मंगलवार, 1 अक्तूबर 2019

गांधी जयंती:अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस

मोहनदास करमचन्द गांधी (2अक्टूबर 1869  - 30 जनवरी 1948) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1914 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है।


सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। 1915 में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा।


गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे।


कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं:मीन

राशिफल


 मेष-आज आपको किसी खास व्यक्ति से प्रेरणा मिल सकती है। माता-पिता के साथ आप धार्मिक स्थल पर जा सकते हैं। आपका स्वास्थ्य पहले से बेहतर बना रहेगा। आज आप बढ़िया खाने का लुफ्त उठायेंगे। आपकी किसी पुराने दोस्त से मुलाकात होने की संभावना बन रही है। आपका दोस्त आपको बिजनेस के कुछ नये आइडिया दे सकता है। समाज में आपकी मान-प्रतिष्ठा बनी रहेगी। कुछ बड़े लोग आपके व्यवहार से प्रसन्न होंगे। दाम्पत्यजीवन में मधुरता बढ़ेगी। रिश्ते बेहतर होंगे। दुर्गा चालीसा का पाठ करें, तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे।


वृष-आज आप पूरा दिन खुद को तरोताजा महसूस करेंगे। आपके आसपास सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी। लोग आपसे खुश रहेंगे। आप बड़े बिजनेस ग्रुप से साझेदारी  कर सकते हैं। आज आपको लाभ के कुछ अच्छे अवसर प्राप्त होंगे। आपको किसी सोर्स से धन लाभ होगा। कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों को किसी समारोह में जाने का मौका मिलेगा।  जानकार आपकी क्रिएटिविटी की सराहना करेंगे। मंदिर में साबुत मूंग की दाल दान करें, धन में वृद्धि होगी।


मिथुन-आज का दिन आपके लिये अच्छे परिणाम लेकर आया है। कॉमर्स स्टूडेंट्स के लिए आज का दिन बेहतर रहेगा। किसी विषय में आ रही प्रोब्लम आज दूर हो जायेगी। घर वालों के साथ गुड टाईम स्पेंड करेंगे, जिससे घर का माहौल खुशनुमा बना रहेगा। ऑफिस में सहकर्मियों का पूरा-पूरा सहयोग मिलेगा। जूनियर आपसे काम सीखना चाहेंगे। लवमेट के साथ रिश्तों में सुधार आयेगा। उनके साथ बाहर डीनर करने का प्लान बना सकते हैं। आपका कोई काम आज आसानी से पूरा हो सकता है। किसी कन्या के पैर छूकर आशीर्वाद लें, जीवन में सब कुछ अच्छा रहेगा।


सिंह-आज आपको अपनों से संबंध बेहतर बनाकर रखने चाहिए। दोस्तों के साथ कुछ अनबन हो सकती है। रोजगार की तलाश कर रहे युवाओं को जॉब के कई सुनहरे अवसर मिलने की संभावना है। आपको कोई भी अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। इस राशि के जिन लोगों की मोबाइल शॉप है, आज का दिन उनके लिए मुनाफा लेकर आया है। आप बेवजह की चीजों पर खर्च करने से बचें। साथ ही वाहन चलाते समय अपने साथ जरूरी  कागजाद रखना ना भूलें। मंदिर में एक मिट्टी का घड़ा दान करें, आपके साथ सब अच्छा होगा।


कन्या-आज आपको सरकारी कामों में किसी से मदद मिल सकती है, जिससे आपका काम समय पर पूरा होगा। काम के प्रति आपकी मेहनत और लगन देखने वाली होगी।आज आपकी सफलता सुनिश्चित होगी। परिवार वालों की उम्मीदें आपसे बनी रहेगी। धार्मिक कार्यों में आपकी रुचि बढ़ेगी। आज आप दोस्तों के साथ मूवी देखने का प्लान बनायेंगे। प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को कोई गुड न्यूज मिलेगी। लवमेट्स कहीं घूमने जा सकते हैं। माँ दुर्गा को पुष्प अर्पित करें, आपके सभी काम सफल होंगे।


