शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

पुलिस स्टेशन में बनेगा 'महिला हेल्प डेस्क'

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने महिला सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया है। गृहमंत्रालय ने निर्भया फंड के लिए 100 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है। सरकार ने पूरे देश के पुलिस स्टेशन में महिला हेल्प डेस्क बनाने का फैसला किया है। मंत्रालय के मुताबिक, इस स्कीम को राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से लागू किया जाएगा। केंद्र सरकार का यह फैसला ऐसे समय आया है जब रेप के बढ़ते मामलों से पूरा देश गुस्से में हैं। बलात्कारियों को कड़ी सजा देने के लिए सड़क से लेकर संसद तक फांसी की सजा की मांग की जा रही है। महिला सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।


गृह मंत्रालय ने कहा, “महिला हेल्प डेस्क का उद्देश्य पुलिस स्टेशन को और अधिक वुमन-फ्रेंडली बनाना है। हेल्प डेस्क, पुलिस स्टेशन पहुंचने वाली महिलाओं की मदद के लिए हर संभव कदम उठाएगी। मंत्रालय के मुताबिक, महिला हेल्प डेस्क पर अधिकारियों को इस तरह से प्रशिक्षित किया जाएगा कि वे महिलाओं के प्रति ज्यादा से ज्यादा संवेदनशील रहें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस डेस्क में महिला पुलिस अधिकारियों की तैनाती की जाएगी। डेस्क महिलाओं को कानूनी मदद, काउंसलिंग इत्यादि देने के लिए वकीलों और एनजीओ की मदद लेगी। दिसंबर 2012 में दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद 2013 में निर्भया फंड बनाया गया था। तत्कालीन यूपीए सरकार ने महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अलग से निर्भया फंड के लिए बजट जारी किया था। तत्कालीन सरकार ने इस फंड के लिए 10 हजार करोड़ रुपये प्रस्तावित किए थे। हालांकि हाल में जारी आंकड़े के मुताबिक, कई राज्यों ने इस फंड का इस्तेमाल ही नहीं किया। केंद्र सरकार ने पिछले पांच साल में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 1656 करोड़ रुपये निर्भया फंड के जरिये जारी किए हैं! लेकिन कई राज्यों ने इसका इस्तेमाल ही नहीं किया है।


8 लाख से अधिक नकली करेंसी की बरामद

अविनाश श्रीवास्तव


गाजियाबाद। खोड़ा थाना पुलिस ने नकली करेंसी का प्रयोग करके लोगों को ठगने वाले गैंग के दो शातिर जालसाजों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गये जालसाजों के पास आठ लाख चौरानवें हजार तीन सौ रूपए की नकली करेंसी भी बरामद की है। इस कार्रवाई के बारे में एएसपी केशव कुमार ने बताया खोड़ा थाना पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ जालसाज नकली करेंसी खपाने खोड़ा आ रहे हैं। इस सूचना के मिलते ही पुलिस नवनीत विहार के पास चेकिंग करने लगी। एएसपी ने बताया कि चेकिंग के दौरान पुलिस ने दो जालसाजों को गिरफतार करके जब उनसे पूछताछ की तो उन्होंने अपने नाम जितेंद्र व सुशीम निवासी दिल्ली बताया। साथ ही यह भी बताया कि वो पिछले काफी समय से यह गोरखधंधा कर रहे थे। पकड़े गए अभियुक्त एनसीआर क्षेत्र में नकली मनोरंजन बैंक के नोटों की गड्डी के ऊपर असली नोट लगाकर लोगों से धोखाधडी किया करते थे। एएसपी ने बताया कि जालसाज के पास से नोटों की जो गड्ड़ी मिली है उस गड्डी में पांच-पांच सौ के 99 नोट व दो-दो सौ के 199 नोट ऐसे मिले जिन पर भारतीय मनोरंजन बैंक लिखा हुआ था। एएसपी ने बताया कि गड्डी के ऊपर व नीचे पांच-पांच सौ के असली नोट लगाये गये थे। पुलिस ने अभियुक्तों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज जेल भेज दिया है।


डीएम-एसएसपी ने संभाली व्यवस्था की कमान

अविनाश श्रीवास्तव


गाज़ियाबाद। 6 दिसंबर के अवसर पर अवसर पर जनपद में कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन एवं पुलिस द्वारा जनपद में चाक-चौबंद व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी। इस क्रम में आज जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह के नेतृत्व में कोतवाली से रमते राम रोड, गंज, नवयुग मार्केट होते हुए घंटाघर तथा वापसी कोतवाली तक फ्लैग मार्च निकाला गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारियों को जनपद में कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए। साथ ही शहर के अन्य स्थानों के साथ डासना में भी शांति एवं कानून व्यवस्था को लेकर सघन दौरा किया गया। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में तैनात पुलिस अधिकारीयों को जिलाधिकारी व एसएसपी द्वारा आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए गए । बता दें कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से ही 6 दिसंबर को हर साल विश्व हिन्दू परिषद और उसके सहयोगी संगठन अयोध्या समेत देश भर में शौर्य दिवस मनाते रहे हैं। वहीं मुस्लिम समाज इसे काला दिवस के रूप में मनाता रहा है। जिसे देखते हुए जनपद में शासन के निर्देशों के अनुपालन में कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के संबंध में जिला प्रशासन की ओर से निरंतर रुप से तैयारी सुनिश्चित की गई थी। जिसे देखते हुए आज जनपद में जोन एवं सेक्टर बनाकर अधिकारियों एवं पुलिस को विभिन्न स्थानों पर तैनात भी किया गया है। भ्रमण के दौरान अपर जिलाधिकारी नगर शैलेंद्र कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक नगर मनीष मिश्रा व अन्य प्रशासन के अधिकारी एवं पुलिस के अधिकारी मौजूद रहे।


सौंदर्य करण के लिए निगम ने झुग्गी हटाई

आकांक्षु उपाध्याय


गाज़ियाबाद। वार्ड-36 के अंतर्गत आने वाले वसुंधरा सेक्टर 18 में स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय के सौंदर्यीकरण कार्य का ब्रहस्पतिवार को किया गया। जिसमें विद्यालय के पार्क की चारदीवारी का निर्माण, रंगरोगन और पौधरोपण किया गया। वहीं इस विद्यालय के निकट में बसे सभी अवैध झुग्गियों को निगम द्वारा हटाया गया।


वार्ड-36 के पार्षद अरविन्द चौधरी ने निगम द्वारा किये गए कार्य की सराहना की। साथ ही महापौर आशा शर्मा, नगर आयुक्त दिनेश चंद्र सहित प्रहलादगढ़ी चौकी इंचार्ज नरपाल सिंह का धन्यवाद किया।


जीडीए ने किस्तों की समय सीमा बढ़ाई

अविनाश श्रीवास्तव


गाज़ियाबाद। गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) अब अपनी किस्तों की समय सीमा बढ़ाकर आठ से दस साल तक करने जा रहा है। जबकि अभी तक दो से पांच साल तक किस्त का भुगतान करना होता है। यह प्रस्ताव तैयार कर दिसंबर में होने वाली बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलने पर इसे लागू कर दिया जाएगा।


गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) अपनी योजनाओं में मकान किस्तों पर देता है। लेकिन मकान का श्रेणी के अनुसार इनकी किस्त दो से पांच साल के भीतर भुगतान करना पड़ता है। जीडीए के अधिकारी बताते हैं कि तीन लाख सालाना आय वाले ईडब्ल्यूएस और छह लाख सालाना आय वाले व्यक्ति एलआईजी ले सकते है। जबकि मिनी एमआईजी, एमआईजी, टू, थ्री बीएचएके खरीदने वालों के लिए कोई आय सीमा तय नहीं होती है।


जीडीए से किस्तों पर इन मकानों को खरीदने के लिए अभी तक समय सीमा दो से पांच साल है। इसी के भीतर प्राधिकरण की किस्त चुकानी पड़ती है। लेकिन अब इस समय सीमा को बढ़ाकर 10 साल तक करने की योजना है। इस प्रस्ताव को जीडीए की दिसंबर में होने वाली बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने बताया कि इस प्रस्ताव को तैयार करने के लिए कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी सभी पहलुओं पर विचार कर प्रस्ताव को तैयार करेगी। इसके बाद इसे बोर्ड बैठक में रखकर पास कराया जाएगा। कीमत ज्यादा होने से समय बढ़ाने पर विचार जीडीए अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में मकानों की कीमत ज्यादा होती है। ऐसे में कम समय में सारा भुगतान करना संभव नहीं होता। लोगों पर आर्थिक दबाव पड़ता है। इसको ध्यान में रखकर यह व्यवस्था बनाई जाएगी।


पहले 15 साल में चुकाते थे किस्त जीडीए करीब 15 साल पहले जिन मकानों को किस्तों पर बेचता था। उनकी किस्त 15 साल में चुकाई जाती थी। लेकिन इसमें परिवर्तन कर दो से पांच साल के बीच भुगतान करने की योजना बनाई गई। अब इसमें फिर परिवर्तन किया जा रहा है।


जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने कहा कि किस्तों पर मकान लेने वाले आठ से दस साल में भुगतान कर सके। इसका प्रस्ताव बनाया जा रहा है। इसे दिसंबर में होने वाली बोर्ड बैठक में रखा जाएगा।


'नेता' पहनकर दिखाएं 'खाकी'

पुलिसवाला खाकी उतार कर कभी भी पहन सकता है खादी।


हैदराबाद पुलिस पर ऊंगली उठाने वाले नेताओं से कहें ज़रा पहन कर दिखाएं खाकी 


नई दिल्ली! हैदराबाद रेप कांड मैं आज पुलिस द्वारा किए गए एनकाउंटर को लेकर हमारे देश के कुछ कर्णधारों ने सवाल उठाए हैं। जिनमें प्रमुख रूप से "एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट" मेनका गांधी ने जो बात कही वह बात आम आदमी के दिल को चुभने वाली है। मेनका गांधी ने कहा कि - ये जो भी हुआ है बहुत भयानक हुआ है इस देश में। आप किसी को भी जान से मार नहीं सकते क्योंकि बस आप मारना चाहते है। अगर इस तरह से न्याय करना है तो क्या फायदा है कानून का ? ऐसे तो आप बस बंदूक उठाओ और जिसको भी मारना है मारो।
ससम्मान मेनका गांधी की इस बात का जवाब कोई क्यों नहीं देता हूँ भाई ! और सोशल मीडिया पर उनके इस बयान को लेकर गुस्सा निकल रहे युवाओं को भी एक बात बताना चाहता हूं। देखो भाई ! मैडम मेनका गांधी पर नाराज होने की कोई आवश्यकता नहीं है। वह वैसे भी एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट हैं। उनके जानवर प्रेम से सारा देश वाकिफ है। कुत्ते बिल्लियों के भले पर काम कर कर के उन्होनें काफी धन सरकारों से उठा उठा कर जानवरों की सेवा में लगाया है। जानवरों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाना उन्होंने अपना धर्म मान रखा है।
फिर डॉ प्रियंका रेड्डी के साथ ऐसा घृणित कृत्य करके जिंदा जला देने *वाले लोग इंसान तो वैसे भी कहलाने योग्य है नहीं !!! क्योंकि उनकी हरकत अपने आप में जानवारियत का सबसे बड़ा प्रमाण थी ।* अब जब उन जानवरों को जानवरों की मौत मार दिया गया है तो एक एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट भला कैसे चुप बैठ सकती थी ? सो भाई !!! मेनका गांधी को अपनी बात कहने दो और आप इस नए भारत का उदय होते हुए देखो। 'दाद दीजिये ऐसे बहादुर पुलिसकर्मियों को जिनका जमीर अभी तक सिस्टम के बोझ के तले दबकर मरा नहीं हैै।' मेनका गांधी होती कौन है ? यह डिसाइड करने वाली की उस वक्त जब उन चारों को दौराने तफ्तीश क्राइम सीन पर ले जाया जा रहा था तब क्या आलम था ? और किस तरह की मजबूरियां थी वहां मौजूद पुलिस वालों की ? क्या मेनका गांधी आज जो बयान दे रही है और तब भी यही बयान देती यदि वह चारों अपराधी भागने में सफल हो जाते ? तब तो यही मेनका गांधी शायद उन पुलिसकर्मियों को ससपेंड करने की बात कहती दिखाई देती।  अपने घर में ऐसी चेंबर में बैठकर देश के मुद्दों पर भाषण देना देने वाले नेताओं को यदि 1 घंटे के लिए भी पुलिस की वर्दी पहना कर तपती धूप में चौराहे पर खड़ा कर दिया जाए तब शायद उन्हें एहसास होगा  की पुलिस की वर्दी पहनकर घूमना कितना मुश्किल है ? एक पुलिसवाला खाकी उतारकर खादी कभी भी पहन सकता है। लेकिन एक नेता खादी उतारकर खाकी इस जन्म में नहीं पहन सकता। क्योंकि खाकी पहनने के लिए  पढ़ लिख कर , दिन रात मेहनत करके, तैयारी के साथ पुलिस भर्ती की परीक्षा में पास होना पड़ता है। पुलिसवाला बनने के लिए केवल सच झूठ बोलकर जनता को बेवकूफ बनाकर चुनाव जीतना ही काफी नहीं है।'तो ऐसी निर्लज और 'लोगों के खून पर पल रही पराजीवी कौम  को* कोई अधिकार नहीं है कि एक मेहनतकश पुलिसकर्मी पर इस तरह की उंगली उठाए। 


वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपने बयान में कहा कि देश कानून के मुताबिक बनाये गए नियमों से चलना चाहिए।इस देश का कोई भी जागरूक नागरिक शशि थरूर से यह क्यों नहीं पूछता कि यदि देश कानून के बनाए हुए नियमों के मुताबिक चलना चाहिए तो निर्भया हत्याकांड के मामले में कैसे अपराधी कानून के नियमों को चकमा देकर निकल गए? यह सवाल मेनका गांधी से भी पूछा गया था जिस पर मेनका गांधी ने कहा कि - यह कानून का दोष है।
इन दोनों महान नेताओं द्वारा दिए गए वक्तव्य को अगर मिलान किया जाए तो यही लगता है कि यह कह रहा है कि - *यह देश एक ऐसे कानून के मुताबिक चलना चाहिए जिस कानून में गलती है। अगर हैदराबाद पुलिस ने कानून में व्याप्त गलती की गली से उन चारों अपराधियों को भाग निकलने का मौका नहीं दिया है ...  तो उन पुलिसकर्मियों ने सही मायने में इस देश में एक नए सशक्त कानून की आधारशिला रखे जाने की और एक मजबूत कदम उठाया है। जिसके लिए व पुलिसकर्मी  प्रशंसा के पात्र हैं। यह तो है सच बाकी इस देश में मुझसे  बहुत बड़े बड़े समझदार लोग बैठे हैं। जिसको जो सही लगे कहे भाई !!! इस देश में वैसे भी भयानक हदों तक अपनी बात कहने की आज़ादी व्याप्त है। सो मैने भी आज ज़रा हद लांघ दी है। 


नरेश राघानी 'मधुकर'


जहर खाकर सिपाही ने की खुदकुशी

चूहे मारने की दवा 10 नींद की गोली खाकर की सिपाही ने खुदकुशी सिपाही के खुदकुशी करने का कारण साफ नहीं


कानपुर! कानपुर के गोविंद नगर थाना क्षेत्र में दो दिन पहले जहरीला पदार्थ पीने वाले सिपाही की बुधवार सुबह इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई। पति का शव देखते ही पत्नी ने भी आत्महत्या का प्रयास कर दो मंजिला इमारत(सरकारी आवास) की छत से छलांग लगा दी।
प्राथमिकी उपचार के बाद उनको अस्पताल से छुट्टी मिल गई। इधर पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाने के बाद पुलिस लाइन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया! और फिर परिजनों को सौंप दिया। पुलिस का दावा है कि पत्नी से झगड़कर सिपाही ने खुदकुशी की। हालांकि कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। कांसगंज के सहावर थाना क्षेत्र के चौबेनगला गांव निवासी जसवीर सिंह शाक्य (34) 2005 बैच के सिपाही थे। 2011 में हिमादपुर, अलीगंज एटा निवासी प्रिया से उनकी शादी हुई थी। वह पत्नी प्रिया व छह साल के दिव्यांग बेटे अभि के साथ कैनाल कालोनी स्थित आवास में रहते थे। वर्तमान में उनकी तैनाती जूही थाने में थे। यहां से डेढ़ महीने के लिए जिला जेल में उनकी ड्यूटी लगाई गई थी। पुलिस के मुताबिक दो दिसंबर को शाम करीब साढ़े छह बजे जसवीर ने जहरीला पदार्थ पी लिया। उसके बाद परिजनों व स्थानीय लोगों ने पास के एक निजी अस्पताल में उनको भर्ती कराया। बुधवार सुबह करीब आठ बजे इलाज के दौरान जसवीर की मौत हो गई।  कुछ ही देर बाद परिजन शव लेकर घर पहुंचे।शव देखकर प्रिया दौड़कर छत पर पहुंची और वहां से छलांग लगा दी। आनन-फानन में उनको अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक उनकी पसलियां टूट गई हैं। वह खतरे से बाहर हैं। इधर पोस्टमार्टम हाउस में एसएसपी अनंत देव, एसपी साउथ रवीना त्यागी समेत अन्य अधिकारी पहुंचे और जसवीर के पिता राम सिंह व मां राजकुमारी समेत अन्य परिजनो से मिलकर उनकों ढांढस बंधाई। पिता और दो बड़े भाई शैलेंद्र व मनोज खेती किसानी करते हैं। जसवीर ने दस नींद की गोलियां खाने के साथ ही चूहे मारने की दवा खाई थी। इसका खुलासा इलाज करने वाले डॉक्टरों ने किया है। डॉक्टरों के मुताबिक जब जसवीर भर्ती हुए थे! तब उनसे पूछा गया था कि उन्होंने क्या खाया है। इस पर उन्होंने एक कागज पर लिखकर दिया। पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट न होने से विसरा संरक्षित किया गया है।


मिस इंडिया का ताज निशा के नाम

नई दिल्ली। निशा तलमपल्ली, जो कर्नाटक के “धुमुसुर” नामक एक छोटे से गाँव से ताल्लुक रखती थीं, उन्होंने मिस इंडिया इंटरनेशनल 2019 का ताज अपने नाम कर लिया। निशा के लिए यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने “इंडिया फैशन फिस्ता” जीता, यह उनके लिए एक कदम था! और मिस इंडिया इंटरनेशनल के लिए उनकी यात्रा वहाँ से शुरू हुई। वह उन भाग्यशाली प्रतियोगियों में से एक थीं जिन्हें 9 हजार उम्मीदवारों में से चुना गया था! जिन्होंने मिस इंडिया इंटरनेशनल के लिए दाखिला लिया था। चयन के बाद उसने सफलतापूर्वक टेलीफोनिक साक्षात्कार को मंजूरी दे दी, जिसे हर्षिता ने लिया और एक घंटे तक जारी रखा। उसने आखिरी सवाल के लिए अपनी प्रतिक्रिया से साक्षात्कारकर्ता को प्रभावित किया, जहां पूछा गया कि क्या उसे चुना जाता है कि वह किस स्थिति में लक्ष्य बना रही होगी, उसने कहा, “मेरे शरीर में रक्त और आत्मविश्वास दोनों समान रूप से मौजूद हैं और बह रहे हैं। मेरी यात्रा मिस इंडिया इंटरनेशनल 2019 के खिताब से कम नहीं होगी। ” फाइनल इंडोनेशिया में आयोजित किया गया था। प्रतियोगी 5 दिनों के लिए इंडोनेशिया के जकार्ता के मेरलिन पार्क में रुके थे। निशा के लिए 5 दिन रहता है कि वह जकार्ता में थी, अन्य प्रतियोगियों से भी मिलने और सीखने का अवसर था। तेज बुखार होने के बावजूद, निशा ने अपना कुल 100 प्रतिशत प्रयास दिया, और उड़ने वाले रंगों के साथ सभी दौरों को साफ कर दिया। जूरी, जो सभी प्रतियोगियों को तेजी से देख रहे थे, अंत में मिस इंडिया इंटरनेशनल के सबसे प्रतिष्ठित खिताब के साथ मिस निशा तलमपल्ली को ताज पहनाया। निशा के लिए वे दिन अविस्मरणीय सुखद यादों की तरह हैं! जिन्हें वह हमेशा के लिए संजोती है। कंपनी के सीईओ मिस गुड्डू रूपानी, और निदेशक रजत सुनेजा ने उन्हें अपनी यात्रा में पूरी तरह से प्रेरित किया। निशा ने आगे कहा, “मिस इंडिया इंटरनेशनल 2019 का ताज लाखों महिलाओं का सपना है। मिस इंडिया इंटरनेशनल के ताज का दावा करने वाली अविश्वसनीय भारतीय महिला का सपना देश द्वारा देखा, सराहा और सराहा जाएगा। यह जीवन भर की मान्यता है। यह प्रसिद्धि और सफलता की दुनिया की यात्रा है! और यह भारत के सुपर मॉडल 2020 के जज पैनल में होने के लिए गर्व का क्षण होगा।


दिनदहाड़े प्रधान पति की हत्या से 'भय'

आदर्श श्रीवास्तव


लखीमपुर खीरी! कोतवाली मोहम्मदी इलाके के ग्राम खजुरिया में आज प्रात: पुरानी रंजिश के चलते प्रधान पति को गोली से मारकर हत्या कर दी , दिन दहाडे इस दुस्साहसिक हत्याकांड के बाद हत्यारोपी आराम से फरार हो गये!


घटना के बाद पुलिस को जैसे ही सूचना मिली आनन-फानन मे नवागंतुक पुलिस छेत्राधिकारी सहित पुलिस का अमला मौके पर पहुंचकर घटना की जाँच करने मे डट गया है!
स्वयं सीओ मोहम्मदी इस घटना को ले कर मृतक के परिजनो व अन्य लोगो से गहन जानकारियां ले कर, हत्यारों की अतिशीध्र गिरफ्तारी को ले कर कटिवद्ध प्रतीत हो रहे हैं!
प्रधान पति की हत्या से ग्रामीण में गुस्सा, प्रधान पति की हत्या के बाद प्रधान समर्थक ग्रामीणो मे भयंकर आक्रोश की जानकारी मिल रही है! जिसे देखने हुये गांव मे पुलिस तैनात करदी गयी है! कल जानी थी प्रधान के लडके की बारात और आज हत्यारो ने कत्ल कर दिया!


जानकारी के अनुसार मोहम्मदी कोतवाली के खजुरिया गांव का है, जहां मौजूदा प्रधान साबीरा के पति मोहम्मद इलियास जो अपने चचेरे भाई समीम के साथ अपने बेटे की शादी के लिए खरीदारी करने के लिए मोहम्मदी आ रहे थे! तभी रास्ता मे बैला तुरसिया गाँव के पास चार पहिया वाहन में पहले से ही घात लगाए बैठे दबंगों ने पहले इलियास की बाइक मे टक्कर मार दी! टक्कर लगने से दोनों वहीं गिर पड़े! मौका देखते ही दबंग हत्यारों ने प्रधान पति व उसके चचेरे भाई पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी! प्रधान पति को गोली लगते ही मौके पर ही मौत हो गई जबकि चचेरा भाई शमीम गंभीर रूप से घायल हो गया! सूचना पर पहुंची पुलिस ने सबको अपने कब्जे में लेते हुए, पीएम के लिए भिजवा दिया! जबकि घायल को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है! पुलिस उन दबंगों की तलाश कर रही है! इस घटना के बाद से ग्रामीणो मे भय व्याप्त है!


'न्याय की परिभाषा' (संपादकीय)

हैदराबाद रेप कांड के चारों आरोपियों को पुलिस एनकाउंटर में किया गया ढेर
इसे ईश्वर का न्याय ही कहेंगे जिसने अपना रास्ता खुद ढूंढ लिया


देखा जाए तो इस लोकतंत्र में इंसाफ मिलने की जो गति है वह इतनी ढीली और मंद पढ़ चुकी है कि इस तरह के संवेदनशील मामलों का हल ऊपर वाला ही जल्दी निकाल सकता है। वही देर रात हैदराबाद रेप कांड के आरोपियों के साथ हुआ। जब रेप कांड की शिकार वेटिनारी डॉक्टर के साथ अन्याय करने वाले चारों आरोपियों को पुलिस उस स्थान पर दौराने तफ्तीश लेकर गयी जहां ये जघन्य अपराध उन चारों  की ओर से अंजाम दिया गया था। वहां चारों ने भागने कोशिश की और पुलिस की गिलियों का शिकार हो गए। 
 पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने एक बयान में कहा है कि अक्सर इस तरह के मामलों में लोगों को आरोपियों को ऐसी जगह पर ले जाया जाता है जहां पर वारदात को अंजाम दिया गया हो ताकि माहौल का अंदाजा लगाकर जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को तफ्तीश में मदद मिले। कुछ ऐसी ही कोशिश के दौरान उन चारों ने भागने का प्रयास किया। जिस पर उन लोगों को गोली मार दी गई। अब ! गोली मार दी गई या उनको वहां ले जाया ही इसलिए गया था कि उनका एनकाउंटर किया जा सके। चाहे जो भी हो !!! दोनों ही सूरत में ईश्वर ने अपने हिस्से का नयाय कर दिखाया है। पूरे देश भर की मानसिक पीड़ा और डॉक्टर के माता पिता की वेदना लगता है ईश्वर के हृदय तक पहुंच पहुंच गयी और वह पुलिसवालों के माध्यम से उस जगह आकर उन के भीतर विराजमान हो गई जिन्होंने इस काम को अंजाम दे डाला।आखिर न्याय ने अपना रास्ता ढूंढ ही लिया।


नए भारत का जन्म होता हुआ दिखाई दे रहा है। जहां पर यदि व्यवस्था का एक हिस्सा अपना काम ढंग से नहीं करता तो दूसरा हिस्सा उस काम को पूरा कर देता है। दूसरे शब्दों में यदि कार्यपालिका अपना काम सही नहीं करती तो न्यायपालिका अपना काम करती है । न्यायपालिका देर करती है तो समाजअपना काम करता है। समाज यदि कोई गलत फैसला लेता है तो सरकार अपना काम करती है। यदि सरकार कुछ गलत काम करती है तो न्यायपालिका अपना काम करती है । फिर हमारे देश में तो अगर कोई भी कहीं से भी काम नहीं करता तो ऊपर वाले की अद्भुत सत्ता सब कुछ अपने हाथ में ले लेती है और अपना काम कर डालती  ।* 
शायद इसी ताने-बाने की वजह से हमारा लोकतंत्र आज तक इतने सालों तक जिंदा है जिसके लिए हम सब बधाई के पात्र हैं।


 दुर्जन-दुर्जन ही रहे, जिन हरा सका न कोय!
 अंतकाल वो ही हुए, जो ईश की इच्छा होय!


नरेश राघानी 'मधुकर'


छिलका साढे तीन (आलोचना)

छिलका साढ़े तीन, 
 
देश मे प्याज का चर्चा आम और प्याज नामचीन हो गया है।
संसद के शीतकालीन-सत्र में प्याज रुला रहा है, गुदगुदा रहा है, ठहाके लगा रहा है। देश की राजनीति का केंद्र प्याज बन गया है।
कुछ-कुछ बात भी ठीक है, प्याज के बिना स्वाद नहीं रहता है। सब्जियों का रंग और स्वभाव ही बदल जाता है। जिन्हें देखकर आंतो में खिंचाव और मुंह में पानी आ जाता है। सब सब्जीयो का स्वाद खलने लगा है। प्याज के बिना "दाल गल" नहीं रह रही है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक प्याज का अकाल पड़ गया है। छोटी-छोटी 'प्याज' इतना रुतबा कायम कर लेगी? घर घर से खाने का स्वाद  कम कर देगी, गली-गली में हंगामा, चौराहे पर भीड़ जमा कर लेगी! भाषणों में प्याज-प्याज चिल्लाकर नेता गला फाड़ रहे हैं! प्याज की माला पहन रहे हैं लोग, कितना दुर्लभ हो गया है प्याज? सरकार को विपक्ष इस बार, बार-बार प्याज कहकर छकाएगा! सरकार बीड़ा भी नहीं उठा सकती, क्योंकि सरकार प्याज खाती नहीं है! देश के लोग 'प्याज उपवास' रखने को तैयार नहीं है! महिलाएं ने प्याज के बिना कई और मसाले भी डालने बंद कर दिए हैं! 'खाओ तो प्याज से, ना खाओ तो प्याज से' आखिर प्याज पर इतना कुछ कब तक चलता रहेगा? देश की जनता को साधारण सी प्याज की आस में कब तक बैठना होगा? बिना प्याज के मुर्गी भी कब तक भूनी जाएगी? बाकी तो सब ठीक है! लेकिन "प्याज बंद" मोदी जी कुछ तो रहम करना चाहिए! गरीब, मजदूर, छोटे किसान के खाने में प्याज का महत्व आप नहीं समझ पाएंगे! रूखी-सूखी रोटियों के निवाले का आहार बनने वाली प्याज ही पेट भर देती है! देश की कुल आबादी में 60% लोगों को प्याज की सख्त जरूरत है! लेकिन व्यापार के दृष्टिकोण से नहीं, अपितु सामान्य खाद्य पदार्थ के रूप में! यह विकास से जुड़ा हुआ कोई मामला नहीं है, जरूरत का मामला है! 
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राधेश्याम 'निर्भय-पुत्र'


डीएम ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की

डीएम ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की पंकज कपूर  नैनीताल/हल्द्वानी। उच्च न्यायालय उत्तराखंड द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में नैनीताल ...