बुधवार, 23 अक्तूबर 2019

बुरी नजर वालों का अंजाम बुरा होगा

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की समुद्री सीमाएं नौसेना के हाथों में पूरी तरह सुरक्षित है और उन्हें विश्वास है कि मुंबई जैसे आतंकवादी हमले की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जाएगी। सेना भवन में यहाँ नौसेना के शीर्ष कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करने के बाद सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि कमांडरों से बातचीत के बाद वह आश्वस्त हैं कि समुद्री सीमाएं नौसेना के हाथों में सुरक्षित है। समुद्री सीमा पर चाक- चौबंद सुरक्षा व्यवस्था है और उन्हें भरोसा है कि समुद्री सीमा के जरिये मुम्बई जैसे आतंकवादी हमले को दोहराया नहीं जा सकता।
पाकिस्तान के मंत्री शेख रशीद के इस बयान पर कि अब तोप नहीं परमाणु बम चलेगा, उन्होंने कहा कि भारत कभी आक्रमक नहीं रहा है, ना किसी की एक इंच जमीन पर कब्जा किया लेकिन अगर किसी ने हमारी तरफ बुरी नजर से देखा तो हमारी सशस्त्र सेना किसी को भी मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडियाÓ योजना को बढ़ावा दिया जा रहा है और देश को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ रक्षा निर्यात का गढ़ बनाने की कोशिश की जा रही है।


जम्मू-कश्मीर में कर्मचारियों को समान वेतन

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक संसद में पारित होने के उपरान्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 अगस्त को राष्ट्र के नाम एक संदेश दिया था, जिसमें उन्होंने जम्मू कश्मीर संघ क्षेत्र तथा लद्दाख संघ क्षेत्र के सरकारी कर्मचारियों को अन्य संघ क्षेत्रों के कर्मचारियों के बराबर सातवें वेतन आयोग की अंगीकृत सिफारिशों के अनुरूप सभी वित्तीय सुविधाएं दिये जाने का आश्वासन दिया था।
इस आश्वासन के अनुरूप, गृहमंत्री अमित शाह ने 31 अक्टूबर से अस्तित्व में आने वाले जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख संघ क्षेत्रों के सभी सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अंगीकृत सभी भत्ते प्रदान करने के प्रस्ताव को स्वीकृत कर दिया है और गृह मंत्रालय ने इससे संबंधित आदेश जारी कर दिए हैं। भारत सरकार के इस निर्णय का लाभ 4.5 लाख सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा जो कि अभी मौजूदा जम्मू कश्मीर राज्य में कार्यरत हैं और 31 अक्टूबर को इन दोनों संघ क्षेत्रों के कर्मचारी हो जायेंगे।


शिवकुमार से मिलने तिहाड़ पहुंची सोनिया

नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार से मिलने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पहुंचीं। सोनिया गांधी के साथ कांग्रेस के कई और नेता भी उनके साथ मौजूद थे। सोनिया गांधी ने तिहाड़ में डीके शिवकुमार की सेहत से जुड़ी जानकारी ली और उनसे कुछ देर बात की। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक सोनिया सुबह करीब नौ बजे तिहाड़ पहुंचीं। एक सूत्र ने बताया कि सोनिया कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेस नेता शिवकुमार की खैरियत जानने के साथ साथ उनके प्रति एकजुटता प्रकट करने जेल पहुंचीं।


गौरतलब है कि मनी लांड्रिंग मामले के आरोप में गिरफ्तार शिवकुमार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कुछ हफ्ते पहले गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। सोनिया ने आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से भी तिहाड़ पहुंचकर मुलाकात की थी। वही कुछ दिन पहले ही कांग्रेस नेता अहमद पटेल और आनंद शर्मा भी डीके शिवकुमार से मिलने तिहाड़ पहुंचे थे।


स्वीकार नहीं की दीपावली की मिठाई

नई दिल्ली। पाकिस्तान की कायरना हरकतों पर भारत की तरफ से करारा जवाब दिए जाने के बाद सीमा पर तनाव इतना बढ़ गया है कि पाक ने इस बार भारत की तरफ से दी जाने वाली दिवाली की मिठाई को स्वीकार नहीं किया। हर साल की तरह दिवाली पर जो बॉर्डर पर मिठाई एक्सचेंज होती है, वह इस बार नहीं हुई है। सूत्रों की मानें तो प्रोटोकोल के तहत हर साल इस्लामाबाद में मौजूद भारतीय हाई कमीशन दिवाली पर सभी अहम दफ्तरों में मिठाई भेजता है। पाकिस्तान की आईएसआई ने पहले प्रोटोकोल का स्वागत करते हुए मिठाई को स्वीकारा लेकिन बाद में उन्हें वापस कर दिया। बता दें कि आईएसआई पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी है और पाकिस्तान की सत्ता-रणनीति में उसका दबदबा है। गौरतलब है  कि ना सिर्फ इस्लामाबाद में आईएसआई या अन्य अधिकारी बल्कि बॉर्डर पर पाकिस्तानी रेंजर्स ने भी इस बार भारत के द्वारा दी गई मिठाई नहीं स्वीकारी है।


मुख्यमंत्री भूपेश की मनमोहन से मुलाकात

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नई दिल्ली प्रवास के दौरान आज पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनके निवास में सामान्य मुलाकात की ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूर्व प्रधानमंत्री को छत्तीसगढ़ में किसानों के हित में लिए गए फैसलों और किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी । मुख्यमंत्री ने मनमोहन सिंह को मंदी से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए गए प्रयासों और कुपोषण मुक्ति के लिए चलाए जा रहे छत्तीसगढ़ सुपोषण अभियान की जानकारी भी दी । पूर्व प्रधानमंत्री  मनमोहन सिंह ने महात्मा गांधी जी की विचारधारा के अनुरूप आदिवासियों, किसानों सहित समाज के सभी वर्गों के हित में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की । उन्होंने छत्तीसगढ़ को एक मॉडल स्टेट के रूप में स्थापित करने को भी कहा। मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को रायपुर में आगामी दिनों में होने वाली इंडियन इकोनॉमिक कांग्रेस की बैठक के लिए आमंत्रित भी किया।
मुख्यमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री को छत्तीसगढ़ के बुनकरों द्वारा प्राकृतिक रंगो से बनी कोसे की साड़ी ओर कुर्ता भेंट किया, जिसकी भी मनमोहन सिंह ने काफ़ी सराहना की ।


दो ब्रह्मोस मिसाइलों का सफल परीक्षण

नई दिल्ली। भारत ने दो ब्रह्मोस मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण 21 और 22 अक्टूबर को अंडमान-निकोबार के ट्राक टापू पर किया गया। दोनों ब्रह्मोस मिसाइलों का यह परीक्षण रुटीन ऑपरेशनल ट्रेनिंग का हिस्सा था। इन दोनों मिसाइलों का परीक्षण भारयतीय वायु सेना ने किया है। दोनों मिसाइलों से करीब 300 किलोमीटर दूर के टारगेट पर निशाना साधा गया था और दोनों ने ही अपने निर्धारित टारगेट पर सटीक वार किया। इन दोनों ब्रह्मोस मिसाइलों के सफल परीक्षण से भारतीय वायु सेना को बल मिला है। इससे वायु सेना की मोबाइल प्लेटफॉर्म से जमीनी निशानों को साधने की क्षमती बढ़ी है।


बता दें कि इससे पहले भारत ने ओडिशा के बालासोर जिले के चांदीपुर स्थित एक ठिकाने से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एक विशेष संस्करण का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया था, जिसकी प्रणोदन प्रणाली और एयरफ्रेम स्वदेशी निर्मित है। 290 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अत्याधुनिक मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा संयुक्त रूप से बालासोर के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से छोड़ा गया था।


