सोमवार, 14 अक्तूबर 2019

आज का दिन शुभ रहेगा: धनु

राशिफल


मेष-मेष राशि वालों के लिए आज का दिन थोड़ा परेशानी भरा रहेगा। कार्यक्षेत्र पर सहकर्मियों से असहयोग प्राप्त होगा। कारोबार की स्थिति मध्यम रहेगी। कुछ लाभकारी सौदे होने से आर्थिक स्थिति पटरी पर आएगी। दूसरों को अपनी बात समझाने में खासी मेहनत करनी पड़ेगी। पारिवारिक जीवन सामान्य रहेगा। किसी करीबी से मनमुटाव हो सकता है।


वृषभ-वृष राशि के लोगों के लिए आज का दिन आर्थिक रूप से शुभ है। व्यापार को नए मुकाम पर ले जाएंगे। लाभ में वृद्धि होगी। पारिवारिक जीवन खुशहाल होगा। आमदनी में बढ़ोतरी होगी और खर्च भी ज्यादा होगा। अपने काम में व्यस्त रहेंगे। लव लाइफ के हिसाब से आज का दिन काफी अच्छा बीतेगा।


मिथुन-मिथुन राशि वालों के लिए आज का दिन उतार चढ़ाव भरा रहेगा। आर्थिक मोर्चे पर असफल हो सकते हैं। हालांकि अपनी सूझबूझ और समझदारी से कार्य संबंधी सभी मुश्किलों का हल निकाल लेंगे। सेहत में गिरावट आएगी। किसी करीबी से धोखा मिल सकता है संभल कर रहें।


कर्क-कर्क राशि के लोगों के लिए आज का दिन शुभ है। नौकरीपेशा वाले लोगों के काम की तारीफ होगी। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। प्रभावशाली लोगों से संबंध बनेंगे। कारोबार में लाभ के योग बने रहेंगे। पारिवारिक जीवन में खटास आ सकती है। जीवनसाथी से बहस होने के आसार हैं।


सिंह-सिंह राशि वालों को आज किस्मत का साथ मिलेगा। लंबे समय से प्रयासरत प्रोजेक्ट में सफलता मिलेगी। नौकरी की तलाश कर रहे जातकों को खुशखबरी मिल सकती है। आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। तंगी की हालत दूर होगी। पुराने लोन का भुगतान करेंगे। पारिवारिक जीवन यथावत रहेगा।


कन्या-कन्या राशि के लोगों के लिए आज का दिन अच्छा रहेगा। पूरे दिन आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे। कारोबार को नई ऊंचाईयों पर ले जाएंगे। नौकरीपेशा वाले लोगों को काम की तारीफ मिलेगी। अपना टैलेंट दिखाने के लिए मौके मिलेंगे। घर-परिवार की स्थिति अच्छी रहेगी। जीवनसाथी का पूरा सहयोग मिलेगा।


तुला-तुला राशि वालों के लिए आज का दिन कुछ खास नहीं रहेगा। पूरा दिन चिड़चिड़ा महसूस करेंगे। सेहत में गिरावट आएगी। अकेले वक्त बिताने का मन करेगा। आलस्य के कारण अपने जरूरी कामों को निपटाने में देरी हो सकती है, जिसका निकट भविष्य में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। सेहत में सुधार आएगा।


वृश्चिक-वृश्चिक राशि के लोगों के लिए आज का दिन मिले-जुले परिणामों वाला रहेगा। कार्य को लेकर थोड़ा चिंतित रहेंगे। नए लोगों से मुलाकात होगी, संपर्क स्थापित होंगे। कार्यक्षेत्र पर किसी से मनमुटाव हो सकता है। पारिवारिक जीवन अच्छा रहेगा. वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ेगा।


धनु-धनु राशि वालों के लिए आज का दिन शुभ है। लंबे समय से प्रयासरत कामों में सफलता मिलेगी। करियर में उन्नति के नए रास्ते खुलेंगे। कारोबार की स्थिति अच्छी रहेगी। कोई नया निवेश न करें। सामाजिक जीवन में प्रतिष्ठा बढ़ेगी। पारिवारिक जीवन सुखदायक रहेगा।


मकर-मकर राशि के लोगों के लिए आज का दिन परेशानियों भरा रहेगा. कार्यक्षेत्र पर कई तरह की चुनौतियां मिलेंगी। हालांकि अपनी समझदारी और आत्मविश्वास के जरिए सभी कठिनाईयों को दूर कर सकेंगे। कारोबार में नए संबंध स्थापित होंगे, जिनका लाभ आने वाले समय में निश्चित ही मिलेगा। परिवार में किसी बात से परेशान रह सकते हैं।


कुंभ-कुंभ राशि वालों के लिए आज का दिन सामान्य रहेगा। कार्य सिद्धि के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत होगी। नौकरी की तलाश कर रहे जातकों को असफलता हाथ लगेगी। नए लोगों से मुलाकात होगी. कारोबार की स्थिति ठीक रहेगी। पारिवारिक जीवन यथावत रहेगा।


मीन-मीन राशि वालों के लिए आज का दिन सामान्य रहेगा। कार्यक्षेत्र पर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पूरे दिन काम में व्यस्त रहेंगे। पारिवारिक जीवन में मनमुटाव की स्थिति पैदा हो सकती है।


मुगल रसोई से आई इमरती

इमरती या झंग्री एक प्रकार की स्वादिष्ट मिठाई हैं जो भारत एवं इसके आस पास के देशों में मुग़ल रसोइयों द्वारा लायी गयी थी। यह उरद दाल के पिसी गयी मिश्रण को तेल में तलकर बनाई जाती हैं। इसका आकर गोल एवं फूलों की तरह होता हैं। तलने के बाद इसे चीनी के चासनी में डाला जाता है। इस व्यंजन को जलेबी भी कुछ लोग गलती से समझ लेते हैं, जो आकार में इससे थोड़ी पतली एवं इमारती से एवं ज्यादा मीठी होती हैं।


इमरती उड़द के आटे की घोल से बनाया जाता हैं एवं इसे बोलचाल की भाषा जलेबी परपू (दाल) भी कहा जाता हैं चीनी की चाशनी एवं केशर इसमें रंग लाने के लिए मिलाया जाता है।


जन्गिरी-इस को जन्गिरी या झांगरी भी कहते हैं। दक्षिण भारत में झांगरी के नाम से लोकप्रिय है। उड़द की दाल को कुछ घंटे के लिए पानी में भिंगो कर रख देते है फिर इसको पत्थर से पीसकर इसका एक महीन मिश्रण बना देते हैं फिर इस घोल को घी में तल दिया जाता हैं कभी कभार इसमें अन्य प्रकार के तेल भी मिलाया जाता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसका स्वाद हैं एवं मुह में घोलते ही यह पिघल सा जाता हैं।


इस घोल को तलने के पहले कपूर (खाने योग्य), लौंग, इलाइची एवं केशर के साथ मिलाया जाता हैं, इस तले हुए पदार्थ को चीनी चासनी में मिलाया जाता हैं। इसे तब तक बाहर नहीं निकाला जाता जबतक इसकी आकार में वृद्धि नहीं हो जाये एवं इसके अन्दर पर्याप्त मात्रा में चासनी नहीं मिल जाये, उत्तरी भारत में बनने वाली इमरती को आमतौर थोड़ी सुखी रहती हैं। फिर इस चासनी से निकाले गए गरमागरम इमरती को या तो गरम,कमरे के तापमान या फिर फ्रिज में रख कर ठंडा कर के परोसा जाता हैं। लेकिन ज्यादातर यह गरम में ही ज्यादा पसंद की जाती हैं।


भालू की 8 ज्ञात जातियां

भालू या रीछ (Bear), जिसका वैज्ञानिक नाम उरसीडे (Ursidae) है, स्तनधारी प्राणियों के मांसाहारी गण का एक जीववैज्ञानिक कुल है। हालाँकि इसकी सिर्फ आठ ज्ञात जातियाँ हैं, इसका निवास पूरी दुनिया में बहुत ही विस्तृत है। यह एशिया, यूरोप, उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के महाद्वीपों में पाया जाता है। देखने में, सभी भालुओं के आम लक्षणों में बड़ा शरीर, मोटी टाँगे व बाज़ू, लम्बा बुक्क (नाक), पूरे बदन पर घने बाल और पाँव में सख़्त नाख़ून शामिल हैं। ध्रुवीय भालू (पोलर बेयर) अधिकतर मांस-मछली ही खाता है और बड़ा पांडा (जायंट पांडा) सिर्फ़ बांस के पत्ते-टहनियाँ खाता है, लेकिन भालुओं की अन्य छह जातियाँ सर्वाहारी होती हैं और मांस और वनस्पति दोनों खाती हैं। भालू झुण्ड के बजाय अकेला रहना पसंद करते हैं। केवल बच्चे जनने के लिए नर और मादा साथ करते हैं और फिर अलग हो जाते हैं। बच्चों के पैदा होने के बाद, ये छोटे भालू कुछ समय के लिए अपनी माँ का साथ रखते हैं। भालू ज़्यादातर दिन के समय ही सक्रिय होते हैं, हालाँकि कभी-कभी रात को भी घूमते हुए या खाना ढूंढते हुए पाए जा सकते हैं। इनकी सूंघने की शक्ति बहुत तीव्र होती है। देखने में भारी-भरकम लगने के बावजूद भालू तेज़ी से दौड़ सकते हैं और इनमें पेड़ों पर चढ़ने और पानी में तैरने की भी अच्छी क्षमता होती है। ये अक्सर ग़ुफ़ाओं या ज़मीन में बड़े गड्ढों में अपना घर बनाते हैं। भालू की कुछ जातियाँ शीतनिष्क्रियता (सर्दियों के मौसम को सो कर गुज़ारना) प्रदर्शित करती हैं।


एशिया में सिरके का उपयोग

सिरका या चुक्र (Vinagar) भोजन का भाग है जो पाश्चात्य, यूरोपीय एवं एशियायी देशों के भोजन में प्राचीन काल से ही प्रयुक्त होता आया है।


किसी भी शर्करायुक्त विलयन के मदिराकरण के अनंतर ऐसीटिक (अम्लीय) किण्वन (acetic fermentation) से सिरका या चुक्र (Vinegar, विनिगर) प्राप्त होता है। इसका मूल भाग ऐसीटिक अम्ल का तनु विलयन है पर साथ ही यह जिन पदार्थों से बनाया जाता है उनके लवण तथा अन्य तत्व भी उसमें रहते हैं। प्रायः भोजन के लिये प्रयुक्त सिरके में ४% से ८% तक एसेटिक अम्ल होता है। विशेष प्रकार का सिरका उसके नाम से जाना जाता है, जैसे मदिरा सिरका (Wine Vinegar), मॉल्ट (यव्य या यवरस) सिरका (Malt Vinegar), अंगूर का सिरका, सेब का सिरका (Cider Vinegar), जामुन का सिरका और कृत्रिम सिरका इत्यादि।


रसायनिक और भौतिक गुण 
इतिहास-इसकी उत्पत्ति बहुत प्राचीन है। आयुर्वेद के ग्रंथों में सिरके का उल्लेख औषधि के रूप में है। बाइबिल में भी इसका उल्लेख मिलता है। 16वीं शताब्दी में फ्रांस में मदिरा सिरका अपने देश के उपभोग के अतिरिक्त निर्यात करने के लिए बनाया जाता था।


सिरके के बनने में शर्करा ही आधार है क्योंकि शर्करा ही पहले ऐंजाइमों से किण्वित होकर मदिरा बनती है और बाद में उपयुक्त जीवाणुओं से एसिटिक अम्ल में किण्वित होती है। अंगूर, सेब, संतरे, अनन्नास, जामुन तथा अन्य फलों के रस, जिनमें शर्करा पर्याप्त है, सिरका को तैयार करने के लिए बहुत उपयुक्त हैं क्योंकि उनमें जीवाणुओं के लिए पोषण पदार्थ पर्याप्त मात्रा में होते हैं। फलशर्करा और द्राक्ष-शर्करा का ऐसीटिक अम्ल में रासायनिक परिवर्तन निम्नलिखित सूत्रों से अंकित किया जा सकता है: ये दोनों ही क्रियाएँ जीवाणुओं (Bacteria) के द्वारा होती हैं। यीस्ट (ख़मीर) किण्वन में ऐल्कोहॉल की उत्पत्ति किण्वित शर्करा की प्रतिशत की आधी होती है और सिद्धांतत: ऐसीटिक अम्ल की प्राप्ति ऐल्कोहॉल से ज्यादा होनी चाहिए, क्योंकि दूसरी क्रिया में ऑक्सीजन का संयोग होता है, लेकिन प्रयोग में इसकी प्राप्ति उतनी ही होती है क्योंकि कुछ ऐल्कोहॉल जीवाणुओं के द्वारा तथा कुछ वाष्पन द्वारा नष्ट हो जाते हैं।


उड़ने वाला सांप 'क्रिसोपिली'

उड़न साँप क्रिसोपिली (Chrysopelea) जीनस के साँप हैं जो बहुत कम विषैले होते हैं और मनुष्यों के लिए हानिरहित है। ये दक्षिण-पूर्वी एशिया, दक्षिणी चीन, भारत और श्रीलंका में पाए जाते हैं। भारत में ये मध्य भारत, बिहार, उड़ीसा और बंगाल में अधिक पाए जाते हैं।


यह बहुत तीव्र गति से चलने की क्षमता रखता है जो इसकी विशिष्टता है। यह अपने शरीर को फुलाकर तथा शरीर को एक विशेष आकार देकर एक डाल से दूसरी डाल पर ग्लाइड कर जाता (कूद जाता) है। इसीलिए इसे 'उड़न साँप' का भ्रामक नाम दिया गया है। यह इस तरह कूदता चलता है मानो उड़ रहा हो। इनका रंग ऊपर से हल्का पीलापन लिए हुए हरा होता है। नियमित दूरियों पर काले रंग की आड़ी पट्टियाँ रहती हैं जो काले सीमांतोंवाले शल्कों के कारण बनी होती हैं। अधरशल्क हरे होते हैं। सिर काला होता है जिसपर साथ साथ पीले या हल्के हरे रंग को आड़ी पट्टियाँ तथा कुछ धब्बे होते हैं।


यह साँप छिपकलियों, छोटे स्तनियों, पक्षियों, छोटे साँपों और कीटों को खाता है। यह घरों के आस पास भी कभी कभी दिखाई देता है। यह अंडप्रजक है। यह कभी कभी पेड़ की शाखाओं से लटका भी देखा गया है।


महर्षि वशिष्ठ का राष्ट्रवाद उपदेश

गतांक से...
 इसी प्रकार देखो एक राष्ट्रीय दूसरे से स्नेह कर रहा है स्नेह करते हुए एक दूसरे में परिणत होने का नाम ही बेटा, देखो माला बननी है। जैसे माता-पिता है, पित्र जन है, आचार्य जन है, शिष्य गण है। इसी प्रकार की विचारमयी माला बन जाती है। उस माला को कौन धारण करता है। बेटा विचारक, उस माला को कौन धारण करता है, जो परमात्मा को जान लेता है। उस माला को कौन धारण करता है, बेटा जिसको हम आत्मा के रूप में परिणत करते हैं। आओ मुनिवरो, इस संबंध में तुम्हें विशेषता में नहीं ले जाना चाहता हूं। विचार केवल यह है कि हमें उस माला के सूत्रों को अपनी गणना में लाकर के ही तो पार होना है। आओ मेरे पुत्रों देखो मैं कहां चला गया हूं। विचार केवल यह है कि कई समय से हमारा विचार राष्ट्रवाद और तपस्या के ऊपर विचार-विनिमय हो रहा है। प्रत्येक मानव यह कहता है कि अपने को कैसे जाना जाए। अपने को जाने बिना हम परमात्मा की प्रतिभा को नहीं पा सकेंगे। फिर अपने पन कैसे जाने? मेरे प्यारे देखो इंद्रियों में जो ज्ञान और विज्ञान समाहित हो रहा है। उस प्रत्येक इंद्रियों के ज्ञान और विज्ञान को हम जानने वाले बने। वही हमारी जानकारी है मेरे पुत्रों जब हम प्रत्येक इंद्रियों के विषयों को जानकारी में लाते हैं और हृदय से हृदय का मिलान करते हैं। तो वही मानवीयता की आभामयी एक उपलब्धि मानी गई है। इस उपलब्धि को प्राप्त करने के पश्चात मानव नाना प्रकार की तपस्या में परिणत हो जाता है। एक माला बनाना प्रारंभ कर देता है। हम विचार-विनिमय करते चले जाएं कि हमारा जीवन हमारा राष्ट्र हमारी मानवीयता कैसे ऊंची बनेगी। मेरे प्यारे देखो राष्ट्र के लिए गमन करने से पूर्व राम यह विचार कर रहे थे। मैं ऋषि वशिष्ठ मुनि महाराज और माता अरुंधति इत्यादि की विवेचना हो रही थी। महात्मा विभीषण ने 'अमृताम् महात्मम् ब्रह्मा: कृतम देवत्वम दुष्टाम् ब्रव्हे क्रतम्। महर्षि वशिष्ठ मुनि महाराज ने यह कहा कि, हे राम, यदि तुम राष्ट्र का पालन करना चाहते हो तो तुम्हें वशिष्ठ बनना है। तुम्हें इतनी वृत्ति बनना है। उन्होंने कहा है प्रभु मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि आप जो राष्ट्रवाद की चर्चा कर रहे हैं यह राष्ट्रवाद क्या है? उन्होंने कहा राष्ट्रवाद वास्तव में अपने ऊपर अनुशासन करने को कहते हैं। अपने ऊपर अनुशासन करता हुआ, जब अपने को जान लेता है तो वह राष्ट्र को उस प्रकार भोगत्व मे लाता है जैसे शब्द आता है यह जनह ममह, कि यह संसार, यह राष्ट्र मेरा नहीं है मैं तो कर्तव्य करने के लिए तत्पर रहता हूं। जो कर्तव्य करते हुए करते स्वीकार करता है। वही राष्ट्रवादी कहलाता है। भगवान राम ने पुन: यह कहा कि महाराज यह राष्ट्रवाद क्या है? उन्होंने कहा ब्रह्म जगत में राष्ट्रवाद उसे कहते हैं। जहां-जहां राष्ट्र को प्रजा मे महानता और शांति की स्थापना हो। राजा के राष्ट्र में प्रजा और राष्ट्र एक ही रस रहने चाहिए। उसे राष्ट्रवाद कहते हैं। भगवान राम ने उन्हें प्रश्न किया कि भगवान यह राष्ट्रवाद क्या है? उन्होंने कहा राष्ट्रवाद वह है,जिस राजा के राष्ट्र में वेद के मार्ग को जानने वाले पंडित्व होते हैं जिस राजा के राष्ट्र में वृद्धि वाले हो और उसमें अपनी आभा वाले विवेकी पुरुष होने चाहिए। जिस राजा के राष्ट्र में विवेकी पुरुष नहीं होते, जिस राजा के राष्ट्र में महापुरुष त्याग और तपस्या में नहीं होते। उस राजा का राष्ट्र नग्न रह जाता है। इसलिए हमारे यहां परंपरागतो  से ही राष्ट्रीयता, राष्ट्रीय प्रणाली में महापुरुषों का बड़ा वर्णन आता रहा है। विवेकी पुरुषों के, ऋषि मुनि के चरणों को स्पर्श करते रहते हैं और वह किसी न किसी काल में अपनी पिपासा को शांत करते हैं। वह पिपाशा जब शांत हो जाती है तो राष्ट्रीय प्रणाली पवित्र बनती है। क्योंकि राजा जब अशांत होगा तो वह कहां जाएगा? वह ग्रह में नहीं जा सकता है, वनों में नहीं जा सकता है। क्योंकि उसके ऊपर एक राष्ट्रीय परंपरा है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


हिंदी दैनिक


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 15, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-72 (साल-01)
2. मंगलवार,15 अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,कृष्णपक्ष,तिथि- दूज,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:18,सूर्यास्त 06:00
5. न्‍यूनतम तापमान -21 डी.सै.,अधिकतम-31+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


https://universalexpress.page/
email:universalexpress.editor@gmail.com
cont.935030275
 (सर्वाधिकार सुरक्षित)


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  1. अंक-161, (वर्ष-11) पंजीकरण:- UPHIN/2014/57254 2. शनिवार, मार्च 30, 2024 3. शक-1945, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-षष्ठी,...