मंगलवार, 4 अगस्त 2020

नीति से नहीं अच्छी नियत से सुधरेगी शिक्षा

अजीत द्विवेदी


नई दिल्ली। लंबे इंतजार के बाद नई शिक्षा नीति का मसौदा सरकार ने मंजूर किया। अब इस नीति के आधार पर सरकार कानून बनाएगी और जहां जरूरी होगा वहां पुराने कानूनों को बदला जाएगा। अभी नई शिक्षा नीति सिफारिश के स्तर पर ही है, जिसे कानूनी दस्तावेज नहीं बनाया गया है इसलिए अभी से यह अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि अंत में यह किस रूप में सामने आएगा। यह भी अभी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि सरकार इसमें से किस सिफारिश को किस अंदाज में कानूनी रूप देगी। ऊपर से शिक्षा को भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में रखा गया है, जिसका मतलब है कि इससे जुड़ी नीतियां बनाने में राज्य सरकारों की भी भूमिका होती है और कई राज्य सरकारों ने अभी से सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।


इससे कोई असहमत नहीं हो सकता है कि भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य ये दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें सुधार सबसे ज्यादा जरूरी है। पर यह सुधार कैसे होगा? क्या सिर्फ नीति बना देने से शिक्षा में बदलाव आ जाएगा? शिक्षा में बदलाव लाने के लिए नीति से ज्यादा नीयत की जरूरत है और सबसे ज्यादा संदेह उसी को लेकर है। नीयत का बड़ा सवाल तो इसी बात को लेकर है कि, जिस नीति पर पिछले पांच साल से विचार हो रहा था और मसौदा दस्तावेज सौंपे जाने के बाद भी एक साल तक इस पर फैसला नहीं हुआ उसे एक वैश्विक महामारी के बीच स्वीकार किया गया है। सरकार की नीयत पर संदेह को सिर्फ एक उदाहरण से समझा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने जिस नई शिक्षा नीति के मसौदे को मंजूर किया है उसमें चार साल के डिग्री कोर्स का प्रावधान है। इसके साथ ही मल्टीपल एक्जिट-एंट्री की बात कही गई है, जिसे बड़ी बात के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। महज पांच-छह साल पहले भाजपा ने इसी नीति का पुरजोर विरोध किया था।


इस देश में लोगों की याद्दाश्त इतनी कमजोर है कि किसी को यह बात याद नहीं है कि सात साल पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में चार साल के डिग्री कोर्स की सिफारिश की गई थी। तब भाजपा ने इस नीति का पुरजोर विरोध किया था और 2014 के लोकसभा चुनाव में वादा किया था कि उसकी सरकार बनी तो वह चार साल के डिग्री कोर्स को खत्म कर देगी। केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के थोड़े दिन बाद ही यह प्रस्ताव वापस भी हो गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के उस समय के कुलपति दिनेश सिंह ने चार साल का जो डिग्री कोर्स लागू किया था, उसमें दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन साल के बाद डिग्री और चार साल के बाद ऑनर्स के साथ डिग्री देने का प्रावधान था। यह भी प्रावधान था कि जो छात्र चार साल में डिग्री लेंगे वे एक साल में पोस्ट ग्रेजुएट कर सकेंगे। भाजपा की जिद के कारण जून 2015 में यह प्रस्ताव वापस हुआ था और उसके ठीक पांच साल के बाद उसी नीति को हूबहू लागू किया जा रहा है। क्या इससे नीयत का सवाल नहीं पैदा होता है? जो नीति पांच-छह साल पहले बहुत खराब थी वह आज कैसे बहुत अच्छी हो गई?


नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि शिक्षा का खर्च बढ़ाया जाएगा और सरकार जीडीपी का छह फीसदी शिक्षा पर खर्च करेगी। यह बहुत अस्पष्ट सी बात है। मौजूदा सरकार के पिछले छह साल के कार्यकाल में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है, जिससे यह लगे कि सरकार शिक्षा पर खर्च बढ़ाने जा रही है। उलटे शोध पर होने वाले खर्च में और छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति के फंड में कटौती होने की खबरें हैं। एक तरफ सरकार शिक्षा पर खास कर उच्च शिक्षा और शोध पर खर्च कम कर रही है। उच्च शिक्षा के बेहतरीन केंद्र किसी न किसी बहाने सरकार या सत्तारूढ़ दल के निशाने पर रहे हैं और अब एक दिन अचानक सरकार जीडीपी का छह फीसदी खर्च करने की बात करने लगी है। इसमें एक और पेंच है। सरकार ने 10+2 के पुराने प्रावधान को बदल कर 5+3+3+4 का फॉर्मेट बनाया है। पहले पांच का मतलब है पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई, उसमें सबसे शुरुआती पढ़ाई आंगनवाड़ी केंद्रों पर भी हो सकती है। पर यह स्पष्ट नहीं है कि आंगनबाड़ी का बजट उस कथित छह फीसदी खर्च में जुड़ेगा या नहीं। इसका पता भी कानून बनने के बाद ही चलेगा।


इसी नीति में उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वायत्त बनाने का प्रस्ताव भी है। ध्यान रहे उच्च शिक्षण संस्थाओं को स्वायत्त बनाने का प्रस्ताव काफी समय से लंबित है। दिल्ली विश्वविद्यालय सहित कई दूसरे विश्वविद्यालयों के चुनिंदा कॉलेजों को स्वायत्त बनाने का प्रस्ताव कुछ समय पहले आया था पर शिक्षकों और छात्रों के जबरदस्त विरोध की वजह से इसे रोकना पड़ा है। विरोध का कारण यह है कि स्वायत्तता के नाम पर कॉलेजों को सिर्फ फीस बढ़ाने की अनुमति मिलने वाली है। कॉलेज स्वायत्त तभी होंगे, जब वे अपना खर्च फीस के पैसे से निकालने लगेंगे। सोचें, ऐसे कॉलेजों में पढ़ाई कितनी महंगी हो जाएगी। यह असल में शिक्षा के निजीकरण और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण खत्म करने का एक परोक्ष प्रयास है। ऊपर से सरकार की मंशा पर इसलिए भी संदेह होता है क्योंकि इस नीति में यूजीसी और एआईसीटीई को खत्म करके उसकी जगह एक नई रेगुलेटरी बॉडी बनाने की बात कही गई है साथ ही यह भी कहा गया है कि शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक परामर्शदात्री समिति बनेगी और यह नई रेगुलेटरी बॉडी उस परामर्शदात्री समिति की सलाह से काम करेगी। इसका क्या यह मतलब नहीं हुआ कि नियंत्रण सरकार का ही रहेगा? संस्थानों को सिर्फ इस बात की स्वायत्तता मिलेगी कि वे फीस बढ़ा सकें और आरक्षण के प्रावधानों की अनदेखी कर सकें!


अगर यह नीति कानून बन जाती है तो विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की मंजूरी मिल जाएगी। जैसे इस समय निजी विश्वविद्यालय खुल रहे हैं वैसे ही विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस खुल सकेंगे। सवाल है कि अगर सरकार पिछड़े, वंचित या आदिवासियों की हिस्सेदारी उच्च शिक्षा में बढ़ाना चाहती है तो वह वादा इन विश्वविद्यालयों से कैसे पूरा होगा? जो विदेशी विश्वविद्यालय खुलेंगे उनमें आरक्षण की क्या व्यवस्था होगी, गरीब और वंचितों के दाखिले का क्या प्रावधान होगा और फीस कौन तय करेगा? रिलांयस की यूनिवर्सिटी को खुलने से पहले ही भारत सरकार ने इंस्टीच्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दे दिया। अशोका यूनिवर्सिटी, शिव नाडार, जिंदल आदि के यूनिवर्सिटी खुले हैं, जिनमें लाखों रुपए की फीस है। दाखिले से लेकर नियुक्तियों तक में दलित, वंचित, आदिवासी, पिछड़ों को आगे लाने के लिए लागू किए गए एफर्मेटिव एक्शन में से कोई भी इन विश्वविद्यालयों में नहीं लागू होता है। सो, चाहे स्वायत्तता की बात हो या विदेशी संस्थानों को कैंपस खोलने की मंजूरी देने का मामला हो, इनका एक ही मकसद है शिक्षा के निजीकरण और उसके व्यावसायीकरण को ठोस शक्ल देना। मातृभाषा या स्थानीय भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने और छठी कक्षा से वोकेशनल कोर्स शुरू करने को लेकर भी बहस चल रही है इस पर कल विचार करेंगे।           


श्रद्धाः विधायक ने 1 लाख दीपक बांटे


  • अयोध्या की तरह छत्तीसगढ़ में भी मंदिर निर्माण से भारी उत्साह का माहौल

  • भाजपा द्वारा किए जा रहे धर्म की मार्केटिंग रोकना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती


रायपुुर। रायपुर पश्चिम के विधायक व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने आज सुबह से ही पूरे राजधानी रायपुर में जनता के बीच एक लाख दिया वितरित कर एक एक घर में कल भगवान राम के नाम एक दिया जलाने का निवेदन किया है। इस मौके पर विकास उपाध्याय ने कहा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद कांग्रेस व अन्य सामाजिक संगठनों के लिए अब बड़ी चुनौती ये है कि भाजपा द्वारा धर्म के नाम पर किये जाने वाले मार्केटिंग को कैसे रोका जाए, ताकि पूरे देश में आपसी भाई चारा व प्रेम सदभावना बनी रहे।


विकास उपाध्याय कल राम भगवान के जन्मस्थली अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के शुभारंभ के अवसर पर पूरे रायपुर राजधानी को श्री राम मय बना देना चाहते हैं। इसके लिए वे एक एक घर में दिया जले के लिए घर घर मे खुद दिया पहुंचाने आज सुबह से ही अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम एक लाख दिए वितरित कर चुके हैं। इस अवसर पर वे स्वयं एक एक स्टाल पर जा कर आम लोगों को दिया वितरित कर अपील कर रहे हैं कि कल श्री राम के नाम आप सभी अपने घरों में एक एक दिया जरूर जलायें। विकास उपाध्याय ने कहा छत्तीसगढ़ भगवान राम के कौशल्या माता की नगरी है,जो उत्साह अयोध्या में है उससे कहीं छत्तीसगढ़ में है। विकास ने कल 5 अगस्त को दीपावली की तरह सभी जनों से हर्षोल्लास के साथ राम भगवान के नाम मनाये जाने की अपील की है।


विकास उपाध्याय ने कहा भगवान राम हिंदुओं के आस्था के प्रतीक हैं और राम मंदिर का निर्माण पूरे हिन्दू धर्म की जीत है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा हमें इस बात को लेकर भी सतर्क रहने की जरूरत है कि इस आस्था के प्रतीक भगवान राम का अब कोई राजनीतिकरण न हो। भगवान राम के नाम पर कोई राजनैतिक पार्टी वोट की राजनीति न करे।           


यूपीएससी ने फाइनल परिणाम की घोषणा की

नई दिल्ली। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन ने सिविल सर्विस परीक्षा 2019 के फाइनल परिणामों की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही कमीशन ने उन कैंडिडेट्स की प्रोविजनल अप्वाइंटमेंट्स की लिस्ट भी जारी कर दी है। सिविल सर्विस परीक्षा 2019 की लिखित परीक्षा यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के द्वारा पिछले साल सितंबर में ली गई थी। इसके लिए पर्सनैलिटी टेस्ट इंटरव्यू फरवरी-अगस्त 2020 में लिया गया था। अब कमीशन ने मेरिट के आधार पर इसकी फाइनल लिस्ट जारी कर दी हैसिविल सर्विस परीक्षा 2019 की लिखित परीक्षा की रिजल्ट के आधार पर कैंडिडेट्स का फरवरी से लेकर अगस्त 2020 तक इंटरव्यू हुआ था। अब कमीशन ने इंटरव्यू के मेरिट के आधार पर कैंडिडेट की फाइनल लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में प्रोविजनल अप्वाइंटमेंट्स के लिए सफल कैंडिडेट का नाम है।


बता दें कि यूपीएससी सिविल सर्विस की परीक्षा 2019 में प्रदीप सिंह नाम के कैंडिडेट ने टॉप किया है। इसके बाद दूसरे नंबर पर जतिन किशोर और प्रतिभा वर्मा का नाम है जिन्होंने दूसरी और तीसरी रैंक प्राप्त की है। इस लिस्ट में कुल 829 कैंडिडेट का नाम शामिल है जिन्हें अप्वाइंटमेंट के लिए रिकमेंड किया गया है। इसमें 304 जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट, EWS के 78 कैंडिडेट, OBC के 251, SC के 129, ST के 67 कैंडिडेट शामिल हैं।


कचरा और कोरोना संक्रमितो में अंतर नहीं

अमरावती। न्यूज़ बाइट्स डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों को कचरा ढोने वाली गाड़ियों में भरकर अस्पताल ले जाया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इन घटनाओं पर निराशा जताई है। उन्होंने एक वीडियो ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।


वीडियो शेयर करते हुए नायडू ने कहा, “विजयनगरम जिले के जारजापुपेटा की BC कॉलोनी के तीन कोरोना मरीजों को कचरा ढोने वाली गाड़ी में अस्पताल ले जाया गया है। कोरोना के बारे में पता नहीं, लेकिन ये असहाय मरीज किसी दूसरी खतरनाक बीमारी का शिकार हो सकते हैं। इनसे इंसानों की तरह बर्ताव क्यों नहीं किया जा रह है।” वीडियो में दिख रहा है कि तीन लोगों को कचरे वाली गाड़ी में पीछे बैठाकर अस्पताल ले जाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद विजयानगरम के जिला मेडिकल और स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर रमना कुमारी ने कहा कि वो मामले की जांच के आदेश देंगी। उन्होंने कहा कि शुुरुआती जानकारी के मुताबिक यह मामला शुक्रवार का है।
वहीं नेल्लिमारला नगर पंचायत के कमिश्नर जेआर अप्पाला नायडू ने कहा, “जिला कलेक्टर के आदेश के मिलने के बाद मैंने जांच के आदेश दिए हैं। मुझे पता चला है कि कचरा ढोने वाली गाड़ी कोरोना के कारण मरने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट, ब्लीचिंग पाउडर और नमक ढोने के लिए इस्तेमाल की जाती है।”
उन्होंने कहा कि गाड़ी में दिख रहे लोग कोरोना संक्रमित नहीं है। यह मरीजों को लाने के लिए इस्तेमाल नहीं की जाती। जून में श्रीकाकुलम इलाके में कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वाले लोगों के शवों को JCB और ट्रैक्टर की ट्रॉली में लादकर लाया जा रहा था।


 जब इन घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए और प्रशासन की आलोचना शुरू हुई तब अधिकारियों की नींद खुली। इसके बाद आनन-फानन में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए गए। आंध्र प्रदेश 1,58,764 मामलों के साथ देश का तीसरा सबसे प्रभावित राज्य बना हुआ है। यहां अभी तक 1,474 लोगों की मौत हो चुकी है।हीं अगर पूरे देश की बात करें तो संक्रमितों की संख्या 18 लाख से पार पहुंच गई है। पिछले पांच दिनों से देश में रोजाना 50,000 से ज्यादा नए मरीज पाए जा रहे हैं।
कल मिले 52,972 नए मरीजों के साथ कुल मामले 18,03,695 हो गए हैं। वहीं 38,135 लोगों की मौत हुई है।              


महानायक बच्चन ने कहा, ठीक हूं धन्यवाद

मुंबई। बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने कोरोना से जंग जीत ली है। एक्टर होम क्वारनटीन में हैं और रेस्ट कर रहे हैं। अमिताभ के लिए दुनियाभर के तमाम प्रशंसकों की दुआएं और प्यार हमेशा से खास मायने रखते रहे हैं। अपने फैन्स को बिग बी एक्सटेंडेड फैमिली कह कर बुलाते हैं। अमिताभ का फैन तो हर कोई है। अब जब अमिताभ स्वस्थ हो चुके हैं तो अमूल ने भी उन्हें खास अंदाज में इसकी बधाई दी है।


अमूल हमेशा से अपने कॉमिक पोस्टर्स के जरिए लोगों के साथ जुड़ता है। लॉकडाउन में रामायण के रीटेलिकास्ट को दुनियाभर में पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला था। तब भी अमूल ने अपनी इस यूनिक स्टाइल में सीरियल को ट्रिब्यूट दिया था। अब जब करोड़ों लोगों के आइकन 78 वर्षीय अमिताभ बच्चन कोरोना जैसे खतरनाक वायरस को मात देकर पूरी तरह स्वस्थ होकर वापस लौटे हैं, तो अमूल ने भी बड़ी गर्मजोशी से एक्टर का स्वागत किया है। अमूल ने अमिताभ के सम्मान में एक पोस्टर जारी किया है जो वाकई में आकर्षक है।


पोस्टर खुद महानायक अमिताभ बच्चन ने अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है। कॉमिक फोटो में अमिताभ सोफे पर बैठे हैं और मोबाइल देख रहे हैं। अमिताभ के बगल में क्यूट लिटिल अमूल गर्ल भी बैठी हुई है। फोटो में सेंटर ऑफ अट्रैक्शन तो वो जगह है जहां लिखा हुआ है- AB बीट्स C. अमिताभ ने पोस्टर शेयर करते हुए लिखा- ”शुक्रिया अमूल, हमेशा अपने अद्भुत और जुदा पोस्टर कैंपेन्स में मेरे बारे में सोचने के लिए. वर्षों से ‘अमूल’ ने सम्मानित किया है मुझे, एक साधारण शख्सियत को ‘अमूल्य’ बना दिया तुमने!”


फैन्स ने बिग बी के लिए किए हवन


बता दें कि अमिताभ बच्चन कुछ हफ्तों पहले कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उन्हें मुंबई के नानावटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अब वे पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर वापस पहुंच चुके हैं। एक्टर की सलामती के लिए फैन्स ने प्रार्थना की दुआएं मांगी और हवन तक कर डाले। अमिताभ ने भी सभी का शुक्रिया अदा किया।


राम व अयोध्या भाजपा की बपौती नहीं

पवन देवांगन


नई दिल्ली । लंबी लड़ाई के बाद 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है। ऐसे में इसे लेकर राजनीति काफी तेज हो गई है। हाल ही में मध्य प्रदेश में बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती बीजेपी पर ही गोले दागते दिख रही हैं। उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं को समझाते हुए तीखे शब्दों में कहा है कि ‘राम के नाम पर बीजेपी का पेटेंट नहीं हुआ है।’
एक मीडिया वार्ता के दौरान बोलते हुए उमा भारती ने कहा है ‘राम के नाम पर किसी का पेटेंट नहीं हो सकता है। राम का नाम अयोध्या या बीजेपी के बाप की बपौती नहीं है। ये सबकी हैं, जो बीजेपी में हैं या नहीं हैं। जो किसी भी धर्म को मानते हो. जो राम को मानते हैं, राम उन्हीं के हैं।’ बता दें कि इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे की अयोध्या में हो रहे राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती को आमंत्रित किया जा सकता है। वहीं उमा भारती ने साफ कर दिया है कि वह इस कार्यकर्म में शिरकत नहीं कर रही हैं। उनका कहना है कि कोरोनावायरस संक्रमण फैलने की वजह से मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बाकी लोगों के चले जाने के बाद ही रामलला के दर्शन करने जाऊंगी।
इसके साथ ही मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राम मंदिर के भूमि पूजन को टालने की बात कही थी। उनका कहना था कि चातुर्मास खत्म हो जाने के बाद भूमि पूजन किया जाना चाहिए। दरअसल चातुर्मास के दौरान किसी भी शुभ कार्य को नहीं किया जाता है, इसलिए ऐसे समय में हो रहे भूमि पूजन को टालने की बात कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कही है। वहीं उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुविधा के अनुसार मुहूर्त निकाला गया है। उनका कहना है कि उमा भारती जी वहां क्यों नहीं जा रहीं ? अगर निमंत्रण मिला है तो उन्हें भी जाना चाहिए।           


नियम तोड़ने पर विधायक के खिलाफ मामला

अगरतला। भारतीय जनता पार्टी के विधायक और राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुदीप रॉय बर्मन के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए एक केस दर्ज किया गया है। दरअसल, उनपर आरोप है कि रविवार की शाम को वो कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन करते हुए अनाधिकृत तरीके से एक कोविड केयर सेंटर में गए थे। इस दौरान उन्होंने पीपीई सूट पहना हुआ था, लेकिन नियम के अनुसार वो कोविड सेंटर में नहीं जा सकते थे। दरअसल, सुदीप रॉय के विधानसभा क्षेत्र अगरतला के इस कोविड केयर सेंटर से एक मरीज ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें कहा गया था कि फैसिलिटी में मरीजों के लिए उचित सुविधा का अभाव है। इसके बाद विधायक पीपीई सूट पहनकर कोविड केयर सेंटर निरीक्षण के लिए चले गए, जिसके बाद उनपर यह एक्शन लिया गया है।


पश्चिमी त्रिपुरा के जिलाधिकारी ने उन्हे 14 दिनों के संस्थागत क्वारंटीन में रहने को कहा है ताकि ‘उनकी और दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।’ हालांकि, विधायक ने इसके पीछे दुर्भावना बताते हुए संस्थागत क्वारंटीन में जाने से इनकार कर दिया है। उन्होंने पूछा है कि डीएम की ओर से जारी आदेश उनतक पहुंचने से पहले ही मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल कैसे हो गया।


दरअसल, इस कोविड सेंटर को लेकर पिछले कुछ वक्त में कई मरीजों ने शिकायत दर्ज कराई थी। हाल ही में एक गर्भवती महिला ने एक फेसबुक लाइव में इस सेंटर की हालत बताते हुए राज्य सरकार से मदद मांगी थी। शिकायतें आने के बाद बर्मन ने इस सेंटर का दौरा करने का फैसला किया। उन्होंने मरीज़ों की मौजूदगी में ही मीडिया से कहा, ‘सेंटर में मरीजों की रहने की व्यवस्था देखकर मैं विचलित हूं। इसके लिए सख्त मॉनिटरिंग की जरूरत है।’ उन्होंने यहां पर मरीजों के बीच फल भी बांटे।


हालांकि, पश्चिमी त्रिपुरा के डीएम संदीप महात्मे एन ने उन्हें गाइडलाइंस के उल्लंघन का जिम्मेदार माना है। स्वास्थ्य मंत्रालय के नियमों के अनुसार बस ‘अधिकृत और प्रशिक्षित लोगों को ही ऐसी जगहों पर जाने और काम करने की अनुमति है’।


हालात सामान्य होने में अभी समय लगेगा

जेनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आगाह​ किया ​कि कोविड-19 की सटीक दवा कभी संभव नहीं है। उसने कहा कि हालात सामान्य होने में अभी वक्त लगेगा। कई देशों को इस पर अपनी रणनीति दोबारा बनानी चाहिए। संगठन ने वैक्सीन की प्रबल उम्मीद के बावजूद कोरोना वायरस की दवा को लेकर ऐसी बातें कही।


एजेंसी ने यह भी कहा कि दुनियाभर में हालात सामान्य होने में लंबा वक्त लगेगा। वहीं, डब्ल्यूएचओ के निदेशक टेड्रोस अदनोम घेबरेसस ने जेनेवा स्थित मुख्यालय से एक वर्चुअल ब्रीफिंग में कहा कि सरकारों और लोगों के लिए यह साफ संदेश है कि बचाव के लिए सब कुछ करें। दुनियाभर में इस महामारी से मुकाबले में फेस मास्क एकजुटता का प्रतीक बनना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र की इस स्वास्थ्य संस्था के प्रमुख ने कहा कि कई वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल कोई अचूक दवा नहीं है और संभवत: ऐसा कभी हो भी नहीं सकता। इस मौके पर टेड्रोस और डब्ल्यूएचओ के आपात मामलों के प्रमुख माइक रियान ने सभी देशों से कोरोना की रोकथाम के लिए मास्क, शारीरिक दूरी, हैंड-वाशिंग और टेस्टिंग जैसे उपायों को सख्ती के साथ लागू करने की अपील की।


अमेरिका में तेजी से बढ़ रहे संक्रमित
दुनिया में कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका में संक्रमित लोगों की संख्या तेज गति से बढ़ रही है। इस देश में पीड़ितों की संख्या 48 लाख के पार पहुंच गई है। अमेरिका के टेक्सास और फ्लोरिडा समेत कई दूसरे प्रांतों में भी तेजी से मामले बढ़ रहे हैं। पूरे देश में अब तक कुल एक लाख 58 हजार से अधिक पीड़ित दम तोड़ चुके हैं।             


फुटबॉलर ने 75 करोड़ की कार खरीदी

पुर्तगाल। चर्चित फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने दुनिया की सबसे महंगी कार बुगाटी ला वाओएवर खरीदी है। रोनाल्डो जिस क्लब की तरफ से फुटबॉल खेलते हैं उस क्लब को हाल ही में 36 वीं सीरी ए चैंपियनशिप में जीत मिली थी। इसके बाद उन्होंने बतौर उपहार ये कार खुद के लिए खरीदी। कार की कीमत जानकर आप दंग हो जाएंगे। इस कार को खरीदने के लिए उन्होंने 75 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। जो कार रोनाल्डो ने खरीदी है उसे बनाने वाली कंपनी ने ऐसी 10 कारें ही बनाई हैं। बुगाटी ला वाओएवर (सेंटोडिसी) को खरीदने के लिए उन्होंने लगभग 8.5 मिलियन यूरो (लगभग 75 करोड़) की कीमत चुकाई है। 35 वर्षीय स्टार फुटबॉलर रोनाल्डो ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर कार की फोटो को अपने प्रशंसकों के लिए अपलोड किया और उन्हें जानकारी दी। दुनिया की सबसे महंगी कार के मालिक रोनाल्डो के गैरेज में अब जितनी कारें हैं उनकी कीमतों को अगर जोड़ दिया जाए तो यह 30 मिलियन यूरो यानी की लगभग 264 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है।


बुगाटी ला वाओएवर कार 380 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है, 2.4 सेकंड इस कार की रफ्तार 60 किमी प्रति घंटा तक पहुंच जाती है. हालांकि इस कार के लिए रोनाल्डो को 2021 तक इंतजार करना पड़ेगा और उन्हें अगले साल इसकी डिलीवरी मिल जाएगी। हाल ही में, बुगाटी और नाइकी ने मिलकर क्रिस्टियानो रोनाल्डो के लिए एक विशेष बूट पेश किया है। स्पोर्ट्सवेयर ब्रांड ने ऑटोमोबाइल ब्रांड के साथ मिलकर “नाइके मर्क्यूरियल सुपरफ़्लरी CR7 Dieci” लॉन्च किया, जो सेंटोडाइसी या बुगाटी ला वाओएवर से प्रेरित है।                               


मंदिर निर्माण में शिवसेना ने ₹1 करोड़ दिए

मुंबई। शिवसेना ने राममंदिर निर्माण के लिए एक करोड़ रूपये की राशि दी है। उसने कहा कि पार्टी अपने सम्मानित नेता बाला साहब का वादा पूरा कर रही है।


महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने ट्वीट में लिखा कि, उनके पिता और शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने मंदिर के निर्माण के लिए 1 करोड़ रुपए का योगदान देने का वादा किया था। यह राशि 27 जुलाई को जमा करा दी गई है। शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने कहा कि राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने पार्टी द्वारा दी गई राशि को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा, मैं यह सब इसलिए कह रहा हूं क्योंकि महंत नृत्य गोपाल दास जो कि राम मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारीहैं। उन्होंने हाल ही में संवाददाताओं से कहा था कि मंदिर के लिए शिवसेना ने कोई योगदान नहीं किया था। गौरतलब है कि 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का शिलान्यास करेंगे। इस भूमि पूजन समारोह में भारतीय जनता पार्टी के नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी भी शामिल होंगे।              


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस   (हिंदी-दैनिक)


 अगस्त 05, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-356 (साल-01)
2. बुधवार, अगस्त 05, 2020
3. शक-1943, भाद्रपद, कृष्ण-पक्ष, तिथि- दूज, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:20,सूर्यास्त 07:18।


5. न्‍यूनतम तापमान 24+ डी.सै.,अधिकतम-37+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेगी।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
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