अल-कायदा के चीफ हामिद को किया ढेर

नई दिल्ली। साउथ कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है। बीती रोज साउथ कश्मीर के अवंतीपुरा में आतंकियों के साथ हुए एनकाउंटर में जम्मू-कश्मीर में अल-कायदा चीफ हामीद लल्हारी ढेर हो गया है। इस एनकाउंटंर में दो और आतंकी मारे गए है। मारे गए आतंकियों में से एक की पहचान अंसार-गजवत-उल हिंद के चीफ हामीद लल्हारी के तौर पर हुई है। सेना के अधिकारी ने बताया कि यह आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में अल-कायदा की ब्रांच है। पहले जाकिर मूसा इसका चीफ हुआ करता था लेकिन उसके बाद हामीद लल्हारी को इसका मुखिया बनाया गया था। बीती शाम को इन आतंकवादियों के छिपे होने की खबर मिली थी, जिसके बाद पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के जवानों ने मिलकर ऑपरेशन चलाया।


सुरक्षाबलों ने जब आतंकियों को घेरकर सरेंडर करने को कहा तो आतंकियों की तरफ से फायरिंग की गई। इसी के बाद जवाबी कार्रवाई में तीनों आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया। मारे गाए आतंकी के पास से सुरक्षा बलों को एके 72 राइफल बरामद की है। 30 साल का हामीद लल्हारी जम्मू और कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला है। ईद पर जारी एक वीडियो में अल-कायदा के सहयोगी ने कहा था कि संगठन ने हामीद लल्हारी को जाकिर मूसा की जगह स्थानीय कमांडर और गाजी इब्राहिम खालिद को डिप्टी के रूप में नियुक्त किया है।


गांगुली बने अध्यक्ष,चलेगी दादागिरी

नई दिल्ली! भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली  भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष बन गए हैं। सौरव गांगुली ने बुधवार (23 अक्टूबर) को बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला उनके खिलाफ अध्यक्ष पद के लिए कोई और नामांकन नहीं था। उनके  बीसीसीआई के अध्यक्ष बनते ही उन्होंने भारतीय क्रिकेट जगत में नया इतिहास रच दिया है बीसीसीआई अध्यक्ष बनते ही गांगुली के नाम एक खास रिकॉर्ड दर्ज हो गया है।47 साल के सौरव गांगुली ने BCCI की कमान संभालते ही 65 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया! दरअसल, सौरव गांगुली 65 साल बाद ऐसे पहले टेस्ट क्रिकेटर हैं, जो बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर काबिज हुए! इससे पहले टेस्ट क्रिकेटर के तौर पर 'विज्जी' के नाम से मशहूर महाराजा कुमार विजयनगरम बीसीसीआई का अध्यक्ष बने थे, जो 1954 से 1956 तक इस पद पर रहे!


बीसीसीआई प्रेसिडेंट की बात करें, तो टेस्ट क्रिकेटर सुनील गावस्कर और शिवलाल यादव भी इस पद पर रहे! लेकिन 2014 में गावस्कर और शिवलाल दोनों अंतरिम अध्यक्ष रहे थे! एन. श्रीनिवासन के बाद उनकी नियुक्ति हुई थी!


सीओए प्रमुख विनोद राय ने कहा कि एजीएम के दौरान पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'पहले पिछले तीन साल के खातों को मंजूरी दी जाएगी। उसके बाद निर्वाचन अधिकारी चुनाव के नतीजे का ऐलान करेंगे क्योंकि सभी निर्विरोध चुने गए हैं। हम सौरव से बात करके शेड्यूल तय करेंगे।'


सरकार ने किया प्रशासनिक फेरबदल

नई दिल्ली! एक बड़े प्रशासनिक फेरबदल में, केंद्र ने मंगलवार को 13 भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया, जबकि 13 अन्य को विशेष सचिव के पद पर अपग्रेड कर दिया।जम्मू-कश्मीर कैडर के 1984 बैच के अधिकारी, ब्रज राज शर्मा, जो वर्तमान में गृह मंत्रालय (MHA) में सीमा प्रबंधन के सचिव हैं, को कर्मचारी चयन आयोग में अध्यक्ष के रूप में स्थानांतरित किया गया है।


कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि शर्मा अस्थायी रूप से पद को अपग्रेड करके और पद के भर्ती नियमों को बनाए रखते हुए सचिव के पद और वेतन में रहेंगे। शर्मा के अलावा, नौ अन्य अधिकारियों को भी कई अन्य विभागों में स्थानांतरित किया गया है। उनमें से दो 1985 बैच के, 1986 बैच के तीन और 1987 के चार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने यह निर्णय लिया। मंत्रालय में विशेष सचिव, आंतरिक सुरक्षा, संजीव गुप्ता (1985 बैच, हिमाचल प्रदेश कैडर) को मंत्रालय के अंतर राज्य परिषद सचिवालय में अपने सचिव के रूप में स्थानांतरित किया गया है।


SHA, (1985 बैच, असम कैडर), जो MHA में सचिव के रूप में कार्यभार संभालते हैं, अब भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय में सार्वजनिक उद्यम विभाग के सचिव होंगे। आलोक टंडन, (1986 बैच, उत्तर प्रदेश कैडर), जो वर्तमान में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग में सचिव हैं, को पेंशन और पेंशनर्स कल्याण विभाग के सचिव के पद का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। संजीव नंदन सहाय, (1986 बैच, उत्तराखंड कैडर), जो विशेष सचिव, विद्युत के रूप में कार्यभार संभाले हुए हैं, को सचिव के रूप में पदोन्नत किया गया है, और 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होने पर सुभाष चंद्र गर्ग का नेतृत्व करेंगे।


प्रमोद कुमार दास (1986 बैच, मध्य प्रदेश कैडर), जो वित्त मंत्रालय में व्यय विभाग के विशेष सचिव के रूप में कार्यभार संभालते हैं, को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में सचिव के रूप में स्थानांतरित किया गया है। नागेंद्र नाथ सिन्हा (1987 बैच), जो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं, को ब्रज राज शर्मा के स्थान पर MHA में सचिव, सीमा प्रबंधन के रूप में स्थानांतरित किया गया है। तुहिन कांता पांडे (1987 बैच), वर्तमान में, वित्त मंत्रालय में निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव, अनिल कुमार खाख को उनके माता-पिता कैडर के लिए तत्काल प्रभाव से व्यक्तिगत आधार पर उनके प्रत्यावर्तन पर सफल होंगे। पंकज कुमार (1987 बैच), जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव हैं, को पद के लिए अस्थायी रूप से उन्नयन करके सचिव के पद और विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के सीईओ के रूप में स्थानांतरित किया गया है। राजेश भूषण (1987 बैच), जो वर्तमान में कैबिनेट सचिवालय में अतिरिक्त सचिव हैं, को अब कैबिनेट सचिवालय में सचिव, समन्वय बनाया गया है। एसीसी ने विशेष सचिव के पद पर 13 आईएएस अधिकारियों के “इन-सीटू उन्नयन” को भी मंजूरी दी है। इन अधिकारियों में अरुण सिंघल, वीपी जॉय, सुनील कुमार, तलीन कुमार, राजीव रंजन मिश्रा, प्रदीप कुमार त्रिपाठी, राज कुमार, बरुण मित्रा, प्रवीण कुमार, मनोज झालानी, वसुधा मिश्रा, लीना नंदन और प्रवीर कृष्ण हैं।


परमाणु बम को समझें

एक परमाणु किसी भी साधारण से पदार्थ की सबसे छोटी घटक इकाई है जिसमे एक रासायनिक तत्व के गुण होते हैं। हर ठोस, तरल, गैस, और प्लाज्मा तटस्थ या आयनन परमाणुओं से बना है। परमाणुओं बहुत छोटे हैं; विशिष्ट आकार लगभग 100 pm (एक मीटर का एक दस अरबवें) हैं। हालांकि, परमाणुओं में अच्छी तरह परिभाषित सीमा नहीं होते है, और उनके आकार को परिभाषित करने के लिए अलग अलग तरीके होते हैं जोकि अलग लेकिन काफी करीब मूल्य देते हैं।


