गुरुवार, 24 अक्तूबर 2019

हिम तेंदुआ की गणना के लिए प्रोटोकॉल

नई दिल्ली। केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने हिम तेंदुओं की रक्षा और संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में प्रमुख पहल करते हुए अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस के अवसर पर भारत में हिम तेंदुए की संख्या का आकलन करने के लिए आज प्रथम राष्ट्रीय प्रोटोकॉल का शुभारंभ किया। देश में हिम तेंदुओं की गणना का अपने किस्म का पहला कार्यक्रम वैज्ञानिक विशेषज्ञों द्वारा उन राज्यों/संघ शासित प्रदेशों, के सहयोग से विकसित किया गया है, जहां हिम तेंदुए पाए जाते हैं। इन राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।


वैश्विक हिम तेंदुआ एवं पारिस्थितिकी संरक्षण (जीएसएलईपी) कार्यक्रम की संचालन समिति की चौथी बैठक में प्रमुख भाषण देते हुए आज श्री जावड़ेकर ने इस रेंज में आने वाले देशों से प्रकृति के संरक्षण तथा हिम तेंदुओं की संख्या की गणना में सामूहिक रूप से कार्य करने की दिशा में विचार करने का अनुरोध किया। पर्यावरण मंत्री ने कहा, 'आने वाले दशक में हम दुनिया में हिम तेंदुओं की आबादी को दोगुना करने का प्रयास करेंगे। यह दो दिवसीय सम्मेलन महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान होने वाला विचार-विमर्श, चर्चाएं, सहयोग और एक-दूसरे से सीखना और सर्वोत्तम पद्धातियों को साझा करना हम सभी के लिए लाभदायक होगा। इसलिए, हम प्रकृति को बेहतर तरीके से संरक्षित कर सकते हैं और हम सामूहिक रूप से सकारात्मक कार्य कर सकते हैं।'
             श्री जावड़ेकर ने बाघों की आबादी के संबंध में भारत की सफलता के बारे में भी जानकारी दी। इस समय 2967 बाघ हैं, यानी 77 प्रतिशत बाघों की आबादी भारत में निवास करती है, उनकी तादाद का लगभग सटीक आकलन करने के लिए 26000 कैमरों का इस्तेमाल किया गया। भारत में 500 से अधिक शेर, 30000 से अधिक हाथी, 2500 से अधिक एक सींग वाले गैंडे भी हैं।
            श्री जावड़ेकर ने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि यह विचार-विमर्श व्यावहारिक कार्यक्रम तैयार करने में सफल होगा और इसकी बदौलत प्रकृति के संरक्षण और उसमें सुधार लाने के जरिए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग जीतने तथा तेंदुए, बाघ, शेर, हाथी, गैंडे और समस्त पशु साम्राज्य सहित पारिस्थितिकी के प्रतीकों की संख्या में वृद्धि होने का मार्ग प्रशस्त होगा। श्री जावड़ेकर ने कहा, “हमें क्षमता निर्माण, आजीविका, हरित अर्थव्यवस्था और तो और हिमालयी क्षेत्र के हिम तेंदुएं वाले इलाकों में और हरित मार्ग के बारे में देशों के बीच सहयोग के बारे में विचार मंथन करना चाहिए। यह उन सभी देशों के लिए आधार बनता है, जहां हिम तेंदुए पाए जाते हैं।"
               पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव  श्री सी.के. मिश्रा ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हिम तेंदुए की अहमियत के बारे में जागरूकता फैलाने और उसे समझने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “ये सम्मेलन अन्य देशों की सर्वोत्तम पद्धातियों के बारे में जानने का अवसर प्रदान करते हैं। चर्चाएं पर्यावास और पारिस्थितिकी तंत्र पर केंद्रित होनी चाहिए। हमें बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र और बेहतर पर्यावास बनाने का प्रयास करना चाहिए।”


