गुरुवार, 24 अक्तूबर 2019

वायुमंडल का उष्मा संतुलन

वायुमंडल का उष्मासंतुलन 
भूतल तथा वायुमंडल को गरमी लगभग पूर्णतया सूर्यविकिरण से ही मिलती है। अन्य आकाशीय पिंडों से गरमी बहुत ही कम मात्रा में मिलती है। सौर ऊर्जा की मापें स्मिथसोनियन संस्था की तारा-भौतिकी-वेधशाला में तथा अन्य कई पर्वतशिखरों पर स्थित वेधशालाओं में नियमित रूप से की जाती है और इन मापों की यथार्थता एक प्रतिशत से उत्कृष्ट होती है। पृथ्वी और सूर्य की मध्यमानसौर दूरी पर यह सौर आतपन ऊर्जा वायुमंडल में प्रविष्ट होकर अंशत: अवशेषित होने के पहले लगभग 1.94 ग्राम कलरी प्रति मिनट वर्ग सेंटीमीटर होती है; यहाँ प्रतिबंध यह है कि सूर्य की किरणें उस वर्ग सेंटीमीटर पर अभिलंबत: पड़ें। इस मात्रा को सौर नियतांक (सोलर कॉन्स्टैंट) कहते हैं। सौर नियतांक के मान में पाई गई अनियमित घट बढ़ एक प्रतिशत से भी कम रहती हैं; ये प्रेक्षणत्रुटियों के कारण हो सकती हैं। इन अनियमित उच्चावचनों के अतिरिक्त एक वास्तविक और बड़ा उच्चावचन भी पाया गया है जो ग्यारह वर्षीय सूर्य-कलंक-चक्र में लगभग प्रतिशत तक का दीर्घकालिक उच्चावचन और भी हो सकता है। परंतु ये सब उच्चावचन इतने लघु हैं कि वायुमंडलीय उष्म संतुलन के संबंध में यह मान लिया जा सकता है कि पृथ्वी पर सौर ऊर्जा 1.94 ग्राम कलरी प्रति वर्ग सेंटीमीटर प्रति मिनट पड़ती है। अनुमान किया गया है कि सौर ऊर्जा का 43 प्रतिशत भाग परावर्तित तथा प्रकीर्णित तथा प्रकीर्णन करने की सम्मिलित शक्ति को ऐलबेडो कहते हैं। यह 43 प्रतिशत है। शेष 57 प्रतिशत ऊर्जा, जो प्रभावकारी आतपन है, भूतल तथा वायुमंडल को औसतन 57 उष्मा इकाइयाँ प्रदान करता है। इन 57 उष्मा इकाइयों में से केवल एक लघु भाग का (अधिक से अधिक 14 इकाइयों का) वायुमंडल, मुख्यत: निचले स्तरों में जलवाष्प द्वारा और कुछ कम परिमाण में ऊपरी समताप मंडल (स्ट्रैटोस्फ़ियर) में ओज़ोन द्वारा, अवशोषण कर लेता है।


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पन्ना या हरा कबूतर

पन्ना कबूतर या कॉमन एमरल्ड् डव् उष्ण तथा उपोष्ण कटिबन्धीय भारतीय उपमहाद्वीप, म्याँमार, थाइलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया तथा उत्तरी व पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला एक कबूतर का प्रकार है। इसे हरा कबूतर या हरित-पक्ष-कबूतर के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत के तमिलनाडु राज्य का राज्यपक्षी है।


इसकी अनेक उपप्रजातियाँ हैं, जिनमें तीन ऑस्ट्रेलिया में पायी जाती हैं।


यह वर्षा वनों आर्द्र घने वनों, कृषिक्षेत्रों, उद्योनों, ज्वारीयवनों तथा तटीय दलदल में पाये जाने वाली आम प्रजाति है। यह डंडियों से पेड़ों पर अनगढ़ सा घोंसला बनाता है और दो मलाई-रंग के अंडे देते हैं। ये तेजी से और तुरन्त उड़ान भरते हैं, जिसमें परों की नियमित ताल तथा तीखे झटके भी होते हैं, जो कबूतरों की सामान्य विशेषता है। ये प्रायः घने वनों के खंडों में नीचे-नीचे उड़ते हैं, लेकिन कभी कभी छेड़े जाने पर उड़ने के बजाय दौड़कर भी दूर हो जाते हैं।


इनका स्वर धीमी कोमल दुखभरी सी कूक जैसा होता है, जिसमें ये शांत से शुरू करके उठाते हुए छः से सात बार कूकते हैं। ये अनुनासिक "हु-हू-हूँ" की आवाज भी करते हैं।


साग, सब्जी और चारा भी

शलजम (अंग्रेज़ी: Turnip, वानस्पतिक नाम:Brassica rapa) क्रुसीफ़ेरी कुल का पौधा है। इसकी जड़ गांठनुमा होती है जिसकी सब्ज़ी बनती है। कोई इसे रूस का और कोई इसे उतरी यूरोप का देशज मानते हैं। आज यह पृथ्वी के प्राय: समस्त भागों में उगाया जाता है।इसकी जड़ मोटी होती है, जिसको पकाकर खाते हैं और पत्तियाँ भी शाग के रूप में खाई जाती हैं। पशुओें के लिए यह एक बहुमूल्य चारा है। कुछ स्थानों में मनुष्यों के खाने के लिए, कुछ पशुओें को खिलाने के लिए और कुछ स्थानों में इन दोनों कामों के लिए यह उगाया जाता है। इसमें ठोस पदार्थ ९ से १२ प्रतिशत और कुछ विटामिन, विशेषत: "बी' और "सी' रहते हैं।


विशेषताये:-यह शीतकालीन पौधा है। अधिक गरमी यह सहन नहीं कर सकता। पौधे लगभग १८ इंच ऊँचे और फलियाँ एक से डेढ़ इंच लंबी होती हैं। इसके फूल पीले, या पांडु, या हलके नारंगी रंग के होते हैं। शलजम का वर्गीकरण इसकी जड़ के आकार पर, अथवा जड़ के ऊपरी भाग के रंग पर, किया गया है। कुछ जड़ें लंबी, कुछ गोलाकार, कुछ चिपटी और कुछ प्याले के आकार की होती हैं। कुछ किस्म के शलजम के गुद्दे सफेद और कुछ के पीले होते हैं। भारत में उपर्युक्त सब ही प्रकार के शलजम उगाए जाते हैं।


कृषि:-शलजम बोने के लिए खेतों की जुताई गहरी और अच्छी होनी चाहिए। अच्छी सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ १०-१५ टन और नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस और पोटैश वाला उर्वरक ८६० पाउंड डालने से पैदावार अच्छी होती है। इसका बीज छिटकावा, या ड्रिल द्वारा, कतार में बोया जाता है। ए एकड़ के लिए छह से आठ पाउंड तक बीज की आवश्यकता पड़ती है। आधे इंच की गहराई पर बीज बोया जाता है। यदि मिट्टी कड़ी या मटियार हो, तो मेंड़ों पर भी बीज बोया जा सकता है। बीज शीघ्र ही जम जाता है। जम जाने पर पौधों को विरलित करने की आवश्यकता पड़ती है, ताकि वे चार से छह इंच की दूरी पर ही रहें। पौधे शीघ्र ही बढ़ते हैं। लंबे समय तक अच्छी नरम जड़ की प्राप्ति के लिए, एक साथ समस्त खेत को न बोकर १०-१५ दिन के अंतर पर बोना अच्छा होता है। आषाढ़ सावन में बीज बोया जाता है।


दूसरी बार फरवरी से जून के आरंभ तक बोया जाता है। बरसात में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती, पर अन्य मौसम में प्रत्येक ८.१० दिनों में सिंचाई आवश्यक होती है। ठंढे देशों में गरमी में भी इसकी बोआई होती है। भारत में पैदावार प्रति एकड़ सामान्यत: २०० मन होती है, पर पूरी खाद और उर्वरकों की सहायता से सरलता से, ड्योढी और दुगुनी की जा सकती है। पौधों में कुछ कवक (तना गलना आदि) और कुछ कीड़े (घुन, पिस्सू, गुबरेले, सूँडी आदि) भी लगते है, जिनसे बचाव का उपाय करना आवश्यक होता है।


राम का राष्ट्रवाद उपदेश

गतांक से...
 भगवान राम बेटा प्रातः कालीन अपने आसन से निवृत्त होकर के प्राणायाम करते थे! वह प्राण के संबंध में अच्छी प्रकार जानते थे कि जो प्रकृतिवाद को जानने लगता है! वह नाना प्रकार के और भी रूपों में रत हो जाता है! मैं विशेष विवेचना देने नहीं आया हूं! भगवान राम प्रातः कालीन पंचवटी पर यज्ञ करते थे! नाना प्रकार का साकल्य एकत्रित करना, उस साकल्य में रत रहना ,उस साकल्य को अपने में, अनुकृतियों में रत करके उस आभा में निहित रहना जानते थे! विचार केवल यह है कि प्राण-अपान दोनों का मेल मिलाना है! दोनों का संगतिकरण करना है! दोनों को एक दूसरे में पिरोने की चर्चाएं आती रहती है! परंतु जब मैं यह विचारता रहता हूं कि हे प्रभु तू कितना महान और पवित्र कहलाता है! तू कितना ओजस्वी और आभा में नियुक्त होने वाला है! परमात्मा तू महान  सखा है! भगवान राम प्रातः कालीन यह प्रार्थना करते रहते थे! निस्वार्थ होकर के विचरण करते थे! मेरे प्यारे देखो, प्रत्येक मानव के हृदय में, प्रत्येक प्राणी के हृदय में एक महानता की अनुपम ज्योति जागरूक हो जाती है! अंत में यह ज्योति मानव के जीवन का मूल बनकर के इस सागर से पार करा देती है! भगवान राम का जीवन मैं प्रारंभ कर रहा था! भगवान राम की प्रतिभा में रत रहने के लिए नाना राजा उनके समीप आते! उनके राष्ट्र के संविधान की चर्चाएं भी की है! उन्होंने कहा है कि राष्ट्र अपने में जब महान बन करके रहता है यदि प्राणी मात्र के हृदय में एक हृदयग्रह मैं एक महानता की अपनी अनुपम ज्योति जागरूक हो जाती है! और अंत में वह ज्योति मानव के जीवन का मूल बनकर के इस सागर से पार करा देती है! तो देखो आभा ब्रहे वाचनम् ब्रह्म राजब्रहे:, राजा को प्रणायाम करना चाहिए! क्योंकि प्राण एक शाखा है! प्राण को ऋषि लोमस मुनि जानते थे! प्राण का कितना महत्व है बाल काल में विद्यालय में भगवान राम जब अध्ययन करते थे! तो बेटा विद्यालय में प्राण की पवित्र विद्या उनके समीप आती रहती है और उसमें अपने को प्राप्त करते रहते हैं! प्राण देखो ऐसी विचित्र आभा में नियुक्त रहने वाला एक अनुपम सखा हैं! जिसको जानकर मानव अमरावती को प्राप्त हो जाता है! आज मैं क्या उच्चारण करने चला हूं कि राजा कौन है? बेटा राजा के राष्ट्र में विज्ञान होना चाहिए! विज्ञान को नाना प्रकार की तरंगे होनी चाहिए! जिस विज्ञान का आयु प्रबल होता है वही सार्थक होता है! अधिक विवेचना न देते हुए आज मैं तुम्हें उस क्षेत्र में ले जा रहा हूं! जिस क्षेत्र में हमें राष्ट्रीयता और मानवता का दर्शन होता रहा है! भगवान राम अपने में विचारते रहते थे कि हिंसा नहीं होनी चाहिए, मैं अहिंसा की चर्चा उनके जीवन काल की चर्चाएं प्रकट कर रहा था! परंतु पुन:- पुन: वह वाक्य मुझे स्मरण आते रहते हैं! हम विचारते रहते हैं, अपने में अन्वेषण करते रहते हैं कि भगवान राम का जीवन सदैव आज्ञाकारी रहा है! उनके जीवन में एक महानता की ज्योति अपने में प्रतिष्ठित होकर के आत्मतत्व कि आभा में निहित रही हैं!


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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 25, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-82 (साल-01)
2. शुक्रवार ,25 अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,कृष्णपक्ष, तिथि- द्वादशी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:21,सूर्यास्त 05:55
5. न्‍यूनतम तापमान -21 डी.सै.,अधिकतम-30+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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चेन्नई सुपर किंग्स ने ग्लीसन को टीम में शामिल किया

चेन्नई सुपर किंग्स ने ग्लीसन को टीम में शामिल किया  इकबाल अंसारी  चेन्नई। देश में इन दिनों आईपीएल की धूम मची हुई है। गत चैम्पियन चेन्नई सुपर...