दुनिया गोला-बारूद के ढेर पर स्थित है। आज, दुनिया के लगभग सभी देश अपने पास खतरनाक विध्वंसक हथियार रखने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसी भी देश के लिए हाइड्रोजन बम का परीक्षण और परमाणु बम का परीक्षण होना आम बात हो गई है। तो क्या आपने कभी सोचा है कि जब किसी देश में इतना खतरनाक बम गिरता है तो क्या किया जाना चाहिए जिससे कि जान बच जाए।


आपको बता दें कि जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में 6 अगस्त 1945 को लिटिल बॉय और फैट मैन परमाणु बम का असर आज भी लोगों के ऊपर पड़ रहा है। इतने सालों के बाद भी, मौजूदा निवासियों परमाणु बम के विस्फोटों का असर देखा जा सकता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर इन खतरनाक बमों से अपनी रक्षा कैसे करें क्योंकि पाकिस्तान में तख्तापलट होना कोई बड़ी बात नहीं है। जिस तरह पाकिस्तान आतंकवादियों का गढ़ बना हुआ है ऐसे में अगर परमाणु बम आतंकवादियों के हाथों में पड़ जाता है तो जाहिर सी बात है कि आधी दुनिया समाप्ति के कगार पर खड़ी हो जाएगी।


अमेरिका में स्टीवंस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक प्रोफेसर एलेक्स वालरस्टीन का कहना है कि वह अपनी टीम के साथ मिलकर लोगों को नागरिक सुरक्षा के बारे में जागरूक कर रहे हैं। उसे यह भी बताया जा रहा है कि परमाणु हमले की स्थिति में वह कैसे अपनी रक्षा कर सकता है।


हम आपको यह बता रहे हैं क्योंकि आज पूरी दुनिया में लगभग 15 हजार परमाणु हथियार हैं। रूस और अमेरिका के पास अपना सबसे बड़ा भंडार है। अमेरिकी प्रोफेसर वालेरस्टीन द्वारा एक 'न्यूक-मैप' बनाया गया था। इसमें गूगल मैप जैसे मैप के जरिए यह बताने की कोशिश की गई कि किन जगहों पर परमाणु हमले का असर पड़ेगा।


दूसरी परियोजना में, हमें परमाणु हमले के प्रभावों से खुद को बचाने के लिए उपाय करने होंगे। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग घर के अंदर रहते हैं। लेकिन आप अभी भी परमाणु हमलों से पूरी तरह सुरक्षित नहीं होंगे। अंदर रहने वाले व्यक्ति को भी उतना ही असर पड़ेगा जितना बाहर आने वाले व्यक्ति पर पड़ेगा। भलाई इसी में होगा कि यदि आप अंदर है तो तकरीबन 15 से 20 दिन तक बाहर निकलने की कोशिश ना करें। खाने पीने की व्यवस्था कमरे के अंदर ही कर ले एवं सभी खाद्य पदार्थों को ढक कर रखें। परमाणु हमले के बाद मोबाइल नेटवर्क क्षतिग्रस्त हो जाएगा इस वजह से आपको केवल रेडियो का सहारा ही लेना पड़ेगा। हमले के बाद मौसम एकदम ठंडा हो जाएगा जिस वजह से आपको सर्दी जुखाम की संभावना बढ़ जाएगी इसलिए मोटे कपड़ो को अपने साथ रखें। कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा समय सो कर बिताए।


संभल जिला प्रशासन की समीक्षा सभा

पंकज राघव-संवाददाता


संभल! कलेक्टर सभागार बहजोई में शासन द्वारा नामित पुलिस नोडल अधिकारी श्री एसबी शिरडकर एवं जिला अधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह, पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद द्वारा डीजीसी क्रिमिनल जनपदीय प्रबोशन अधिकारी संयुक्त निदेशक अभियोजन के साथ अभियोजन के संबंध में गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें नोडल अधिकारी ने सभी अधिकारियों से परिचय दिया! जिसमें जिला अस्थाई अधिकारी आबकारी, परिवहन, चिकित्सा, समाज-कल्याण के विषय पर जनपदीय पुलिस के साथ समन्यव हेतु गोष्ठी का आयोजन किया गया! जिसमें विभाग वार मुकदमा के बारे में जानकारी दी! समाज-कल्याण अधिकारी से महिला उत्पीड़न के संबंध में जानकारी ली! कितने लाभार्थियों को लाभान्वित किया! परिवहन-विभाग, विद्युत-विभाग एवं खनन-विभाग द्वारा मुकदमो की जानकारी लेते हुए समीक्षा बैठक का समापन किया। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी लवकुश कुमार त्रिपाठी, अपर पुलिस अधीक्षक, डिप्टी कलेक्टर प्रेमचंद सिंह, जिला समाज-कल्याण अधिकारी, खनन अधिकारी, विद्युत-विभाग एवं संबंधित विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।  


 


महाराणा प्रतिमा पर स्ट्रीट लाइट की दरकार

महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर रोशनी हेतु 50 फिट ऊँची स्ट्रीट लाइट लगाने के सम्बंध में प्रार्थना

बिजनौर! आरएसएम चौक पर ग्राम अलावलपुर तहसील धामपुर में महाराणा प्रताप जी की एक प्रतिमा हैं! जिस चौक से हरिद्वार काशीपुर मुरादाबाद लखनऊ की बस की सेवा उपलब्ध कराई जाती है! जहाँ दूर-दूर तक के सभी यात्री आते है! परंतु महाराणा प्रताप जी की जो प्रतिमा बनी है! वहां पर 50 फिट ऊँची स्ट्रीट लगाई जाए! जिससे लोगो को प्रतिमा दूर से दिखाई दे और चारो दिशा में रोशनी के साथ साथ नगर की शोभा भी बढ़े! महाराणा प्रताप जी ने कही बार मुगलो को हराने के साथ साथ अकबर के साथ भी संघर्ष किया है! अतिशीध्र स्ट्रीट लाइट लगवाने की आवश्यकता प्रतीत की जा रही है।


पुलिस महानिरीक्षक मेरठ का बागपत भ्रमण

नोडल अधिकारी श्री आलोक सिंह पुलिस महानिरीक्षक महोदय मेरठ परिक्षेत्र द्वारा जनपद बागपत के भ्रमण कार्यक्रम के महत्वपूर्ण बिंदु


गोपी चंद सैनी


बागपत! उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जनपद बागपत के लिए नामित किए गए नोडल अधिकारी श्री आलोक सिंह पुलिस महानिरीक्षक महोदय मेरठ परिक्षेत्र द्वारा जनपद बागपत का निर्धारित दो दिवसीय भ्रमण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। प्रातः सर्वप्रथम महोदय द्वारा पुलिस लाइन का भ्रमण किया गया, भ्रमण के दौरान पुलिस लाइन स्थित आवासीय परिसर की साफ-सफाई, बिजली फिटिंग,पानी की नालियों की व्यवस्था, भवन का रखरखाव, सब्सिडी कैंटीन, महिला बैरिक, चिल्ड्रन पार्क तथा पुलिस लाइन स्थित अन्य शाखाओं में अभिलेखों के रखरखाव तथा साफ-सफाई को चेक किया गया एवं संबंधित शाखा प्रभारियों को  पाई गई कमियों में सुधार हेतु कड़े निर्देश निर्गत किए गए। इसके पश्चात राजपत्रित अधिकारियों की पुलिस लाइन स्थित सभागार में गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में जनपद में घटित अपराधों की रोकथाम जनपद में घटित महत्वपूर्ण अपराध यथा हत्या, डकैती, लूट, महिला संबंधी अपराध बलात्कार, छेड़खानी, पंजीकृत गैंगो के विरुद्ध की जा रही कार्यवाही की समीक्षा कर आवश्यक दिशा निर्देश निर्गत किए गए। तत्पश्चात 15:00 पुलिस लाइन स्थित सभागार में समन्वय गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में जिलाधिकारी महोदया, पुलिस अधीक्षक महोदय बागपत अपर पुलिस अधीक्षक महोदय, अपर जिलाधिकारी, समस्त क्षेत्राधिकारीगण, संयुक्त निदेशक अभियोजन, एसपीओ, डीजीसी (क्रिमिनल), जिला प्रोविशनल अधिकारी, जिला आबकारी अधिकारी, एआरटीओ, जिला प्रभागीय निदेशक वाणीकी, खनन अधिकारी, अधिशासीय अभियंता विद्युत द्वारा भाग लिया गया। मीटिंग में उत्तर प्रदेश शासन की प्राथमिकताओं एवं प्रचलित योजनाओं तथा अपराध नियंत्रण, यातायात व्यवस्थाओं से संबंधित की जा रही कार्यवाही की समीक्षा एवं विचार विमर्श कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।


