गुरुवार, 24 सितंबर 2020

विश्व में 3.17 करोड़ से अधिक संक्रमित

वैश्विक स्तर पर कोविड-19 के मामले 3.17 करोड़ से अधिक।


वाशिंगटन डीसी। वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस मामलों की कुल संख्या 3.17 करोड़ से अधिक हो गई है। जबकि इस संक्रमण से हुई मौतों की संख्या 975,000 का आंकड़ा पार कर गई है। यह जानकारी जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय ने गुरुवार को दी। विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने अपने नवीनतम अपडेट में खुलासा किया कि गुरुवार की सुबह तक कुल मामलों की संख्या 31,787,190 हो गई और मृत्यु दर बढ़कर 975,038 हो गई थी।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका दुनिया के सबसे अधिक मामलों 6,943,071 और 201,957 मौतों के साथ सबसे अधिक प्रभावित देश है। वहीं वर्तमान में भारत 5,646,010 मामलों के साथ प्रभावित देशों की सूची में शीर्ष पर दूसरे स्थान पर है। जबकि देश में संक्रमण से 90,020 मौतें दर्ज की गई हैं। सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, अधिक मामलों वाले अन्य शीर्ष 15 देशों में ब्राजील (4,591,364), रूस (1,117,487), कोलंबिया (784,268), पेरू (776,546), मेक्सिको (710,049), स्पेन (693,556), दक्षिण अफ्रीका (665,188), अर्जेंटीना (664,799), फ्रांस (508,381), चिली (449,903), ईरान (432,798), ब्रिटेन (412,241), बांग्लादेश (353,844), इराक (332,635) और सऊदी अरब (331,359) शामिल हैं।
ब्राजील 138,105 मौतों के साथ संक्रमण से हुई मृत्यु के मामले में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। वहीं 10,000 से अधिक मौतों वाले देश मेक्सिको (74,949), ब्रिटेन (41,951), इटली (35,758), पेरू (31,568), फ्रांस (31,444), स्पेन (31,034), ईरान (24,840), कोलंबिया (24,746), रूस (19,720), दक्षिण अफ्रीका (16,206), अर्जेंटीना (14,376), चिली (12,345) और इक्वाडोर (11,171) हैं।             


फेसबुक ने हटाएं चीन के 150 फर्जी खाते

वाशिंगटन डीसी/ नई दिल्ली। फेसबुक ने अमेरिकी चुनाव को लेकर चीन से चलने वाले फर्जी खातों के एक छोटे नेटवर्क को हटा दिया है। इन नेटवर्क से अमेरिका समेत कुछ अन्य देशों में राजनीतिक गतिविधियों को बाधित करने की कोशिशें की जा रही थीं। चीन से संचालित इन फर्जी खातों का प्राथमिक फोकस दक्षिण-पूर्वी एशिया भी रहा है जिसमें फिलीपींस शामिल है। कहा, इन नेटवर्क से राजनीतिक गतिविधियां बाधित करने की कोशिशें जारी थी। अमेरिकी चुनाव में इन खातों से राष्ट्रपति पद के दोनों उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और जो बिडेन के खिलाफ सामग्री पोस्ट की गईं। हालांकि फेसबुक ने इस नेटवर्क को सीधेतौर पर चीन सरकार के साथ नहीं जोड़ा है। इसमें कहा गया है कि नेटवर्क के पीछे जो लोग शामिल थे उन्होंने वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क और दूसरे तरीकों का इस्तेमाल करते हुए अपनी पहचान और स्थान छिपाने की कोशिश की है।


इससे पहले एफबीआई ने एक चेतावनी देते हुए अमेरिकी चुनाव में विदेशी दखल की कोशिशों पर चिंता जताई थी। उसने कहा था कि साइबर अपराधी फर्जी वेबसाइटें बनाकर चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की कोशिश में जुटे हैं।           


