शुक्रवार, 8 मई 2020

श्रमिक कानूनों को किया गया शिथिल

स्वामी प्रसाद मौर्य को उम्मीद- निवेश को मिलेगा बढ़ावा
सीताराम येचुरी ने लगाया श्रम को नष्ट करने का आरोप


लखनऊ । कोरोना वायरस की महामारी के कारण देश में लॉकडाउन लागू है। लॉकडाउन के कारण उद्योग धंधे पूरी तरह से बंद हैं। श्रमिकों की समस्या के कारण खोलने की छूट के बावजूद बंद पड़े कार्यालयों पर ताले लटके पड़े हैं। अब उत्तर की योगी सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र की ग्रोथ दर को प्रोत्साहित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है।


सरकार ने प्रमुख श्रमिक कानूनों को शिथिल कर दिया है। सरकार ने एक अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, जो प्रमुख श्रम कानूनों से छूट देता है. यह छूट तीन साल के लिए प्रभावी होगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी. श्रमिक संघों से संबंधित सभी महत्वपूर्ण कानून, काम के विवादों को निपटाने, काम करने की स्थिति, अनुबंध आदि को मौजूदा और नए कारखानों के लिए तीन साल तक निलंबित रखा जाएगा.


मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस फैसले की जानकारी दी गई है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि लॉकडाउन के कारण प्रदेश में औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियां बहुत ज्यादा प्रभावित हुई हैं. सभी उद्योग बंद रहे. ऐसे में औद्योगिक क्षेत्र की ग्रोथ को प्रोत्साहित करना बहुत महत्वपूर्ण है. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से यह भी कहा गया है कि नया अध्यादेश मौजूदा उद्योगों, विनिर्माण इकाइयों और नई फर्मों पर भी लागू।


हालांकि, कुछ श्रम कानूनों को इस अध्यादेश की परिधि से बाहर रखा गया है. इनमें बॉन्डेड लेबर सिस्टम (उन्मूलन) अधिनियम 1976, कर्मचारी मुआवजा अधिनियम 1923, भवन और अन्य निर्माण श्रमिक अधिनियम 1996 के तहत सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण के उपाय और मजदूरी का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने संबंधी मजदूरी अधिनियम 1936 अपने मूल स्वरूप में ही लागू रहेंगे. कर्मचारी मुआवजा अधिनियम में कार्य के दौरान किसी तरह की दुर्घटना का शिकार होकर दिव्यांग होने की स्थिति में मुआवजे का प्रावधान करता है।


सरकार की ओर से कहा गया है कि महिलाओं और बच्चों से संबंधित प्रावधान भी पहले की ही तरह लागू रहेंगे. श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने उम्मीद जताई कि इस निर्णय से औद्योगिक गतिविधियों और नए निवेश को बढ़ावा मिलेगा. इससे अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी श्रमिकों को भी रोजगार मिल सकेगा. वहीं, सीपीआईएम के नेता सीताराम येचुरी ने इस फैसले के लिए यूपी सरकार पर श्रम को नष्ट करने का आरोप लगाया है।


येचुरी ने साधा पीएम पर निशाना


येचुरी ने ट्वीट कर कहा है कि जल्द ही भाजपा की सभी राज्य सरकारें श्रम कानूनों को ध्वस्त कर देंगी. महामारी से लड़ने के बहाने केंद्र की सरकार इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के बहाने के तौर पर उपयोग करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मोदी कहते हैं कि धन सृजन करने वालों का सम्मान करो. बता दें कि अन्य राज्यों से बड़ी तादाद में प्रवासी श्रमिक लौटे हैं, जिनके लिए रोजगार का इंतजाम करना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।


'एक राष्ट्र एक राशन कार्ड' की नीति

नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच इन दिनों देशभर में राशनकार्ड पोर्टेबिलिटी की चर्चा हो रही है। देश के 15 से ज्यादा राज्यों ने राशनकार्ड पोर्टेबिलिटी को मंजूरी दे दी है. लेकिन सवाल है कि ये क्या है और इसका फायदा आम लोगों को कैसे मिलेगा। जिस तरह मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी करते हैं, वैसे ही अब राशन कार्ड को भी पोर्ट कराया जा सकेगा। मोबाइल पोर्ट में आपका नंबर नहीं बदलता है और आप देशभर में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी तरह, राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी में आपका राशन कार्ड नहीं बदलेगा। मतलब ये कि एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं तो अपने राशन कार्ड का इस्तेमाल करके दूसरे राज्य से भी सरकारी राशन खरीद सकते हैं।


मान लीजिए कि सुधीर कुमार बिहार का निवासी है और उसका राशन कार्ड भी बिहार का है। वह इस राशन कार्ड के जरिए उत्तर प्रदेश या दिल्ली में भी उचित मूल्य पर सरकारी राशन खरीद सकेगा। मतलब कि किसी भी तरह की सीमा या नियमों का बंधन नहीं होगा। वह देश के किसी भी राज्य में राशन खरीद सकता है। अहम बात ये है कि इसके लिए किसी नए राशन कार्ड की जरूरत नहीं होगी। मतलब ये कि आपके पुराने राशन कार्ड ही इसके लिए मान्य होंगे।


बता दें कि उत्तर प्रदेश और बिहार समेत देश के 17 राज्यों ने राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी को लागू कर दिया है। इसे लागू करने वालों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, गोवा, झारखंड और त्रिपुरा जैसे राज्य भी शामिल हैं। ये देशभर में 1 जून से लागू हो जाएगा। सरकार ने इसे एक राष्ट्र एक राशन कार्ड का नाम दिया है। इस योजना से सरकार को उम्मीद है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी और फर्जी राशन कार्ड नहीं बन पाएगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 75 करोड़ लाभार्थियों को इसके दायरे में लिया गया है जबकि लक्ष्य 81.35 करोड़ का था।


महंगाई राहत की रोक पर पुनर्विचार

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को अलग-अलग पत्र भेजकर भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष जेपी मिश्रा एवं राष्ट्रीय महामंत्री विरेंद्र नामदेव ने महंगाई राहत की रोक पर पुनर्विचार करने की मांग की है। जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि भारत सरकार के द्वारा पेंशनरों को वर्ष में दो बार मिलने वाली महंगाई राहत की राशि पर एक जनवरी 2020 से घोषित चार प्रतिशत महंगाई राहत सहित जून 2021 तक रोक लगा दिया गया है।


जिससे देश भर के केंद्रीय पेंशनधारी परेशान हो गये हैं। केंद्र सरकार द्वारा लिया गया निर्णय राज्य सरकार लागू करती है तो राज्य के हजारों पेंशनर्स प्रभावित होंगे। पेंशनर्स महासंघ के सदस्य देश भर में कोरोना वायरस, महामारी से बचाव के लिए शासन को सहयोग कर रहे हैं। नामदेव ने विज्ञप्ति में बताया कि एक जनवरी 2020 से 30 जून 2020 तक अनेक कर्मचारी एवं अधिकारी सेवानिवृत्त हुए अथवा होंगे। जिसके चलते हर माह डीए का नुकसान एवं दूसरी तरफ सेवानिवृत्ति लाभ में 50 हजार से लेकर 3 लाख रुपये तक का नुकसान सेवानिवृत्ति पेंशनधारियों को उठाना पड़ेगा।


मालगाड़ी से कटकर 15 प्रवासियों की मौत

मालगाड़ी से कटकर पंद्रह प्रवासी श्रमिकों की मौत


महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास हुई घटना


शशि कोन्हेर


मुंबई। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 15 प्रवासी श्रमिकों के मालगाड़ी की चपेट में आकर मौत हो जाने की बेहद दुखद खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि सभी मध्यप्रदेश के थे और वहीं जा रहे थे। यह सभी फैक्ट्री मजदूर थे और जालना से भुसावल पैदल ही जा रहे थे।उन्हें उम्मीद थी कि भुसावल से उन्हें ऐसी कोई ट्रेन (या फिर मालगाड़ी)मिल जाएगी। जो उन्हें उनके गृह प्रदेश मध्यप्रदेश तक ले जाएगी.
पैदल चलते चलते यह सभी काफी थक गए थे। और औरंगाबाद के पास करसाड नामक स्टेशन के पास ये सभी पटरी पर ही सो गए थे। उनका अनुमान था कि लॉक डाउन के कारण पटरी पर कोई ट्रेन नहीं आएगी। लेकिन थके मांदे ये लोग, जब गहरी नींद में थे उसी समय, उसी ट्रैक पर धड़धडाते आई मालगाड़ी, इन सभी के ऊपर से गुजर गई। और 15 प्रवासी श्रमिकों की मौत हो गई। वहीं दो अन्य श्रमिक बुरी तरह घायल हुए हैं।


क्वॉरेंटाइन से भागे 5, झारखंड पहुंचे

 छत्तीसगढ़ के क्वारेंटीन सेंटर से भागकर झारखण्ड पहुंचे 5 मजदूर निकले कोरोना पॉजिटिव,


आशुतोष झा


रांची(झारखंड)। छत्तीसगढ़ के क्वारंटीन सेंटर से भागकर झारखंड पहुंचे 5 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए है। इनकी जांच रांची मेडिकल कालेज में करायी गयी थी, जहाँ रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। ये मजदूर दूसरे राज्यों से छत्तीसगढ़ के रास्ते झारखंड जाने की कोशिश कर रहे थे, जिन्हें छत्तीसगढ़ सरकार के निर्देश पर सीमावर्ती जिलों में क्वारंटीन किया गया था। इन 5 लोगों को भी क्वारंटीन सेंटर में ही रखा गया था, लेकिन ये सभी मौका देखकर क्वारंटीन सेंटर से भाग गये थे। ये सभी झारखंड के पलामू के रहने वाले हैं। गुरूवार को पलामू में पांच नये कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पुष्टि हुई है।जानकारी के अनुसार पॉजिटिव पाये गये लोग छत्तीसगढ़ के बैकुंठपुर के कोरिया से वहां पहुंचे थे। इनके बारे में प्रशासन को यह सूचना मिली थी कि सभी छत्तीसगढ़ के क्वारेंटाइन सेंटर से भाग गये हैं। इस सूचना पर सक्रिय होकर प्रशासन ने इन लोगों को पकड़कर इलाज के लिए तुंबागाड़ा के कोविड केयर सेंटर में भर्ती कराया था। इन पांच लोगों को मिलाकर राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 132 हो गयी है।


इस मामले में पलामू के उपायुक्त डॉ शांतनु कुमार अग्रहरि ने लोगों से कहा है कि लोग घबराए नहीं, संक्रमित पाये गये लोग यहां किसी बाहरी के संपर्क में नहीं थे।


पत्रकार सुरक्षा को लेकर सीएम को पत्र

बैकुंठपुर, विनीत जायसवाल। पत्रकारों की सुरक्षा व जीवन बीमा के लिए बैकुंठपुर विधायक श्रीमती अंबिका सिंहदेव ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है। विधायक ने अपने मुख्यमंत्री को प्रेषित अपने पत्र में उल्लेखित किया है कि लाकडाउन के दौरान पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर समाचारों का संकलन व प्रसारण कर रहे हैं। जिससे उन्हें कोरोना संक्रमण का खतरा है तथा उनकी जान भी जोखिम में हैं। संक्रमण कॉल में कोरोना से बचाव व रोकथाम में पत्रकारों की प्रमुख भूमिका है, ऐसी स्थिति में मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए पत्रकारों का जीवन बीमा किया जाना आवश्यक है। उन्होंने मुख्यमंत्री से पत्रकारों के बीमा के संबंध में शीघ्र पहल किए जाने की बात कही है। उल्लेखनीय है कि कोविड 19 कोरोना के संक्रमण काल में भी पत्रकार अपनी जान की परवाह न करते हुए लगातार क्षेत्र में भ्रमण कर समाचार संकलन में लगे हुए हैं। तथा केंद्र, राज्य व जिला प्रशासन द्वारा जारी दिशानिर्देशों को खबरों के माध्यम से आम जनता तक पहुंचा रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल में पत्रकारों को शासन प्रशासन द्वारा ना तो मास्क और ना ही सैनिटाइजर उपलब्ध कराया गया है। जिससे उनके संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है।


लाक डाउन के कारण पत्रकारों की आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई है। कई पत्रकारों ने बताया कि लाकडाउन के चलते उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मैनेजमेंट द्वारा वेतन भत्तों में कटौती कर दी गई है। तालाबंदी व मंदी के चलते विज्ञापनदाताओं से उन्हें विज्ञापन का भुगतान भी नहीं मिल पा रहा है। जिससे उनके सामने जीवन यापन की विकट समस्या आ खड़ी हुई है। जिसे देखते प्रेस क्लब कोरिया के अध्यक्ष कमलेश शर्मा ने शासन-प्रशासन से आर्थिक पैकेज भी उपलब्ध कराए जाने की मांग की है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


मई 09, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-272 (साल-01)
2. शनिवार, मई 09, 2020
3. शक-1943, ज्येठ, कृष्ण-पक्ष, तिथि- प्रतिपदा, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:50,सूर्यास्त 07:02।


5. न्‍यूनतम तापमान 23+ डी.सै.,अधिकतम-36+ डी.सै., तेज हवाएं चलने की संभावना।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
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