मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019

बोरवेल में बच्चे ने चौथे दिन दम तोड़ा

तमिलनाडु! नादुकट्टपट्टी, तिरुचिरापल्ली में 2-वर्षीय सुजीत विल्सन 25 अक्टूबर को बोरवेल में गिरने के बाद उसे सुरक्षित बाहर निकालने के लिए शासन-प्रशासन के द्वारा सभी संभव उपाय किए गए!


व्शसन के विभिन्न मंत्री व् अधिकारी इस घटना की पल-पल जानकारी लेते रहे पर सुजीत विल्सन को सकुशल बाहर नही निकाला जा सका जहां 2 वर्षीय सुजीत विल्सन को बोरवेल में फंसे हुए 52 घंटे से अधिक समय हो गया है!


25 अक्टूबर को एक बोरवेल में गिरने के बाद 2-वर्षीय सुजीत विल्सन नेअपनी जान गंवा दी, उसके शव को नादुकट्टुपट्टी स्थित उनके निवास पर ले जाया गया! प्रमुख सचिव, परिवहन विभाग के जे राधाकृष्णन का कहना है कि सुजीत विल्सन का शरीर अब विघटित अवस्था में है! हमने उसे बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन दुर्भाग्य से बोरवेल से दुर्गंध आने लगी है जिसमें बच्चा गिर गया था! फिलहाल, खुदाई प्रक्रिया बंद कर दी गई है।


पीएम मोदी की सऊदी यात्रा महत्वपूर्ण

नई दिल्ली! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सऊदी अरब में फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव (FII) के तीसरे संस्करण में शामिल होंगे! यह 29 से 31 अक्टूबर तक आयोजित हो रहा है! यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब की दूसरी यात्रा है, जिसमें वह अन्य कूटनीतिक रिश्तों के साथ ही निवेश और आर्थिक विकास को गति देने की संभावनाओं को भी तलाशेंगे! क्या है कारोबार-निवेश कार्यक्रम FII और क्यों है महत्वपूर्ण? आइए जानते हैं! फ्यूचर इनवेस्टमेंट इनिशिएटिव सऊदी अरब के रियाद शहर में आयोजित होने वाला एक सालाना निवेश मंच है! इसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था और निवेश वातावरण के ट्रेंड पर चर्चा होती है! इसका आयोजन सऊदी अरब के पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड (PIF) द्वारा किया जाता है! इसकी प्रतिष्ठा की वजह से इसे 'रेगिस्तान का दावोस' भी कहते हैं! गौरतलब है कि स्व‍िट्जरलैंड के शहर दावोस में दुनिया के सबसे बड़े इकोनॉमी-बिजनेस के कार्यक्रम वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का आयोजन किया जाता है! पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड सऊदी अरब का मुख्य सॉवरेन यानी सरकारी वेल्थ फंड है, जिसको आर्थ‍िक एवं सामाजिक सुधार कार्यक्रम के सऊदी विजन 2030 के परिप्रेक्ष्य में तैयार किया गया है!


भारत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण
फाइव ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखने वाले भारत के लिए भी यह आयोजन काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया के प्रमुख निवेशकों के सामने अपने यहां बन रहे अवसरों के बारे में बताने का मौका मिलेगा! पीएम मोदी मंगलवार शाम को इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता होंगे! कॉन्फ्रेंस में अपने संबोधन के बाद वह मॉडरेटर के साथ संवाद भी करेंगे! सऊदी अरब के लिए रवाना होने से पहले पीएम मोदी ने कहा था कि वह इस मंच में वैश्विक निवेशकों के लिए भारत में बढ़ते व्यापार और निवेश के अवसरों के बारे में बताएंगे और उन्हें यह भी बताएंगे कि किस तरह से भारत 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने जा रहा है! इस कार्यक्रम में रिलायंस समूह के चेयरमैन मुकेश अंबानी सहित कई दिग्गज भारतीय कारोबारी भी शामिल हो सकते हैं!


क्या है इस बार की थीम
इस सालाना निवेश कार्यक्रम का इस बार की थीम है-'व्हाट इज नेक्स्ट फॉर ग्लोबल बिजनेस' यानी वैश्विक कारोबार में आगे क्या होगा! सऊदी अरब के पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम एक उच्च स्तरीय प्लेटफॉर्म है जिसमें सऊदी अरब के नीति-नियंताओं और वैश्विक कारोबारी प्रतिनिधियों से मिलने का मौका मिलता है!


इसका पहला आयोजन अक्टूबर 2017 में हुआ था और तब NEOM को लॉन्च किया गया था, जो कि सऊदी अरब के उत्तर-पश्चिम में 500 अरब डॉलर के निवेश के साथ बनने वाला स्वतंत्र आर्थ‍िक क्षेत्र था. इसका दूसरा सालाना आयोजन 23 से 25 अक्टूबर 2018 में किया गया! इस साल का आयोजन 29 से 31 अक्टूबर तक हो रहा है. इसमें दुनिया भर के इंडस्ट्री जगत के अगुआ, नीति-नियंता, एक्सपर्ट, निवेशक शामिल होते हैं और इस बात की चर्चा करते हैं कि किस तरह से वैश्विक समृद्धि और विकास को संभव बनाया जा सकता है!