नीदरलैंड फुटबॉल टीम के कोच बने फ्रैंक

नीदरलैंड फुटबाल टीम के कोच बने फ्रैंक बोएर।


एम्सटर्डम। फ्रैंक बोएर को नीदरलैंड की राष्ट्रीय फुटबाल टीम का नया मुख्य कोच नियुक्त किया गया है। डच फुटबाल एसोसिएशन केएनवीबी ने इसकी पुष्टि की है। अगस्त में रोनाल्ड कोमैन के एफसी बार्सिलोना चले जाने के बाद यह पद खाली हुआ था।
कोमैन की गैरमौजूदगी में सहायक कोच ड्वाइट लोडेवेजेस की देखरेख में टीम ने पोलैंड को 1-0 से हराया था और इटली से 0-1 से हार गई थी।
मुख्य कोच पद के लिए केएनवीबी ने तीन नाम तय किए थे। फ्रैंक रिजकार्ड ने ना कर दिया क्योंकि वह मुख्यधारा में लौटना नहीं चाहते थे। इसी तरह पीटर बॉस ने भी ना कर दिया क्योंकि वह बायेर लेवरकुसेन के साथ करारबद्ध हैं और अंत में महासंघ ने बोएर के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी।
50 साल के बोएर को 2022 विश्व कप तक के लिए करारबद्ध किया गया है। बोएर एक खिलाड़ी के तौर पर नीदरलैंड्स के लिए 112 मैच खेल चुके हैं। दिसम्बर 2010 में बतौर कोच उन्होंने एजाक्स के साथ नई पारी की शुरुआत की थी। इसके बाद वह इंटर्नाजियोनेल, क्रिस्टल पैलेस और एटलांटा युनाइटेड के कोच रह चुके हैं।             


जायफल की उपज की 'विधि और मुनाफा'

जायफल की उपज की विधि और मुनाफा 
सोहनवीर पंवार
जायफल एक सदाबहार वृक्ष है। इसकी उत्पत्ति का स्थान इंडोनेशिया का मोलुकास द्वीप माना जाता है। वर्तमान में इसे भारत के साथ-साथ अन्य कई देशों में उगाया जाता है। जायफल के कच्चे फलों का इस्तेमाल अचार, जैम, कैंडी बनाने में तथा सूखे फलों का इस्तेमाल सुगन्धित तेल, मसाले और औषधीय रूप में किया जाता है। इसका पौधा सामान्य रूप से 15 से 20 फिट ऊंचा होता है, जिस पर फल पौध रोपाई के लगभग 6 से 7 साल बाद लगते हैं। जायफल की अनेक प्रचलित प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
मिरिस्टिका प्रजाति के वृक्ष पर लगने वाले फलों को जायफल कहा जाता है। जायफल के फल और फूल गुच्छों में तथा नाशपाती के आकार के होते हैं।
जायफल की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली गहरी उपजाऊ भूमि का चयन करें। पौधों के जल्द विकास करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी या लाल लैटेराइट मिट्टी में आवश्यक है। भूमि का पी. एच. मान सामान्य के आस-पास होना चाहिए।
उपयुक्त मिट्टी:- जायफल की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली गहरी उपजाऊ भूमि का चयन करें। पौधों के जल्द विकास करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी या लाल लैटेराइट मिट्टी में आवश्यक है। भूमि का पी. एच. मान सामान्य के आस-पास होना चाहिए।
जलवायु और तापमान:- यह एक उष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा है। पौधे के विकास के लिए सर्दी और गर्मी दोनों मौसम की सामान्य रूप में आव्यशकता होती है। अधिक सर्दी और गर्मी दोनों इसकी खेती के लिए उपयुक्त नही है। सर्दियों में पड़ने वाला पाला इसकी खेती के लिए अत्यंत अनुपयोगी है। पौधों को विकास करने के लिए सामान्य बारिश तथा शुरुआत में विकास के दौरान हल्की छाया की आवश्यकता होती है।
अंकुरण के वक्त तापमान 20 से 22 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच तथा अंकुरण के बाद सामान्य तापमान 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट के मध्य आवश्यक है। पूर्ण रूप से तैयार पेड़ गर्मियों में अधिकतम 37 और सर्दियों में न्यूनतम 10 डिग्री के आसपास के तापमान पर अच्छे से विकास कर लेते हैं।
उन्नत किस्में:- जायफल की कुछ प्रचलित उन्नत प्रजातियाँ हैं, जिसे दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।
आई. आई. एस. आर विश्वश्री – इसे भारतीय मसाला फसल अनुसंधान संस्थान, कालीकट द्वारा तैयार किया गया है। इसकी पैदावार रोपाई के 8 वर्ष बाद प्रारंभ होती है। इसके एक पौधे से एक बार में 1000 के आसपास फल प्राप्त होते हैं। इसके सूखे छिलके युक्त फलों से प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 3100 किलो के आस-पास पाया जाता है। 1 हेक्टेयर में पौधों की संख्या लग-भग 350 की होती है। इसके पौधे से 70 प्रतिशत जायफल और 30 प्रतिशत जावित्री प्राप्त होती है।
केरलाश्री – इस किस्म को मुख्य रूप से केरल तथा तमिलनाडु में लगाने के लिए विकसित किया गया है। इसकी पैदावार भी रोपाई के 8 वर्ष बाद प्रारंभ होती है। इसे कालीकट कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा विकसित किया गया है।
खेत की तैयारी:- जायफल के पौधों की रोपाई के लिए सबसे चयनित खेत में गड्डे तैयार की जाती है। गढ्डे बनाने के पहले खेत को पेड़ लगाने के लिए अच्छे से तैयार किया जाना जरूरी होता है। क्योंकि जायफल एक बहुवर्षीय पौधा है, यह कई सालों तक पैदावार देता है। खेत की तैयारी हेतु खेत की अच्छे से सफाई कर खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिए। उसके बाद खेत की मिट्टी पलटने वाले हलों से गहरी जुताई करके कुछ दिन खेत को खुला छोड़ दें।
इससे मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट शुरुआत में ही नष्ट हो जाते हैं। फिर कल्टीवेटर के माध्यम से दो से तीन तिरछी जुताई करके रोटावेटर से मिट्टी को भुरभुरा बना ले। इसके बाद खेत में उचित दूरी पर पंक्तियों में गड्डे बना दें। गड्डों के बीच 20 फीट के आस-पास दूरी तथा पंक्तियों के बीच भी 18 से 20 फिट की दूरी रखें। गड्डों का आकार डेढ़ से दो फिट गहरा और दो फीट चौड़ा होना चाहिए। गड्डों में उचित मात्रा में जैविक और रासायनिक उर्वरकों को मिट्टी में मिलाकर भर दें। गड्डों को रोपाई के लगभग एक से दो महीने पहले भरकर तैयार कर लें।
जायफल की सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई।
पौध तैयार करना:- जायफल के पौध, बीज और कलम दोनों के माध्यम से नर्सरी में तैयार की जाती है। बीज के माध्यम से पौधा तैयार करने में नर और मादा पेड़ों के चयन में बहुत समस्या होती है।
इस कारण इसकी पौध कलम रोपण के माध्यम से तैयार करना बेहतर माना जाता है। कलम के माध्यम से पौध तैयार करने की सबसे अच्छी तथा प्रचलित विधि कलम दाब और ग्राफ्टिंग है।
पौधों की रोपाई खेत में तैयार गड्डों में की जाती है। रोपाई से पूर्व गड्डों के बीचों बीच एक और छोटे आकार का गड्डा बना लें। गड्डे को गोमूत्र या बाविस्टीन से उपचारित कर ले, ताकि पौधे शुरूआती दौर में किसी बीमारि से ग्रस्त ना हो। 
जायफल की खेती
ग्राफ्टिंग विधि से पौध तैयार करना काफी आसान होता है। ग्राफ्टिंग विधि में अच्छे से उत्पादन देने वाली किस्म के पौधों की शाखाओं से पेंसिल के सामान आकार वाली कलम तैयार किया जाता है। इन कलमों को जंगली पौधों के मुख्य शीर्ष को काटकर उनके साथ वी (^) रूप में लगाकर पॉलीथीन से बांध दे। कुछ समय बाद आपका कलम तैयार होगा।
पौध रोपाई का तरीका और समय:- पौधों की रोपाई खेत में तैयार गड्डों में की जाती है। रोपाई से पूर्व गड्डों के बीचों बीच एक और छोटे आकार का गड्डा बना लें। गड्डे को गोमूत्र या बाविस्टीन से उपचारित कर ले, ताकि पौधे शुरूआती दौर में किसी बीमारि से ग्रस्त ना हो। गड्डों को उपचारित करने के बाद पौधे उसमें लगा दें तथा पौधे के तने को दो सेंटीमीटर तक मिट्टी से दबा दें। इसके पौधों की रोपाई का सबसे उपयुक्त समय बारिश का मौसम होता है।
अतः पौधों की रोपाई जून के मध्य से अगस्त माह के शुरुआत तक कर देनी चाहिए। इस दौरान पौधों को विकास करने के लिए उचित वातावरण मिलता है।
पौधों को मार्च के बाद भी उगा सकते हैं, इस दौरान रोपाई करने पर इसके पौधों को देखभाल तथा सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है।
पौधों की सिंचाई:- सिंचाई की जरूरत शुरुआत के दिनों में अधिक होती है। गर्मियों में 15 से 17 दिन और सर्दियों के मौसम में 25 से 30 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए। बारिश के मौसम में पौधों को पानी की आवश्यकता नही होती।           


'चाइना पीक' पर कीजिए निशुल्क ट्रैकिंग

चाइना पीक पर कीजिए निशुल्क ट्रैकिंग, पर्यटन विभाग ने जारी की यह गाइडलाइन। 


बीजिंग। जिला पर्यटन विकास अधिकारी अरविन्द गौड़ ने बताया कि विश्व पर्यटन दिवस के उपलक्ष्य में 27 सितम्बर को पर्यटन विभाग, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा नैनीताल में टांकी-नैना पीक (चाइना पीक)-किलबरी तक 8 किमी निःशुल्क ट्रेकिंग कार्यक्रम का आयोजन प्रातः 8 बजे से किया जा रहा है। जिसमें मा.सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार 10 वर्ष से अधिक उम्र के छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा। उन्होंने बताया कि इस वर्ष विश्व पर्यटन संगठन द्वारा ’’टूरिस्ट एवं रूरल डेवलपमेंट’’ थीम निर्धारित की गयी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत रखते हुए ट्रेकर्स अपने साथ मास्क एवं सेनिटाईज़र अवश्य लायें, ट्रेकिंग प्रोग्राम में शासन द्वारा जारी कोविड-19 से सम्बन्धित दिशा-निर्देशों का किया जायेगा।             


संघ के रूप में प्रतिस्थापित कश्यप समाज

भानु प्रताप उपाध्याय


शामली। कश्यप समाज कल्याण ट्रस्ट दौराला मेरठ को एक वर्ष पूरा हो गया है। इस मौके पर कश्यप समाज कल्याण ट्रस्ट के ने सर्वोदय मॉडल इंटर कॉलेज मटौर दौराला मेरठ के प्रांगण में हवन यज्ञ करके मिठाई बांटकर खुशी मनाई। इसके बाद पदाधिकारियों ने समाज की भलाई व संगठन को मजबूत करने के लिए सुझाव दीयें। इस एक साल में कश्यप समाज कल्याण ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने कश्यप समाज के कल्याण और समाज को संगठित करने के लिए दिन रात प्रयास किया है और यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। इस मौके पर ट्रस्ट के अध्यक्ष- मुकेश कश्यप जी,उपाध्यक्ष- करण कश्यप,कोषाध्यक्ष- संजीव कश्यप एडवोकेट, सचिव -अनिल कश्यप ,मास्टर उम्मेदपाल कश्यप,संदीप कश्यप,सहेन्द्र कश्यप, मिस्त्री विजय कश्यप, मिस्त्री रोशन लाल कश्यप, डॉक्टर संजय कश्यप सकौती टांडा, प्रदीप कश्यप घटायन,हरबीर कश्यप, कॉलेज के प्रिंसिपल श्री गुलशन चौहान जी, कॉलेज के क्लर्क श्री विनीत शर्मा जी आदि उपस्थित रहे।


संचारी रोग के विरुद्ध कार्यशाला का आयोजन

अतुल त्यागी, मुकेश सैनी


शिक्षको के लिए संचारी रोग अभियान कार्यशाला आयोजित की गई


हापुड़। नगर क्षेत्र हापुड़ के सभी परिषदीय प्राथमिक  व जूनियर हाई स्कूलों के शिक्षकों संचारी रोग अभियान कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ योगेश गुप्ता सहित गजेन्द्र सिंह, नगर शिक्षा अधिकारी, हापुड़ ने भी विस्तार से प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस कार्यशाला में संजय कोशल,नगर शिक्षा अधिकारी पिलखुवा ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया, इस प्रशिक्षण में सुश्री शबनम परवीन यूनिसेफ की बीएमसी ने भी प्रतिभाग किया और इस प्रशिक्षण हेतु सॉफ्ट कॉपी में निर्देश आदि भी उपलब्ध कराए गए। इस कार्यशाला में भौतिक दूरी व सामाजिक दूरी का भी सभी के द्वारा अनुपालन किया गया। 
आज की इस आयोजित कार्यशाला के द्वितीय सत्र में सभी शिक्षकों को उनके द्वारा दीक्षा एप पर पंजीकरण के बाद मानव सम्पदा आईडी से जोड़कर डाटा मर्ज करवाए जाने की विषय में तथा नवीन शासनादेश जिसमें स्कूलों के टाइम एंड मोशन विषय तथा विभिन्न विभागीय प्रशिक्षण मॉड्यूल तथा आकाशवाणी, दूरदर्शन, दीक्षा तथा मानव संसाधन विकास विभाग के पोर्टल व ऐप पर उपलब्ध विभिन्न शैक्षणिक सामग्री तथा संचालित प्रशिक्षण विषय व बच्चों के कार्यक्रमों के विषय में विस्तार से जानकारी भी अखिलेश शर्मा, ए आर पी हापुड़ ने जानकारी प्रदान की गई ।                 


यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला

यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला  संदीप मिश्र  लखनऊ। यूपी में गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदल गया है। कक्षा एक से लेकर आठ तक के स्कू...