सोमवार, 28 अक्तूबर 2019

'खाकी' पर छूट भैयों का रौब गालिब

देहरादून। पुलिस की नौकरी का एक जमाने मे इकबाल था, खाकी का ऐसा रौब था कि, अच्छे-अच्छे लोग खाकी को देख भर लेने से हो जाते थे, खामोश। मगर समय के साथ-साथ पुलिस के इकबाल में आ चुकी है भारी गिरावट। क्योंकि छोटे कर्मचारी अब मानने लगे हैं कि प्रभावी कानूनी कार्रवाई करने का प्रयास किया तो उसे लाइन हाजिर या ससपेंड होकर इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। अब तो छुटभैये नेता भी क्या कोतवाल, क्या सीओ और क्या कप्तान सबको चुटकी बजाते हुए हटवाने का भरने लगे हैं दम।


उत्तराखंड बनने के बाद कुछ छुटभैये इतने बेलगाम हो गए हैं कि, वो पुलिस पर न केवल हावी होना चाहते हैं। बल्कि पुलिस को अपना गुलाम बनाने पर आतुर हैं। ऐसे ही एक छुटभैये हैं, कुर्सी पाकर हो गए हैं बेलगाम। अपने पद का फायदा उठाकर अपने अधिनिस्थों से मारपीट तक करवा देते हैं, और दूसरे पक्ष को इतना धुनवा देते हैं कि, उसकी जान पर बन आये और छुटभैये नेता जी की नाक इतने पर भी बड़ी नहीं होती। मारपीट के दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई छुटभैये नेताजी को रास नहीं आती।छुटभैये जी कुर्सी के नशे में कितने मदहोश हैं, इसकी बानगी इससे समझिए कि, वो कार्रवाई के विरोध में पुलिस के खिलाफ थाने के सामने अपने कारिन्दों और कुछ चाटूकारों को भेजकर न केवल पुलिस की कानूनी कार्रवाई का मखोल उड़वाते हैं, बल्कि उसकी शह पाकर उसके कारिन्दे न केवल क्षेत्रीय पुलिस बल्कि आला अधिकारियों तक के लिए अमर्यादित शब्दों का खुलेआम प्रयोग पुलिसकर्मियों के सामने करने से भी गुरेज नहीं करते।


तो साहब क्षेत्र में चल रही चर्चा भी सुन लीजिए। छुटभैये ने पूरे क्षेत्र में एक हवा बना रखी है कि, खाकी के एक बहुत बड़े साहब का आजकल वो सखा बन चुका है। उसी ताकत और दोस्ती के नशे में चूर होकर वह अपने क्षेत्र में मनमानी करने को आतुर है। उसकी चाहत सिर्फ यंही नहीं रुकी वो चाहता है कि, क्षेत्र पुलिस के लिए उसका हर आदेश पत्थर की लकीर हो चाहे वह गलत ही क्यों न हो? साथ ही हिंदी पिक्चरों को देखकर वो इतना पगला चुका है कि, चाहता है कि, पुलिस उसकी ड्योढ़ी पर जाकर उसे सुबह-शाम सलाम करे। ऐसा सपना पूरा न होने के चलते उसने क्षेत्र की पुलिस को मान लिया है अपना दुश्मन, अब वो किसी भी तरह साम-दाम या दण्ड से क्षेत्र की पुलिस को बदलवाने में जुटा है। उसने पूरे क्षेत्र में खबर फैला दी है कि, वह महीने भर के भीतर क्षेत्र की पुलिस को बदलवाकर अपने मन मुताबिक पुलिस को लाएगा।


डिपो निर्माण में चल रहा है झोल

कौशाम्बी। जनपद बनने के 22 वर्ष बाद भाजपा की योगी सरकार ने जनपद मुख्यालय मंझनपुर में रोडवेज बस स्टाप डिपो वर्कशाप के निर्माण की मंजूरी दी है। इसके निर्माण के लिए 8 करोड 58 लाख की लागत स्वीकृत कर 3 करोड 58 लाख रूपये सरकार ने परिवहन विभाग को अवमुक्त कर दिया है। 23 दिसम्बर 2018 से शुरू हुए इस कार्य को 10 महीने बीत जाने के बाद भी 30 प्रतिशत भी कार्य पूरा नही हो सका है। जबकि कार्य पूर्ण होने की अवधि में पांच महीने से कम शेष है।


बता दें कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा के अर्न्तगत बस स्टेशन के निर्माण की कार्य पूर्ण होने की अवधि 20 मार्च 2020 रखी गयी है। सूबे के मुख्यमंत्री को गुमराह कर कार्यदायी संस्था के जिम्मेदारो ने शासन को यह रिर्पोट भेज दी है कि वर्कषाप का 70 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण हो चुका है जबकि यह सरासर गलत है। वही सिलेप और प्लास्टर के कार्य पूर्ण स्तर पर होने की रिर्पोट बीते सितम्बर माह में ही शासन को भेजी जा चुकी है।


जबकि कार्य पूर्ण होने के स्तर पर अभी नही है विभागीय रिर्पोट पर गौर करे तो बस स्टाप भवन बाउण्ड्री वाल 60 प्रतिशत पूर्ण है जबकि बाउण्ड्री वाल की सतह को सडक से नीचे रखकर सरकारी रकम डकारने की कोशिश की गयी है यदि सडक की ऊचाई से बाउण्ड्री वाल की स्वीकृत ऊचाई की नाप करायी जाये तो ठेकेदार की कलई खुलना तय है।


बस स्टाप का भवन के निर्माण का अभी 30 प्रतिशत भी कार्य नही पूर्ण हो सका है। टायलेट गार्ड रूम आदि को स्लेप स्तर पर रिर्पोट भेजी जा चुकी है। जबकि अभी जमीन समतल का कार्य तक ठेकेदार नही कर सके है। रोडवेज बस स्टाप के निर्माण में व्याप्त धांधली का आलम यह है कि प्रथम श्रेणी की ईट स्वीकृत होने के बावजूद तृतीय श्रेणी की पटसेम ईट लगाकर रोडवेज बस स्टाप के भवन और बाउण्ड्री वाल बनाये गये है। सीमेंन्ट बालू का अनुपात भी स्वीकृत योजना के विपरीत है!


दुकान में लगी आग,लाखों का कपड़ा खाक

धमतरी! रविवार की देर रात धमतरी जिले के कुरूद बस स्टैण्ड स्थित कपड़े की दुकान सिध्दि कलेक्शन में अचानक आग लग जाने से लाखों की क्षति हुई। घटना करीब रात के 1:30 बजे की बताई जा रही है, वही आग लगने की वजह साफ नही हो पाई है।


दरअसल, कुरूद के कपड़ा दुकान में आग की लपटें एवं तेज धुआं ऊपर उठाने के दौरान किसी की नजर पड़ी तो तब शोर शराबा सुनकर काफी संख्या में आसपास के लोग जमा हो गए और आग पर काबू पाने का प्रयास करने लगे लेकिन आग पर काबू नही पाया जा सका। बताया जा रहा है कि दुकान कुरूद निवासी चंदन साहू की जो रोज की भांति रात अपनी दुकान बंद कर घर चला गया था किसी ने चंदन साहू को दुकान में आग लगने की सूचना दे तब वह मौके पर पहुचे!


शिवसेना ने आलाकमान से लिखित मांगा

मुंबई ! हरियाणा में नाटकीय ढंग से सरकार के गठन के बाद अब महाराष्ट्र की राजनीति में उठापटक का दौर चल रहा है ।दिवाली के अगले दिन महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई है और इसी के साथ सत्ता को लेकर संघर्ष भी शुरू हो चुका है ।सोमवार सुबह शिवसेना और फिर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अलग-अलग राज्यपाल से मुलाक़ात की । शिवसेना नेता की मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए राजभवन पहुंचे।दोनों मुलाकातों की जानकारी खुद राज्यपाल भवन ने भी दी है, और इसे दिवाली के मौके पर औपचारिक मुलाकात बताया है।


50-50 फॉर्मूले पर अड़ी है शिवसेना ।


शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भाजपा आलाकमान को पत्र लिखकर लिखित में आश्वासन मांगा है। उनका कहना है कि वह 50-50 फॉर्मूले के तहत ढाई-ढाई साल के लिए सीएम पद के लिये भाजपा से लिखित में आश्वासन चाहते हैं ।हरियाणा में चौटाला को महत्वपूर्ण पद देने के बाद शिवसेना के नेता और समर्थक इस मांग को जायज भी ठहरा रहे हैं । चुनाव के पहले भाजपा को लगता था कि वह अपने दम पर बहुमत के लिये 145 सीटें जीत लेगी और उसे शिवसेना का साथ लेने की जरुरत नहीं पड़ेगी।


मगर नतीजे बीजेपी आकांक्षाओं के बिल्कुल विपरीत रहे हैं।राजनीतिक जानकारों के बीच में ऐसी चर्चा है कि फडणवीस को भाजपा विधायक दल का नेता चुनते ही वह सरकार बनाने का दावा पेश कर देंगे । फिर बेशक शिवसेना उसका समर्थन करे या ना करें।


जानकारों का मानना है कि ऐसे हालात में सरकार गठन में एनसीपी की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है । ऐसे में शरद पवार बीजेपी या शिवसेना में जिसके साथ खड़े हो जाएं तो सत्ता के सिंहासन पर उसका कब्जा हो सकता है ।


इसके बावजूद शरद पवार से लेकर एनसीपी के तमाम नेता सरकार बनाने से ज्यादा विपक्ष में बैठने को लेकर सहमत हैं । अब एनसीपी अगर अपने स्टैंड पर कायम रहती है तो शिवसेना से पास बीजेपी के साथ सरकार बनाने के सिवा कोई और विकल्प नहीं बचेगा । आपको बता दें कि महाराष्ट्र में जनता ने एक बार फिर शिवसेना-बीजेपी को बहुमत से चुना है । महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 161 सीटें, जबकि कांग्रेस-एनसीपी और इसके दूसरे सहयोगियों ने 117 सीटें जीतने में सफलता प्राप्त की है ।


दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना दुश्वार

दिवाली के बाद का हाल ,हापुड़ में सांस लेना हुआ दूभर, दिल्ली-नोएडा-मुरादाबाद में हालात खराब 


देव गुर्जर


दिल्ली-एनसीआर! दिवाली के अवसर पर रविवार शाम दिल्ली-एनसीआर के लोगों न जमकर आतिशबाजी की। इसका असर सोमवार सुबह दिल्ली की आबो-हवा पर दिखा। जहरीले धुंए और धूल के कणों ने यहां की हवा को अपने कब्जे में ले लिया। वहीं दूसरी ओर आर्थिक राजधानी मुंबई में प्रदूषण कम दिखा और यहां लोगों को सांस लेने में दिक्कत नहीं हुई।


दिल्ली में हर सांस जहरीली:-चलिए जानते हैं दिवाली के बाद दिल्ली की हवा का क्या हाल है। दिल्ली और नोएडा में हर सांस जहरीली है क्योंकि यहां सोमवार सुबह हवा में पॉल्यूटेंट (प्रदूषण कारक तत्व) का स्तर 306 और 356 रहा। वैसे बता दें कि पहले से ही माना जा रहा था कि दिवाली की अगली सुबह दिल्ली-NCR की हवा सांस लेने लायक नहीं होगी और यह खतरनाक स्तर तक पहुंच सकती है।


दिल्ली की हवा में प्रदूषक तत्वों की भरमार है, लेकिन ऐसा नहीं है कि यह सब पटाखों की वजह से ही है। आसपास के इलाकों में पराली का जलना, वाहनों से निकलने वाला धुआं और विनिर्माण कार्यों से हवा में फैलने वाले धूल के कण भी यहां की हवा को प्रदूषित करते हैं।


एयर क्वालिटी इंडेक्स डाटा की बात करें तो मुंबई के हाजी अली इलाके में पीएम 2.5 सिर्फ 32 और पीएम 10 भी 43 के स्तर पर रहा। बता दें कि यह स्तर सांस लेने के लिए अच्छी कैटेगरी में माना जाता है। हवा की क्वालिटी को इस तरह से समझा जा सकता है। हवा में पॉल्यूटेंट 1 से 100 तक स्तर को सांस लेने के लिए अच्छा माना जाता है, जबकि 101 से 200 तक मोड्रेट और 201 से 300 तक के स्तर को खराब माना जाता है। 301 से 400 तक बहुत खराब और 401 से ऊपर के स्तर को खतरनाक की श्रेणी में रखा जाता है।गुरुग्राम में भी हवा का स्तर खराब:-दिल्ली-एनसीआर के एक प्रमुख शहर गुरुग्राम में भी दिवाली के अवसर पर खूब आतिशबाजी हुई। यहां के ग्वाल पहाड़ी इलाके में प्रदूषण का स्तर 279 दर्ज किया गया। बता दें कि सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वैदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने शनिवार को ही आशंका जतायी थी कि दिवाली के बाद दिल्ली और आसपास के इलाकों में हवा में प्रदूषण का स्तर 324 के खतरनाक स्तर तक पहुंच सकता है।


हापुड़ की हवा में सिर्फ जहर:-हवा के खराब स्तर की बात करें तो दिल्ली के करीब हापुड़ इस मामले में सबसे खराब रहा। यहां पर हवा में पॉल्यूटेंट का स्तर 657 तक पहुंच गया, जबकि उत्तर प्रदेश के ही मुरादाबाद में हवा में प्रदूषत तत्वों का स्तर 340 दर्ज किया गया। दूसरी तरफ मुंबई के मरीन ड्राइव का यह दृष्य देखें, यहां सब कुछ साफ-साफ नजर आ रहा है। ऐसा नहीं है कि मुंबई में लोगों ने दिवाली नहीं मनाई, लेकिन यहां की हवा का स्तर अच्छा दर्ज किया गया है!


प्रदूषण से निजात दिलाने की कोशिश:-प्रदूषण है तो उससे निजात दिलाने की कोशिशें भी जारी हैं। पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने लक्ष्मी नगर इलाके में यहां की सड़कों पर टैंकर से पानी का छिड़काव किया। निगम की गाड़ियां यहां पानी का छिड़काव करती हुई दिखाई दीं। प्रदूषण की वजह से दिल्ली-NCR के विभिन्न इलाकों में लोगों को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ा।ऑड-ईवन से कम होगा प्रदूषण:-बता दें कि 4 से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में ऑड-ईवन नियम लागू होने जा रहा है। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए यह पहल की है। बता दें कि इससे पहले भी पिछले वर्षों में प्रदूषण कम करने के लिए दो बार ऑड-ईवन नियम लागू किया गया था !


दिवाली में दिखा हिंदू-मुस्लिम सौहार्द

दीवाली पर दिखी हिन्दू मुस्लिम सौहार्द की बहारें
ख़िदमत ए अवाम युवा समिति के कार्यकर्ताओं ने मिलकर मनाया प्रकाश पर्व


गाज़ियाबाद,लोनी! प्रकाश पर्व दीवाली को लेकर महीनेभर से उत्साह रहता है और इसी बहाने सौहार्द के अलग-अलग रूप भी देखने को मिलते है ऐसा ही खास रूप लोनी गाज़ियाबाद से ऑटो यूनियन ख़िदमत ए अवाम युवा समिति जरिये देखने को मिला जहां समिति के भिन्न-भिन्न मजहब के पदाधिकारी,कार्यकर्ताओ ने इस कार्यक्रम को मिलकर विशेष बनाया।


समिति ऑटो यूनियन उपाध्यक्ष सतीश भारद्वाज ने बताया त्योहारों का असली मज़ा ही साथ मिल जुलकर मनाने में है चाहे वो ईद हो या दीपावली साथ ही उन्होंने बताया ऐसी कोशिशें नफ़रत और बंटवारे की सोच रखने वालों को कड़ी नसीहत भी देती है। ऑटो यूनियन महासचिव मौ रिज़वान ने कहा बेशक हमें इस खास कार्यक्रम और हमारे साथियों की मेहमानवाजी से बेहद खुशी मिली और हम अल्लाह से दुआ करते है हमारे मुल्क में इस त्यौहार की तरह ही रोशनी और मिठास बरकरार रहे।


इस मौके पर अध्यक्ष शानू खान, महासचिव मोहम्मद रिजवान, सचिव लक्ष्मीकांत शर्मा उर्फ पंडित जी, सचिव लुकमान खान, कार्यकारिणी सखावत अंसारी, कोषाध्यक्ष सदन सिद्दीकी, मीडिया प्रभारी असद जकीी आदि मौजूूूूद रहे!


पटाखों की दुकान में आग,तीन की मौत

कोंडागांव । कोंडागांव जिले के माकड़ी ब्लॉक में दीवाली की रात में एक फटाके की दुकान में आग लग जाने जाने से तीन  व्यक्तियों की आग में बुरी तरीके से झुलस जाने से मौके पर ही मृत्यु हो गयी ।


पूरा मामला यह है कि कोंडागांव जिले के माकड़ी ब्लाक के बाजार चौक में एक किराने की दुकान में दिवाली त्योहार के अवसर पर फटाकों का भी विक्रय किया जा रहा था। दुकानदार का नाम कासी सेन बताया गया है जो कि एक लाइसेंस धारी पटाखा विक्रेता है। दिवाली का अवसर होने की वजह से काशी सेन देर रात तक अपनी दुकान में पटाखों के साथ अन्य सामान का विक्रय कर रहे थे और उनके साथ अन्य दो व्यक्ति भी दुकान में उनका सहयोग कर रहें जिनका नाम  बलराम नेताम, निवासी बेलगाँव और शिवलाल श्रीमाली, निवासी माकड़ी का होना बताया गया।


ये तीनो आपस मे खास दोस्त थे जो हमेशा साथ मे रहते थे। तीनों साथ मे रात लगभग 10 बजे तक दुकान में सामानों के विक्रय में लगे थे और उसके बाद दुकान बंद करके दुकान के अंदर ही तीनों नशे का सेवन कर रहे थे कि अचानक रात लगभग 11.30 बजे दुकान में आग लग गयी और आग इतनी भड़क गई कि तीनों को बचने का मौका तक नही मिला और आग की लपटों ने तीनों को अपनी  चपेट में ले लिया और बुरी तरीके से जलने की वजह से तीनों दोस्तो की मौके पर ही एक साथ मौत हो गयी।


पुलिस मौके पर पर पहुंच कर मामले की जांच में जुट गई है। पूरा मामला संदिग्ध नजर आ रहा है। जांच पूरी होने के बाद ही हादसे की हकीकत सामने आ पाएगी।


3 दिन से बोरवेल में बच्चा, बचाव जारी

तिरुचिरापल्ली ! तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली स्थित नादुकट्टूपट्टी स्थित बोरवेल में गिरे साढ़े तीन साल के बच्चे को बचाने का अभियान आज रविवार को भी जारी है! प्रशासन के अभियान को उस समय झटका लगा जब बच्चा और गहराई में फिसल गया! फिल्‍हाल बताया जा रहा है कि बोरवेल में गिरे बच्चे सुजीत विल्सन के रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी हो रही है! क्योंकि बोरवेल के पास जहां ड्रिलिंग की जा रही है, वहां चट्टान है!


अधिकारियों ने बताया कि घर के पास खेलते हुए बच्चा शुक्रवार शाम को बोरवेल में गिर गया था! शुरुआत में वह 35 फुट की गहराई था, लेकिन बचाव अभियान शुरू होने के बाद बच्चा फिसल कर 70 फुट की गहराई में चला गया!
उन्होंने बताया कि शुक्रवार शाम साढ़े पांच बजे से लगातार बच्चे को ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है! अधिकारियों ने बताया कि बचाव अभियान में छह टीमों को लगाया गया है!
उन्होंने कहा, हमने लंबे समय तक बच्चे के रोने की आवाज सुनी, लेकिन अब वह सुनाई नहीं दे रही हैै! हमारा मानना है कि बच्चा सुरक्षित है और सांस ले रहा है! प्रशासन ने कहा कि वे बच्चे की हालत का आकलन नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उसके चारों ओर गिली मिट्टी की परत जमी हुई है!


राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की विशेषज्ञ टीम बचाव कार्य में लगी हुई है! घटनास्थल पर शुक्रवार रात से जमे राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सी विजयशंकर ने बताया कि बच्चों को बचाने के लिए सभी कोशिशें की जा रही है और अभियान में कोई कसर नहीं छोड़ेगी!


विजयशंकर ने कहा कि अगर बच्चा बेहोश भी होगा तो भी बचाया जाएगा! बच्चे को बचाने के लिए जारी अभियान के बीच द्रमुक एमके स्टालिन और एएमएमके नेता टीटीवी दिनाकरन सहित राज्य के लोग बच्चे की सलामती की दुआ मांग रहे! अधिकारियों ने बताया कि बच्चे को बचाने के लिए आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है!


मुक्त कश्मीर की कसक मेरे भीतर: मोदी

नई दिल्ली! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिवाली मनाने के लिए जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सेना के जवानों के बीच पहुंचे! इस दौरान पीएम मोदी ने वहां जवानों को मिठाई खिलाईं और दिवाली की बधाई दी! इसके बाद पीएम मोदी ने जवानों के शौर्य को याद करते हुए पाकिस्तान पर जमकर हमला बोला! उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पाकिस्तान ने हमसे कश्मीर छीनने की कोशिश की, लेकिन हमारे सैनिकों ने उसके मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया!
पीएम मोदी ने कहा कि पाकिस्तान ने अवैध रूप से कश्मीर के एक हिस्से पर कब्जा कर रखा है, जिसकी कसक मेरे अंदर है!
पीएम मोदी रविवार को राजौरी में आर्मी हेडक्वॉर्टर्स पहुंचे और उन्हें अचानक अपने बीच पाकर जवानों में काफी उत्साह देखा गया!
..लेकिन पाकिस्तान ने भारत की पीठ पर खंजर घोंपने की कोशिश की,उन्होंने जवानों को अपने हाथों से मिठाई खिलाई और देश की सुरक्षा में अदम्य साहस दिखाने पर देशवासियों की तरफ से आभार जताया! पीएम मोदी ने उस दिन कश्मीर का दौरा किया जब सेना 'इन्फेंट्री डे' मना रही है! उन्होंने पैदल सेना के शौर्य को याद करते हुए कहा, "आजादी के बाद जब दोनों देश अलग हुए, तो हमने पाकिस्तान से कहा कि वह अपनी राह चले और हम अपनी राह, लेकिन पाकिस्तान ने भारत की पीठ पर खंजर घोंपने की कोशिश कीी!"
पीएम मोदी ने आगे कहा, "उसने कश्मीर पर कब्जे के लिए षडयंत्र रचा, लेकिन हमारी पैदल सेना ने पाक के मंसूबों को चकनाचूर कर दिया! जम्मू-कश्मीर आज भारत का हिस्सा है, लेकिन कश्मीर का कुछ हिस्सा पाक के पास चला गया, जिसकी कसक हमारे दिलों में है!"
पीएम मोदी ने बडे़ फैसले करने का श्रेय जवानों को दिया
मोदी ने कहा कि जवानों के पराक्रम के कारण ही उनकी सरकार वे बड़े फैसले कर पाई जो असंभव माने जाते थे! मोदी एलओसी पर तैनात सैनिकों के साथ बातचीत करने के लिए सीधे सेना ब्रिगेड मुख्यालय पहुंचे! उनके साथ सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत भी थे! सेना की जैकेट पहने मोदी ने जवानों को दिवाली की शुभकामनाएं दीं और मिठाइयां बांटींं!
मोदी करीब दो घंटे तक वहां रहे और एलओसी की सुरक्षा में लगे जवानों से बातचीत की! करीब एक हजार जवानों की मौजूदगी में मोदी ने कहा कि भारतीय रक्षा बलों के पराक्रम के कारण ही ये संभव हो पाया कि केंद्र सरकार ने वो निर्णय लिए जो असंभव माने जाते थे! उनका इशारा सीमा के उस पार की गई सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विशेष दर्जे वाले प्रावधान को हटाने से जुड़े फैसले की ओर था!


सुप्रीम-कोर्ट के आदेश की उड़ी धज्जियां

नई दिल्ली ! दीपावली में हुई आतिशबाजी की वजह से दिल्ली सहित कई राज्यों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर रहा! सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं किया गया! उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए लोगों ने देर रात तक पटाखे फोड़े! कोर्ट ने आतिशबाजी के लिए दो घंटे की समय सीमा तय की थी! लेकिन देर रात तक पटाखे फोड़ने की वजह से हर तरफ धुएं के साथ ही पटाखे की गंध और बारुद के कण तैरते मिले! भिलाई सहित कई शहरों में देर रात तक हुई आतिशबाजी की वजह से विजिबिलिटी बेहद कम हो गई! बारुद का धुआं भरने से सड़क 20 मीटर तक ही नजर आ रही थी! हालांकि प्रदेश में प्रदूषण का स्तर क्या रहा, इसके आंकड़े अभी नहीं आए हैंं!


हवाई यात्रा की नामंजूरी, मंशा साफ

इस्लामाबाद! पाकिस्तान ने रविवार को दावा किया कि भारत ने अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब की यात्रा के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल की अनुमति मांगी थी जिसे नामंजूर कर दिया गया है! पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान ने भारत के उस अनुरोध को नामंजूर कर दिया है! जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब यात्रा के लिए उनके विमान को पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र से गुजरने देने की अनुमति मांगी गई थी!
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने मोदी के विमान के लिए 28 अक्टूबर को पाकिस्तान (Pakistan) के वायु क्षेत्र के इस्तेमाल की अनुमति मांगी थी! मोदी 29 अक्टूबर को होने वाले एक सम्मेलन में शिरकत के लिए सऊदी अरब जाने वाले हैं! पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए 28 अक्टूबर को सऊदी अरब जाएंगे!


रेडियो पाकिस्तान ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी ने अपने बयान में कहा कि 'यह फैसला मनाए जा रहे 'काला दिवस' और जम्मू-कश्मीर में लगातार जारी मानवाधिकार उल्लंघन के संदर्भ में लिया गया है!' गौरतलब है कि 27 अक्टूबर को पाकिस्तान में 'काला दिवस' मनाया गया! उसका कहना है कि 27 अक्टूबर 1947 को ही भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर को अपने 'कब्जे' में ले लिया था जिसकी याद में हर साल यह काला दिवस मनाया जाता है!


उल्‍लेखनीय है कि पिछले महीने पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री मोदी के विमान के अपने हवाई क्षेत्र से गुजरने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था! उस वक्त मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के लिए जा रहे थे! पाकिस्तान ने पिछले महीने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विमान को भी अपने हवाई क्षेत्र के इस्तेमाल की इजाजत देने से मना किया था! कोविंद आइसलैंड के दौरे पर गए थे!


मुस्लिम खूब बच्चे पैदा करें: बदरुद्दीन

दिल्ली! भाजपा सरकार ने असम में कानून लागू किया है कि जिनके दो से अधिक बच्चे हैं! उन्हें सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी! इसके खिलाफ ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने बयान दिया है!


अजमल ने कहा कि मुसलमानों को किसी की भी नहीं सुनना चाहिए और अपने मन मुताबिक बच्चे पैदा करने चाहिए क्योंकि हमें कोई सरकार कुछ भी नहीं देने जा रही है!


बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए अजमल ने कहा कि सरकार कोई भी कानून बना ले मुस्लिम समाज पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा! उन्होंने कहा कि मुस्लिम बच्चे पैदा करने के लिए जो भी बन पड़ेगा वो करेंगे क्योंकि मुस्लिम समाज में किसी को इस दुनिया में आने से रोकने का प्रावधान नहीं है!


कीमती वस्तुएं संभाल कर रखे:सिंह

राशिफल


मेष:--अनहोनी की आशंका रहेगी। शारीरिक कष्ट संभव है। विवेक से कार्य करें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। ऐश्वर्य के साधनों पर व्यय होगा। दुष्टजनों से दूरी बनाए रखें। विरोधी सक्रिय रहेंगे। दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। आय में वृद्धि होगी।



वृष:--पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। सही बात का भी विरोध होगा। भूमि व भवन इत्यादि की खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। लाभ में वृद्धि होगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। भाग्य का साथ मिलेगा। स्वास्थ्‍य कमजोर रहेगा।


मिथुन:--पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। मित्रों के साथ समय आनंद‍पूर्वक व्यतीत होगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। संगीत इत्यादि में रुचि रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। ईर्ष्यालु व्यक्तियों से सावधान रहें। पठन-पाठन के लिए किसी का मार्गदर्शन प्राप्त होगा।


कर्क:--शत्रु सक्रिय रहेंगे। किसी अपने ही व्यक्ति से विवाद हो सकता है। दु:खद समाचार मिल सकता है। पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है। भागदौड़ रहेगी। समय पर काम न होने से क्षोभ उत्पन्न होगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। धैर्य रखें।


सिंह:--कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। नौकरी में नई जिम्मेदारी मिल सकती है। पिछले समय में की गई मेहनत का फल मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। मित्रों व संबंधियों की सहायता कर पाएंगे। मान-सम्मान मिलेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रसन्नता रहेगी!