किन विषयों पर होगी चर्चा
कारोबार और निवेश के मुख्य कार्यक्रम के अलावा एफआईआई में तीन अन्य समिट भी होंगे, जिनमें इस बात पर विचार होगा कि कारोबार, मनोरंजन और समाज में बदलाव किस तरह से इनोवेशन को बढ़ावा दे रहे हैं और निवेश के अवसर तैयार कर रहे हैं! इस बार ऐसे पहले समिट में टेक्नोलॉजी, जनसांख्यिकी और कारोबारी मॉडल में नए विकास से कार्य की प्रकृति में बदलाव आ रहा है! दूसरा समिट इंटरैक्टिव एंटरटेनमेंट पर फोकस होगा और इस बात का परीक्षण किया जाएगा कि इनोवेशन, ग्लोबलाइजेशन और कंज्यूमर बिहेवियर से किस तरह से खेल, मनोरंजन और लीशर की दुनिया प्रभावित हो रही है!


तीसरे समिट में इस बात पर विचार होगा कि किस तरह से दुनिया भर की इंटरकनेक्टेड सोसाइटी और सरकारें इंटेलीजेंट सिस्टम, एडवांस मोबिलिटी, नए एजुकेशन मॉडल और शहरों एवं समुदायों में ज्यादा से ज्यादा सांस्कृतिक जागरूकता को अपनाने की कोशिश कर रही हैं! पिछले साल FII के दौरान करीब 60 अरब डॉलर के समझौते हुए थे, जिनमें ऊर्जा, हाउसिंग, हेल्थकेयर और आईसीटी जैसे सेक्टर में बड़ी निवेश घोषणाएं शामिल थीं! इसके पहले पीएम मोदी साल 2016 में रियाद गए थे, तब उन्हें सऊदी अरब का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया था!


हरियाणा चुनाव की समीक्षा करेगी भाजपा

नई दिल्ली! बीजेपी ने 2014 के विधानसभा चुनाव में 47 सीटें जीतकर पहली बार बहुमत से राज्य में सरकार बनाई! तब पार्टी ने गैर जाट चेहरे और पहली बार विधायक बने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री चुनकर सबको हैरान कर दिया!


इस बार चुनाव में बहुमत के आंकड़े 46 से बीजेपी को छह सीटें कम यानी 40 सीटें मिलीं! जबकि बीजेपी ने चुनाव के दौरान कुल 90 में 75 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया! बहुमत से चूक जाने के बाद बीजेपी को इस बार जेजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनानी पड़ी है! इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हरियाणा में कुल 90 में से 50 विधानसभा सीटों पर हुई हार की क्षेत्रवार समीक्षा करेगी! राज्य में सात मंत्रियों की हार और बीजेपी के पांच बागियों के निर्दल चुनाव जीतने से भी पार्टी हैरान है!


पार्टी को लगता है कि कई सीटों पर टिकट वितरण में चूक हुई है, नहीं तो नतीजे 2014 की तरह होते! बीजेपी की जांच के केंद्रबिंदु में 'इलेक्शन मैनेजमेंट' भी है! बीजेपी के भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि हरियाणा में इलेक्शन मैनेजमेंट में भी कुछ चूक हुई!टिकट के दावेदार उम्मीदवारों के बारे में जानकारियां जुटाकर बनाई गई रिपोर्ट भी ठीक नहीं रही! इससे कई सीटों पर योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर कमजोर प्रत्याशियों को टिकट मिला!


गाजियाबाद की पेपर रोल फैक्ट्री में आग

गाजियाबाद में पेपर रोल फैक्ट्री में भीषण आग


अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद! साहिबाबाद इंड्रस्ट्रियल इलाके में भीषण आग लग गई है! आग एक पेपर रोल फैक्ट्री में लगी है, जिसमें लाखों की संपत्ति जलकर राख होने की आशंका है! आग को बुझाने के लिए दमलकल की कई गाड़ियां मौके पर पहुंच गई हैं! दमकल विभाग लगातार आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है. पेपर रोल रखे जाने की वजह से आग बुझाने में मुश्किलें आ रही हैं! आग इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि नोएडा से दमकल विभाग की गाड़ियां बुलाई जा रही हैं!


गाजियाबाद में आग के लिहाज से संवेदनशील इलाका है! गाजियाबाद स्थित सेल्स टैक्स ऑफिस की तीसरी मंजिल में 20 जुलाई को भयंकर आग लग गई थी! बताया जा रहा है कि आग लगने से ऑफिस स्थित खण्ड 15 व 16 के महत्वपूर्ण रिकॉर्ड जल गए! सेल्स टैक्स ऑफिस के पास ही जिलाधिकारी कार्यालय है. आग लगने के बाद भगदड़ मच गई! आग की लपटे निकलती देख आनन-फानन में लोगों ने स्थानीय पुलिस और दमकल विभाग को सूचित किया! सूचना पर मौके पर पहुंची दमकल विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया! हालांकि, तब तक सेल्स टैक्स विभाग के खंड 15 और 16 के रिकॉर्ड जलकर राख हो गए थे!


बता दें कि आग लगने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है! पुलिस आग लगने के कारणों की जांच कर रही है! वहीं, सेल्स टैक्स ऑफिस में आग लगने से कई सवालिया निशान उठने शुरू हो गए हैं! साथ ही विभाग में आग से बचाव के इंतजामों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं!


रुका हुआ धन प्राप्त हो सकता है:कन्या

राशिफल


मेष:चंद्रमा का संचार आज देर रात तक शुक्र की राशि तुला में होगा। इस राशि से जाते हुए चंद्रमा अक्टूबर के अंतिम मंगलवार को कई राशियों के लिए मंगलकारी बना रहा है। आज आपका दिन कैसा रहने वाला है!


मेष:राशि वाले आज काफी सक्रिय रहेंगे। कार्यक्षेत्र में प्रगति होगी। दिन आनंद पूर्वक बीतेगा। मान-सम्मान में वृद्धि होगी। जीवनसाथी से पूर्ण सहयोग मिलेगा। शुभ चिंतकों की सलाह पर ध्यान देना चाहिए। सलाह है कि अति उत्साह में सेहत की अनदेखी ना करें।


वृषभ:सगे संबंधियों से मुलाकात हो सकती है। दिन उत्सव और आनंद में बीतेगा। शत्रुओं पर विजय कर पाएंगे। अधूरे कार्य संपन्न होंगे। कोई शुभ सूचना मन को प्रसन्न रखेगी। वैवाहिक जीवन में काफी रोमांटिक नजर आएंगे। बच्चों से खुशी मिलेगी।


मिथुन:आज साहित्य एवं कला में आपकी रुचि रहेगी। लेखक और कलाकार को अपने क्षेत्र में कुछ अलग और बेहतर कर सकते हैं। मन में कल्पना की तरंगे उठेंगी। रोमांटिक मूड में रहेंगे। लोगों से विभिन्न विषयों पर चर्चा होगी। आपका सम्मान और महत्व बढ़ेगा। 


कर्क:मन अशांत रहेगा। आपकी मनःस्थिति नकारात्मकता की ओर प्रेरित करेगी। मन में उलटे-सीधे विचार आएंगे। परिवार में आपसी तालमेल और सहयोग का अभाव हो सकता है। मन को सबल रखें। हो सके तो आज कम बोलें और ज्यादा सुनें। 


सिंह:नींद अच्छी आएगी। मानसिक रूप से आज आप बहुत हल्कापन महसूस करेंगे। आपके मन पर छाए हुए चिंता के बादल हटने से आपके उत्साह में वृद्धि होगी। शॉपिंग कर सकते हैं, अपनों से मेल-मुलाकात होगी। यात्रा का योग है।


कन्या:स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। आज रुका हुआ धन आपको प्राप्त हो सकता है। धन निवेश के लिए दिन लाभकारी है। स्वयं पर विश्वास रखकर ही आज कार्यों को क्रियान्वित करें। खान-पान के मामले में संयम रखें। सामाजिक जीवन में सक्रिय रह सकते हैं। यात्रा हो सकती है। 


तुला:आज आपका दिन अनुकूल रहेगा। बीमार लोगों की सेहत में सुधार होगा। सुबह से ही आप सक्रिय रहेंगे और काम को समय पर पूरा कर लेंगे। पारिवारिक जीवन में प्रेम और आपसी सहयोग बढ़ेगा। दोपहर के बाद अधिक आनंदित और उत्साहित रहेंगे। यात्रा हो सकती है।


वृश्चिक:स्वास्थ्य आज नरम रह सकता है। सुस्ती रहेगी खान-पान का ध्यान रखें। दूसरों के मामले में हस्तक्षेप से बचें क्योंकि आज किसी का भला करने के चक्कर में आप खुद परेशानी में आ सकते हैं। पैसों की लेन-देन से दूर रहें। 


धनु:दिन विशेष लाभदायी है। निवेश, व्यापार, नौकरी, शिक्षा सभी क्षेत्रों में आज लाभ के संकेत हैं। सभी कार्य समय से पूरे होंगे। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। मान-प्रतिष्ठा का लाभ मिलेगा। मित्रों और शुभचिंतकों से संवाद होगा, कोई अच्छी खबर मिलेगी!


मकर:आप आज हर काम सरलता से संपन्न कर पाएंगे। नौकरी में आपके उच्च अधिकारी खुश रहेंगे। कार्य की व्यस्तता रहेगी एवं स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। पारिवारिक जीवन भी आज आनंद में बीतेगा। कोई उपहार भी मिल सकता है। 


कुंभ:भाग्य का साथ मिलेगा। पूर्वनिर्धारित कार्यों को पूरा करने में सफल होंगे। धार्मिक एवं मांगलिक कार्यो में व्यस्त रहेंगे। परिवार संग खान-पान का आयोजन हो सकता है। मित्रों और सहकर्मियों के सहयोग से मिलेगा। 


मीन:आज का दिन संयम और शांति से गुजारें। किसी नए काम को शुरू करने के लिए दिन उचित नहीं है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वाहन सावधानीपूर्वक चलाएं। दूसरों के मामलों से दूर रहना बेहतर होगा। कार्यक्षेत्र में स्थिति सामान्य रहेगी।


क्या विलुप्त हो जाएगा भघीरा

जगुआर बिल्ली परिवार का तीसरा सबसे बड़ा सदस्य है। केवल सिंह और बाघ उससे बड़े होते हैं। लेकिन इस छोटे पैरोंवाले गठीले जानवार में सिंह या बाघ से भी अधिक ताकत होती है। वह अपने बड़े-बड़े रदनक दंतों और मजबूत जबड़ों से कठोर-से-कठोर हड्डी को भी काट सकता है और कछुओं की मोटी-से-मोटी खोल को भी भेद सकता है।


जगुआर मध्य एवं दक्षिण अमरीका के वर्षावनों और दलदली मैदानों में रहता है। पहले वह पूरे उत्तरी अमरीका के गरम इलाकों में भी पाया जाता था, लेकिन अब वह उत्तरी अमरीका में केवल मेक्सिको के कुछ भागों में मिलता है।


एक वयस्क जगुआर 2 मीटर (7 फुट से अधिक) लंबा, 60 सेंटीमीटर (2 फुट) ऊंचा और 100 किलो भारी होता है। उसकी खाल चमकीली पीली होती है, जिस पर चिकत्तियों के बड़े-बड़े गोल निशान बने होते हैं। पूर्णतः काला जगुआर भी कभी-कभी देखने में आता है। जगुआर का सिर और शरीर बड़ा और कसा हुआ होता है। पैर छोटे पर खूब मोटे और मजबूत होते हैं। यद्यपि वह काफी खूंखार जीव है, मनुष्यों पर वह बहुत कम हमला करता है।


जगुआर और तेंदुए के शरीर पर लगभग समान निशान बने होते हैं, पर जगुआर के शरीर के निशान अधिक बड़े और कम संख्या में होते हैं। जगुआर के निशानों के बीच में भी चिकत्तियां होती हैं। तेंदुए में ऐसा नहीं होता है। इन दोनों बिडालों की शारीरिक गठन भी अलग प्रकार की होती है। जगुआर अधिक गठीला और बड़ा होता है। उसके पैर छोटे होते हैं। जगुआर का चेहरा चौकोर होता है, जबकि तेंदुए का गोल।


दिन हो या रात, जमीन हो या जल, जगुआर हर समय और हर जगह शिकार कर सकता है। वह दौड़ने, कूदने, तैरने और पेड़ चढ़ने में उस्ताद है। जगुआर के पसंदीदा शिकारों में पेक्कारी (सूअर के समान दिखनेवाले जानवर) और कैपीबेरा (चूहे के वर्ग का पर 50 किलो वजन का जानवर) शामिल हैं। वह हिरण, बंदर, कैमन (मगरमच्छ जैसा जीव), चींटीखोर, पक्षी, छिपकली, सांप और कछुओं को भी खाता है। अन्य बिल्लियों के विपरीत जगुआर सरीसृप वर्ग के प्राणियों को बड़े चाव से खाता है। लगभग 500 साल पहले मनुष्यों द्वारा दक्षिण अमरीका लाई गई गाय-भैंस भी अब इस खूंखार जानवर की आहार सूची में शामिल हो गई हैं।


जगुआर पानी में जाकर भी खूब शिकार करता है। दरअसल वह नदियों, झीलों और दलदलों से कभी दूर नहीं रहता। वह लंबी दूरी तक तैर सकता है और चौड़ी-से-चौड़ी नदियों को भी तैरकर पार करता है। कई बार पानी में बैठे हुए कैपिबेरा और कैमनों को पकड़ने के लिए वह पानी में सीधे छलांग लगा देता है।


ज्यादातर वह रात को ही शिकार करता है। हालांकि वह बड़े जानवरों को आसानी से मार सकता है, लेकिन आमतौर पर वह छिपकली, सांप, कछुए, पक्षी आदि छोटे जीवों का ही शिकार करता है। सिंह, बाघ, तेंदुआ आदि शिकार को मारने के लिए उसकी गर्दन को काटते हैं, लेकिन जगुआर उसके सिर को काटता है। छोटे जीवों को वह आगे के पंजों से थप्पड़ मारकर वश में करता है। कई बार वह जमीन से छलांग लगाकर पेडों की डालियों पर बैठे बंदरों को पकड़ लेता है।


जगुआर साल भर प्रजनन करता है। वह एकांतवासी जीव है। केवल मैथुन के लिए नर और मादा मिलते हैं। उसके बाद मादा नर से दूर चली जाती है। लगभग तीन महीने बाद वह किसी गुफा या मांद में दो या चार शावकों को जन्म देती है। ये शावक जन्म के वक्त अंधे और लगभग एक किलो भारी होते हैं। लगभग तीन महीने का होने पर वे मां के साथ शिकार पर निकलने लगते हैं। वे दो साल तक मां के साथ ही रहते हैं और उसके बाद अपना अलग क्षेत्र बना लेते हैं। वन्य अवस्था में जगुआर की आयु लगभग 20 वर्ष होती है।


आजकल जगुआर बहुत कम दिखाई देते हैं। उनकी घटती संख्या का मुख्य कारण है पशुपालन, खनन और इमारती लकड़ी के लिए दक्षिण अमरीका के वर्षावनों का काटा जाना। जगुआर इन्हीं वनों में रहता है और उनके नष्ट हो जाने से वह भी विलुप्ति की ओर बढ़ता जा रहा है।


भारतीय ग्रे हॉर्नबिल

भारतीय ग्रे हॉर्नबिल (ऑकीसेरॉस बिरोस्ट्रिस ) एक साधारण हॉर्नबिल है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाती है। यह सर्वाधिक वानस्पतिक पक्षी है और आमतौर पर जोड़े में दिखायी पड़ती है। इनमे पूरे शरीर पर ग्रे रंग के रोयें होते हैं और इनके पेट का हिस्से हल्का ग्रे या फीके सफ़ेद रंग का होता है। इनके सिर का उभार काले या गहरे ग्रे रंग का होता है और शिरस्त्राण इस उभार के वक्रता बुंडू तक फैला होता है। अनेकों शहरों के ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाने वाली हॉर्नबिलों में से एक हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में ये विशाल वृक्ष युक्त मार्गों का उपभोग कर पाती हैं।इनकी आवाज़ कूकने जैसी जो कुछ-कुछ काली चील के समान होती है। इनकी उड़ान थोड़ी मुश्किल होती है और ये हवा में तैरने के साथ अपने फैले हुए पंखों को फड़फड़ाते हैं। ये छोटे समूहों या जोड़ों के रूप में पाए जाते हैं।


इनका प्रजनन काल अप्रैल से जून तक होता है और ये एक बार ऐ से पांच तक बिलकुल एक ही आकार एवम रूप के अंडे देती हैं। भारतीय ग्रे हॉर्नबिल आमतौर पर लम्बे पेड़ की कोटरों में अपना घोंसला बनाती है। अपनी आवश्यकतानुसार ये एक पहले से मौजूद कोटर या गड्ढे को और भी गहरा कर सकती हैं। मादा पक्षी पेड़ के कोटर में प्रवेश करती है और घोंसले के छेड़ को बंद कर देती है, मात्र एक छोटी से लम्बवत दरार छोड़ती है जिसका प्रयोग नर पक्षी उसे भोजन देने के लिए करता है। मादा पक्षी घोंसले के प्रवेश द्वार को अपने मलोत्सर्ग द्वारा बंद करती है।घोंसले के अन्दर आने पर मादा पक्षी अपने उड़न पंखों का निर्मोचन कर देती है और अण्डों को सेती है। जब मादा पक्षी के पंख पुनः विकसित होते हैं तो ठीक इसी समय उसके चूजे भी अंडे से बाहर आने की अवस्था में होते हैं और अंडा टूटकर खुल जाता है।


मुंबई के पास के एक घोंसले पर कियेगए अध्ययन से यह पता लगा कि वह फलदार पेड़ जिन पर यह रहती हैं उनके नाम स्ट्रेबलस एस्पर, कैन्सजेरा र्हीडी, कैरिसा कैरनडस, ग्रिविया टिलीएफोलिया, लैनिया कोरोमैन्डेलिका, फिक्स सप्प., स्टेरक्युलिया युरेंस और सेक्युरिनेगा ल्यूकोपाइरस है। ये प्रजाति गोंघा, बिच्छु, कीड़ों, छोटे पक्षियों (इन्हें गुलाब सदृश छल्ले वाले तोतों के चूजों को ले जाते हुए और संभवतः अपना शिकार बनाते हुए देखा गया है और सरीसृपों को अपना भोजन बनाने के लिए जानी जाती है ये थेवेतिया पेरुवियाना को अपने भोजन के रूप में खाने के लिए भी प्रसिद्द हैं जो अधिकांश रीढ़ धारियों के लिए विषाक्त माना जाता है।


यह प्रजाति लगभग पूर्णतया वानस्पतिक होती है और बहुत ही कम अवसरों पर भूमि पर आती है, जहां से वे गिरे हुए फल उठा सकें या धूल में नहा सकें!


डहेलिया की नई किस्में

डैलिया की नई किस्में बीज से पैदा की जाती हैं। डैलिया की जड़ें, जिनमें छोटी छोटी कलियाँ होती है, पौधों का रूप लेने की क्षमता रखती हैं। ये जड़ें छोटे छोटे टुकड़ों में इस प्रकार काटी जाती हैं कि हर टुकड़े में एक कली हो। इन टुकड़ों को जमीन में बोने पर, कलियों से नए पौधे निकलते हैं। कभी कभी इसके तने की कलम भी काटकर लगाई जाती है और उससे भी नए पौधे पैदा किए जाते हैं। डैलिया के पौधे अधिकतर खुली जगह तथा खादयुक्त, बलुई मिट्टी में भली भूंति विकसित होते हैं। अधिक शीत पड़ने पर इसके फुल मर जाते है। ऐसी दशा में इसकी जड़ें साफ करके दूसरे मौसम में बोने के लिये रख ली जाती है इसके पौधों पर कीड़े भी लगते हैं, जो संखिया के छिड़काव से मारे जाते हैं।


परिचय
यह उष्णकटिबन्धीय शीतोष्ण जलवायु में उगाया जाता है। डहेलिया के लिए सामान्य वर्षा वाली ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। शुष्क एवं गर्म जलवायु इसकी सफल खेती में बाधक मानी गई है। दूसरी ओर सर्दी और पाले से फसल को भारी क्षति पहुँचती है। इसके लिए खुली धूप वाली भूमि उत्तम रहती है फूल बड़े आकार के बनते हैं जो देखने में अत्यन्त आकर्षक होते है, जबकि छाया में उगे पौधों के फूल आकार में छोटे और आकर्षक लगते हैं।


डहेलिया की सफल खेती के लिए भूमि का चयन एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य है। डहेलिया के सुन्दर और बड़े आकार के फूल लेने के लिए उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट भूमि जिसका क्षारांक ६ हो, सर्वोत्तम रहती है। अधिक चिकनी और कम जल निकास वाली भूमि इसकी सफल खेती में बाधक मानी गई है, क्योंकि ऐसी भूमि में पौधों का समुचित विकास एवं बढ़वार नहीं हो पाती है। जिसके परिणामस्वरुप वांछित आकार-प्रकार व रंग-रूप वाले फूल नहीं मिल पाते हैं यदि किसी कारण चिकनी मिट्टी में इसकी खेती करनी पड़े, तो उस स्थिति में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद, चावल का छिलका और राख मिलाकर भूमि की संरचना में सुधार किया जा सकता है। प्रथम जुताई ट्रैक्टर या मिट्टी पलटने वाले हल से करने के उपरान्त कुछ दिनों के लिए खुली धूप में छोड़ दी जाती है। उसके बाद खेत में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद या पत्ती की खाद डालकर भली-भांति मिला कर सुविधानुसार पानी की नालियाँ और क्यारियाँ बनाई जाती हैं।


डहेलिया की प्रमुख प्रजातियों में भरी हुई पंखुरियों वाली प्रजातियों के लिए- डियाना ग्रिगोरी, हाल मार्क, लिटिल विल्लो, लिटिल मेरिआन, रोहण्डा, डब्ल्यू जे०एन०, विलियन जानसन, गोरडन लाक वुड, गिलिन प्लेस, विल्लो सरप्राइज, मार्टिल्स यैलो, लिस्मोरे पेग्गी तथा पेनेकोर्ड मेरियान विशेष रूप से जाने जाते हैं। छोटे आकार वाली प्रजातियों में एल्पन मरजोरी, डाउनलहम रायल, रेड एडमिरियल नेटी, विकटर डी, व्हाइट नेटी, ब्रुकसाइड डाइरड्रे, सी मिस, कोइनोनिया लोकप्रिय हैं। गोलाकार प्रजातियों में कनोरा फायर बाल, एल एन क्रेसे, डीप साउथ, वोटन क्यूपिड, पीटर नेल्सन, क्रीचटन हनी, सीनियर बाल, विस्टा, रस्कीन जीप्सी, स्नोहो टैम्पी, एल्टैमीर चैरी, फीओना स्टीवार्ट श्रेष्ठ समझे जाते हैं और भारतीय प्रजातियों में स्वामी विद्यानंद, ज्योत्सना, लार्ड बुद्धा, भिक्कुस मदर, स्वामी लोकेशवरानंद, डा बी०पी० पाल, ब्रोदर सम्पिलीसियस श्रेष्ठ हैं।


'बोनसाई' मतलब बोने पौधे

बोनसाई का मतलब है "बौने पौधे"। यह काष्ठीय पौधों को लघु आकार किन्तु आकर्षक रूप प्रदान करने की एक जापानी कला या तकनीक है। इन लघुकृत पौधों को गमलों में उगाया जा सकता है। इस कला के अन्तर्गत पौधों को सुन्दर आकार देना, सींचने की विशिष्ट विधि तथा एक गमले से निकालकर दूसरे गमले में रोपित करने की विधिया शामिल हैं। इन बौने पौधों को समूह में रखकर घर को एक हरी-भरी बगिया बनाया जा सकता है। बोनसाई पौधों को गमले में इस प्रकार उगाया जाता है कि उनका प्राकृतिक रूप तो बना रहे लेकिन वे आकार में बौने रह जाएं। बोनसाई को पूरे घर में कहीं भी रखा जा सकता है।


'बोनसाई' शब्द मूल चीनी शब्द पेन्जाई (盆栽) का जापानी उच्चारण है। 'बोन' उस पात्र को कहते हैं जिसमें ये पौधे प्राय: उगाये जाते हैं। यह ट्रे के आकार का होता है।


बोनसाई बनाना 
बोनसाई की शैलियाँ:-जापान के बोनसाई विशेषज्ञों के अनुसार बोनसाई को लगभग तेरह तरह से उगाया जा सकता है।


1. सीधे वृक्ष: इसमें तने सीधे ऊपर की ओर पतले, मुख्य तने में चारों ओर की शाखाएं तने से 90 डिग्री का कोण बनाते हुए ऊपर बढ़ती हैं। चीड़, सिल्वर ओक, फर आदि के लिए यह शैली उपयुक्त है।


2. दो तने वाले वृक्ष: पौधों में मिट्टी की सतह से ही प्रति वृक्ष के दो तने बढ़ने दिए जाते हैं। तनों की ऊंचाई अलग-अलग होती है। इसे जापानी भाषा में सोकन कहते हैं।


3. अनेक तने वाले वृक्ष: एक जड़ से 6 या अधिक तने ऊपर सीधे बढ़ने दिए जाते हैं।


4. सिनुअस: अनेक तने विकसित होने दिए जाते हैं।


5. तिरछा बोनसाई: मुख्य तना जमीन से 45 डिग्री कोण पर झुका हुआ सीधा बढ़ता है।


6. ब्रूम: तना सीधा पर मध्य तने से निकलने वाली दूसरी शाखाएं केवल दो विपरीत दिशाओं में बढ़ने दी जाती हैं। इससे वृक्ष का रूप पंखे के समान हो जाता है।


7. खुली जड़ वाले वृक्ष: तना जमीन की सतह से 90 डिग्री या 45 डिग्री के कोण पर ऊपर की ओर बढ़ता है, साथ ही जड़ें भी मिट्टी के ऊपर बढ़ती हुई दिखाई देती हैं। इस शैली में पौधा लगाते समय पौधे की जड़ों को मिट्टी के अंदर ना डालकर ऊपर की ओर खुला रखकर चारों ओर बालू रख देते हैं।


8. कैस्केड: मुख्य तने को आधा झुका दिया जाता है। इसे गमले के पैंदे से नीचे तक झुकाया जाता है।


9. इकाडा वृक्ष: मुख्य तने को मिट्टी की सतह तक झुकाकर दो-तीन स्थानों पर शाखाओं को विकसित होने दिया जाता है।


10. विण्ड स्वेप्ट: वृक्ष भूमि की सतह से 90 डिग्री कोण का निर्माण करता है और साथ ही मुख्य तने से निकलने वाली शाखाओं को एक ही दिशा में बढ़ने दिया जाता है ताकि ऎसा प्रतीत हो कि शाखाएं वायु के झौके से प्रभावित हो गई हैं।


11. वृक्ष समूह: एक गमले में अनेक वृक्ष उगाए जाते हैं। इसके लिए चपटे, उथले व बड़े गमले प्रयोग में लाए जाते हैं।


12. लहराता बोनसाई: एक या दो मुख्य शाखाएं गमले की मिट्टी की सतह से तिरछी निकली हुई होती हैं।


13. चट्टानी बोनसाई: गमले की मिट्टी की सतह पर पुराने पत्थर अथवा चट्टान के टुकड़े रख दिए जाते हैं ताकि उन पर वृक्ष की जड़ें फैल जाएं।


बंद गोभी की 500 जातियां

बंद गोभी (पात गोभी या करमकल्ला ; अंग्रेजी : कैबेज) एक प्रकार का शाक (सब्जी) है, जिसमें केवल कोमल पत्तों का बँधा हुआ संपुट होता है। इसे बंदगोभी और पातगोभी भी कहते हैं। यह जंगली करमकल्ले (ब्रेसिका ओलेरेसिया, Brassica oleracea) से विकसित किया गया है। शाक के लिए उगाया जानेवाला करमकल्ला मूल प्रारूप से बहुत भिन्न हो गया, यद्यपि फूल और बीज में विशेष अंतर नहीं पड़ा है!


करमकल्ले के लिए पानी और ठंडे वातावरण की आवश्यकता है। इसको खाद भी खूब चाहिए। बीच में दो चार दिन गर्मी पड़ जाने से भी करमकल्ले का संपुट अच्छा नहीं बन पाता। संपुट बनने के बदले इसमें से शाखाएँ निकल पड़ती हैं, जिनमें फूल तथा बीज उगने लगते हैं। करमकल्ला पाला नहीं सहन कर सकता। पाले से यह मर जाता है। यद्यपि ऋतु ठंडी होनी चाहिए, तो भी करमकल्ले के पौधों को दिन में धूप मिलना आवश्यक है। छाँह में अच्छे पौधे नहीं उगते।


जैसा ऊपर कहा गया है, करमकल्ले के लिए खूब खाद चाहिए, परंतु किसी विशेष प्रकार की खाद की आवश्यकता नहीं है; यहाँ तक कि ताजे गोबर से भी यह काम चला लेता है, किंतु सड़ा गोबर और रासायनिक खाद इसके लिए अधिक उपयोगी है। अन्य पौधों में अधिक खाद देने से फूल अथवा फल देर में तैयार होते हैं। इसके विपरीत करमकल्ला अधिक खाद पाने पर कम समय में ही खाने योग्य हो जाता है। पानी में थोड़ी भी कमी होने से पौधा मुरझाने लगता है और उसकी वृद्धि रुक जाती है। पर इसकी जड़ में पानी लगने से पौध सड़ने लगता है। भूमि से पानी की निकासी अच्छी होनी चाहिए। जिसमें पानी जड़ों के पास एकत्र न होने पाए। भूमि दोरसी हो, अर्थात् उसमें चिकनी मिट्टी की भाँति बँधने की प्रवृत्ति न हो। जो भूमि पानी मिलने के पश्चात् बँधकर कड़ी हो जाती है वह करमकल्ले के लिए उपयुक्त नहीं होती। मिट्टी कुछ बलुई हो। इतने पर भी भूमि की गुड़ाई बार-बार करनी चाहिए, परंतु गुड़ाई इतनी गहरी न की जाए जड़ ही कट जाए।


करमकल्ले की गई जातियाँ हैं। कुछ तो लगभग तीन महीने में तैयार हो जाती हें और कुछ के तैयार होने में छह महीने तक समय लग सकता है। भारत के मैदानों के लिए शीघ्र तैयार होनेवाली जातियाँ ही उपयुक्त होती हैं, क्योंकि यहाँ जाड़ा अधिक दिनों तक नहीं पड़ता। आकृतियों में भी बहुत अंतर होता है। कुछ का पत्ता इतना छोटा और सिर इतना चपटा रहता है कि वे भूमि पर बिठे हुए जान पड़ते हैं। कुछ के तने १६ से २० इंच तक लंबे होते हैं। इनका सिर गोल, अंडाकार या शंक्वाकार हो सकता है। पत्तियों का रंग पिलछाँव, हरा, धानी (गाढ़ा हरा), अथवा इतना गहरा लाल होता है कि वे काली दिखाई पड़ती हैं। भारत के मैदानों में हलके रंग के करमकल्ले ही उगाए जाते हैं। कुछ के पत्ते चिकने और कुछ के झालरदार होते हैं। अमरीका के बीज बेचनेवाले पाँच सौ से अधिक जातियों के बीज बेचते हैं।


राम का राष्ट्रवाद उपदेश

गतांक से...
 जब राजा इस प्रकार का बन जाता है, तो प्रजा में संग्रह की प्रवृत्ति मानो समाप्त हो जाती है! वितरण प्रणाली पवित्र बन जाती है! जब वितरण प्रणाली पवित्र बन जाती है तो मानो राजा के राष्ट्र में रक्त भरी क्रांति कहां से आएगी? तो भगवान राम की उपदेश मंजरी प्रारंभ रहती थी! तो देखो सुबाहु राजा ने यह वाक्य स्वीकार कर लिया और चरणों की वंदना की! प्रभु वाक्य में यथार्थ है! परंतु मैं क्या करूं? जाओ तुम सबसे पहले धर्म के नाम पर रूढ़ि समाप्त करो! राजा एकाकी धर्म वाला रहना चाहिए! परमात्मा सर्वज्ञ है, परमात्मा सर्वशक्तिमान रहता है, सबके हृदय में वास करने वाला है! उस परमपिता को स्वीकार करते हुए नाना रूढियों में समाज नहीं रहना चाहिए! विद्यालयों में तपे हुए आचार्य होनी चाहिए! रूडी का निराकरण विद्यालय में हुआ करता है! तुम्हारे विद्यालय में जब तपे हुए आचार्य होंगे तो मानो ब्रह्मचारी उसके अनुसार बरतने वाले होंगे, तो रूढिया विद्यालयों में समाप्त होती है और जब रूढि विद्यालय में नहीं रहेगी तो देखो राजा के राष्ट्र में भी नहीं रहेगी और राजा के राष्ट्र में नहीं रहेगी तो प्रजा में नहीं रहेगी! क्योंकि विद्यालयों में यज्ञ करना, प्रातः कालीन अपनी क्रियाओं से निवृत्त होकर के, यज्ञ करना उसके ऊपर वेद के मंत्रों का भावार्थ करना, मानव देखो उसके अनुकूल, हमें अपने विचारों को बनाना है और बना करके अगर धन्य बनना है, अगर नियत बनना है! मेरे पुत्रों यह कार्य करना है तो राष्ट्र की प्रतिभा ऊंची बनेगी! मुनिवर देखो, राजा ने स्वीकार कर लिया राम को धन्यवाद देकर के, उनके चरणों की वंदना करके, उन्होंने वहां से गमन किया! बेटा उच्चारण करने का हमारा अभिप्राय क्या है? देखो तुम्हें यह वाक्य प्रकट कर रहे हैं कि हमारे जीवन में एकीकरण होना चाहिए! नाना रूढ़िया नहीं होनी चाहिए! जैसे मुझे मेरे प्यारे महानंद जी ने प्रकट कराई थी कई काल में, उनके लिए आज इतना समय आज्ञा नहीं दे रहा है! क्योंकि भगवान राम के जीवन को विद्यालयों से लेकर अंत तक की झलकियां आती है! उनका वही क्रियाकलाप प्रारंभ रहता है, दृष्टिपात आता है! आज का हमारा यह वाक्य कह रहा है कि हम परमपिता परमात्मा की आराधना करते हुए यज्ञ में रत रहते हुए, अपने जीवन को ऊंचा बनाते चले जाएं! मान-अपमान वाले सागर से पार हो जाए! बेटा आज का वाक्य समय मिलेगा ये चर्चा करेंगे! आज के वाक्य देखो वह परमपिता परमात्मा है, आदरणीय है और उसको जो भी मान लेता है उसी को प्राप्त हो जाता है! देखो चाहे राष्ट्र समाज हो, योगेश्वर हो, परंतु इनकी चर्चा तो मैं कल करूंगा, आज का वाक्य समाप्त होता है! अब वेदो का पठन पाठन होगा!


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


October 30, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-87 (साल-01)
2. बुधवार ,30 अक्टूबर 2019
3. शक-1941, कार्तिक-शुक्ल पक्ष, तिथि-तीज, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:23,सूर्यास्त 05:53
5. न्‍यूनतम तापमान -20 डी.सै.,अधिकतम-29+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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