बुधवार, 19 अगस्त 2020

मेघालय में संक्रमित संख्या 1,454 हुई

शिलांंग। आज बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 36 नए मामले सामने आने के साथ ही राज्य में संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 1,454 तक पहुंच गई। नए मामलों में 20 सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। स्वास्थ्य सेवा निदेशक अमन वार ने कहा कि संक्रमण के नए मामलों में से पूर्वी खासी हिल्स में 24, पश्चिमी गारो में सात, री-भोई में तीन और पूर्वी जंतिया हिल्स और दक्षिण पश्चिमी गारो हिल्स में एक-एक मामला सामने आया। उन्होंने कहा, '' नए मरीजों में सीमा सुरक्षा बल के 13 कर्मी और अन्य सशस्त्र बलों के सात कर्मचारी भी शामिल हैं।'' निदेशक के मुताबिक, चार लोगों को संक्रमणमुक्त होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, जिसके साथ ही अब तक 683 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। राज्य में अब तक छह मरीजों की इस घातक वायरस के कारण मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि मेघालय में फिलहाल 765 मरीज उपचाराधीन हैं। राज्य में अब तक 43,870 नमूनों की जांच की जा चुकी है।                                


झारखंड में कोरोना ने तोड़े सभी रिकॉर्ड

रांची। झारखंड में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले लगातार सामने आ रहे हैं। बुधवार को कोरोना वायरस ने प्रदेश में अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। 19 अगस्‍त को राज्य में 1266 नए कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं। इसके साथ ही झारखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 25 हजार के पार हो गई है। जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को सबसे ज्यदा रांची और पूर्वी सिंहभूम जिले में कोरोना मरीज मिले हैं। पूर्वी सिंहभूम में 360 तो रांची जिले में 426 पॉजिटिव केस मिले हैं।                                     


धूल और मलबे के बीच से गुजरेगी 'पृथ्वी'



धूल के गुबार और मलबे से भरे रास्ते से कोई भी गुज़रना नहीं चाहेगा। लेकिन कभी-कभी ऐसा कर के आप अचम्भे में पड़ सकते हैं। अगस्त के मध्य में अपनी धुरी पर घूमती पृथ्वी ब्रह्मांडीय मलबे और धूल के बीच से हो कर गुज़रेगी और इस दौरान आसमान रोशनी से जगमगा उठेगा। आसमान में उल्का पिंडों की बौछार, यानी शूटिंग स्टार की शानदार प्रदर्शन देखने का ये अहम मौक़ा होगा और अगर आपकी किस्मत ने साथ दिया तो आपको फायर-बॉल भी दिखेगा।





क्या है परसिड्स? स्विफ्ट-टर्टल नाम का धूमकेतु पृथ्वी की तरह सूरज के चारों तरफ चक्कर काटता है, लेकिन ये चक्कर काटते वक़्त एक ख़ास तरह का एंगल बनाता है। लंदन के ग्रीनविच में मौजूद रॉयल म्यूज़ियम से जुड़े खगोल विज्ञानी एडवर्ड ब्लूमर कहते हैं, "हर साल सूरज के चारों तरफ घूमती हुई पृथ्वी इस धूमकेतु की कक्षा से हो कर जाती है और इस दौरान वो इसके मलबे और धूल की गवाह बनती है।




बर्फ के टुकड़ों, धूल, चावल के दाने के जितने पत्थर के टुकड़ों से भरा ये ब्रह्मांडीय मलबा पृथ्वी के वायुमंडल की ऊपरी परत में प्रवेश करते हैं। ब्लूमर कहते हैं, "वायुमंडल में प्रवेश करते ही ये टुकड़े घर्षण के कारण जलने लगते हैं, भले ही कुछ सेकंड के लिए ये नज़ारा अद्भुत होता है। वो कहते हैं, "परसिड्स उल्का पिंड का बौछार इसलिए ख़ास है क्योंकि ये तय समय पर होता है। जुलाई के आख़िर से ही ये दिखवने लगता है और अगस्त में मध्य में अपने पीक पर पहुंचता है। आप इसे बिना किसी ख़ास चश्मे के आंखों से देख सकते हैं और आप लगातार कई दिनों तक रात के आकाश में इसका मज़ा ले सकते हैं। क्या पता किस रात आपको कुछ ख़ास रोशनी का जलवा दिख जाए। ब्लूमर कहते हैं कि कभी-कभी धूमकेतु का कोई बड़ा हिस्सा भी आपको दिख सकता है और "अगर आप लकी हुए तो आपको फायर बॉल भी दिख सकता है। वो कहते हैं कि दो साल की कोशिशों के बाद वो फायर बॉल की एक झलक पाने में कामयाब हुए थे।




लेकिन उल्का पिंडों को देखने के लिए इतना उत्साह?