तुला-आज का दिन मिली-जुली प्रतिक्रिया वाला रहेगा। आप किसी सामाजिक कार्य में रुचि लेंगे। आपको धार्मिक आयोजन से जुड़ने का मौका मिलेगा। कार्यस्थल पर आपको थोड़ा संभलकर चलने की जरूरत है। कोई व्यक्ति आपके काम में अड़चन डाल सकता है। आज आप अपने काम पर ज्यादा ध्यान दें । दूसरों से उलझने से बचें । परिवार में भी आपको रिश्तों  के बीच बेहतर तालमेल बनाये रखने की कोशिश करनी चाहिए। गाय को हरी घास खिलाएं, आपकी सभी समस्याएं दूर होगी।


वृश्चिक-आज आपके सोचे हुए काम पूरे होंगे। आपको दोस्तों से कोई अच्छी खबर मिलने की उम्मीद है। ऑफिस में भी आपको अधिकारियों से मदद मिल सकती है। बिजनेस में आप  बड़ी डील का हिस्सा बन सकते हैं। आपकी तरक्की सुनिश्चित है। नौकरी पेशा लोगों को आज इंक्रीमेंट विद प्रमोशन का लाभ मिल सकता है। आपसी प्यार आपके दाम्पत्य संबंधों को और भी बेहतर बनायेगा। पारिवारिक जीवन आज हर तरह से अच्छा रहेगा।बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद बनाये रखें, सब ऐसे ही अच्छा चलता रहेगा। सेहत के मामले में भी सब बेहतर रहेगा। दुर्गा जी को नारियल अर्पित करें, सफलता आपके कदम चूमेगी


धनु-आज बड़े-बुजुर्ग अपने दोस्तों से मिल सकते हैं। उनकी सेहत ठीक बनी रहेगी। एजेंट के रूप में काम कर रहे लोगों को आज लाभ के कई सारे मौके मिलेंगे। बच्चे घर के काममें आपका हाथ बटायेंगे। आपका कोई जरूरी काम आज बड़ी ही आसानी से और समय पर पूराहोगा, जिससे आप काफी खुश रहेंगे। जीवनसाथी के साथ ख़ुशियों के पल को शेयर करेंगे, आपको और महसूस होगा  । आज आप किसी दोस्त की बर्थडे पार्टी में शामिल हो सकते हैं।  मंदिर में लौंग, इलायची चढ़ाएं, जीवन में लाभ के मौके मिलते रहेंगे।


मकर-आज आप अपने लक्ष्य के बारे में सोच-विचार करेंगे। बिना सोचे-समझे किसी पर भरोसा करने से आपको बचना चाहिए। परिवार वालों के साथ प्रेम भाव बढ़ेगा , आपके जीवन के लिये सुकून देने वाला साबित रहेगा। पॉलिटिकल साइंस के छात्रों के लिए दिन ठीक-ठाक रहेगा। उन्हें पढ़ाई-लिखाई में मेहनत करने की जरूरत है। आपको पहले किसी काम के लिए किये गये प्रयासों का आज बेहतर फल मिल सकता है। आपका आर्थिक पक्ष सामान्य रहेगा। दुर्गा जी को मिश्री का भोग लगाएं, आपकी सभी समस्याओं का हल निकलेगा।


कुंभ-आज आपके हर काम का हल चुटकियों में निकल जायेगा। ऑफिस में आपके काम की तारीफ होगी। किसी प्रोजेक्ट के लिये आपको अपनी राय देने का मौका मिलेगा। लोगों को आपका काम पसंद आयेगा। आज आप लेखन कार्यों में रुचि लेंगे। घर के सुख-सौभाग्य में बढ़ोतरी होगी। जीवनसाथी के साथ धार्मिक स्थल की यात्रा करेंगे। इससे आपके संबंधोंमें मजबूती बरकरार रहेगी। आज किसी काम के लिए की गई मेहनत से आपके माता-पिता खुश दिखाई देंगे। माँ दुर्गा को श्रृंगार का सामान चढ़ायें, सभी कामों में सफलता मिलेगी।


मीन-आज आप कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं। दोस्तों के साथ आप अपनी कोई बात शेयर कर सकते हैं। आपको किसी नयी बिजनेस डील के लिए विदेश जाने का ऑफर मिल सकता है। आप पार्टनर के साथ शॉपिंग की प्लानिंग करेंगे। इस राशि के बच्चों की पढ़ाई बेहतर तरीके से चलेगी। परिवार में सबकी सेहत अच्छी बनी रहेगी। आप काम को लेकर कोई नया विचार बना सकते हैं। आपकी आर्थिक स्थिति ठीक बनी रहेगी। ऑफिस में सबका सहयोग पाने के लिये आपको थोड़ा मेहनत करनी पड़ सकती है। ब्राहमण का आशीर्वाद लें, आपका आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।


अनार के लाभ और विशेषताएं

अनार (वानस्पतिक नाम-प्यूनिका ग्रेनेटम) एक फल हैं, यह लाल रंग का होता है। इसमें सैकड़ों लाल रंग के छोटे पर रसीले दाने होते हैं। अनार दुनिया के गर्म प्रदेशों में पाया जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह एक महत्त्वपूर्ण फल है। भारत में अनार के पेड़ अधिकतर महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में पाए जाते हैं। सबसे पहले अनार के बारे में रोमन भाषियों ने पता लगाया था। रोम के निवासी अनार को ज्यादा बीज वाला सेब कहते थे। भारत में अनार को कई नामों में जाना जाता है। बांग्ला भाषा में अनार को बेदाना कहते हैं, हिन्दी में अनार, संस्कृत में दाडिम और तमिल में मादुलई कहा जाता है। अनार के पेड़ सुंदर व छोटे आकार के होते हैं। इस पेड़ पर फल आने से पहले लाल रंग का बडा फूल लगता है, जो हरी पत्तियों के साथ बहुत ही खूबसूरत दिखता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह फल लगभग ३०० साल पुराना है। यहूदी धर्म में अनार को जननक्षमता का सूचक माना जाता है, जबकि भारत में अनार अपने स्वास्थ्य सम्ब्न्धी गुण के कारण लोकप्रिय है।


औषधीय गुण
अनार में प्रचुर मात्रा में लाभदायक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं। १०० ग्राम अनार खाने पर हमारे शरीर को लगभग ६५ किलो कैलोरी ऊर्जा मिलती है। कई आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में भी अनार का प्रयोग किया जाता है। इसके बीजों से निकले तेल का प्रयोग औद्योगिक क्षेत्र में किया जाता है। अनार के पेड़ की लकड़ी बहुत मजबूत होती है। आमतौर पर इसकी लकड़ी का प्रयोग टहलते समय काम में लाई जाने वाली छड़ी बनाने में किया जाता है। इस पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि अनार रक्तसंचार वाली बीमारियों से लड़ता है, उच्च रक्तचाप को घटाता है, सूजन और जलन में राहत पहुँचाता है, गठिया और वात रोग की संभावना घटाता और जोड़ों में दर्द कम करता है, कैंसर की रोकथाम में सहायक बनता है, शरीर के बुढ़ाने की गति धीमी करता है और महिलाओं में मातृत्व की संभावना और पुरुषों में पुंसत्व बढ़ाता है। अनार को त्वचा के कैंसर, स्तन-कैंसर, प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर और पेट में अल्सर की संभावना घटाने की दृष्टि से भी विशेष उपयोगी पाया गया है। अमरीकी डॉक्टरों की एक पत्रिका ने हाल ही में लिखा कि अनार का रस वृद्धावस्था में सठिया जाने के अल्सहाइमर रोग की संभावना भी घटाता है।अनार की डाली से बनी हुई कलम पूजा-उपासना और तांत्रिक प्रयोगों में भी इस्तेमाल की जाती है। पुजारी/तांत्रिक एक स्वच्छ कागज़ पर अनार की कलम को लाल रंग की स्याही में डुबोकर रेखाओं और गणित के अक्षरों के जरिये एक यंत्र का निर्माण करते हैं, जो शरीर पर धारण करने से व्यक्ति को नकारात्मक उर्जा के प्रभाव से बचाता है।


समुद्री जीव-विज्ञान का अध्ययन

समुद्री जीव-विज्ञान के अध्ययन को सरल बनाने के लिए समुद्री वातावरण को विभिन्न खंडों एवं प्रदेशों में विभक्त कर दिया गया है। यह विभाजन संयुक्त भौतिक एवं जैविक (physical and biological) निष्कर्ष पर आधारित है। प्रधानत: दो मुख्य प्रदेश होते हैं : (१) नितलस्थ (Benthic) और (२) वेलापवर्ती (Pelagic)। नितलस्थ प्रदेश में तलीय प्राणी तथावेलापवर्ती प्रदेश में तल से लेकर समुद्र की सतह तक के प्राणी आते हैं। ये दोनों प्रदेश एक दूसरे से सरलता से विभेदित किए जा सकते हैं। इनके कई उपखंड भी किए गए हैं।


नितलस्थ प्रदेश के ऊपरी भाग को वेलांचली (Littoral) भाग कहते हैं। वेलांचली भाग पुन: दो उपखंडों, यूलिटोरल (Eulittoral) तथा सबलिटोरल (sublittoral), में विभक्त किया गया है। गहरा समुद्री नितलस्थ निकाय (deep sea benthic system) भी दो क्षेत्रों में विभक्त किया गया है, पूर्व नितलस्थ (२०० से १,००० मीटर) तथा वितलीय नितलस्थ क्षेत्र (१,००० मीटर से समुद्र तल तक)। वेलांचली क्षेत्र के अंदर एक ज्वारांतर क्षेत्र भी होता है, जिसमें समुद्र का तटवर्ती क्षेत्र आता है। यह क्षेत्र ज्वार से आच्छादित तथा अनाच्छादित होता रहता है। इस क्षेत्र के संलग्न पादप साधारणतया धीमी गति से बढ़नेवाले तथा लचीले होते हैं, ताकि ये समुद्री लहरों से अपना बचाव कर सकें। ज्वारांतर क्षेत्र के प्राणियों की किस्म इस क्षेत्र के रेतीले अथवा चट्टानी किस्म पर निर्भर करती है। साधारणत: अनाच्छादित चट्टानी तट के प्राणी हृष्ट पुष्ट होते हैं। बहुधा इन प्राणियों के ऊपर भारी धारारेखित कवच (stream-lined shells) और चूषक सदृश रचनाएँ होती हैं। ये रचनाएँ बंद आसंजित कवच को चट्टानों से चिपकाए रखती हैं। इस प्रकार ये प्राणी समुद्री लहरों के प्रभाव से बचे रहते हैं और भाटा के समय अपने अंदर कुछ पानी रोक भी लेते हैं। बहुत से मोलस्का (Mollusca), नलिका कृमि (Tube worms) तथा बॉरनैकिल (Bornacles) स्थायी रूप से चट्टानों से जुड़े रहते हैं।


गहरे वेलांचली क्षेत्र में संलग्न पौधे अधिकता से पाए जाते हैं। प्रशांत महासागर के केल्प बेड (Kelp beds) में १०० फुट लंबे मैक्रोसिस्टिस (Macrocystis) तथा नेरिओसिस्टिस (Nereocystis) पाए जाते हैं, यद्यपि अधिकांश शैवाल छोटे होते हैं। इस क्षेत्र में आकर्षक लाल शैवाल पाए जाते हैं। इनका उपयोग ऐगार (agar) के उत्पादन में होता है।


सूर्य का प्रकाश गंभीर समुद्री नितलस्थ निकाय के केवल उथले क्षेत्र में ही संसूचित हो सकता है। वितलीय क्षेत्र में घोर अंधकार रहता है। इस क्षेत्र का पानी एक सा ठंडा रहता। इस क्षेत्र में मुख्य भोजन का उत्पादन नहीं होता। इस प्रकार मुख्य खाद्य की कमी के कारण यहाँ पर प्राणियों की संख्या भी कम होती है।


वेलापवर्ती क्षेत्र में प्लवक (plankton) तथा तरणक (nekton) अधिक पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में समुद्रतल के ऊपर का सारा पानी आता है। तटीय जल से २०० मीटर तक के जल क्षेत्र को नेरेटिक प्रदेश (Neretic province) तथा इससे अधिक गहरे जल के क्षेत्र को महासागरी प्रदेश कहते हैं। यद्यपि इन दोनों प्रदेशों को एक दूसरे से अलग करनेवाली सीमा स्पष्ट नहीं होती, फिर भी इनमें अलग अलग किस्म के प्लवक तथा तरणक होते हैं। उदाहरण के लिए, तलीय प्राणियों के अंडे तथा बच्चे और जेली फिश (jelly fish) की एकल अवस्थाएँ नेरेटिक क्षेत्र के विशिष्ट अस्थायी प्लवक हैं। नेरेटिक डायटम अधिकाधिक सुप्त बीजाणु (resting spores) उत्पन्न करते हैं। ये बीजाणु प्रतिकूल परिस्थितियों में डूबकर तल में चले जाते हैं। महासागरी प्रदेश में अपेक्षाकृत अनुकूल परिस्थियाँ पाई जाती हैं। अत: इस क्षेत्र के पौधे नेरेटिक क्षेत्र की तरह सुप्त बीजाणु नहीं पैदा करते। महासागरी सतह के प्राणी नीले रंग के होते हैं। महासागरी क्षेत्र के गहरे जल में जहाँ सूर्य का प्रकाश या तो कम रहता है या रहता ही नहीं, प्राणियों का रंग बहुधा लाल, भूरा, बैंगनी काला, अथवा काला होता है। ३०० से ३५० मीटर तक की गहराई में पाए जानेवाले प्राणियों में, विशेषकर मछलियों में, प्रकाशोत्पादक अंग पाए जाते हैं। ये अंग विशिष्ट प्रतिरूपों में व्यवस्थित रहते हैं (देखें, मत्स्य)। संभवत: इससे अन्य प्राणियों को पहचानने में सुविधा होती है। मध्यवर्ती गहराई के नीचे अंधी मछलियाँ (blind fishes) तथा स्क्विड (squid) पाए जाते हैं। इनमें प्रकाशोत्पादक अंग नहीं होते। तलीय मछलियों (bottom living fishes) को आँखें होती हैं। संभवत: इनका उपयोग वे प्रकाशोत्पादक अंग द्वारा उत्पन्न प्रकाश में करती हैं।


मुख्य तीन रूपों में से एक:विष्णु

हिन्दू धर्म के आधारभूत ग्रन्थों में बहुमान्य पुराणानुसार विष्णु परमेश्वर के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप हैं। पुराणों में त्रिमूर्ति विष्णु को विश्व का पालनहार कहा गया है। त्रिमूर्ति के अन्य दो रूप ब्रह्मा और शिव को माना जाता है। ब्रह्मा को जहाँ विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है, वहीं शिव को संहारक माना गया है। मूलतः विष्णु और शिव तथा ब्रह्मा भी एक ही हैं यह मान्यता भी बहुशः स्वीकृत रही है। न्याय को प्रश्रय, अन्याय के विनाश तथा जीव (मानव) को परिस्थिति के अनुसार उचित मार्ग-ग्रहण के निर्देश हेतु विभिन्न रूपों में अवतार ग्रहण करनेवाले के रूप में विष्णु मान्य रहे हैं।


पुराणानुसार विष्णु की पत्नी लक्ष्मी हैं। कामदेव विष्णु जी का पुत्र था। विष्णु का निवास क्षीर सागर है। उनका शयन शेषनाग के ऊपर है। उनकी नाभि से कमल उत्पन्न होता है जिसमें ब्रह्मा जी स्थित हैं।वह अपने नीचे वाले बाएँ हाथ में पद्म (कमल) , अपने नीचे वाले दाहिने हाथ में गदा (कौमोदकी) ,ऊपर वाले बाएँ हाथ में शंख (पाञ्चजन्य) और अपने ऊपर वाले दाहिने हाथ में चक्र(सुदर्शन) धारण करते हैं।शेष शय्या पर आसीन विष्णु, लक्ष्मी व ब्रह्मा के साथ, छंब पहाड़ी शैली के एक लघुचित्र में।



शब्द-व्युत्पत्ति और अर्थ:-'विष्णु' शब्द की व्युत्पत्ति मुख्यतः 'विष्' धातु से ही मानी गयी है। ('विष्' या 'विश्' धातु लैटिन में - vicus और सालविक में vas -ves का सजातीय हो सकता है।) निरुक्त (12.18) में यास्काचार्य ने मुख्य रूप से 'विष्' धातु को ही 'व्याप्ति' के अर्थ में लेते हुए उससे 'विष्णु' शब्द को निष्पन्न बताया है।वैकल्पिक रूप से 'विश्' धातु को भी 'प्रवेश' के अर्थ में लिया गया है, 'क्योंकि वह विभु होने से सर्वत्र प्रवेश किया हुआ होता है।


आदि शंकराचार्य ने भी अपने विष्णुसहस्रनाम-भाष्य में 'विष्णु' शब्द का अर्थ मुख्यतः व्यापक (व्यापनशील) ही माना है, तथा उसकी व्युत्पत्ति के रूप में स्पष्टतः लिखा है कि "व्याप्ति अर्थ के वाचक नुक् प्रत्ययान्त 'विष्' धातु का रूप 'विष्णु' बनता है"। 'विश्' धातु को उन्होंने भी विकल्प से ही लिया है और लिखा है कि "अथवा नुक् प्रत्ययान्त 'विश्' धातु का रूप विष्णु है; जैसा कि विष्णुपुराण में कहा है-- 'उस महात्मा की शक्ति इस सम्पूर्ण विश्व में प्रवेश किये हुए हैं; इसलिए वह विष्णु कहलाता है, क्योंकि 'विश्' धातु का अर्थ प्रवेश करना है"।


ऋग्वेद के प्रमुख भाष्यकारों ने भी प्रायः एक स्वर से 'विष्णु' शब्द का अर्थ व्यापक (व्यापनशील) ही किया है। विष्णुसूक्त (ऋग्वेद-1.154.1 एवं 3) की व्याख्या में आचार्य सायण 'विष्णु' का अर्थ व्यापनशील (देव) तथा सर्वव्यापक करते हैं; तो श्रीपाद दामोदर सातवलेकर भी इसका अर्थ व्यापकता से सम्बद्ध ही लेते हैं। महर्षि दयानन्द सरस्वती ने भी 'विष्णु' का अर्थ अनेकत्र सर्वव्यापी परमात्मा किया है और कई जगह परम विद्वान् के अर्थ में भी लिया है। इस प्रकार सुस्पष्ट परिलक्षित होता है कि 'विष्णु' शब्द 'विष्' धातु से निष्पन्न है और उसका अर्थ व्यापनयुक्त (सर्वव्यापक) है।


संकल्‍प रूपी संसार

देखो मुनिवर, आज हम तुम्हारे समक्ष पूर्व की भांति कुछ मनोहर वेद मंत्रों का गुणगान गाते चले जा रहे हैं। यह भी तुम्हें प्रतीत हो गया होगा आज हमने पूर्व से जिन वेद मंत्रों का पठन-पाठन किया है। हमारे यहां परंपरागतो से उस मनोहर वेद वाणी का प्रसार होता रहता है। जिस पवित्र वेद वाणी में परमपिता परमात्मा की महिमा का गुणगान गाया जाता है। क्योंकि परमपिता परमात्मा महिमा वादी है। जितना भी जगत है, जड़ जगत अथवा चेतन्‍य जगत हमें दृष्टिपात आ रहा है। उस सर्वत्र ब्रह्मांड के मूल में प्रऻय: वह मेरा देव दृष्टिपात आता रहता है। क्योंकि वह अनुपम है महिमा वादी है और इस ब्रह्मांड के रूप में विद्यमान है। जितना भी जगत है चेतनामयी जगत है इसमें जगत है इसमें वह औत-प्रॏत हो रहा है। 'आत्मा ब्राह्मण ब्रेहे कृतम देवा' वेद का मंत्र कहता है वह परमपिता परमात्मा अनंतमई है। दो प्रकार का जगत हमारे यहां माना गया है। एक जगत है जिसे हम चेतन कहते हैं और दूसरा जडवत माना गया है। दोनों के स्वरूप में वह परमपिता परमात्मा विद्यमान है। वह कैसा देव है, कैसा अनुपम है। वह पिंड रूप और चेतनवत दोनों में विद्यमान है। आओ मेरे पुत्रों वेद मंत्रों का गुणगान करें। वेद मंत्र क्या कह रहा है वेद मंत्र कहता है कि हम दोनों प्रकार के जगत को जानने का प्रयास करें। क्योंकि दोनों प्रकार के इस जगत में एक परमपिता परमात्मा की अनंतमयी महिमा प्राय: दृष्टिपात आती रहती है। जब हम इसके ऊपर विचार-विनिमय प्रारंभ करते हैं। तो प्राय: एक अनूठा जगत, एक अनुपमता हमारे समीप आना प्रारंभ हो जाती है। मेरे पुत्रों, विशेषता में नहीं ले जा रहा हूं तुम्हें इन वाक्यों में ले जाना नहीं चाहता हूं। यह तो अनंतमई एक धृति मानी गई है। जहां उस परमपिता परमात्मा को हम पुरोहित और विष्णु के रूप में वर्णन करते रहते हैं। क्योंकि परमपिता परमात्मा का जो अनंत जगत है। वह दो प्रकार की आभा में निहित हो रहा है। एक जंगम ब्रह्मा, एक वृत्‍यम दिव्‍याहम' उस परमपिता परमात्मा को विष्णु कहते हैं। विष्णु के रूप में विद्यमान रहता है। जब हम विष्णु की विवेचना करना प्रारंभ करते हैं। हे विष्णु, कल्याणकारी है। हे विष्णु, अनंतमई विद्यमान है। हमारे यहां वैदिक साहित्य में वेद के मंत्रों में विष्णु नाम परमपिता परमात्मा का माना गया है। हमारे यहां पर्यायवाची जब शब्द आते हैं तो विष्णु की बहुत सी विवेचना होती रहती है। हमारे यहां यह कहते हैं कि विष्णु ब्रह्मा मूल में एक वर्क रहता है परंतु उसका जो बनता है वह अनंत मई कहलाता है परंतु मूल में जो वाक कहते हैं। विष्णु जो पालन करने वाला है। पालन करने वाला वह परमपिता परमात्मा है। जो एक-एक कण कण में व्याप्त है और वह नाना प्रकार के खाद और खनिज पदार्थों के द्वारा हमारा पालन कर रहा है। निर्माण कर रहा है। यह निर्माणवेता भी है। पुत्र कि जब रचना होती है तो माता से यह प्रश्न किया जाता है कि है माता तू निर्माण कर रही है अथवा नहीं। तो माता निर्भर हो जाती है कि निर्माण नहीं कर रही, निर्माण करने वाला कोई और ही है। वह परमात्मा विष्णु कहलाता है और वह निर्माण करता और पालन करने वाला है। मुनिवरो हमारे यहां मूल में एक वाक्य आया है कि पालन करने वाला, परंतु देखो 'ब्राह्मण ब्रव्‍हा क्रतम्‌ लोका: वायु संभवब्रहम:' माता का नाम भी विष्णु कहा जाता है। हे माता, तू पालन कर रही है तू अपनी लोरी ओ का पान कराती हुई, उसका पालन कर रही है और पालन में रहने वाला है वह पालना में जो होती है वह महत्व कहलाती है। माता उसका पालन कर रही है। लोरीओ का पान कराती है उसे ज्ञान देती है विवेक में परिणत करा देती है। वही महत्व को धारण करने वाली,अभ्‍यम्‌ ब्राह्मणा अबप्रवे देवाहम ब्रह्मा:' देखो पुत्रों माता सतोगुण से उसका पालन कर रही है। रजोगुण में शासन हो रहा है। तमोगुण उत्पत्ति का मूल कहलाता है। विचार-विनिमय क्या है? वही सतोगुण है, वही रजोगुण है वही तमोगुण कहलाता है। यह जगत एक दूसरे का पूरक कहलाता है। एक दूसरे में पिरोया हुआ था दृष्टिपात आता है। सतोगुण में पालना है और रजोगुण में भी यदि सतोगुण मिश्रित नहीं होगा तो न्याय नहीं होगा और दोनों की तरंगे यदि तमोगुण में नहीं होगी तो उत्पत्ति का मूल भी नहीं बन पाएगा। विचार विनिमय क्या है। वह देखो,रजोगुण वही तो वही सद्गुण एक ही सूत्र के 3 मनके कहलाते हैं और उनकी माला बन जाती है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 02, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-59 (साल-01)
2. बुधवार, 02अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,शुक्‍लपक्ष,तिथि - चतुर्थी, विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 6:15,सूर्यास्त 6:10
5. न्‍यूनतम तापमान -24 डी.सै.,अधिकतम-32+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, बरसात की संभावना रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


https://universalexpress.page/
email:universalexpress.editor@gmail.com
cont.935030275
 (सर्वाधिकार सुरक्षित)


यूपी: लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे अखिलेश

यूपी: लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे अखिलेश  संदीप मिश्र  लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके ...