गुरुवार, 3 अक्तूबर 2019

स्टार प्रचारको में एक भी मुस्लिम नहीं

कांग्रेस की स्टार प्रचारक में एक भी मुस्लिम नही,पूर्व राज्यपाल अज़ीज़ कुरेशी गुस्से में,कहा मुसलमान कांग्रेस के गुलाम नही हैं।
शेख नसीम


भोपाल। मध्य प्रदेश के झाबुआ विधानसभा के लिए होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया के समर्थन में कांग्रेस ने अपनी स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी लेकिन इस सूची में एक भी मुस्लिम नेता को शामिल नही किया गया हैं।


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल अज़ीज़ कुरेशी ने इस पर कांग्रेस के नेताओ पर ही हमला बोलते हुए कहाकि झाबुआ  विधानसभा उपचुनाव में प्रचार के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में एक भी मुस्लिम नेता को शामिल नही किया गया हैं उन्होंने कहाकि मुसलमान कांग्रेस के गुलाम नही हैं और न ही दिहाड़ी मजदूर। बहुत हो गया अब हम और अपमान बर्दाश्त नही करेंगे। कांग्रेस ने एक भी मुस्लिम नेता को सूची में शामिल नही करते हुए मुसलमानो की उपेक्षा की हैं आने वाले समय मे ये कांग्रेस के लिए बहुत नुकसान वाला फैसला होगा।


यात्री बस गिरी नदी में ,7 की मौत

छतरपुर। मध्य प्रदेश के छतरपुर में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जहां मध्य प्रदेश से छतरपुर जा रही यात्री बस अचानक अनियंत्रित होकर पुल से नीचे नदी में जा गिरी जिससे 7 लोगों की मौत की खबर अभी तक सामने आई है वहीं 3 दर्जन से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं ।दरअसल मध्‍य प्रदेश में बीती रात एक दर्दनाक हादसा घट गया। यहां भोपाल से छतरपुर जा रही एक यात्री बस रायसेन के पास पुल से नीचे आ गिरी। इस हादसे में 7 यात्रियों की मौत हो गई और 3 दर्जन से ज्‍यादा लोग घायल हो गए। पुलिस सहित एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच गई है और स्‍थानीय लोगों की मदद से घायलों को बाहर निकाला।


करीब 1.30 बजे रायसेन के निकट एक दरगाह के पास रिछन नदी के पुल से यह बस अनियंत्रित होकर नदी में जा गिरी। इस दुर्घटना में 7 यात्रियों की मौत हो गई, वहीं 3 दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। कोतवाली पुलिस सहित एसडीआरएफ(SDRF) की टीम मौके पर पहुंच गई है। बताया जा रहा है कि बस पुल के नीचे पानी मे आधी डूबी है। घायलों को निकालने में स्थानीय लोग भी मदद को पहुँचे गए हैं। घायलों को जिला अस्पताल भेजा जा रहा है।


आपके सितारे पक्ष में रहेंगे:मीन

राशिफल


वृषभ:आपका प्रयास आज रंग लाएगा। शुभ समाचार मिलेगा। नए अवसर प्राप्त होंगे जिनसे जीवन में उत्साह एवं आनंद का संचार होगा। अपनों से सहयोग मिलेगा, मित्र भी साथ देंगे। नौकरी में नए विचारों और उर्जा से अच्छा प्रदर्शन करेंगे। 
मिथुन:आर्थिक मामलों में दिन लाभप्रद रहेगा। कहीं से धन की प्राप्ति हो सकती है। कोई चाहत पूरी हो सकती है। यात्रा मंगलमय होगी। कम प्रयास से ही आप मान-सम्मान और यश प्राप्त कर लेंगे। कुल मिलकर दिन शुभ रहेगा।


कर्क: स्वास्थ्य नरम रहेगा। साझेदारी के काम में समझदारी और सतर्क रहने की जरूरत है। अपने भी आज बेगानों का व्यवहार करेंगे। अपने काम से मतलब रखिए, विवादों में फंसकर अपना नुकसान करवा सकते हैं। दुर्गा नामावली का पाठ करना शुभ रहेगा।


सिंह:आज का दिन उतार-चढ़ाव भरा रहेगा। संयम से दिन बिताएं। कोई अप्रिय समाचार मिल सकता है या कोई अप्रिय घटना हो सकती है जिससे निराश होंगे। सोच-समझकर ही यात्रा एवं कार्य-व्यवहार करें। साधु-संतों का आशीर्वाद मन में उर्जा का संचार करेगा। 


कन्या:आज सितारे आपके पक्ष में हैं। आपकी यात्रा लाभप्रद रहेगी। मान-सम्मान और प्रभाव बढ़ेगा। कार्यों में सफलता मिलेगी। जितनी मेहनत और प्रयास करेंगे उस अनुपात में लाभ प्राप्त होगा। अधिकारी वर्ग से सहायता मिलेगी, विरोधी निर्बल रहेंगे।
तुला:आज का दिन आनंद और उत्साह में बीतेगा। कहीं आपका धन फंसा है तो आज मिल सकता है। जिन क्षेत्रों में प्रयास करेंगे उनमें सफलता मिलेगी। सामाजिक क्षेत्र में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे। धर्म-कर्म के काम में रुचि लेंगे।


वृश्चिक:आज कुछ नए संपर्क बन सकते हैं जिनसे आपको लाभ मिलेगा। कोई अटका हुआ काम बनने से आप प्रसन्न रहेंगे। महिला मित्रों और संबंधियों से मधुर संबंध बनाकर रखें, फायदा होगा। अतिउत्साह से नुकसान हो सकता है, जोखिम लें मगर समझदारी से।


धनु:आज आपको धैर्य और संयम से काम लेना होगा नहीं तो कार्यों में बाधाओं का सामना करना होगा। कठिनाई के बाद सफलता मिलेगी। किसी बात से मन खिन्न रह सकता है। कुछ उलटे-सीधे खर्च भी होंगे। धर्म-कर्म में भी मन आज उचाट रह सकता है। 
मकर:आज का दिन आपके लिए उत्साहवर्धक है। कोई शुभ समाचार मिल सकता है, उन्नति का अवसर मिलेगा। कहीं से आज उपहार या पुरस्कार मिल सकता है। जो लोग यात्रा पर जा रहे हैं उनकी यात्रा सुखद और मजेदार रहेगी। पारिवारिक जीवन में तालमेल बना रहेगा।


कुंभ:आज आपके ऊपर काम का दबाव रहेगा, व्यस्त रहेंगे। धन खर्च होगा लेकिन सुख-समृद्धि के साधन भी बढ़ेंगे। गुप्त शत्रु परेशान कर सकते हैं। स्वास्थ्य के मामले में लापरवाही ना करें। पारिवारिक जीवन में तालमेल से तनाव कम होगा।


मीन:बीते कई दिनों से चली आ रही परेशानी आज दूर होगी। भाग्य का पूरा-पूरा साथ मिलेगा, कम प्रयास में ही सफलता प्राप्त कर लेंगे। विरोधियों का प्रभाव कम होगा। मन को शांत रखकर काम करते रहिए आज, सब कुछ आपके पक्ष में होगा।


विशाल जलीय गोह

गोह (Monitor lizard) सरीसृपों के स्क्वामेटा (Squamata) गण के वैरानिडी (Varanidae) कुल के जीव हैं, जिनका शरीर छिपकली के सदृश, लेकिन उससे बहुत बड़ा होता है।


गोह छिपकिलियों के निकट संबंधी हैं, जो अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, अरब और एशिया आदि देशों में फैले हुए हैं। ये छोटे बड़े सभी तरह के होते है, जिनमें से कुछ की लंबाई तो 10 फुट तक पहुँच जाती है। इनका रंग प्राय: भूरा रहता है। इनका शरीर छोटे छोटे शल्कों से भरा रहता है। इनकी जबान साँप की तरह दुफंकी, पंजे मजबूत, दुम चपटी और शरीर गोल रहता है। इनमें कुछ अपना अधिक समय vchh में


जातियाँ 


बंगाल गोह (Varanus benghalensis)


मलेशिया (बोर्नियो) का विशाल जलीय गोह
इनकी कई जातियाँ हैं, लेकिन इनमें सबसे बड़ा ड्रैगन ऑव दि ईस्ट इंडियन ब्लैंड (Dragon of the East Indian bland) लंबाई में लगभग 10 फुट तक पहुँच जाता है। नील का गोह (नाइल मॉनिटर / Nile Monitor, V. niloticus) अफ्रीका का बहुत प्रसिद्ध गोह है और तीसरा (V. exanthematicus) अफ्रीका के पश्चिमी भागों में काफी संख्या में पाया जाता है। इसकी पकड़ बहुत ही मजबूत होती है।


भारत में गोहों की छ: जातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें कवरा गोह (V. Salvator) सबसे प्रसिद्ध है। इसके बच्चे चटकीले रंग के होते हैं, जिनकी पीठ पर बिंदियाँ पड़ी रहती हैं और जिन्हें हमारे देश में लोग 'बिसखोपरा' नाम का दूसरा जीव समझते हैं। लागों का ऐसा विश्वास है कि बिसखोपरा बहुत जहरीला होता है, लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। बिसखोपरा कोई अलग जीव न होकर गोह के बच्चे हैं, जो जहरीले नही होते।


रहन-सहन:-गोह पानी व दलदल से प्यार करती है। साँप की तरह जीभ लपलपाती रहती। लगभग सात फुट से ज्यादा। पूँछ लंबी, चपटी, देह की बजाय भारी। दाँत नुकीले, थूथन का सिरा चपटा, सिर दबा हैआ आर अगुलिया साधारण लबाइ की होती हैं। पूछ की मार बडा असर करती है।


गोह जब दौडती है तब पूछ ऊपर उठा लेती है। गोह मेंढक, कीडे-मकोडे, मछलियाँ और केकडे खाती है। यह बडी गुस्सैल स्वभाव की है। गोह आजकल बरसात से पहले किसी बिल या छेद में १५ से २० तक अडे देती है। मादा अंडों को छिपाने के लिए फिर भर देती है और बहकाने के लिए चारों ओर दो-तीन और बिल खोदकर छोड देती है। आठ नौ महीने के बाद कहीं सफेद रग के अंडे फूटते है। छोटे बच्चों के शरीर पर बिंदिया, व चमकदार छल्ले होते है। गोह पानी में रहती है। तराकी में दक्ष है यह, साथ में तेज धावक व वृक्ष पर चढने में माहिर हैोती है। पुराने समय में जो काम हाथीघोडे नहीं कर पाते थे, उसे गोह आसानी से कर देती थी। इनकी कमर में रसा बाधकर दीवार पर फेंक दिया जाता था और जब ये अपने पंजों से जमकर दीवार पकड लेती थी, तब रस्सी के सहारे ऊपर चढ जाते थे।


प्रंशात महासागर के आदिवासी गोह खाते भी है। यहाँ इनकी खाल के लिए शिकार किया जाता है। गोह वन्य-प्राणी अधिनियम के तहत संकटगत अबल सूची में शामिल है।


मां शक्ति रूपेण संस्थिता

कात्यायनी नवदुर्गा या हिंदू देवी पार्वती (शक्ति) के नौ रूपों में छठवीं रूप हैं


कात्यायिनी - नवदुर्गाओं में षष्ठम्
देवनागरी-कात्यायिनी
संबंध-हिन्दू देवी
मंत्र-चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥
अस्त्र-कमल व तलवार
जीवनसाथी-शिव
सवारी-सिंह
'कात्यायनी' अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम है, संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हेेमावती व ईश्वरी इन्हीं के अन्य नाम हैं। शक्तिवाद में उन्हें शक्ति या दुर्गा, जिसमे भद्रकाली और चंडिका भी शामिल है, में भी प्रचलित हैं। यजुर्वेद के तैत्तिरीय आरण्यक में उनका उल्लेख प्रथम किया है। स्कन्द पुराण में उल्लेख है कि वे परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न हुई थीं , जिन्होंने देवी पार्वती द्वारा दी गई सिंह पर आरूढ़ होकर महिषासुर का वध किया। वे शक्ति की आदि रूपा है, जिसका उल्लेख पाणिनि पर पतञ्जलि के महाभाष्य में किया गया है, जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में रचित है। उनका वर्णन देवीभागवत पुराण, और मार्कंडेय ऋषि द्वारा रचित मार्कंडेय पुराण के देवी महात्म्य में किया गया है जिसे ४०० से ५०० ईसा में लिपिबद्ध किया गया था। बौद्ध और जैन ग्रंथों और कई तांत्रिक ग्रंथों, विशेष रूप से कालिका पुराण (१० वीं शताब्दी) में उनका उल्लेख है, जिसमें उद्यान या उड़ीसा में देवी कात्यायनी और भगवान जगन्नाथ का स्थान बताया गया है।


परम्परागत रूप से देवी दुर्गा की तरह वे लाल रंग से जुड़ी हुई हैं। नवरात्रि उत्सव के षष्ठी को उनकी पूजा की जाती है। उस दिन साधक का मन 'आज्ञा चक्र' में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक माँ कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से माँ के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं।


श्लोक:-चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन ।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥
कथा उपासना:-नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की उपासना का दिन होता है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं। इनका ध्यान गोधुली बेला में करना होता है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में छठे दिन इसका जाप करना चाहिए।


या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।इसके अतिरिक्त जिन कन्याओ के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, उन्हे इस दिन माँ कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हे मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है।


विवाह के लिये कात्यायनी मन्त्र--ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि । नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥


महिमा:- माँ को जो सच्चे मन से याद करता है उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं। जन्म-जन्मांतर के पापों को विनष्ट करने के लिए माँ की शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिए तत्पर होना चाहिए।


संकल्प विवेचना और धारणा

गतांक से...
 देवी, जब हम जैसे पुत्र माता के गर्भ स्थल में होते हैं तो सप्‍त माह  में दोनों मंडलों की कांतिया आती रहती है और उनके उपयोग को ग्रहण करते हुए । 'अमृतम ब्रह्मणम्‌ ब्रह्म कृतम' गर्भ में विद्यमान बालक में बुद्धि का निर्माण करते हैं। बुद्धि की वर्तिका का जन्म होता है। यदि उस माह में माता के गर्भ से यदि 'विक्षालम्‌ ब्रहे' पृथक हो जाए तो उसको जीवन शक्ति प्राप्त नहीं होती है। यह जीवन की आभा का निर्माण करने वाले हैं। प्रभु ने इस ब्रह्मांड को और पिंड को दोनों को एक सूत्र में लाने का प्रयास किया है। विचार-विनिमय करते, उन्होंने कहा हे प्रभु, यह जो चंद्रमा है इसका मूल क्या है? चंद्रमा का मूल सोम है। उन्होंने कहा सोम का मूल क्या है? उन्होंने कहा सोम का मूल सूर्य कहलाता है। क्योंकि सूर्य से जो कांति आती है शीतल बन जाती है। अमृतमयी बन जाती है। इसकी उत्पत्ति का मूल सूर्य कहलाता है। सूर्य से नाना प्रकार की किरणें आती रहती है। यही सोम बनकर के कृषि को उधरवा में गमन कराती रहती है और खनिज-खाध में भी यही विद्यमान रहती है। मेरे पुत्रों देखो, जब ऋषि ने इस प्रकार वर्णन किया तो माता अरुंधति मौन हो गई। इसी विचार में प्रातः काल हो गया प्रातकाल होते ही  ऋषि वशिष्ठ और अरुंधती अपने आसन से पृथक हुए और अपनी क्रियाओं से निवृत्त हुए। उसके पूर्व राजा दशरथ उनके समीप जा पहुंचे। ऋषि वशिष्ठ बोले कि हे राजन, तुम किस काल में पधारे हो? उन्होंने कहा प्रभु मैं तो सांयकाल आ गया था परंतु तुम्हारे विचार इतने गंभीर हो रहे थे। मैं उन में इतना मगन हो गया कि मुझे कोई प्रतीत ही नहीं हुआ। वह बड़े मन प्रसन्न हुए और 'मंगलम ब्रव्‍हे' राजा से कहा कहो भगवान कैसे आगमन हुआ? उन्होंने कहा प्रभु मैं इस समय बड़ा आपातकाल में हूं। वशिष्ट बोले कि क्या आपातकाल है, उन्होंने कहा कि माता 'ब्राह्मणोंमें वर्तम्‌' देखो माता अरुंधति और आप दोनों को मैं चाहता हूं कि राष्ट्र गृह में जाकर के कौशल्या जी को शिक्षा दें। क्योंकि कौशल्य जी राष्ट्र का अनुकरण नहीं कर रही है। क्षुदा से पीड़ित रहती है अथवा नहीं। इसको मैं नहीं जान पाया। उन्होंने स्वीकार किया और अपनी क्रियाओं से निवृत्त होकर के उनके वाहन में विद्यमान हो करके गमन किया। भ्रमण करते हुए राष्ट्र गृह अयोध्या में आ गए। पर्दाप्रण हुआ तो एक आनंदवत छा गया।
 ब्रह्मावेता राष्ट्र आगमन होना एक सौभाग्य था। राष्ट्रीय ग्रह में आना और भी सौभाग्य था। कौशल्या जी के समीप पहुंचे माता कौशल्या जी ने उन्हें 3 आसन प्रदान किए। एक राजा का, एक माता का और एक पित्र का। जब यह आसन पर विद्यमान हो गए। तो उन्होंने बारी-बारी चरणों को स्पर्श किया और कहा कि भगवान आज कैसे मेरा सौभाग्य जागरूक हो गया है मैं कितनी सौभाग्यशाली हूं। हे भगवान, आप उदगीत गाइए, कैसे आगमन हुआ है। बिना सूचना के बिना कोई कारण के, ऋषि वशिष्ठ मुनि बोले देवी, तुम शांतम व्रहे क्रता। वे शांत विधमान हो गई। ऋषि वशिष्ठ मुनि बोले की हे दिव्या, हे पुत्री, तुमसे हम कुछ प्रसन्न करना चाहते हैं। कौशल्या जी ने कहा भगवान जो मुझे आज्ञा देंगे मैं उसका आदर करूंगी और उसको धारण करूंगी। उन्होंने कहा तो हे दिव्या, हमने यह श्रवन किया है कि तुम राष्ट्र का अनुग्रह नहीं कर रही हो। उन्होंने कहा प्रभु मैं नहीं कर पा रही हूं। उन्होंने कहा कि मैं अपने  उदर स्थल से ऐसे महापुरुष संतान को जन्म देना चाहती हूं त्याग और तपस्या में अपने जीवन को व्‍यतीत करे,मेरी कामना है उसी कामना में सदैव तत्पर रहती हूं। प्रभु जब उन्होंने ऐसा कहा हे ब्रहमणेब्रह' हमारी इच्छा यह है कि तुम राष्ट्र के अन्न को ग्रहण करो। उन्होंने कहा प्रभु मैं राष्ट्र के अन्‍न कों ग्रहण नहीं करूंगी। यह मेरा संकल्प हो गया है और यह जो परमात्मा का जगत है, यह संकल्प में ही नहीं रहता है। यदि परमात्मा का संकल्प है जब परमात्मा ने तप किया था। तपस्या में बहुदा ब्रह्मा को बहुदा की इच्छा बनी तो यह ब्रह्मांड नाना प्रकार के लोक-लोकातंरो में परिणत हो गया। हे प्रभु, यह प्रभु का संकल्प है जितनी आयु उन्हें प्रदान की है उतनी आयु में रहेंगे। उतने समय उनका पिंड बना रहेगा। प्राण सत्ता चली जाएगी, प्राण छिन्न-भिन्न हो जाएगा। प्रभु संकल्पमयी यह संसार है और मैं अपने संकल्पों को नष्ट नहीं करूंगी।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 04, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-61 (साल-01)
2. शुक्रवार, 04 अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,शुक्‍लपक्ष,तिथि -षष्‍ठी , विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:15,सूर्यास्त 06:09
5. न्‍यूनतम तापमान -22 डी.सै.,अधिकतम-32+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी,हल्‍की बरसात की संभावना रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


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