सोमवार, 15 जून 2020

कोरोना को लेकर दुनिया में हंगामा मचा

कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में हंगामा मचा हुआ है। इस बीच एक नया दावा सामने आया है कि अगले हफ्ते 21 जून को दुनिया खत्म हो जाएगी।


ये थ्यूरी प्राचीन माया कलेंडर पर आधारित है। हालांकि अब दुनिया में ज्यादातर लोगों द्वारा ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन ये कैलेंडर 1582 में अस्तित्व में आया और इससे पहले कि लोग कई तरह के कैलेंडर का उपयोग करते थे। सबसे लोकप्रिय कैलेंडर में माया कैलेंडर और जूलियन कैलेंडर थे। विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रेगोरियन कैलेंडर को पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में लगने वाले समय को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए पेश किया गया था. लेकिन कई लोगों का यह मानना ​​है कि उस साल से 11 दिन खत्म हो चुके थे, जो कभी जूलियन कैलेंडर द्वारा निर्धारित किया गया था. 


वहीं समय के साथ इन खोए हुए दिनों में इजाफा हुआ है और अब एक साजिश के सिद्धांत का विकास हुआ है, जो दावा करता है कि हमें वास्तव में वर्ष 2012 में होना चाहिए, न कि 2020 में। वैज्ञानिक पाउलो टागालोगयून ने हालही में एक ट्वीट किया, जिसे बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया. इसमें उन्होंने कहा था, 'जूलियन कलेंडर के मुताबिक हम टेक्निकली 2012 में हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर में बदलाव के कारण एक वर्ष में खो जाने वाले दिनों की संख्या 11 दिन है. 268 सालों से ग्रेगोरियन कलेंडर के तहत (1752-2020) का 11 दिन = 2,948 दिन. 2948 दिन/ 365 दिन (प्रति वर्ष)= 8 साल.'


इस सिद्धांत के बाद, 21 जून, 2020 वास्तव में 21 दिसंबर, 2012 होगा. गौरतलब है कि इससे पहले 2012 को दुनिया के अंत के रूप में दर्शाया गया था।


नासा ने कहा, 'कहानी यह दावा करने के साथ शुरू हुई कि सुमेरियों द्वारा खोजे गए ग्रह निबिरू का झुकाव पृथ्वी की ओर है. इस तबाही की शुरुआत मई 2003 के लिए की गई थी, लेकिन जब कुछ भी नहीं हुआ तो कयामत की तारीख दिसंबर 2012 को आगे बढ़ा दी गई और 2012 में प्राचीन माया कैलेंडर से इसे लिंक किया गया. इसलिए भविष्यवाणी की प्रलय का दिन 21 दिसंबर, 2012.'


इससे पहले अंतरिक्ष एजेंसी ने पहले बताया था, '2012 में आपदा या नाटकीय परिवर्तनों के किसी भी दावे के लिए, विज्ञान कहां है? सबूत कहां है? कोई भी नहीं है, और सभी काल्पनिक दावे के लिए, चाहे वे पुस्तकों, फिल्मों, वृत्तचित्रों में किए गए हों या इंटरनेट पर, हम तथ्य को नहीं बदल सकते.  दिसंबर 2012 में होने वाली असामान्य घटनाओं के समर्थन में किए गए किसी भी दावे के लिए कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है।


संक्रमण के चलते, शासन के सख्त आदेश

रिपोर्ट-लखन लाल मिश्रा

 

लखनऊ। जहाँ एक तरफ कोरोना संक्रमण के चलते उत्तर प्रदेश शासन के तरफ से सख्त आदेश है कि कहीं भी अधिक भीड़ इकट्ठा न होने पाये, वहीं दूसरी तरफ परसपुर पुलिस व स्टेट बैंक ऑफ इन्डिया की लापरवाही साफ-साफ नजर आ रही है। बताते चलें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया परसपुर में रोजाना लगभग तीस,चालीस चप्पल सामाजिक दूरी का पालन करते हुए नजर आते हैं। तथा बैंक में रुपया निकालने वाले सभी ग्राहक भीड़ इकट्ठा कर राम कहानी गाते नजर आते हैं।

अगर बैंक के कर्मचारियों से पूंछा जाता है। तो कहते हैं कि हम लोगों के कहने पर कोई नहीं मानता है। तथा पुलिस प्रशासन ने कभी समझाने के बारे में सोचा भी नहीं। बैंक के कर्मचारियों ने कहा कि अगर प्रशासन चाहे तो इस भीड़ की दूरी बनवाने में दिक्कत नहीं होगी।

कोरोना के केसों मे भारत तीसरे स्थान पर

कोरोना के बढ़ते मामलों में भारत तीसरे स्थान पर, रोज आ रहे 10 हजार से ज्यादा केस.


श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


वाशिंगटन। अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत तीसरा देश है जहां रोजाना 10 हजार से ज्यादा मामले आ रहे हैं। रविवार को तो 12 हजार केस दर्ज हुए जो सर्वाधिक है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो इस माह भारत में रोज करीब दस हजार केस आए। वहीं, अमेरिका में 22322 और ब्राजील में यह आंकड़ा 25800 रहा। नए मामलों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।


न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी अमेरिका के सबसे प्रभावित शहर थे। अप्रैल और मई में यहां लाखों मामले सामने आए। न्यूयॉर्क में 30,874 जबकि न्यूजर्सी में 12,696 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हो गई। इन दो महीनों में हालात इतने खराब थे कि अस्पतालों में जगह नहीं थी, घरों में रखकर लोगों का इलाज तक करना पड़ा था।


ठीक होने वालों की दर दिल्ली-मुंबई में ज्यादा


हालांकि, तेजी से फैलते संक्रमण के बीच एक राहत की भी बात है। दिल्ली-मुंबई में ठीक होने वालों की दर दुनिया में कई शहरों से आज भी सबसे ज्यादा है। न्यूयॉर्क में सिर्फ 21.23 फीसदी जबकि न्यूजर्सी में 18.88 फीसदी ही महामारी से उबर पाए हैं जबकि वहां कई महीनों से लोग बीमारी से पीड़ित हैं। वहीं, मुंबई में 45.65 फीसदी जबकि दिल्ली में 38.36 फीसदी लोग ठीक हुए।


न्यूयॉर्क से ज्यादा दिल्ली- मुंबई में आ रहे मामले


राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई में कोरोना संक्रमण का ग्राफ कई अमेरिकी शहरों को भी पीछे छोड़ रहा है। एक समय दुनिया के सर्वाधिक प्रभावित शहर रहे न्यूयॉर्क व न्यूजर्सी में जहां इन दिनों सिर्फ 500-600 मामले रोजाना आ रहे हैं तो वहीं, दिल्ली में यह आंकड़ा 2100 और मुंबई में करीब 1500 दर्ज किया जा रहा है।


कैसे थामा कहर? 


 प्रशासन ने तकनीक के जरिए कांटेक्ट ट्रेसिंग को रणनीतिक तौर पर लागू किया। कैंप लगाकर लोगों की जांच की गई और घर-घर जाकर भी छानबीन की
 – जोन बनाकर रेड जोन में टेस्टिंग बढ़ाई गई, न्यूयॉर्क में प्रति दस लाख पर 140,290 जबकि न्यूजर्सी में 116,052 लोगों की टेस्टिंग की जा चुकी है
  – पुलिसिंग तेज की गई ताकि लोग घरों से बाहर तभी निकलें जब उन्हें निकलना बेहद जरूरी था। सरकार ने जरूरी वस्तुओं को घर तक पहुंचाने में मदद की
 – स्टे एट होम के तहत सख्त नियम लागू हुए, मेयर खुद सड़कों पर उतरकर लोगों को घर से बाहर न निकलने के लिए प्रेरित करते रहे।


जनपद में फिर फूटा 'कोरोना बम'

विवेक कुमार यादव


जनपद में फिर फूटा कोरोना बम


एक साथ मिले 13 नए कोरोना पॉजिटिव केस


कोरोना संक्रमित की संख्या बढ़कर हुई 56


 


हमीरपुर जनपद। कोरोना का कहर बराबर जारी है, रविवार को कोरोना कोई नया मामला सामने ना आने पर जिला प्रशासन और स्वास्थ विभाग ने राहत की सांस ली थी, लेकिन सोमवार को आई जांच रिपोर्ट में एक साथ 13 पॉजिटिव केस निकलने से स्वास्थ विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है, सीएमओ हमीरपुर डॉ आरके  सचान ने बताया कि सोमवार को 30 लोगों की जांच रिपोर्ट आई है, जिनमें 13 पॉजिटिव केस पाए गए हैं, बताया पांच केस कुरारा में, सरीला के इंद्रपुरा मैं 2 व 6 संक्रमित मरीज राठ के नौरंगा में पाए गए हैं, जनपद में अब कोरोना संक्रमितओं की संख्या 56 पहुंच चुकी है, लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों को लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सकते में हैं, बता दें कि संक्रमित पाए गए मरीजों में राठ निवासी महिला की मौत हो चुकी है, जबकि 12 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं, 45 केस इस समय एक्टिव हैं!


आईआरएस अधिकारी ने की आत्महत्या

नई दिल्ली। दिल्ली में कोरोना का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी में अब कोरोना के डर आत्महत्या करने का भी एक मामला सामने आया है। द्वारका इलाके में कोरोना संक्रमण के डर से आईआरएस अधिकारी शिवराज सिंह ने एसिड जैसा पदार्थ पीकर आत्महत्या कर ली। जब परिजनों को इस बात का पता चला तो वो उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचे। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई वह आयकर विभाग में एडिशनल डायरेक्टर के पद पर तैनात थे।


बता दें कि करीब 3 दिन पहले ही उनका कोरोना टेस्ट हुआ था, जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। इसके बावजूद उन्हें लगता था कि कोरोना होने पर बच्चे व परिवार के अन्य लोग परेशान हो जाएंगे। उनकी उम्र 56 साल थी उनके घर से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ जिसमें उन्होंने लिखा है कि वो कोरोना के शक के चलते आत्महत्या कर रहे हैं। द्वारका जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2006 के आईआरएस अधिकारी शिवराज सिंह द्वारका के सेक्टर- 6 स्थित सन्मति अपार्टमेंट में रहते थे। उनकी ड्यूटी आरके पुरम स्थित आयकर विभाग के कार्यालय में थी। सुसाइड नोट में उन्होंन बच्चों को परेशान नहीं करने की बात कही है। साथ ही ऑफिस से भी परेशान नहीं करने की बात कही है। फिलहाल द्वारका पुलिस मामले की जांच कर रही है बता दें कि कुछ दिन पहले ही चाणक्यपुरी इलाके में भी वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी केशव सक्सेना ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।


राज्यसभा की 19 सीटों पर 19 को चुनाव

राज्यसभा की 19 सीटों पर 19 जून को चुनाव


बीजेपी ने झारखंड में कांग्रेस का गणित बिगाड़ा


कांग्रेस-BJP को गुजरात में 1 वोट की जरूरत


नई दिल्ली। देश के 8 राज्यों की 19 राज्यसभा सीटों पर 19 जून को होने वाला चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच राज्यसभा चुनाव में शह-मात का खेल जारी है। हालांकि, बीजेपी ने मध्य प्रदेश और गुजरात के बाद अब कांग्रेस को राजस्थान में भी उलझा कर रख दिया है। झारखंड का समीकरण भी बीजेपी ने अपने पक्ष में कर लिया और कांग्रेस दिल्ली में बैठकर रणनीति बनाती रही. इस तरह से बीजेपी ने कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव गणित को बिगाड़ कर रख दिया है।

गुजरात का राज्यसभा चुनाव दिलचस्पः गुजरात की चार राज्यसभा सीटों पर पांच उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला दिलचस्प मोड़ पर है। बीजेपी की ओर से राज्यसभा के लिए अभय भारद्वाज और रमीवा बेन बारा के साथ तीसरे कैंडिडेट के तौर पर नरहरि अमीन मैदान में हैं तो कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के लिए शक्ति सिंह गोहिल और भरत सिंह सोलंकी किस्मत आजमा रहे हैं।

गुजरात में बीजेपी के पास 103 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 65 विधायक बचे हैं। वहीं, 2 बीटीपी, एक एनसीपी और एक निर्दलीय विधायक हैं। राज्यसभा के एक सदस्य को जीतने के लिए 35 वोटों की जरूरत है। ऐसे में कांग्रेस अगर बीटीपी, एनसीपी और एक निर्दलीय विधायक जिग्नेश मवानी का समर्थन हासिल करने में कामयाब रहती है तो उसे दोनों सीटें जीतने के लिए एक विधायक के समर्थन की दरकार होगी। वहीं, कांग्रेस ने शक्ति सिंह गोहिल को प्रथम कैंडिडेट बनाकर उनकी राह को आसान कर दिया है, लेकिन भरत सिंह सोलंकी को अपनी सीट जीतने में कड़ी मशक्कत करनी होगी।

 

झारखंड में कांग्रेस का बिगड़ा खेलः झारखंड की 2 राज्यसभा सीटों पर 3 उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। जेएमएम से शिबू सोरेन राज्यसभा के लिए मैदान में उतरे हैं तो बीजेपी से झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश मैदान में है। वहीं, कांग्रेस से शहजादा अनवर किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह व पर्यवेक्षक पीएल पुनिया दिल्ली में बैठकर रणनीति बनाते रहे और भाजपा ने समीकरण पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया। झारखंड के मौजूदा विधायकों के आंकड़े के लिहाज से जेएमएम के शिबु सोरेन की एक सीट पक्की है और दूसरी सीट के लिए कांग्रेस और बीजेपी के पास अपने दम पर जीतने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं। ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच विधायकों के जोड़-तोड़ की कवायद तेज हो गई है। बीजेपी ने निर्दलीय विधायक सरयू राय का समर्थन जुटा लिया है।

 

राज्यसभा की एक सीट के लिए 27 वोट चाहिए. बीजेपी के पास विधायकों की संख्या 25 है। बाबूलाल मरांडी के शामिल होने के बाद यह संख्या बढ़कर 26 हो गई और सरयू राय का साथ मिलने के बाद यह आकंड़ा 27 पहुंच गया है। साथ ही बीजेपी को अपने पुराने सहयोगी आजसू व निर्दलीय विधायक अमित यादव का समर्थन मिल जाता है यह संख्या 30 पहुंच जाएगी। वहीं, राजेंद्र सिंह के निधन व प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के शामिल होने के बाद कांग्रेस का आंकड़ा फिलहाल 17 का है। इसके बावजूद कांग्रेस अगर जेएमएम के दो, माले, आरजेडी और एनसीपी के एक-एक वोट मिलने पर विधायकों की संख्या 22 पर ही है। इसके बावजूद कांग्रेस को जीत के लिए पांच विधायकों की जरूरत पड़ेगी।

मध्य प्रदेश में सियासी घमासानः मध्य प्रदेश में तीन राज्यसभा सीटों पर चार प्रत्याशी के मैदान में उतरने से मुकाबला काफी रोचक हो गया है। बीजेपी से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी तो कांग्रेस से दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। कांग्रेस ने फर्स्ट प्रायोरिटी दिग्विजय और सेकेंड पर बरैया को रखा है जबकि, बीजेपी ने फर्स्ट पर सिंधिया और दूसरी पर सोलंकी को रखा है। कांग्रेस विधायकों से बगावत के बाद राज्यसभा का गणित बिगड़ गया है।

विधानसभा में बीजेपी के पास 107 विधायक हैं, कांग्रेस के विधायकों की संख्या 92 है। बसपा के 2 विधायक हैं, 1 विधायक सपा से है और 4 विधायक निर्दलीय हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा में 24 सीटें फिलहाल खाली हैं। बसपा, सपा और निर्दलीयों के वोटों की कुल जमा तादाद 7 होती है। मौजूदा परिस्थिति में दो सीटें बीजेपी के पाले में साफ जाती नजर आ रही हैं। हालांकि, एक सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता में 52 मतों की जरूरत है, जो बीजेपी के पास अपने बलबूते मौजूद है। कांग्रेस का दूसरा उम्मीदवार तभी जीत सकता है, जब उसे चारों निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक के साथ पांच बीजेपी विधायकों के मत मिलें, जो फिलहाल तो दूर की कौड़ी ही नजर आता है।

राजस्थान में कांग्रेस परेशानः राजस्थान की तीन राज्यसभा सीटों पर चार प्रत्याशियों चुनावी मैदान में होने के चलते काफी रोचक मुकाबला बन गया है। कांग्रेस की ओर से केसी। वेणुगोपाल के अलावा दूसरे उम्मीदवार नीरज डांगी हैं। वहीं, बीजेपी ने राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत को मैदान में उतार कर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है। हालांकि विधायकों के आंकड़ो के लिहाज से कांग्रेस की दो सीटें पक्की है, लेकिन क्रॉस वोटिंग का डर भी सता रहा है। राजस्थान के विधानसभा में मौजूदा समय में कांग्रेस के 107 विधायक हैं, इसमें पिछले साल बीएसपी से टूटकर कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायक शामिल हैं। कांग्रेस को 12 निर्दलीयों का समर्थन भी हासिल है। दूसरी ओर, बीजेपी के 72 विधायक हैं, हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के तीन विधायकों का समर्थन मिलाकर यह आंकड़ा 75 पहुंचता है। एक राज्यसभा सीट के लिए 51 प्रथम वरीयता वाले विधायकों के वोटों की आवश्यकता होती है, ऐसे में कांग्रेस की राह आसान लग रही है। बीजेपी के दूसरे उम्‍मीदवार के जीतने की संभावना उसी स्थिति में बन सकती है, यदि पर्याप्‍त संख्‍या में कांग्रेस के विधायक क्रॉस वोटिंग करें और निर्दलीय विधायक भी बीजेपी के पक्ष में पाला बदल लें। इसीलिए कांग्रेस को बीजेपी से अपने विधायकों की सेंधमारी से बचाने के लिए मशक्कत करना पड़ रहा है।

आंध्र प्रदेश में वाईएसआर का पलड़ा भारी

आंध्र प्रदेश की 4 राज्यसभा सीटों पर पांच प्रत्याशी मैदान में हैं. वाईएसआर कांग्रेस की ओर से पिल्ली सुभाष चंद्रबोस, मोपीदेवी वेंकटरमणास आल्ला अयोध्या रामीरेड्डी और परिमल नत्वानी मैदान में है। वहीं, टीडीपी की ओर से वर्ला रामय्या मैदान में हैं। हालांकि, वाईएसआर की ओर से चौथी सीट के लिए परिमल नत्वानी मैदान में हैं, जिन्हें जगन मोहन रेड्डी ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के अनुरोध पर टिकट दिया है।नत्वानी दो टर्म झारखंड से राज्यसभा सदस्य रहे हैं। परिमल नत्वानी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की शीर्ष कोर टीम में शामिल हैं। पूर्वोत्तर में भी कड़ा मुकाबलाः पूर्वोत्तर के मणिपुर, मेघालय औक मिजोरम की एक-एक राज्यसभा सीटों पर भी चुनाव हो रहे हैं। मेघालय में कांग्रेस के कनेडी कोमेलियस के खिलाफ मेघालय डेमोक्रेटिक गठबंधन से उतरे वंसुख सीम के बीच मुकाबला है। वहीं, मणिपुर की एक राज्यसभा सीट के लिए तीन प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें बीजेपी से तितुलर किंग महाराजा संजाओबा लिसीम्बा, कांग्रेस से पूर्व मंत्री टोंगब्रम मंगिबाबू और नगा पीपुल्स फ्रंट होनरीकुई काशुंग के बीच मुकाबला है।

मिजोरम की एक राज्यसभा सीट पर सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) युवा शाखा के पूर्व अध्यक्ष के वनलालवेना मैदान में हैं, जबकि मुख्य विपक्षी दल जेडपीएम ने अपने महासचिव बी लालछानजोवा पर भरोसा जताया है. कांग्रेस ने अपने प्रवक्ता और मीडिया विभाग के अध्यक्ष लल्लियानछुंगा पर दांव लगाया है।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


 जून 16, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-308 (साल-01)
2. मंगलवार, जूूून 16, 2020
3. शक-1943, अषाढ़, कृष्ण-पक्ष, तिथि-दसवीं, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:36,सूर्यास्त 07:28।


5. न्‍यूनतम तापमान 24+ डी.सै.,अधिकतम-41+ डी.सै.।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7. स्वामी, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहींं है।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।


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(सर्वाधिकार सुरक्षित)


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