शनिवार, 1 फ़रवरी 2020

सावधानः कौवों-कुत्तों का मास रहे परोस

रामेश्वर। यदि आप सड़क किनारे ठेलों पर सस्ता चिकन खाते हैं तो सावधान हो जाएं। क्योंकि कई शहरों में चिकन के नाम पर कौवे और कुत्तों का मांस बिक रहा है। ताजा मामला तमिलनाडु के रामेश्वरम से सामने आया है, यहां सड़क किनारे एक ठेले पर जब खाद्य विभाग ने छापा मारा तो अफसर हैरान रह गए। ठेले पर सस्ते में जो चिकन बिक रहा था वह असल में कौवे का मांस था। कौवे का मांस चिकन के नाम पर बेचने के आरोप में पुलिस ने यहां दो लोगों को गिरफ्तार किया और उनके पास से करीब 150 मरे हुए कौवे बरामद हुए हैं।


पुलिस के मुताबिक, कौवे के नाम पर चिकन बेचने का खुलासा रामेश्वरम के मंदिर मे आए श्रद्धालुओं के शक पर हुआ। दरअसल, श्रद्धालु यहां कौवों को रोज दाना डालते हैं, लेकिन बीते कुछ दिनों से उन्हें कई कौवे मरे हुए मिल रहे थे।


श्रद्धालुओं ने कौवों के मरने की शिकायत पुलिस को की। जब पुलिस ने तहकीकात की तो उन्हें पता लगा कि कुछ लोग जहरीले चावल देकर कौवों का शिकार कर रहे हैं। जब पुलिस ने कौवों का मांस बेच रहे लोगों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि हम कौवों का शिकार करके छोटे दुकानदारों को बेच रहे थे। दुकानदार कौवों के मांस को चिकन लॉलीपॉप और चिकन बिरयानी कहकर बेच रहे थे जिससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही थी।


मालूम हो कि यह पहला मौका नहीं है जब चिकन और मटन के नाम पर कुत्ते-बिल्ली और कौवों का मांस बेचा जा रहा था। इसके पहले मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में 2018 में खाद्य विभाग ने छापे मारकर कुत्ते-बिल्ली का मांस बेचने वालों को गिरफ्तार किया था।


बजटः क्या महंगा, क्या सस्ता ?

बजट 2020 क्या महंगा, क्या सस्ता


प्रयागराज। 1. पंखे महंगे, कस्टम ड्यूटी 10 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद हुई।
2. स्टेशनरी होगी महंगी, कस्टम ड्यूटी 10 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद की गई। 
3. मोबाइल फोन होंगे महंगे
4. विदेशी फर्नीचर पर कस्टम ड्यूटी बढ़कर 25 फीसद हुई। 
5. घरेलू उपकरणों पर एक्साइज ड्यूटी बढ़कर हुई 20 फीसदी हुई।
6. सिगरेट और तंबाकू पर बढ़ी एक्साइज ड्यूटी, होंगे महंगे।
7. ऑटो और ऑटो पार्ट पर बढ़ी कस्टम ड्यूटी, होंगे महंगे।
8. इंपोर्टेड मेडिकल डिवाइस होंगे महंगे।
9. आयातित फुटवेयर और फर्नीचर पर बढ़ेगी कस्टम ड्यूटी।
10. फुटवेयर पर सरकार ने बढ़ाया टैक्स, जूते होंगे महंगे।
11. अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम का दायरा एक साल बढ़ा।
12. विदेशी निवेश को 9 फीसद से बढ़ाकर 15 फीसद किया गया।
13. कॉर्पोरेट बॉंड में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाई गई
14. मंत्रालय ने फर्नीचर पर आयात शुल्क 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया है, जबकि कोटेड पेपर, पेपर बोर्ड और हैंड मेड पेपर पर आयात शुल्क दोगुना बढ़ाकर 20 फीसदी करने पर विचार करने को कहा गया है। 
15. फुटवेयर यानी जूते-चप्पल पर आयात शुल्क बढ़ाने से देश में सस्ते जूते-चप्पल का आयात बढ़ने पर रोक लगेगी। 
क्या होगा महंगा


बाद  पेट्रोल-डीजल, सोना, काजू, ऑटो पार्ट्स, सिंथेटिक रबर, पीवीसी, टाइल्‍स महंगी हो जाएंगी। तंबाकू उत्‍पाद भी इस बजट के बाद महंगे हो सकते हैं। पंखे, स्टेशनरी, मोबाइल फोन, विदेशी फर्नीचर, सिगरेट और तंबाकू, ऑटो और ऑटो पार्ट, इंपोर्टेड मेडिकल डिवाइस, फुटवेयर इत्यादि महंगे होंगे।क्या होगा सस्ता
बजट के बाद होम लोन लेना भी सस्‍ता हो सकता है। बजट के बाद इलेक्ट्रिक कारें सस्‍ती हो सकती है।


रिपोर्ट- बृजेश केसरवानी


पतित-पावन 'उपन्यास-4'

पतित-पावन      'उपन्यास' 
गतांक से...
माधुरी की वाणी से निकले शब्द स्वयं माधुरी को भी पीड़ा पहुंचा रहे थे, चुभ रहे थे, गलूरी भी अक्समात दुख से द्रवित हो उठा था। कुछ समय पश्चात सभी ने ठंडी सांस ली। किंतु सभी आश्चर्यचकित और परेशान थे कि कहीं यह शब्द सच न हो जाए। किंतु सत्य तो अटल होता है उसे बदलना संभव नहीं होता है। इसी बात का डर सबको सता रहा था, अनायास ही चिंता की लकीरें माथे पर खिंच गई थी। इसके विपरीत एक बात बहुत महत्वपूर्ण थी। परिवार के सभी लोग शिक्षित थे और इतने अधिक अंधविश्वासी नहीं थे कि अकारण ही किसी भी बात को स्वीकार करें या उस पर विश्वास करें। सभी ने एक दूसरे की आंखों में देखकर एक दूसरे को समझने का प्रयास किया। बिना कुछ कहे ही सब लोग चुपचाप इस बात को भूल जाना चाहते थे और हुआ भी यही, सब लोग इस बात को भूल गए या यूं कहिए इस बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। पास ही के प्राथमिक विद्यालय में पड़ोस में रहने वाले मास्टर रामपाल भूगोल के अध्यापक थे। विद्यालय केवल आठवीं कक्षा का ही था तथा जया ने वही सातवीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। जया होनहार, हूनरबाज बुद्धिमान होने के साथ-साथ कक्षा में सबसे अधिक प्रभाव रखती थी। उसके सहपाठियों मे यदि कोई उसको संतुष्ट करने वाला था वह केवल स्वराज ही था और उन दोनों की पटती भी थी। इसके पीछे सबसे महत्वपूर्ण बात थी कि दोनों ही पढ़ाई के प्रति समर्पित और अनुशासित थे। इसी कारण उन दोनों के बीच अच्छी-खासी मित्रता भी हो गई थी। जया की तीव्रबुद्धि को देखकर आचार्य भी चकित रहते थे। वह एक बार में ही किसी पद,गध, काव्य को कंठस्थ कर लेती थी और उसके भावार्थ को बार-बार अध्ययनरत करती रहती थी। जिसके कारण वह सामान्य तौर पर वास्तविक अवलोकन कर रही थी। प्रत्येक प्रश्न का सर्वप्रथम उत्तर देना उसकी स्वभाविकता हो गई थी। दुर्लभ-दुर्लभ प्रश्नों का कठिन परिश्रम करके हल करना, उसका स्वभाव बन गया था। मिजाज मे आज भी व्यग्रता और लगन दोनों ही बनी रहती थी। यह बच्ची आने वाले समय में शिक्षा पद्धति में विद्वान पद ग्रहण करेगी। क्योंकि उसकी कार्यप्रणाली ही इतनी स्वच्छ और सुंदर थी। जया अभी तक अपनी हवेली में घूम रही थी। प्रातकाल विद्यालय जाना, फिर अध्यापक घर पर पढ़ाते थे, ढेर-सी पढ़ाई करने के कारण उसे बाहरी दुनिया का अनुमान भी नहीं था। किताबों में उलझे रहना, हवेली के चक्कर काटना, यही उसका दिनचर्या बन गया था। हालांकि इसके विपरीत उसको बाहरी सामाजिक ढांचे की किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं थी। अब अंतिम परीक्षा-पत्र हल करने के बाद जया अपने घर आई। किताबे एक और रख दी क्योंकि अब ग्रीष्म काल का अवकाश प्रस्तावित हो गया था। अब 40 दिन तक किताबों से मोह रखना मूर्खता से अधिक और कुछ भी नहीं था।
 वैसे तो कई कुप्रथा समाज में आज भी प्रचलित है। यदा-कदा उनका विरोध होता रहता है। जिसमें से एक प्रथा तलाक़ पर वर्तमान सरकार ने अधिनियम पारित करने के बाद तलाक प्रथा को खत्म करने का कार्य किया है। हालांकि अभी भी इस्लामिक धर्म के मानने वाले इस कानून का विरोध कर रहे हैं। परंतु वह सभी स्त्री के प्रति अत्याचार और पीड़ा को समझने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। किसी भी धर्म अथवा मजहब में क्या किसी को पीड़ित करने का कोई अधिकार दिया गया है या किसी के शोषण का कोई अधिकार दिया गया है? नहीं दिया गया है। इस प्रकार का कोई भी उदाहरण किसी भी धर्म में नहीं है। बावजूद इसके भी इस प्रकार की कुप्रथा आज भी समाज में प्रचलित है और विरोध के बाद भी उनका संचालन हो रहा है। इसी प्रकार से उस काल में और भी बहुत सारी ऐसी ही प्रथा थी। परंतु उस समय के अनुसार कम थी। क्योंकि कुप्रथाओं का भी एक दायरा था उसकी सीमा थी। अशिक्षित और सामाजिक ज्ञान न होने के कारण अल्प ज्ञान में लोग इस प्रकार के निर्णय कर लिया करते थे। लेकिन आधुनिकता के 'शहतीर पर खड़े' लोग अब इस प्रकार का निर्णय नहीं करते हैं, चाहे वह किसी भी धर्म या मजहब से जुड़े हो। उस समय लड़कियों को पढ़ाना भी एक अपराध था। यदि कोई बहुत पढ़ा-लिखा चिट्ठी भी पढ़ ले तो यह भी गनीमत थी। 
लेकिन माधुरी ने ऐसी कुप्रथा को गांव के और समाज के विपरीत रखकर जया को पढ़ने के लिए स्वतंत्रता प्रदान कर दी थी। उसने जया को पोस्ट ग्रेजुएट कराने की सोच रखी थी। साथ-साथ चतुरसिंह भी छठी कक्षा में उत्तीर्ण हो गया था। सो जया की बाधाएं भी हटती जा रही थी, किंतु गर्मियों की छुट्टी कैसे बीते 2 दिन मामा के यहां भी रहे। अब मामा के यहां इतनी सुख सुविधाएं देखकर 2 दिन में ही "पेट मुंह में आ गया"। अभी तो बहुत सारा समय बाकी था। उस समय को किस प्रकार व्यतीत किया जाए? इस पर विचार ने की क्षमता है नहीं थी।
 प्रातः काल में उठकर जाने वहीं सामान्य तौर पर पाया। घर में मां चतुर और अघोरी सभी खेत में मां का रोजमर्रा का कार्य था खाना बनाना, खेत में ले जाना। इस प्रकार के कार्यों से जया का मन ऊब गया था। जया ने आज पीले पीले रंग के वस्त्र पहने थे और किसी 'अधखिले फूल की तरह' उसका रंग-रूप उस चोले में खिलखिला उठा था। जया कौर ने अपनी मां से धीरे से कहा- मैं भी खेत में चलूं! माधुरी ने जया को अनसुना कर दिया- क्या करोगी? निवेदन के साथ कहा- मुझे देखने दो, तुम्हारे साथ ही चली जाऊंगी, तुम्हारे साथ ही आ जाऊंगी। माधुरी ने कहा- ठीक है।
 कुछ समय पश्चात दोनों खेत में चले गए। माधुरी ने घूघंट मे ही कहा, क्योंकि घूंघट एक पारंपरिक संस्कार था, जिसकी मान्यता बहुत अधिक थी, उस मान्यता के आधार पर ही माधुरी घर से निकलने के बाद हमेशा घूंघट में रहती थी। उसने बड़े शांत स्वर से कहा- हां यही से हमारे खेत की सीमा शुरू होती है, सामने चौराहा है वहां तक सब हमारे खेत है। जया ने पूर्व मुद्रा में पूछा- मां!ये लड़की कौन है, हमारे खेत में क्या कर रही है? माधुरी कोर ने घूंघट उठाकर दृश्य का अवलोकन करने के पश्चात कहा- यह लड़की हमारे खेतों में ही काम करती है, हमारे एक मजदूर रतिराम की लड़की है। यंही खेलती है यंहीं खाती है यंही रहती है। बहुत सुंदर, बहुत अच्छी लड़की है।
 जया ने मुंह चुराकर कहा- यह पढ़ती नहीं है तभी तो?
 माधुरी कौर ने उत्तर दिया- पहली बात तो यह लोग लड़कियों को पढ़ाते नहीं है और दूसरी बात इनके पास इतना धन भी नहीं है कि लोग अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा सके। जया ने उदारता से पूछा- जब तुम चतुर को पढ़ाती हो। माधुरी मैं तो चाहती हूं लेकिन तेरे ताऊ की तरह खेती करेगा और चतुर कहीं नौकरी करेगा। जया ने अज्ञानता वश पूछा- यह नौकरी क्या होता है? माधुरी ने रूखे पन से ही उत्तर दिया- जब बच्चे बड़े हो जाते हैं या कोई भी व्यक्ति जब बड़ा हो जाता है, तो उसको कोई ना कोई काम तो करना ही होता है। जिससे घर परिवार का संचालन हो,पालन-पोषण रस्में रिवाज, इन सब को पूरा करने के लिए धन की आवश्यकता होती है। धन उपार्जन करने के लिए कुछ ना कुछ काम करना होता है। जिसे हम साधारण भाषा में नौकरी कहते हैं। जया ने हतप्रभ होकर पूछा-शादी क्यों होती है? माधुरी ने कहा- परिवार को आगे बढ़ाने के लिए, वंश के संचालन के लिए, जीवन-यात्रा में प्रत्येक मनुष्य को एक साथी की आवश्यकता होती है। इसी कारण समाज में यह एक तरीका, इस यात्रा को पूर्ण करने के लिए उपयोग किया है। जिसे हम विवाह भी कह सकते हैं। जया ने विनम्रता के साथ निवेदन पूर्ण कहा- कृपया करके उस लड़की से मिल सकती हूं। माधुरी- ठीक है लेकिन संभल कर जाना और कहीं मत जाना। 
जया, कल्पना की ओर बढ़ने लगती है। कल्पना हाथों में एक तितली को पकड़ लेती है। उसके रंगों को निहारती है, उसके पंखों को खोल कर, उसके रंग गिनती है।तभी उसकी नजर उसकी तरफ आ रही जया पर पड़ती है। एक क्षण के लिए कल्पना स्तब्ध हो गई। उसकी नजरें जया पर ठहर गई। उसने तितली को अपने हाथों की कैद से आजाद कर दिया और बेचैनी से अपनी ओर आने वाली जया को एकटक देखने लगी। कुछ तो ऐसा था जो इस दृश्य में आकर्षण पैदा कर रहा था। जया और कल्पना एक दूसरे के प्रति इस प्रकार आकर्षित हो रही थी। जैसे जमीन और आसमान एक दूसरे से मिलने के लिए लालायित रहते हैं। लेकिन फिर भी उनका कोई छोर नहीं होता है।....


कृतः- चंद्रमौलेश्वर शिवांशु 'निर्भय-पुत्र'


एसटीएफ ने पकड़ी अरबों रुपए की हैरोइन

अमृतसर में एसटीएफ को बड़ी सफलता, अरबों रुपए की हैरोइन पकड़ी, अब तक की ये सबसे बड़ी रिकवरी


अमित शर्मा


अमृतसर। पंजाब के अमृतसर से इस समय की सबसे बड़ी खबर आ रही है। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की टीम ने सफलता हासिल करते हुए सुल्तानविंड एरिया से अरबों रुपए की हैरोइन बरामद की है। ये रिकवरी अमृतसर की पहली सबसे बड़ी रिकवरी है। टीम ने इस मामले में अफ्रीकी नागरिक समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सुल्तानविंड एरिया में एक फैक्ट्री थी, जिसके अंदर ही ये हैरोइन तैयार की जाती थी। एसटीएफ ने गुप्त सूचना के बाद वहां देर रात रेड करके आरोपियों को गिरफ्तार किया और वहां से 150 किलो से ज्यादा हैरोइन बरामद की है। इस हैरोइन का इंटरनेशनल मार्किट में कीमत अरबों रुपए है। मार्किट के अनुसार 1 किलो हैरोइन की कीमत करीब 5 करोड़ रुपए है।


लोनी को जाम मुक्त कराने का जज्बा

लोनी को जल्द ही बनाया जाएगा जाम मुक्त व कराया जाएगा सौंदर्यीकरण - खालिद अंजुम खान


अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। दिल्ली-सहरनपुर अतंर्राज्यीय सडक स्थित लोनी तिराहे पर जाम की समस्या को देखते हुए उपजिलाधिकारी खालिद अंजुम खान की अध्यक्षता में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण अधिकारियों, क्षेत्राधिकारी पुलिस, तहसीलदार, तीनों थाने के प्रभारी ,नगर पालिका परिषद एवं स्थानीय यातायात निरीक्षक के साथ एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें जाम की स्थिति से निबटने के लिए कार्य योजना बनाई गई। इस दौरान अधिशासी अभियंता गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को कड़े निर्देश जारी किए गए। तत्काल लोनी तिराहे से बलराम नगर यू-टर्न तक ढाई मीटर चौड़ा रोड बनाया जाना सुनिश्चित करें तथा यह कार्य शुक्रवार की रात से ही प्रारंभ होना जो जाना चाहिए। यह आदेश लोनी उपजिलाधिकारी ने अपनी ओर से अधिशासी अभियंता को दिए। राज्य मार्ग 709 बी के निर्माण के संबंध में संजय कुमार मिश्रा परियोजना निदेशक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से जिलाधिकारी ने इस संबंध में बात की। उन्होंने बताया कि दिल्ली-सहारनपुर मार्ग का निर्माण कार्य प्रस्तावित है। जिसका टेंडर 3.2.2020 को पूरा कर दिया जाएगा। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि दिल्ली-सहारनपुर मार्ग पर वाटर लॉगिंग की स्थिति के कारण सड़क निर्माण संभव नहीं है। जिस कारण निर्माण के उपरांत भी यही स्थिति रहती है तो राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़क को भी नुकसान पहुंचेगा। इस मामले में अधिशासी-अधिकारी नगर पालिका को कड़े निर्देश जारी कर , पानी की निकासी व सफाई समय-समय पर करने की व्यवस्था के आदेश भी दिए गए। वहीं उप जिलाधिकारी ने लोनी तिराहे पर ऑटो से लगने वाले जाम के निस्तारण की भी योजना बनाई है। जिसमें उन्होंने राशिद अली गेट, हनुमान मंदिर बलराम नगर यू-टर्न के सामने 3 ऑटो स्टैंड बनवाने की भी बात सक्ति से रखी है। उपजिलाधिकारी लोनी ने यह भी आदेश जारी किया कि सोमवार के दिन किसी भी तरह की कोई भी रेडी पटरी सड़क के किनारे नहीं पाई जानी चाहिए, अन्यथा उस पर कार्यवाही की जाएगी। जबकि रोनित से 200 मीटर की दूरी के अंदर किसी भी ऑटो के प्रवेश पर रोक सुनिश्चित होगी।


वायरस को लेकर सक्रिय दिखे एसडीएम

करोना वायरस को लेकर सक्रिय दिखे लोनी उपजिलाधिकारी


अविनाश 
गाजियाबाद। देश में कोरोना वायरस जैसी आपातकालीन स्थिति से निबटने के लिए लोनी प्रशासन ने भी अपनी कमर कस ली है। शुक्रवार सुबह लोनी उपजिलाअधिकारी खालिद अंजुम खान ने नगर पालिका, खाद सुरक्षा, औषधि प्रशासन एवं चिकित्सा विभाग के साथ बचाव तथा उपायों के संबंध में बैठक आयोजित की। जिसमें दिनेश कुमार एवं धर्मेंद्र सिंह खाद्य सुरक्षा अधिकारी को खाद्य पदार्थों की जांच और इनके अस्मिक निरीक्षण के निर्देश दिए गए। वहीं उपजिला अधिकारी खालिद अंजुम खान ने बताया कि इनकी रिपोर्ट प्रतिदिन उपजिलाधिकारी कार्यालय में प्रस्तुत की जाएगी। वहीं लोनी नगर पालिका अधिशासी-अधिकारी को नगरीय क्षेत्र अंतर्गत साफ-सफाई एवं डीडीटी के प्रति दिन छिड़काव कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं। कोरोना वायरस से बचाव एवं इसके उपाय के संबंध में जगह-जगह नगर पालिका द्वारा प्रचार व जानकारी के लिए होल्डिंग आदि भी लगवाए जाएंगे। कोरोना वायरस से बचाव के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक राजेश तेवतिया मुख्य स्वास्थ्य सामुदायिक केंद्र लोनी को तत्काल प्राथमिकता पर कंट्रोल रूम बनाने के लिए उपजिलाधिकारी ने आदेश दिए हैं। इस आपात स्थिति से निपटने के लिए योजना के प्रभारी रविंद्र कुमार बीसीपीएम लोनी को बनाया गया है किसी भी विषम परिस्थिति में कंट्रोल रूम में नंबर पर संपर्क किया जा सकता है। वही लोनी उपजिलाधिकारी ने क्षेत्रीय अभिसूचना इकाई एवं समस्त थाना अध्यक्ष को बाहरी राज्य देशों से आने वाले व्यक्तियों पर कड़ी नजर रखने के कड़े निर्देश दे दिए हैं। ऐसी किसी भी सूचना को संज्ञान में आने पर तत्काल प्राथमिकता पर उच्च अधिकारियों को अवगत कराते हुए, कार्यवाही के लिए निर्देशित किया गया है।


स्कूलों की नियुक्ति में मिली अनियमितता

कमिश्नर ने कराई जाॅंच तो स्कूलों की नियुक्ति में अनियमितताओं का खुला पिटारा


आजमगढ़। जनपद के अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों में 20 प्रधानाध्यापकों/प्रधानाध्यापिकाओं के साथ ही 45 कला वर्ग व भाषा विषय के व 20 विज्ञान विषय के सहायक अध्यापकों के चयन को अनुमोदित किये जाने का है मामला


कमिश्नर कनक त्रिपाठी ने अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों में प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक के पद पर नियम विरुद्ध तरीके से की गयी नियुक्तियों को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेन्द्र कुमार पाण्डेय द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से अनुमोदित किये जाने के सम्बन्ध में प्राप्त शिकायतों के परिप्रक्ष्य में चार सदस्यीय जाॅंच समिति के माध्यम से जाॅंच कराई तो इन नियुक्तियों में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ। मण्डलायुक्त ने जाॅंच में पाई गयी गंभीर किस्म की अनियमितताओं के कारण जहाॅं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेन्द्र कुमार पाण्डेय को निलम्बित कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही संस्थित करने की संस्तुति की है वहीं इन नियुक्तियों को निरस्त कर सतर्कता जाॅंच कराये जाने की भी सिफरिश शासन को भेज दी है।


टमाटर से होने वाले नुकसान

टमाटर के महंगे होने का अगर आपको भी दुख है, तो इसके इन नुकसानों को जरूर जान लीजिए…इन्हें जानने के बाद आपको टमाटर के महंगे होने का जरा भी दुख नहीं होगा और आप तौबा कर लेंगे इन महंगे टमाटरों से। जानें 5 नुकसान –
1 टमाटर का सेवन आपको एसिडिटी दे सकता है। दरअसल इसमें काफी अधिक मात्रा में अम्ल होता है जिससे इसका सेवन करने पर आपके पेट में अम्लीयता बढ़ती है और यह एसिडिटी का कारण बनती है।
2 टमाटर के साथ-साथ आप इसके बीजों को शरीर में जाने से नहीं रोक सकते, लेकिन इन बीजों के आपके शरीर में जाने से आप पथरी के मरीज हो सकते हैं, क्योंकि ये आसानी से किडनी में पहुंचकर पथरी यानि स्टोन का निर्माण करते हैं।
3 टमाटर में मौजूद टरपीन्स नामक तत्व आपकी शारीरिक दुर्गन्ध का कारण बन सकता है। पाचन के दौरान इसका विघटन, शरीर की दुर्गन्ध पैदा करता है।
4 अगर आपको अक्सर पेट में गैस की समस्या होती है, तो टमाटर का सेवन कम करना ही आपके लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि यह पेट में गैस पैदा कर सकता है।
5 आजकल ऑर्गेनिक टमाटरों के बजाए इंजेक्शन या केमिकल का इस्तेमाल कर पकाए गए टमाटर बाजारों में उपलब्ध होते हैं, जो आपके लिए बेचैनी, ब्लडप्रेशर और अन्य सेहत समस्याएं दे सकता है।


डब्ल्यूएचओ ने वैश्विक संकट घोषित किया

नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने कोरोना वायरस को लेकर वैश्विक संकट घोषित किया है। चीन में अब तक इस वायरस से 170 लोगों की मौत हो चुकी है।
18 देशों में यह वायरस फैल चुका है। WHO के हालिया डेटा के अनुसार दुनिया भर में कोरोना वायरस के 7,800 मामले पाए गए हैं। इस वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर में एक अवैध वाइल्ड लाइफ मार्केट से हुई थी।
चीन के अलावा दुनिया के अलग-अलग देशों में कोरोना वायरस के 100 और मामले पाए गए हैं। इस वायरस के कारण लोग चीन का दौरा रद्द कर रहे हैं। चीन को लेकर दुनिया भर में नकारात्मक छवि बन रही है। इस वायरस के डर से फेस मास्क की भी मांग बढ़ी है। WHO के महानिदेशक टेड्रोस ऐडहेनॉम गेब्रीयेसोस ने जेनेवा में एक न्यूज़ कॉन्फ़्रेंस में इस वायरस से निपटने में चीन की सक्रियता की तारीफ़ की लेकिन उन्होंने इस वायरस के बाक़ी के देशों में फैलने को लेकर चिंता भी जताई।
उन्होंने कहा, ''वैश्विक संकट केवल चीन को लेकर घोषित नहीं किया गया है। वैश्विक संकट बाक़ी के देशों में कोरोना के मामले पाए जाने के कारण किया गया है। हमारी चिंता यह है कि जिन देशों में यह वायरस फैल रहा है वहां के हेल्थ सिस्टम बहुत ही ख़राब हैं।''
WHO के इस क़दम से सभी देशों के बीच कोरोना वायरस से जुड़ी सूचनाओं के आदान-प्रदान को लेकर सख़्ती बरती जाएगी। हालांकि चीन के लिए यह मुश्किल खड़ा करेगा।
WHO के महानिदेशक टेड्रोस ऐडहेनॉम गेब्रीयेसोस
विशेषज्ञ इस बात से चिंतित हैं कि चीन से बाहर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में इसके फैलने की आशंका है। अमरीका और इटली में भी कोरोना वायरस का मामला सामने आया है। कारोबारियों का कहना है कि WHO ने चीन आने-जाने पर रोक नहीं लगाई है। हालांकि एयर फ़्रांस, अमरीकन एयरलाइंस और ब्रिटिश एयरवेज़ ने चीन से अपनी उड़ानें बंद कर दी हैं। चीन को इससे बड़ा आर्थिक नुक़सान हो रहा है।
चीन में मल्टिनेशनल कंपनियां भी कोरोना वायरस के कारण बिज़नेस बंद कर रही हैं। अल्फ़ाबेट इंक गूगल और स्वीडन IKEA ने चीन में अपना ऑपरेशन बंद कर दिया है। वुहान में म्यांमार के 60 स्टूडेंट फंसे हुए हैं। इन 60 छात्रों में से एक सी थु तुन ने ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल डेमोक्रेटिक वॉइस ऑफ बर्मा से कहा, ''लगभग दुकानें बंद हैं। हमलोग बाहर जाकर खाने के लिए कुछ ख़रीद भी नहीं सकते हैं। सच कहूं तो मेरे पास एक आलू, नूडल्स के तीन पैकेट और थोड़े चावल बचे हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने WHO को 2005 में वैश्विक स्तर पर इस तरह की हेल्थ इमर्जेंसी घोषित करने का अधिकार दिया था। उसके बाद से यह छठवीं बार है जब वैश्विक स्तर पर हेल्थ इमर्जेंसी घोषित की गई है। WHO ने चीन आने-जाने पर रोक नहीं लगाई है। WHO ने कहा कि चीन से लगी सीमा को अगर कोई देश बंद करता है तो वो इसका विरोध करेगा। हालांकि WHO ने रूस का नाम नहीं लिया। रूस ने चीन से लगी अपनी सीमा के कई हिस्सों को बंद कर दिया है और चीन के लोगों का वीज़ा भी रद्द कर दिया है।
WHO के इस क़दम से टूरिज़म इंडस्ट्री प्रभावित होने की बात कही जा रही है। लोग चीन जाने से परहेज करने लगेंगे। जापान ने भी वुहान से अपनी उड़ान बंद कर दी है। चीन ने कहा है कि वो कोरोना वायरस से निपटने में सक्षम है और लगातार काबू पाने की कोशिश कर रहा है।


रिपोर्ट-त्रिलोकी नाथ


हार के बाद भी फेडरर को मिला सम्मान

मेलबर्न। सर्बिया के स्टार नोवाक जोकोविच ने स्विट्जरलैंड के दिग्गज रोजर फेडरर की उम्मीदों पर पानी फेर दिया और गुरुवार को रेकॉर्ड आठवीं बार ऑस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल में जगह बनाई। हालांकि जोकोविच ने जीत के बाद भी फेडरर के लिए सम्मान की बात कही। 
इन दोनों के बीच 50वें मुकाबले में सर्बियाई खिलाड़ी ने शुरुआत में थोड़ी ढिलाई बरती, फिर स्विट्जरलैंड के दिग्गज को 7-6 (7/1), 6-4, 6-3 से हराया।
मौजूदा चैंपियन जोकोविच ने 26वीं बार ग्रैंडस्लैम फाइनल में पहुंचने के बाद कहा, सेमीफाइनल में कोर्ट पर उतरने के लिए रोजर का आभार, उनके लिए सम्मान क्योंकि वह वास्तव में चोटिल थे और यहां तक कि अच्छी तरह से मूवमेंट भी नहीं कर पा रहे थे।Ó जोकोविच ने कहा, ‘उन्होंने पहले सेट में अच्छी शुरुआत की और मैं थोड़ा नर्वस था। मेरे लिए पहला सेट जीतना महत्वपूर्ण था। मानसिक रूप से मैं उसके बाद सहज हो गया था।Ó 
मेलबर्न में यह चौथा अवसर है जबकि जोकोविच ने सेमीफाइनल में फेडरर को हराया। इससे पहले 2008, 2011 और 2016 में भी उन्होंने फेडरर को सेमीफाइनल से आगे नहीं बढऩे दिया था। यहां 2018 में खिताब जीतने वाले फेडरर ग्रोइन की चोट के बावजूद कोर्ट पर उतरे थे। वह टेनिस सैंडग्रेन के खिलाफ चर्टर फाइनल में चोटिल हो गए थे। 
फेडरर को मैच से पहले अपने दायें पांव के ऊपरी हिस्से में पट्टी बांधे हुए देखा गया था। उन्होंने अपने करियर में केवल चार बार विरोधी खिलाड़ी को वॉकओवर दिया है।


फांसी टलने से मां के सब्र का बांध टूटा

नई दिल्ली। निर्भया के गुनहगारों की फांसी एक बार फिर टल गई है। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने कुछ दोषियों के पास कानूनी विकल्प बचे होने के आधार पर शुक्रवार को डेथ वॉरंट पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी। लगातार दूसरी बार दोषियों की फांसी टलने से निर्भया की मां आशा देवी के सब्र का बांध भी टूट गया। फैसले के बाद वह कोर्ट के बाहर रोते हुए बोलीं कि 7 साल पहले उनकी बेटी के साथ अपराध हुआ और सरकार बार-बार उन्हें मुजरिमों के सामने झुका रही है। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई जारी रहेगी।


‘वकील का चैलेंज, अनंतकाल तक फांसी टलेगी’
निर्भया की मां ने कहा कि मुजरिमों के वकील ने उन्हें पहले ही चुनौती दी थी कि फांसी अनंतकाल तक टलेगी। उन्होंने कहा, ‘मुजरिमों के वकील ए. पी. सिंह ने मुझे चैलेंज किया था कि फांसी अनंतकाल तक नहीं होगी। 7 साल पहले मेरी बच्ची के साथ क्राइम हुआ था और सरकार बार-बार मुजरिमों के सामने मुझे झुका रही है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सरकार से, कोर्ट से, न्याय व्यवस्था से यही कहना चाहती हूं कि आज इस कानून व्यवस्था की कमी की वजह से एक मुजरिम का वकील मुझे चैलेंज करके गया है कि अनंतकाल तक फांसी नहीं होगी। …जो मुजरिम चाहते थे, वह हो गया, फांसी टल गई।’


गुस्से में बोली मां- क्या आक्रोश शांत करने के लिए दी गई थी फांसी की सजा
आशा देवी ने कहा कि वह लड़ेंगी और दोषियों को फांसी देना ही होगा। उन्होंने कहा, ‘मैं लड़ूंगी… सरकार को उनको फांसी देनी होगी नहीं तो पूरे समाज को सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोवर कोर्ट तक को सरेंडर करना होगा कि फांसी की सजा को सिर्फ गुमराह करने के लिए दिया गया था, शांत करने के लिए दिया था।’ फांसी टलने से विचलित निर्भया की मां ने यह भी कहा कि उन्हें कानून पर भरोसा तो है लेकिन जैसा हो रहा है उससे अपराधियों को हौसले बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही होना है तो नियम-कानून की किताबों को आग लगा देनी चाहिए।


अनन्या नेपोटिज्म पर रही असफल

मुंबई। अभिनेत्री पूजा बेदी की बेटी अलाया एफ का मानना है कि अनन्या पांडेय नेपोटिज्म पर सही जवाब नहीं दे सकीं। अलाया जवानी जानेमन से बॉलीवुड में कदम रखने जा रही हैं। फिल्म में सैफ अली खान और तब्बू जैसे कलाकार शामिल हैं।


एक चैट शो के दौरान जब उनसे पूछा गया कि वह ऐसी क्या चीज है जो अनन्या सही से नहीं कर सकीं। इस पर नवोदित अभिनेत्री ने कहा, अनन्या पांडेय नेपोटिज्म पर उचित जवाब नहीं दे पाई, जो मैं दे सकती हूं। अपने समकालीन कलाकारों को लेकर अलाया ने कहा, मैं अपने समकालीन कलाकारों का करियर ग्राफ देखती रहती हूं। वहीं कार्तिक आर्यन के बारे में अलाया ने कहा, लव आजकल के ट्रेलर में कार्तिक और सारा के बीच हॉट सीन देख मुझे आर्यन के साथ ऐसे सीन करने में कोई परेशानी नहीं है।
वहीं, उनसे पूछे जाने पर कि अगर वह कार्तिक को अपने बिस्तर पर पाती हैं तो उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी? इस पर अलाया ने कहा, मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा, अगर मैं नींद से जागती हूं और कार्तिक आर्यन को अपने बिस्तर पर देखती हूं। वहीं अलाया ने यह भी कहा कि वह रिलेशनशिप को लेकर पूछे जाने वाले सभी सवालों का सामना करने के लिए पहले से तैयार हैं। अलाया चैनल जूम पर आने वाले चैट शो बाइ इन्वाइट ओनली पर आई थीं।


देसी कट्टों से मोहब्बत करने वाले राज्य मंत्री

नई दिल्ली। देशवासियों के लिए ख़ुशी की बात है कि देशी कट्टों से बेइंतहा मोहब्बत करने वाले अनुराग ठाकुर जी, संयोग से देश के वित्त राज्यमंत्री भी हैं, इस बीच कल बजट भी आने वाला है, ऐसे में माना जा रहा है कि देशी कट्टा इंडस्ट्री के लिए राहत पैकेज का एलान हो सकता है।


अनुराग ठाकुर ने इस बात के संकेत दिल्ली चुनाव में प्रचार करते हुए ही दे दिए थे, जब उन्होंने कहा था था कि  ‘देश के गद्दारों को.. गोली मारो सालों को!’ ये उनका प्यार ही है जो चुनावी सभा से छलककर सामने आया था! अनजाने में ही सही उन्होंने बजट के प्रावधानों को लीक कर दिया है, अनुराग ने कहा कि, “देखिए! देशी कट्टों की बात ही अलग होती है, सरदार खान के पास पैसों की कमी नहीं थी फिर भी वो देशी कट्टा ही यूज करता था! मैं भी हमेशा से देशी कट्टे का समर्थक रहा हूँ, लेकिन ये इंडस्ट्री आजकल संकटों से गुजर रही है, कच्चा माल मिलता नहीं ऊपर से योगी सरकार इन पर छापा मारती रहती है!


इनका दर्द ‘CCI’ वालों के दर्द से कुछ कम नहीं है, ये तो अपनी बात सरकार को बता भी नहीं सकते! लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, मैंने इन दबे-कुचले लोगों को मुख्यधारा में वापस लाने का बीड़ा उठाया है!


प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करने पर ऑफर

नई दिल्ली। जामिया के प्रदर्शनकारी छात्रों पर फ़ायरिंग करने वाले युवक को बीजेपी ने तुरंत टिकट ऑफ़र कर दिया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने चुनाव आयोग से माँग की है कि लेट फ़ीस के साथ हमारे इस बंदे का नॉमिनेशन स्वीकार किया जाये। ग़ौरतलब है कि दिल्ली में नॉमिनेशन की लास्ट डेट काफ़ी पहले निकल चुकी है।


चुनाव आयोग से मिलकर लौट रहे बीजेपी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य अनुराग ठाकुर ने कहा कि “अगर हमें योग्य और प्रतिभाशाली कैंडीडेट देरी से मिले तो एक्सेप्शन के तौर पर उसे डेट निकल जाने के बाद भी नॉमिनेशन करने की परमिशन मिलनी चाहिए।“चूंकि हमारा ये बंदा थोड़ा लेट आया है, इसलिए हमने इलेक्शन कमीशन से माँग की है कि इसका बैक डेट में नॉमिनेशन स्वीकार किया जाये।” – अनुराग ने चुनाव आयोग को सौंपे लैटर की कॉपी दिखाते हुए कहा।


उधर, चुनाव आयोग असमंजस में फँस गया है। आयोग को डर सता रहा है कि अगर इस बंदे को परमिशन दे दी तो कल को और लोग भी ऐसी ही माँग कर सकते हैं क्योंकि देश में ऐसे देशभक्तों की कमी नहीं है जो बम या पिस्तौल चलाकर इलेक्शन का टिकट हासिल करना चाहते हैं।


सिपाही ने तिहरे हत्याकांड को दिया अंजाम

रांची। राजधानी रांची से जुर्म की बड़ी खबर आ रही है। रांची में ट्रिपल मर्डर की वारदात को अंजाम दिया है ।खबर के मुताबिक रांची के बरगाई में स्पेशल ब्रांच के सिपाही ने ट्रिपल मर्डर की वारदात को अंजाम दिया है। खबर के मुताबिक स्पेशल ब्रांच के सिपाही ब्रजेश ने पत्नी, बेटा और बेटी की हत्या की दी है। बताया जाता है कि ट्रिपल मर्डर की वारदात को अंजाम देने के बाद सिपाही ब्रजेश ने भी जहर खाकर खुदकुशी की कोशिश की है। सिपाही का फिलहाल इलाज चल रहा है। ट्रिपल मर्डर के पीछे का मोटिव क्या है इसको लेकर पुलिस छानबीन कर रही है।


रांची से कुंदन की रिपोर्ट


आरजेडी का मामला सुलझना आसान नहीं

पटना। RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की पहल के बाद भी पार्टी के दो बड़े नेताओं के बीच का विवाद नहीं सुलझ पाया। रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदानंद सिंह के बीच शुक्रवार को करीब 1 घंटे तक पार्टी कार्यालय में बंद कमरे में बातचीत तो हुई लेकिन बैठक के बाद दोनों के तेवर ने बता दिया कि मामला सुलझना आसान नहीं है। इन सब के बीच रघुवंश प्रसाद सिंह आज लालू यादव से मुलाकात करेंगे।


रांची के रिम्स में भर्ती लालू प्रसाद यादव से आज रघुवंश प्रसाद सिंह की मुलाकात होगी। लालू यादव से मिलने के लिए रघुवंश प्रसाद 11.30 बजे रिम्स जाएंगे। ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि दोनों के बीच जगदानंद से चल रहे विवाद और रघुवंश प्रसाद की लिखी चिट्ठी पर चर्चा होगी।


दरअसल जगदानंद के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद रघुवंश प्रसाद कई बार खुलेआम उनका विरोध कर चुके हैं। जगदानंद पार्टी को अनुशासन के साथ चलाने पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं के बेवजह पार्टी ऑफिस में बैठने पर रोक लगा दी। जिसके बाद रघुवंश ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि कार्यकर्ता पार्टी ऑफिस में नहीं बैठेंगे तो कहां जाएंगे, पार्टी अनुशासन के चाबुक से नहीं चलती। इस मामले को लेकर रघुवंश प्रसाद ने लालू यादव को पत्र लिखकर अपना गुस्सा भी जाहिर किया था।


खुशबू गुप्ता


विशेष विमान से 324 लोगों को लाए वापस

नई दिल्ली। भारतीय विशेष विमान चीन के वुहान एयरपोर्ट से 324 भारतीयों को लेकर शनिवार सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंच गया है। कोरोना वायरस के खतरे को ध्यान में रखते हुए भारत से यह विमान 324 भारतीयों को वापस लाया गया है। वुहान, हुबेई की प्रांतीय राजधानी है। यहां कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा संक्रमण देखा गया है। चीन में अब तक कोरोना वायरस ने 259 लोगों की जान ले ली है और 10,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।


इस बीच चीन के वुहान से देश लौटने वाले भारतीयों की जांच के लिए सेना ने बड़ी तैयारी की है। भारतीयों को लाने चीन के लिए उड़ा एयर इंडिया का प्लेन वुहान में शुक्रवार शाम करीब 7 बजे लैंड किया।


आपको बताते जाए कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना को ग्लोबल इमर्जेंसी घोषित किया है। यहां वायरस संक्रमण के 11,791 मामले सामने आ चुके हैं। दूसरी ओर अस्पतालों में भर्ती 243 लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दी जा चुकी है।
आईटीबीपी ने भी दिल्ली में ऐसी व्यवस्था की है, जहां 600 लोगों के इलाज, देखभाल के लिए अलग से बिस्तर की व्यवस्था कर दी है। सेना ने हरियाणा के मानेसर में एक केंद्र बनाया है, जहां चीन से आए लोगों पर निगरानी रखी जाएगी। पहले यात्रियों की हवाईअड्डे पर जांच की जाएगी और उसके बाद उन्हें मानेसर स्थित केंद्र में ले जाया जाएगा। अगर किसी के कोरोना वायरस से ग्रसित होने की आशंका होगी तो उसे दिल्ली कैंट स्थित अस्पताल में बने एक अलग वॉर्ड में शिफ्ट किया जाएगा।


शिकायतः डाटा ऑपरेटर के खिलाफ कार्रवाई

बुलन्दशहर। किसानों ने करीब एक सप्ताह पूर्व प्रभारी मंत्री अशोक कटारिया और सांसद डॉ. भोला सिंह की अध्यक्षता में आयोजित जिला निगरानी समिति की बैठक में अनूपशहर में तैनात डाटा आपरेटर की शिकायत की थी जिसके चलते जिला कृषि उपनिदेशक ने डाटा आपरेटर की सेवा समाप्त करते हुए संबंधित कंपनी को पत्र भेजा है। बता दें कि जिला निगरानी समिति की बैठक में अनूपशहर विधायक संजय शर्मा ने अनूपशहर में तैनात कृषि विभाग के संविदाकर्मी प्रशांत चौधरी पर किसानों से अभद्रता करने और सम्मान निधि के लिए डाटा दुरुस्त कराने के एवज में रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। इसे देखते हुए प्रभारी मंत्री अशोक कटारिया और डीएम रविंद्र कुमार ने मामले की जांच कर तुरंत हटाने के आदेश जारी किया था। कृषि उपनिदेशक आरपी चौधरी ने सक्षम अधिकारी से मामले की जांच कर डाटा आपरेटर प्रशांत चौधरी की सेवा समाप्त कर दी। इसके साथ ही संबंधित कंपनी के चार्टर्ड एकाउंटेंट को पत्र भी लिखा है। इसके बाद किसानों की समस्याओं को देखते हुए दूसरे आपरेटर की भी मांग की गई है।


गर्भवती के लिए खतरनाक खराश

सर्दी के मौसम में गले में खराश, जलन और दर्द होना आम समस्या है। लेकिन इस दौरान खाने-पीने में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर अगर यह समस्या किसी गर्भवती महिला को हो जाती है तो उसके लिए तकलीफ कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। यहां जानिए, सामान्य दिनों के साथ गर्भावस्था में गले के दर्द से मुक्ति दिलाने वाले आसान घरेलू उपाय… 
क्यों होती है सोर थ्रोट की दिक्कत?


गले में दर्द या सूजन अधिकतर वाइरल के दौरान या बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होती है। इस दौरान गले में दर्द और जलन की समस्या होती है। गर्भावस्था में महिलाओं को जी मितली की समस्या भी होती है, इस कारण भी उन्हें कई बार गले से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 
गुनगुना पानी पिएं 
खाने के बाद या जब भी प्यास लगे उस समय आपको गुनगुना पानी पीना चाहिए। सर्दी के मौसम में यह पानी आपके गले की तकलीप को दूर करने में तो मददगार होगा ही साथ ही आपके पाचन को भी ठीक रखेगा। यानी एक इलाज से दो बीमारियां दूर करने का तरीका।
अदरक की चाय 
अगर आपको चाय पीना पसंद है तो आप अदरक की चाय बनाकर पी सकती हैं। गर्म चाय को धीरे-धीरे घूंट-घूंट कर पीने से आपके गले की सिकाई होगी और इंफेक्शन दूर होगा। यह चाए आप दिन में तीन बार से ज्यादा ना लें। दिक्कत बहुत अधिक हो तो गले पर विक्स लगाएं औ गर्म पानी का सेवन करें।
लेमन और हनी टी 
दूध की चाय पीना पसंद ना हो तो आप लेमन और हनी टी का सेवन कर सकती हैं। लेमन ऐंटीबैक्टीरियल होता है तो और शहद जलन को शांत करने का काम करता है। यानी लेमन ऐंड हनी टी आपके गले की परेशानी को ठीक करेगी, स्वाद भी देगी और जलन भी शांत होगी।
हल्दीवाला दूध 
जी हां, हल्दी ऐंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज से भरपूर होती है। गर्म दूध में हल्दी और शहद मिलाकर आप इस दूध का सेवन कर सकती हैं। इसे पीने से आपका गला तो जल्द ठीक होगा ही साथ ही आपका मूड अच्छा रहेगा और नींद अच्छी आएगी।


गुणसूत्रों की संख्या भिन्न

खच्चर एक गधे और घोड़ी के मिलन से उत्पन्न एक संकर संतान है। यह बेसर के समान है जिसका जन्म एक घोड़े और गधी के मिलन के परिणामस्वरूप होता है। घोड़ा और गधा विभिन्न प्रजाति हैं और इनमें गुणसूत्रों की संख्या भी भिन्न होती है। जहाँ गधे में 62 गुणसूत्र होते हैं वहीं घोड़ों में इनकी संख्या 64 होती है। खच्चर को आमतौर पर बोझा ढोने के काम में लाया जाता है। औद्योगीकरण से पहले खच्चर सामान को लाने ले जाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाया करते थे। सभी नर खच्चर बंध्य होते हैं, जबकि मादा खच्चर कुछ दुर्लभ मौकों पर गर्भधारण कर सकती हैं। खच्चर का आकार इसको जन्म देने वाली घोड़ी के आकार पर निर्भर करता है। खच्चर एक मेहनती जीव है। वह काफी बोझा ढो सकता है। खास तौर से पहाड़ी इलाकों में खच्चर सवारी के काम भी आता है। मुझे यह जानकर बहुत आश्चर्य और दुख हुआ कि जीव विज्ञान में इस उपयोगी चौपाए को एक प्रजाति की हैसियत भी नहीं दी गई है। दरअसल, पहले जब मैंने प्रजातियों के बारे में पढ़ा था तो मुझे ऐसा लगा था कि खच्चर एक स्वतंत्र प्रजाति है मगर धीरे-धीरे यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य साफ हुआ कि खच्चर कोई प्रजाति नहीं है। इसका सम्बन्ध जीव विज्ञान में प्रजातियों व अन्य जैविक समूहों की परिभाषा से है। तो मैंने इन परिभाषाओं का अध्ययन शुरु किया। और मैंने पाया कि मामला न सिर्फ पेचीदा है, बल्कि दिलचस्प भी है। क्या है प्रजाति के मायने? प्रजातियों की परिभाषा के पचड़े में पड़ने से पहले एक बुनियादी बात कह देना ठीक रहेगा। जैसा कि हमेशा होता है, हर बात अरस्तू तक पहुँचे बिना मज़ा नहीं आता। दरअसल, 18वीं सदी से पहले और उसके बाद प्रजातियों की समझ में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन होता है। अरस्तू से लेकर कार्ल लीनियस तक प्रजाति एक अपरिवर्तनीय श्रेणी थी। यह सजीवों के एक ऐसे समूह को परिभाषित करती थी जो चिर-स्थायी माना जाता था। अरस्तू मानते थे कि हर प्रजाति का एक मूल तत्व होता है। सन्तानोत्पत्ति वह क्रिया है जिसके ज़रिए यह मूल तत्व अगली पीढ़ी को सौंपा जाता है। इस तरह से देखें तो खच्चर उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। उसमें न तो घोड़े का मूल तत्व है, न गधे का, तो फिर खच्चर का मूल तत्व क्या है? कार्ल लीनियस, जिन्होंने सारे सजीवों को समानता के आधार पर समूहों में बाँटने का प्रयास किया था और हमें आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली दी थी, भी मानते थे कि प्रजाति एक स्थायी समूह है। दरअसल, वे तो यह भी मानते थे कि हर प्रजाति का एक आदर्श उदाहरण होता है, बाकी सारी विविधता त्रुटि है, विचलन है। जब जैव विकासवाद ज़ोर पकड़ने लगा तो सबसे पहली चोट प्रजाति की जड़ता पर हुई। लैमार्क ने विकास की प्रक्रिया के बारे में जो विचार दिए थे वे आज मान्य नहीं हैं मगर लैमार्क का बुनियादी योगदान यह माना जाना चाहिए कि उन्होंने प्रजातियों को सतत परिवर्तनशील समूह माना था। इसके बाद डार्विन ने तो चिर-स्थायित्व की चूलें ही हिला दीं। डार्विन ने प्रजातियों के बारे में दो बुनियादी विचार सामने रखे। डार्विन का पहला महत्वपूर्ण विचार यह था कि एक ही प्रजाति में विविधता उसका स्वाभाविक गुण है। अर्थात् प्रजाति के सदस्यों में विविधता का पाया जाना कोई त्रुटि अथवा विचलन नहीं बल्कि प्रकृति का नियम है। यह लीनियस की समझ से एकदम विपरीत है। डार्विन ने दूसरी बात यह रखी कि प्रजातियाँ सतत परिवर्तनशील हैं और उपरोक्त विविधता ही परिवर्तन का कच्चा माल है। यानी विविधता में ही विकास के बीज हैं। डार्विन के साथ हम जीव विज्ञान में कई कदम आगे बढ़े। आमतौर पर प्रजाति को इस तरह परिभाषित करते हैं: प्रजाति ऐसे सजीवों का समूह है जो प्राकृतिक रूप से परस्पर प्रजनन कार्य करते हैं और प्रजनन-क्षम सन्तानें उत्पन्न करते हैं। इसके साथ यह शर्त भी जुड़ी है कि वे किसी अन्य समूह के साथ संतानोत्पत्ति न करते हों। यह परिभाषा हमें अन्र्स्ट मेयर से मिली है। इसी का अपेक्षाकृत आधुनिक संस्करण यह है कि प्रजाति ऐसे सजीवों का समूह है जिनमें जिनेटिक सामग्री का प्रवाह सहजता से होता है। कौन किस प्रजाति का सदस्य
आमतौर पर यह बताना आसान होता है कि कौन-से जीव एक ही प्रजाति के सदस्य हैं। जैसे मनुष्य एक प्रजाति है – होमो सेपिएन्स। इसी प्रकार से अमरूद, सेब, बाघ, बकरी वगैरह भी एक-एक प्रजातियाँ हैं। मगर सिर्फ देखकर इस बात का पता लगाने में धोखा हो सकता है। कई बार दो जीव एकदम एक जैसे दिखते हैं, एक ही स्थान पर रहते हैं मगर प्रजनन क्रिया की दृष्टि से अलग-अलग होते हैं। इसके विपरीत कई बार जीव बहुत अलग-अलग दिखते हैं मगर आपस में सन्तानोत्पत्ति करते हैं। मगर ये तो व्यावहारिक समस्याएँ हैं। वैसे तो प्रजाति की इस परिभाषा को लागू करने में व्यावहारिक समस्याएँ भी काफी कठिन हैं। जैसे यह तो कदापि सम्भव नहीं होगा कि दुनिया के सारे जीवों के बारे में प्रमाण जुटाया जा सके कि वे किस-किसके साथ सन्तानोत्पत्ति कर सकेंगे। यह सही है कि आप प्राणियों की सन्दिग्ध जोड़ियों को ज़बर्दस्ती एक साथ रखकर देख सकते हैं कि वे परस्पर प्रजनन क्रिया करते हैं या नहीं। मगर इसके आधार पर कोई निष्कर्ष निकालना सम्भव नहीं होगा। कारण यह है कि प्रयोग के दौरान उनके व्यवहार से यह नहीं कहा जा सकता कि प्राकृतिक रूप से मुलाकात होने पर वे क्या करेंगे। इस तरह के कुछ प्रयोग किए भी गए हैं।वैसे प्रजातियों के बारे में निर्णय करने का एक आधार यह भी है कि क्या उनमें निषेचन प्रणाली अलग-अलग है। निषेचन प्रणाली अलग होने से आशय है कि हो सकता है कि दो समूह वर्ष में अलग-अलग समय पर प्रजनन करते हों, या अलग जगह प्रजनन करते हों, या फिर उनके प्रजननांग में तालमेल न हो आदि, आदि। यह परिभाषा खासतौर से उन प्राणियों पर लागू की जा सकती है जो एक ही भौगोलिक क्षेत्र में रहते हों या अलग-अलग क्षेत्र में रहते हों मगर शक्ल सूरत में एक जैसे हों। प्रजनन आधार बनाम शरीर रचना
बहरहाल, व्यावहारिक दिक्कतों को छोड़ दें, तो इस परिभाषा में कुछ ज़्यादा बुनियादी दिक्कतें भी हैं।
जैसे यह परिभाषा शुद्धत दो जीवों में लैंगिक सन्तानोत्पत्ति पर टिकी है। यानी पूरी बात यह है कि जीवों का समूह-विशेष प्रजनन की दृष्टि से अन्य समूहों से अलग-थलग है। कुछ बैक्टीरिया ऐसे होते हैं जो लैंगिक प्रजनन नहीं करते। इन पर यह परिभाषा लागू करना बहुत मुश्किल है क्योंकि ऐसा हरेक बैक्टीरिया हर अन्य बैक्टीरिया से प्रजनन की दृष्टि से अलग-थलग है। तो क्या ऐसे हरेक बैक्टीरिया को एक-एक प्रजाति माना जाएगा? वैसे बैक्टीरिया इस सन्दर्भ में एक और समस्या पेश करते हैं। यह देखा गया है कि बैक्टीरिया में (लैंगिक प्रजनन की प्रक्रिया बगैर) जैनेटिक सामग्री का लेन-देन काफी आसानी से होता है। तो सवाल यह है कि क्या हर एक-एक बैक्टीरिया एक-एक प्रजाति है या सारे बैक्टीरिया (जिनमें जैनेटिक सामग्री का लेन-देन होता है) एक ही प्रजाति के सदस्य हैं?ऐसे प्राणियों के मामले में प्रजनन कार्य की बजाय उनकी शरीर रचना और उनकी शरीर क्रिया को ध्यान में रखना होता है। यानी आपको उनके जैव रासायनिक लक्षणों को देखना होगा। आमतौर पर इनके बारे में यह देखा जाता है कि उनका मेेज़बान यानी होस्ट कौन है या वे किन पोषक पदार्थों का उपभोग करते हैं और उनके द्वारा बनाए गए पदार्थ यानी मेटाबोलिक प्रॉडक्ट्स कौन-से हैं। प्रजनन-आधारित परिभाषा की एक समस्या का सम्बन्ध जीवाश्मों से है। बात ऐसे प्राणियों के जीवाश्म की है जो अब धरती पर नहीं पाए जाते। जैसे डायनासौर। जब ऐसे जीवाश्म प्राप्त होते हैं तो यह पता लगाना असम्भव है कि प्राणियों के रूप में वे किन अन्य जीवाश्म प्राणियों के साथ इश्क लड़ाते होंगे। और यदि वे आज के प्राणियों से मिलें तो क्या करेंगे। तो जीवाश्मों की प्रजाति का निर्धारण करना इस परिभाषा के अनुसार कठिन है। इनके मामले में प्रजाति की विकास-आधारित अवधारणा को लागू करना होता है। मगर उसमें भी कई समस्याएँ हैं। वैसे जीवाश्मों की प्रजाति के बारे में अलग से एक लेख में विचार करना ही उचित होगा। और हमारा खच्चर और तीसरी समस्या हमारे बेचारे खच्चर की है। जैसा कि आप जानते ही होंगे, खच्चर नर गधे और मादा घोड़े से उत्पन्न संकर प्राणी है। यदि नर घोड़ा हो और मादा गधा हो तो खच्चर जैसा एक अन्य प्राणी (हिनी) पैदा होता है। सामान्यत:, कुदरती तौर पर, घोड़े और गधे मिलकर सन्तानोत्पत्ति नहीं करते, इसलिए वे अलग-अलग प्रजाति के सदस्य हैं। मगर इन्सान की प्रेरणा से गधे और घोड़े बच्चे पैदा करते हैं। यह प्राणी गधे और घोड़े दोनों की अपेक्षा अधिक ताकतवर होता है और ज़्यादा बोझ ढो सकता है। खच्चर में जो अतिरिक्त ताकत व सहनशीलता पाई जाती है वह संकर स्फूर्ति (हाइब्रिड विगर) का परिणाम है। जन्तुओं में ऐसे मामले कम पाए जाते हैं मगर वनस्पतियों में इस तरह के संकर काफी मिलते हैं। मगर इसकी एक विशेषता यह है कि यह सन्तान पैदा नहीं कर सकता। समस्या गुणसूत्रों के कारण पैदा होती है। घोड़े के युग्मज (प्रजनन हेतु अर्धसूत्री विभाजन द्वारा निर्मित कोशिकाएँ) में 32 गुणसूत्र हैं जबकि गधे के युग्मज में 31 होते हैं। इनके मेल से जो कोशिका बनती है उसमें 63 गुणसूत्र होते हैं। यह खच्चर की कोशिका है। इसकी कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या विषम होती है – इसलिए अर्धसूत्री विभाजन (गुणसूत्रों का आधा-आधा बँटना) सम्भव नहीं होता। लिहाज़ा खच्चर प्रजनन-क्षम नहीं होता। वैसे देखा गया है कि कभी-कभार, मानव हस्तक्षेप से, खच्चर गधे के साथ समागम करके बच्चे जनता है। मगर साधारण तौर पर खच्चर बच्चे पैदा नहीं कर सकता। अब प्रजाति की परिभाषा लागू कीजिए। आप पाएँगे कि खच्चर एक प्राणी तो है मगर एक प्रजाति नहीं है। घोड़ा एक्वस केबेलस है और गधा एक्वस एसिनस। इसलिए खच्चर का जीव वैज्ञानिक नाम एक्वस केबेलसअएसिनस है। अलबत्ता, यहाँ मैंने सिर्फ यह बताने की कोशिश की है कि प्रजाति जैसी बुनियादी अवधारणा किस तरह की दिक्कतें प्रस्तुत करती है। जीव वैज्ञानिकों के लिए यह फैसला करना सदा आसान नहीं होता कि दो जीव समूहों को एक प्रजाति माना जाए या उन्हें अलग-अलग प्राजितयों में वर्गीकृत कर दिया जाए। खासतौर से प्रजातियों के विकास (स्पीशिएशन) की प्रक्रिया को समझने में यह समस्यामूलक हो जाता है।
प्रजाति के कुछ और पहलुओं की बातें फिर कभी करेंगे। जैसे अलैंगिक जीवों में प्रजाति की समस्या, जीवाश्मों की प्रजाति की समस्या वगैरह।


योगी की शिक्षकों-शिक्षामित्रोंं को सौगात

शिक्षकों और शिक्षामित्रों को योगी सरकार की बड़ी सौगात, लंबे समय से की जा रही मांग पूरी,


लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों और कर्मचारियों का सामूहिक स्वास्थ्य बीमा कराया जाएगा। शासन ने शुक्रवार को इसकी मंजूरी दे दी।अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने बताया कि विभाग में कार्यरत शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों और कर्मचारियों का सामूहिक स्वास्थ्य बीमा स्वैच्छिक होगा और सरकारी उपक्रम से ही कराया जाएगा। स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने बताया कि सामूहिक स्वास्थ्य बीमा की राशि, प्रीमियम और बीमा कंपनी चयन के लिए उनकी अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी। बीमा कंपनियों से टेंडर आमंत्रित कर बीमा कराया जाएगा। परिषदीय शिक्षक लंबे समय से सामूहिक स्वास्थ्य बीमा की मांग कर रहे थे।


यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला

यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला  संदीप मिश्र  लखनऊ। यूपी में गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदल गया है। कक्षा एक से लेकर आठ तक के स्कू...