यहां इस बात का उल्लेख करना महत्वपूर्ण होगा कि हिम तेंदुएं 12 देशों में पाए जाते हैं। उन देशों में भारत, नेपाल, भूटान, चीन, मंगोलिया, रूस, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 23-24 अक्टूबर, 2019 को नई दिल्ली में जीएसएलईपी कार्यक्रम की दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बैठक आयोजित की जा रही है।
जीएसएलईपी की संचालन समिति की चौथी बैठक में नेपाल, रूस, किर्गिस्तान और मंगोलिया के मंत्रियों के साथ-साथ हिम तेंदुओं की आबादी वाले नौ देशों के वरिष्ठ अधिकारी भी भाग ले रहे हैं। जीएसएलईपी की संचालन समिति की बैठक की अध्यक्षता नेपाल और सह-अध्यक्षता किर्गिस्तान कर रहे हैं। इस बैठक में हिम तेंदुए और उसके पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के लिए सहयोगपूर्ण प्रयासों में तेजी लाने के लिए अपने अनुभवों को साझा करेंगे। प्रतिनिधि हिम तेंदुए के पर्यावासों के विकास के लिए निरंतर किए जाने वाले प्रयासों पर भी चर्चा करेंगे।


आज मनाया जाएगा आयुर्वेद दिवस

नई दिल्ली। राजस्थान के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर में 25 अक्टूबर, 2019 को चौथा आयुर्वेद दिवस आयोजित किया जाएगा। इस संस्थान में धनवंतरी पूजन और 'राष्ट्रीय धनवंतरी आयुर्वेद पुरस्कार-2019' समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। आयुष (स्वतंत्र प्रभार) एवं रक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री श्रीपद येस्सो नाइक भी उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर, 24 अक्टूबर, 2019 को एक राष्ट्रीय सम्मेलन 'दीर्घायु के लिए आयुर्वेद' भी आयोजित किया जाएगा। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि होंगे।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने 2016 से प्रत्येक वर्ष धनवंतरी जयंती (धनतेरस) के दिन आयुर्वेद दिवस मनाने का निर्णय लिया था। इस अवसर पर, मंत्रालय 3-4 आयुर्वेद विशेषज्ञों को 'राष्ट्रीय धनवंतरी आयुर्वेद पुरस्कार' से भी सम्मानित करता है, जिसमें प्रशस्ति-पत्र, ट्राफी (धनवंतरी की मूर्ति) और पांच लाख रुपये का नकद पुरस्कार शामिल हैं। आयुर्वेद एक व्यापक कार्यक्रम में भरोसा करता है, जिसमें जागरुक भोजन (आहार), रहन-सहन (विहार), नींद (निद्रा), दीर्घायु (स्वस्थ्य जीवनकाल) के विस्तार के लिए व्यवहारात्मक एवं मनोवैज्ञानिक क्रियाकलाप शामिल हैं। रसायन तंत्र, आयुर्वेद की आठ शाखाओं में एक है, जो कायाकल्प, ऊर्जा संचार, रोग प्रतिरक्षण, स्वस्थ रूप से जीवन बढ़ाने और दीर्घायु बनाने के लिए समर्पित है।
आयुष मंत्रालय के संगठन यानी अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) नई दिल्ली, केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस), आयुर्वेद स्नातकोत्तर प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (आईपीजीटी एंड आरए) जामनगर, भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी फार्माकोपिया आयोग (पीसीआईएम एंड एच) गाजियाबाद और पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी संस्थान (एनईआईएएच) शिलांग भी इस कार्यक्रम में अपनी भागीदारी कर रहे हैं।


फांसी की सजा, मुठभेड़ में ढेर

 गौतम बुध नगर। उत्तर प्रदेश के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की नोएडा यूनिट ने प्रतापगढ़ जिले में मंगलवार को देर रात मुठभेड़ के दौरान 50 हजार रुपये के एक इनामी बदमाश को मार गिराया। इस बदमाश पर हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती और लूटपाट के 15 से ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में दर्ज हैं।
एसटीएफ के एसएसपी राजीव नारायण मिश्रा ने बुधवार को बताया कि मंगलवार रात को पश्चिमी उप्र एसटीएफ (नोएडा यूनिट) और प्रतापगढ़ जिले की थाना रानीगंज पुलिस को सूचना मिली कि कुछ बदमाश किसी बड़े अपराध को अंजाम देने के लिए रानीगंज थाना क्षेत्र में आ रहे हैं। सूचना के आधार पर पुलिस ने बदमाशों की तलाश शुरू कर दी।
एसएसपी ने बताया कि कुछ देर बाद कुछ संदिग्ध लोग आते दिखाई दिए। उन्हें रुकने का इशारा किया गया। उन्होंने खुद को घिरा देखकर गोली चलानी शुरू कर दी। एसटीएफ ने जवाबी कार्रवाई की और एक गोली एक बदमाश को लगी। मिश्रा ने बताया कि उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।


अजनबी लोगों पर विश्वास न करें:मेष

राशिफल


मेष-राशि के लोगों का दिन सामान्य रहेगा। आज अजनबी लोगों पर विश्वास न करें। संतान संबंधित समाचार मिल सकता है। पुराने दोस्तों के साथ मुलाकात हो सकती है। नए दोस्त भी बन सकते हैं। कारोबारिक और आर्थिक रूप से लाभ मिलेगा।


वृषभ-राशि के लोगों का दिन शुभ रहेगा। आज दिन लाभदायक साबित होगा। कारोबार में इनकम बढ़ेगी। धन लाभ की पूरी संभावनाएं हैं। दोस्तों के साथ मेलजोल बढ़ेगा।


मिथुन-राशि के लोगों के साथ तालमेल बैठेगा। उच्च अधिकारियों के साथ वाणी और व्यवहार में संभलकर चलें। कारोबरा में कोई बाधा आ सकती है। आर्थिक नजर से लाभ मिलेगा।


कर्क-राशि के लोगों का दिन शुभ रहेगा. अनजाने में कोई बड़ी गलती हो सकती है। क्रोध और वाणी पर संयम रखें। सेहत भी संभालकर रखें। परिजनों के साथ कलह हो सकती है।


सिंह-राशि के लोगों का दिन शुभ रहेगा। आज आप समय से पहले अपने काम पूरे करेंगे। भागीदारों के साथ संबंध अच्छे होंगे! सेहत खराब हो सकती है। अचानक खर्चा हो सकता हैं ।


कन्या-राशि के लोगों का दिन सामान्य रहेगा। संतों के दर्शन से लाभ मिलेगा। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति आएगी। स्वभाव में उग्रता रहेगी, बेहतर होगा वाणी पर संयम बरतें।


तुला-राशि के लोगों का दिन शुभ रहेगा। घर के बड़े-बुजुर्गों का आशिर्वाद जरूर लें। परिवार में कुछ अनबन हो सकती है। दफ्तर में नई जिम्मेदारियां आपको मिल सकती हैं।


वृश्चिक-राशि के लोगों का दिन शुभ रहेगा। आर्थिक हालत में सुधार होगा। नए अवसरों को जल्द भुनाने की कोशिश करें।ऑफिस में महिलाओं का विशेष सम्मान होगा।


धनु-राशि के लोगों का दिन सामान्य रहेगा। सेहत थोड़ी नरम रह सकती है. विदेश जाने का योग बनेगा। विचार और कार्य में स्थिर करने का प्रयास करें। किसी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं थोड़ा ध्यान रखें।


मकर-राशि के लोगों का दिन शुभ रहेगा। बने बनाए काम बिगड़ सकते हैं। गुस्से और वाणी पर काबू रखें। नकारात्मक विचार मन में आ सकते हैं। खान-पान में संयम बरते।


कुंभ-राशि के लोगों का दिन सामान्य रहेगा. आज आप दूसरों के प्रति आकर्षित होंगे। नए कार्यों की शुरुआत के लिए समय अच्छा है। परिजनों के साथ समय अच्छा बीतेगा।


मीन-राशि के लोगों का दिन शुभ रहेगा! आज मेहनत का फल मिलेगा। अधिक लाभ के चक्कर में कहीं फंस न जाएं। कोर्ट-कचहरी से दूर ही रहे बेहतर।


खरहा-खरगोश की असमानताए

खरहा, लेपस वंश और शशक प्रजाति के स्तनधारी जीव हैं। खरहों की चार विशेष प्रजातियों को लेपस वंश से बाहर वर्गीकृत किया जाता है। खरहे बहुत तेज दौड़ाक होते हैं, यूरोपीय भूरा खरहा तो 72 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है। ये आम तौर पर एकाकी जीव होते हैं या फिर जोड़ों में रहते हैं, पर कुछ प्रजातियाँ झुंडों में भी रहती हैं। बहुत तेज भागते समय या फिर परभक्षियों को चकमा देते समय उत्पन्न होने वाले गुरुत्व बल को इनका शरीर अवशोषित करने में सक्षम होता है।आमतौर पर खरहा एक शर्मीला जीव है पर समागम के मौसम में इनका व्यवहार बदल जाता है और यह एक दूसरे के पीछे भागते देखे जा सकते हैं। यह एक दूसरे को ऐसे मारते हैं जैसे मुक्केबाज़ी का अभ्यास कर रहें हों। कुछ समय पहले तक तो यह माना जाता था कि प्रतिद्वंदी नर एक दूसरे को मारते हैं पर अब यह स्पष्ट हो गया है कि संभोग के लिए अनिच्छुक मादा, नर को मारती है।


खरगोश और खरहे में अंतर:- आकार में खरगोश से बड़ा होता है। कान भी खरगोश की तुलना में बड़े होते हैं। आकार में खरहे से छोटा होता है। कान भी खरहे की तुलना में छोटे होते हैं।
आवास जमीन के उपर उथले गड्ढों में घास और तिनकों का घोंसला बना कर रहते है। जमीन के नीचे बिलों में रहते हैं।
शिशु जन्म के समय शिशुयों के शरीर रोएंदार होते हैं, आँखें भी खुली होती है। जरूरत पड़ने पर भागने में भी सक्षम होते हैं। जन्म के समय शिशुयों की आँखे बंद होती हैं और शरीर पर रोयों का आभाव होता है। पूरी तरह से माता/पिता पर आश्रित होते हैं।
गति खरगोश की तुलना में अधिक तेज दौड़ते हैं। खरहे की अपेक्षा धीमे दौड़ते हैं।
पालतू खरहे जंगली जीव है और इन्हें आज तक पालतू नहीं बनाया गया है। खरगोशों को दुनिया के विभिन्न देशों में पालतू जीवों की तरह पाला जाता है।


वायुमंडल का उष्मा संतुलन

वायुमंडल का उष्मासंतुलन 
भूतल तथा वायुमंडल को गरमी लगभग पूर्णतया सूर्यविकिरण से ही मिलती है। अन्य आकाशीय पिंडों से गरमी बहुत ही कम मात्रा में मिलती है। सौर ऊर्जा की मापें स्मिथसोनियन संस्था की तारा-भौतिकी-वेधशाला में तथा अन्य कई पर्वतशिखरों पर स्थित वेधशालाओं में नियमित रूप से की जाती है और इन मापों की यथार्थता एक प्रतिशत से उत्कृष्ट होती है। पृथ्वी और सूर्य की मध्यमानसौर दूरी पर यह सौर आतपन ऊर्जा वायुमंडल में प्रविष्ट होकर अंशत: अवशेषित होने के पहले लगभग 1.94 ग्राम कलरी प्रति मिनट वर्ग सेंटीमीटर होती है; यहाँ प्रतिबंध यह है कि सूर्य की किरणें उस वर्ग सेंटीमीटर पर अभिलंबत: पड़ें। इस मात्रा को सौर नियतांक (सोलर कॉन्स्टैंट) कहते हैं। सौर नियतांक के मान में पाई गई अनियमित घट बढ़ एक प्रतिशत से भी कम रहती हैं; ये प्रेक्षणत्रुटियों के कारण हो सकती हैं। इन अनियमित उच्चावचनों के अतिरिक्त एक वास्तविक और बड़ा उच्चावचन भी पाया गया है जो ग्यारह वर्षीय सूर्य-कलंक-चक्र में लगभग प्रतिशत तक का दीर्घकालिक उच्चावचन और भी हो सकता है। परंतु ये सब उच्चावचन इतने लघु हैं कि वायुमंडलीय उष्म संतुलन के संबंध में यह मान लिया जा सकता है कि पृथ्वी पर सौर ऊर्जा 1.94 ग्राम कलरी प्रति वर्ग सेंटीमीटर प्रति मिनट पड़ती है। अनुमान किया गया है कि सौर ऊर्जा का 43 प्रतिशत भाग परावर्तित तथा प्रकीर्णित तथा प्रकीर्णन करने की सम्मिलित शक्ति को ऐलबेडो कहते हैं। यह 43 प्रतिशत है। शेष 57 प्रतिशत ऊर्जा, जो प्रभावकारी आतपन है, भूतल तथा वायुमंडल को औसतन 57 उष्मा इकाइयाँ प्रदान करता है। इन 57 उष्मा इकाइयों में से केवल एक लघु भाग का (अधिक से अधिक 14 इकाइयों का) वायुमंडल, मुख्यत: निचले स्तरों में जलवाष्प द्वारा और कुछ कम परिमाण में ऊपरी समताप मंडल (स्ट्रैटोस्फ़ियर) में ओज़ोन द्वारा, अवशोषण कर लेता है।


लेखन में अक्सर गलती होती है

कोई उद्धरण देने के अतिरिक्त कहीं भी आत्मकथात्मक शैली में न लिखें। हमेशा प्रथम पुरुष (third person) शैली में ही लिखा जाना चाहिये।


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अंग्रेजी का उपयोग आवश्यक होने पर ही करना चाहिये यदि उसके समकक्ष शुद्ध हिन्दी शब्द उपलब्ध न हो अथवा बहुत कठिन एवं सामान्यतया प्रयोग में न आने वाला हो या अंग्रेजी शब्द किसी अभारतीय व्यक्ति/स्थान/शब्दावली/शीर्षक का समुचित नाम हो या यदि प्रयोक्ता को समुचित अनुवाद बारे उच्च आशंका हो। लिप्यन्तरण हेतु ब्रिटिश अंग्रेजी तथा इसके मूल उच्चारण का उपयोग करें। आप लेख लिखने के दौरान अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद हेतु शब्दकोश.कॉम, गूगल शब्दकोश एवं गूगल अनुवाद की सहायता ले सकते हैं। हर अंग्रेजी शब्द हेतु उस विकल्प का प्रयोग करें जो कि रोजमर्रा की बोलचाल वाली में प्रयुक्त होता हो तथा प्रसंग के अनुसार हो। नये पाला पड़े शब्दों के लिये बुद्धिमतापूर्ण अनुमानित शब्दों का प्रयोग भी किया जा सकता है जैसे कि हिन्दी में डब की गयी टीवी डॉक्यूमेण्ट्रीज, हॉलीवुड फिल्मों आदि के अनुवाद में देखा जाता है। जैसे en:Dementor (डब की गयी हैरी पॉटर फिल्मों में प्रयुक्त) के लिये दमपिशाच आदि।


पन्ना या हरा कबूतर

पन्ना कबूतर या कॉमन एमरल्ड् डव् उष्ण तथा उपोष्ण कटिबन्धीय भारतीय उपमहाद्वीप, म्याँमार, थाइलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया तथा उत्तरी व पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला एक कबूतर का प्रकार है। इसे हरा कबूतर या हरित-पक्ष-कबूतर के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत के तमिलनाडु राज्य का राज्यपक्षी है।


इसकी अनेक उपप्रजातियाँ हैं, जिनमें तीन ऑस्ट्रेलिया में पायी जाती हैं।


यह वर्षा वनों आर्द्र घने वनों, कृषिक्षेत्रों, उद्योनों, ज्वारीयवनों तथा तटीय दलदल में पाये जाने वाली आम प्रजाति है। यह डंडियों से पेड़ों पर अनगढ़ सा घोंसला बनाता है और दो मलाई-रंग के अंडे देते हैं। ये तेजी से और तुरन्त उड़ान भरते हैं, जिसमें परों की नियमित ताल तथा तीखे झटके भी होते हैं, जो कबूतरों की सामान्य विशेषता है। ये प्रायः घने वनों के खंडों में नीचे-नीचे उड़ते हैं, लेकिन कभी कभी छेड़े जाने पर उड़ने के बजाय दौड़कर भी दूर हो जाते हैं।


इनका स्वर धीमी कोमल दुखभरी सी कूक जैसा होता है, जिसमें ये शांत से शुरू करके उठाते हुए छः से सात बार कूकते हैं। ये अनुनासिक "हु-हू-हूँ" की आवाज भी करते हैं।


साग, सब्जी और चारा भी

शलजम (अंग्रेज़ी: Turnip, वानस्पतिक नाम:Brassica rapa) क्रुसीफ़ेरी कुल का पौधा है। इसकी जड़ गांठनुमा होती है जिसकी सब्ज़ी बनती है। कोई इसे रूस का और कोई इसे उतरी यूरोप का देशज मानते हैं। आज यह पृथ्वी के प्राय: समस्त भागों में उगाया जाता है।इसकी जड़ मोटी होती है, जिसको पकाकर खाते हैं और पत्तियाँ भी शाग के रूप में खाई जाती हैं। पशुओें के लिए यह एक बहुमूल्य चारा है। कुछ स्थानों में मनुष्यों के खाने के लिए, कुछ पशुओें को खिलाने के लिए और कुछ स्थानों में इन दोनों कामों के लिए यह उगाया जाता है। इसमें ठोस पदार्थ ९ से १२ प्रतिशत और कुछ विटामिन, विशेषत: "बी' और "सी' रहते हैं।


विशेषताये:-यह शीतकालीन पौधा है। अधिक गरमी यह सहन नहीं कर सकता। पौधे लगभग १८ इंच ऊँचे और फलियाँ एक से डेढ़ इंच लंबी होती हैं। इसके फूल पीले, या पांडु, या हलके नारंगी रंग के होते हैं। शलजम का वर्गीकरण इसकी जड़ के आकार पर, अथवा जड़ के ऊपरी भाग के रंग पर, किया गया है। कुछ जड़ें लंबी, कुछ गोलाकार, कुछ चिपटी और कुछ प्याले के आकार की होती हैं। कुछ किस्म के शलजम के गुद्दे सफेद और कुछ के पीले होते हैं। भारत में उपर्युक्त सब ही प्रकार के शलजम उगाए जाते हैं।


कृषि:-शलजम बोने के लिए खेतों की जुताई गहरी और अच्छी होनी चाहिए। अच्छी सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ १०-१५ टन और नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस और पोटैश वाला उर्वरक ८६० पाउंड डालने से पैदावार अच्छी होती है। इसका बीज छिटकावा, या ड्रिल द्वारा, कतार में बोया जाता है। ए एकड़ के लिए छह से आठ पाउंड तक बीज की आवश्यकता पड़ती है। आधे इंच की गहराई पर बीज बोया जाता है। यदि मिट्टी कड़ी या मटियार हो, तो मेंड़ों पर भी बीज बोया जा सकता है। बीज शीघ्र ही जम जाता है। जम जाने पर पौधों को विरलित करने की आवश्यकता पड़ती है, ताकि वे चार से छह इंच की दूरी पर ही रहें। पौधे शीघ्र ही बढ़ते हैं। लंबे समय तक अच्छी नरम जड़ की प्राप्ति के लिए, एक साथ समस्त खेत को न बोकर १०-१५ दिन के अंतर पर बोना अच्छा होता है। आषाढ़ सावन में बीज बोया जाता है।


दूसरी बार फरवरी से जून के आरंभ तक बोया जाता है। बरसात में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, पर अन्य मौसम में प्रत्येक ८.१० दिनों में सिंचाई आवश्यक होती है। ठंढे देशों में गरमी में भी इसकी बोआई होती है। भारत में पैदावार प्रति एकड़ सामान्यत: २०० मन होती है, पर पूरी खाद और उर्वरकों की सहायता से सरलता से, ड्योढी और दुगुनी की जा सकती है। पौधों में कुछ कवक (तना गलना आदि) और कुछ कीड़े (घुन, पिस्सू, गुबरेले, सूँडी आदि) भी लगते है, जिनसे बचाव का उपाय करना आवश्यक होता है।


राम का राष्ट्रवाद उपदेश

गतांक से...
 भगवान राम बेटा प्रातः कालीन अपने आसन से निवृत्त होकर के प्राणायाम करते थे! वह प्राण के संबंध में अच्छी प्रकार जानते थे कि जो प्रकृतिवाद को जानने लगता है! वह नाना प्रकार के और भी रूपों में रत हो जाता है! मैं विशेष विवेचना देने नहीं आया हूं! भगवान राम प्रातः कालीन पंचवटी पर यज्ञ करते थे! नाना प्रकार का साकल्य एकत्रित करना, उस साकल्य में रत रहना ,उस साकल्य को अपने में, अनुकृतियों में रत करके उस आभा में निहित रहना जानते थे! विचार केवल यह है कि प्राण-अपान दोनों का मेल मिलाना है! दोनों का संगतिकरण करना है! दोनों को एक दूसरे में पिरोने की चर्चाएं आती रहती है! परंतु जब मैं यह विचारता रहता हूं कि हे प्रभु तू कितना महान और पवित्र कहलाता है! तू कितना ओजस्वी और आभा में नियुक्त होने वाला है! परमात्मा तू महान  सखा है! भगवान राम प्रातः कालीन यह प्रार्थना करते रहते थे! निस्वार्थ होकर के विचरण करते थे! मेरे प्यारे देखो, प्रत्येक मानव के हृदय में, प्रत्येक प्राणी के हृदय में एक महानता की अनुपम ज्योति जागरूक हो जाती है! अंत में यह ज्योति मानव के जीवन का मूल बनकर के इस सागर से पार करा देती है! भगवान राम का जीवन मैं प्रारंभ कर रहा था! भगवान राम की प्रतिभा में रत रहने के लिए नाना राजा उनके समीप आते! उनके राष्ट्र के संविधान की चर्चाएं भी की है! उन्होंने कहा है कि राष्ट्र अपने में जब महान बन करके रहता है यदि प्राणी मात्र के हृदय में एक हृदयग्रह मैं एक महानता की अपनी अनुपम ज्योति जागरूक हो जाती है! और अंत में वह ज्योति मानव के जीवन का मूल बनकर के इस सागर से पार करा देती है! तो देखो आभा ब्रहे वाचनम् ब्रह्म राजब्रहे:, राजा को प्रणायाम करना चाहिए! क्योंकि प्राण एक शाखा है! प्राण को ऋषि लोमस मुनि जानते थे! प्राण का कितना महत्व है बाल काल में विद्यालय में भगवान राम जब अध्ययन करते थे! तो बेटा विद्यालय में प्राण की पवित्र विद्या उनके समीप आती रहती है और उसमें अपने को प्राप्त करते रहते हैं! प्राण देखो ऐसी विचित्र आभा में नियुक्त रहने वाला एक अनुपम सखा हैं! जिसको जानकर मानव अमरावती को प्राप्त हो जाता है! आज मैं क्या उच्चारण करने चला हूं कि राजा कौन है? बेटा राजा के राष्ट्र में विज्ञान होना चाहिए! विज्ञान को नाना प्रकार की तरंगे होनी चाहिए! जिस विज्ञान का आयु प्रबल होता है वही सार्थक होता है! अधिक विवेचना न देते हुए आज मैं तुम्हें उस क्षेत्र में ले जा रहा हूं! जिस क्षेत्र में हमें राष्ट्रीयता और मानवता का दर्शन होता रहा है! भगवान राम अपने में विचारते रहते थे कि हिंसा नहीं होनी चाहिए, मैं अहिंसा की चर्चा उनके जीवन काल की चर्चाएं प्रकट कर रहा था! परंतु पुन:- पुन: वह वाक्य मुझे स्मरण आते रहते हैं! हम विचारते रहते हैं, अपने में अन्वेषण करते रहते हैं कि भगवान राम का जीवन सदैव आज्ञाकारी रहा है! उनके जीवन में एक महानता की ज्योति अपने में प्रतिष्ठित होकर के आत्मतत्व कि आभा में निहित रही हैं!


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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 25, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-82 (साल-01)
2. शुक्रवार ,25 अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,कृष्णपक्ष, तिथि- द्वादशी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:21,सूर्यास्त 05:55
5. न्‍यूनतम तापमान -21 डी.सै.,अधिकतम-30+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया

कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया पंकज कपूर  रुद्रपुर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलक...