बुधवार, 22 जनवरी 2020

गुस्सा-चिड़चिड़ापन रोग के लक्षण

अगर आप भी अपने आप को थकान भरा और चिड़चिड़ा महसूस करती है और वो भी बिना कोई ऐसा काम किये तो हो सकता है कि आप कुछ ऐसी समस्या से गुजर रही है जिसकी ओर आपका ध्यान देना जरुरी है क्युकी ये एक तरह का सिंड्रोम है जिसे बर्न आउट कहा जाता है। जी हां जब आप लम्बे समय तक स्ट्रेस या तनाव की स्थिति में रहते है या ऐसी स्थिति से बाहर नहीं आ पाते है तो आप बर्न आउट के शिकार है।
आमतौर पर ये सुनने में डिप्रेशन की तरह ही लगता है लेकिन ये डिप्रेशन से अलग होता है क्योंकि डिप्रेशन की स्थिति में ग्रसित व्यक्ति हर समय आत्मविश्वास की कमी और बिना वजह ही हीन भावना से भरा महसूस करता है जबकि बर्न आउट में हर समय थकान और चिड़चिड़ापन देखने को मिलता है।
इन लोगों को ज्यादा परेशान करती है ये बीमारी
एक शोध में ये बात सामने आई है की बर्न आउट की स्थिति में ज्यादातर वे लोग पाए जाते है जो घर पर या ऑफिस में लम्बे समय से तनाव में कार्य करते रहते है बहुत अधिक थकान, शरीर में सूजन और सायकॉलजिकल तनाव का बढऩा एक दूसरे से लिंक है। जब यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो हार्ट टिश्यूज को डैमेज करने के का काम करती है। इसी कारण अरिद्मिया की स्थिति बनने लगती है और दिल की धड़कने कभी कम और कभी ज्यादा होती रहती हैं।
बढ़ता है अन्य बीमारियों का खतरा
इस स्थिति में हार्ट बीट्स रेग्युलर तरीके से काम नहीं पाती हैं और ब्लड क्लॉट्स, हार्ट फेल्यॉर और दिल संबंधी दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि इस खतरे की दर को अभी मापा नहीं जा सका है।
पहचानिए ये लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, बर्न आउट जैसी बीमारी प्रोफेशनल लोगों से जुड़ी हुई है। खासकर जो महिलाएं घर और ऑफिस दोनों का काम करती हैं उन्हें बर्न आउट होने के चांस ज्यादा रहते हैं। डब्लूएचओ के मुताबिक बर्न आउट के लक्षण निम्नलिखित है।


शरीर का काफी थका हुआ महसूस करना
कुछ घंटे काम करने के बाद शरीर में एनर्जी का स्तर गिरा हुआ महसूस करना।
काम करते वक्त दिमाग का आउट ऑफ फोकस होना.
दिमाग में हमेशा नेगेटिव विचारों का आना।