कन्या:--घर में अतिथियों का आगमन होगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। किसी बड़े कार्य को करने का मन बनेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। पार्टनरों से मतभेद हो सकते हैं। वाणी पर नियंत्रण रखें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा।


तुला:--अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। किसी मनोरंजक यात्रा का आयोजन हो सकता है। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। मित्रों व संबंधियों के साथ समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। व्यापार ठीक चलेगा।


वृश्चिक:-किसी अप्रत्याशित खर्च के सामने आने से तनाव बढ़ सकता है। व्यवस्था में मुश्किल होगी। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। आसपास का वातावरण मनोनुकूल नहीं रहेगा। पुराना रोग उभर सकता है। शत्रु शांत रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। धैर्य रखें।


धनु:--प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। थकान व कमजोरी रह सकती है। किसी आनंदायक यात्रा का कार्यक्रम बन सकता है। रुका हुआ धन वापस मिलने के योग हैं, भरपूर प्रयास करें। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। उत्साह व प्रसन्नता बने रहेंगे!


मकर:--नई योजना बनेगी। नए काम मिल सकते हैं, प्रयास करें। नए लोगों से संपर्क बनेगा। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। मित्रों तथा संबंधियों की सहायता कर पाएंगे। मान-सम्मान प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय होगी। प्रमाद न करें।


कुंभ:--किसी धार्मिक स्थान के दर्शन के लिए यात्रा हो सकती है। पूजा-पाठ में मन लगेगा। किसी प्रभावशाली व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त हो सकता है। चोट व रोग से स्वयं को बचाएं। वाणी पर नियंत्रण रखें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा।


मीन:--कोई पुराना रोग उभर सकता है। किसी अपने ही व्यक्ति से कहासुनी की आशंका है। स्वाभिमान को चोट पहुंच सकती है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यापार-व्यवसाय व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे।


पहाड़ी पुष्प 'पलाश'

पलास भारतबर्ष के सभी प्रदेशों और सभी स्थानों में पाया जाता है। पलास का वृक्ष मैदानों और जंगलों ही में नहीं, ४००० फुट ऊँची पहाड़ियों की चोटियों तक पर किसी न किसी रूप में अवश्य मिलता है। यह तीन रूपों में पाया जाता है—वृक्ष रूप में, क्षुप रूप में और लता रूप में। बगीचों में यह वृक्ष रूप में और जंगलों और पहाड़ों में अधिकतर क्षुप रूप में पाया जाता है। लता रूप में यह कम मिलता है। पत्ते, फूल और फल तीनों भेदों के समान ही होते हैं। वृक्ष बहुत ऊँचा नहीं होता, मझोले आकार का होता है। क्षुप झाड़ियों के रूप में अर्थात् एक स्थान पर पास पास बहुत से उगते हैं। पत्ते इसके गोल और बीच में कुछ नुकीले होते हैं जिनका रंग पीठ की ओर सफेद और सामने की ओर हरा होता है। पत्ते सीकों में निकलते हैं और एक में तीन तीन होते हैं। इसकी छाल मोटी और रेशेदार होती है। लकड़ी बड़ी टेढ़ी मेढ़ी होती है। कठिनाई से चार पाँच हाथ सीधी मिलती है। इसका फूल छोटा, अर्धचंद्राकार और गहरा लाल होता है। फूल को प्रायः टेसू कहते हैं और उसके गहरे लाल होने के कारण अन्य गहरी लाल वस्तुओं को 'लाल टेसू' कह देते हैं। फूल फागुन के अंत और चैत के आरंभ में लगते हैं। उस समय पत्ते तो सबके सब झड़ जाते हैं और पेड़ फूलों से लद जाता है जो देखने में बहुत ही भला मालूम होता है। फूल झड़ जाने पर चौड़ी चौ़ड़ी फलियाँ लगती है जिनमें गोल और चिपटे बीज होते हैं। फलियों को 'पलास पापड़ा' या 'पलास पापड़ी' और बीजों को 'पलास-बीज' कहते हैं।


पलास के पत्ते प्रायः पत्तल और दोने आदि के बनाने के काम आते हैं। राजस्थान और बंगाल में इनसे तंबाकू की बीड़ियाँ भी बनाते हैं। फूल और बीज ओषधिरूप में व्यवहृत होते हैं। वीज में पेट के कीड़े मारने का गुण विशेष रूप से है। फूल को उबालने से एक प्रकार का ललाई लिए हुए पीला रंगा भी निकलता है जिसका खासकर होली के अवसर पर व्यवहार किया जाता है। फली की बुकनी कर लेने से वह भी अबीर का काम देती है। छाल से एक प्रकार का रेशा निकलता है जिसको जहाज के पटरों की दरारों में भरकर भीतर पानी आने की रोक की जाती है। जड़ की छाल से जो रेशा निकलता है उसकी रस्सियाँ बटी जाती हैं। दरी और कागज भी इससे बनाया जाता है। इसकी पतली डालियों को उबालकर एक प्रकार का कत्था तैयार किया जाता है जो कुछ घटिया होता है और बंगाल में अधिक खाया जाता है। मोटी डालियों और तनों को जलाकर कोयला तैयार करते हैं। छाल पर बछने लगाने से एक प्रकार का गोंद भी निकलता है जिसको 'चुनियाँ गोंद' या पलास का गोंद कहते हैं। वैद्यक में इसके फूल को स्वादु, कड़वा, गरम, कसैला, वातवर्धक शीतज, चरपरा, मलरोधक तृषा, दाह, पित्त कफ, रुधिरविकार, कुष्ठ और मूत्रकृच्छ का नाशक; फल को रूखा, हलका गरम, पाक में चरपरा, कफ, वात, उदररोग, कृमि, कुष्ठ, गुल्म, प्रमेह, बवासीर और शूल का नाशक; बीज को स्तिग्ध, चरपरा गरम, कफ और कृमि का नाशक और गोंद को मलरोधक, ग्रहणी, मुखरोग, खाँसी और पसीने को दूर करनेवाला लिखा है।


यह वृक्ष हिंदुओं के पवित्र माने हुए वृक्षों में से हैं। इसका उल्लेख वेदों तक में मिलता है। श्रोत्रसूत्रों में कई यज्ञपात्रों के इसी की लकड़ी से बनाने की विधि है। गृह्वासूत्र के अनुसार उपनयन के समय में ब्राह्मणकुमार को इसी की लकड़ी का दंड ग्रहण करने की विधि है। वसंत में इसका पत्रहीन पर लाल फूलों से लदा हुआ वृक्ष अत्यंत नेत्रसुखद होता है। संस्कृत और हिंदी के कवियों ने इस समय के इसके सौंदर्य पर कितनी ही उत्तम उत्तम कल्पनाएँ की हैं। इसका फूल अत्यंत सुंदर तो होता है पर उसमें गंध नहीं होते। इस विशेषता पर भी बहुत सी उक्तियाँ कही गई हैं।


काला तीतर

पेंटेड फ़्रैंकोलिन (मराठी:काला तीतर) (Painted Francolin) (Francolinus pictus) फ़्रैंकोलिन जाति का एक पक्षी है जो मध्य और दक्षिणी भारत के घास के इलाकों में और दक्षिण-पूर्व श्रीलंका के निचले इलाकों में पाया जाता है। क्योंकि यह पक्षी हिन्दी भाषी प्रदेशों में नहीं पाया जाता है इसलिए इसका हिन्दी नाम भी नहीं है। लेकिन पश्चिमी तथा दक्षिणी भारतीय भाषाओं और सिंहला भाषा में इस पक्षी का नाम है। प्रजनन काल में यह पक्षी अपनी तेज़ आवाज़ के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है। यह काले तीतर की मादा से थोड़ा भिन्न दिखता है क्योंकि इसके गर्दन के किनारों में लाल रंग नहीं होता है। यह एक मध्यम आकार का पक्षी है जिसकी लंबाई तक़रीबन ३० से.मी. होती है और वज़न लगभग ३१० से ३७० ग्राम होता है। कई क्षेत्रों में यह अपना इलाका काले तीतर के साथ सांझा करता है और ऐसा मानना है कि कहीं-कहीं यह आपस में प्रजनन भी करते हैं।


अनियंत्रित प्रदूषण के प्रति सकारात्मकता

अनियंत्रित प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में सकारात्मक प्रयास उपयोग में लाने की आवश्यकता है  पर्यावरण अत्याधिक प्रदूषित होता जा रहा है! जिसका जन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है!


निवारणात्मक भूमिका:-इसका अर्थ है कि व्यावसायिक इकाईयाँ ऐसा कोई भी कदम न उठाए, जिससे पर्यावरण को और अधिक हानि हो। इसके लिए आवश्यक है कि व्यवसाय सरकार द्वारा लागू किए गए प्रदूषण नियंत्रण संबंधी सभी नियमों का पालन करे। मनुष्यों द्वारा किए जा रहे पर्यावरण प्रदूषण के नियंत्रण के लिए व्यावसायिक इकाईयों को आगे आना चाहिए।


उपचारात्मक भूमिका:-इसका अर्थ है कि व्यावसायिक इकाइयाँ पर्यावरण को पहुँची हानि को संशोध्ति करने या सुधरने में सहायता करें। साथ ही यदि प्रदूषण को नियंत्रित करना संभव न हो तो उसके निवारण के लिए उपचारात्मक कदम उठा लेने चाहिए। उदाहरण के लिए वृक्षारोपण ; वनरोपण कार्यक्रमद्ध से औद्योगिक इकाईयों के आसपास के वातावरण में वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। व्यवसाय की प्रकृति तथा क्षेत्र


जागरूकता संबंधी भूमिका:-इसका अर्थ है लोगों को (कर्मचारियों तथा जनता दोनों को) पर्यावरण प्रदूषण के कारण तथा परिणामों के संबंध में जागरूक बनाएँ, ताकि वे पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने की बजाय ऐच्छिक रूप से पर्यावरण की रक्षा कर सकें। उदाहरण के लिए व्यवसाय जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करे। आजकल कुछ व्यावसायिक इकाईयां शहरों में पार्कों के विकास तथा रखरखाव की जिम्मेदारियाँ उठा रही हैं, जिससे पता चलता है कि वे पर्यावरण के प्रति जागरूक हैं।


सन्दर्भ:-प्रदुषण एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है क्योकि यह हर आयु वर्ग के लोगों और जानवरों के लिए स्वास्थ्य का खतरा है। हाल के वर्षों में प्रदूषण की दर बहोत तेजी से बढ़ रही है क्योकि औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ सीधे मिट्टी, हवा और पानी में मिश्रित हो रहीं हैं। हालांकि हमारे देश में इसे नियंत्रित करने के लिए पूरा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसे गंभीरता से निपटने की जरूरत है अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी बहोत ज्यादा भुगतेगी।


प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों के प्रभाव के अनुसार कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जैसे की वायु प्रदूषण, भू प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि| प्रदूषण की दर इंसान के अधिक पैसे कमाने के स्वार्थ और कुछ अनावश्यक इच्छाओं को पूरा करने की वजह से बढ़ रही है। आधुनिक युग में जहाँ तकनीकी उन्नति को अधिक प्राथमिकता दी जाती है वहां हर व्यक्ति जीवन का असली अनुशासन भूल गया है।


लगातार और अनावश्यक वनो की कटौती, शहरीकरण, औद्योगीकरण के माध्यम से ज्यादा उत्पादन, प्रदूषण का बड़ा कारण बन गया है। इस तरह की गतिविधियों से उत्पन्न हुआ हानिकारक और विषैले कचरा, मिट्टी, हवा और पानी के लिए अपरिवर्तनीय परिवर्तन का कारण बनता है जोकि अंततः हमें दुःख की ओर अग्रसर करता है| यह बड़े सामाजिक मुद्दे को जड़ से खत्म करने और इससे निजात पाने के लिए सार्वजनिक स्तर पर सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम की आवश्यकता है।


कड़वापन से जो मशहूर है

करेला बेल पर लगने वाली सब्जी है। यह आम तौर पर मार्च के अंत में और अप्रैल के शुरू में उत्तर भारत के सब्जी मंडियों में दिखने लगता है। वैसे आजकल किसी भी फल या सब्जी के लिए तय कुदरती महीनों का कोई औचित्य नहीं रह गया क्योंकि अब यह पूरे साल मिलते हैं। फिर भी प्राकृतिक रूप से करेला जायद की फसल का हिस्सा है। इसका रंग हरा होता है। इसकी सतहकरेला  पर उभरे हुए दाने होते हैं। इसके अंदर बीज होते हैं। करेला पक जाये तो बीज लाल हो जाते हैं। जब तक पकता नहीं तब तक बीज सफेद रहते हैं। सब्जी और औषधि के रूप में इस्तेमाल करने के लिए कच्चा करेला ही ज्यादा मुफीद होता है।


करेला अपने गुणों के लिए पहले प्रसिद्धि कम पाता रहा है बल्कि अपने कड़ुवे स्वाद के कारण काफी जाना जाता रहा है लेकिन जब तमाम लाइफस्टाइल बीमारियों ने खासकर मधुमेह और रक्तचाप ने बड़ी तादाद में लोगों को दबोचा है तब से करेले को उसके कड़ुवे स्वाद की बजाय मीठे गुणों की बदौलत उपयोग के अलावा सब्जी के रूप में इसका अच्छा खासा उपयोग होता है वहां 15-16 तरीके से करेले बनाने की विधियां मौजूद है। कहने का मतलब यह है कि ज्यादा लोकप्रिय न होने के बावजूद भी करेले में तमाम संभावनाएं लोगों ने सदियों पहले ढूंढ़ ली थीं। गर्मियों में खासकर अरहर उत्पादक क्षेत्रों में भरवां करेले और अरहर की दाल बहुत शौक से खाई जाती है। भिंडी करेले, प्याज करेले, आलू करेले, करेला अचार, आम करेला जैसी तमाम करेले के व्यंजन काफी मशहूर हैं। कानपुर, लखनऊ, बनारस, पटना के इलाकों में गर्मियों में करेले की भुजिया बहुत शौक से खाई जाती है। मगर सबसे ज्यादा करेले का जो व्यंजन मशहूर है वह भरवां करेला ही है।


लेकिन अब करेले को खान-पान से ज्यादा उसके औषधीय गुणों के चलते सम्मान मिल रहा है। यहां तक कि जो लोग करेले की सब्जी को शौक से नहीं खाते वह भी इसके अचूक औषधीय गुणों के चलते मुरीद हैं। कुछ लोग करेले में कई तरह के स्वाद विकसित करना जानते हैं। करेले के कड़ुवेपन को दूर करने के लिए इसे चीरकर इसमें नमक भरकर कुछ घंटों तक रखने का चलन है, बाद में धोकर इसकी सब्जी बनायी जाती है। तब तक करेला का कड़ुवापन या कहे कसैलापन काफी दूर हो जाता है। बुंदेलखंड इलाके में करेले को चूने के पानी से भी धोकर इसके कड़ुवेपन को दूर कर लिया जाता है।


करेला एक लोकप्रिय सब्ज़ी है। करेले का जन्म स्थान पुरानी दुनिया के उष्ण क्षेत्र अफ्रीका तथा चीन माने जाते हैं। करेले का वानस्पतिक नाम मिमोर्डिका करन्शिया है। यहाँ से इनका वितरण संसार के अन्य भागों में हुआ। भारत में इसकी जंगली जातियाँ आज भी उगती हुई देखी गयी हैं। करेले की खेती सम्पूर्ण भारत में की जाती है। इसका फल तथा फलों के रस को दवाओं के लिए भी प्रयोग किया जाता है।


कड़वे स्वाद वाला करेला ऐसी सब्जी है, जिसे अक्सर नापसंद किया जाता है। लेकिन, अपने पौष्टिक और औषधीय गुणों के कारण यह दवा के रूप में भी काफी लोकप्रिय है। इस मौसम में इसका नियमित सेवन ठंडक भी प्रदान करता है।करेला विभिन्न आकार-प्रकार में पाया जाता है| इसकी चाइनीज वेरायटी 20 से 30 सेंटीमीटर लंबी होती है| वहां पैदा होने वाला करेला हरे के ऊपर हल्का पीला रंग लिए होता है जो किनारों की ओर मुड़ा हुआ नुकीला और खुरदुरा होता है| इसका रंग हरे के साथ सफेद लिए भी देखा गया है|


करेला एक लता है जिसके फलों की सब्जी बनती है। इसका स्वाद कड़वा होता है। व्यापक रूप से यह  खाद्य फल है, जो सबसे सभी फलों का कड़वा बीच में है के लिए एशिया, अफ्रीका और कैरिबियन में बढ़ा है| वहाँ कई किस्में है कि और फलों की आकृति कड़वाहट में काफी अलग हैं| इस कटिबंधों के एक संयंत्र है, लेकिन इसकी मूल देशी सीमा अज्ञात है|


चावल की एक उत्कृष्ट किस्म

बासमती (अंग्रेज़ी: Basmati, IAST: bāsmatī, उर्दू: باسمتى) भारत की लम्बे चावल की एक उत्कृष्ट किस्म है। इसका वैज्ञानिक नाम है ओराय्ज़ा सैटिवा। यह अपने खास स्वाद और मोहक खुशबू के लिये प्रसिद्ध है। इसका नाम बासमती अर्थात खुशबू वाली किस्म होता है। इसका दूसरा अर्थ कोमल या मुलायम चावल भी होता है। भारत इस किस्म का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसके बाद पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश आते हैं। पारंपरिक बासमती पौधे लम्बे और पतले होते हैं। इनका तना तेज हवाएं भी सह नहीं सकता है। इनमें अपेक्षाकृत कम, परंतु उच्च श्रेणी की पैदावार होती है। यह अन्तर्राष्ट्रीय और भारतीय दोनों ही बाजारों में ऊँचे दामों पर बिकता है। बासमती के दाने अन्य दानों से काफी लम्बे होते हैं। पकने के बाद, ये आपस में लेसदार होकर चिपकते नहीं, बल्कि बिखरे हुए रहते हैं। यह चावल दो प्रकार का होता है :- श्वेत और भूरा। कनाडियाई मधुमेह संघ के अनुसार, बासमती चावल में मध्यम ग्लाइसेमिक सूचकांक ५६ से ६९ के बीच होता है, जो कि इसे मधुमेह रोगियों के लिये अन्य अनाजों और श्वेत आटे की अपेक्षा अधिक श्रेयस्कर बनाता है।


स्वाद और गंध तथा प्रजातियां
बासमती चावल का एक खास पैन्डन (पैन्डेनस एमारिफोलियस पत्ते) का स्वाद होता है। यह फ्लेवर (स्वाद+खुशबू) रसायन २-एसिटाइल-१-पायरोलाइन[4] के कारण होता है।


बासमती की अनेक किस्में होती हैं। पुरानी किस्मों में – बासमती-३७०, बासमती-३८५ और बासमती-रणबिरसिँहपुरा (आर.एस.पुरा), एवं अन्य संकर किस्मों में पूस बासमती 1, (जिसे टोडल भी कहा जाता है) आती है। खुशबूदार किस्में बासमती स्टॉक से ही व्युत्पन्न की जाती हैं, परन्तु उन्हें शुद्ध बासमती नहीं माना जाता है। उदाहरण के लिए पीबी२ (जिसे सुगन्ध-२ भी कहते हैं), पीबी-३ एवं आर.एच-१०। नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि विज्ञान अनुसंधान केन्द्र, पूसा संस्थान, ने एक परंपरागत बासमती की किस्म को शोधित कर एक संकर किस्म बनाई, जिसमें बासमती के सभी अच्छे गुण हैं और साथ ही यह पौधा बहुत छोटा भी है। इस बासमती को पूसा बासमती-१ कहा गया। पी.बी.-१ की उपज/पैदावार अन्य परंपरागत किस्मों से अपेक्षाकृत दुगुनी होती है। काला शाह काकू, में स्थित पाकिस्तान के चावल अनुसंधान संस्थान बासमती की कई किस्में विकसित करने में कार्यरत रहा है। इसकी एक उत्कृष्ट किस्म है सुपर बासमती, जो कि डॉ॰मजीद नामक एक वैज्ञानिक ने १९९६ में विकसित की थी। यहीं विकसित हुआ विश्व का सबसे लम्बा चावल दाना, जिसे पाकिस्तान कर्नैल बासमती कहा गया। इसकी औसत लम्बाई कच्चा: ९.१ मि.मि. और पका हुआ: १८.३ मि.मि. होती है।


इसके साथ अन्य अनुमोदित किस्मों में कस्तूरी (बरान, राजस्थान), बासमती १९८, बासमती २१७, बासमती ३७०, बासमती ३८५, बासमती ३८६, कर्नैल (पाकिस्तान), बिहार, देहरादून, हरियाणा, कस्तूरी, माही सुगन्ध, पंजाब, पूसा, रणबीर, तरओरी हैं। कुछ गैर-परंपरागत खुशबूदार संकर किस्में भी होती हैं, जिनमें बासमती लक्षण हैं।


यम द्वितीय --भैया दूज

कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया। वे पाप-मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गये और सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार संतोष पूर्वक रहे। उन सब ने मिलकर एक महान् उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था। इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई। जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है।


पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता (अर्थात उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है)।


विधि एवं निर्देश:-समझदार लोगों को इस तिथि को अपने घर मुख्य भोजन नहीं करना चाहिए। उन्हें अपनी बहन के घर जाकर उन्हीं के हाथ से बने हुए पुष्टिवर्धक भोजन को स्नेह पूर्वक ग्रहण करना चाहिए तथा जितनी बहनें हों उन सबको पूजा और सत्कार के साथ विधिपूर्वक वस्त्र, आभूषण आदि देना चाहिए। सगी बहन के हाथ का भोजन उत्तम माना गया है। उसके अभाव में किसी भी बहन के हाथ का भोजन करना चाहिए। यदि अपनी बहन न हो तो अपने चाचा या मामा की पुत्री को या माता पिता की बहन को या मौसी की पुत्री या मित्र की बहन को भी बहन मानकर ऐसा करना चाहिए। बहन को चाहिए कि वह भाई को शुभासन पर बिठाकर उसके हाथ-पैर धुलाये। गंधादि से उसका सम्मान करे और दाल-भात, फुलके, कढ़ी, सीरा, पूरी, चूरमा अथवा लड्डू, जलेबी, घेवर आदि (जो भी उपलब्ध हो) यथा सामर्थ्य उत्तम पदार्थों का भोजन कराये। भाई बहन को अन्न, वस्त्र आदि देकर उससे शुभाशीष प्राप्त करे।


राम का राष्ट्रवाद उपदेश

गतांक से...
 तो विचार विनिमय क्या है? भगवान राम का जीवन कितना विचित्र रहा है! विभिन्न राजा महाराजा उनके दर्शनार्थ विचारार्थ और उनके समीप आते रहते! एक समय सुबाहू राजा भगवान राम के दर्शनार्थ पंचवटी में आए और यह विचार-विनिमय करने लगे कि प्रजा में संग्रह की प्रवृत्ति का निराकरण कैसे हो? उन्होंने राम से कहा कि मैं कृषि उद्गम द्वारा अपने उधर की पूर्ति करता हूं, गृह स्वामिनी से भी यही कहता हूं! परंतु मैं प्रजा की उस संग्रह प्रवृत्ति को समाप्त नहीं कर सकता हूं! क्योंकि जब मेरे हृदय में संग्रह की प्रवृत्ति बनी हुई है! प्रजा की भी संग्रह की प्रवृत्ति बनी हुई है! मानो जब संग्रह की प्रवृत्ति राजा में आती जा रही है तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि रक्त भरी क्रांति का संचार हो जाएगा! भगवान मेरे राष्ट्र में संप्रदाय का एक स्त्रोत बह रहा है! प्रभु के नाम पर नाना संप्रदाय हैं! नाना प्रकार की कृतियां बन रही है! भगवान राम ने कहा राजन तुम चाहते क्या हो? उन्होंने कहा प्रभु, मैं अपने राष्ट्र को महान बनाना चाहता हूं! तो उस समय भगवान राम ने यह कहा कि तुम्हारे राष्ट्र में वैदिकता होनी चाहिए! सबसे प्रथम तो प्रजा में धर्म के नामों पर प्रभु के नामों पर नाना प्रकार के साधन की स्थलीय नहीं रहनी चाहिए! क्योंकि नाना प्रकार के स्वरों की स्थलीय बनी रहेगी तो उसके बनने का परिणाम यह होगा कि तुम्हारा राष्ट्र रक्त भरी क्रांति में संचालित हो जाएगा! तुम्हारा एक वैदिक प्रसार होना चाहिए! हमारे ऋषि-मुनियों ने एक पद्धति का निर्माण किया है! उन्होंने कहा है कि राजा के राष्ट्र में प्रजा में समाज में पांच प्रकार का पंचीकरण परमात्मा के नामों पर होना चाहिए! वह पंचीकरण कौन सा है? प्रातः कालीन देखो प्रत्येक ग्रह में ब्रह्मा का चिंतन होना चाहिए! पति-पत्नी ब्रह्मा का चिंतन करने वाले हो! उसके पश्चात प्रातः कालीन देव पूजा होनी चाहिए! सुगंधी होनी चाहिए! प्रत्येक ग्रह में वेद ध्वनि होनी चाहिए और देखो अन्याधान करके यज्ञ होना चाहिए! उन्होंने कहा बहुत प्रियतम और तृतीय यह है कि अतिथि सत्कार होना चाहिए! कोई भी अतिथि आए उस को भोजन कराना और बलि वैशया करना, भोजनालय में मेरी प्यारी माता प्रत्येक प्राणी का भोग निर्धारित कर देती है! तो मानो यह पंचीकरण कहलाता है! इस पंचीकरण में राजा के राष्ट्र में जो प्रत्येक ग्रह, पति-पत्नी है, बालक है! वह सब इस सूत्र में पिरोए हुए होने चाहिए! प्रभु का चिंतन तो प्राय: करना चाहिए! परंतु जब भी समय मिले तो सवाध्याय करें! समय मिले ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें, समय मिले तो देखो ब्रह्मवर्चोसी बने तो ब्राह्मण का क्रियाकलाप होना चाहिए! प्रजापति राजा को अपने संग्रह की प्रवृत्ति को त्याग देना चाहिए! चिंतन करता है प्रात: कालीन अग्नि का ध्यान करके वह अग्नि में प्रदान करता है! अपनी भावनाओं से उसके पश्चात उसी पंचीकरण में कोई अतिथि आ गया है! उसकी सेवा करना उसको अन्नादि देना, कोई पुरोहित आ जाए! उससे उपदेश लेना प्रारंभ करें! मानव सत्संग की प्रतिभा तुम्हारे हृदय में रहनी चाहिए! इसी प्रकार देखो अतिथि सेवा पंचीकरण में मानव का राष्ट्र परिवर्तित होता है! यह नाना प्रकार की आभा में नियुक्त नहीं रहना चाहिए! संग्रह की प्रवृत्ति को त्याग देता है! एक मानव है जो वृक्ष के नीचे अपना स्थान बना देता है! उसकी छाया में रहता है मानो वह राजा है! वह अपने में संग्रह करने की प्रवृत्ति में रहने का प्रयास करता है! एक स्वयं क्रियाकलाप करने वाला स्वयं का उद्गम करने वाला है! उसको पान करता है वह जो पवित्र अन्न को ग्रहण करता है! वह मानव पाप के मूल में ले जाता है! पवित्र अन्न को ग्रहण करना है!


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


October 29, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-86 (साल-01)
2. मंगलवार ,29 अक्टूबर 2019
3. शक-1941, कार्तिक-शुक्ल पक्ष, तिथि- दूज  (यम द्वितीय) संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:23,सूर्यास्त 05:53
5. न्‍यूनतम तापमान -20 डी.सै.,अधिकतम-29+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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email:universalexpress.editor@gmail.com
cont.935030275
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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  1. अंक-161, (वर्ष-11) पंजीकरण:- UPHIN/2014/57254 2. शनिवार, मार्च 30, 2024 3. शक-1945, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-षष्ठी,...