ब्लूमर कहते हैं, "बिल्कुल होना ही चाहिए। घर की बत्तियां बुझाइए और कहीं खुले में जा कर इसका आनंद लीजिए।परसिड्स प्राकृति की आतिशबाज़ी की तरह है, और ये आतिशबाज़ी अपने आप में शानदार होती है और कभी-कभी घंटे भर में आपको सौ तक उल्का पिंड दिखते हैं। ये उल्का पिंड 215,000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं लेकिन फिर भी ये धरतीवासियों के लिए किसी तरह का ख़तरा नहीं हैं। ब्लूमर कहते हैं, "खुद के लिए थोड़ा वक्त निकालिए, एक खुली जगह पर चीदर बिछाइए और आसमान को निहारिए।आतिशबाज़ी का ये नज़ारा आपका तनाव भी कम कर देगा।





परसिड्स का मज़ा कैसे लें?




खगोल विज्ञानी एडवर्ड ब्लूमर कहते हैं- आसमान में पूर्व और उत्तर पूर्व की तरफ देखें। अगर आप नक्षत्रों को जानते हैं तो कैसियोपिया नक्षत्र के नज़दीक परसिड्स को ढूंढें। अगर आप इसे नहीं ढूंढ पातो इसके लिए मोबाइल एप की मदद लें।





कोरोना महामारी से पहले तारे देखना थोड़ा आसान था, लेकिन अब भी सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए आप ऐसा कर सकते हैं। जहां से आप आकाश देखना चाहते हैं उस जगह की तलाश शाम से ही कर लें। वहां चादर बिछाएं और आराम से रात होने का इंतज़ार करें। आसपास लाइटें हों तो बंद कर दें, अपने मोबाइल फ़ोन को भी बंद करे या फिर लाइट पॉल्यूशन करने वाली कोई और चीज़ आसपास हो तो उसे बंद करें। अब प्रकृति के अद्भुत नज़ार का आनंद लें। आपको घंटे भर में क़रीब सौ उल्का पिंड तो दिखेंगे ही, हो सकता है कि आपको फायर बॉल भी दिख जाए।


परसिड्स का नाम क्यों है ख़ास?





ब्लूमर बताते हैं, "उल्का पिंड की ये बौछार परसियस नक्षत्र से आती दिखती है इस कारण इसे परसिड्स कहते हैं। लेकिन इस तरह की बौछार पहले भी कई अलग-अलग संस्कृतियों में देखी गई है। कैथोलिक परंपरा में रोम शहर के सात अहम चर्च अधिकारियों में से एक लॉरेन्टियस की याद में इसे 'टीयर्स ऑफ़ सेंट लॉरेन्स' यानी संत लॉरेन्स के आंसू कहा गया है। 258 ईस्वी में रोमन्स ने जिन ईसाईयों को मार दिया था उनमें से एक संत लॉरेन्टियस भी थे। कहा जाता है कि 10 अगस्त को इस संत को मारने के लिए उन्हें ज़िंदा आग के ऊपर रख दिया गया था। भूमध्यसागरीय इलाक़ों में प्रचलित लोककथाओं की मानें तो साल के इस दौरान दिखने वाले उल्का पिंड उसी आग के निशान हैं जो आसमान में बिखरते दिखते हैं। लेकिन रोमन से पहले पर्शिया, बेबीलोन, मिस्र, कोरिया और जापान में ऐसे सही खगोलीय रिकॉर्ड मिले हैं जो उल्का पिंडों की बौछार के बारे में विस्तार से बताते हैं। माना जाता है कि परसिड्स के नज़ारे का सबसे पहला उल्लेख चीन के हान राजवंश के दौर में मिलता है। 36 ईस्वी के उस दौर खगोल शास्त्रियों ने लिखा था कि पूरी रात आकाश में "सौ से अधिक उल्का पिंड देखे गए थे।               




जमीर इजराइल को स्वीकार नहीं करेगा



इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने इसराइल के साथ द्विपक्षीय रिश्ते स्थापित करने की किसी भी संभावना होने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि उनका ज़मीर कभी इसराइल को स्वीकार नहीं कर सकता। हाल ही में इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच ऐतिहासिक समझौते के संदर्भ में उन्होंने यह बात की। दोनों देशों ने सामान्य द्विपक्षीय रिश्ते बहाल कर दिए हैं।






पाकिस्तान के एक निजी चैनल 'दुनिया' को दिए इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने इसराइल को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, "इसराइल पर हमारा रुख़ एकदम साफ़ है। पाकिस्तान इसराइल को मान्यता नहीं दे सकता। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा, "क़ायद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना ने 1948 में साफ़ कर दिया था कि हम इसराइल को तब तक तस्लीम नहीं कर सकते जब तक कि फ़लस्तीनियों को उनका हक़ नहीं मिलता। फ़लस्तीनियों की टू नेशन थ्योरी थी कि उन्हें उनका देश मिले। यह फ़ैसला होने से पहले ही अगर हम इसराइल को स्वीकार कर लेते हैं तो कश्मीर की भी ऐसी ही स्थिति है, हमें वो मुद्दा भी छोड़ देना चाहिए। इसलिए पाकिस्तान कभी इसराइल को स्वीकार कर नहीं कर सकता।






इमरान ख़ान ने कहा, "इंसान अल्लाह को जवाबदेह है। आप जब इसराइल और फ़लस्तीन की बात करते हैं, तो सोचना चाहिए कि हम अल्लाह को क्या जवाब देंगे। जिन लोगों पर हर क़िस्म की ज़्यादतियां हुई हैं, जिनके सारे हक़ छीन लिए गए, क्या हम उनको यूं ही बेसहारा छोड़ सकते हैं? मेरा तो ज़मीर ऐसा करने के लिए कभी नहीं मानेगा। मैं इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता।             




शिक्षा मंत्रालय को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली



नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने को मंजूरी दे दी है। यह जानकारी एक आधिकारिक अधिसूचना में दी गयी है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के मसौदे में मंत्रालय का नाम बदलने समेत कई अहम सिफारिशें की गई थीं। पिछले ही महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस नीति को मंजूरी दी थी। सोमवार रात प्रकाशित गजट अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने को मंजूरी दे दी है। अधिसूचना के अनुसार, अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्थान पर शिक्षा मंत्रालय लिखा जाएगा। शिक्षा मंत्रालय का नाम 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया था। इसके अगले साल एनईपी लायी गई थी और उसे 1992 में संशोधित किया गया था। पी वी नरसिम्हा राव, राजीव गांधी मंत्रिमंडल में पहले मानव संसाधन विकास मंत्री बने थे।               



बिना संसद चलें, देश कैसे चल रहा है ?

मोदी सरकार बिना संसद चलाए देश कैसे चला रही है? - पूर्व जज जस्टिस एपी शाह


नई दिल्ली। कोविड महामारी के समय हमारी संसद न सिर्फ़ बंद रही बल्कि उसने लोगों का नेतृत्व भी नहीं किया। मनमाने तरीक़े से काम करने की सरकार को अब छूट मिल गई है। उनके ख़िलाफ़ सवाल उठाने का कोई भी संस्थागत तरीक़ा अब नहीं बचा है। ये कहना है पूर्व जज जस्टिस एपी शाह का जिन्होंने रविवार यानी 16 अगस्त से शुरू हुए छह दिवसीय जनता संसद में ये बातें कही।


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देश के कई सामाजिक संगठनों और एकेडमिशियन ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया है। इसमें लोग ऑनलाइन हिस्सा ले सकते हैं। कोरोना महामारी की वजह से संसद के बजट सत्र की अवधि कम कर दी गई है। संसदीय समिति दो महीने से काम नहीं कर रही और संसद का मॉनसून सत्र भी जुलाई के मध्य से शुरू होना चाहिए था लेकिन नहीं हो सका है। इस कार्यक्रम के आयोजकों का मानना है कि कोरोना महामारी की वजह से चूंकि संसद नहीं चल रही है इसलिए सरकार से जवाबदेही मांगना कठिन हो गया है। इस मक़सद से ही वर्चुअल जनता संसद का आयोजन किया गया है। जनता संसद के उद्घाटन सत्र में जस्टिस एपी शाह, सामाजिक कार्यकर्ता सैयदा हमीद, सोनी सोरी और गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवानी ने हिस्सा लिया।


ऑनलाइन क्यों नहीं चल सकती संसद?


जस्टिस एपी शाह ने इस मौक़े पर कहा, "संसद का बजट सत्र जनवरी में हुआ था। उसके बाद कोविड के कारण यह फ़ैसला लिया गया कि संसद को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाएगा लेकिन इस संकट के वक़्त भी कई दूसरे देशों में हमने संसद को काम करते देखा है। कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों की संसद ने अपने काम करने के तरीक़ों में बदलाव करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए सत्र आयोजित किए हैं। कुछ देशों में इंटरनेट के माध्यम से वोट करके यह भी निश्चित किया गया है कि संसद की कार्यवाही चलती रहे।


"फ़्रांस, इटली, और चिली जैसे देशों में संसद की कार्यवाही चलाई गई है। स्पेन जैसा देश जहाँ पर महामारी का असर ज़्यादा है, वहाँ संसद की कार्यवाही जारी है। मालदीव में एक सॉफ़्टवेयर की मदद से वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग कर संसद का काम चल रहा है। वहाँ के स्पीकर ने कहा है कि संसद अपने लोगों का प्रतिनिधित्व करना कभी ख़त्म नहीं कर सकती फिर चाहे महामारी का वक़्त ही क्यों न हो।         


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस   (हिंदी-दैनिक)



 अगस्त 20, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-06 (साल-02)
2. बृहस्पतिवार, अगस्त 20, 2020
3. शक-1943, भाद्रपद, शुुुक्ल-पक्ष, तिथि- दूज, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:27, सूर्यास्त 07:12


5. न्‍यूनतम तापमान 23+ डी.सै.,अधिकतम-35+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेगी।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
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कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया

कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया पंकज कपूर  रुद्रपुर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलक...