शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

विश्व में शिवरात्रि की धूम मची है

आध्यात्म की दृष्टि से भारत दुनिया भर में शानदार देश है। यहां 12 ज्योतिर्लिंगों के अलावा और भी कई ऐसे तीर्थस्थल हैं, जहां भगवान भोलेनाथ के भव्य मंदिर हैं और कई विशेष अवसरों पर देश-दुनिया से शिवभक्तों की भीड़ जुटती है।खासकर महाशिवरात्रि के अवसर पर देशभर के असंख्य शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ के जयकारे गूंजते हैं। हर ओर भक्तिमय माहौल होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सात समंदर पार भी कई देशों में बम भोले के जयकारे लगते हैं।


देश में जम्मू कश्मीर में अमरनाथ, उत्तराखंड में केदारनाथ, गुजरात में सोमनाथ, उज्जैन में महाकाल, वाराणसी में काशी विश्वनाथ, भुवनेश्वर में लिंगराज, मध्य प्रदेश में खजुराहो जैसे अनेक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिर हैं। इससे इतर भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़ी श्रद्धा और निष्ठा के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है।


जम्मू कश्मीर: हमारे पड़ोसी हिंदू देश नेपाल का पशुपतिनाथ महादेव का मंदिर भी विश्वविख्यात है। नेपाली शैली का शानदार उदाहरण यह मंदिर 11वीं सदी में बनवाया गया था, जबकि 17वीं सदी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। यह भव्य मंदिर करीब 4 हजार वर्गमीटर में फैला हुआ है। बागमती नदी के किनारे बने मंदिर में भगवान शिव यहां पंचमुखी शिवलिंग के रूप में पूजे जाते हैं। स्थानीय लोगों के अलावा भारतीय पर्यटक और अन्य देशों से लोग बड़ी संख्या में दर्शन करने पहुंचते हैं।


नेपाल: बात करें पड़ोसी देश श्रीलंका की, तो त्रेतायुग में लंकापति रावण भगवान शिव के बहुत बड़े उपासक थे। यहां के छोटे से गांव मुनेश्वरम में भव्य स्थापत्य कला का प्रतीक शिव मंदिर है, जो दक्षिण भारतीय द्रविड़ शैली में बनवाया गया है। इस परिसर में पांच मंदिर हैं, जिनमें सबसे सुंदर और बड़ा मंदिर भगवान शिव का है। इसका संबंध रामायण काल से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि लंका विजय के बाद भगवान राम ने यहां शिव की आराधना की थी। यहां सालों भर भारत से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं।


श्रीलंका: स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में शिवा टेंपल के नाम से एक छोटा सा खूबसूरत मंदिर है। इस मंदिर के गर्भगृह में शिव लिंग के पार्श्व में नटराज रूप में शिव एवं देवी पार्वती की प्रतिमाएं हैं। न केवल महाशिवरात्रि, बल्कि भगवान शिव से जुड़े हरेक पर्व यहां भक्ति भाव के साथ मनाया जाता हैै।


 स्विट्जरलैंड: ऑस्ट्रेलिया के मेलबॉर्न में साल 1987 में शिवा-विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया गया, जहां भगवान शिव और विष्णु के साथ अन्य देवी-देवता भी पूजे जाते हैं। मंदिर का उद्घाटन भारत के कांचीपुरम और श्रीलंका के 10 पुजारियों द्वारा कराया गया था। मंदिर की वास्तुकला भारतीय और ऑस्ट्रेलिया कला का मिश्रण है।


ऑस्ट्रेलिया: मलेशिया में स्थित अरुलमिगु श्रीराजा कली अम्मन मंदिर-जोहोर बरु में स्थित है। पहले मंदिर का रूप छोटा था, जो आज भव्य स्वरूप में परिवर्तित हो गया है। मंदिर का निर्माण साल 1922 के आसपास किया गया। करीब तीन लाख मोतियों को दीवार पर चिपका कर मंदिर के गर्भगृह की सजावट की गई है।


मलेशिया: न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में भगवान शिव नवदेश्वर शिवलिंग के रूप में पूजे जाते हैं। इस मंदिर का निर्माण महामंडलेश्वर स्वामी शिवेंद्र महाराज एवं यज्ञ बाबा के मार्गदर्शन में हिन्दू शास्त्रों के अनुरूप कराया गया था। साल 2004 में इस शिव मंदिर को भक्तों के लिए खोला गया।


न्यूजीलैंड: इन मंदिरों के अलावा दुनियाभर के कई देशों में भगवान शिव के मंदिर हैं, जहां पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा की जाती है। मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर में भी भगवान शिव का मंदिर है, वहीं कैलिफोर्निया के लिवेरमोरे में और इंडोनेशिया के जावा द्वीप में भी भगवान भोलेनाथ के मंदिर हैं। भारतीय मूल के लोगों की बड़ी आबादी वाले मॉरीशस में तो भगवान शिव की पूजा देखने लायक होती है।


बढ़ रही है भूख 'समसामयिक'

लिमटी खरे


परिवर्तन प्रकृति का नियम है, साल दर साल, दशक दर दशक रहन सहन, खान पान आदि में परिवर्तन आना आम बात है। यह परिवर्तन अगर समाज या व्यक्ति के हित में है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए, पर दिखावे, चोचलों के लिए अगर परिवर्तन का लबादा ओढ़ा जा रहा है तो इसकी निंदा करते हुए इसे त्यागने की महती जरूरत है। शादी ब्याह या अन्य आयोजनों में पहले जहां कुछ दशक पहले तक पुड़ी, सब्जी, रायता, पुलाव, पापड़, बूंदी, एक मिठाई और छांछ से ही काम चल जाया करता था, अब इसका स्थान अनेक तरह के व्यंजनों ने ले लिया है। थाली का आकार तो नहीं बढ़ा, यह घटता ही चला गया, पर पकवानों की तादाद में कई गुना बढ़ोत्तरी हो चुकी है। पहले हलवाईयों (खाना बनाने वालों) के पास चुनिंदा आईटम ही हुआ करते थे, जिसके चलते लोगों के पास कम विकल्प होते थे, पर अब तो केटरिंग का व्यवसाय करने वाले व्यवसाईयों के पास उनके मेन्यू में कम से कम एक हजार तरह के आईटम देखने को मिलते हैं। पुड़ी की ही अगर बात की जाए तो आज कम से कम दो दर्जन से ज्यादा प्रकार की पुड़ी परोसी जाती हैं।


कुछ समय पहले तक महानगरों या बड़े शहरों में ही मंहगी शादियों और रिसेप्शन का चलन हुआ करता था। अब इस तरह परंपराओं ने गांव तक में पैर पसार लिए हैं। गांव में पुड़ी, सब्जी, रायता आदि के बजाए अब आधुनिक तरह से टेबिल पर खाना लगाया जाकर खिलाने का चलन चल पड़ा है। पंगतों में बिठाकर, दोना पत्तल में खिलाने का रिवाज अब इतिहास में शामिल हो चुका है। अब तो खड़े होकर खाने का चलन है। शादी ब्याह या अन्य आयोजनों में सबसे ज्यादा खर्च सजावट, दिखावे और खानपान में किया जाता है। कार्यक्रम समाप्त होने पर सजावट को अलग कर दिया जाता है। जितने लोगों के हिसाब से खाना बनाया जाता है, वह अक्सर बच जाता है जिसके चलते केटरिंग वाले इसे नाली में बहा देते हैं। इसका कारण यह है कि पशुओं को वे कहां खोजें, भूखे जरूरत मंद लोगों को खोजने में वे अपना समय जाया करना नहीं चाहते। शादी ब्याह के उपरांत दूसरे दिन पंडाल के आसपास मख्खियां भिनभिनाते देखी जा सकती हैं।


जब टेबिल पर चार तरह की पुड़ी, तीन तरह की रोटी, दस तरह की सब्जियां, दो से तीन तरह की दाल, पच्चीस तरह की सलाद, एक दर्जन से ज्यादा प्रकार के अचार, तीन तरह के पुलाव या चावल, चायनीज, चाट, पकौड़े, दस तरह की मिठाईयां, तीन तरह के रायते, चार तरह के पापड़ होंगे तो आप सभी को एक एक बार चखने का प्रयास जरूर करेंगे। जो आपको पसंद आएगा, वह आप खाएंगे, पर जो आपकी थाली में बच गया है, उसे आप वापस तो रखने से रहे। देश सहित दुनिया भर में थाली में बचा खाना कितनी बड़ी समस्या है इस बात का अंदाजा अनेक तरह के सर्वेक्षण के बाद आई रिपोर्टस के आधार पर लगाया जा सकता है।


कहा जाता है कि दुनिया भर में एक बार खाने के लिए जितना भोजन तैयार किया जाता है उसका एक तिहाई भोजन बर्बाद हो जाता है। इस भोजन की तादाद इतनी होती है कि दुनिया भर के दो अरब लोग इसे खा सकते हैं। अन्न की बर्बादी को देखकर सरकारें चिंतित दिखतीं हैं तो गैर राजनैतिक सामाजिक संगठनों की पेशानी पर भी इसे लेकर बल पड़ते दिखते हैं, पर इसके बाद भी इस बर्बादी को रोकने की दिशा में किसी तरह की ठोस पहल का न हो पाना आश्चर्य जनक ही माना जाएगा।


भारत के बारे में ही अगर बात की जाए तो देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ अन्नदाता किसान को ही माना जाता है। जब भी आप सड़क या रेल मार्ग के जरिए कहीं से गुजरते हैं तो आपको आसपास लहलहाते खेत दिखाई दे जाते हैं। देश में अन्न की खासी पैदावार है। एक अनुमान के हिसाब से देश में लगभग 25 करोड़ टन से ज्यादा खाद्यान्न का उत्पादन होता है। अब आप अंदाजा लगाईए कि इतनी विपुल मात्रा में अन्न के उत्पादन के बाद भी देश में हर चौथा व्यक्ति भूखा ही सोने पर मजबूर है।


किसानों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए सरकारों के द्वारा तरह तरह की योजनाएं बनाई गईं हैं। इन योजनाओ की जमीनी हकीकत क्या है इसे देखने की फुर्सत शायद किसी को नहीं मिल पाती है। सरकारी स्तर पर किसानों की धान, गेंहूं आदि को समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है। इसके उचित रखरखाव के चलते इसमें से लगभग तीस से चालीस फीसदी अनाज या तो सड़ जाता है या अंकुरित हो जाता है। ऐसा नहीं है कि हुक्मरान इस बात से वाकिफ नहीं हैं! इसके बाद भी अन्न की बर्बादी रूकने का नाम नहीं ले रही है। एक अनुमान के अनुसार देश में हर साल इक्कीस सौ करोड़ किलो गेहूॅ बर्बाद हो जाता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि महज इतना ही गेंहूॅ आस्ट्रेलिया में हर साल पैदा किया जाता है।


भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन) की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर साल 23 करोड़ टन दाल, 21 करोड़ टन सब्जियां और 12 करोड़ टन फल सिर्फ इसलिए खराब हो जाता है क्योंकि वितरण प्रणाली में अनेक तरह की खामियां हैं। हाल ही में ग्लोबल हंगर इंडेक्स (विश्व भूख सूचकांक) 2018 जारी हो गया है। इस सूचकांक के अनुसार देश में भुखमरी की स्थिति बहुत खराब है। इस सूचकांक में विश्व के 119 देशों का समावेश किया गया था, जिसमें भारत का स्थान अंत से महज पंद्रह ऊपर अर्थात 103वीं पायदान पर है।


इस सूचकांक में भारत के लिए राहत की बात सिर्फ यह मानी जा सकती है कि वह पाकिस्तान (जो 106 पायदान पर है) से आगे है, पर नेपाल और बंग्लादेश जैसे देशों से भारत बहुत पीछे है। भारत पिछले साल 100वें स्थान पर था। इस सूचकांक का अगर अध्ययन किया जाए तो छः करोड़ अस्सी लाख लोग आज भी रिफ्यूजी कैंप में रहने को मजबूर हैं। 2014 के बाद विश्व भूख सूचकांक में भारत की स्थिति में लगातार ही गिरावट दर्ज की जाती रही है। 2014 में भारत 55वें स्थान पर था, तो 2015 में यह 80वें स्थान पर जा पहुंचा और 2016 में 97वें स्थान पर तो 2018 में यह सौवें स्थान पर पहुंचा और पिछले साल तीन पायदान उतरकर यह 103वें स्थान पर आ गया।


एक आंकलन के अनुसार देश में लगभग बीस करोड़ से अधिक लोग कुपोषित माने जाते हैं। देश में अन्न की बरबादी हो रही है वहीं दूसरी ओर कुपोषत लोगों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। इस तरह के आंकड़े निश्चित तौर पर रीढ़ की हड्डी में सिहरन पैदा करने के लिए पर्याप्त माने जा सकते हैं।


कुछ शहरों में रोटी बैंक की शुरूआत की गई है। उत्साही युवाओं के द्वारा सोशल मीडिया व्हाट्सऐप और फेसबुक पर घरों में बचने वाली रोटी, दाल, सब्जी आदि को दान देने की अपीलें की जा रहीं हैं। युवा बचे हुए खाने को एकत्र कर जरूरत मंद लोगों तक इसे ले जा रहे हैं। कमोबेश हर शहर में एक कचरा गाड़ी मोहल्ले मोहल्ले से होकर गुजरती है। इस कचरा गाड़ी में चालक के बाजू वाली सीट को निकालकर अगर उसमें रोटी और सब्जी, दाल आदि के लिए पात्र रखवा दिए जाएं तो लोगों के घरों में बचा खाना लोग इसमें डाल सकते हैं। स्वयंसेवी संस्थाओं के जरिए इस खाने को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जा सकता है।


इसके अलावा शादी ब्याह में कैटरिंग करने वालों को भी जिला स्तर पर प्रशासन के द्वारा ताकीद किया जा सकता है कि बचे हुए खाने को उनके द्वारा एक निर्धारित स्थान पर ले जाकर छोड़ दिया जाए। इस खाने को भी स्वयंसेवी संस्थाओं के जरिए जरूरत मंद लोगों में बटवाया जा सकता है। देश भर में शहरों के हिसाब से एक मोबाईल या हेल्प लाईन नंबर भी जारी किया जा सकता है, जिस पर कॉल करने पर प्रशासन के द्वारा निर्धारित संस्थाओं के सदस्यों के द्वारा घरों घर से बचा हुआ भोजन एकत्र किया जा सकता है। देखा जाए तो सरकार को शादी ब्याह एवं अन्य समारोहों में मेहमानों की संख्या निर्धारित करने के लिए कानून भी बनाया जाना चाहिए। 2011 में यूपीए सरकार ने इसकी पहल भी की थी, पर यह भी परवान नहीं चढ़ पाया।


दूषित जल से जूझते नागरिक

शरद खरे


सिवनी। जिला मुख्यालय में नागरिक दूषित जल के कारण बीमार पड़ रहे हैं। नगर पालिका परिषद इस मसले पर पूरी तरह मौन ही अख्तियार किये हुए है। पालिका का यह दायित्व है कि वह लोगों को साफ और पीने योग्य जल मुहैया कराये। नगर पालिका अपने दायित्वों को भूलकर तरह तरह के बहानेबाजी में ही उलझी दिख रही है।


शहर में पानी किस तरह का प्रदाय हो रहा है, इस बारे में देखने सुनने की फुर्सत चुने हुये पार्षदों को भी शायद नहीं है। पालिका का अपना जलकार्य विभाग है। जलकार्य विभाग क्या कार्य कर रहा है, इस बारे में भी किसी को कुछ नहीं पता है। सभी के सभी 62 करोड़ 55 लाख रुपये की जुगत में उलझे दिखते हैं। तत्कालीन निर्दलीय विधायक दिनेश राय ने भी बबरिया जलावर्धन की जाँच की। वहाँ जल शोधन सामग्री अमानक पाये जाने के बाद भी पालिका ने इस दिशा में कोई सुधार नहीं किया।


शहर में पानी गंदा क्यों आ रहा है, इस बारे में पालिका के अधिकारियों का अलग आलाप है। अधिकारियों का कहना है कि पानी गंदा इसलिये आ रहा है क्योंकि जल प्रदाय की पाइप लाइन, नाले नालियों में से होकर गुजरती है। इसमें कहीं लीकेज होने पर गंदगी, पानी के साथ आ जाती है।पालिका की दलील, हो सकता है सही हो पर इस सबसे नागरिकों को क्या सरोकार होना चाहिये? जाहिर है नहीं, क्योंकि पालिका की यह नैतिक जवाबदेही है कि वह लोगों को दो नहीं तो कम से कम एक ही वक्त साफ और पर्याप्त पानी तो मुहैया कराये। पालिका के पास अपना एक इंजीनियरिंग अमला है। क्या इंजीनियरिंग अमला यही देखने बैठा है कि कहाँ पाईप लीकेज है और गंदगी उससे जा रही है। पालिका के तकनीकि अमले का यह दायित्व है कि वह उन स्थानों पर जहाँ पाईप लीकेज है वहाँ उसे दुरूस्त करे।


वर्षों से यही देखने में आ रहा है कि पालिका का अमला यह कहकर अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री कर रहा है कि पाइप के लीकेज से गंदगी जा रही है। अगर ऐसा है तो लाखों करोड़ों रूपयों की फिटकरी खरीदकर जल शोधन का क्या औचित्य है, जाहिर है नहीं। लोगों को अगर गंदा पानी ही पीना है तो फिर शासन के लाखों करोड़ों रूपयों की होली क्यों?


यह आलम तब है जब दिनेश राय वर्तमान में भाजपा के विधायक हैं। जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह ने भी पिछले साल 28 फरवरी तक का अल्टीमेटम ठेकेदार को इस जलावर्धन योजना को आरंभ करवाने के लिये दिया है। वैसे देखा जाये तो बड़े संपन्न लोग तो घरों में आरओ फिल्टर के जरिये शोधित पानी को पी रहे होंगे किन्तु आम जनता का क्या? आम जनता तो गंदा, बदबूदार, दूषित पानी पीकर बीमार हो रही है। इस मामले में चुनी हुई परिषद भी मौन ही साधे बैठी है। वार्ड के पार्षद भी निश्चिंत हैं मानो सब कुछ ठीक ठाक ही है। जिलाधिकारी प्रवीण सिंह अब नगर पालिका के प्रशासक बन चुके हैं तब उनसे जनापेक्षा है कि इस मामले में पहल कर जनता को कम से कम साफ पानी ही मुहैया करवायें।


 


कबाड़ी को बेची 100 डायल इनोवा कार

मुजफ्फरनगर। अखिलेश सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना यूपी डायल 100 की इनोवा तीन साल में नीलाम हो गई है। ये गाड़ी मामूली दुघर्टना में क्षतिग्रस्त हुई थी, जोकि आसानी से ठीक हो सकती थी। मुजफ्फरनगर पुलिस ने औने- पौने दामों पर इनोवा को नीलाम कर अब आम लोगों का वाहन बनाने का काम किया है। गाड़ी को सोतीगंज के कबाड़ियों ने चार लाख में खरीद लिया है, जिसकी मरम्मत शुरू कर दी गई। कबाड़ी का दावा है कि दस दिन में आरटीओ से इनोवा के नए कागज भी बन जाएंगे।  
 
चोरी और लूट के वाहन का सोतीगंज कमेला बन चुका है। सोतीगंज के कबाड़ियों के शहर में कई ठिकाने भी हैं। जहां पर वाहनों का कटान हो रहा है। सदर स्थित चाट बाजार के पास सोतीगंज के कबाड़ियों का नया अड्डा बना। जहां पर 2017 मॉडल की डायल 100 इनोवा को एक क्रेन से लाया गया। अमर उजाला ने कबाड़ी के हाथों में डायल 100 की इनोवा को मोबाइल में कैद कर लिया। कबाड़ी ने बताया कि मुजफ्फरनगर से इनोवा को नीलामी में छुड़वाया है। जिसकी वह मरम्मत करके नए रजिस्ट्रेशन पर आम लोगों का वाहन बनाएगा। उसने बताया कि उसकी आरटीओ से भी बात हो गई है। गाड़ी का एक ही हिस्सा क्षतिग्रस्त था, जबकि इंजन से लेकर अन्य गाड़ी का हिस्सा ठीक है। तीन साल में गाड़ी कबाड़ी के हाथों में पहुंच गई इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि तीन साल पुरानी गाड़ी की नीलामी नहीं हो सकती। इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए। 


पुलिस पर सवाल: पुलिस के वाहनों की मरम्मत कराने और उनकी देखरेख के लिये पुलिस में अलग से एमटी (मोटर ट्रांसपोर्ट) विभाग बना है। इसके बावजूद भी डायल 100 की गाड़ी को इस विभाग ने ठीक कराना उचित नहीं समझा। जबकि यह इनोवा मामूली दुघर्टना में ही क्षतिग्रस्त हुई है। वहीं, नीलामी में इनोवा को छुड़ाने वाला कबाड़ी दावा कर रहा है कि दस दिन में इनोवा नए कागजों के साथ सड़क पर दौड़ती नजर आएगी।


सपा और अब भाजपा की: सपा सरकार ने करोड़ों रुपये की लागत से लखनऊ में अत्याधुनिक कंट्रोल रूम बनाया। पुलिसिंग बेहतर करने के लिए ढाई साल पहले सभी जिले को डायल 100 की इनोवा और बोलेरो गाड़ी दी। जिनका रजिस्ट्रेशन 2017 का है। मेरठ में 61, मुजफ्फरनगर में 54 गाड़ियां दी गईं। भाजपा सरकार में इसका नाम डायल 112 हो गया। सीएम आदित्यनाथ ने पुलिस को निर्देश दिए कि डायल 112 को और भी सशक्त करें, ताकि परेशानी होने पर यह वाहन सबसे पहले उसके पास पहुंचे। लेकिन बृहस्पतिवार को सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना कबाड़ियों के हाथों में दिखाई दी। 


इसकी जांच होगी: एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार का कहना है कि डायल 100 की इनोवा मुजफ्फरनगर में नीलाम हुई है, गाड़ी कितनी क्षतिग्रस्त है, इसका टेक्निकल मुआयना हुआ है या नहीं, इसकी जांच होगी। पुलिस का कोई वाहन बिना जांच के नीलाम नहीं हो सकता। मुजफ्फरनगर पुलिस से जानकारी की जाएगी।


पाक नागरिक बन सकते हैं डेरेन सैमी

पाकिस्तान में लंबे समय बाद क्रिकेट की वापसी हो चुकी है। बांग्लादेश, श्रीलंका जैसी टीमें और बड़े खिलाड़ी पाकिस्तान के दौरे पर जा चुके हैं। यही वजह है कि इस साल पाकिस्तान (Pakistan) ने पहली बार अपनी टी20 लीग पाकिस्तान सुपर लीग की मेजबानी करने का फैसला किया है। पहली बार पाकिस्तान में होने जा रहे पीएसएल (PSL) का बड़ा श्रेय पेशावर जालमी टीम और उनके कप्तान डैरेन सैमी को जाता है जो अब जल्द ही पाकिस्तानी नागरिक बन सकते हैं।


पाकिस्तान की नागरिकता के लिए सैमी ने किया आवेदन
अपने देश वेस्टइंडीज (West Indies) को दो टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup) जिताने वाले कप्तान डैरेन सैमी (Darren Sammy) अब पाकिस्तान (Pakistan) की नागरिकता चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने अपना आवेदन भी दे दिया है। आपको बता दें कि डैरेन सैमी सेंट लूसिया आईलैंड से क्रिकेटर बनने वाले पहले और इकलौते खिलाड़ी हैं। हालांकि अब वह पाकिस्तान की नागरिकता चाहते हैं। दूसरे सीजन में जब कोई भी खिलाड़ी फाइनल मुकाबले के लिए पाकिस्तान जाने के लिए तैयार नहीं था तब सैमी न सिर्फ वहां गए बल्कि अपनी टीम पेशावर जालमी (Peshawar Zalmi) को जीत भी दिलाई थी। इसके बाद से ही वह पीसीबी और क्रिकेट फैंस के चहेते बन गए थे


पाकिस्तान को बेहद पसंद करते हैं सैमी
सैमी की टीम पेशावर जालमी के मालिक जावेद अफरीदी ने cricketpakistan।com।pk को दिए इंटरव्यू में बताया कि डैरेन सैमी (Darren Sammy पाकिस्तान की नागरिकता के लिए आवदेन कर चुके हैं। जावेद अफरीदी ने कहा, ‘हमने सैमी को मानद नागरिकता देने की अपील की है। यह आवदेन फिलहाल राष्ट्रपति के पास है। हमने पीसीबी चेयरमैन से बात की है कि वह सैमी को नागरिकता दिलाने में हमारी मदद करें।’ सैमी पीएसएल के पांचवें सीजन में हिस्सा लेने पाकिस्तान पहुंच चुके हैं। सैमी ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि यह सीजन बाकी सभी सीजन से बेहतर हो। एक खिलाड़ी और फैन के तौर पर हम मिलकर दुनिया को दिखाएंगे कि पाकिस्तान में क्रिकेट खेलना कितना शानदार है।’


पीएसएल खेलने सबसे पहले पहुंचे सैमी
सैमी 36 विदेशी खिलाड़ियों में पाकिस्तान पहुंचने वाले पहले खिलाड़ी थे, उन्होंने कहा, ‘यहां आकर अच्छा लग रहा है। पाकिस्तान में पीएसएल खेलने को लेकर मैं काफी उत्साहित हूं। मैं पिछली बार 2017 में फाइनल मुकाबले के लिए यहां आया था और मुझे खुशी है कि इस बार पूरा टूर्नामेंट यहां होगा।


सैमी ने आगे कहा कि उन्हें अहसास है कि पाकिस्तानी फैंस ने बीते सालों में अपने देश में क्रिकेट को कितना मिस किया है। सैमी ने कहा, ‘मैं पहले भी कह चूका हूं। मैंने अपने करियर में घर और विदेशों में मैच खेले हैं। मैं जानता हूं हर देश के फैंस अपने क्रिकेट खिलाड़ियों को अपने घर पर खेलते देखना चाहते हैं और पाकिस्तान लंबे समय तक इससे दूर रहा है।’


राजस्थान-एमपी को जोडेगा 'एक्सप्रेस-वे'

मंजूरी / मुरैना से कोटा तक एक्स-प्रेस -वे,
मध्यप्रदेश सरकार नहीं लेगी गिट्टी पर रॉयल्टी
राज्य सरकार ही 100% जमीन अधिग्रहण करके देगी
भारत माला प्रोजेक्ट के तहत एनएचएआई इसे बनाएगा



भोपाल। चंबल नदी के किनारे बनने वाले एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी चाहते थे कि राज्य सरकार ही 100% जमीन अधिग्रहण करके दे, इस पर मप्र सरकार राजी हो गई है। अब जल्द ही यह मामला कैबिनेट में रखा जाएगा।


भारत माला प्रोजेक्ट के तहत 3 हजार 970 करोड़ रुपए में बनने वाला 283.3 किमी लंबा यह एक्सप्रेस-वे मप्र के गडोरा (मुरैना) से शुरू होकर राजस्थान के कोटा तक जाएगा। इसी को लेकर गुरुवार को मुख्य सचिव एसआर मोहंती की पीडब्ल्यूडी, उद्योग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अफसरों संग बैठक हुई।


इसमें रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन के एमडी सुदाम पी खाड़े ने प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन किया। इस एक्सप्रेस-वे की खास बात यह है कि नेशनल हाइवे नंबर 44 के जरिए नार्थ-साउथ और ईस्ट-वेस्ट काॅरीडोर जुड़ेंगे। नेशनल हाइवे अथाॅरिटी आॅफ इंडिया इसका निर्माण करेगी। कंसलटेंसी भोपाल की फर्म एलएन मालवीय तैयार कर रही है। प्रारंभिक डीपीआर बन चुकी है, इसे रिवाइज करने का काम जारी है।


मुख्य सचिव ने कहा है कि चूंकि जमीन अधिग्रहण में 305 करोड़ रुपए राज्य सरकार के लगेंगे, इसलिए जल्द से जल्द प्रस्ताव कैबिनेट के लिए तैयार किया जाए। चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए जरूरी जमीन में से 50 फीसदी सरकारी है, इसलिए बाकी की आधी जमीन ही राज्य सरकार को अधिग्रहीत करनी होगी। इसमें जमीन के बदले जमीन अथवा लैंड पुलिंग स्कीम के जरिए जमीन का अधिग्रहण किया जा सकता है। इंडस्ट्रीयल टाउन, लाजिस्टिक हब और पर्यटन विकसित करने की तैयारी
बैठक में यह कहा गया है कि एक्सप्रेस-वे के किनारे (नदी की ओर नहीं) इंडस्ट्रीयल टाउन, लाजिस्टिक हब के साथ पर्यटन को विकसित किया जाए। पालपुर-कूनो के करीब से गुजरने के कारण होटल और ईको-टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। कंसलटेंट को कहा गया है कि वह एक्सप्रेस-वे के किनारे 16-16 एकड़ के भूखंड भी चिन्हित करे, जिसे व्यावसायिक उपयोग में बदलकर वहां पेट्रोल पंप, वेयर हाउस अथवा रेस्टाेरेंट-मोटल्स खोले जा सकें। इससे लागत मूल्य विकास हो सकेगा। केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री की ओर से पूर्व में यह बात रखी गई थी कि राज्य सरकार फंड जुटाए, इसी कड़ी में एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर अन्य गतिविधियों की संभावनाओं को टटोला जा रहा है।


इससे दो राज्य जुड़ेंगेः राजस्थान में एक्सप्रेस-वे का 85 किमी और मप्र में 195 किमी हिस्सा होगा। यह चंबल के समानांतर और नदी से 1.5 किमी दूर से गुजरेगा। प्रारंभिक डीपीआर के मुताबिक इसमें चंबल अभयारण्य का हिस्सा नहीं होगा।


राॅयल्टी नहीं लेगा मप्र: एनएचएआई के जल्द काम शुरू करने के लिए मप्र ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह रोड के निर्माण में लगने वाली मुरम, गिट्टी की राॅयल्टी नहीं लेगा।


एश्ले की हॉट वीडियो जमकर हुई वायरल

हॉलीवुड एक्ट्रेस एश्ले टिडस्ले एक बार फिर अपनी हॉट तस्वीरों के कारण सुर्खियों में हैं। उनकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं। जिसमें उनका बेहद बोल्ड अवतार नजर आ रहा है। हाल ही में एश्ले टिडस्ले ने अपनी बेदाग और निखरी हुई त्वचा के राज का खुलासा किया है। इंस्टाग्राम पर इसका खुलासा करते हुए टिडस्ले ने बताया कि उन्होंने पिछले पांच सालों से दुग्ध उत्पादों का सेवन करना बंद कर दिया है और इससे उन्हें एक बेदाग त्वचा पाने में बहुत मदद मिली है।



एश्ले ने एक वीडियो साझा करते हुए इसके कैप्शन में लिखा, “मैं पिछले पांच सालों से दुग्ध उत्पादों से दूर हूं।”इस वीडियो में एश्ले अपनी निखरी हुई साफ त्वचा को दिखाती नजर आ रही हैं। उन्होंने कहा कि जब से उन्होंने दुग्ध उत्पादों का सेवन करना बंद किया है तब से उन्हें अपनी त्वचा पर फर्क दिखने लगा है। अभिनेत्री ने यह भी कहा कि शुरुआत में ऐसा करना काफी कठिन लग सकता है, लेकिन धीरे-धीरे इसकी आदत पड़ जाती है। आइए, अब आपको दिखाते हैं एश्ले टिडस्ले की वे 10 तस्वीरें, जो इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है।


78 वर्षीय की इंटरमीडिएट की परीक्षा

गोंडा। शिक्षा ग्रहण करने की कोई उम्र नही होती। ऐसा ही एक 78 वर्षीय बुजुर्ग परीक्षार्थी गोंडा जिले के एपी इंटर कॉलेज के परीक्षा केंद्र पर जज्बे के साथ इंटरमीडिएट हिंदी विषय की परीक्षा देने आया जो अपने आप पर गर्व महसूस कर रहा था। 


एपी इंटर कॉलेज परीक्षा केंद्र मनकापुर के परीक्षा प्रभारी समीर सिंह ने बताया कि प्रवेश पत्र के अनुसार, दूलम पुर बनकटवा गांव निवासी रामकरन प्रजापति (78) जिसने मुजेहना शिक्षा क्षेत्र के राजकीय बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पेड़ारन से यूपी बोर्ड परीक्षा का फॉर्म भरा था।परीक्षा के प्रथम दिन मंगलवार को दूसरी पाली में रामकरन प्रजापति इंटरमीडिएट हिंदी विषय की परीक्षा देने आए। बुजुर्ग परक्षार्थी रामकरन प्रजापति ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से हैं। 


उनका जन्म 11 जुलाई वर्ष 1942 में हुआ था। वर्ष 1997 में जनता इंटर कॉलेज इटियाथोक से हाईस्कूल पास की। मौजूदा समय में एक निजी स्कूल में पढ़ाते हैं। पूछे जाने पर बताया कि आगे स्नातक करने की तमन्ना है। उनके पिता बद्री का 30 साल पहले स्वर्गवास हो गया था। पत्नी सावित्री देवी की भी दस साल पहले मृत्यु हो गई है। एक बेटा रंजीत कुमार (55) वर्ष है, जिसके दो बेटे दिनेश व विनय हैं। जो गांव में ही पंचर बनाने का काम करता है।


प्रोटीन पाउडर लेने के पांच नुकसान

अगर आप जिम में वर्कआउट करते है तो यकीनन प्रोटीन पाउडर के बारे में जानते होंगे। वैसे इन दिनों बॉडी और मसल्स बनाने के शौकिन कई लोग प्रोटीन सप्लीमेंट के लिए प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल करते हैं।
1 वर्कआउट के बाद प्रोटीन पाउडर लेने से इंसुलिन में बढ़ोतरी होती है, इस तरह नियमित रूप से इंसुलिन में होने वाली यह बढ़ोतरी आगे जाकर सेहत को नुकसान पहुंचाती है।
2 वे प्रोटीन सबसे सामान्य प्रोटीन है जिसे अधिकांश लोग लेते हैं। आमतौर पर इसे जिम में वर्कआउट करने वाले और बोड़ी बिल्डर लेते हैं। ये मसल्स बनाने में तो सहायक होता है लेकिन इसे जिस प्रकार से तैयार किया जाता है, वो शरीर को नुकसान ज्यादा पहुंचाता है।
3 वे प्रोटीन जैसे पाउडर्स में कई तरह के हारमोंस और बायोएक्टिव पेपटिड्स होते हैं। जिन्हें लेने पर सीबम निर्माण बढ़ जाता हैं। कई अध्ययनों में पाया गया है कि प्रोटीन सप्लिमेंट लेने से मुंहासों की समस्या भी बढ़ सकती है।
4 प्रोटीन पाउडर लेने से शरीर में न्यूट्रिशन का असंतुलन हो सकता है। प्राकृतिक प्रोटीन जैसे अंडे, दूध और मीट लेने से ऐसा होने की संभावना कम होती है।
5 कई कंपनियों के प्रोटीन पाउडर में विषाक्त पदार्थ होते हैं। जो शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं और उन्हें लेने से सरदर्द, फेटीग्यू, कब्ज और मासपेशियों में दर्द की शिकायत हो सकती है।


चश्मे के निशान से परेशान, आजमाऐ

आज के समय में आपके आस-पास मौजूद रहने वाले हर पांचवे इंसान की आंख पर चश्मा दिखेगा। इनमें आपके बॉस से लेकर आपके दोस्त भी शामिल हो सकते हैं। लैपटॉप और कम्प्यूटर पर ज्यादा समय करते समय चश्मे को बहुत लोग पहनते हैं। 
लगातार चश्मा पहने रहने के कारण जहां पर चश्मे का नोज स्टैंड रुकता है, वहां निशान पड़ जाता है। दरअसल ज्यादा देर तक त्वचा पर दबाव होने के कारण नीचे हम आपको कुछ ऐसी ही टिप्स देने जा रहे हैं, जिसे अपनाकर आप चश्में पहनने के कारण नाक पर बनने वाले निशान को हटा सकते हैं।
एलोवेरा से करें मसाज
एलोवेरा की पत्ती को बीच से काट लें और उसके गूदे का पेस्ट बना लें। अब इसके पेस्ट को नाक पर बने हुए निशान पर लगाएं और हल्के हाथों मसाज करें। एलोवेरा में मॉइस्चराइजिंग और एंटी-एजिंग गुण पाए जाने के कारण यह नाक पर बनने वाले निशान को कुछ दिनों में गायब कर देगा। 
आलू रस का बेहतर उपयोग
आलू के रस का उपयोग करके भी आप चश्मे के निशान से छुटकारा पा सकते हैं। कच्ची आलू को घिस कर इसका रस निकाल लें। आलू में ब्लीचिंग का प्रभाव पाया जाता है। जिसके कारण यह नाक पर चश्मे के कारण बने हुए निशान को हटाता है। 
गुलाब जल का भी कर सकते हैं उपयोग
गुलाब जल में हीलिंग का गुण पाया जाता है। यह चश्मे के कारण नाक पर बने हुए निशान को कुछ दिनों में गायब कर सकता है। इसे रुई के फीहे में भिगोकर निशान वाली जगह पर इस्तेमाल करें।
शहद का करिए उपयोग
शहद का उपयोग करके भी चश्मे के निशान को गायब किया जा सकता है। एंटीऑक्सीडेंट और एंटीसेप्टिक गुण होने के कारण यह त्वचा पर पडऩे वाले निशान को दूर करने में मदद करता है। 
ताजे संतरे के छिलके का करें उपयोग
ताजे संतरे के छिलके का उपयोग करके भी चश्मे के कारण पडऩे वाले निशान को दूर किया जा सकता है। संतरे के छिलके को पीसकर इसमें हल्का सा दूध मिला लें और निशान वाली जगह पर हल्के हाथों मालिश करें। एंटीसेप्टिक और हीलिंग का गुण होने के कारण यह नाक पर पडऩे वाले निशान को गायब कर सकता है। 
टमाटर का उपयोग नहीं करेगा निराश
टमाटर में एक्सफोलिएशन का गुण पाया जाता है। जो डेड स्किन को निकालने का मुख्य गुण है। टमाटर का पेस्ट बनाकर इसे चश्मे के कारण बने हुए निशान पर लगाएं। कुछ ही दिनों में आपको इसका रिजल्ट देखने को मिल जाएगा।


लिंगायत मठ पर मुस्लिम मुख्य पुजारी

बेंगलुरु। उत्तर कर्नाटक के गडग जिले के एक 350 साल पुराने लिंगायत मठ ने 33 साल के एक मुस्लिम व्यक्ति को मुख्य पुजारी बनाने का फैसला किया है। दीवान शरीफ रहिमनसब मुल्ला 26 फरवरी को मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वरा शांतिधाम मठ की जिम्मेदारी संभालेंगे। यह मठ कलबुर्गी के खजुरी गांव में स्थित है। कर्नाटक और महाराष्ट्र के लाखों अनुयायी इससे जुड़े हैं। शरीफ के पिता ने कई साल पहले इस मठ के लिए दो एकड़ जमान दान की थी। इस मौके पर खजूरी मठ के मुख्य पुजारी मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वर शिवयोगी ने कहा, “बसव का दर्शन सार्वभौमिक है और हम जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव न करते हुए हर किसी को गले लगाते हैं। उन्होंने 12वीं शताब्दी में सामाजिक न्याय और भाईचारे का सपना देखा था। उनके दिखाए रास्ते पर चलकर ही मठ ने सभी के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।”


मठ के मुख्य पुजारी शिवयोगी के प्रवचनों से प्रभावित होकर शरीफ के पिता रहिमनसब मुल्ला ने भी दीक्षा ली थी। पुजारी के मुताबिक आसुति मठ यहां 2-3 साल से काम कर रहा है और फिलहाल परिसर का निर्माण चल रहा है। उन्होंने कहा कि शरीफ के मन में बसव के प्रति गहरी आस्था है और काफी सालों से वह उनकी विचारधारा पर चल रहा है। 10 नवंबर, 2019 को शरीफ ने दीक्षा ली। हमने उन्हें पिछले तीन सालों में लिंगायत धर्म और बासवन्ना की शिक्षाओं के अलग-अलग पहलुओं के बारे में जानकारी दी। 


बासवन्ना के प्रवचन पढ़ता था: शरीफ मुल्ला
शरीफ ने बताया, “मैं बचपन से ही बसव की सामाजिक न्याय और आपसी भाईचारे की शिक्षा के प्रति आकर्षित था। मैं पास के गांव में आटा चक्की चलाता था और खाली वक्त में बसवन्ना और 12वीं शताब्दी के अन्य साधुओं द्वारा लिखे गए प्रवचन पढ़ता था। कोरानेश्वरा शांतिधाम के मठ के स्वामीजी ने मेरी इस छोटी सी सेवा को पहचाना और मुझे अपने साथ ले गए। मैं बसवन्ना और मेरे गुरु द्वारा बताए रास्ते पर आगे बढूंगा। ’


लिंगायत धर्म और परिवार के जरिए मोक्ष में विश्वास करता है


शरीफ शादीशुदा हैं और उनके 4 बच्चे हैं। लिंगायत मठों में आमतौर पर शादीशुदा व्यक्ति की पुजारी के तौर पर नियुक्ति कम ही देखने को मिलती है। मुख्य पुजारी ने बताया कि लिंगायत धर्म परिवार के जरिए सद्गति (मोक्ष) में विश्वास करता है। कोई पारिवारिक व्यक्ति भी मठ का स्वामी बनने के साथ सामाजिक और आध्यात्मिक काम कर सकता है। उन्होंने कहा कि मठ से जुड़े सभी भक्तों ने एक मुसलमान को मुख्य पुजारी बनाने पर सहमति जताई है। यह हमारे लिए बासवन्ना के आदर्श कल्याण राज्य को बनाए रखने का मौका है।


कौन थे बसव?
एक दार्शनिक और सामाज सुधारक थे। उन्होंने 12वीं शताब्दी में लिंगायत संप्रदाय की स्थापना की थी। वे खुद ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे और जन्म आधारित की जगह कर्म आधारित व्यवस्था में विश्वास करते थे। उन्होंने हिंदू धर्म में जाति व्यवस्था के खिलाफ लंबा संघर्ष किया।


कौन हैं लिंगायत?


लिंगायत समाज को कर्नाटक की अगड़ी जातियों में गिना जाता है। राज्य की आबादी का 18 फीसदी लिंगायत हैं। पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी इनकी बड़ी आबादी है। लिंगायत और वीरशैव कर्नाटक के दो बड़े समुदाय हैं। इन दोनों का जन्म 12वीं शताब्दी के समाज सुधार आंदोलन से हुआ है। इसकी अगुआई समाज सुधारक बसवन्ना ने किया था। लिंगायत समाज पहले वैदिक धर्म का ही पालन करता था, लेकिन इसकी कुरीतियों को हटाने के लिए इस नए सम्प्रदाय की स्थापना की गई। लिंगायत परंपरा में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी अलग है। लिंगायत में शवों को दफनाया जाता है।


वार्ता का रोड़ा, प्रदर्शनकारियों का व्यवहार

मनोज सिंह ठाकुर


नई दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए पहुंचे वार्ताकार लगातार प्रदर्शनकारियों से बात करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच वार्ताकार ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि आपका यही व्यवहार रहा तो हम कल से यहां नहीं आएंगे। इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम पिछले दो महीने से प्रधानमंत्री मोदी का पलकें बिछाए इंतजार कर रहे हैं। वो शाहीन बाग आएं और हमसे बात करें। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्‍त वार्ताकार संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और वजाहत हबीबुल्‍लाह गुरुवार को दूसरे दिन बात कर रहे हैं। 


बातचीत के दौरान वार्ताकार प्रदर्शनकारियों के व्‍यवहार से नाराज होते दिखे। उन्होंने कहा कि हम ऐसे में बात करने के लिए कल से नहीं आएंगे। बता दें कि वहां इतनी शोर हो रही है कि वार्ताकार सही तरीके से बातचीत नहीं कर पा रहे हैं। वार्ताकार से बात करने के दौरान एक प्रदर्शनकारी फूट फूट कर रोने लगा। कहा कि रोड खुलवाने की याचिका नहीं होनी चाहिए। इस पर वार्ताकार साधना रामचंद्रन ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि आप कैसे नागरिक है जो दूसरों के हक पर टिप्पणी कर रहे हैं। रामचंद्रन ने कहा कि हम यहां सिर्फ इस पर बात करने आए हैं कि सड़क खुलनी चाहिए या नहीं। लेकिन, यहां कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट का अपमान कर रहे हैं उन्हें यहां से निकाला जाना चाहिए। साधना रामचंद्रन ने एक प्रदर्शनकारी को बाहर जाने के लिए कहा। साधना रामचंद्रन ने कहा कि कल से हम धरना स्थल नहीं आएंगे। किसी और जगह ढूढने जा रहे हैं हम जहां महिलाओं से बात कर सके। कहा कि अगर यहां बात करना है तो 20-20 महिलाओं का गुट बात करे बाकी लोग बाहर जाए। वरना हम कल से नहीं आ पाएंगे।


गुजरात में जुटेंगे 70 लाख से अधिक लोग

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप 24-25 फरवरी को दो दिवसीय दौरे के लिए भारत आएंगे। अहमदाबाद में मोटेरा स्टेडियम में ट्रंप के प्रधानमंत्री मोदी के साथ 24 फरवरी को होने वाले आयोजन 'नमस्ते ट्रंप' को लेकर जिला प्रशासन ने साफ किया है कि यहां एक लाख लोग ट्रंप के स्वागत में जुटेंगे। इससे पहले ट्रंप ने अपने वीडियो में दावा किया था कि उनके स्वागत में 70 लाख लोग जुट रहे हैं। ट्रंप के भारत आने से पहले सबसे बड़ा सवाल यह है कि उनके स्वागत में कितने लोग अहमदाबाद हवाई अड्डे से मोटेरा स्टेडियम के बीच खड़े होंगे? एक लाख, 70 लाख या फिर एक करोड़। ट्रंप ने पहले दावा किया था कि उनके स्वागत में 70 लाख लोग खड़े होंगे और एक करोड़ लोग उनका स्वागत करेंगे। ट्रंप यह दावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हवाले से कर रहे हैं। हालांकि अहमदाबाद जिला प्रशासन ने गुरुवार को कहा कि यहां एक लाख लोग ट्रंप के स्वागत में जुटेंगे। बता दें कि कॉलराडो में एक रैली को संबोधित करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, 'अगले हफ्ते मैं भारत जा रहा हूं। पीएम नरेंद्र मोदी मुझे बहुत पसंद हैं, मैं उनसे ट्रेड डील को लेकर भी बात करूंगा। मोटेरा स्टेडियम जाते वक्त 10 मिलियन (1 करोड़) लोग हमारा स्वागत करेंगे।' ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा, 'पीएम मोदी ने कहा, '1 करोड़ लोग आपका स्वागत करेंगे।'


सोमनाथ धाम पर लगी भक्तों की भीड़

तिल्दा-नेवरा। जिले के सिमगा के समीप स्थित सोमनाथ धाम में शुक्रवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवालयों में रौनक देखी जा रही है। बता दें कि शिवनाथ और खारुन नदी के संगम स्थल पर स्थित सोमनाथ धाम की, तो यहाँ हर वर्ष माघी पुन्नी पर मेला लगता है। रायपुर-बिलासपुर हाईवे और दो जिलों के सीमा क्षेत्र से लगे होने के कारण यहाँ भक्तों का जनसैलाब लगा रहता है। दूर-दूर से लोग अपनी-अपनी मन्नते लेकर बाबा के धाम पर पहुंचते हैं। वैसे पर्यटन के दृष्टी से लोगों के लिए बेहतर स्थान माना जाता है। हाथों में पवित्र संगम का जल लेकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करने भक्त देर रात से ही कतार में लगे रहे। भोले बाबा के जयकारे और मंदिर के घण्टियों की सुमधुर आवाज से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया। भक्त अपनी मनोकामना मंदिर प्रांगण में सोमनाथ बाबा के सम्मुख विराजे नंदी के कान में कहते नज़र आ रहे थे।


सुरक्षा व्यवस्था की दिखी चाक चौबंद व्यवस्था :
हर वर्ष भक्तों की बढ़ती संख्या और मेले की दिनों दिन बढ़ती ख्याति के कारण पुलिस विभाग भी मेले की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर काफी सतर्क नजर आए। कहीं भी अप्रिय घटना न हो इसलिए मेले के चोरों ओर पुलिस की टुकड़ियां घूमती देखी गई। विभाग की ओर से एक हेल्प डेस्क भी लगाया गया। वाहन पार्किंग की विशेष व्यवस्था रखा गया है।


भारत की आबादी ज्यादा, फॉलोअर अधिक

नई दिल्ली। फेसबुक फॉलोअर को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि नरेंद्र मोदी को भारत की जनसंख्या अधिक होने का फायदा मिल रहा है। उन्होंने 'फेसबुक फॉलोअर' पर लोकप्रियता के मामले में कहा था कि वह नंबर वन पर हैं और दूसरा नंबर में प्रधानमंत्री मोदी है। दरअसल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फेसबुक फॉलोइंग का हवाला देते हुए गुरुवार को कहा कि 1.5 अरब भारतीय लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जनसंख्या की वजह से फेसबुक पर बढ़त हासिल है। हालांकि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत की आबादी 1.3 अरब है।


बता दें कि पीएम मोदी के 4 करोड़ 40 लाख फॉलोअर्स हैं, जबकि ट्रंप के दो करोड़ 70 लाख फॉलोअर्स हैं। भारत की आबादी करीब 130 करोड़ है, जबकि अमेरिका की कुल जनसंख्या 32 करोड़ 50 लाख है। ट्रंप ने पहले दावा किया था कि फेसबुक पर फॉलोअर्स के मामले में मोदी दूसरे स्थान पर हैं और वह खुद पहले स्थान पर हैं, इसकी जानकारी फेसबुक के कार्यकारी अध्यक्ष मार्क जुकरबर्ग ने उन्हें सीधे तौर पर दी है। ट्रंप ने लास वेगास में होप फॉर प्रिजनर्स ग्रेजुएशन सेरमनी संबोधन में कहा कि मैं अगले सप्ताह भारत जा रहा हूं और हम लोग बात कर रहे हैं। आप जानते हैं, उनके पास 1.5 अरब लोग हैं। प्रधानमंत्री मोदी फेसबुक पर दूसरे स्थान पर हैं। आप सोचिए। क्या आपको पता है कि पहले नंबर पर कौन है? ट्रंप। क्या आप विश्वास करेंगे? नंबर वन। मुझे पता चला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फेसबुक पर चार करोड़ 40 लाख लोग फॉलो करते हैं, वहीं ट्रंप को दो करोड़ 70 लाख लोग फॉलो करते हैं जबकि अमेरिका की कुल जनसंख्या 32 करोड़ 50 लाख है। अपने संबोधन में ट्रंप ने कहा कि उन्हें हाल ही में जुकरबर्ग ने फेसबुक पर नंबर वन (पहले स्थान) पर रहने की बधाई दी थी।


दुनिया को तबाह करने वाला ब्रीफकेस

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप 24-25 फरवरी को दो दिवसीय दौरे के लिए भारत आएंगे। इसी कड़ी में उनके सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। दौरे के मद्देनजर ट्रंप की सुरक्षा को लेकर चौकसी बरती जा रही है। अहमदाबाद, आगरा से लेकर दिल्ली तक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सुरक्षा अभेद होगी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब अपनी पत्नी के साथ भारत दौरे पर आएंगे तब उनके साथ न सिर्फ उनकी सुरक्षा टीम होगी, बल्कि एक 'न्यूक्लियर फुटबॉल' भी होगा।
दरअसल, अमेरिकी राष्‍ट्रपति हमेशा अपने साथ 'न्यूक्लियर फुटबॉल' रखते हैं। इस फुटबॉल की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह पल भर में दुनिया को तबाह कर सकता है। इस न्यूक्लियर फुटबॉल को सीक्रेट ब्रीफकेस भी कहा जाता है, जिसे उनके सुरक्षा में लगे टॉप जवान हाथ में लिए रहते हैं। अन्य जवान के हाथ में हथियारों से लैस एक ब्रीफकेस भी होता है ताकि जब भी कोई यह न्यूक्लियर फुटबॉल छीनने की कोशिश करे तो उससे बचाया जा सके। परमाणु हमले के लिए सीक्रेट कोड और अलार्म से लैस इस ब्रीफकेस को न्यूक्लियर फुटबॉल के नाम से जाना जाता है। हालांकि, यह असल वाला फुटबॉल नहीं होता। काले रंग का यह टॉप सीक्रेट ब्रीफकेस दुनिया का सबसे शक्तिशाली ब्रीफकेस माना जाता है। इसे अमेरिका के राष्ट्रपति अपने पास हमेशा रखते हैं, जिसमें संचार उपकरण होते हैं जो उन्हें परमाणु हमले की इजाजत देता है। 1962 के बाद से अमेरिका के हर राष्ट्रपति के साथ यह न्यूक्लियर फुटबॉल साथ होता है। इसे इस उद्देश्य से तैयार किया गया ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति के पास हमेशा परमाणु युद्ध के विकल्प मौजद रहें। कभी-कभी अमेरिकी राष्ट्रपति अपने हाथ में भी लेकर रखते हैं तो कभी उनके साथ रहने वाले सुरक्षाकर्मी। न्यूक्लियर फुटबॉल तीन हैं। एक राष्ट्रपति के साथ होता है, एक उपराष्ट्रपति के साथ और एक व्हाइट हाउस में सुरक्षित रखा जाता है। न्यूक्लियर फुटबॉल कहने जाने वाले इस ब्रीफकेस के भीतर एक छोटा सा एंटिना लगा संचार उपकरण होता है जो सैटेलाइट फोन से हमेशा जुड़ा होता है। इसके जरिए अमेरिकी राष्‍ट्रपति दुनिया के किसी भी कोने से तुरंत बात कर सकते हैं और गाइड कर सकते हैं। इसमें 75 पेज की एक किताब भी होती है, जो राष्ट्रपति को परमाणु हमले से संबंधित सारे विकल्पों से सूचित करता है। इतना ही नहीं, इस किताब में इस बात की भी जानकारी है कि परमाणु हमले के वक्त राष्ट्रपति को कहां छिपाया जा सकता है। यानी इस किताब में अमेरिका के परमाणु हमले की पूरी योजना और टारगेट की पूरी जानकारी होती है।


भारत-न्यूजीलैंड का पहले दिन का खेल

नई दिल्ली। भारत और न्यूजीलैंड के बीच पहले दिन का खेल खत्म हो गया है। बारिश की वजह से टी-ब्रेक के बाद का खेल नहीं शुरू हो पाया। टीम इंडिया ने पांच विकेट खोकर 122 रन बना लिए हैं। खेल खत्म होने तक अजिंक्य रहाणे 38 जबकि ऋषभ पंत 10 रन बनाकर नाबाद लौटे। बता दें कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच दो मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट मैच वेलिंगटन के बेसिन रिजर्व मैदान पर खेला जा रहा है। न्यूजीलैंड ने टॉस जीता और कप्तान केन विलियमसन ने भारत को बल्लेबाजी का न्योता दिया। टी-ब्रेक तक भारत का स्कोर 122-5 था और इसके बाद बारिश के कारण खेल शुरू नहीं हो सका और अंपायरों ने पहले दिन का खेल खत्म करने का फैसला किया, क्योंकि बारिश के बाद मैदान काफी गीला हो गया था। अजिंक्य रहाणे और ऋषभ पंत नॉटआउट लौटे हैं। अब मैच के दूसरे दिन खेल आधे घंटे जल्दी शुरू होगा। न्यूजीलैंड के लिए पहला मैच खेलल रहे तेज गेंदबाज काइल जैमीसन ने 38 रन देकर तीन विकेट लिए।


ओवैसी के मंच से 'पाकिस्तान जिंदाबाद'

नई दिल्ली। देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध के नाम पर दिल्ली सहित कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। वहीं सीएए के खिलाफ बेंगलुरु में एक कार्यक्रम के दौरान गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ। दरअसल, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी गुरुवार को बेंगलुरु में सीएए के खिलाफ एक मंच पर प्रदर्शन कर रहे थे। उसी दौरान ओवैसी की मौजूदगी में एक युवती अमूल्या लियोन मंच पर पहुंच गई और माइक लेकर 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाने लगी। पुलिस ने युवती के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है और उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अमूल्या लियोन के पिता ने कहा है कि उनकी बेटी ने जो किया वह बिल्कुल गलत था। मैंने उसे कई बार कहा कि वे मुसलमानों से न जुड़ें लेकिन उसने मेरी नहीं सुनी। बता दें कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में आयोजित कार्यक्रम के आयोजकों के चेहरे का रंग उस समय उड़ गया जब कार्यक्रम में शामिल अमूल्या नामक महिला ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए। इस दौरान एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी वहां मौजूद थे। उन्होंने तुरंत महिला की इस हरकत की निंदा करते हुए कहा कि इससे सहमत नहीं है और आश्वस्त करते हैं  ‘हम भारत के लिए हैं’।


नकदी संकट से जूझ रहा है 'यस बैंक'

नई दिल्ली। देश का चौथा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक यस बैंक इन दिनों नकदी के संकट से जूझ रहा है। यस बैंक की पिछले एक साल से फंड जुटाने की सारी कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं। बैंक के शेयर में भी 80 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। कहा जा रहा है कि हिंदुजा ग्रुप, न्यूयॉर्क के सेरबेरस कैपिटल मैनेजमेंट एलपी दोनों मिलकर यस बैंक में बड़ी हिस्सेदारी खरीद सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बैठक भी की थी। माना जा रहा है कि इस कंसोर्टियम में कुछ और निवेशक भी शामिल हो सकते हैं।


सार्वजनिक सूचनाएं एवं विज्ञापन


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


फरवरी 22, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-195 (साल-01)
2. शनिवार, फरवरी 22, 2020
3. शक-1941,फाल्गुन - कृष्ण पक्ष, तिथि-चतुर्दशी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:54,सूर्यास्त 06:10
5. न्‍यूनतम तापमान 12+ डी.सै.,अधिकतम-21+ डी.सै., हल्की बरसात की संभावना।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला

यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला  संदीप मिश्र  लखनऊ। यूपी में गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदल गया है। कक्षा एक से लेकर आठ तक के स्कू...