बात-चीत कर उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी ली बन्दियों द्वारा परिवार वालों से मुलाकात करने की समस्या बताई जिस पर जिलाधिकारी ने कैदियों को अवगत कराया कि शासन के निर्देश पर कोविड-19 के दृष्टिगत मुलाकात बंद है। इसके लिए उन्होंने फोन के माध्यम से बंदियों के घरवालों से बात कराने के निर्देश जेल अधीक्षक को दिए। 
जिलाधिकारी ने जिला कारागार में रसोई घर का भी निरीक्षण किया और साफ-सफाई से भोजन बनाये जाने के निर्देश दिये। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि प्रतिदिन समस्त बैरकों में बन्दियों की सघन तलाशी करायी जाये यदि किसी बन्दी के पास कोई आपत्तिजनक वस्तुयें बरामद हो । तो तत्काल सम्बन्धित के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही भी सुनिश्चित की जाये। उन्होंने कहा कि बन्दियों के भोजन गुणवत्ता की भी समय पर जांच कराते रहे तथा शौचालय एवं नालियों आदि की समुचित सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करायी जाये।           


जयंतीः गांधी-भगत के बीच कैसे थे रिश्ते ?

जयंती विशेष: गांधी और भगत सिंह के बीच कैसे थे रिश्ते ? क्या गांधी ने भगत सिंह को बचाने की कोशिश नहीं की?


नई दिल्ली। भगत सिंह बर्थडे, ‘दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़त, मेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी’, आज का दिन लाल चन्द फ़लक के इस शेर को गुनगुनाते हुए आजा़दी के एक ऐसे मतवाले को याद करने का दिन है जिसके लिए आजा़दी ही उसकी दुल्हन थी। आज का दिन ज़मीन-ए-हिन्द की आज़ादी के लिए हंसते हंसते फांसी पर चढ़ जाने वाले उस परवाने को याद करने का दिन है, जिसके ज़ज्बातों से उसकी कलम इस कदर वाकिफ थी कि उसने जब इश्क़ भी लिखना चाहा तो कलम ने इंकलाब लिखा। आज का दिन शहीद-ए-आजम भगत सिंह को याद करने का दिन है। भगत सिंह भारत मां के वही सच्चे सपूत हैं जिन्होंने अपना लहू वतन के नाम किया तो आज हमें आज़ादी का ज़श्न हर साल मनाने का मौका मिलता है।
आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्मदिन है। 28 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा में (अब पाकिस्तान में) उनका जन्म हुआ था। गुलाम भारत में पैदा हुए भगत सिंह ने बचपन में ही देश को ब्रितानियां हुकूमत से आज़ाद कराने का ख़्वाब देखा। छोटी उम्र से ही उसके लिए संघर्ष किया और फिर देश में स्थापित ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिलाकर हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया। वह शहीद हो गए लेकिन अपने पीछे क्रांति और निडरता की वह विचारधारा छोड़ गए जो आज तक युवाओं को प्रभावित करता है। आज भी भगत सिंह की बातें देश के युवाओं के लिए किसी प्रतीक की तरह बने हुए हैं।
हालांकि यह बहस भी साथ-साथ चलती रहती है कि भगत सिंह जिन्होंने महज़ 23 साल की उम्र में अपनी जान देश के लिए दे दी उनको दूसरे स्वतंत्रा सेनानियों की तरह पहली पंक्ति में जगह नहीं मिलती। शिकायत खास तौर पर महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू को लेकर रहती है। कहा जाता है कि दो स्वतंत्रता सेनानी इतिहास में ऐसे रहें जिनको जो उचित स्थान मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। एक नाम भगत सिंह का होता है तो दूसरा सुभाष चंद्र बोस का। कहा यह भी जाता है कि सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह एक ही विचारधारा के थे, जबकि गांधी और नेहरू उनसे थोड़ा अलग मत रखते थे। महात्मा गांधी तो हिंसा के सख्त खिलाफ थे। आज के दौर में जब नेहरू और गांधी पर कई तरह के इल्ज़ाम लगते हैं तो उनमें से एक यह भी है कि अगर नेहरू और गांधी चाहते तो भगत सिंह राजगुरू और सुखदेव को फांसी से बचाया जा सकता था। वहीं पंडित जवाहर लाल नेहरू पर यह भी इल्ज़ाम लगता है कि उन्होंने अपनी चतुराई से इतिहास के पन्ने में अपने लिए वह जगह बना लिया जो भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस को मिलना चाहिए था।
ऐसे में जब आज हर बात के लिए नेहरू और गांधी को कठघरे में डाला जा रहा है तो यह जानना जरूरी है कि भगत सिंह खुद जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी के बारे में किस तरह का विचार रखते थे। साथ ही इस सवाल का जवाब भी तलाशने की कोशिश करेंगे कि क्या वाक़ई महात्मा गांधी ने भगत सिंह को फांसी से बचाने का प्रयास नहीं किया था, जैसा की कई बार इल्जाम लगाया जाता है?
क्या महात्मा गांधी ने भगत सिंह को फांसी से बचाने का प्रयास नहीं किया था?
पूर्ण स्वराज को लेकर गांधी और भगत सिंह के रास्ते बिलकुल अलग थे।गांधी अहिंसा को सबसे बड़ा हथियार मानते थे और उनका कहना था कि “आंख के बदले में आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी”, जबकि भगत सिंह का साफ मानना था कि बहरों को जगाने के लिए धमाके की जरूरत होती है। एक का रास्ता केवल राजनीतिक सत्ता के हस्तांतरण पर केंद्रित था जबकि दूसरे की दृष्टि स्वतंत्र भारत को एक समाजवादी और एक समतावादी समाज में बदलने की थी।
1931 में जब भगत सिंह को फांसी दी गई थी तब तक उनका कद भारत के सभी नेताओं की तुलना में अधिक हो गया था।पंजाब में तो लोग महात्मा गांधी से ज्यादा भगत सिंह को पसंद करते थे। यही वजह है कि भगत सिंह को फांसी मिलने के बाद गांधी जी को भारी विरोध का सामना करना पड़ा।
भगत सिंह की फांसी के तीन दिन बाद, कांग्रेस के कराची अधिवेशन हुआ। उस वक्त देश भर में भगत सिंह की फांसी का विरोध नहीं करने के लिए गांधी के खिलाफ गुस्से का माहौल था। जब गांधी अधिवेशन में शामिल होने के लिए पहुंचे, तो नाराज युवाओं द्वारा काले झंडे दिखाकर उनके खिलाफ नारेबाजी की गई। ”डाउन विद गांधी” लिखा हुआ प्लेकार्ड उन्हें दिखाया गया। यह वह वक्त था जब भगत सिंह युवाओं के प्रतीक बन गए थे।
अब सवाल कि क्या गांधी जी ने भगत सिंह को बचाने का प्रयास नहीं किया। इसका जवाब है बिल्कुल किया था। गांधी और भगत सिंह का आजादी पाने को लेकर रास्ता बेशक अलग रहा हो और इसको लेकर दोनों के बीच मतभेद भी थे, लेकिन अंतिम अवस्था तक आते-आते गांधी को भगत सिंह के प्रति बहुत अधिक सहानुभूति हो चली थी। जब भगत सिंह को तय समय से एक दिन पहले ही फांसी दिए जाने की खबर मिली तो गांधी काफी देर के लिए मौन में चले गए थे।
महात्मा गांधी ने 23 मार्च 1928 को एक निजी पत्र लिखा था और भगत सिंह और उनके साथियों की फांसी पर रोक लगाने की अपील की थी। इस बात का जिक्र माय लाइफ इज माय मैसेज नाम की किताब में है। उन्होंने पत्र में वायसराय इरविन को लिखा था, ”शांति के हित में अंतिम अपील करना आवश्यक है। हालांकि आपने मुझे साफ -साफ बता दिया है कि भगत सिंह और अन्य दो लोगों की मौत की सजा में कोई भी रियायत की आशा न रखूं लेकिन डा सप्रू कल मुझे मिले और उन्होंने बताया कि आप कोई रास्ता निकालने पर विचार कर रहे हैं।”
गांधी जी ने पत्र में आगे लिखा, ” अगर फैसले पर थोड़ी भी विचार की गुंजाइश है तो आपसे प्रार्थना है कि सजा को वापस लिया जाए या विचार करने तक स्थगित कर दिया जाए. गांधी जी ने आगे लिखा, ”अगर मुझे आने की आवश्कता होगी तो आऊंगा। याद रखिए कि दया कभी निष्फल नहीं जाती।”
गांधी जी द्वारा लिखे इस खत से साफ पता चलता है कि आखिरी समय तक उन्होंने भगत सिंह और उनके साथियों की सजा कम करवाने और उन्हें माफी दिलाने का प्रयास किया। भगत सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए गांधी ने 29 मार्च, 1931 को गुजराती नवजीवन में लिखा था- ”वीर भगत सिंह और उनके दो साथी फांसी पर चढ़ गए। उनकी देह को बचाने के बहुतेरे प्रयत्न किए गए, कुछ आशा भी बंधी, पर वह व्यर्थ हुई। भगत सिंह अहिंसा के पुजारी नहीं थे, लेकिन वे हिंसा को भी धर्म नहीं मानते थे। इन वीरों ने मौत के भय को जीता था। इनकी वीरता के लिए इन्हें हजारों नमन हों।”
नेहरू को लेकर भगत सिंह के क्या विचार थे।
भगत सिंह जवाहर लाल नेहरू को लेकर क्या सोचते थे और क्या वह सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित थे। इस सवाल का जवाब 1928 में भगत सिंह द्वारा लिखे गए एक पत्र से मिल जाता है। किरती नामक एक पत्र में ‘नए नेताओं के अलग-अलग विचार’ शीर्षक से भगत सिंह ने एक लेख लिखा था। इस लेख में उन्होंने बोस और नेहरू के नजरिये की तुलना की है। भगत सिंह ने अपने इस लेख में जहां एक तरफ नेहरू को अंतरराष्ट्रीय दृष्टि वाला नेता माना तो वहीं सुभाष चंद्र बोस को प्राचीन संस्कृति के पक्षधर के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, ”इन दोनों सज्जनों के विचारों में जमीन-आसमान का अन्तर है।” भगत सिंह सुभाषचन्द्र बोस को एक बहुत भावुक बंगाली मानते थे जो अपनी संस्कृति पर गर्व करता था। इसको सपष्ट करने लिए भगत सिंह ने बोस के भाषण का अपनी लेख में जिक्र किया है।
भगत सिंह ने कहा है जहां एक तऱफ बोस अपने भाषण में कहते थे कि हिन्दुस्तान का दुनिया के नाम एक विशेष सन्देश है। वह दुनिया को आध्यात्मिक शिक्षा देगा। तो वहीं फिर वह लोगों से वापस वेदों की ओर ही लौट चलने का आह्वान करते हैं। आपने अपने पूणा वाले भाषण में उन्होंने ‘राष्ट्रवादिता’ के संबंध में कहा है कि अन्तर्राष्ट्रीयतावादी, राष्ट्रीयतावाद को एक संकीर्ण दायरे वाली विचारधारा बताते हैं, लेकिन यह भूल है। हिन्दुस्तानी राष्ट्रीयता का विचार ऐसा नहीं है।वह न संकीर्ण है, न निजी स्वार्थ से प्रेरित है और न उत्पीड़नकारी है, क्योंकि इसकी जड़ या मूल तो ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ है अर्थात् सच,कल्याणकारी और सुन्दर।
वहीं भगत सिंह ने जवाहर लाल नेहरू जिक्र करते हुए लिखा है, ”पण्डित जवाहरलाल आदि के विचार बोस से बिल्कुल विपरीत हैं.” भगत सिंह ने बताया कि नेहरू कहते हैं — “जिस देश में जाओ वही समझता है कि उसका दुनिया के लिए एक विशेष सन्देश है। इंग्लैंड दुनिया को संस्कृति सिखाने का ठेकेदार बनता है। मैं तो कोई विशेष बात अपने देश के पास नहीं देखता। सुभाष बाबू को उन बातों पर बहुत यकीन है.” जवाहरलाल कहते हैं, ”प्रत्येक नौजवान को विद्रोह करना चाहिए। राजनीतिक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक क्षेत्र में भी। मुझे ऐसे व्यक्ति की कोई आवश्यकता नहीं जो आकर कहे कि फलां बात कुरान में लिखी हुई है। कोई बात जो अपनी समझदारी की परख में सही साबित न हो उसे चाहे वेद और कुरान में कितना ही अच्छा क्यों न कहा गया हो, नहीं माननी चाहिए।
भगत सिंह के लेख से साफ है कि वह एक तरफ जहां बोस को पुरातन युग पर विश्वास करने वाला बताते हैं तो वहीं जवाहर लाल नेहरू को परंपराओं से बगावत करने वाले नेता के तौर पर देखते हैं जिनकी अपनी एक अंतरराष्ट्रीय समझ भी है। भगत सिंह का मानना था कि बोस हर चीज की जड़ प्राचीन भारत में देखते हैं और मानते हैं कि भारत का अतीत महान था। दरअसल भगत सिंह यहां बोस से ज्यादा नेहरू को तवज्जो देते हैं। उन्होंने लेख में लिखा है कि पंजाब के युवाओं को बौद्धिक खुराक की शिद्दत से जरूरत है और यह उन्हें सिर्फ नेहरू से मिल सकती है।           


पंजाबी महिला महासभा की बैठक आयोजित

पंजाबी महिला महासभा की बैठक आयोजित हुई- पंजाबी महिला महासभा की नगर अध्यक्ष बहेड़ व प्रदेश अध्यक्ष अरोड़ा द्वारा कार्यक्रम आयोजित ।


किशान गुप्ता


गदरपुर। रविवार को सकैनिया मोड़ स्थिति ड्रीम कैफे में पंजाबी महिला महासभा की एक बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता पंजाबी महिला महासभा की नगर अध्यक्ष सपना बेहड़ द्वारा की गई, वहीं मुख्य अतिथि के रूप में पहुंची पंजाबी महिला महासभा की प्रदेश अध्यक्ष शिल्पी अरोड़ा के महिलाओं द्वारा पुष्प गुच्छ देकर जोरदार स्वागत किया गया।
 इस दौरान बैठक में आपसी परिचय करते हुए पंजाबी समाज में फैल रही कुरीतियों को रोकने के लिए विचार-विमर्श किया गया, इसके अलावा पंजाबी समाज की महिलाओं की सामाजिक कार्यो में भागीदारी बढ़ाने की बात कही। बैठक को संबोधित करते हुए शिल्पी अरोड़ा द्वारा कहा गया कि महिलाओं को अपने हक के लिए आगे आकर अपने हक की लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है।हमारे समाज में अब तक महिलाओं को कमजोर समझा जाता रहा है।जिसकी बजह से उन्हें आगे बढ़ने का मौका नही मिल पाया है समाज की इसी सोच को बदलने की आवश्यकता है, इसी उद्देश्य के चलते पंजाबी महिला महासभा के गठन किया गया है। 
वहीं सपना बेहड़ द्वारा कहा गया कि जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष शिल्पी अरोड़ा के निर्देशानुसार पंजाबी महिला महासभा की नगर कार्यकारिणी का गठन कर घोषणा की जाएगी साथ ही उनके द्वारा कहा गया कि पंजाबी महिला महासभा द्वारा पंजाबी समाज को एकजुट करने व मजबूत बनाने का हर सम्भव प्रयास किया जाएगा।
इस दौरान प्रदेश सचिव सिमरन जीत कौर, गुरमीत कौर, कृष्णा वर्मा, सुमित्रा रानी, राधा रानी, नैना बत्रा, मेघना बठला, काजल मल्होत्रा, जसमीत संधू, सोनाली गाबा, इंदु गुम्बर, बबिता छाबड़ा, बीना गुम्बर, अर्चना, संतोष, कंचन सहित दर्जनों महिलाएं उपस्थित रहीं। वहीं उत्तरांचल पंजाबी महासभा के नगर अध्यक्ष किशन लाल सुधा, महामंत्री संजीव झाम, कोषाध्यक्ष किशन लाल अनेजा, युवा अध्यक्ष पारस धवन, युवा कोषाध्यक्ष चिराग मुरादिया, संदीप चावला, कमल अरोरा आदि भी उपस्थित रहे।             


ड्राइवर ने रेड सिग्नल में दौडाई रेलगाड़ी

ट्रेन ड्राइवर ने रेड सिग्नल में दौड़ा दी मालगाड़ी जानिए फिर क्या हुआ।


लखनऊ। बरेली से लखनऊ की ओर मालगाड़ी लेकर जा रहे बरेली जंक्शन के दो लोको पायलट ने काकोरी स्टेशन पर रेड सिग्नल के बावजूद मालगाड़ी को दौड़ा दिया। लापरवाही के आरोप में दोनों लोको पायलट का लखनऊ में मेडिकल हुआ। लखनऊ से दूसरे लोको पायलट भेजकर मालगाड़ी को आगे रवाना कराया गया। वह तो अच्छा हुआ जो मालगाड़ी डिरेलमेंट होने से बच गई। मुरादाबाद डिवीजन ने दोनों लोको पायलट को बुक ऑफ कर दिया है। सोमवार को मंडल ऑफिस तलब किया गया। दोनों पर निलंबन की कार्रवाई हो सकती है।
रेल सूत्रों का कहना है। कि रविवार रात 8:00 बजे श्रमजीवी गुजारने के लिए काकोरी स्टेशन पर सिग्नल दिया गया। मालगाड़ी रोकने के लिए रेड सिग्नल था। मगर बरेली के लोको पायलट ज्ञानचंद और अमित कुमार ने अनदेखी करते हुए मालगाड़ी दौड़ाकर होम सिग्नल पार कर दिया। जबकि मालगाड़ी को रोकने के बाद पॉइंट बनाकर दूसरे ट्रैक से गुजारा जाना था। मगर दोनों लोको पायलट ने रेड सिग्नल के बाद भी अनदेखी करते हुए सिग्नल ओवरशूट कर दिया। काकोरी स्टेशन मास्टर ने सिग्नल ओवरशूट की रेल कंट्रोल को सूचना दी। माल गाड़ी को रुकवाया गया।
लोको पायलट ज्ञान चन्द्र और अमित कुमार का मेडिकल कराया। मलिहाबाद में करीब आधा घंटे तक श्रमजीवी खड़ी रही। उत्तर रेलवे मुरादाबाद रेल मंडल के सीनियर डीओएम ने लोको पायलट ज्ञान चन्द्र और अमित कुमार को बुक ऑफ कर दिया। सोमवार को दोनों को मंडल आफिस तलब किया है। इस तरह की लापरवाही में सीधे निलंबन की कार्रवाई होती है। अगर माल गाड़ी की स्पीड अधिक होती तो लोको पायलट की लापरवाही से बड़ा रेल हादसात्र तक गाड़ी लेकर जानी थी। वहां से स्टॉफ़ चेंज होता।                   


विधेयकों के खिलाफ लाया जाएगा प्रस्ताव

मुख्यमंत्री भूपेश बधेल ने कहा-कृषि विधेयकों के खिलाफ छत्तीसगढ़ विधानसभा में लाया जाएगा प्रस्ताव।


रायपुर। संसद में पारित किए गए तीन कृषि विधेयकों को असंवैधानिक  करार देते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को कहा कि इसका विरोध करते हुए राज्य विधानसभा के अगले सत्र में एक प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इन विधेयकों के क्रियान्वयन के खिलाफ जरूरत पड़ने पर कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी।
बघेल ने यह आरोप भी लगाया अनुबंध कृषि के जरिए किसानों की जमीन कॉरपोरेट घरानों को सौंपने की साजिश की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने इन विधेयकों को पिछले दरवाजे से ऐसे वक्त में लाया जब देश कोरोना वायरस महामारी से लड़ रहा है। और मीडिया बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की कवरेज (गुत्थी सुलझाने) में व्यस्त है। बघेल ने कहा हम राज्य विधानसभा के अगले सत्र में (कृषि विधेयकों का विरोध करते हुए) एक प्रस्ताव लाएंगे और यदि जरूरत पड़ी तो उन्हें लागू किये जाने के खिलाफ (हम) कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।बघेल ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार किसानों के हितों के लिये प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा।केंद्र के पास कृषि पर विधान बनाने की शक्ति नहीं है। जो कि राज्य सूची का विषय है। लोकसभा में पारित तीनों कृषि विधेयक असंवैधानिक हैं। और (संविधान के) संघीय ढांचे का उल्लंघन करते हैं।उन्होंने कहा कि विधेयक का मसौदा शांता कुमार समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया जो किसान विरोधी गरीब विरोधी है।और सिर्फ कॉरपोरेट घरानों के (हितों के) लिये है। बता दें  कई राज्यों के किसान इन विधेयकों को संसद द्वारा पारित किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
बघेल ने शांता कुमार समिति की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए आशंका जताई कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) निकट भविष्य में अपनी प्रासंगिकता खो सकता है। और किसानों को अपनी फसल के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिलेगा।
संसद ने हाल ही में संपन्न हुए मॉनसून सत्र में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को पारित किया है जिसे अभी राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली है।


मुख्यमंत्री ने तीनों विधेयकों पर केंद्र पर झूठ बोलने और किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने श्रम सुधार विधेयकों को लेकर भी केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि ये श्रमिकों के हित में नहीं हैं।
सुशांत मामले में मीडिया कवरेज के बारे में पूछे जाने पर बघेल ने कहा वहां 50 ग्राम गांजा बरामद हुआ और पूरा देश इसके पीछे पड़ा हुआ है। और हमारे राज्य में पुलिस प्रतिदिन 10 क्विंटल वर्जित वस्तु जब्त कर रही है। लेकिन इसे लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही।उन्होंने कहा 50 ग्राम गांजा बरामद करना एनसीबी (स्वापक नियंत्रण ब्यूरो) का काम नहीं है। बल्कि यह थानेदार का काम है।             


डीएम ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की

डीएम ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की पंकज कपूर  नैनीताल/हल्द्वानी। उच्च न्यायालय उत्तराखंड द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में नैनीताल ...