संघर्ष से सफलता मिलेगी: मीन

राशिफल


मेष:आज चंद्रमा का दोपहर बाद सिंह राशि में संचार होगा। इससे दोपहर के बाद कुछ राशियों को बड़ा लाभ हो सकता है। आपकी राशि में आज क्‍या होगा खास!


कारोबार सामान्य रहेगा, मनोरंजन कार्य पर खर्च होगा। आज आपको अपनी प्रतिभा का लाभ मिलेगा और आपकी पहचान बनेगी। नई योजनाएं लाभ देंगी। धन निवेश में भी मुनाफा बढ़ेगा। मित्रों के साथ किसी समारोह में भाग ले सकते हैं। नए कार्य का प्रारंभ करने के लिए आज का दिन शुभ है।


वृषभ:आज कोई नया कार्य न करें। आज जोखिमपूर्ण निवेश करने से बचें, पूरे दिन किसी से वाद-विवाद में न पड़ें, क्रोध पर नियंत्रण रखें। संयम से काम लें। व्‍यवहार में विनम्रता बनाए रखें। सेहत में भी आज मामूली गिरावट देखने को मिल सकती है।


मिथुन:पराक्रम में वृद्धि होगी। आज आपका मनोबल बढ़ेगा। कारोबार में बेहतरी आएगी। नए संपर्क बनेंगे और लाभकारी रहेंगे। परिवार में मेलजोल बढ़ेगा। मित्रों के साथ आनंद की प्राप्ति होगी। आज कई दिन से रुका पड़ा काम भाग्‍य में वृद्धि करवा सकता है। धन प्राप्ति के योग हैं। मान-सम्‍मान बढ़ेगा। 


कर्क:लेन-देन के कार्यों में सावधानी रहें। धन निवेश करते समय विशेष सावधानी बरतें। आज किसी को उधार न दें, क्योंकि आज दिए हुए धन को वापस आने की संभावना कम है। आज किसी पुराने मुद्दे को लेकर फिर से बहस गरमा सकती है। किसी भी बात को तूल देने से बचें। 


सिंह:आज प्रयास अथवा स्वयं कोशिश करने से प्रत्येक कार्य में सफलता मिलेगी। व्यापार-व्यवसाय में उन्नति के अवसर दिखाई दे रहे हैं। धन लाभ के अवसर सामने आएंगे। परिवार के साथ आज किसी सामाजिक समारोह में भी जा सकते हैं। मांगलिक कार्यक्रमों का भी आयोजन हो सकता है!


कन्या:खर्च की अधिकता रहेगी, किसी न किसी कारण से अनावश्यक खर्च हो सकता है। व्यर्थ की यात्रा भी हो सकती है। आज फालतू के कामों में आपका समय व्‍यर्थ हो सकता है। साझेदार के साथ किसी बात पर बहस हो सकत है। चोट भी लगने की आशंका है। वाहन धीमी गति से चलाएं। हो सके तो यात्रा को टाल ही दें।


तुला:आज आपकी आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी, धन लाभ होगा, जोखिमपूर्ण निवेश करें तो लाभ अवश्य मिलेगा। आज विद्यार्थियों को थोड़ी अधिक मेहनत करने पर सफलता मिलेगी। शुभ व्‍यय से कीर्ति प्राप्‍त होगी। अचानक कोई शुभ समाचार प्राप्‍त होगा। आ‍कस्मिक धन लाभ होगा।


वृश्चिक:आज आपका सितारा अनुकूल है, लाभ होगा और सफलता प्राप्त होगी। कामकाज में आ रहीं बाधाएं दूर होंगी। परिवार के साथ मौज-मस्‍ती के लिए समय निकालेंगे। लेकिन कार्य में व्‍यस्‍तता बनी रहेगी। आप सभी कार्य दृढ़ मनोबल और आत्‍मविश्‍वास से पूर्ण कर लेंगे।


धनु:आज आपकी धार्मिक प्रवृत्ति बढ़ेगी, समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी, विरोधी परास्त होंगें, यात्रा लाभकारी रहेगी। दांपत्‍य जीवन में लाभ की प्राप्ति होगी। दोस्‍तों की वजह से कोई रुका हुआ काम बन जाएगा। हालांकि कोई भी फैसला जल्‍दबाजी में नहीं बल्कि खूब सोचविचारकर लें। स्‍वास्‍थ का भी ध्‍यान रखें। मौसम की मार परेशान कर सकती हैै 


मकर:आज परिश्रम अधिक और लाभ कम रहेगा, कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं। यात्रा न करें, वाहन सावधानीपूर्वक चलाएं। सेहत को लेकर इस वक्‍त विशेष सावधानी की दरकार है। मौसम को लेकर सचेत रहें। जल्‍दबाजी में लिए गए फैसलों में नुकसान उठाना पड़ सकता है। परिजनों का सम्‍मान करें।


कुंभ:अगर कोई नया रोजगार शुरू करने की सोच रहे हैं, तो अवश्य करें, सफलता अवश्य मिलेगी, अविवाहितों के विवाह की बात आगे बढ़ेगी। कार्यक्षेत्र में भी सहयोग की प्राप्ति होगी। परिजनों के साथ त्‍योहार की तैयारियों में व्‍यस्‍त रहेंगे। ईश्‍वर की भक्ति से आनंद की प्राप्ति होगी।


मीन:आज संघर्ष के बाद सफलता अवश्य मिलेगी, कोई नया आर्डर अथवा कॉन्ट्रेक्ट मिलने की संभावना है। शत्रु बलहीन रहेंगे। भाई-बहनों के साथ प्रेम और स्‍नेह में बढ़ोतरी होगी। सामाजिक प्रतिष्‍ठा में भी इजाफा होगा। उत्‍साह में वृद्धि होगी और आर्थ्रिक लाभ होगा!