कई रोगों से रक्षा करता है अंगूर

फलों और सब्जियों से भरपूर डाइट आपको गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा दिला सकती है। इन रोगों में हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर और मोटापा शामिल हैं। अन्य फलों और सब्जियों की तरह, अंगूर फाइबर और पानी का एक अच्छा स्रोत है। अंगूर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और अन्य पोषक तत्व व्यक्ति को विशेष रूप से स्वस्थ बनाते हैं। अंगूर आजकल हर मौसम में मिलते हैं, इसमें कई विटामिन भी पाए जाते हैं।
खून में शुगर की मात्रा को घटाता है
मुलायम और रसीले होने के कारण ये बच्चे और बड़े, दोनों के मन को खूब भाते हैं। अंगूर में हेरोस्टिलवेन नामक पदार्थ पाया जाता है जो एंटीआक्सीडेंट होता है। ये खून में शुगर की मात्रा को घटाता है, इसलिए यह डायबिटीज और कैंसर रोगियों के लिए फायदेमंद है। हरे अंगूरों की तुलना में, काले अंगूरों में हेरोस्टिलवेन की मात्रा अधिक होती है, जिसे खाने से रक्त संचार बढ़ता है। स्वादिष्ट होने के साथ-साथ ये आपके शरीर को कई फायदे पहुंचाते हैं। आइए जानते हैं अंगूर के कुछ खास फायदे।
अक्सर आप जुकाम में, कई नुस्खे अपनाने के बाद भी निजात नहीं पाते हैं. अगर आप रोजाना 50 ग्राम अंगूर खाएंगे, तो जल्द ही जुकाम से छुटकारा पा सकते हैं।
अंगूर खाने से ब्लड प्रेशर भी सामान्य रहता है और इसमें पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है। ये हाई बीपी वाले लोगों में, सोडियम की मात्रा कम करने में मदद करता हैं।
कैंसर रोगी, शुरुआत में तीन दिन थोड़े से अंगूर के रस का सेवन करें और फिर धीरे-धीरे एक ग्लास पानी की आदत डालें. ये आपके लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है।
अंगूर खाने से पेट साफ रहता है और पाचन तंत्र भी अच्छा रहता है।
चेचक के रोगी को अंगूर खिलाने से आराम मिलता है।
हर्ट में दर्द हो तो अंगूर का रस पीने से काफी हद तक राहत मिलती है।
अंगूर को नमक और काली-मिर्च के साथ खाने से कब्ज की परेशानी भी दूर हो जाती है। किडनी के दर्द में अंगूर के ताजा पत्ते पानी में पीसकर, थोड़ा नमक मिलाकर छान लें, रोगी को पिलाने से दर्द ठीक हो जाता है। अंगूर का सेवन कई तरह के एलर्जी को कम करने में मदद कर सकता है।अंगूर को किसी भी रूप में खाने से फायदा होता है लेकिन अंगूर को खाने से पहले उसे अच्छी तरह धो लें क्योंकि अंगूर की खेती के समय इन पर कई सारे कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है जो आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।


कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की लिस्ट तैयार

नई दिल्ली। दिल्ली चुनाव में प्रचार के लिए कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू का भी नाम है। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से मतभेद के बाद किनारे लगाए सिद्धू को दिल्ली के चुनाव में पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी दी है। स्टार प्रचारकों की लिस्ट में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का भी नाम शामिल है।


सिद्धू के साथ शत्रुघ्न सिन्हा और सिंधिया भी
कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में सोनिया और राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह हैं। नवजोत सिंह सिद्धू के साथ बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए नेताओं को भी स्टार प्रचारक बनाया गया है। बीजेपी छोड़ कांग्रेस में आए शत्रुघ्न सिन्हा, उदित राज और कीर्ति आजाद का नाम भी स्टार प्रचारकों की लिस्ट मे हैं। पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ शर्मिष्ठा मुखर्जी और रागिनी नायक जैसे चेहरों को भी जगह दी गई है।



कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी स्टार प्रचारक
लोकप्रिय चेहरों के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी स्टार प्रचारक की लिस्ट में हैं। कपिल सिब्बल, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंदर सिंह हुड्डा, उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत भी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में हैं। मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ, पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी पार्टी के लिए वोट मांगते नजर आएंगे।


एससी का रोक न लगाने का आदेश जारी

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर दाखिल 144 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट नागरिकता कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन करेगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र का पक्ष सुने बिना सीएए पर कोई स्थगन आदेश जारी नहीं करेगा। नागरिता कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है और कहा है कि अब अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र का पक्ष सुने बिना सीएए पर कोई स्थगन आदेश जारी नहीं करेगा। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा है कि हम अभी कोई भी आदेश जारी नहीं कर सकते हैं, क्योंकि काफी याचिकाओं को सुनना बाकी है। अटॉर्नी जनरल ने अपील की है कि कोर्ट को आदेश जारी करना चाहिए कि अब कोई नई याचिका दायर नहीं होनी चाहिए।
केंद्र सरकार ने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली उन याचिकाओं पर जवाब देने के लिए उसे समय चाहिए जो उसे अभी नहीं मिल पाई हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय से सीएए के क्रियान्वयन पर रोक लगाने और एनपीआर की कवायद फिलहाल टाल देने का अनुरोध किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता तय करने के लिए वह अपीलों को वृहद संविधान पीठ के पास भेज सकता है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि हम सरकार से कुछ अस्थायी परमिट जारी करने के लिए कह सकते हैं। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने असम में अधिनियम के कार्यान्वयन के संबंध में एक पूर्व-भाग आदेश की मांग की। उन्होंने कहा कि असम की स्थिति अलग है, पिछली सुनवाई के बाद से 40 हजार लोग असम में प्रवेश कर चुके हैं।


सिक्किम के सचिव ने आभार व्यक्त किया

रायपुर। सिक्किम के मुख्य सचिव श्री एस.सी. गुप्ता ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दौरान उनके राज्य के कलाकार पदम गंधर्व को आकस्मिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार व्यक्त किया है। 
उल्लेखनीय है कि सिक्किम से आए कलाकारों के दल के सदस्य पदम गंधर्व की अचानक तबीयत बिगडऩे पर उसे तत्काल रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। तबीयत में सुधार नहीं होने पर मुख्यमंत्री की पहल पर एयर एम्बुलेंस के जरिए इलाज के लिए तत्काल दिल्ली भेजा गया। 
सिक्किम के मुख्य सचिव श्री गुप्ता ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव आर.पी. मंडल को भेजे अर्ध-शासकीय पत्र में छत्तीसगढ़ सरकार की इस मानवीयता और संवेदनशील पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि कलाकार पदम गंधर्व को एयर एम्बुलेंस के जरिए त्वरित चिकित्सा सहायता से न केवल उनकी जीवन की रक्षा हो पाई, बल्कि इस कार्य से छत्तीसगढ़ ने सिक्किम की जनता का भी दिल जीत लिया है। उन्होंने 27 से 29 दिसम्बर 2019 तक आयोजित होने वाले राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव जैसे बड़े आयोजन में सिक्किम राज्य के कलाकारों को मौका देने के लिए भी आभार व्यक्त किया और छत्तीसगढ़ में भविष्य में होने वाले ऐसे आयोजनों में सिक्किम के कलाकारों की भागीदारी के लिए भी आश्वस्त किया है।


अमित की परछाई से निकल पाएंगे नड्डा ?

तकरीबन सात माह से जेपी नड्डा भाजपा की राष्ट्रीय इकाई में कार्यकारी अध्यक्ष की हैसियत से काम कर रहे थे, अब वे भाजपा के पूर्ण कालिक अध्यक्ष बन चुके हैं। उनका कार्यकाल 2023 तक रहेगा। पिछले सात माहों के कार्यकाल पर अगर गौर फरमाया जाए तो जेपी नड्डा के खाते में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। वे अब तक निर्वतमान अध्यक्ष अमित शाह की परछाई के रूप में ही काम करते दिखे। नरेंद्र मोदी की दूसरी पारी में जब अमित शाह के द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री का पदभार संभाला गया, उसके बाद जे.पी. नड्डा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। उनके द्वारा लिए गए कमोबेश हर फैसले में कहीं न कहीं अमित शाह का हस्ताक्षेप और उनकी छाप भी दिखाई दी। अब उनके लिए यह जरूरी है कि वे अमित शाह और नरेंद्र मोदी की छतरी से बाहर निकलें और दमदारी के साथ कुछ निर्णय लेकर पार्टी को मजबूत करने की कवायद करें तो ही वे सफल और कद्दावर अध्यक्ष की फेहस्ति में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं, अन्यथा उन्हें भी रिमोट कंट्रोल से चलने वाले अध्यक्षों की सूची में शुमार कर दिया जाएगा।



 
भारतीय जनता पार्टी को इस मुकाम तक लाने में अटल बिहारी बाजपेयी, लाल कृष्ण आड़वाणी, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह आदि नेताओं के योगदान को शायद ही कभी भुलाया जा सके। इसके बाद अमित शाह ने जबसे भाजपा की ममान संभाली उसके बाद से पार्टी में मुखर फैसले लिए जाने लगे। अमित शाह के कार्यकाल में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र आदि राज्यों की सत्ता भाजपा के हाथ से फिसली तो उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में भाजपा का परचम लहराया गया। उत्तर प्रदेश मं जातिगत समीकरणों के हिसाब से भाजपा की जीत की उम्मीदें बहुत ही कम थीं। इसके अलावा आम चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन जिस तरह का रहा, वह भी अमित शाह के खाते की एक बहुत बड़ी उपलब्धि ही मानी जाती है। अमित शाह को एक कुशल प्रशासक के रूप में देखा जाता है। अमित शाह की छवि सख्त मिज़ाज नेता के रूप में स्थापित हुई है। वैसे भी किसी दल में अनुशासन बनाए रखने के लिए शीर्ष नेता का कुछ हद तक सख्त होना भी बहुत जरूरी होता है।
अब अमित शाह के बाद जब जे.पी. नड्डा को भाजपा की कमान सौंपी गई है तब के परिदृश्य में स्थितियां जे.पी. नड्डा के अनुकूल ही दिख रही हैं। वर्तमान में पार्टी बहुत ही सशक्त रूप में उभर चुकी है। केंद्र में पूरी बहुमत की सरकार है। यह अलहदा बात है कि 2017 के मुकाबले अनेक राज्य अब भाजपा के हाथों से फिसल चुके हैं। अमित शाह कड़क मिज़ाज तो जे.पी. नड्डा बहुत ही कोमल हृदय वाली छवि के इंसान माने जाते हैं। भाजपा के अंदर भी अन्य दलों की तरह ही अंदर ही अंदर एक दूसरे की जड़ें काटने वाले नेताओं की कमी नहीं है। राज्य स्तर पर गुटबाजी भी भाजपा में आम है। इस तरह की बातों से निपटने के लिए जे.पी. नड्डा को बेहतर रणनीति बनाना होगा।
अब अमित शाह और जे.पी. नड्डा के कार्यकाल की कदम कदम पर समीक्षा के साथ ही साथ तुलना भी की जाएगी। अभी तक तो जे.पी. नड्डा कार्यकारी अध्यक्ष थे, इसलिए उनके उस कार्यकाल में कार्यकर्ताओं को उनसे बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं थी, पर अब जब वे पूर्णकालिक अध्यक्ष बन चुके हैं तब सबकी निगाहें उन पर जा टिकी हैं। कार्यकारी अध्यक्ष रहते हुए जे.पी. नड्डा ने किसी तरह की छाप नहीं छोड़ी है। उनके कार्यकारी अध्यक्ष रहते हुए अनेक राज्यों में हुए विधान सभा चुनावों में भाजपा ने मुंह की खाई है। कार्यकारी अध्यक्ष रहने के बाद भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में कमोबेश हर फैसले पर अमित शाह और नरेंद्र मोदी की छाप दिखाई देती थी। इस दौरान जे.पी. नड्डा अपनी सशक्त मौजूदगी दर्ज नहीं करवा पाए।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर हुए नाटकीय घटनाक्रम में भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की फजीहत हुई। यह असफलता भी जे.पी. नड्डा के खाते में ही आई। महाराष्ट्र में भाजपा को अपने दशकों पुराने साथी शिवसेना से दूर रहना पड़ा। शिवसेना के साथ रिश्ते बिगड़ना भी एक बड़ा फेक्टर बनकर उभरा। इधर, झारखण्ड में भाजपा के सहयोगी आल झारखण्ड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) से रिश्ते संभाल नहीं पाई और दोनों ने अलग अलग चुनाव लड़े। यहां भी भाजपा को सत्ता से दूर होना पड़ा। हरियाणा की अगर बात की जाए तो हरियाणा में भाजपा को सीटें कम आने पर जननायक जनता पार्टी के साथ समझौता कर सरकार बनाने पर मजबूर होना पड़ा।
भाजपा के खाते में उपलब्धियां तो हैं। मामला चाहे धारा 370 एवं 35ए हटाने का हो या जम्मू काश्मीर को तोड़कर नए राज्यों के निर्माण का या राम मंदिर पर सरकार का कदम हो, हर मामले में सारा का सारा श्रेय अमित शाह के खाते में ही जाता दिखा। भाजपा के अध्यक्ष होने के नाते पार्टी के खाते में श्रेय आया तो वह भी अमित शाह के रास्ते ही आता दिखा।
जे.पी. नड्डा ने जब अध्यक्ष की कमान संभाली है तब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौति दिल्ली विधान सभा के चुनाव के रूप में ही सामने खड़ी दिख रही है। दिल्ली में पार्टी सालों से सत्ता से बाहर है। पिछली मर्तबा 70 सीटों वाली दिल्ली विधन सभा में भाजपा के हाथ महज तीन सीट ही लगीं थीं। अब दिल्ली में सातों लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। इस लिहाज से भाजपा से कार्यकर्ता यही उम्मीद करेंगे कि 1998 के बाद राजनैतिक वनवास काट रही भाजपा को इस बार सत्ता के शिखर तक पहुंचाया जाए। देश की राजनैतिक राजधानी के विधान सभा चुनावों में जे.पी. नड्डा की अग्नि परीक्षा ही होना माना जा सकता है।
इसके साथ ही साथ बिहार और पश्चिम बंगाल के चुनाव भी जे.पी. नड्डा के लिए चुनौति से कम नही होंगे। इतना ही नही सीएए, एनआरसी, एनपीआर भी केंद्र में भाजपानीत सरकार की प्राथमिकताएं हैं। इन मामलों में देश भर में हो रहा विरोध किसी से छिपा नहीं है। इस विरोध के शमन के लिए भाजपा की केंद्रीय सरकार तो प्रयास कर रही है किन्तु संगठन स्तर पर इसके लिए प्रयास करना भी जे.पी. नड्डा के लिए कम मुश्किल नहीं होगा।
देश भर के सूबाई संगठनों में नेताओं के बीच आपसी खींचातान भी जमकर मची हुई है। आपसी रार अब तक गाहे बेगाह ही सामने आती थी, क्योंकि अमित शाह का अनुशासन का डंडा नेताओं को बैकफुट पर रहने के लिए मजबूर कर देता था। अब अपेक्षाकृत लिबरल छवि वाले जे.पी. नड्डा के लिए सूबाई नेताओं को समन्वय बनाकर चलने की नसीहत देना भी चुनौति से कम नहीं होगा।
केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्रियों की पत्रकार वार्ताओं को कम ही देखा गया है। मीडिया के सामने सबसे ज्यादा आने वालों की फेहरिस्त में केंद्र के अनेक मंत्रियों का तो अब तक नंबर ही नहीं लग पाया है। सरकार की नीतियों के बखान में भी भाजपा का जमीनी संगठन कसरत करता नहीं दिखता। देश के नागरिकों को सीएए का मतलब समझाने निकले भाजपा के सांसदों को पसीना आ गया था।
कुल मिलाकर 2014 में अमित शाह जबसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, उसके बाद से लगातार ही उनके द्वारा जिस तरह से फैसले लिए गए, वे सदा ही चर्चाओं में बने रहे। उनके कार्यकाल में भाजपा ने ऊॅचाईंयां को स्पर्श किया है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। अभी जे.पी. नड्डा को उनकी परछाईं के अंदर ही देखा जाता रहा है। अब जे.पी. नड्डा को उनकी परछाईं से मुक्त होकर अपना स्वतंत्र अस्त्तित्व बनाने की जरूरत है, ताकि वे अमित शाह के बाद भाजपा को और अधिक बुलंदियों तक ले जा सकें।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


जनवरी 23, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-166 (साल-01)
2. बृहस्पतिवार, जनवरी 23, 2020
3. शक-1941, माघ - कृष्ण पक्ष, तिथि- त्रयोदशी-चतुर्दशी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 07:09,सूर्यास्त 05:30
5. न्‍यूनतम तापमान -4 डी.सै.,अधिकतम-15+ डी.सै., बरसात के साथ शीतलहर की संभावना।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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 (सर्वाधिकार सुरक्षित)


कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया

कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया पंकज कपूर  रुद्रपुर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलक...