मंगलवार, 1 सितंबर 2020

हाईकोर्ट ने परीक्षा को लेकर दिया बयान

मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने सोमवार को केंद्र सरकार सहित उत्तरदाताओं को निर्देश दिया कि वे अपने इस फैसले पर विचार करें कि क्या बाढ़ग्रस्त इलाकों में रहने वाले छात्रों के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई-मेन्स) स्थगित की जा सकती है क्योंकि वे परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने में असमर्थ हैं। अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, जेईई और अन्य परीक्षा का संचालन करने वाली राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति रवि देशपांडे और पुष्पा गनेदीवाला की खंडपीठ ने मंगलवार सुबह 8.30 बजे के लिए सुनवाई तय की है क्योंकि परीक्षा सुबह 9 बजे से शुरू होगी।


न्यायधीशों ने कहा, ‘परीक्षा एक सितंबर को सुबह नौ बजे से शुरू होनी है और इसलिए मामला आवश्यक है। इसलिए हमने रजिस्ट्री (न्यायिक) द्वारा, सरकारी वकील और भारत के सहायक महाधिवक्ता (एएसजीआई) को सूचना के साथ जनहित याचिका में इस मुद्दे को उठाने के लिए एक आदेश पारित किया।’
उच्च न्यायालय ने भंडारा में रहने वाले छात्र नितेश बावनकर के पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया जिसने नागपुर, अमरावती, अकोला, भंडारा, चंद्रपुर, गोंदिया और गढ़चिरौली जिलों के छात्रों को होने वाली समस्याओं पर प्रकाश डाला था। ये जिले पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश और बाढ़ की मार झेल रहे हैं।
इन जिलों में कई शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से बांधों से पानी छोड़ने के कारण बाढ़ आ गई है, इसमें गोसीखुर्द भी शामिल है।
यहां सरकार द्वारा राहत और बचाव का कार्य जारी है। उच्च न्यायालय ने नागपुर नगर निगम (एनएमसी) आयुक्त के साथ उत्तरदाताओं के रूप में सभी पांच जिलों के कलेक्टरों को भी जोड़ा और उन्हें मंगलवार तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
पीठ ने कहा, ‘हमें यह सूचित किया गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत, एक क्षेत्र में कलेक्टर, जो एक नगर निगम नहीं है, किसी विशेष केंद्र में परीक्षा आयोजित करने या स्थगित करने का निर्णय ले सकता है।
यदि क्षेत्र नगर निगम द्वारा कवर किया जाता है, तो अधिनियम के तहत प्राधिकरण नागरिक प्रमुख है।           


डॉ कफील को तुरंत रिहा करेंः हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर कफील खान को दी जमानत…तत्काल रिहा करने को कहा।
 बृजेश केसरवानी


प्रयागराज। गोरखपुर के डॉक्टर कफील खान के ऊपर से एनएसए हटाने का आदेश दिया गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एनएसए हटाने का आदेश जारी करते हुए डॉक्टर कफील खान को तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया है।बता दें कि डॉ. कफील पर एनएसए लगाने को चुनौती दी गई थी।डॉ कफील की मां नुजहत परवीन की ओर से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गई थी।
दरअसल, डॉ कफील पर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर भड़काऊ भाषण देने के मामले में एनएसए के तहत कार्रवाई की गई थी। डीएम अलीगढ़ ने नफरत फैलाने के आरोप में डॉ. कफील पर एनएसए लगाया था। पिछले कई महीनों से कफील खान मथुरा जेल में बंद हैं।
क्या है हाई कोर्ट का आदेश
फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि अलीगढ़ डीएम की ओर से 13 फरवरी, 2020 को पारित आदेश (एनएसए की कार्रवाई) गैरकानूनी है।कफील खान को हिरासत में लेने की अवधि का विस्तार भी अवैध है।डॉ. कफील खान को तुरंत रिहा करने का आदेश जारी किया जाता है।
6 महीने से जेल में
डॉ. कफील खान की हिरासत को हाल में 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई थी। पिछले करीब 6 महीने से एनएसए के तहत कफील खान मथुरा जेल में बंद हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 की धारा 3 (2) के तहत 13 फरवरी 2020 को कफील खान को अलीगढ़ जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर निरुद्ध किया गया है।                    


पीएम का डिजिटल मीडिया मैनेजमेंट फेल ?

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘Mann ki Baat’ को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Youtube पर पसंद से ज्यादा नापसंद किया गया है। यह पहली बार है जब PM Modi का कोई कार्यक्रम रिकॉर्ड तोड़ dislike किया गया हो। इससे पहले बीजेपी की IT Cell मैनेज कर लेती थी लेकिन इस बार यह संख्या इतनी है कि संभवतः मैनेज नहीं हो पा रहा हो।


पीएम के यूट्यूब अकाउंट पर 30 अगस्त, 2020 के ‘Prime Minister Narendra Modi’s Mann Ki Baat with the Nation’ के प्रोग्राम को 31 अगस्त शाम 07 बजकर 30 मिनट तक 65 हजार लोगों ने जहां पसंद किया था, वहीं 2 लाख से अधिक लोगों ने इसे नापसंद कर दिया है। यानी कार्यक्रम को पसंद करने वालों से तीन गुना से अधिक लोगों ने शो की इस कड़ी को नापसंद कर दिया। खबर लिखे जाने तक यहां इस शो को 11 लाख दर्शक मिल चुके थे।              


प्रधानमंत्री-रक्षामंत्री ने श्रद्धांजलि अर्पित की

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अंतिम सफर पर, पीएम मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ, तीनों सेना प्रमुख समेत अन्य नेताओं ने दी श्रद्धांजलि…


नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को उनके आवास 10, राजाजी मार्ग स्थित आवास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि दी।इसके अलावा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने प्रणब दा को श्रद्धांजलि दी।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आज अंतिम विदाई दी जाएगी।दोपहर करीब ढाई बजे दिल्ली के लोधी रोड श्मशान घाट में पूर्व राष्ट्रपति को अंतिम संस्कार होगा।इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान (10, राजाजी मार्ग, नई दिल्ली) पर रखा गया है।
बता दें कि 21 दिन तक सैन्य अस्पताल में भर्ती रहने के बाद सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी का निधन हो गया था। उनके दिमाग में बने खून के थक्के को हटाने के लिए उनकी ब्रेन सर्जरी की गई थी, जिसके बाद से ही वो अस्पताल में वेंटिलेटर पर थे।मुखर्जी को बाद में फेफड़े में संक्रमण हो गया था। उनके निधन के बाद केंद्र सरकार ने 7 दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।
पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी को दिल्ली छावनी स्थित अस्पताल में गत 10 अगस्त को भर्ती कराया गया था और उसी दिन उनके मस्तिष्क में जमे खून के थक्के को हटाने के लिए उनकी सर्जरी की गई थी। मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति थे।


ऐलानः छत्तीसगढ़ में 7 दिन राजकीय शोक

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन: छत्तीसगढ़ में 7 दिन के राजकीय शोक का ऐलान…


सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर दी जानकारी।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर राज्य शासन ने 31 अगस्त से 6 सितम्बर तक पूरे राज्य में सात दिवस का राजकीय शोक घोषित किया है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया- पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न श्री प्रणब मुखर्जी के निधन पर राज्य शासन द्वारा 31 अगस्त से 6 सितम्बर तक पूरे राज्य में सात दिवस का राजकीय शोक घोषित किया गया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को उनके आवास पर श्रद्धांजलि दी।                   


'पत्रकारों' को ब्लैकमेलर कहने पर याचिका

पत्रकारों को ब्लैकमेलर कहने पर सांसद मेनका गांधी के खिलाफ कोर्ट में याचिका,गांधी की मुश्किलें बढ़ना तय  


नई दिल्ली। बीजेपी सांसद मेनका गांधी द्वारा पत्रकारों को ब्लैकमेलर कहने पर उनके खिलाफ मानहानि समेत विभिन्न धाराओं में याचिका दाखिल की गई है। दरअसल भरी सभा में मीडिया वालों को ब्लैकमेलर कहा जाना एक पत्रकार को अखर गया।इसके बाद अधिवक्ता एवं पत्रकार राजेश मिश्रा ने उनके खिलाफ अवमानना समेत कई धाराओं में केस दर्ज करवाया है। इस मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट के जज पीके जयंत ने सुनवाई की तिथि मुकर्रर कर दी है। दरअसल, अपने पिछले दौरे पर कथित तौर पर एक स्थानीय व्यवसायी और भाजपा नेत्री द्वारा सांसद मेनका गांधी के पत्रकारों के खिलाफ कान भरने के बाद उन्होंने एक कार्यक्रम में विवादित बयान दिया था। जिसके बाद स्थानीय न्यायालय में परिवाद दर्ज कर लिया गया। याचिका स्वीकार किए जाने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांंसद मेनका गांधी की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है।


याची अधिवक्ता एवं पत्रकार राजेश मिश्रा ने अपनी याचिका में कहा है कि सांसद ने विगत 10 अगस्त को दूबेपुर ब्लॉक में आयोजित जिला एवं निगरानी समिति की बैठक में यह बयान दिया कि स्थानीय पुलिस द्वारा आम आदमी को मास्क लगाने के लिए जबरन न कहा जाए। वह मरे तो हमारी बला से। इसी बैठक में मेनका गांधी ने यह बयान भी दिया कि लॉकडाउन के दौरान हॉट स्पॉट की स्थिति में व्यावसायिक गतिविधियां चलने पर पत्रकार द्वारा खबर बनायी जाती है।उसके बाद व्यापारी को ब्लैकमेल किया जाता है। पत्रकार ब्लैकमेलर होते हैं। उक्त कार्यक्रम में जिलाधिकारी सी. इंदुमती, पुलिस अधीक्षक शिव हरी मीणा समेत निगरानी समिति से सम्बंधित अधिकारी और मीडिया से जुड़े लोग भी मौजूद थे।
बढ़ सकती हैं मुश्किलें


अधिवक्ता एवं पत्रकार राजेश मिश्रा ने श्रीमती गांधी के इस बयान को आधार बनाते हुए अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए अदालत में मानहानि समेत विभिन्न धाराओं में याचिका दाखिल की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है।इस याचिका के स्वीकार होने से श्रीमती गांधी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। अदालत में याचिका स्वीकार होने की खबर के बाद राजनैतिक गलियारे में हलचल मची हुई है। जिले में तरह तरह की चर्चा व कयासों का सिलसिला चल पड़ा है।             


फैसलाः ट्यूशन फीस ही ले पाएंगे 'स्कूल'

नई दिल्ली।  दिल्ली के निजी स्कूल कोविड-19 की अवधि के दौरान केवल ट्यूशन फीस ही लेंगे। लॉकडाउन और किसी अन्य मद के तहत चार्ज नहीं लेंगे। इसके साथ ही वे लॉकडाउन की समाप्ति के बाद मासिक आधार पर वार्षिक और विकास शुल्क आनुपातिक रूप से वसूल सकेंगे। यह निर्देश दिल्ली के शिक्षा विभाग ने सोमवार को ऑर्डर जारी कर दिया। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने इस फैसले को प्राइवेट स्कूलों के छात्रों-अभिभावकों के हित में अरविंद केजरीवाल सरकार का बड़ा फैसला बताया है।


मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि प्राइवेट स्कूलों को आदेश है कि कोई भी स्कूल ट्यूशन फ़ीस के अलावा कोई अन्य फ़ीस चार्ज न करे। जिसने छात्रों से ट्यूशन फ़ीस के अलावा कोई अन्य फ़ीस ली है उसे आने वाले महीनो में ऐडजस्ट करना होगा। इससे पहले 17 और 18 अप्रैल को दिल्ली सरकार ने निर्देश दिया था, अब दिल्ली सरकार के ताजा आदेश से निजी स्कूलों को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।             


डीएम ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की

डीएम ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की पंकज कपूर  नैनीताल/हल्द्वानी। उच्च न्यायालय उत्तराखंड द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में नैनीताल ...