चीड़ से मिलता है स्वादिष्ट चिलगोजा

चिलगोजा, चीड़ या सनोबर जाति के पेड़ों का छोटा, लंबोतरा फल है, जिसके अंदर मीठी और स्वादिष्ट गिरी होती है और इसीलिए इसकी गिनती मेवों में होती है। स्थानीय भाषा में चिलगोजे को न्योजा कहते हैं। किन्नौर तथा उसके समीपवती प्रदेश में विवाह के अवसर पर मेहमानों को सूखे मेवे की जो मालाएँ पहनाई जाती हैं उसमें अखरोट और चूल्ही के साथ चिलगोजे की गिरी भी पिरोई जाती है। सफेद तनों वाला इनका पेड़ देवदार से कुछ कम लंबाई वाला, हरा भरा होता है।


इसका वानस्पतिक नाम पाइंस जिराडियाना है। चिलगोजा समुद्रतल से लगभग २००० फुट की ऊँचाई वाले दुनिया के इने गिने इलाकों में ही मिलता है। यह कुछ गहरी और पहाड़ी घाटियों के आरपार उन जंगलों में उगता है, जहाँ ठंडा व सूखा मौसम एक साथ होता हो, ऐसे जंगलों के आसपास कोई नदी भी हो सकती है और वहाँ से तेज हवाएँ गुजरती हों। चट्टानी, पर्वत मालाएँ सीथी खड़ी मिलती हों और वृक्ष चट्टानों को फाड़कर उगने के अभ्यासी हों। ऐसी जलवायु में जहाँ भी इसका बीज अंकुरित हो जाय यह सदाबहार हो उठता है।


चिलगोजे के पेड़ पर चीड़ की ही तरह भूरे रंगरूप वाला तथा कुछ ज्यादा गोलाई वाला लक्कड़फूल लगता है। मार्च अप्रैल में आकार लेकर यह फूल सितंबर अक्तूबर तक पक जाता है। यह बेहद कड़ा होता है। इसे तोड़कर इसकी गिरियाँ बाहर निकाली जा सकती हैं लेकिन ये गिरियाँ भी एक मजबूत आवरण से ढकी रहती है। इस भूरे या काले आवरण को दाँत से कुतर कर हटाया जा सकता है। भीतर पतली व लंबी गिरी निकलती है जो सफेद मुलायम व तेलयुक्त होती है। इसे चबाना बेहद आसान होता है। इसका स्वाद किसी भी अन्य कच्ची गिरी से तो मिलता ही है, मगर काफी अलग तरह का होता है। मूँगफली या बादाम से तो यह बहुत भिन्न होता है। छिले हुए चिलगोजे जल्दी खरीब हो जाते हैं लेकिन बिना छिले हुए चिलगोजे बहुत दिनों तक रखे जा सकता है।


दुनिया के अधिकतर देश इस फल से वंचित हैं लेकिन किन्नर कैलास के पास वास्पा और सतलुज की घाटी में कड़छम नामक स्थान पर चिलगोजे के पेड़ों का भरा पूरा जंगल है। रावी के निकट के कुछ इलाकों तथा गढ़वाल के उत्तर पश्चिम के क्षेत्र, किन्नौर में कल्पा व सांगला की घाटी तथा चंबा में पांगी-भरमौर की घाटी इनके लिये प्रसिद्ध है। चिनाब नदी के कुछ ऊँचे बहाव वाले स्थानों पर भी यह मिलता है। अफगानिस्तान तथा बलूचिस्तान में भी यह मिलता है। इसके अतिरिक्त दक्षिण पश्चिम अमेरिका में इसे पाया जाता है। लेकिन एशियन और अमेरिकन चिलगोजे स्वाद और आकार में भिन्नता पाई जाती है।


चिलगोजा भूख बढ़ाता है इसका स्पर्श नरम लेकिन मिजाज गरम है। इसमें पचास प्रतिशत तेल रहता है। इसलिये ठंडे इलाकों में यह अधिक उपयोगी माना जाता है। सर्दियों में इसका सेवन हर जगह लाभदायक है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है, इसको खाने से बलगम की शिकायत दूर होती है। मुँह में तरावट लाने तथा गले को खुश्की से बचाने में भी यह उपयोगी है।


वनस्पति शास्त्र का इतिहास लिखने वालों का मानना है कि चिलगोजे को भोजन में शामिल करने का इतिहास पाषाण काल जितना पुराना है। इन्हें मांस, मछली और सब्जी में डालकर पकाया जाता है तथा ब्रेड में बेक किया जाता है। इटली में इसे पिग्नोली कहते हैं और इसे इटालियन पेस्टो सॉस की प्रमुख सामग्री माना गया है। जबकि अमेरिका में इसे पिनोली नाम से जाना जाता है और पिनोली कुकीज़ में इसका ही प्रयोग किया जाता है। अँग्रेजी में इसे आमतौर पर पाइन नट कहा जाता है। स्पेन में भी बादाम और चीनी से बनी एक मिठाई के ऊपर इसे चिपकाकर बेक किया जाता है। यह मिठाई स्पेन में हर जगह मिलती है। हिंदी में इसे चिलगोजे के लड्डू कह सकते हैं। कुछ स्थानों पर इसका प्रयोग सलाद के लिये किया जाता है।


चिलगोजे की काफी जिसे पिनोन कहा जाता है दक्षिण पश्चिम अमेरिका में न्यू मेक्सिको के आसपास बहुत लोकप्रिय होती है जो काली और मेवे के गहरे स्वाद वाली होती है। हल्के भुने और नमक लगे चिलगोजे तो आज सारी दुनिया में बिकने लगे हैं। दक्षिण पश्चिम अमेरिका में नेवादा के ग्रेट बेसिन का चिलगोजा अपने मीठे और फल जैसे स्वाद, बड़े आकार तथा आसानी से छीले जाने के लिये प्रसिद्ध है। मध्यपूर्व में भी चिलगोजे का प्रयोग भोजन के रूप में बहुतायत से होता है तथा किब्बेह, संबुसेक जैसे व्यंजन तथा बकलावा जैसी मिठाइयों की यह प्रमुख सामग्रियों में से एक है।


सूअर की विभिन्न प्रजातियां

पालतू सूअर संसार के प्राय: सभी देशों में फैले हुए हैं और भिन्न-भिन्न देशों में इनकी अलग-अलग जातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ उनमें से केवल कुछ जातियों का संक्षिप्त वर्णन दिया जा रहा है जो बहुत प्रसिद्ध हैं।


1. बर्क शायर (Berkshire)-इस जाति के सूअर काले रंग के होते हैं जिनका चेहरा, पैर और दुम का सिरा सफेद रहता है। यह जाति इंग्लैंड में बनाई गई है। जहाँ से यह अमरीका में फैली। इनका माँस बहुत स्वादिष्ट होता है।


2. चेस्टर ह्वाइट (Chester white)-इस जाति के सूअरों का रंग सफेद होता है और खाल गुलाबी रहती है। यह जाति अमरीका के चेस्टर काउन्टी में बनाई गई और केवल अमरीका में ही फैली है।


3. ड्यूराक (Duroc)- यह जाति भी अमरीका से ही निकली है। इस जाति के सूअर लाल रंग के होते हैं जो काफी भारी और जल्द बढ़ जाने वाले जीव हैं।


4. हैंपशायर (Hampshire)-यह जाति इंग्लैंड में निकाली गई है लेकिन अब यह अमरीका में भी काफी फैल गई है। इस जाति के सूअर काले होते हैं जिनके शरीर के चारों और एक सफेद पट्टी पड़ी रहती है। यह बहुत जल्द बढ़ते और चरबीले हो जाते हैं।


5. हियरफोर्ड (Hereford)- यह जाति भी अमरीका में निकाली गई है। ये लाल रंग के सूअर हैं जिनका सिर, कान, दुम का सिरा और शरीर का निचला हिस्सा सफेद रहता है। ये कद में अन्य सूअरों की अपेक्षा छोटे होते हैं और जल्द ही प्रौढ़ हो जाते हैं।


6. लैंडरेस (Landrace)-इस जाति के सूअर डेनमार्क, नार्वे, स्वीडन, जर्मनी और नीदरलैंड में फैले हुए हैं। ये सफेद रंग के सूअर हैं जिनका शरीर लंबा और चिकना रहता है।


7. लार्ज ब्लैक (Large Black)- इस जाति के सूअर काले होते हैं जिनके कान बड़े और आँखों के ऊपर तक झुके रहते हैं। यह जाति इंग्लैंड में निकाली गई और ये वहीं ज्यादातर दिखाई पड़ते हैं।


8. मैंगालिट्जा (Mangalitza) -यह जाति बाल्कन स्टेट में निकाली गई है और इस जाति के सूअर हंगरी, रूमानियाँ और यूगोस्लाविया आदि देशों में फैले हुए हैं। ये या तो घुर सफेद होते या इनके शरीर का ऊपरी भाग भूरापन लिए काला और नीचे का सफेद रहता है। इनको प्रौढ़ होने में लगभग दो वर्ष लग जाते हैं और इनकी मादा कम बच्चे जनती है।


9. पोलैंड चाइना (Poland China)-यह जाति अमर को ओहायो (Ohio) प्रदेश की बट्लर और वारेन (Butler and Warren) काउंटी में निकाली गई है। ड्यूराक जाति की तरह यह सूअर भी अमरीका में काफी संख्या में फैले हुए हैं। ये काले रंग के सूअर हैं जिनकी टाँगें, चेहरा और दुम का सिरा सफेद रहता है। ये भारी कद के सूअर हैं जिनका वजन 12-13 मन तक पहुँच जाता है। इनकी छोटी, मझोली और बड़ी तीन जातियाँ पाई जाती हैं।


10. स्पाटेड पोलैंड चाइना (Spotted Poland China)-यह जाति भी अमरीका में निकाली गई है और इस जाति के सूअर पोलैंड चाइना के अनुरूप ही होते हैं। अंतर सिर्फ यही रहता है कि इन सूअरों का शरीर सफेद चित्तियों से भरा रहता है।


11. टैम वर्थ (Tam Worth)-यह जाति इंग्लैंड में निकाली गई जो शायद इस देश की सबसे पुरानी जाति है। इस जाति के सूअरों का रंग लाल रहता है। इसका सिर पतला और लंबोतरा, थूथन लंबे और कान खड़े और आगे की ओर झुके रहते हैं। इस जाति के सूअर इंग्लैंड के अलावा कैनाडा और यूनाइटेड स्टेट्स में फैले हुए हैं।


12. वैसेक्स सैडल बैक (Wessex Saddle Back)-यह जाति भी इंग्लैंड में निकाली गई हैं। इस जाति के सूअरों का रंग काला होता है और उनकी पीठ का कुछ भाग और अगली टाँगें सफेद रहती हैं। ये अमरीका के हैंपशायर सूअरों से बहुत कुछ मिलते-जुलते और मझोले कद के होते हैं।


13. यार्कशायर (Yorkshire)-यह प्रसिद्ध जाति वैसे तो इंग्लैंड में निकाली गई है लेकिन इस जाति के सूअर सारे यूरोप, कैनाडा और यूनाइटेड स्टेट्स में फैल गए हैं। ये सफेद रंग के बहुत प्रसिद्ध सूअर हैं जिनकी मादा काफी बच्चे जनती है। इनका मांस बहुत स्वादिष्ट होता है।


भारतीय जंगली मुर्गी

छोटी जंगली मुर्गी (Red Spurfowl) (Galloperdix spadicea) फ़ीज़ेन्ट कुल का पक्षी है जो भारत का ही मूल निवासी है। इसकी पूँछ तीतर (जो स्वयं फ़िज़ेन्ट कुल का पक्षी है) की तुलना में लंबी होती है और जब यह ज़मीन पर बैठा होता है, तो इसकी पूँछ साफ़ दिखाई देती है। हालांकि इसका मुर्गी से दूर का भी संबन्ध नहीं है, लेकिन भारत में इसे जंगली मुर्गा ही माना जाता है।इस पक्षी के नर और मादा चेहरे और उसके आस-पास थोड़ा भिन्न दिखते हैं। नर की लंबाई ३५ से ३७ से.मी. और वज़न ३४० से ३७० ग्राम होता है जबकि मादा का आकार छोटा होता है और वह कम ही ३३ से.मी. की लंबाई पार कर पाती है। नर की टांगों में दो से तीन नुकीले नाख़ून-नुमा उभार होते हैं और मादा की टांगों में एक से दो उभार होते हैं, जिससे इसको इसका अंग्रेज़ी नाम Spurfowl मिला है।


आवास:-यह पक्षी भारत में ही पाया जाता है जहाँ यह गंगा के दक्षिण में ही देखा गया है और मध्य भारत में भी कम ही देखने को मिलता है जबकि दक्षिण भारत में इसकी आबादी काफ़ी है और स्थिर भी है। यह घने जंगलों और बांस के इलाकों में रहना पसन्द करता है। रात को आराम के लिए यह पेड़ों की शाखाओं की शरण लेता है।


आहार:-यह विभिन्न प्रकार के अनाज एवं बीज खाता है और छोटे कीड़े इसे बहुत पसन्द हैं। यह भोजन के लिए खुले में आना पसन्द नहीं करता है और घने झुरमुट में ही अपना भोजन ढूंढ लेता है।


फबासिए महत्वपूर्ण पादप

फ़बासिए (Fabaceae), लेग्युमिनोसी (Leguminosae) या पापील्योनेसी (Papilionaceae) एक महत्त्वपूर्ण पादप कुल है जिसका बहुत अधिक आर्थिक महत्त्व है। इस कुल में लगभग ४०० वंश तथा १२५० जातियाँ मिलती हैं जिनमें से भारत में करीब ९०० जातियाँ पाई जाती हैं। इसके पौधे उष्ण प्रदेशों में मिलते हैं। शीशम, काला शीशम, कसयानी, सनाई, चना, अकेरी, अगस्त, मसूर, खेसारी, मटर, उरद, मूँग, सेम, अरहर, मेथी, मूँगफली, ढाक, इण्डियन टेलीग्राफ प्लाण्ट, सोयाबीन एवं रत्ती इस कुल के प्रमुख पौधे हैं। लेग्युमिनोसी द्विबीजपत्री पौधों का विशाल कुल है, जिसके लगभग ६३० वंशों (genera) तथा १८,८६० जातियों का वर्णन मिलता है। इस कुल के पौधे प्रत्येक प्रकार की जलवायु में पाए जाते हैं, परंतु प्राय: शीतोष्ण एवं उष्ण कटिबंधों में इनका बाहुल्य है। इस कुल के अंतर्गत शाक (herbs), क्षुप (shrubs) तथा विशाल पादप आते हैं। कभी कभी इस कुल के सदस्य आरोही, जलीय (aquatic), मरुद्भिदी (xerophytic) तथा समोद्भिदी (mescphytic) होते हैं।


इस कुल के पौधों में एक मोटी जड़ होती है, जो आगे चलकर मूलिकाओं (rootlets) एवं उपमूलिकाओं में विभक्त हो जाती है। अनेक स्पीशीज़ की जड़ों में ग्रंथिकाएँ (nodules) होती हैं, जिनमें हवा के नाइट्रोजन का यौगिकीकरण (fixing) करनेवाले जीवाणु विद्यमान रहते हैं। ये जीवाणु नाइट्रोजन का स्थायीकरण कर, खेतों को उर्वर बनाने में पर्याप्त योग देते हैं। अत: ये अधिक आर्थिक महत्व के हैं। इसी वर्ग के पौधे अरहर, मटर, ऐल्फेल्फा (alfalfa) आदि हैं।


लेग्युमिनोसी कुल के पौधों के तने साधारण अथवा शाखायुक्त तथा अधिकतर सीधे, या लिपटे हुए होते है। पत्तियाँ साधारणतया अनुपर्णी (stipulate), अथवा संयुक्त (compound), होती हैं। अनुपर्णी पत्तियाँ कभी कभी पत्रमय (leafy), जैसे मटर में, अथवा शूलमय (spiny), जैसे बबूल में, होती हैं। आस्ट्रेलिया के बबूल की पत्तियाँ, जो डंठल सदृश दिखलाई पड़ती हैं, पर्णाभवृंत सदृश (phyllode-like) होती है।


पुष्पक्रम (inflorescence) कई फूलों का गुच्छा होता है। फूल या तो एकाकी (solitary) होता है या पुष्पक्रम में लगा रहता है। पुष्पक्रम असीमाक्षी (racemose) अथवा ससीमाक्षी (cymose) होता है। पुष्प प्राय: एकव्याससममित (zygomorphic), द्विलिंगी (bisexual), जायांगाधर (hypogynous), या परिजायांगी (perigynous) होते हैं। बाह्यदलपुंज (calyx) पाँच दलवाला तथा स्वतंत्र, या कभी-कभी थोड़ा जुड़ा, रहता है। पुमंग (androecium) में १० या अधिक पुंकेसर (stamens) होते हैं। जायांग (gynaeceum) एक कोशिकीय तथा असमबाहु (inequilateral) होता है। एकलभित्तीय (parietal) बीजांडासन (placenta) अभ्यक्ष (ventral) होता है, पर अपाक्षीय (dorsally) घूम जाता है। बीजांड (ovules) एक, या अनेक होते हैं। फल या फली गूदेदार तथा बीज अऐल्बूमिनी (exalbuminous) होते हैं।


ऊतको की संरचना

ऊतक विज्ञान या ऊतिकी (Histology) की परिभाषा देते हुए स्टोरर ने लिखा है : ऊतक विज्ञान या सूक्ष्म शरीर (microscopic anatomy) अंगों के भीतर ऊतकों की संरचना तथा उनके विन्यास (arrangement) के अध्ययन को कहते हैं। अँगरेजी का हिस्टोलॉजी शब्द यूनानी भाषा के शब्द हिस्टोस्‌ (histos) तथा लॉजिया (logia) से मिलकर बना है, जिनका अर्थ होता है ऊतकों (tissues) का अध्ययन। अत: ऊतक विज्ञान वह विज्ञान है, जिसके अंतर्गत ऊतकों की सूक्ष्म संरचना तथा उनकी व्यवस्था अथवा विन्यास का अध्ययन किया जाता है। 'ऊतक' शब्द फ्रांसीसी भाषा के शब्द टिशू (tissu) से निकला है, जिसका अर्थ होता है संरचना या बनावट (texture)। इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम फ्रांसीसी शारीर वैज्ञानिक (anatomist) बिशैट (Bichat) ने 18वीं शताब्दी के अंत में शारीर या शरीर-रचना विज्ञान के प्रसंग में किया था। उन्होंने अपनी पुस्तक में लगभग बी प्रकार के ऊतकों का उल्लेख किया है। किंतु, आजकल केवल चार प्रकार के मुख्य ऊतकों को मान्यता प्राप्त है, जिनके नाम हैं : इपीथिलियमी (epithelial), संयोजक (connective), पेशीय (musclar) और तंत्रिकीय ऊतक (nervous tissues)।


परिचय:-कोशिका, कोशिकाओं से ऊतक, ऊतकों से अंग, अंगो से तंत्र बनते हैं।आदिकाल से ही मनुष्य पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों को उनकी आकृति तथा आकार के द्वारा पहचानता रहा है। विज्ञान के विकास के साथ वनस्पतियों तथा जंतुओं के शरीर के भीतर की संरचना जानने की भी जिज्ञासा उत्पन्न होती गई। इसी जिज्ञासा के फलस्वरूप शल्यक्रिया (surgery) का विकास हुआ। चिकित्सा तथा जीववैज्ञानिकों ने पशु और वनस्पतियों की चीरफाड़ करके उनके अंग की संरचनाओं-अंग प्रतयंगों-का अध्ययन आरंभ किया। इसी अध्ययन के फलस्वरूप संपूर्ण शारीर (gross anatomy) की उत्पत्ति हुई। इसी के साथ जब सूक्ष्मदर्शी यंत्रों (microscopes) का विकास हुआ तो जटिल आंतरिक संरचनाएँ भी स्पष्ट होती गई। इस सूक्ष्मदर्शीय यांत्रिक अध्ययन को भौतिकी की संज्ञा प्रदान की गई। अत: ब्लूम तथा फॉसेट के शब्दों में 'ऊतिकी या सूक्ष्मदर्शी शारीर के अंतर्गत शरीर की वह आंतरिक संरचना आती है जो नंगी आँखों से नहीं दिखलाई देती।


समस्त सजीव प्राणियों की संरचनात्मक तथा क्रियात्मक (functional) इकाई कोशिका (cell) होती है। इसी कोशिका के अध्ययन को कोशिका विज्ञान (cytology) कहा जाता है। कोशिकाओं के पुंजों (groups) से ऊतकों और ऊतकों से अंगों की रचना होती हैं। ऊतकों की संरचना का अध्ययन करनेवाले विज्ञान को औतिकी तथा अंगों की संरचना का अध्ययन करनेवाले विज्ञान को शारीर कहते हैं। ऊतिकी तथा कोशिका विज्ञान के अध्ययनों के कारण शरीर के दुर्भेद्य रहस्यों का भेदन होता गया। इन दोनों के संमिलित अध्ययन से ऊतिकी-रोग-विज्ञान (histopathology) का विकास हुआ।


सन्‌ 1932 में नॉल एवं रस्का ने इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार किया, जिससे कोशिकाओं तथा ऊतकों की जटिलतम सरंचनाओं का स्पष्टीकरण हुआ। इसी के साथ साथ शरीरक्रियाविज्ञान (physiology) का भी विकास होता गया और नए नए रहस्यों का निरावरण संभव हुआ। इस प्रकार इन तीनों विज्ञानों के सम्मिलित प्रयास से जीववैज्ञानिक क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति आई है। ऊतिकी और कोशिकाविज्ञान मुख्य रूप से सूक्ष्म संरचनाओं के आकारकीय स्वरूप को स्पष्ट करते हैं। किंतु जब से एनिलीन रंजकों (aniline dyes) का अन्वेषण हुआ तब से कोशिकाओं की जटिल संरचनाओं का भी ज्ञान प्राप्त होने लगा है। आज सैंकड़ों प्रकार के रंजकों का प्रयोग करके सूक्ष्म से सूक्ष्म संरचनाओं पर प्रकाश डाला जा रहा है। इस प्रकार, ऊतिकी के क्षेत्र में अब रसायनविज्ञान का भी प्रवेश हो गया है। भाँति भाँति के स्थायीकरों (fixatives) के प्रयोग से रंजकों की रासायनिक प्रतिक्रियाओं का समुचित ज्ञान प्राप्त हो रहा है। जीवद्रव्य (protoplasm), कोशिका द्रव्य (cytoplasm) तथा उनमें और कोशिकाओं के अनेक अंगकों (organelles) की रासायनिक संरचनाओं का ज्ञान अब सर्वसाधारण के लिए सुलभ है। ये अंगक किस प्रकार विशेषीकृत कार्य संपादित करते हैं, यह अब अज्ञात नहीं रह गया। सूक्ष्म संरचनाओं (microscopic structure) की रासायनिक प्रकृति के अध्ययन को ऊतिकीरसायन (histochemistry) या कोशिकारसायन (cytochemistry) कहा जाता है और अब ऊतिकी तथा ऊतिकीरसायन का एक साथ अध्ययन किया जाता है।


हेलेन डीन के मतानुसार इस प्रकार की अध्ययनविधियों की तीन प्रमुख कोटियाँ हैं:


(1) ऊतकों के आंतरिक रासायनिक पदार्थो की, उनके वर्ण की परीक्षा (colour test) की प्रतिक्रियाओं और उनकी प्रकाशिक विशेषताओं (optic characters) की पृष्ठभूमि में पहचान (identification)। ये विधियाँ सामान्यतया गुणात्मक (qualitative) ही होती हैं, संख्यात्मक (quantitative) नहीं। इसका कारण यह है कि इन विधियों से रासायनिक पदार्थों के विस्तार (distribution) का ही पता चलता है, उनकी सांद्रता (concentration) कितनी है, इसका ज्ञात नहीं हो पाता।
(2) लिंगरस्ट्रोम तथा लैंग द्वारा विकसित अनस्थायीकृत (undixed) तथा आलग्न विच्छेदों (frozen sections) की जैवरासायनिक क्रियाओं (biological activities) की माप इस विधि की दूसरी विशेषता है।
(3) अंत में, इस विधि द्वारा यह पता लगाया जाता है कि कोशिकाओं के एकल घटकों (isolated constituents) की क्या प्रतिक्रियाएँ होती हैं। इस विधि को बेन्स्ले ने विकसित किया था। इसके अंतर्गत कोशिकाओं के केंद्रकों (nuclei), माइटोकॉण्ड्रिया (mitochondria) स्रावी कणिकाओं (secietory granules) आदि को पृथक करके उनकी रासायनिक तथा एंजाइमी (enzymatically) परीक्षाएँ की जाती हैं।
बेली की ऊतिकी विषय पर लिखी पुस्तक में ऊतक विज्ञान के साथ ही कोशिका वैज्ञानिक अध्ययन पर भी बल दिया गया है। बेली के मतानुसार, चूँकि ऊतक-विज्ञान संरचना संबंधी अध्ययन (structural science) है और विच्छेदन (disection) द्वारा प्राप्त शरीररचना संबंधी ज्ञान की पूर्ति करता है, अत: इसके शरीर-क्रिया-विज्ञान (physiology) तथा रोगविज्ञान (pathology) से घनिष्ठ संबंध पर भी बल देना आवश्यक है। (बेलीज़ टेक्स्ट बुक ऑव हिस्टोलॉजी, संशोधक विल्फ़ेड एम. कोपेनहावर एवं डोरोथी डी. जॉनसन, विलियम्स ऐंड विल्किन्स कं. बाल्टीमोर, 14वीं आवृत्ति, 1958)। इनके मतानुसार भी ऊतक विज्ञान का आधार कोशिकाशारीर (cell anatomy) अथवा कोशिकाविज्ञान (cytology) ही है।


राम का राष्ट्रवाद उपदेश

गतांक से...


विचार यह चल रहा था कि हम अपने प्रभु का गुणगान गाने वाले बने! अपने प्रभु की निहारिका मानो उसके विज्ञान में रत रहना चाहिए! वह कितनी विशाल ज्ञान-विज्ञान की धाराएं हैं, जिन्हें मानव अपने में धारण करके अंतर्मुखी बन जाता है! तो राम ने कहा कि राजा वह होता है जो अपने विचारों को गोपनीय बना लेता है और गोपनीय जो विषय होते हैं! वही मानव के जीवन का उद्धार करते हैं! इसलिए हम परमपिता परमात्मा की आराधना करते हुए राष्ट्र का पालन करते चले जाएं! राष्ट्र दूसरे के वैभव को संग्रह करने के लिए नहीं है! राष्ट्र को इसलिए निर्धारित किया जाता है कि उसकी प्रतिभा बनी रहे! उसका मानवत्व उसका ॠषित्व ज्यो कर त्यो बना रहे! ऐसी धारणा राजा के हृदय में निहित रहनी चाहिए! तो देखो जब यह वाक्य राजाओं ने श्रवण कर लिया कि बुद्धिमान, बुद्धिजीवी प्राणियों की रक्षा होनी चाहिए! ऐसा जब भगवान राम ने वर्णन किया तो इतने में कुछ और जिज्ञासु आ पहुंचे! उन जिज्ञासुओ ने यह प्रश्न किया कि महाराज आप प्राण के संबंध में तो जानते ही हो! राम ने कहा मैं पुराण के संबंध में इतना नहीं जानता! परंतु देखो तुम मेरे से जानना चाहते हो! मैं इस का प्रयास करता रहूंगा! वह आसन पर शांत मुद्रा में विराजमान हो गए और अपने में यह कहा कि प्राण के संबंध में मैं इतना तो नहीं जानता! परंतु मैं इतना जानता हूं जो गुरुओं के चरणों में विद्यमान हो करके मैंने प्राण की कुछ सूक्ष्म विधा का अध्ययन अवश्य किया है! हमारे मानव शरीर में नाना प्रकार के प्राण अपना क्रियाकलाप कर रहे हैं! यह जो प्राण की प्रतिष्ठा है! उसको जान करके हमें यह निर्णय हो गया कि यह प्राण कहां चला गया! राजा ने कहा भगवन संभूति ब्रह्मवाचम् ब्रहे लोकाम् हिरणयम रथ: देवा:गत: प्रवाहनाण ब्रहे: वाचम ब्रहे अश्वती: मुद्रा' आचार्य कहते हैं कि हम यह और जानना चाहते हैं कि प्राण की प्रतिष्ठा क्या है? राम ने कहा इसको  महर्षि लोमश जो भयंकर वनों में है बहुत अच्छी प्रकार जानते हैं! उनके एक सहपाठी कागभुषडं जी भी है! वह भी प्राण के संबंध में विशेष जानते हैं! ऐसा कहा जाता है कि कुछ समय के पश्चात वे दोनों भी कहीं से विचरण कर के राम के आश्रम में आ पहुंचे! उन्होंने उनसे नाना प्रकार की वार्ताओं को उदबुध कराया! परंतु ऋषि उस वार्ता को हृदय से अच्छी प्रकार जानते थे! तो देखो प्राण अपान की वार्ता चल रही थी! प्राण किसे कहते हैं! अपान किसे कहते हैं? सब भ्रमण करते हुए कागभूषण ऋषि के द्वार पर पहुंचे! ऋषि से कहा कि महाराज यह वाक्य हमसे दूर जा रहा है! कृपया इस पर अपना निर्णय दीजिए! ऋषि ने कहा क्या जानना चाहते हो? उन्होंने कहा प्राण को सखा बनाना चाहते हैं! प्राण के ही रूप में हम प्राण तत्व को जानना चाहते हैं! उन्होंने कहा क्या तुम नहीं जानते कि प्राण सका तो संसार के प्रत्येक आंगन में क्रीड़ा कर रहा है! तुम्हारी वाणी में भी  क्रीड़ा कर रहा है! तुम्हारे शब्दों में देखो अशुद विज्ञान की प्रतिभा का जन्म हो रहा है! तो वहां से कुछ ने गमन किया! कागभूषण जी ने नाना प्रकार के गंभीरता से प्रसन्न होने लगे! उन्होंने कहा प्रभु क्या जानना चाहते हो! हमने कहा संभूति: ब्रहे ब्रह्मा वाच: प्रमाण लोकाम वायु: शरणं व्रही वृचाम् देवो शत्रुत:, भगवान राम ने और ॠषियो  ने अपना निर्णय लिया कि मानव प्राण को अपान में, अपान को समान में, समान को व्यान में, व्यान को उदान में, निहित करता रहता है! इन पांचों का एक तारतम्य में लगा रखा जाता है प्राणो का तारतम्य हीं मानो यह सिद्ध कर रहा है! यह किसी स्थान में परिवर्तनशील होने जा रहे हैं! परंतु इसमें हमें यह सिद्ध हो गया कि यह प्राण जब तक एक दूसरे की आभा में निहित नहीं हो जाते हैं तो यह इंद्रियों का वहां वाचक विषय कहलाया जाता है! जितने प्राण को तुम सखा बना करके उसके साथ भ्रमण करोगे! तो वही अपान प्राण में और प्राण व्यान में और व्यान देवदत्त में इस प्रकार यह प्राणों की प्रतिभा का प्राय: वर्णन आता रहता है कि मैं प्रणायाम करना चाहता हूं!


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


हिंदी दैनिक


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 24, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-81 (साल-01)
2. बृहस्पतिवार ,24 अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,कृष्णपक्ष, तिथि- एकादशी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:21,सूर्यास्त 05:55
5. न्‍यूनतम तापमान -21 डी.सै.,अधिकतम-30+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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cont.935030275
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कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया

कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया पंकज कपूर  रुद्रपुर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलक...