सोमवार, 8 जून 2020

किस ब्लड ग्रुप में फैल रहा है संक्रमण ?

कविता गर्ग


नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच अलग-अलग देशों में कई रिसर्च हो रही हैं। भारतीय वैज्ञानिक समेत दुनियाभर के शोधकर्ता और विशेषज्ञ कोरोना के लक्षणों, इसकी संरचना, प्रभाव, इलाज, दवा, वैक्सीन आदि को लेकर शोधरत हैं। शुरुआत से ही कई शोधों के आधार पर यह बात बताई जा चुकी है कि कमजोर इम्यूनिटी वालों को कोरोना का ज्यादा खतरा रहता है। इसके अलावा बुजुर्गों या पहले से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। लेकिन क्या कोरोना संक्रमण का ब्लड ग्रुप से भी गहरा संबंध है? बीते मार्च में इसको लेकर चीन के हुबेई प्रांत के झोंगनान अस्पताल में एक रिसर्च स्टडी की गई थी। अब एक बार फिर जर्मनी की कील यूनिवर्सिटी ने इस संबंध में अध्ययन किया है, जिसके परिणाम पूर्व में हुई स्टडी से मिलते हैं।


जर्मनी की कील यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में बताया है कि किस ब्लड ग्रुप के लोगों को कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा है और किस ग्रुप के लोगों को इसका कम खतरा है। उन्होंने डीएनए के एक खास हिस्से को कोरोना संक्रमण से जोड़ते हुए अध्ययन किया है। बताया है कि ज्यादा जोखिम वाले ब्लड ग्रुप के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ बढ़ सकती है और वेंटिलेटर की भी जरूरत पड़ सकती है।


शोधकर्ताओं का दावा


कील यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि ए ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है। ऐसे लोगों में संक्रमण का स्तर गंभीर हो सकता है और उन्हें वेंटिलेटर तक की जरूरत पड़ सकती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अन्य ब्लड ग्रुप वालों की अपेक्षा ए ब्लड ग्रुप वालों को संक्रमित होने का खतरा छह फीसदी तक ज्यादा है।


ए ब्लड गुप वालों को खतरा


शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि ए ब्लड ग्रुप वाले कोरोना पीड़ितों में डीएनए का एक खास हिस्सा ऐसा है, जो ज्यादा जोखिम का कारक हो सकता है। रिसर्च के दौरान इसकी पुष्टि हुई है। इससे पहले चीन के वुहान में हुई रिसर्च स्टडी में भी पता चला था कि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ए है, उन्हें कोरोना के संक्रमण का ज्यादा खतरा है।
वेंटिलेटर की जरूरत


शोधकर्ताओं का कहना है कि ए ब्लड ग्रुप वाले कोरोना मरीजों में 50 फीसदी तक संभावना है कि उन्हें सांस लेने में ज्यादा तकलीफ हो सकती है। उन्हें ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत पड़ सकती है या फिर उन्हें वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ सकता है। ब्लड ग्रुप एक ऐसा फैक्टर है, जो कि बुजुर्गों के प्रति युवाओं को कम खतरा होने के समीकरण को प्रभावित करता है।


बड़ी संख्या में युवा भी हो रहे संक्रमित


ब्लड ग्रुप और अन्य कई फैक्टर्स के चलते युवा और स्वस्थ लोग भी कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं और उनकी मौत की संभावना भी हो सकती है। चीन में बुजुर्गों की संख्या ज्यादा रही, जबकि अमेरिका में कोरोना के 40 फीसदी मरीज युवा हैं। पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमितों में युवाओं की संख्या भी अच्छी खासी है।


अमेरिका में संक्रमण पर भी नजर 


अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, पिछले हफ्ते अस्पतालों में भर्ती होने वाले कोरोना के 30 फीसदी मरीजों की उम्र 18 से 49 साल के बीच थी। ए ब्लड ग्रुप वालों में किस उम्र वर्ग के लोग सबसे ज्यादा संक्रमण के रिस्क जोन में हैं, शोधकर्ता इसका पता लगा रहे हैं।


रिसर्च स्टडी में क्या सामने आया?


शोधकर्ताओं ने सांस लेने में ज्यादा तकलीफ वाले इटली और स्पेन के कोरोना पीड़ितों के डीएनए सैंपल लिए। दोनों देशों के ऐसे 1610 मरीजों के जीनोम सिक्वेंस की जांच की गई। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इनकी डीएनए रिपोर्ट में एक कॉमन पैटर्न दिखा जो जान का खतरा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार कारक हो सकता है। सामान्य लक्षणों वाले 2205 मरीजों से इनकी डीएनए रिपोर्ट का मिलान करने पर पाया गया कि 1610 मरीजों में डीएनए के दो जीन उनकी नाजुक हालत के जिम्मेदार थे।


किस ब्लड ग्रुप वालों को कम खतरा?


जर्मनी के शोधकर्ताओं का कहना है कि ओ ब्लड ग्रुप वालों में गंभीर संक्रमण का खतरा कम है। वुहान में मार्च में हुए रिसर्च में भी बताया गया था कि ए ब्लड ग्रुप की तुलना में ब्लड ग्रुप ‘ओ’ वाले लोगों को इसके संक्रमण का खतरा कम है। जर्मनी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, ब्लड ग्रुप ए वालों में खतरे की वजह इम्यून सिस्टम भी हो सकती है, जो अधिक सक्रिय होने पर फेफड़ों में सूजन बढ़ाता है और दूसरे अंगों को भी इस तरह प्रभावित करता है कि अंग कोरोना से नहीं लड़ पाते।


जर्मनी के शोधकर्ताओं की इस रिसर्च स्टडी के परिणाम जैसे आए हैं, चीन के वुहान में हुई स्टडी के परिणाम भी ऐसे ही आए थे। दोनों शोध इस बात की तस्दीक करते हैं कि ए ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना संक्रमण का ज्यादा खतरा है, जबकि ओ ब्लड ग्रुप वालों को संक्रमण का खतरा अपेक्षाकृत कम है।


जिंदगी चलती जाती है 'कहानी'

जिंदगी चलती जाती हैं

 

जब जूलियो 10 साल का था तो उसका बस एक ही सपना था , अपने फेवरेट क्लब रियल मेड्रिड की ओर से फुटबाल खेलना ! वह दिन भर खेलता, प्रैक्टिस करता और धीरे-धीरे वह एक बहुत अच्छा गोलकीपर बन गया। 20 का होते-होते उसके बचपन का सपना हकीकत बनने के करीब पहुँच गया। उसे रियल मेड्रिड की तरफ से फुटबाल खेलने के लिए साइन कर लिया गया।

खेल के धुरंधर जूलियो से बहुत प्रभावित थे और ये मान कर चल रहे थे कि बहुत जल्द वह स्पेन का नंबर 1 गोलकीपर बन जायेगा। 1963 की एक शाम, जूलियो और उसके दोस्त कार से कहीं घूमने निकले। पर दुर्भाग्यवश उस कार का एक भयानक एक्सीडेंट हो गया, और रियल मेड्रिड व स्पेन का नंबर 1 गोलकीपर बनने वाला जूलियो हॉस्पिटल में पड़ा हुआ था , उसके कमर के नीचे का हिस्सा पैरलाइज हो चुका था। 

डॉक्टर्स इस बात को लेकर भी आस्वस्थ नहीं थे कि जूलियो फिर कभी चल पायेगा, फ़ुटबाल खेलना तो दूर की बात थी। वापस ठीक होना बहुत लम्बा और दर्दनाक अनुभव था. जूलियो बिलकुल निराश हो चुका था, वह बार-बार उस घटना को याद करता और क्रोध और मायूसी से भर जाता. अपना दर्द कम करने के लिए वह रात में गाने और कविताएँ लिखने लगा. धीरे-धीरे उसने गिटार पर भी अपना हाथ आजमाना शुरू किया और उसे बजाते हुए अपने लिखे गाने भी गाने लगा।

18 महीने तक बिस्तर पर रहने के बाद , जूलियो अपनी ज़िन्दगी को फिर से सामान्य बनाने लगा। एक्सीडेंट के पांच साल बाद उसने एक सिंगिंग कम्पटीशन में भाग लिया और ” लाइफ गोज ओन द सेम ” गाना गा कर फर्स्ट प्राइज जीता। वह फिर कभी फ़ुटबाल नहीं खेल पाया पर अपने हाथों में गिटार और होंठों पे गाने लिए जूलियो इग्लेसियस संगीत की दुनिया में Top-10  सिंगर्स में शुमार हुआ ,और अब तक उनके 30 करोड़ से अधिक एल्बम बिक चुके हैं।

उपर्युक्त कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि हमें परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए, परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, हमे उन्हें अपने अनुकूल बनाकर जिंदगी बितानी चाहिए। हंसती-खेलती जिंदगी में आये संकटों से घबराकर जिंदगी में निराश/हताश न होकर समय व परिस्थिति के अनुरुप अपने आपको एडजस्ट करके जिंदगी जिनी चाहिए।

 

दिल्ली सीएम की तबीयत खराब होगी जांच

नई दिल्‍ली। दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की तबीयत खराब हो गई है। सीएम केजरीवाल रविवार से बुखार और गले में खराश की शिकायत बता रहे हैं। कोरोना के लक्षण जैसी शिकायत के कारण अब उनको कोरोना टेस्ट करवाना होगा। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार, मंगलवार को केजरीवाल का कोरोना टेस्‍ट होगा। इधर एहतियात के कारण सीएम की कल दोपहर से सारी मीटिंग कैंसिल कर दी गई है। वहीं, सीएम केजरीवाल ने खुद को आइसोलेट कर लिया है।


दिखे शुरुआती लक्षण


बता दें कि कोरोना के लक्षण में बुखार आना और गले में खराश की शिकायत सबसे पहले लक्षणों में एक है। यही लक्षण केजरीवाल में अभी फिलहाल शुरुआती तौर पर दिख रहे हैं। हालांकि, बीमारी के लक्षण के बाद खुद उन्‍होंने अपने को आइसोलेट कर लिया है। अब कोरोना टेस्‍ट के बाद ही पता चल पाएगा कि यह सामान्‍य बुखार है या कोरोना से जुड़ा है। फिलहाल डॉक्‍टरों की एक टीम उनके स्‍वास्‍थ्‍य का ख्‍याल रख रही है।


जल्‍द लौटेंगे काम पर


दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री को कल से थोड़ा बुखार और गले में दर्द है। कल दोपहर से उन्होंने अपने आपको आइसोलेट कर रखा है। डॉक्टर ने सलाह दी है कि कल उनका कोरोना टेस्ट होगा।हम सब ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि वे सकुशल रहें और जल्दी से स्वस्थ होकर वापस काम पर लौटेंं।


संजय सिंह ने कहा जल्‍द होंगे ठीक


इधर आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने अरविंद केजरीवाल की तबीयत पर कहा कि उन्‍हें सात जून से कुछ परेशानी हो रही है। डॉक्‍टरों की सलाह पर वे खुद को घर में ही आइसोलेट कर लिए हैं। प्रभु जल्‍द.से.जल्‍द उन्‍हें स्‍वस्‍थ करे, यह प्रार्थना है मेरी।


मनोज तिवारी ने कहा हनुमान जी करेंगे ठीक


भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा कि मैंने हनुमान जी से केजरीवाल जी को स्वस्थ रखने की प्रार्थना की हैै। वो स्वस्थ रहें और दिल्ली को स्वस्थ रखने में अपनी जो भूमिका है उसका निर्वाह करें। दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्लीवालों का इलाजश् इस तरह इंसानियत को शर्मसार करने वाला निर्णय दिल्ली को नहीं लेना चाहिए था।


कुछ दिनों से चल रहा सीमा विवाद


इधर, बता दें कि कोरोना और सीमा विवाद को लेकर पिछले कुछ दिनों से केजरीवाल सुर्खियों में हैं। दिल्‍ली के बॉर्डर खोलने और कोरोना के बेड को लेकर हो उठ रहे विवाद के बाद केजरीवाल ने रविवार को बड़ा फैसला लिया था, जिसमें यह कहा था कि बाहरी मरीजों का इलाज अब राज्य सरकार के अस्पतालों में नहीं होगा। दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों में अब सिर्फ दिल्ली के लोगों का ही इलाज होगा। केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र वाले अस्पतालों जैसे एम्स समेत अन्य में कोई भी मरीज इलाज करा सकता है। वहीं, सीमा विवाद पर यह तय हुआ था कि दिल्‍ली की सीमा अब हर किसी के लिए खुली रहेगी यह बंद नहीं होगी।


देश की तरक्की का आधार बना 'मनरेगा'

अकाशुं उपाध्याय


नई दिल्ली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून, 2005 यानी मनरेगा एक क्रांतिकारी और तर्कसंगत परिवर्तन का जीता जागता उदाहरण है। यह क्रांतिकारी बदलाव का सूचक इसलिए है, क्योंकि इस कानून ने गरीब से गरीब व्यक्ति के हाथों को काम और आर्थिक ताकत दी है। मनरेगा का पैसा सीधे उन लोगों के हाथों में पहुंचता है जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। विरोधी विचारधारा वाली केंद्र सरकार के छह साल में और उससे पहले भी मनरेगा की उपयोगिता साबित हुई है।


अंतत: मोदी सरकार को मनरेगा के लाभ और सार्थकता को स्वीकारना पड़ा


मोदी सरकार ने इसकी आलोचना की, इसे कमजोर करने की कोशिश की, लेकिन अंत में उसे मनरेगा के लाभ और सार्थकता को स्वीकारना पड़ा। कांग्र्रेस सरकार द्वारा स्थापित की गई सार्वजनिक वितरण प्रणाली के साथ-साथ मनरेगा सबसे गरीब और कमजोर नागरिकों को भूख एवं गरीबी से बचाने के लिए अत्यंत कारगर है। खासतौर से कोरोना महामारी के संकट के दौर में यह और ज्यादा प्रासंगिक है।


मनरेगा कानून एक लंबे जन आंदोलन द्वारा उठाई जा रही मांगों का परिणाम है


मनरेगा कानून एक लंबे जन आंदोलन तथा सिविल सोसायटी द्वारा उठाई जा रही मांगों का परिणाम है। कांग्रेस ने जनता की इस आवाज को सुना और अमली जामा पहनाया। यह हमारे 2004 के चुनावी घोषणापत्र का संकल्प बना। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए अधिक से अधिक दबाव डालने वाले हर व्यक्ति को गर्व है कि यूपीए सरकार ने इसे लागू कर दिखाया।


मनरेगा का उद्देश्य गरीबी मिटाना है


इसका सार यही है कि गांवों में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को अब काम मांगने का कानूनी अधिकार है। सरकार द्वारा उसे न्यूनतम मजदूरी के साथ कम से कम सौ दिनों तक काम दिए जाने की गारंटी होगी। इसकी उपयोगिता बहुत जल्द साबित भी हुई। यह जमीनी स्तर पर काम का अधिकार देने वाला कार्यक्रम है, जो अपने में अभूतपूर्व है। इसका उद्देश्य गरीबी मिटाना है। मनरेगा की शुरुआत के बाद 15 वर्षों में इस योजना ने लाखों लोगों को भूख और गरीबी के कुचक्र से बाहर निकाला है।


मनरेगा को बंद करना व्यावहारिक नहीं


महात्मा गांधी ने कहा था, ‘‘जब आलोचना किसी आंदोलन को दबाने में विफल हो जाती है तो उस आंदोलन को स्वीकृति और सम्मान मिलना शुरू हो जाता है।’’ उनकी इस बात को साबित करने का मनरेगा से ज्यादा अच्छा उदाहरण और कोई नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी समझ आया कि मनरेगा को बंद करना व्यावहारिक नहीं। हालांकि उन्होंने आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग कर कांग्रेस पर हमला बोला और इस योजना को ‘कांग्रेस की विफलता का एक जीवित स्मारक’ तक कह डाला।


मोदी सरकार ने मनरेगा को खोखला करने की पूरी कोशिश की


पिछले सालों में मोदी सरकार ने मनरेगा को खत्म एवं खोखला करने की पूरी कोशिश की, लेकिन मनरेगा के सजग प्रहरियों, अदालत और विपक्षी दलों के भारी दबाव के चलते उसे पीछे हटने को मजबूर होना पड़ा। इसके बाद केंद्र ने मनरेगा को स्वच्छ भारत तथा पीएम आवास योजना जैसे कार्यक्रमों से जोड़कर इसका स्वरूप बदलने की कोशिश की, जिसे सुधार कहा गया, लेकिन यह कांग्रेस की योजनाओं का नाम बदलने का प्रयास मात्र था। मनरेगा श्रमिकों को भुगतान में देरी की गई और उन्हें काम तक देने से इन्कार किया गया।


आफतः अंतिम संस्कार के बाद आई रिपोर्ट

मनोज सिंह ठाकुर


मुंबई। देश में कोरोना की मार से सबसे ज्यादा महाराष्ट्र प्रभावित हुआ है। यहां कोरोना संक्रमितों की संख्या 85 हजार के पार पहुंच चुकी है। इस सकंट के बीच एक अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है। अस्पताल की ओर से एक 55 साल के व्यक्ति की डेड बॉडी बिना कोरोना रिपोर्ट देखे ही परिजनों को सौंप दी गई। वहीं, परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया तो पता चला कि मृतक शख्स की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव है। ऐसे में अब अंतिम संस्कार में शामिल हुए करीब 400 लोगों पर आफत बन आई है। मुंबई के वसई में स्थित The Cardinal Gracious Hospital में अरनाला गांव के रहने वाले 55 साल के व्यक्ति को लीवर की समस्या की वजह से एडमिट कराया गया था। वो 15 दिनों तक अस्पताल में रहे और बीते गुरुवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इसके बाद डेड बॉडी को कोरोना टेस्ट के लिए भेज दिया गया। वहीं, अस्पताल ने बिना रिपोर्ट आए ही परिजनों को डेड बॉडी सौंप दी।


इधर, मृतक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में 400 से अधिक लोग शामिल हुए। अगले दिन परिवार के सदस्यों को अस्पताल से फोन आया कि मृतक व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके बाद अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले रिश्तेदारों और पड़ोसियों में दहशत फैल गई। वसई के स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बालसाहेब जाधव ने कहा कि अंतिम संस्कार के अगले दिन कोरोना रिपोर्ट आई थी। हमने अस्पताल को नोटिस भेजा है। मामले में पूछताछ जारी है। वहीं, अस्पताल की ओर से कहा गया कि मरीज को 15 दिन पहले भर्ती कराया गया था। पहले कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी और कोई लक्षण भी नहीं थे। उनकी मौत लीवर की बीमारी की वजह से हुई है। डेड बॉडी सौंपने से पहले उन्हें वेंटीलेटर और डायलिसिस पर रखा गया था। साथ ही परिजनों को भी कोरोना से जुड़े सभी उचित निर्देश दिए गए थे। शरीर पैक किया गया था. इस वक्त ऐसे आरोप डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मचारियों का मनोबल गिराने जैसा है।


हिमाचल: अनियंत्रित वायरस, संक्रमित-413

सोलन। हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के मामलों में अभी भी कमी नहीं आई है। जिला सोलन (District Solan) में फिर से कोरोना के दो नए मामले सामने आए हैं। रविवार को कोविड-19 जांच के लिए केंद्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली भेजे गए 148 सैंपल में से 146 नेगेटिव और दो लोगों के सैंपल पॉजिटिव (positive) पाए गए हैं। दोनों के सैंपल बरोटीवाला क्वारंटाइन सेंटर (Quarantine Center Barotiwala ) से लिए गए थे।


संक्रमितों में एक व्यक्ति नालागढ़ से है और हावड़ा, कोलकाता (Calcutta) से आया था, जबकि दूसरा उत्तराखंड (Uttrakhand) से है और बरमाणा स्थित सीमेंट कंपनी में कार्य करता है। दोनों दिल्ली से ट्रेन में सफर कर हिमाचल पहुंचे। जिला स्वास्थ्य अधिकारी सोलन डॉ. एनके गुप्ता ने इसकी पुष्टि की है। इसी के साथ सोलन जिला में अब कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 34 पहुंच गया है, जबकि 18 एक्टिव मामले हैं। वहीं हिमाचल में अब कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 413 हो गई है इनमें से 185 एक्टिव केस हैं जबकि 223 स्वस्थ हो गए हैं। प्रदेश में अब तक पांच लोगों की मौत हुई है।


एसएसपी ने कचहरी का निरीक्षण किया

एसएसपी ने किया कचहरी परिसर का निरीक्षण, अधिवक्ताओं को नियमों का पालन करने का दिया निर्देश

वाराणसी। जिला जज उमेश चंद्र शर्मा द्वारा 8 जून से सभी अदालतों में न्यायिक कार्य संपादित करने के आदेश के बाद सोमवार को एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने कचहरी परिसर में भ्रमण कर न्यायालय की व्यवस्थाओं का हाल जाना। इस दौरान उन्होंने नवसृजित न्यायालय सुरक्षा चौकी का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान एसएसपी ने न्यायालय सुरक्षा चौकी में रँगाई पुताई आदि के लिये आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराने का सम्बंधित अफसरों को निर्देश भी दिया। वहीं कचहरी परिसर में निर्धारित दिशा निर्देशों के अनुरूप कामकाज हो सके इसके लिये मातहतों वादकारी/अधिवक्ता को भी दिशा-निर्देश पालन करने का आग्रह किया। बता दें कि न्यायिक अधिकारियों तथा बार पदाधिकारियों की बैठक में निर्णय लिया गया है कि ट संख्या एक से न्यायिक अधिकारी, कर्मचारी तथा गेट पांच से अधिवक्ता व वादकारी थर्मल स्कैनिंग के बाद मास्क लगाकर ही कचहरी परिसर में प्रवेश पाएंगे।

अधिवक्ता वादकारी समेत चार से ज्यादा कीअदालत कक्ष में रहने की अनुमति नहीं होगी। दफ्तर संबंधित प्रार्थना पत्र व अऩ्य दस्तावेजों को न्यायालय कक्ष में रीडर अथवा कर्मचारी को दोपहर 12 बजे से पहले देना होगा जबकि जमानतनामा तथा बंधपत्र दोपहर 3.30 से चार बजे के बीज उपलब्ध करना होगा।

गधे पर जुआ खेलने का मामला दर्ज

क्या आपने कभी किसी गधे को जुआ खेलते हुए देखा या सुना है। आपका जवाब होगा नहीं, जानवर कैसे जुआ खेल सकते हैं ? लेकिन पाकिस्तान में ऐसा नहीं है। वहां एक गधे को जुआ खेलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।


रहीम यार। यह जानकर आप को थोड़ा अजीब जरूर लग रहा होगा लेकिन यह पूरी तरह सच है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रहीम यार खान इलाके में पुलिस ने सात-आठ लोगों के अलावा एक गधे को भी जुआ खेलने के आरोप में गिरफ्तार किया है। दिलचस्प ये है कि एफआईआर में भी गधे का नाम दर्ज है। वहीं गधे की गिरफ्तारी को लेकर रहीम यार खान इलाके के एसएचओ ने कहा कि संदिग्धों के अलावा गधे का नाम भी एफआईआर में दर्ज है और उसे भी थाने के बाहर बांध कर रखा गया है।


पुलिस ने बताया कि उन्होंने जुआ खेलने वाले आरोपियों से 1 लाख 20 हजार रुपये भी बरामद किए हैं और ये लोग गधों की दौड़ पर पैसा लगा रहे थे। गधे की गिरफ्तारी की खबर जैसे ही लोगों को मिली उन्होंने सोशल मीडिया पर पुलिस को ट्रोल करना शुरू कर दिया। लोग पुलिस की इस कार्रवाई का मजाक उड़ा रहे हैं। बता दें कि पाकिस्तान में सबसे ज्यादा गधे पाए जाते हैं और वो इसे दूसरे देशों में निर्यात भी करता है।


शिवपाल ने अखिलेश से कहा, 'धन्यवाद'

लखनऊ। कहा जाता है राजनीति में कुछ भी संभव है। ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है चाचा शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच। दोनों काफी समय से एक दूसरे से दूर है। शिवपाल यादव ने अखिलेश से किनारा कर अपनी नई पार्टी बनाकर सपा को चुनौती दी थी लेकिन उनकी चुनौती राजनीति पटल कुछ खास असरदार साबित नहीं हुई है।


हालांकि चुनावी दंगल में चाचा शिवपाल यादव ने सपा को वोट काटकर मुलायम की पार्टी को नुकसान जरूर पहुंचाया। सपा के कुनबे में दरार की वजह से अखिलेश दोबारा यूपी के सीएम नहीं बन सके।


उत्तराखंडः संक्रमण के विपरीत रिकवरी बेहतर

देहरादून। प्रदेश में कोरोना की बढ़ती रफ्तार के बीच स्वस्थ होकर घर लौटने वालों की संख्या बढ़ने की अच्छी खबरें भी आने लगी हैं। उत्तराखंड में सोमवार दोपहर तक कोरोना संक्रमण के 25 नए केेस सामने आए हैं। जिसके बाद अब राज्य में मरीजों की संख्या 1380 हो गई है। वहीं अब तक 663 मरीज ठीक को चुके हैं।


आज बागेश्वर, चंपावत व रुद्रप्रयाग में दो, चमोली, देहरादून, नैनीताल व ऊधमसिंह नगर में एक, पौड़ी में चार, टिहरी में तीन और हरिद्वार में आठ संक्रमित मिले हैं। हरिद्वार में मिले केवल एक संक्रमित को छोड़कर बाकी सभी प्रवासी उत्तराखंडी हैं। आज दोपहर जारी हुए हेल्थ बुलेटिन में यह जानकारी दी गई है।


छत्तीसगढ़ में भी बढ़ रहा है संक्रमण

रायपुर। छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल बुलेटिन जारी किया है, जिसमें छत्तीसगढ़ में 31 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पुष्टि की गई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार देर रात 20 नए मरीज मिले थे, जिनमें बलौदाबाजार में 7, रायपुर में 5, कोरबा में 3, और कोरिया-जांजगीर में 2-2 मरीज मिले थे। वहीं बिलासपुर में भी एक मरीज मिला था।


इसके बाद आज 11 नए मरीज मिले हैं जिनमें कांकेर में 5 मरीज, बेमेतरा में 3 और कोरिया में 3 मरीजों की पुष्टि हुई है। इन मरीजों के बाद अब छत्तीसगढ़ में एक्टिव मरीजों की संख्या 834 हो गई हैप्रदेश में कुल संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 1104 हो गया है। जिनमें 266 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज किए जा चुके हैं। वहीं 4 लोगों की मौत हो चुकी है।
आज 11 नए कोरोना पाज़िटिव मरीज़ों की पहचान की गई (जिला कांकेर से 5, बेमेतरा व कोरिया से 3-3,)। कुल एक्टिव मरीज़ों की संख्या 834 है।


झारखंड में नए 73 मामले संक्रमित 1103

झारखंड। कोरोना वायरस के 73 नए मामले सामने आए हैं। इसको मिलाकर राज्य में कोरोना के मामलों की संख्या बढ़कर 1,103 हो गई है।आंकड़ों के अनुसार, कुल मामलों में 490 मरीज ठीक हो चुके हैं, वहीं सात मरीजों की यहां मौत हो चुकी है।देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 9,983 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 206 लोगों की कोरोना वायरस के कारण मौत हो चुकी है।स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में अब तक कुल 2,56,611 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं कोरोना से मौत का आंकड़ा भी बढ़कर 7,135 तक पहुंच गया है। देश में फिलहाल 1,25,381 एक्टिल केस हैं, वहीं 1,24,095 मरीज ठीक हो चुके हैं।


कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप

कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप  दुष्यंत टीकम  जशपुर/पत्थलगांव। जशपुर जिले के एक गांव में कुएं में नवजात शिशु का शव मिला है। इससे...