रविवार, 14 जून 2020

आगराः जहरीली गैस से तीन की मौत

आगरा। ताजनगरी आगरा में कोरोना वायरस के कहर के बीच में रविवार को जहरीली गैस तीन लोगों के लिए जानलेवा बन गई। यहां कुंआ में जहरीली गैस ने तीन युवकों की जान ले ली। तीनों कुआं का कचरा साफ करने उतरे थे। जहां जहरीली गैस की चपेट में आकर उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद दमकल कर्मियों ने रेस्क्यू कर शवों को बाहर निकाला। इसके बाद स्वजनों ने उनके शव हाईवे पर रखकर जाम लगा दिया। यहां पर आगरा-ग्वालियर हाई-वे पर तीन घंटे तक जाम से हाईवे पर वाहनों की लंबी लाइनें लगी हैं। आगरा के सैंया के सौरा गांव में हाकिम सिंह का कुंआ है। इसके पानी का इस्तेमाल खेतों की सिंचाई में होता था। कुछ वर्षों से यह बंद था। रविवार को सुबह हाकिम का बेटा 20 वर्षीय भोलू, गांव के 18 वर्षीय पप्पू और 19 वर्षीय लखन इस कुंआ की सफाई करने गए थे। करीब एक घंटे बाद परिवार के लोग वहां पहुंचे तो तीनों वहां नहीं दिखे। कुएं में झांककर देखा तो नीचे पड़े हुए थे। इसके बाद वहां पुलिस और दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे। करीब डेढ़ से दो घंटे बाद उनको बाहर निकाला जा सका। तब तक तीनों की मौत हो चुकी थी।
इससे गुस्साए गांव के लोगों ने तीनों ते शव को सैंया चौराहा के पास रखकर आगरा-ग्वालियर हाईवे जाम कर दिया। एसपी पश्चिम रवि कुमार, सीओ खेरागढ़ प्रदीप कुमार फोर्स के साथ वहां पहुंचे। ग्रामीणों को समझाया, लेकिन जाम नहीं खुला। इनके परिवार के लोगों का आरोप है कि गांव में बीस दिन पहले त्यागी समाज के लोगों ने नाली का पानी निकलने से रोका था। इसको लेकर विवाद हुआ था। रविवार को तीनों युवक घर से कुंआ की सफाई को निकले थे। मगर, त्यागी समाज के युवकों ने उनसे मारपीट की। उनसे बचने को भागते समय कुएं में पैर फिसलकर उनकी मौत हुई है। वे त्यागी समाज के लोगों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। वहीं पुलिस इनके आरोपों को खारिज कर रही है। सीओ खेरागढ़ का कहना है कि तीनों युवक एक-एक करके कुएं में गए हैं। जहरीली गैस की चपेट में आकर मौत की आ शंका है। अब स्वजन अलग कहानी बना रहे हैं। फिर भी उनके आरोपों की जांच की जा रही है।


सब मजदूरो को रोजगार का संकल्प

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कामगारों और श्रमिकों को सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार कार्ययोजना तैयार करेगी। योगी ने रविवार को अनलाक व्यवस्था की समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि सरकार सभी कामगारों एवं श्रमिकों को रोजगार देने के लिए संकल्पित है।


इसी मकसद से इनकी स्किल मैपिंग कराई गई है। उन्होंने कामगाराें और श्रमिकों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए इनके राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिये ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ा जाए। इसके लिए अगरबत्ती, धूपबत्ती बनाने जैसी गतिविधियों के तहत उन्हें रोजगार मुहैया कराया जा सकता है।

इसके अलावा अचार, मुरब्बा, पापड़, सिलाई आदि गतिविधियों के तहत रोजगार की काफी सम्भावनाएं मौजूद हैं। महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के लिए तैयार किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी कोविड एवं नाॅन कोविड अस्पतालों में डाॅक्टर्स, नर्स तथा अन्य पैरामेडिक स्टाफ राउण्ड लें। वे मरीज के घरवालों से संवाद भी स्थापित करें। उन्हाेंने पैरामेडिक स्टाफ की लगातार माॅनिटरिंग करने के निर्देश दिए।


उन्होंने कहा कि सभी अस्पतालों की साफ-सफाई सुनिश्चित करते हुए इनका लगातार सेनिटाइजेशन कराया जाए। रोज बेडशीट बदली जाए। मरीजों को पीने के लिए गुनगुना पानी दिया जाए। साथ ही, उन्हें गर्म व ताजा भोजन उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि निगरानी समितियों को लगातार सक्रिय रखा जाए। इन्हें सक्रिय रखकर ही कोरोना के प्रसार को रोका जा सकता है। उन्होंने फोर्स मेें इन्फेक्शन को रोकने के सभी उपाय करने के निर्देश दिए। श्री योगी ने कहा कि महिलाओं, एससी/एसटी, गो-हत्या तथा गो-तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त अपराधियों के खिलाफ सख्त और त्वरित कार्रवाई की जाए। माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, बेसिक शिक्षा, समाज कल्याण तथा कस्तूरबा गांधी विद्यालय में नियुक्त शिक्षकों के डाक्युमेंट की जांच के लिए एक डेडिकेटेड टीम बनाई जाए। उन्होंने कहा कि डिफाॅल्टर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।


बदहाली के लिए कांग्रेश है जिम्मेदार

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश की जनता की बदहाली के लिए कांग्रेस की पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने गरीबी हटाने की बात की, मगर जनता की गरीबी नहीं गई, बल्कि पार्टी नेताओं और चमचों की गरीबी दूर हुई।


केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को गुजरात की वर्चुअल रैली में कहा, कांग्रेस ने 70 साल से गरीबी हटाओ का नारा दिया, लेकिन देश के गरीब, किसान, मजदूर की गरीबी नहीं दूर हुई, बल्कि कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं और चमचों की गरीबी जरूर दूर हुई।


गडकरी ने कहा कि “1947 से लेकर 2020 के बीच कांग्रेस को 55 से 60 साल देश चलाने का मौका मिला। केंद्र से राज्यों और निगमों तक में कांग्रेस की सरकारें रहीं। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देश के विकास के लिए रूस का सोशलिस्ट-कम्युनिस्ट मॉडल चुना। नेहरू जी चले गए और फिर इंदिरा गांधी आईं। उन्होंने गरीबी हटाओ का नारा दिया लेकिन गरीबी नहीं हटी। मुहर लगाते-लगाते पीढ़ियां गुजर गईं मगर बदलाव की कोई तस्वीर सामने नहीं आई। काम करने वाले गरीब की गरीबी दूर नहीं हुई। लेकिन कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और चमचों की गरीबी जरूर दूर हुई।”गडकरी ने कहा, मोदी सरकार ने पिछले 5 साल में जो कार्य किया है, उसकी अगर कांग्रेस के 55 साल से तुलना की जाए तो मैं दावे के साथ कह सकता हू कि जो काम 5 साल में हुआ, वह कांग्रेस के 55 साल के शासनकाल में नहीं हो पाया।नितिन गडकरी ने अपने मंत्रालय की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा, मैं 60 हजार करोड़ से रोड का निर्माण कर रहा हूं। लेह और लद्दाख को आठ हजार करोड़ रुपये की सड़क से जोड़ा जा रहा है। लगातार मोदी सरकार विकास के कार्य कर रही है।गडकरी ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि वह कभी आमने-सामने की लड़ाई नहीं जीत सकता, इसलिए वह आतंकियों के सहारे छद्म युद्ध लड़ता है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं पर आतंकियों से सहानुभूति रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब मैं भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष था तो एक शहीद के पिता ने मुझसे पूछा था कि कांग्रेस के नेता आतंकियों के मारे जाने पर उनके घर तो श्रद्धांजलि देने के लिए जाते हैं, मगर शहीद हुए मेरे बेटे के घर क्यों नहीं आए। गडकरी ने कहा कि तब उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था।


वायरस की सटीक दवा नहीं बन सकींं

दुनिया में कोरोना का कहर जारी है। कोरोना महामारी को खत्म करने के लिए दुनिया भर के कई देशों में वैक्सीन बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। ब्रिटेन में वैक्सीन का ट्रायल थर्ड फेज में हैं। लेकिन अब तक कोई सटीक दवा नहीं बन सकी है। भारत में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि, भारत के लिए अच्छी खबर है कि एक्टिव केसों से ज्यादा ठीक होने वाले मरीजों की संख्या है। ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि बिना किसी ठोस दवा या वैक्सीन के ये मरीज ठीक कैसे हो रहे हैं। आइए जानते हैं कि भारत में कोरोना वायरस के मरीजों का किन दवाओं और थेरेपी से इलाज किया जा रहा है…


रेमडेसिवीर
ये एक एंटीवायरल दवा है, जिसे सबसे पहले 2014 में इबोला के इलाज में इस्तेमाल किया गया था। WHO के ट्रायल में इस दवा को Covid-19 के कारगर इलाजों  में से एक माना गया है।  यह शरीर में वायरस रेप्लिकेशन को रोकता है। पिछले महीने, अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीज ने शुरुआती ट्रायल के आधार पर बताया था कि रेमडेसिवीर देने वाले कोरोना के मरीजों में 11 से 15 दिनों तक में सुधार हुआ है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने 1 जून को रेमडेसिवीर के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी। गंभीर रूप से बीमार कोरोना के मरीजों को अब डॉक्टरों की तरफ से ये दवा दी जा रही है।


फेवीपिरवीर
ये एक एंटीवायरल है जो वायरस रेप्लिकेशन को रोकने के लिए दी जाती है। इसे एंटी-इन्फ्लूएंजा दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस दवा को सबसे पहले जापान की फ्यूजीफिल्म टोयामा केमिकल लिमिटेड ने विकसित किया था। भारत में ये दवा ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स और स्ट्राइड्स फार्मा को बनाने की मंजूरी मिली है। ये दवा कोरोना के गंभीर रूप से बीमार मरीजों से लेकर हल्के लक्षण वाले मरीजों को दी जा रही है। कोरोना के मरीजों पर दवा के तीसरे चरण के परीक्षण के लिए दस अस्पतालों को शॉर्टलिस्ट किया गया है।


टोसिलीज़ुमाब
यह एक  इम्यूनो सप्रेसेंट दवा है जिसे आमतौर पर गठिया के इलाज में दी जाती है। मुंबई में, कोरोना वायरस के 100 से अधिक गंभीर मरीजों का इलाज इस दवा से किया गया है। सरकारी अस्पतालों में ये दवा मुफ्त में दी जा रही है। पहली बार ये दवा लीलावती अस्पताल में 52 साल के एक मरीज को दी गई थी, जिसकी हालत बहुत गंभीर हो चुकी थी। इस दवा से कोरोना के कई मरीजों की हालत में सुधार देखा गया है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इस पर कोई भी डेटा देना अभी जल्दबाजी होगी।


इटोलीजुमैब
यह दवा आमतौर पर त्वचा के रोगों जैसे सोरायसिस, रुमेटॉयड आर्थराइटिस, मल्टीपल स्केलेरोसिस और ऑटोइम्‍यून रोग में किया जाता है। भारत में, बायोकॉन कंपनी ने इसे 2013 में लॉन्च किया था। दिल्ली और मुंबई में कोरोना के मामूली से लेकर गंभीर मामलों में ये दवा ट्रायल के तौर पर दी जा रही है, जिसके शुरुआती नतीजे जुलाई तक आएंगे।


हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन
कोरोना वायरस पर इस एंटी मलेरिया ड्रग के प्रभाव को लेकर पूरी दुनिया में बहस जारी है। द लैंसेट में छपी एक स्टडी के बाद WHO ने इसका सॉलिडैरिटी ट्रायल रोक दिया था। हालांकि स्टडी के लेखकों द्वारा इसे वापस लेने के बाद ट्रायल को फिर से बहाल कर दिया गया है। भारत इस दवा का सबसे बड़ा उत्पादक है। कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीजों जैसे सिर दर्द, बुखार, बदन दर्द से लेकर गंभीर मरीजों को डॉक्टर ये दवा दे रहे हैं। ICMR के दिशानिर्देशों के अनुसार नौ दिनों तक इसकी कम खुराक दी जा सकती है।


डॉक्सीसाइक्लिन+आइवरमेक्टिन
डॉक्सीसाइकलीन एक एंडीबायोटिक दवा है, जिसका उपयोग यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, आंखों और श्वसन तंत्र संक्रमण के इलाज में किया जाता है।  वहीं आइवरमेक्टिन शरीर में मौजूद कीड़ों को मारने की दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इस दवा का इस्तेमाल जुएं मारने के लिए भी किया जाता है। इन दोनों दवाओं के मिश्रण से कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज किया जा रहा है।


रिटोनावीर+लोपिनावीर
ये एंटीवायरल आमतौर पर एचआईवी के मरीजों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। सॉलिडैरिटी ट्रायल में इनकी जांच की जा रही है। कुछ स्टडीज से पता चला है कि ये दवाएं कोरोना के मरीजों के मृत्यु दर को कम करती हैं जबकि कुछ स्टडीज का दावा है कि मरीजों पर इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिलता है। भारत में एक दर्जन से अधिक दवा निर्माता इन दोनों दवाओं की आपूर्ति करते हैं। कोरोना के गंभीर मरीजों को डॉक्टर कभी-कभी इन दवाओं का मिश्रण देते हैं।


प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के शरीर से लिए गए प्लाज्मा को कोरोना के एक्टिव मरीजों के शरीर में डाला जाता है जिससे, उस मरीज के शरीर में कोरोना से लड़ने की एंटीबॉडी बन जाती है। दिल्ली के कई अस्पतालों में प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल जारी है। अस्पतालों नें अपने ट्रायल में इस थेरेपी को मरीजों पर काफी असरदार बताया है।


यूरोप में महामारी ने मची है तबाही

दुनियाभर में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ा है। यूरोपियन देश इटली में कुछ ही हफ्तों पहले संक्रमण से मारामारी मची हुई थी। हालांकि तब भी इसका एक हिस्सा ऐसा था, जहां अब तक कोई भी कोरोना केस नहीं आया। इटली के कैलेब्रिया इलाके में बसे इस गांव Cinquefrondi में अब घरों की बिक्री हो रही है और इसकी कीमत है सिर्फ 85 रुपए. इतनी कम कीमत पर घरों को बेचने की सबसे खास वजह है कि गांववाले अपने इलाके में आबादी बढ़ाना चाहते हैं।


बीते ही साल इंटरनेशनल मीडिया में एक खबर सुर्खियों में थी।वहां एक शहर में बसने के बदले सरकार मुफ्त में पैसे और घर दे रही थी। शर्त एक ही थी कि परिवार बसा-बसाया हो, यानी उसमें पति-पत्नी और कम से कम एक बच्चा जरूर हो। इसके पीछे इटली के स्थानीय प्रशासन का इरादा था कि इलाके में बसाहट शुरू हो सके, जो कि माइग्रेशन की वजह से रुक गई थी। अब इसी तर्ज पर इटली से ही दोबारा एक गांव की बात आ रही है। यहां 100 रुपयों से भी कम कीमत पर बिक्री के लिए घर उपलब्ध हैं। इस शहर के भी सुनसान होने की यही वजह रही कि यहां से युवा पीढ़ी पढ़ाई और फिर नौकरी के लिए शहर बाहर जाती गई. इस तरह से शहर खाली होता गया. इटली के दक्षिणी हिस्से में बसा ये शहर प्राकृतिक तौर पर काफी खूबसूरत है और यहां से सिर्फ 15 मिनट की दूरी पर समुद्र तट है, जहां कार से या फिर पैदल भी जाया जा सकता है। शहर के मेयर माइकल कोनिया के मुताबिक घरों की कीमत एक यूरो (85 रुपए) है। इसके साथ ही इंश्योरेंस पॉलिसी के लगभग 19 हजार रुपए भरने होंगे. लोगों और खासकर युवा परिवारों को बसाने की इस योजना को मेयर ने Operation Beauty नाम दिया है. इसके तहत शहर के सारे हिस्सों में बसाहट की योजना बनाई जी रही है. माना जा रहा है कि यहां वही लोग प्रॉपर्टी ले सकेंगे, जिनकी लंबे वक्त तक यहीं रहने की योजना हो. इतनी कम कीमत पर प्रॉपर्टी लेने के बाद बस मालिक को घर की हालत सुधारने के लिए थोड़े पैसे लगाने होंगे क्योंकि ज्यादातर घर खस्ताहाल हैं और काफी समय से खाली पड़े हैं.


वैसे इटली में गांव या शहर छोड़कर जा चुके लोगों के बाद इलाकों को दोबारा बसाने के लिए न्यूनतम कीमत पर घर बेचने का ट्रेंड काफी चल रहा है. इससे साथ ही इटली के दक्षिणी शहरों में भी एक यूरो में घर बेचने की स्कीम चल रही है. इटली के सिसली इलाके के मुसोमेली में एक यूरो के विला बिकाऊ हैं। बस उनकी दो शर्तें हैं। एक तो यहां लंबे समय तक रहना होगा और दूसरा इन घरों की मरम्मत खुद करानी होगी। इसी तरह से स्वीडन में एक पूरा का पूरा गांव बिकने के लिए रखा गया है, वो भी सिर्फ 1 करोड़ डॉलर यानी 75 करोड़ 55 लाख रुपयों में Sätra Brunn नाम के इस गांव की सबसे बड़ी खूबी ये है कि यह देश की राजधानी स्टॉकहोम से केवल डेढ़ घंटे की दूरी पर है। यानी अगर कोई गांव खरीदेगा तो वो गांव में रहते हुए राजधानी से भी जुड़ा रह सकेगा। वैसे इस गांव का इतिहास काफी दिलचस्प है। ये अपने हेल्थ रिजॉर्ट के लिए मशहूर रह चुका है। आज से 320 सालों पहले से ही यहां पर स्पा सेंटर चलाए जा रहे हैं, जहां दुनियाभर के सैलानी स्पा लेने आया करते हैं। गांव खुद 62 एकड़ में फैला हुआ है लेकिन इसके साथ ही अतिरिक्त 84 एकड़ भी हैं। ये एक्सट्रा जमीन खेती-किसानी और बागवानी के लिए रखी गई है। माना जा रहा है कि साढ़े तीन सौ साल पुराने इस गांव को सहेजने के लिए तैयार होने पर स्वीडन की सरकार खरीददार को काफी चीजों में रियायत भी दे सकती है।


मंडी सचिव ने उपलब्ध नहीं कराया टीनशेड

कोलारस खरीदी केंद्र पर रखा चना बारिश में भीगा
- खरीदी केंद्र की सोसाइटी को मंडी सचिव ने उपलब्ध नहीं कराया टीनशेड


शिवपुरी। शिवपुरी जिले में समर्थन मूल्य पर चना खरीदी का काम विवादों में है। रविवार को अचानक मौसम बदलने से बारिश के बाद कोलारस खरीदी केंद्र मंडी में समर्थन मूल्य पर किसानों से लिया गया हजारों क्विंटल चना भीग गया। यहां पर रविवार को तेज बारिश के बाद मंडी में बनाए गए केंद्र पर खुले में खरीदी जा रहा कई क्विंटल चना भीग गया। मंडी में स्थिति यह रही कि यहां पर एक से दो फिट बारिश का पानी जमीन पर था और खुले में रखा गया सैंकड़ों क्विंटल चना बारिश में भीग गया। खरीदी कार्य से जुड़े अधिकारियों की यहां पर लापरवाही साफ तौर पर देखी गई। अधिकारियों को जब पता है कि इस समय प्रदेश में मानसून की आमद हो चुकी है और कभी भी बारिश हो सकती है इस दौरान यहां पर बारिश से बचाव को लेकर आवश्यक इंतजाम होने चाहिए थे लेकिन लापरवाही की हदें पार करते हुए प्रबंधन ने इस पर कोई गौर नहीं किया। इससे कई क्विंटल चना भीग गया।


जर्मन पुलिस ने गैंग का भंडाफोड़ किया

बर्लिन। जर्मन पुलिस ने हाल ही में बच्चों का यौन शोषण करने और उनकी अश्लील फिल्म बनाने वाले एक गैंग का भंडाफोड़ किया है। जर्मनी के मुंस्टर शहर में पुलिस ने एक घर से चाइल्ड एब्यूज की इतनी फिल्में और फोटोज बरामद की हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें देख पाने में 30 साल का समय लग जाएगा। इस भयानक घटना को एक घर में अंजाम दिया जा रहा था और वहां चाइल्ड एब्यूज की फिल्में बनाने के लिए एक एयरकंडीशन्ड रूम में कम्प्यूटर इक्विपमेंट लगाए गए थे। करीब 600 टेराबाइट का वीडियो बरामद किया गया है। बताया जा रहा है कि इस चाइल्ड सेक्स एब्यूज रैकेट में 11 लोग शामिल थे, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। घर में एक एयरकंडीशन्ड सर्वर रूम बनाया गया था। चाइल्ड पोर्न के सारे वीडियो कम्प्यूटर में स्टोर कर के रखे जाते थे। यह घर इस गिरोह के संचालक एड्रियन वीज का बताया जा रहा है।


जर्मन पुलिस का कहना है कि कम्प्यूटर में मौजूद चाइल्ड पोर्न फिल्में इतनी ज्यादा हैं कि सभी को देख पाना संभव नहीं है। इसमें 30 साल लग जाएंगे। जर्मन पुलिस अब इस डाटा को एनालाइज करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेने के बारे में सोच रही है। वहीं, प्रोफेसर क्रिश्चियन मैटडॉर्फ का कहना है कि इतना ज्यादा डाटा को एनालाइज कर पाना फोरेंसिक टेक्वनीशियन के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेना जरूरी होगा। इससे जांच का काम तेजी से हो सकेगा। डिटेक्टिव्स को शक है कि बच्चों के यौन उत्पीड़न का काम इसी घर में हुआ है। इस घर में हर जगह सिक्युरिटी कैमरे लगे हुए पाए गए, जिनका इस्तेमाल चाइल्ड एब्यूज को रिकॉर्ड करने में किया जाता होगा। देखें इस खौफनाक वारदात से संबंधित तस्वीरें और जानें दूसरी डिटेल्स।


इस चाइल्ड सेक्स एब्यूज रैकेट का सरगना एड्रियन वी 27 साल का एक आईटी स्पेशलिस्ट है। चाइल्ड एब्यूज की ज्यादातर फिल्में उसके घर में बनाई गईं, वहीं कुछ फिल्में उसकी मां के घर में भी बनाई गई हैं। कैरिना वी एक 45 साल की किंडरगार्टन टीचर हैं। इस महिला को भी चाइल्ड एब्यूज के मामले में अरेस्ट किया गया है, वैसे अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि क्या वह अपने स्कूल के बच्चों को भी चाइल्ड एब्यूज का शिकार बनाती थी। चाइल्ड एब्यूज की फिल्में बनाने के लिए इस कमरें में तकनीकी इंतजाम किए गए थे।


रोगियों की सेवा करना 'डॉक्टर का कर्तव्य'

छतरपुर। जिला चिकित्सालय में आइसोलेशन वार्ड में रोगियों की देखभाल कर रही डॉ नीलम अहिरवार मूल रूप से छतरपुर की रहने वाली हैं। वह शिवपुरी जिले में जिला अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रही हैं। नीलम का मानना है की रोगियों की सेवा करना ही एक डॉक्टर का कर्तव्य है। और अभी कोरोना वायरस महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है। ऐसे में एक चिकित्सक होने के नाते पूरी जिम्मेदारी से अपना काम करना बहुत जरूरी है। उनका कहना है कि इसी के लिए शिक्षा ग्रहण की है कि रोगियों का इलाज करें।


डॉ नीलम आइसोलेशन वार्ड में रोगियों की देखभाल के साथ-साथ उनकी मेंटल हेल्थ का भी ध्यान रखती हैं। आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी से पहले उन्हें टेलीमेडिसिन सेंटर में जिम्मेदारी दी गई थी। जहाँ उनकी कार्यशैली को देखते हुए उन्हें आइसोलेशन वार्ड में लगाया गया। उसे भी उन्होंने पूरी लगन से पूरा किया। जिले में अभी तक 23 कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीज़ मिले हैं। इनमें से 12 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर पहुंच गए हैं। इसमें जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में मरीजों की देखभाल कर रहे चिकित्सकों का भी योगदान है। उनमें से डॉ नीलम भी हैं। इस प्रकार वह कोविड-19 की इस जंग को जीतने में कोरोना योद्धा की भूमिका निभा रही हैं।


कालका-पिंजौर भी कोरोना से अछूता नहीं

पुनीत भास्कर


कालका-पिंजौर। कोरोना वाइरस अपने पैर पसारने लगा है जिसका असर अब दिखने लगा है व कालका-पिंजौर भी अब इस वायरस से अछूता नही रहा। कोरोना काल मे आज कालका में कोरोना के 2 केस पॉजिटिव आने की पुष्टि हुई है जिसमे एक केस टिपरा से है जिसकी ट्रेवल हिस्ट्री दिल्ली की है व दूसरा केस वसंत विहार हाउसिंग बोर्ड कालका का है जिसकी ट्रेवल हिस्ट्री फ़रीदाबाद की है। स्वास्थ्य विभाग कर रहा आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट करने की तैयारी। यह जानकारी एस डी एच कालका के एसएमओ इंचार्ज डॉ. धर्मेन्द्र ने दी।


ठेकेदार कर रहा 'घटिया सामग्री का उपयोग'

गाजियाबाद। लोनी क्षेत्र के शकलपुरा गाँव में गाजियाबाद जिला पंचायत द्वारा कराये जा रहे सडक निर्माण में ठेकेदार कर रहा है। घटिया सामग्री का उपयोग। शकलपुरा गाँव से नहर की तरफ बनाया जा रहा है। नाला व सीसी मार्ग। नाले में भी घटिया सामग्री का हो रहा है प्रयोग। पत्थर की जगह डाली जा रही है मिट्टी। ग्रामीणों के विरोध के बाद भी कराया जा रहा है निर्माण कार्य।

हिमाचलः पिछले 18 घंटे में 7 नए मामले

शिमला। हिमाचल में पिछले 18 घंटे के अंदर कोरोना पॉजिटिव के सात नए मामले आए हैं। इसमें ऊना जिला से तीन, शिमला से दो, सोलन और चंबा से एक-एक मामला सामने आया है। शिमला में कोरोना पॉजिटिव आए दिल्ली के चालक की मृत्यु हुई है। चालक गुमटी गिरने से घायल हो गया था। आईजीएमसी में उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी। उसका कोरोना सैंपल पॉजिटिव पाया गया था। हालांकि, यह पॉजिटिव मामला शिमला के खाते में जुड़ा है, लेकिन मौत की वजह कोरोना ना होकर गुमटी गिरने से इंजरी है। वहीं, दिल्ली के इस ट्रक चालक का साथी भी शिमला में पॉजिटिव पाया गया है। चंबा जिला के भटियात क्षेत्र में एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। संक्रमित व्यक्ति की सैंपलिंग रिपोर्ट आने के बाद रविवार को स्वास्थ्य विभाग प्रशासन तथा पुलिस की टीम ने संक्रमित व्यक्ति के गांव में दस्तक दी। संक्रमित पाए गए व्यक्ति को आज कोविड सेंटरबालू में शिफ्ट किया। ऊना में गगरेट के बड़ोह की निवासी एक महिला, अंब के भैरा का निवासी एक युवक एवं ऊना उपमंडल के बसदेहड़ा निवासी एक व्यक्ति पॉजिटिव पाया गया है।


 

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हिमाचल में रिकवरी रेट 60 फीसदी से अधिक


हिमाचल में कांगड़ा (Kangra) जिला कोरोना के मामलों में नंबर वन है। दूसरे नंबर पर हमीरपुर जिला है। कांगड़ा जिला में कुल आंकड़ा 138 है और हमीरपुर में 131 है। हमीरपुर (Hamirpur) में एक्टिव केस 34 रह गए हैं, कांगड़ा में 60 हैं। हमीरपुर के 96 मरीज अब तक कोरोना से जंग जीत चुके हैं। कांगड़ा में 74 लोग ठीक हुए हैं। कांगड़ा और हमीरपुर में दो की मृत्यु हुई है। हिमाचल में कोरोना से मृत्यु की बात करें तो मंडी में दो और शिमला में भी दो की मौत हुई है। अब तक 6 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। हिमाचल में अब तक कोरोना का कुल आंकड़ा 509 है। अभी 182 एक्टिव केस हैं। अब तक 313 लोग ठीक हुए हैं। हिमाचल के 11 जिलों में अभी एक्टिस मामले हैं। वहीं, लाहुल स्पीति में अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है। हिमाचल में राहत बात यह है कि रिकवरी रेट 60 फीसदी से अधिक पहुंच गया है। हर रोज काफी संख्या में मरीज ठीक हो रहे हैं।


भारत में तेजी से बढ़ रहा है 'संक्रमण'

नई दिल्ली। कोरोना एक वैश्विक महामारी है। भारत में इसका संक्रमण अब तेजी से बढ़ रहा है। मौतों की दर में भी वृद्धि हुई है। इस सबके के लिए जिम्मेदार कौन है। ऐसे समय जब विश्व के कई देशों में कोरोना का प्रभाव कम हो रहा है, हम एक अनचाही प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे जाते क्यों दिख रहे हैं? मातृभूमि समाचार ने निर्णय लिया की इसका उत्तर उसी जनता से जानने का प्रयास किया जाए, जो इससे प्रभावित है।


कोरोना से जुड़े विभिन्न प्रश्नों का ऑनलाइन सर्वे मातृभूमि समाचार ने हेलो एप पर किया। इस सर्वे में हमें पूरे भारत से कुल 94,959 वोट प्राप्त हुए। इसका निष्कर्ष यही था कि भारत में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने अच्छा काम किया है, किन्तु राज्य सरकारों और विशेष रूप से जनता ने आवश्यक सहयोग नहीं दिया है। मातृभूमि समाचार के सर्वे में हमारा पहला प्रश्न था कि क्या नरेन्द्र मोदी सरकार कोरोना से लड़ने के लिए हर संभव कदम उठा रही है? 68 प्रतिशत लोगों का उत्तर हां था, 25 प्रतिशत ने न कहा और जबकि 7 प्रतिशत लोग अपनी राय तय नहीं कर सके। 38 प्रतिशत लोग मानते हैं कि भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं, जबकि 33 प्रतिशत लोग केंद्र व राज्य सरकार दोनों को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं. 21 प्रतिशत लोग राज्य सरकारों को जिम्मेदार नहीं मानते, जबकि 8 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके। 90 प्रतिशत लोगों को लगता है कि कोरोना के कारण खराब हुई आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए राज्यों को स्वयं प्रयास करना चाहिए। 6 प्रतिशत इससे सहमत नहीं थे, जबकि 4 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके।


क्या जनता की सजगता से कोरोना को नियंत्रित किया जा सकता था, लेकिन हमारी लापरवाही ने कोरोना संक्रमण को बहुत अधिक बढ़ा दिया। इस बात से 77 प्रतिशत लोग सहमत थे. 15 प्रतिशत कोरोना संक्रमण फैलने के लिए जनता को जिम्मेदार नहीं मानते थे, जबकि 8 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके। 65 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि भारत में कोरोना की रफ़्तार को कम करने के लिए दुबारा लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए। 17 प्रतिशत लोग सिर्फ कुछ राज्यों में दुबारा लॉकडाउन के पक्ष में हैं. जबकि 15 प्रतिशत लोग दुबारा लॉकडाउन नहीं चाहते और 3 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके. मुंबई देश का सबसे अधिक कोरोना संक्रमित महानगर है, यहां इस महामारी के प्रकोप के लिए 60 प्रतिशत लोग बीएमसी को जिम्मेदार मानते हैं। 21 प्रतिशत ऐसा नहीं मानते, जबकि 19 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके.


59 प्रतिशत लोगों का यह मानना है कि भारत में कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो चुका है। 18 प्रतिशत इस बात से सहमत नहीं थे, जबकि 23 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके. 73 प्रतिशत लोगों का मानना है कि दिल्ली में कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो चुका है। 11 प्रतिशत इससे सहमत नहीं थे, जबकि 16 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके. 51 प्रतिशत लोगों का मानना है कि भारत विश्व का सबसे अधिक संक्रमित देश बन सकता है. 37 प्रतिशत लोगों को ऐसा नहीं लगता है, जबकि 12 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके। 50 प्रतिशत लोगों का कहना है कि दवा या वैक्सीन बनने के बाद ही भारत में कोरोना संक्रमण कम होगा. 21 प्रतिशत लोगों को सितम्बर के बाद, 19 प्रतिशत लोगों को जुलाई व 10 प्रतिशत अगस्त में कोरोना संक्रमण के कम होने की संभावना व्यक्त कर रहे हैं।


हमारा अगला प्रश्न था कि क्या आपको लगता है कि प्राइवेट अस्पतालों में सिर्फ लूट होती है, उपचार नहीं? इस 39 प्रतिशत ने प्राइवेट अस्पतालों, 36 प्रतिशत ने लगभग सभी व 22 प्रतिशत ने कुछ प्राइवेट अस्पतालों को लूट का अड्डा माना, जबकि 3 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके. 41 प्रतिशत लोगों का मानना है कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों की ठीक से देखभाल नहीं होती. 33 प्रतिशत लोग सरकारी अस्पतालों के उपचार से संतुष्ट थे, जबकि 26 प्रतिशत लोग अपनी राय तय नहीं कर सके. 62 प्रतिशत लोगों का मानना था कि कोरोना के लिए बनाये गए अधिकांश पृथकवास केन्द्रों पर अव्यवस्था है, 23 प्रतिशत लोग इस व्यवस्था से संतुष्ट थे, जबकि 16 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके। विपक्ष मोदी सरकार पर कोरोना संक्रमण को लेकर हमलावर है, किन्तु क्या जनता भी इन आरोपों से सहमत है? 55 प्रतिशत लोग राहुल गांधी के आरोपों से सहमत नहीं हैं. जबकि 36 प्रतिशत लोग राहुल के आरोपों को सही मानते हैं, जबकि 9 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके. इन सब समस्याओं के बाद भी 66 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि 2024 में नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री बनें. जबकि 33 प्रतिशत लोग दूसरा प्रधानमंत्री चाहते हैं, सिर्फ 1 प्रतिशत इस मामले में अपनी राय तय नहीं कर सके।


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