शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

3 साल पुराने वाहनों पर फास्टैग जरूरी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शिकंजा कसते हुए पुराने निजी व व्यावसायिक चार पहिया वाहनों के लिए जनवरी 2021 से फास्टैग लगाना अनिवार्य कर दिया है। नए साल में पुराने वाहनों का फास्टैग के बगैर फिटनेस प्रणाम पत्र जारी नहीं किया जाएगा। इसके अलावा थर्ड पार्टी बीमा कराने के लिए भी फास्टैग अनिवार्य किया जा रहा है। इसके बगैर कार-ट्रक, बस का बीमा नहीं हो सकेगा।


सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने तीन सिंतबर को हितधारकों के सुझाव-आपत्ति ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसमें उल्लेख है कि टोल प्लाजा पर नगद के बजाए फास्टैग की मदद से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। इसके तहत पुराने वाहनों यानी दिसंबर 2017 से पहले खरीदे गए निजी-व्यावसायिक चार पहिया वाहनों की विंडस्क्रीन पर आगामी एक जनवरी 2021 के फास्टैग लगाना अनिवार्य होगा।


मालूम हो कि मंत्रालय ने एक दिसंबर 2017 से फास्टैग युक्त नए वाहनों का बिक्री संबंधी अधिसूचना जारी की थी। इसमें वाहन के विंडस्क्रीन पर निर्माता कंपनी अथवा डीलर को फास्टैग लगाना है। इसके अलावा मंत्रालय पुराने वाहनों की थर्ड पार्टी बीमा कराने के नियम भी बदलने जा रहा है। थर्ड पार्टी बीमा तभी होगा जब वैध फास्टैग आईडी सिस्टम में होगा। यह नियम आगामी पहली अप्रैल 2021 से लागू कर दिया जाएगा। वर्तमान में देश में ट्रक, बस, कारों की संख्या 7 करोड़ है, लेकिन फास्टैग दो करोड़ से कम बिके हैं।           


मांझी ने खुल्लमखुल्ला ऐलान कर दिया

मनोज सिंह ठाकुर


पटना। बिहार के पूर्व सीएम और हम के चीफ जीतन राम मांझी ने अब खुल्लमखुला ऐलान कर दिया है कि लोजपा अगर सीएम नीतीश की तरफ आंख उठाकर देखेगी तो उसे किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
अब लोजपा से टकराएंगे मांझी
मांझी ने कहा है  लोजपा चीफ जदयू पर निशाने साधने से बाज आ जाए वरना उसे मुझसे टकराना होगा। इतना ही मांझी ने यह भी कहा है कि चिराग पासवान जरा यह भी बताएं कि दलितों के नाम पर वोट की राजनीति करने वाले रामविलास पासवान ने आज तक दलितों के लिए क्या किया है। मतलब साफ है कि नीतीश का मांझी कार्ड सफल होता दिख रहा है। गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों से लोजपा चीफ चिराग पासवान लगातार अपने ही गठबंधन के मुखिया सीएम नीतीश कुमार के काम को लेकर मोर्चा खोले बैठे हैं. यहां तक कई दफा लोजपा चीफ चिराग ने बिहार के सीएम बनने की भी इच्छा जाहिर की है. चिराग पासवान हमेशा यह कहते रहे हैं कि हमारा गठबंधन बीजेपी के साथ है ना की जदूय के साथ। 








हालांकि रिश्ते की तल्खी उस वक्त ज्यादा ही बढ़ गई जब जदयू के सबसे वरिष्ठ और कद्दवार नेता ललन सिंह ने चिराग को कालिदास बताते हुए कहा कि ये एक ऐसा नेता हैं कि जिस डाली पर बैठे हैं उसे ही काटने पर आमदा हैं। हालांकि बीच में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दोनों दलों को सलाह देते हुए कहा था कि गठबंधन में सारे दल अहम हैं और सबको एक दूसरे का ख्याल रखना चाहिए लेकिन लोजपा की तरफ से जदयू पर तंज कसने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा।













नीतीश ने खेला मांझी कार्ड







अब एनडीए में मांझी की एंट्री ने नीतीश की मंशा पर मुहर लगा दी है। हम के चीफ जीतन राम मांझी ने जदयू के फिलहाल दुश्मन नंबर 1 को निशाने पर लेने शुरू कर दिया है। मांझी ने साफ कर दिया है कि सीएम नीतीश और जदयू पर बोलने से पहले अब लोजपा को हमसे टकराना होगा। इसी के तहत उन्होंने रामविलास पासवान पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वो बता दें कि उन्होंने दलितों के लिए किया क्या है? इससे भी आगे बढ़ते हुए मांझी ने कहा है कि जदयू पर बोलोगे तो जवाब हमसे जरूर सुनना होगा। अब इस राजनीतिक खेल को थोड़ा गहराई से समझिए। बिहार की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले नीतीश लोजपा से टकराने के लिए ऐसा चेहरा सामने लाना चाहते थे जो उसी वर्ग से आता हूं और कद और पद में भी बराबरी करता हो। कभी महागठबंधन के करीबी जीतन राम मांझी को लगातार मीटिंग कर नीतीश कुमार ने एनडीए में शिफ्ट करवा दिया ताकि लोजपा को उन्हें नहीं बल्कि उसी स्टाइल पर उसी वर्ग के लोगों से काउंटर करवाया जा सके। अब वो खेल शुरू हो चुका है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण




यूनिवर्सल एक्सप्रेस   (हिंदी-दैनिक)









 सितंबर 5, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-22 (साल-02)
2. शनिवार, अगस्त 5, 2020
3. शक-1943, अश्विन, कृृष्ण-पक्ष, श्राद्ध पक्ष, तिथि-तीज, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:28, सूर्यास्त 07:10


5. न्‍यूनतम तापमान 23+ डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेगी।


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गुरुवार, 3 सितंबर 2020

10 साल में सभी को इंटरनेट से जोड़ेंगे

अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में दुनिया के प्रमुख नीतिकारों ने 2030 तक हर स्कूल और समुदाय को इंटरनेट से जोड़ने का संकल्प व्यक्त किया है। इन नीतिकारों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुरुवार को हुई एक बैठक में दुनिया के साढ़े तीन अरब बच्चों और युवाओं को विश्व स्तर के डिजिटल समाधानों, दूरस्थ शिक्षा और प्रासंगिक कौशल के जरिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने का संकल्प लिया।


बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस, रवांडा गणराज्य के राष्ट्रपति पॉल कागमे, केन्या गणराज्य के राष्ट्रपति एवं यूएन ग्लोबल चैंपियन फॉर द यंग पीपुल्स एजेंडा उहुरू केन्याटा, त्रिनिदाद और टोबैगो के राष्ट्रपति पाउला मे-वी, यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक, हेनरीटा फोर, वैश्विक शिक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गॉर्डन ब्राउन, विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास, यूनीलीवर के सीईओ एलन जोप, आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा, माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष, ब्रैड स्मिथ और युवाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के दूत जयथमा विक्रमनायके ने भाग लिया।

उन्होंने युवाओं के लिए सीखने और रोजगार की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए तत्काल कार्रवाई, समाधान और निवेश का आह्वान किया। गुटेरस ने प्रतिभागियों से कहा कि युवाओं के लिए डिजिटल लर्निंग एवं प्रशिक्षण में संसाधनों का निवेश सामाजिक सामंजस्य बनाने तथा मानव विकास एवं आर्थिक विकास को अवरुद्ध करने वाली असमानताओं को कम करने के लिए एक आवश्यक निवेश है लेकिन ये निवेश ऊपर-से-नीचे नहीं हो सकते। निर्णय लेने की शक्ति के साथ युवाओं को खुद सबसे आगे होना चाहिए। उनकी रचनात्मकता, ऊर्जा और समस्या को सुलझाने के कौशल को दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों के साथ जोड़ना चाहिए। यूनेस्को के नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कोविड-19 के प्रकोप के कारण लगभग एक अरब छात्र और युवा स्कूल और विश्वविद्यालय के बंद होने से प्रभावित हैं।


हाल ही में यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व स्तर पर तीन में से कम से कम एक स्कूली बच्चा दूरस्थ शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ था जब उनके स्कूल बंद हो गए थे, जो डिजिटल प्रौद्योगिकी तक पहुंच की कमी को उजागर करता है। यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने कहा कि महामारी से पहले भी, लाखों बच्चे और युवा श्रेष्ठ शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसरों की कमी महसूस कर रहे थे, क्योंकि उनके पास इंटरनेट की पहुंच नहीं थी। अब कोविड-19 ने स्थिति को बहुत बदतर बना दिया है।                


अमेरिकाः ट्रंप ने मेंंयरो को निशाना बनाया

वाशिंगटन डीसी। अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव से दो महीने पहले राष्ट्रपति और रिपब्लिकन के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने डेमोक्रेटिक शासित बड़े शहरों के मेयरों को निशाना बनाया है। उन्होंने कहा है कि इन शहरों में ही सबसे ज्यादा समस्याएं हैं। हम इन्हें हल करेंगे। ट्रम्प ने कहा, जनता इन शहरों में डेमोक्रेटिक पार्टी से सत्ता वापस ले। क्या जनता चाहेगी कि डेमोक्रेट्स देश चलाएं? करीब 80 प्रतिशत बड़े शहरों में डेमोक्रेटिक जबकि सिर्फ 20 प्रतिशत में रिपब्लिकन मेयर हैं। इन शहरों की आबादी 5 लाख से ज्यादा है।


बड़े शहरों में डेमोक्रेटिक पार्टी की निष्क्रियता के कारण समस्या बढ़ी


ट्रम्प और उनकी पार्टी की माने तो अमेरिका में गांव और छोटे शहरों में समस्याओं का अन्य कारण हो सकता है, लेकिन बड़े शहरों में डेमोक्रेटिक पार्टी की निष्क्रियता के कारण समस्याएं बढ़ी हैं। हालांकि मियामी, जैक्सनविले और फोर्ट वर्थ जैसे शहरों में रिपब्लिकन के मेयर हैं, लेकिन ट्रम्प ने कभी वहां की समस्याओं का जिक्र नहीं किया।


रिपब्लिकन नेता गांव की समस्याओं के लिए अधिकारियों को दोषी नहीं ठहराते


कई स्टडी में सामने आया है कि अपराध, टैक्स पॉलिसी, सोशल पॉलिसी जैसे मुद्दों पर दोनों दलों के मेयर का प्रभाव काफी कम रहा है। रिपब्लिकन नेता गांव की समस्याओं के लिए अधिकारियों को दोषी नहीं ठहराते। न ही डेमोक्रेटिक मेयरों को शहरी अपराध में एक चौथाई गिरावट का श्रेय देते हैं। हालांकि, डेमोक्रेटिक मेयर वाले केनोशा में 23 अगस्त को एक अश्वेत को पुलिस की गोली लगी थी। उसके बाद शहर भर में हिंसा भड़क गई। जगह-जगह आगजनी की घटनाएं हुईं।               


ट्रंप ने जनहित में खर्च धन पर लगाई रोक

वाशिंगटन डीसी। ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन को छह करोड़ डॉलर से ज्यादा बकाया राशि का भुगतान नहीं करेगा और बाकी धन वह संयुक्त राष्ट्र में अन्य मदों में देगा। बुधवार को इस बाबत की गई घोषणा के एक दिन पहले व्हाइट हास ने कहा था कि कोविड-19 के टीके के विकास एवं वितरण की डब्ल्यूएचओ की परियोजना में वह शामिल नहीं होगा।


दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस महामारी से निपटने के तरीके को लेकर डब्ल्यूएचओ से खफा हैं और संगठन पर चीन के अनुचित प्रभाव में होने का आरोप लगाते रहे हैं। इसीलिए उन्होंने डब्ल्यूएचओ को 2020 में देय राशि में से करीब 6.2 करोड़ डॉलर की राशि रोकने का फैसला किया।               


भारतीय सेना किसी भी चुनौती के लिए तैयार

नई दिल्ली/ बीजिंग। भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि भारत की सेनाएँ चीन की आक्रामक कार्रवाइयों को समुचित तरीक़े से संभालने में सक्षम है।


जनरल रावत ने भारत-अमरीकरा रणनीतिक सहयोग मंच की बैठक में पूर्वी लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में चीन के कथित तौर पर यथास्थिति बदलने के बारे में कहा कि इस मामले में भारत की नीति को अगर सेना और क्षेत्रीय प्रभाव का समर्थन ना मिले तो इसका मतलब ये मान लेना होगा कि इस क्षेत्र में चीन का दबदबा है। पूर्व सेनाध्यक्ष रावत ने कहा, "हाल के समय में, भारत देख रहा है कि चीन कई आक्रामक हरकतें कर रहा है, मगर हम इसे समुचित तरीक़ों से संभाल सकते हैं।"


उन्होंने साथ ही पाकिस्तान को भी चेतावनी दी कि वो वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी संकट का फ़ायदा उठाने की कोशिश ना करे क्योंकि भारत ऐसे किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए तैयार है। भारत और चीन के बीच ब्रिगेड कमांडर स्तर पर बातचीत इस सप्ताह शुरू हुई और अब भी जारी है। लेकिन अप्रैल-मई से भारत के लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी को लेकर शुरु हुए विवाद में कमी नहीं दिख रही।             


कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया

कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया पंकज कपूर  रुद्रपुर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलक...