बुधवार, 2 सितंबर 2020

सड़क हादसे में 5 युवकों की हुई मौत

वारंगल। तेलंगाना के दामेरा मंडल जिले में बुधवार तड़के एक कार के लॉरी से टकरा जाने के कारण पांच युवकों की मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि जिस वक्त हादसा हुआ उस वक्त पांच युवक कार में बैठकर वारंगल से मुलुगु जा रहे थे। पांचों युवक वारंगल जिले के पोचम्मा मैदान के रहने वाले थे। इनकी पहचान राकेश, चंदू, रोहित, सबीर और पवन के रूप में हुई है। पुलिस ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।                 


यूपीः 9 साल की बच्ची से किया रेप, हत्या

मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में लापता हुई नौ साल की बच्ची मृत मिली है। अधिकारियों ने कहा है कि पोस्टमार्टम की जांच में पुष्टि हुई है कि बच्ची की हत्या करने से पहले उसके साथ दुष्कर्म किया गया था। बच्ची सोमवार की शाम को लापता हो गई थी। मंगलवार को उसका शव मथुरा के देहरुआ गांव के बाहर मिला था। मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।


मथुरा के एसएसपी गुरावत ग्रोवर ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पीड़ित के प्राइवेट पार्ट में चोटें और ब्लड क्लॉट्स मिले हैं। मौत का कारण गले को दबाना बताया गया है। पुलिस के मुताबिक, लड़की रात 8 बजे के आसपास अपनी ही जितनी उम्र की एक अन्य लड़की के साथ पास की दुकान से कुछ सामान खरीदने गई थी, लेकिन वापसी में केवल दूसरी लड़की अकेले अपने घर लौट आई थी।

जब पीड़िता लगभग 10 बजे तक नहीं लौटी तो उसके पिता ने उसे खोजना शुरू किया। जब लड़की नहीं मिली तो उसने करीब आधी रात को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आईपीसी की धारा 363 के तहत एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसे लड़की का शव मिलने के बाद आईपीसी की धारा 302, 376 और पॉक्सो अधिनियम के तहत बदल दिया गया था।


पूछताछ करने पर पीड़ित लड़की के साथ दुकान गई लड़की ने मंगलवार को खुलासा किया कि उसके चाचा बनवारी (38) दोनों को अपनी बाइक पर अपने साथ ले गए थे। वापसी में उन्होंने उसे घर छोड़ा लेकिन पीड़िता को वह अपने साथ ले गया।             


मोदी शासन में बर्बाद हो गया है देश 'भारत'

अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने देश को बर्बाद कर दिया है और उसकी गलत नीतियों के करण हम हर मोर्चे पर कमजोर साबित हो रहे हैं। राहुल गांधी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, “देश आज मोदी निर्मित तबाही की चपेट में है। देश में आज जीडीपी -23.9 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट है। आज 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। बारह करोड़ नौकरियां चली गयी। राज्यों को उनके हिस्से के जीएसटी का बकाया नहीं दिया जा रहा है।’


उन्होंने ताज़ा घटनाओं को लेकर भी सरकार पर हमला किया और कहा, “हमारे यहां आज दुनिया में सबसे ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं और सबसे ज्यादा लोग मर रहे हैं। हमारी सीमा पर बाहरी ताकतें आक्रामक बनी हुई हैं।”             


1रुपये जुर्माना, सोलह आने ठीक ?

बहस का विषय इस समय यह है कि वकील प्रशांत भूषण अगर अपने आपको वास्तव में ही निर्दोष मानते हैं तो उन्हें बजाय एक रुपए का जुर्माना भरने के क्या तीन महीने का कारावास नहीं स्वीकार कर लेना चाहिए था ? सवाल बहुत ही वाजिब है। पूछा ही जाना चाहिए। प्रशांत भूषण ने भी अपनी अंतरात्मा से पूछकर ही तय किया होगा कि जुर्माना भरना ठीक होगा या जेल जाना ! प्रशांत भूषण के ट्वीटर अकाउंट पर सत्रह लाख फ़ालोअर्स के मुक़ाबले एक सौ सत्तर लाख से अधिक फ़ालोअर्स की हैसियत रखने वाले ‘चरित्र’ अभिनेता अनुपम खेर ने भी अपना सवाल ट्वीटर पर ही उठाया है :’एक रुपया दाम बंदे का ! और वह भी उसने अपने वकील से लिया !! जय हो !! ’। निश्चित ही लाखों लोग अब इसी तरह के सवाल प्रशांत भूषण से पूछते ही रहेंगे और उनका जीवन भर पीछा भी नहीं छोड़ेंगे। वे अगर चाहते तो जुर्माने या सजा पर कोई अंतिम फ़ैसला लेने से पहले पंद्रह सितम्बर तक की अवधि ख़त्म होने तक की प्रतीक्षा कर सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। हो सकता है वे न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के सेवा निवृत होने के पूर्व ही प्रकरण को समाप्त करना चाह रहे हों !


मैंने अपने हाल ही के एक आलेख (‘प्रशांत भूषण को सजा मिलनी ही चाहिए और वे उसे स्वीकार भी करें’) में गांधी जी से सम्बंधित जिस प्रसंग का उदाहरण दिया था उसे ताज़ा संदर्भ में दोहरा रहा हूँ। वर्ष 1922 में अंग्रेजों के ख़िलाफ़ अपने समाचार पत्र “यंग इंडिया ‘ में लेखन के आरोप में (तब ट्वीटर की कोई सुविधा नहीं थी) गांधी जी को अहमदाबाद स्थित उनके साबरमती आश्रम से गिरफ़्तार करने के बाद छह वर्ष की सजा हुई थी। गांधी जी तब आज के प्रशांत भूषण से ग्यारह वर्ष कम उम्र के थे। कहने की ज़रूरत नहीं कि वे तब तक एक बहुत बड़े वकील भी बन चुके थे। हम इस कठिन समय में न तो प्रशांत भूषण से गांधी जी जैसा महात्मा बन जाने या किसी अनुपम खेर से प्रशांत भूषण जैसा व्यक्ति बन जाने की उम्मीद कर सकते हैं।गांधी जी पर आरोप था कि वे विधि के द्वारा स्थापित सरकार के ख़िलाफ़ घृणा उत्पन्न करने अथवा असंतोष फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। अब इसी आरोप को प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ उनके द्वारा की गई सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना के संदर्भ में भी पढ़ सकते हैं। गांधी जी ने अपने ऊपर लगे आरोपों और अंग्रेज जज द्वारा दी गई छह वर्ष की सजा को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार कर लिया था।


प्रशांत भूषण को अगर सजा सिर्फ़ इतने तक सीमित रहती कि या तो वे एक रुपए का जुर्माना भरें या तीन महीने की जेल काटें तो निश्चित रूप से वे कारावास को प्राथमिकता देना चाहते। पर अदालत ने (क़ानून की व्याख्या और बार कौंसिल ऑफ इंडिया का हवाला देते हुए )जैसा कि कहा है प्रशांत भूषण अगर जुर्माना नहीं भरते हैं तो उन्हें तीन महीने की जेल के साथ ही तीन वर्ष के लिए वकालत करने पर प्रतिबंध भी भुगतना पड़ेगा। बातचीत का यहाँ मुद्दा यह है कि अंग्रेज जज एन. ब्रूफफ़ील्ड अगर गांधी जी की सजा के साथ यह भी जोड़ देते कि वे सजा के छह वर्षों तक सरकार के ख़िलाफ़ किसी भी प्रकार का लेखन कार्य भी नहीं करेंगे तो फिर महात्मा क्या करते ?


क्या यह न्यायसंगत नहीं होगा कि प्रशांत भूषण द्वारा एक रुपए का जुर्माना भरकर मुक्त होने के मुद्दे को करोड़ों लोगों की ओर से जनहित के मामलों में सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने से तीन वर्षों के लिए वंचित हो जाने की पीड़ा भुगतने से बच जाने के रूप में लिया जाए ? अनुपम खेर या उनके जैसे तमाम लोग इस मर्म को इसलिए नहीं समझ पाएँगे कि प्रशांत भूषण किसी फ़िल्मी अदालत में ‘अपने निर्देशकों’ द्वारा पढ़ाई गई स्क्रिप्ट नहीं बोलते। और न ही जनहित से जुड़ी किसी कहानी में भी स्क्रिप्ट की माँग के अनुसार नायक और खलनायक दोनों की ही भूमिकाएँ स्वीकार करने को तैयार बैठे रहते हैं।


प्रशांत भूषण का पूरे विवाद से सम्मानपूर्वक बाहर निकलना इसलिए ज़रूरी था कि नागरिकों की ज़िंदगी और उनके अधिकारों से जुड़े कई बड़े काम सुप्रीम कोर्ट से बाहर भी उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। बिना किसी अपराध के जेलों में बंद लोगों को इस समय उनकी क़ानूनी सहायता और सांत्वना की सख़्त ज़रूरत है, जो कि ट्वीटर हैंडल पर उनके ख़िलाफ़ ट्रोल करने वाले कभी प्रदान नहीं कर सकते।साथ ही इसलिए भी ज़रूरी था कि अब प्रशांत भूषण उन तमाम लोगों का अदालतों में बचाव कर सकेंगे, जो अपने सत्ता-विरोधी आलोचनात्मक ट्वीट्स या लेखन के कारण अवमाननाओं के आरोप झेल सकते हैं।


जिस तरह की परिस्थितियाँ इस समय देश में है उसमें तीन साल तक एक ईमानदार वकील के मुँह पर ताला लग जाना यथा-स्थितिवाद विरोधी कई निर्दोष लोगों के लिए लम्बी सज़ाओं का इंतज़ाम कर सकता था। किन्ही दो-चार लोगों के आत्मीय सहारे के बिना तो केवल वे ही सुरक्षित रह सकते हैं, जो शासन-प्रशासन की ख़िदमत में हर वक्त हाज़िर रहते हैं।प्रशांत भूषण को अगर जुर्माने और सजा के बीच फ़ैसला करते वक्त अपनी अंतरात्मा के साथ किंचित समझौता करना पड़ा हो तो भी उन्होंने करोड़ों लोगों की आत्माओं को अब और ज़्यादा आज़ादी के साथ साँस लेने की स्वतंत्रता तो उपलब्ध करा ही दी है।क्या हमारे लिए इतनी उपलब्धि भी पर्याप्त नहीं?                  


सरकार ने केंद्र से मांगे ₹2,241 करोड़

हल्द्वानी। मानो या न मानो उत्तराखंड राज्य भारी अर्थसंकट से गुजर रहा है। हालात यह हैं कि डबल इंजन की सरकार होने की वजह से राज्य केंद्र से खुलकर अपनी बकाया राशि की मांग भी नहीं कर पा रहा है। सरकारी आंकड़े के अनुसार जीएसटी से राज्य सरकार को 2,241 करोड़ की क्षतिपूर्ति केंद्र से होनी चाहिए जो वर्तमान में लंबित है। हालांकि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इस क्षतिपूर्ति को जल्द से जल्द से रिलीज किया जाए। आश्चर्य की बात यह है कि केंद्र सरकार यह क्षतिपूर्ति राज्य को लोन के रूप में देगी।                   


न्यूज पोर्टल को यूपी सरकार ने दी मान्यता

लखनऊ। उप्र सरकार द्वारा सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए वेब समाचार पोर्टल को मान्यता देते हुए सरकारी विज्ञापन भी जारी करने के आदेश दिए हैं। जिसमें सरकार द्वारा उ.प्र. सूचना विभाग के माध्यम से पोर्टल संचालकों से आवेदन मांगे गए हैं।


सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उप्र द्वारा वेब समाचार पोर्टलों को मान्यता देते हुए वेब मीडिया विज्ञापन सूची हेतु आवेदन पत्र का प्रपत्र जारी किया गया है। सूचना विभाग के अनुसार समाचार पोर्टल के रजिस्टेªशन में वही पोर्टल संचालक आवेदन कर सकते हैं। जिनके वेब समाचार पोर्टल पर प्रतिमाह 50 हजार से अधिक हिट्स होते हैं। वेब पोर्टल दो साल से लगातार चल रहा हो। वेबसाइट का नाम एवं आईपी एडेªस न बदला गया हो। पोर्टल के संपादक-मालिक आपराधिक प्रवृत्ति के न हों।


वेब पोर्टल पर प्रतिमाह 50 हजार से अधिक यूजर्स होने चाहिए। वेब पोर्टल संचालकों को प्रतिमाह सूचना विभाग को पोर्टल से संबंधित हिट्स एवं यूजर्स की आधिकारिक जानकारी देनी होगी। विज्ञापन की दरें पोर्टल के बीते छह के प्रदर्शन के आधार पर तय होंगी। इसमें हिट्स और यूजर्स की संख्या अहम भूमिका निभाएगी। इसमें सरकार द्वारा वेब पोर्टल को केवल डिस्पले विज्ञापन ही जारी किए जाएंगे। सूचना विभाग द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि वेब समाचार पोर्टल द्वारा किसी भी अन्य गलत तरीके से यदि हिट्स और यूजर्स बढ़ाए जाते हैं तो उसकी विज्ञापन की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। इसके साथ ही पोर्टल मान्यता के लिए स्वामी-संपादक को 100 रूपए के शपथ पत्र पर आवेदन करना होगा।


 

प्रेमी ने नाबालिक को बुलाया , गैंगरेप

कोटद्वार। उत्तराखंड की नाबालिग लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। कोटद्वार की रहने वाली नाबालिग लड़की से उत्तर प्रदेश में गैंगरेप करने वाले आरोपियों को पुलिस ने यूपी के बिजनौर जनपद से गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के मुताबिक आरोपी युवक बिजनौर जनपद थाना क्षेत्र के नगीना समस्तीपुर के रहने वाले हैं। आरोपियों में से एक युवक को नाबालिग का प्रेमी बताया जा रहा है जिससे युवती की लंबे समय से बातचीत चल रही थी।
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक घटना 28 अगस्त की है। कहा जा रहा है कि नाबालिग का प्रेमी बताए जाने वाले युवक ने पहले नाबालिग को बहला फुसलाकर कोटद्वार से नगीना बुलाया।

फिर नगीना में एक गन्ने के खेत में ले जाकर शारीरिक शोषण किया। इस दौरान युवती और उसके प्रेमी को कुछ युवकों ने गन्ने के खेत में पकड़ लिया। फिर तीन युवकों ने भी युवती का बलात्कार कर डाला।               

संवेदना का उत्तम दृष्टांत 'कहानी'

*आज का प्रेरक प्रसङ्ग*


         !! संवेदनशीलता !!


एक पोस्टमैन ने एक घर के दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा,”चिट्ठी ले लीजिये।” अंदर से एक बालिका की आवाज आई,”आ रही हूँ।” लेकिन तीन-चार मिनट तक कोई न आया तो पोस्टमैन ने फिर कहा,”अरे भाई! मकान में कोई है क्या,अपनी चिट्ठी ले लो।” लड़की की फिर आवाज आई,”पोस्टमैन साहब,दरवाजे के नीचे से चिट्ठी अंदर डाल दीजिए,मैं आ रही हूँ।” पोस्टमैन ने कहा,”नहीं,मैं खड़ा हूँ,रजिस्टर्ड चिट्ठी है,पावती पर तुम्हारे साइन चाहिये।” करीबन छह-सात मिनट बाद दरवाजा खुला। 


पोस्टमैन इस देरी के लिए झल्लाया हुआ तो था ही और उस पर चिल्लाने वाला था लेकिन दरवाजा खुलते ही वह चौंक गया, सामने एक अपाहिज कन्या जिसके पांव नहीं थे,सामने थी। पोस्टमैन चुपचाप पत्र देकर और उसके साइन लेकर चला गया। हफ़्ते, दो हफ़्ते में जब कभी उस लड़की के लिए डाक आती, पोस्टमैन एक आवाज देता और जब तक वह कन्या न आती तब तक खड़ा रहता। एक दिन कन्या ने पोस्टमैन को नंगे पाँव देखा। 


दीपावली नजदीक आ रही थी। उसने सोचा पोस्टमैन को क्या ईनाम दूँ। एक दिन जब पोस्टमैन डाक देकर चला गया,तब उस लड़की ने, जहां मिट्टी में पोस्टमैन के पाँव के निशान बने थे, उन पर काग़ज़ रख कर उन पाँवों का चित्र उतार लिया। अगले दिन उसने अपने यहाँ काम करने वाली बाई से उस नाप के जूते मंगवा लिये। दीपावली आई और उसके अगले दिन पोस्टमैन ने गली के सब लोगों से तो ईनाम माँगा और सोचा कि अब इस बिटिया से क्या इनाम लेना? 


पर गली में आया हूँ तो उससे मिल ही लूँ। उसने दरवाजा खटखटाया। अंदर से आवाज आई,”कौन?” पोस्टमैन,उत्तर मिला। बालिका हाथ में एक गिफ्ट पैक लेकर आई और कहा,”अंकल,मेरी तरफ से दीपावली पर आपको यह भेंट है।” पोस्टमैन ने कहा,”तुम तो मेरे लिए बेटी के समान हो,तुमसे मैं गिफ्ट कैसे लूँ?” कन्या ने आग्रह किया कि मेरी इस गिफ्ट के लिए मना नहीं करें।” ठीक है कहते हुए पोस्टमैन ने पैकेट ले लिया। बालिका ने कहा,”अंकल इस पैकेट को घर ले जाकर खोलना।


घर जाकर जब उसने पैकेट खोला तो विस्मित रह गया,क्योंकि उसमें एक जोड़ी जूते थे।उसकी आँखें भर आई। अगले दिन वह ऑफिस पहुंचा और पोस्टमास्टर से फरियाद की कि उसका तबादला फ़ौरन कर दिया जाए। पोस्टमास्टर ने कारण पूछा, तो पोस्टमैन ने वे जूते टेबल पर रखते हुए सारी कहानी सुनाई और भीगी आँखों और रुंधे कंठ से कहा,”आज के बाद मैं उस गली में नहीं जा सकूँगा। उस अपाहिज बच्ची ने तो मेरे नंगे पाँवों को तो जूते दे दिये पर मैं उसे पाँव कैसे दे पाऊँगा?”


शिक्षाः संवेदनशीलता का यह श्रेष्ठ दृष्टांत है। संवेदनशीलता… यानि,दूसरों के दुःख-दर्द को समझना,अनुभव करना और उसके दुःख-दर्द में भागीदारी करना,उसमें सम्मलित होना। यह ऐसा मानवीय गुण है जिसके बिना इंसान अधूरा है। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह हमें संवेदनशीलता रूपी आभूषण प्रदान करें।


दुनिया-भर में कोरोना का कहर जारी

नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर जारी है. दुनिया के 200 देशों में फैल चुके कोरोना वायरस 'कोविड 19' का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। दुनियाभर में अबतक कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 2.58 करोड़ तक पहुंच गया है। पिछले 24 घंटों में दुनिया में 2 लाख 57 हजार नए मामले सामने आए हैं और 5 हजार 846 लोगों की जान चली गई है। दुनियाभर में अबतक 2 करोड़ 58 लाख 89 हजार लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इसमें से 8 लाख 60 हजार 270 लोगों ने अपनी जान गंवाई है तो वहीं 1 करोड़ 81 लाख लोग ठीक भी हुए हैं। पूरी दुनिया में 68 लाख 58 हजार एक्टिव केस हैं यानी कि फिलहाल इतने लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है।             


पेट्रोल-डीजल के तेजी से बढ़ रहे है रेट

अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। पेट्रोल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। यह पिछले 2 हफ्ते में 1.65 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है। तेल कंपनियों ने सभी शहरों में पेट्रोल के दाम में इजाफा किया है। हालांकि डीजल के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है और वह पिछले एक महीने से स्थिर है। बुधवार (2 सितंबर) को दिल्ली में पेट्रोल 82.08 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है, वहीं मुंबई में 88.73 रुपये प्रति लीटर, चेन्नई में 85.04 रुपये प्रति लीटर और कोलकाता में 83.57 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है।


डीजल की बात की जाए तो दिल्ली में डीजल 73.56 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। मुंबई में डीजल 80.11, कोलकाता में डीजल 77.06 रुपये और चेन्नई में डीजल 78.86 रुपये बिक रहा है।


अन्य प्रमुख शहरों में पेट्रोल की कीमत (02 सितंबर, 2020)


आगरा- 82.06 रुपये/लीटर
अहमदाबाद- 79.46 रुपये/लीटर
इलाहाबाद- 82.32 रुपये/लीटर
औरंगाबाद- 89.89 रुपये/लीटर
बेंगलुरु- 84.75 रुपये/लीटर
भोपाल- 89.75 रुपये/लीटर
भुवनेश्वर- 82.64 रुपये/लीटर
चंडीगढ़- 78.96 रुपये/लीटर


अन्य प्रमुख शहरों में डीजल की कीमत (02 सितंबर, 2020)


आगरा- 73.51 रुपये/लीटर
अहमदाबाद- 79.11 रुपये/लीटर
प्रयागराज- 73.86 रुपये/लीटर
औरंगाबाद- 81.28 रुपये/लीटर
बेंगलुरु- 77.88 रुपये/लीटर
भोपाल- 81.26 रुपये/लीटर
भुवनेश्वर- 80.03 रुपये/लीटर
चंडीगढ़- 73.21 रुपये/लीटर


पेट्रोल की कीमत 2018 में पहुंची थी सबसे ऊपर


तेल कंपनियां पूरे देश में समान रूप से दाम बढ़ाती हैं लेकिन राज्यों में इन दोनों ईंधनों पर अलग अलग दर से बिक्री कर अथवा मूल्य वर्धित कर (वैट) लगने से खुदरा दाम अलग अलग होते हैं।             


जनपद में होम आइसोलेशन की अनुमति दी

अल्मोड़ा। कोविड—19 से संक्रमित रोगियों को अब अल्मोड़ा जिले में भी होम आइसोलेशन की सुविधा मिलेगी। बशर्ते रोगी लक्षणरहित हो और घर में होम आइसोलेशन की शर्तो के अनुसार सुविधा हो। यह बात जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने कही है। जिला अधिकारी ने मंगलवार को स्वास्थ्य महकमे की बैठक लेते हुए यह बात कही। उन्होंने जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या में बढ़ोत्तरी को देखते हुए स्वास्थ्य महकमे को सावधान किया है और पहले से अधिक सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।
बैठक में जिलाधिकारी ने बताया कि शासन द्वारा जारी दिशा—निर्देशों के अनुसार होम आइसोलेशन के लिए कोविड—19 से संक्रमित रोगी को चिकित्सक की अनुमति लेना जरूरी है। उपचार प्रदान करने वाले चिकित्सक द्वारा होम आइसोलेशन के लिए पात्र व्यक्ति को लक्षणरहित रोगी के रूप मे चिन्हित किया होना चाहिए। इसके अलावा घर में रोगी की 24 घंटे देखभाल करने वाला तीमारदार उपलब्ध हो। रोगी के निवास पर स्वयं को आइसोलेट करने एवं परिजनों को कोरेन्टीन करने की सुविधा हो। घर मे रोगी के लिए एक अलग से शौचालय युक्त कक्ष होना भी अनिवार्य है। तभी होम आइसोलेशन की सुविधा दी जा सकती है। जिलाधिकारी ने बताया कि होम आइसोलेट व्यक्ति को आइसोलेशन अवधि के दौरान चिकित्सालय से सम्पर्क बनाये रखना होगा और 60 साल से अधिक उम्र के रोगी, किसी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति, गर्भवती महिला, 10 साल से कम उम्र के बच्चे, एचआईवी ग्रसित, अंग प्रत्यारोपित किया व्यक्ति तथा कैंसर का उपचार करा रहा रहे कमजोर व्यक्तियों को होम आइसोलेशन की अनुमति नहीं दी जायेगी।
उन्होंने यह भी बताया कि अगर कोई कोरोना पाॅजिटिव व्यक्ति स्वंय के खर्चे पर होटल में आइसोलेट होना चाहता है, तो उसे होटल में आइसोलशन की अनुमति दी जाएगी बशर्ते उसे गाईडलाइन का पूर्ण पालन करना होगा। बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि कान्टेक्ट ट्रैसिंग पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है और सैंपलिग को और बढाकर संक्रमण को रोका जा सकता है।           


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण




यूनिवर्सल एक्सप्रेस   (हिंदी-दैनिक)









 सितंबर 3, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-20 (साल-02)
2  बृहस्पतिवार, अगस्त 3, 2020
3. शक-1943, अश्विन, कृृष्ण-पक्ष, श्राद्ध पक्ष, तिथि- प्रतिपदा, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:28, सूर्यास्त 07:10


5. न्‍यूनतम तापमान 23+ डी.सै.,अधिकतम-36+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेगी।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7. स्वामी, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहींं है।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।


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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  1. अंक-161, (वर्ष-11) पंजीकरण:- UPHIN/2014/57254 2. शनिवार, मार्च 30, 2024 3. शक-1945, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-षष्ठी,...