मंगलवार, 5 नवंबर 2019

बुलबुल' तूफान डहा सकता है कहर

रायपुर। बस्तर के लिए अगले तीन दिनों में फिर से मौसम का प्रकोप सामने आ सकता है और संभावना व्यक्त की जा रही है कि 08 और 09 नवंबर के बाद यहां का मौसम तूफानी हो सकता है।


मौसम विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार एक तूफान हिंद महासागर क्षेत्र से उठ रहा है और बुलबुल नाम के इस तूफान का निशाना बस्तर बन सकता है। वैसे बस्तर में इसका प्रभाव अधिक रहेगा, लेकिन इस तूफान की गति कितनी होगी इस संबंध में अभी जानकारी जुटाई जा रही है।


उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह तक प्रतिदिन वर्षा का प्रभाव बना रहता था और अभी चंद ही दिन हुए हैं जिससे मौसम थोड़ा सूखा दिख रहा है।लगातार वर्षा के कारण अंचल के किसान धान की कटाई करने के लिए सूखे मौसम की प्रतीक्षा कर रहे थे और पिछले पांच दिनों से तेजी से कटाई का काम खेतों में चल रहा है। इस मानसून सत्र में बस्तर में अत्याधिक वर्षा रिकार्ड की गई है और धान के लिए यह वर्षा अच्छी रही। 


जिसकी वजह से धान की उत्पादन की भी अच्छी संभावना है। अब हिंद महासागर में उठने वाला बुलबुल तूफान की चेतावनी से किसान और अधिक भयभीत हो गये हैं। मौसम विभाग के एचपी चंद्रा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस तूफान का असर दक्षिण छत्तीसगढ़ अर्थात बस्तर में अधिक होगा। किसानों को इस इस संबंध में सतर्क रहने की आवश्यकता बताई गई है।


चटनी के लिए 'लाल चीटियों' की होती है बिक्री

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग के रीति रिवाज एवं खानपान राज्य के अन्य हिस्सों से काफी भिन्न है। इसका एक ताजा उदाहरण लाल चीटियों की चटनी को लिया जा सकता है। बस्तर में इसे चापड़ा चटनी कहा जाता है। वर्षा ऋतु के समाप्त होने के बाद हाट बाजारों में लाल चीटियां बिकने आने लगती है। आदिवासी समाज के लोगों द्वारा चापड़ा चटनी बड़े चाव से खाई जाती है। इन दिनों स्थानीय साप्ताहिक बाजारों में पत्ते के दोनों में लाल चीटियां बिकती हुए देखी जा सकती है। 10 रुपए से लेकर 50 रुपए दोने तक में लाल चीटियां बिकती हैं। इन दोने में लाल चीटियों के अंडे भी होते हैं। आदिवासियों का कहना है कि लाल चीटियों को मिर्च, लहसुन तथा नमक के साथ पीसा जाता है। इसके बाद इसे खाया जाता है। आदिवासियों का दावा है कि संचारी रोगों से बचाव के रूप में भी लाल चीटियों की चटनी खाई जाती है। यदि किसी को बदलते मौसम में बुखार आने लगे तो उसे लाल चीटियों की चटनी यानी चापड़ा चटनी खाने की समझाइश भी दी जाती है। चापड़ा चटनी को बस्तर में घृणा के रूप में नहीं देखा जाता बल्कि बड़े चाव के साथ खाया जाता है।


बाजार में दो-पहिया लाने की आक्रामक रणनीति

नई दिल्ली। दोपहिया वाहन निर्माण की प्रमुख कंपनी होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड भारतीय बाजार में अगले साल प्रीमियम श्रेणी की मोटरसाइकिल और स्कूटर उतारने की आक्रमक रणनीति बना रही है,जिससे भारतीय बाजार की संभावनाओं का पूरा इस्तेमाल किया जा सके। कंपनी के ब्रांड ऑपरेटिंग प्रमुख और उपाध्यक्ष प्रभु नागराज ने बताया कि भारतीय बाजार में प्रीमियम श्रेणी के दुपहिया वाहनों की मांग में भारी इजाफा हो रहा है। देश में युवाओं में प्रीमियम श्रेणी के वाहनों में रूचि बढ़ रही है। परंपरागत तौर पर भारतीय बाजार यात्री वाहनों के लिए जाना चाहता है लेकिन अर्थव्यवस्था का स्वरूप बदलने और व्यक्तिगत आय बढ़ने के कारण प्रीमियम श्रेणी के वाहनों की बिक्री में वृद्धि हो रही है। उन्होंने बताया कि होंडा भारतीय बाजार में उन दुपहिया वाहनों को भी भारतीय युवाओं के लिए पेश करने की तैयारी कर रहा है जो अभी तक यूरोपीय बाजार में ही देखे जा सकते हैं।


भारत आरसीईपी व्यापार समझौते से अलग

नई दिल्ली! भारत ने सोमवार को रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) समझौते में शामिल होने से इनकार कर दिया है! भारत ने निर्णय लिया कि वह 16 देशों के आरसीईपी व्यापार समझौते का हिस्सा नहीं बनेगा! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले का केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने स्वागत किया और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर हमला बोला! वहीं कांग्रेस ने कहा कि उसके दबाव में नरेंद्र मोदी सरकार को यह फैसला लेना पड़ा!


अमित शाह ने आरसीईपी में शामिल न होने के फैसले पर सिलसिलेवार ट्वीट किए! उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'भारत के आरसीईपी में शामिल न होने का फैसला प्रधानमंत्री मोदी के मजबूत नेतृत्व और सभी परिस्थितियों में राष्ट्रीय हित सुनिश्चित करने का संकल्प दिखाता है! इससे किसानों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग, डेयरी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, फार्मास्युटिकल, स्टील और कैमिकल इंडस्ट्रीज को समर्थन मिलेगा'!


उन्होंने अगले ट्वीट में लिखा, 'पिछले कई वर्षों में पीएम मोदी का यह स्टैंड रहा है कि वह ऐसी डील के लिए हामी नहीं भरते, जिसमें राष्ट्रहित न हो! यह अतीत को छोड़कर आगे बढ़ने की तरह है, जहां कमजोर यूपीए सरकार ने व्यापार के लिए जमीन खो दिया और राष्ट्रहित की रक्षा भी नहीं की!' दूसरी ओर कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार ने उसके दबाव में आकर यह फैसला वापस लिया! कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर लिखा, भाजपा सरकार जबरन आरसीईपी समझौते पर दस्तखत कर देश के किसानों, मछुआरों, लघु व मध्यम उद्योगों के हितों की बली दे रही थी! आज अमित शाह अपनी झूठी पीठ थपथपा रहे हैं तो उन्हें सनद रहे कि कांग्रेस के विरोध के चलते सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा!


गौरतलब है कि आरसीईपी में शामिल नहीं होने के फैसले पर भारत ने कहा कि वह सभी क्षेत्रों में वैश्विक प्रतिस्पर्धा के दरवाजे खोलने से भाग नहीं रहा है, लेकिन उसने एक परिणाम के लिए एक जोरदार तर्क पेश किया, जो सभी देशों और सभी सेक्टरों के अनुकूल है! सूत्रों के अनुसार, आरसीईपी शिखर सम्मेलन में अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'इस समझौते का मौजूदा स्वरूप RCEP की बुनियादी भावना और मान्य मार्गदर्शक सिद्धांतों को पूरी तरह जाहिर नहीं करता है! यह मौजूदा परिस्थिति में भारत के दीर्घकालिक मुद्दों और चिंताओं का संतोषजनक रूप से समाधान भी पेश नहीं करता!


जल्दबाजी में निर्णय न ले: मकर

राशिफल


मेष-योजना फलीभूत होगी। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। उत्साह व प्रसन्नता में वृद्धि होगी। नौकरी में अमन-चैन रहेगा। ऐश्वर्य के साधनों पर बड़ा खर्च हो सकता है। नए व्यापारिक अनुबंध होंगे। निवेश शुभ रहेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। परिवार में खुशी का वातावरण रहेगा।


वृष-किसी प्रभावशाली व्यक्ति से संपर्क बनेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। किसी बड़ी समस्या से निजात मिल सकती है। तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कारोबार मनोनुकूल चलेगा। नौकरी में प्रभाव क्षेत्र बढ़ेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।


मिथुन-स्वास्थ्य पर खर्च होगा। लापरवाही न करें। कार्य करते समय चोट लग सकती है। गृहिणियां विशेष ध्यान रखें। जल्दबाजी से बचें। अकारण विवाद हो सकता है। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। धनहानि की आशंका है। व्यापार व्यवसाय ठीक चलेगा।


कर्क-कानूनी अड़चन दूर होगी। जीवनसाथी के इच्छुक लोगों को जीवनसाथी मिलने के योग हैं। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। निवेशादि सोच-समझकर करें। बाहर लंबी यात्रा की योजना बन सकती है। जीवन सुखमय गुजरेगा। उत्साह व प्रसन्नता रहेंगे। प्रमाद न करें।


सिंह-संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण निर्मित होगा। प्रमाद से बचें।


कन्या-शैक्षणिक व शोध इत्यादि रचनात्मक कार्य के परिणाम सुखद मिलेंगे। किसी मांगलिक व आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। यात्रा मनोरंजक रहेगी।


तुला-स्वास्थ्य का ध्यान रखें। विवाद को बढ़ावा न दें। वाणी में हंसी-मजाक समय व स्थिति को देखकर करें।  मेहनत अधिक होगी। लाभ में कमी रह सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। फालतू बातों पर ध्यान न दें। व्यापार ठीक चलेगा।


वृश्चिक-काम पर पूरा ध्यान दे पाएंगे। थोड़े प्रयास से ही कार्यसिद्धि होगी। सामाजिक मान-सम्मान प्राप्त होगा। कारोबार में मनोनुकूल लाभ होगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से लाभ होगा। लंबी व्यावसायिक यात्रा की योजना बन सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें।


धनु-दूर से अच्छे समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। विवाद से बचें। क्रोध न करें। कोई बड़ा काम तथा लंबी यात्रा की योजना बनेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। पुराने विवादों का समापन होगा। उत्साह व प्रसन्नता की वृद्धि होगी। व्यापार निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे।


मकर-नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। बेरोजगारी दूर होगी। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। व्यापार निवेश व नौकरी मनोनुकूल लाभ देंगे। लंबी यात्रा हो सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।


कुंभ-कुसंगति से हानि होगी। व्ययवृद्धि होगी। आर्थिक परेशानी रहेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। लापरवाही न करें। किसी व्यक्ति के व्यवहार से आत्मसम्मान कम हो सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। जोखिम न लें।


मीन-डूबी हुई रकम प्राप्ति की संभावना बनती है। यात्रा लाभदायक रहेगी। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। निवेश शुभ रहेगा। कारोबार में वृद्धि संभव है। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। बुद्धि के कार्य करें। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। रुके काम पूरे होंगे। प्रमाद न करें।


भाषा प्रभावित करने वाली 'फारसी'

फारसी भाषा

"फ़ारसी" यहाँ पुनर्निर्देश करता है। अन्य उपयोगों के लिए, फ़ारसी (बहुविकल्पी) देखें ।
फ़ारसी ( / ( p ʒr ʒ , n , - - ʃn / ), जिसे इसके अंतिम नाम फारसी ( فارسی , फरसी ) से भी जाना जाता है, [f [siɒːɾˈ] ( इस ध्वनि के बारे में सुनो ) ), एक पश्चिमी ईरानी भाषा है जो भारत-ईरानी उप- भाषा की ईरानी शाखा के ईरानी शाखा से संबंधित है। यह मुख्य रूप से ईरान , अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान के भीतर आधिकारिक तौर पर बोली जाने वाली और तीन परस्पर समझदार मानक किस्मों में इस्तेमाल की जाने वाली एक बहुल भाषा है , जिसका नाम ईरानी फ़ारसी , दारी फ़ारसी (आधिकारिक तौर पर 1958 से दारी नाम) और ताज़िकी फारसी (आधिकारिक तौर पर सोवियत काल से ताजिक नाम है। )। यह उज्बेकिस्तान के भीतर एक महत्वपूर्ण आबादी द्वारा ताजिक किस्म में भी बोली जाती है, साथ ही अन्य क्षेत्रों के भीतर ग्रेटर ईरान के सांस्कृतिक क्षेत्र में एक फ़ारसी इतिहास के साथ। यह आधिकारिक तौर पर ईरान और अफगानिस्तान के भीतर फारसी वर्णमाला , अरबी लिपि की व्युत्पत्ति और ताजिकिस्तान के भीतर साइरिलिक की व्युत्पत्ति ताजिकिस्तान के भीतर लिखा गया है।


फ़ारसी
फारसी बोलने वालों की महत्वपूर्ण संख्या वाले क्षेत्र (बोलियों सहित)
ईरान, अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान। 
  जिन देशों में फारसी एक आधिकारिक भाषा है
इस लेख में IPA ध्वन्यात्मक प्रतीक हैं। उचित रेंडरिंग समर्थन के बिना, आप यूनिकोड वर्णों के बजाय प्रश्न चिह्न, बॉक्स या अन्य प्रतीकों को देख सकते हैं। IPA प्रतीकों पर एक परिचयात्मक गाइड के लिए, सहायता देखें : IPA ।
इस लेख में फारसी पाठ शामिल है । उचित रेंडरिंग समर्थन के बिना, आप प्रश्न चिह्न, बॉक्स या अन्य प्रतीक देख सकते हैं।
फ़ारसी भाषा मध्य फ़ारसी की एक निरंतरता है, जो सासैनियन साम्राज्य की आधिकारिक धार्मिक और साहित्यिक भाषा है (224–651 CE), जो कि पुराने फ़ारसी की एक निरंतरता है, जिसका उपयोग अचमेनिद साम्राज्य (550–330 ईसा पूर्व) में किया गया था। इसकी उत्पत्ति दक्षिण-पश्चिमी ईरान के फ़ार्स ( फारस ) क्षेत्र में हुई। इसका व्याकरण कई यूरोपीय भाषाओं के समान है।


पूरे इतिहास में, फारसी एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक भाषा रही है जिसका उपयोग पश्चिमी एशिया , मध्य एशिया और दक्षिण एशिया में विभिन्न साम्राज्यों द्वारा किया जाता है। पुरानी फ़ारसी लिखित रचनाएँ ६ वीं और ४ वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच के कई शिलालेखों पर पुरानी फ़ारसी क्यूनिफ़ॉर्म में दर्ज हैं , और मध्य फ़ारसी साहित्य पार्थियन के समय से शिलालेखों में अरामाइक- लिपिड लिपियों ( पाहलवी और मनिचैयन ) में शिलालेखों में शामिल है । साम्राज्य और पुस्तकों में तीसरी से 10 वीं शताब्दी ईस्वी के बीच जोरोस्ट्रियन और मनिचैन शास्त्रों में केंद्रित है। 9 वीं शताब्दी के अपने शुरुआती अभिलेखों के साथ ईरान की अरब विजय के बाद से नए फ़ारसी साहित्य का विकास शुरू हुआ, तब से अरबी लिपि को अपनाया गया। फारसी कविता मुस्लिम भाषा में अरबी भाषा के एकाधिकार से टूटने वाली पहली भाषा थी, फारसी कविता के लेखन के साथ कई पूर्वी अदालतों में अदालती परंपरा के रूप में विकसित हुई। मध्ययुगीन फ़ारसी साहित्य की कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ फ़िरदौसी का शाहनाम , रूमी का काम, उमर ख़य्याम की रुबाईत , निज़ामी गंजवी का पंज गंज , हाफ़िज़ का दीवान , निशापुर के अत्तार द्वारा पक्षियों का सम्मेलन। , और सादी शिराज़ी द्वारा गुलिस्तान और बुस्तान के मिसकैलानिया ।


फ़ारसी ने अपनी पड़ोसी भाषाओं पर काफी प्रभाव छोड़ा है, जिसमें अन्य ईरानी भाषाएं, तुर्क भाषाएं , अर्मेनियाई , जॉर्जियाई और इंडो-आर्यन भाषाएँ (विशेष रूप से उर्दू ) शामिल हैं। इसने मध्ययुगीन अरब शासन के तहत कुछ शब्दावली उधार लेते हुए अरबी, विशेष रूप से बहरानी अरबी , पर कुछ प्रभाव डाला।


दुनिया भर में लगभग 110 मिलियन फारसी बोलने वाले लोग हैं, जिनमें फारसियन , ताजिक , हज़ारस , कोकेशियान टाट्स और एइमक्स शामिल हैं । फारसोफोन शब्द का उपयोग फ़ारसी के एक वक्ता को संदर्भित करने के लिए भी किया जा सकता है।


कम वर्षा अथवा खाध अभाव

अकाल भोजन का एक व्यापक अभाव है जो किसी भी पशुवर्गीय प्रजाति पर लागू हो सकता है। इस घटना के साथ या इसके बाद आम तौर पर क्षेत्रीय कुपोषण, भुखमरी, महामारी और मृत्यु दर में वृद्धि हो जाती है। जब किसी क्षेत्र में लम्बे समय तक (कई महीने या कई वर्ष तक) वर्षा कम होती है या नहीं होती है तो इसे सूखा या अकाल कहा जाता है। सूखे के कारण प्रभावित क्षेत्र की कृषि एवं वहाँ के पर्यावरण पर अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था डगमगा जाती है। इतिहास में कुछ अकाल बहुत ही कुख्यात रहे हैं जिसमें करोंड़ों लोगों की जाने गयीं हैं।


अकाल राहत के आपातकालीन उपायों में मुख्य रूप से क्षतिपूरक सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे कि विटामिन और खनिज पदार्थ देना शामिल है जिन्हें फोर्टीफाइड शैसे पाउडरों के माध्यम से या सीधे तौर पर पूरकों के जरिये दिया जाता है।सहायता समूहों ने दाता देशों से खाद्य पदार्थ खरीदने की बजाय स्थानीय किसानों को भुगतान के लिए नगद राशि देना या भूखों को नगद वाउचर देने पर आधारित अकाल राहत मॉडल का प्रयोग करना शुरू कर दिया है क्योंकि दाता देश स्थानीय खाद्य पदार्थ बाजारों को नुकसान पहुंचाते हैं।


लंबी अवधि के उपायों में शामिल हैं आधुनिक कृषि तकनीकों जैसे कि उर्वरक और सिंचाई में निवेश, जिसने विकसित दुनिया में भुखमरी को काफी हद तक मिटा दिया है।[4] विश्व बैंक की बाध्यताएं किसानों के लिए सरकारी अनुदानों को सीमित करते हैं और उर्वरकों के अधिक से अधिक उपयोग के अनापेक्षित परिणामों: जल आपूर्तियों और आवास पर प्रतिकूल प्रभावों के कारण कुछ पर्यावरण समूहों द्वारा इसका विरोध किया जाता है।


सभ्यता-संस्कृति का आधार 'संगीत'

भारतीय संगीत
भारतीय संगीत का जन्म वेद के उच्चारण में देखा जा सकता है। संगीत का सबसे प्राचीनतम ग्रन्थ भरत मुनि का नाट्‍यशास्त्र है। अन्य ग्रन्थ हैं : बृहद्‌देशी, दत्तिलम्‌, संगीतरत्नाकर।


संगीत एवं आध्यात्म भारतीय संस्कृति का सुदृढ़ आधार है। भारतीय संस्कृति आध्यात्म प्रधान मानी जाती रही है। संगीत से आध्यात्म तथा मोक्ष की प्रप्ति के साथ भारतीय संगीत के प्राण भूत तत्व रागों के द्वारा मनः शांति, योग ध्यान, मानसिक रोगों की चिकित्सा आदि विशेष लाभ प्राप्त होते है। प्राचीन समय से मानव संगीत की आध्यात्मिक एवं मोहक शक्ति से प्रभावित होता आया है। प्राचीन मनीषियों ने सृष्टि की उत्पत्ति नाद से मानी है। ब्रह्माण्ड के सम्पूर्ण जड़-चेतन में नाद व्याप्त है, इसी कारण इसे "नाद-ब्रह्म” भी कहते हैं।


अनादिनिधनं ब्रह्म शब्दतवायदक्षरम् ।
विवर्तते अर्थभावेन प्रक्रिया जगतोयतः॥
अर्थात् शब्द रूपी ब्रह्म अनादि, विनाश रहित और अक्षर है तथा उसकी विवर्त प्रक्रिया से ही यह जगत भासित होता है। इस प्रकार सम्पूर्ण संसार अप्रत्यक्ष रूप से संगीतमय हैं। संगीत एक ईश्वरीय वाणी है। अतः यह ब्रह्म रूप ही हैं । संगीत आनन्द का अविर्भाव है तथा आनन्द ईश्वर का स्वरूप है। संगीत के माध्यम से ही ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। योग व ज्ञान के सर्वश्रेष्ठ आचार्य श्री याज्ञवल्क्य जी कहते हैं -


वीणावादनतत्वज्ञः श्रुतिजातिविशारदः।
तालश्रह्नाप्रयासेन मोक्षमार्ग च गच्छति।
संगीत एक प्रकार का योग है। इसकी विशेषता है कि इसमें साध्य और साधन दोनों ही सुखरूप हैं। अतः संगीत एक उपासना है, इस कला के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति होती है। यही कारण है कि भारतीय संगीत के सुर और लय की सहायता से मीरा, तुलसी, सूर और कबीर जैसे कवियों ने भक्त शिरोमणि की उपाधि प्राप्त की और अन्त में ब्रह्म के आनन्द में लीन हो गए। इसीलिए संगीत को ईश्वर प्राप्ति का सुगम मार्ग बताया गया है। संगीत में मन को एकाग्र करने की एक अत्यन्त प्रभावशाली शक्ति है तभी से ऋषि मुनि इस कला का प्रयोग परमेश्वर का आराधना के लिए करने लगे।


समग्र स्वास्थ्य के लिए व्यायाम

व्यायाम वह गतिविधि है जो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को भी बढाती है। यह कई अलग अलग कारणों के लिए किया जाता है, जिनमे शामिल हैं: मांसपेशियों को मजबूत बनाना, हृदय प्रणाली को सुदृढ़ बनाना, एथलेटिक कौशल बढाना, वजन घटाना या फिर सिर्फ आनंद के लिए। लगातार और नियमित शारीरिक व्यायाम, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है और यह हमारी नींद कम करता है इससे हमें सुबह उठने पर तकलीफ नहीं होतीहृदय रोग, रक्तवाहिका रोग, टाइप 2 मधुमेह और मोटापा जैसे समृद्धि के रोगों को रोकने में मदद करता है। यह मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है और तनाव को रोकने में मदद करता है। बचपन का मोटापा एक बढ़ती हुई वैश्विक चिंता का विषय है और शारीरिक व्यायाम से बचपन के मोटापे के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।


व्यायाम के लाभ:-व्यायाम मानव देह को स्वस्थ रखने का एक अत्यन्त आवश्यक उपाय है। दौड़, दंड-बैठक, सैर, कुश्ती, जिम्नैस्टिक, हॉकी, क्रिकेट, टेनिस आदि खेल व्यायाम के ही कई रूप हैं। व्यायाम ऐसी क्रिया का नाम है जिससे देह में हरकत हो, देह की हर एक नस-नाड़ी, एक-एक सैल क्रिया में आ जाये। जिस समय हम व्यायाम करते हैं उस समय हमारी देह के अंग ऐसी चेष्टा करते हैं, जिसमें हमें आनन्द भी मिलता है और श्रम भी होता है। इससे हमारे शरीर का हर अंग स्वस्थ रहता है। जब हम व्यायाम करते हैं, तो हम अंगों को हिलाते-डुलाते हैं, उससे हमारे हृदय और फेफड़ों को अधिक काम करना पड़ता जिसके फलस्वरूप हमारी एक-एक सांस शुद्ध हो जाती है, हमारे रक्त की एक-एक बूँद स्वच्छ हो जाती है।यह हमारे शरीर को लचिला बनाता है।


मस्तिष्क का काम करने वाले मानवों को व्यायाम अवश्य ही करना चाहिये, क्योंकि देह से श्रम करके रोटी कमाने वालों के अंगों को तो हरकत करने का अवसर फिर भी मिल जाता है किन्तु अध्यापक, डाक्टर, वकील, कम्पयूटर-ओपरेटर आदि लोगों के लिये व्यायाम अत्यन्त आवश्यक है। व्यायाम से देह सुन्दर हो जाती है और उसकी रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ जाती है। हाँ बहुत अधिक व्यायाम से हानि भी हो सकती है। आप जब थक जायें तब आपको व्यायाम करना बन्द कर देना चाहिये।


चमेली की मोहक सुगंध

चमेली, जैस्मिनम (Jasminum) प्रजाति के ओलिएसिई (Oleaceae) कुल का फूल है। भारत से यह पौधा अरब के मूल लोगों द्वारा उत्तर अफ्रीका, स्पेन और फ्रांस पहुँचा। इस प्रजाति की लगभग 40 जातियाँ और 100 किस्में भारत में अपने नैसर्गिक रूप में उपलब्ध हैं। यह भारत में प्रमुख रूप से पाया जाता है। जिनमें से निम्नलिखित प्रमुख और आर्थिक महत्व की हैं:


1. जैस्मिनम ऑफिसनेल लिन्न., उपभेद ग्रैंडिफ्लोरम (लिन्न.) कोबस्की जै. ग्रैंडिफ्लारम लिन्न. (J. officinale Linn. forma grandiflorum (Linn.) अर्थात् चमेली।


2. जै. औरिकुलेटम वाहल (J. auriculatum Vahl) अर्थात् जूही।


3. जै. संबक (लिन्न.) ऐट. (J. sambac (Linn.) ॠत्द्य.) अर्थात् मोगरा, वनमल्लिका।


4. जै. अरबोरेसेंस रोक्स ब.उ जै. रॉक्सबर्घियानम वाल्ल. (J. Arborescens Roxb. syn. J. roxburghianum Wall.) अर्थात् बेला।


हिमालय का दक्षिणावर्ती प्रदेश चमेली का मूल स्थान है। इस पौधे के लिये गरम तथा समशीतोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु उपयुक्त है। सूखे स्थानों पर भी ये पौधे जीवित रह सकते हैं। भारत में इसकी खेती तीन हजार मीटर की ऊँचाई तक ही होती है। यूरोप के शीतल देशों में भी यह उगाई जा सकती है। इसके लिये भुरभुरी दुमट मिट्टी सर्वोत्तम है, किंतु इसे काली चिकनी मिटृटी में भी लगा सकते हैं। इसे लिए गोबर पत्ती की कंपोस्ट खाद सर्वोत्तम पाई गई है। पौधों को क्यारियों में 1.25 मीटर से 2.5 मीटर के अंतर पर लगाना चाहिए। पुरानी जड़ों की रोपाई के बाद से एक महीने तक पौधों की देखभाल करते रहना चाहिए। सिंचाई के समय मरे पौधों के स्थान पर नए पौधों को लगा देना चाहिए। समय-समय पर पौधों की छँटाई लाभकर सिद्ध हुई है। पौधे रोपने के दूसरे वर्ष से फूल लगन लगते हैं। इस पौधे की बीमारियों में फफूँदी सबसे अधिक हानिकारक है।


आजकल चमेली के फूलों से सौगंधिक सार तत्व निकालकर बेचे जाते हैं। आर्थिक दृष्टि से इसका व्यवसाय विकसित किया जा सकता है। चमेली एक सुगंधित फूल है, जिसके महक मात्र से लोग मोहित हो जाते है! इस फूल से बहुत सारी दवाइयां बनायी जाती हैं, जो सिर दर्द, चक्कर, जुकाम आदि में काम आता है़!


असुविधा में यज्ञ कैसे करें?

गतांक से...
 (महानंद जी) ओम देवा भद्राम् भव्यम् ब्राह्मणा रुद्राहा: हम द्रव्हो गायंत्वाहा! मेरे पूज्यपाद गुरुदेव अथवा मेरे भद्र ऋषि मंडल अभी-अभी मेरे पूज्य पाद गुरुदेव नाना यज्ञो के संबंध में अपने विचार दे रहे थे! क्योंकि यज्ञ में परंपरागतो से ही मानव निहित रहा है और मेरे पूज्य पाद गुरुदेव ने भी अभी-अभी यह प्रकट करया कि यज्ञ अपने में बड़ा विचित्र है! जहां हमारी यह आकाशवाणी जा रही है, वहां एक यज्ञ का आयोजन हुआ और मैं यह जानता हूं कि यज्ञ अपने में बड़ा विचित्र उधरवा में कर्म है! मैं अपने यजमान को कहता हूं! हे यजमान, क्योंकि मेरा अंतरात्मा यजमान के साथ रहता है और मैं यह कहता रहता हूं कि हे यजमान तुम्हारे जीवन का सौभाग्य अखंड बना रहे! यह जो काल चल रहा है इस काल को मैं वाम मार्ग काल कहता रहता हूं! वाममार्ग उसे कहते हैं जो उल्टे मार्ग पर का गमन करता है! यज्ञ इत्यादि का खंडन करता है और उसे खंडन करने के पश्चात उसकी कीर्ति में नहीं रहना चाहता! विचार आता रहता है! पूज्यपाद गुरुदेव ने मुझे कई कालों में प्रकट करते हुए कहा, आज भी मुझे स्मरण है कि यज्ञ अपने में बड़ा अनूठा क्रियाकलाप है! बड़ी अनोखी एक विचित्र धारा है! परंतु देखो वह अपने में ही अपनी आभा कृतियों में रत होने वाला है! विचार आता रहता है गुरुदेव यह जो वर्तमान का काल चल रहा है! वह वाम मार्ग काल है, वह मार्ग उसे कहते हैं जो उल्टे मार्ग पर गमन करता है! मुझे आश्चर्य होता है कि कैसे ऐसे में मानव की आभा कैसे विकृत हो जाती है? और विकृत होकर के अपनेपन और तन को वह शांत कर देता है? हे मानव, तू अपनी मानवता के ऊपर विचार-विनिमय कर और यज्ञ जैसे क्रियाकलापों को अपने से दूर ना होने दें! हे यजमान तेरे जीवन का सौभाग्य और प्रतिभा  बनी रहे! मैं उच्चारण कर रहा था कि मेरे पूज्य पाद गुरुदेव कहीं राष्ट्रवाद की चर्चा करते हैं तो कहीं राम की तपस्या की चर्चा करते हैं! पूज्यपाद गुरुदेव बड़े-बड़े अति उत्थानो की विवेचना अपने मन में ही करते रहते हैं! मेरे प्यारे उन्होंने कहा संभवत कृताहा: कि हम उसी आभा मे रत रहना चाहते हैं! जहां मार्ग में एक महानता की उपलब्धि हो जाती है! मेरे पूज्य पाद गुरुदेव कई समय से वर्णन करा रहे हैं! कहीं राम की तपस्या का वर्णन करते रहते हैं कि राम इतने विशाल तपस्वी थे और कहीं विश्वभान चर्चाएं होती रहती है! परंतु वेद के माध्यम से विचार आता रहता है कि यजमान अपने में महान बने, परंतु मैं आज इन वाक्यों का गीत गाने नहीं आया हूं! मैं राष्ट्रवाद के ऊपर अपनी विचारधारा व्यक्त करना चाहता हूं! कि राष्ट्रवाद कितना अनूठा है और कितना विचित्र माना गया है! पूज्यपाद गुरुदेव ने कई काल में प्रकट करते हुए कहा है कि उस काल की वार्ताएं स्मरण आती है तो हृदय मे गदगदता जाती है! हृदय में अग्रता का उत्पादन होने लगता है! देखो ऋषि अपनी वार्ता प्रकट करता है, कहता है 'संभवे संभवा कृतम देवा:, यजमान तेरे जीवन की आभा सदैव बनी रहे तेरे जीवन का सौभाग्य अखंड बना रहे!


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


नवंबर 06, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-92 (साल-01)
2. बुधवार, नवंबर 06, 2019
3. शक-1941, कार्तिक-शुक्ल पक्ष, तिथि- दसंमी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:28,सूर्यास्त 05:41
5. न्‍यूनतम तापमान -16 डी.सै.,अधिकतम-23+ डी.सै., हवा की गति बढ़नेे की संभावना रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


https://universalexpress.page/
email:universalexpress.editor@gmail.com
cont.935030275
 (सर्वाधिकार सुरक्षित


 


यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला

यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला  संदीप मिश्र  लखनऊ। यूपी में गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदल गया है। कक्षा एक से लेकर आठ तक के स्कू...