शनिवार, 14 सितंबर 2019

इमरान ने उगला जहर,उकसाने की कोशिश

भारत के खिलाफ इमरान ने फिर उगला जहर, कश्मीरियों को भी उकसाने की कोशिश की


इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र आम सभा में कश्मीरियों को निराश नहीं करेंगे। उन्होंने भारत द्वारा जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के बाद कश्मीरियों की बदहाली की बात प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने का संकल्प व्यक्त किया। पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए खान ने कहा कि कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण हो गया है और यहां तक कि यूरोपीय संघ और ब्रिटिश संसद में इस मामले पर चर्चा हुई है। इस जनसभा का आयोजन कश्मीर के लोगों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए किया गया था।


उन्होंने 27 सितंबर को प्रस्तावित संयुक्त राष्ट्र आम सभा में अपने संब‍ोधन के बारे में कहा, “अगले सप्ताह मैं संयुक्त राष्ट्र आम सभा को संबोधित करने जा रहा हूं और मैं कश्मीर के लोगों को निराश नहीं करूंगा। मैं कश्मीरियों के अधिकारों के लिए उस तरह खड़ा होऊंगा, जैसा कि इससे पहले किसी ने नहीं किया होगा।” खान ने भारत द्वारा धारा 370 खत्म करने के बाद अपनी दूसरी मुजफ्फराबाद यात्रा में कहा कि 50 साल में पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस पर चर्चा होने के साथ ही कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण हो गया है। भारत ने अनुच्छेद 370 की समाप्ति को अपना आंतरिक मामला बताया है और पाकिस्तान के “गैर-जिम्मेदाराना बयानों” पर कड़ी आपत्ति जताई है। खान ने कहा, “पहली बार यूरोपीय संघ ने कहा कि कश्मीर मुद्दे का समाधान संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के अनुसार होना चाहिए। ओआईसी (इस्लामिक सहयोग संगठन) और 58 देशों ने कश्मीर में हो रहे उत्पीड़न पर पाकिस्तान का समर्थन किया और कहा कि कश्मीर में कर्फ्यू हटाना चाहिए।” पाक प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के कदम से कश्मीर में चरमपंथ बढ़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान भारत के किसी भी हमले का पूरा जवाब देगा। उन्होंने कहा, “अगर भारत ईट फेंकेगा, तो हम उसका जवाब पत्थर से देंगे।” खान ने कहा, “मैं मोदी को एक संदेश देना चाहता हूं… अत्याचार के बावजूद आप कभी भी सफल नहीं होंगे क्योंकि कश्मीरियों को मौत का डर नहीं। इसलिए आप उनको हरा नहीं सकते, आप चाहें जो कर लें।” खान ने यह भी कहा कि कश्मीर में जो हो रहा है, वह भारत के उदार लोगों के लिए भी खतरनाक होगा।


मंत्री आयकर का भुगतान स्वयं करेंगे:योगी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और सभी मंत्री अपने आयकर का भुगतान स्वयं करेंगे। प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि 'उत्तर प्रदेश मंत्री वेतन, भत्ते एवं विविध कानून 1981' के अन्तर्गत सभी मंत्रियों के आयकर बिल का भुगतान अभी तक राज्य सरकार के कोष से किया जाता रहा है। खन्ना ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार यह निर्णय लिया गया है कि अब सभी मंत्री अपने आयकर का भुगतान स्वयं करेंगे। उन्होंने बताया कि सरकारी खजाने से अब मंत्रियों के आयकर बिल का भुगतान नहीं किया जाएगा। खन्ना ने बताया कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि एक्ट के इस प्रावधान को समाप्त किया जायेगा।उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में लगभग चार दशक पुराना एक कानून मंत्रियों के आयकर का भुगतान राजकोष से सुनिश्चित करता था। हालांकि नेता इसके बारे में जानकारी नहीं होने की बात करते हैं। 'उत्तर प्रदेश मंत्री वेतन, भत्ते एवं विविध कानून 1981' तब बना था जब विश्वनाथ प्रताप सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे। इस कानून ने अब तक 19 मुख्यमंत्रियों और लगभग 1,000 मंत्रियों को लाभ पहुंचाया है। हालांकि कुछ मंत्रियों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। जब से कानून लागू हुआ, विभिन्न राजनीतिक दलों के मुख्यमंत्रियों-योगी आदित्यनाथ, मुलायम सिंह यादव, मायावती, कल्याण सिंह, अखिलेश यादव, रामप्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, श्रीपति मिश्र, वीर बहादुर सिंह और नारायण दत्त तिवारी को इसका लाभ हुआ। विश्वनाथ प्रताप सिंह के सहयोगी रहे कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि कानून पारित होते समय तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने विधानसभा में तर्क दिया था कि राज्य सरकार को आयकर का बोझ झेलना चाहिए क्योंकि अधिकतर मंत्री गरीब पृष्ठभूमि से हैं और उनकी आय कम है।


डैशिंग लुक में शाहरुख के जैसे लगे आर्यन

डैशिंग लुक में बिल्कुल शाहरुख की तरह लग रहे हैं आर्यन खान


मुंबई। बात अगर स्टारकिड्स की हो तो हर किसी की उनपर नजर होती है। शाहरुख खान के बच्चों के साथ भी ऐसा ही है। जहां एक ओर सुहाना खान की तस्वीरें अकसर सोशल मीडिया पर वायरल होती हैं, वहीं आर्यन खान की भी अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है। अब आर्यन खान ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर शेयर की है जिसमें वह बिल्कुल अपने पिता शाहरुख की तरह डैशिंग नजर आ रहे हैं।


कुछ दिन पहले ही आर्यन द लॉइन किंगज् में अपनी आवाज को लेकर छा गए थे। द लॉइन किंगज् में आर्यन ने सिंबा के किरदार को आवाज दी थी और सिंबा के पिता मुफासा की आवाज शाहरुख खान ने दी थी। सिंबा यानी कि आर्यन की आवाज सुनकर फैन्स हैरान रह गए थे। न सिर्फ आर्यन की आवाज शाहरुख खान से काफी मिल रही थी, बल्कि उन्होंने डबिंग भी बेहतरीन की थी। अब आर्यन ने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर शेयर की थी। इस तस्वीर को देखकर एक बार फिर फैन्स आर्यन में शाहरुख की झलक देख रहे हैं। ब्लैक टी-शर्ट, ब्राउन पैंट्स, ग्लासेस और बॉसी लुक में आर्यन शाहरुख की याद दिला रहे हैं। आर्यन इन दिनों लंदन में पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं, उनके फिल्मों में डेब्यू की भी अकसर चर्चा होती रहती है। करण जौहर भी कह चुके हैं जब भी आर्यन फिल्मों में डेब्यू करना चाहेंगे, वह उन्हें लॉन्च करेंगे।


घर के लिए भी कुछ ले आओ: दीपिका

मुंबई। अगर आप दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह को इंस्टाग्राम पर फॉलो कर रहे हैं तो एक-दूसरे के लिए दोनों जो कॉमेंट्स करते हैं उसका मजा भी ले रहे होंगे। हार्ट, किस इमोजी भेजना या एक-दूसरे की टांग खींचना दोनों की नोंकझोक का सब खूब मजा लेते हैं। हाल ही में रणवीर के एक पोस्ट ने दीपिका ने एकदम टिपिकल हाउसवाइफ वाला मजेदार कॉमेंट किया है।
दरअसल रणवीर ने कई सारी तस्वीरें पोस्ट की हैं जिसमें वह एक स्पीकर ब्रैंड के साथ अपने कोलैबोरेशन को अनाउंसर रहे हैं। तस्वीरों में वह काफी हॉट भी दिख रहे हैं। जैसा कि दीपिका हमेशा प्यार भरे रिऐक्शन देती थीं, इस बार उन्होंने एकदम अलग और मजेदार कॉमेंट किया है। उन्होंने लिखा है, घर के लिए भी कुछ ले आओ, कुछ पैसे ही बच जाएंगे।


पापा से अच्छा डांस करता हूं:करण

मुंबई। इसमें कोई दोराय नहीं कि ऐक्शन के मामले में ऐक्टर सनी देओल का कोई सानी नहीं है। 90 के दशक में उनके ऐक्शन सीन्स को देख दर्शक सीटियां बजाने को मजबूर हो जाते थे। लेकिन वह उतनी अच्छी तरह से डांस नहीं कर पाते। साल 2013 में एक इंटरव्यू में खुद सनी ने कबूल भी किया था कि वह डांस नहीं कर सकते। पर ऐसा उनके बेटे करण देओल के साथ नहीं है। करण का कहना है कि वह अपने पापा के मुकाबले काफी अच्छा डांस करते हैं। 
करण इन दिनों अपनी डेब्यू फिल्म पल पल दिल के पास के प्रमोशन में बिजी हैं। इसी दौरान एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में जब करण से डांस को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि वह अपने पापा सनी देओल से काफी अच्छा डांस करते हैं। लेकिन उतना अच्छा नहीं नाच पाते जितना कि उनके चाचा यानी बॉबी देओल। हालांकि करण ने यह भी कहा कि वह डांस कर सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह बहुत ही अच्छे डांसर हैं। अगर कोई उन्हें डांस स्टेप करके दिखाए तो वह आसानी से सीख सकते हैं।
बात करें फिल्म पल पल दिल के पास की, तो यह 20 सितंबर को रिलीज होगी। करण के अलावा इस फिल्म से नई ऐक्ट्रेस सहर बांबा भी डेब्यू कर रही हैं। सहर के रोल के लिए करण के पापा और ऐक्टर सनी देओल ने करीब 400 लड़कियों का ऑडिशन लिया था। फिल्म को स्पीति वैली, रोहतांग, मनाली और लद्दाख के अलावा कई और खूबसूरत जगहों पर शूट किया गया है।


नए विचारों के साथ धनार्जन होगा:मकर

राशिफल 


मेष-अच्छी खबर प्राप्त होगी। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। हल्की हंसी-मजाक से बचें। शत्रु प्रताड़ित कर सकते हैं। आत्मसम्मान बना रहेगा। भाइयों का सहयोग मिलता रहेगा। कारोबार अच्छा चलेगा। बड़े फैसले ले पाएंगे। लाभ होगा।


वृष-कारोबारी नए अनुबंध हो सकते हैं। व्यापार की दृष्टि से की गई यात्रा सफल रहेगी। नौकरी में सम्मान मिलेगा। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। जोखिम न लें। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि लाभदायक रहेंगे। शुभ समय का लाभ लें।


मिथुन-महत्वपूर्ण निर्णय लेने की स्थिति में जल्दबाजी न करें। भावना में न बहें। कार्यकुशलता में कमी होगी। व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। विवेक का प्रयोग करें। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है। आय बनी रहेगी। जोखिम न उठाएं।


कर्क-व्यावसायिक यात्रा लंबी व सफल रहेगी। रुका हुआ पैसा मिल सकता है। नए काम मिलेंगे। आय में वृद्धि होगी। घर-बाहर सभी ओर से सहयोग व प्रसन्नता प्राप्त होगी। शेयर मार्केट में जल्दबाजी न करें। जोखिम व जमनत के कार्य टालें। लाभ होगा।


सिंह-आर्थिक उन्नति के लिए किए गए निर्णयों का लाभ मिलना शुरू हो सकता है। मित्रों व रिश्तेदारों का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापारिक लाभ में वृद्धि होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। जोखिम न लें। शारीरिक कष्ट संभव है। प्रसन्नता बनी रहेगी। निवेश शुभ रहेगा।


कन्या-राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। रुके काम अनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। किसी विवाद में अपना पक्ष मजबूती से रख पाएंगे। प्रतिद्वंद्वी सक्रिय रहेंगे। आय में वृद्धि होगी। किसी अनजान व्यक्ति की बातों में न आएं। सावधान रहें।


तुला-वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में अतिरिक्त सावधानी रखें, विशेषकर गृहिणियां घर में कार्य करने वक्त लापरवाही न करें।  कारोबार अच्‍छा चलेगा। लाभ होगा।


वृश्चिक-राजकीय कार्यों में विशेष सफलता के योग हैं। किसी बड़े विवाद का हल प्राप्त होगा। विजय प्राप्त होगी। विवाह के उम्मीदवारों को वैवाहिक प्रस्ताव प्राप्त हो सकता है। धन प्राप्ति सुगम होगी। जल्दबाजी न करें। व्यस्तता के चलते थकान रह सकती है।


धनु-उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। नए काम मिल सकते हैं। आय में वृद्धि होगी। स्थायी संपत्ति के सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। सम्मान में कमी हो सकती है।


मकर-विवाह के उम्मीदवारों को वैवाहिक प्रस्ताव प्राप्त हो सकता है। विद्यार्थी वर्ग अपना कार्य कुशलता से कर पाएंगे। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। मन में नए विचार आएंगे। स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठा पाएंगे। यात्रा मनोरंजक रहेगी। धनार्जन होगा।


कुंभ-दौड़धूप अधिक होने से थकान व कमजोरी रह सकती है। अतिउत्साह में कोई गलत निर्णय न लें।  यथासंभव यात्रा टालें। जोखिम न लें। आय बनी रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।


मीन-जल्दबाजी न करें। चोट लगने की आशंका है। थोड़े प्रयास से ही काम पूरे होंगे। प्रसन्नता रहेगी। नौकरी में नए प्रयोग करने का अवसर प्राप्त हो सकता है। धन प्राप्ति सुगम होगी। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। प्रमाद न करें।


अंतर्राष्ट्रीय बाजार का महत्वपूर्ण पदार्थ

वनस्पति जगत्‌ में पिप्पली कुल (Piperaceae) के मरिचपिप्पली (Piper nigrum) नामक लता सदृश बारहमासी पौधे के अधपके और सूखे फलों का नाम काली मिर्च (Pepper) है। पके हुए सूखे फलों को छिलकों से बिलगाकर सफेद गोल मिर्च बनाई जाती है जिसका व्यास लगभग 5 मिमी होता है। यह मसाले के रूप में प्रयुक्त होती है।


मूल स्थान तथा उत्पादक देश
काली मिर्च के पौधे का मूल स्थान दक्षिण भारत ही माना जाता है। भारत से बाहर इंडोनेशिया, बोर्नियो, इंडोचीन, मलय, लंका और स्याम इत्यादि देशों में भी इसकी खेती की जाती है। विश्वप्रसिद्ध भारतीय गरम मसाले में, ऐतिहासिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से, काली मिर्च का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसका वर्णन और उपयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है। ग्रीस, रोम, पुर्तगाल इत्यादि संसार के विभिन्न देशों के सहस्रों वर्ष पुराने इतिहास में भी इसका वर्णन मिलता है। 15वीं शती में वास्को-डि-गामा द्वारा समुद्रमार्ग से भारत के सुप्रसिद्ध मलाबार के तटवर्ती इलाकों की खोज का मुख्य कारण भी काली मिर्च के व्यापार का आर्थिक महत्व ही था।


काली मिर्च का पौधा त्रावणकोर और मालाबार के जंगलों में बहुलता से उत्पन्न होता है। इसके अतिरिक्त त्रावणकोर, कोचीन, मलाबार, मैसूर, कुर्ग, महाराष्ट्र तथा असम के सिलहट और खासी के पहाड़ी इलाकों में बहुतांश में उपजाया भी जाता है। दक्षिण भारत के बहुत से भागों में इसकी खेती घर-घर होती है। वास्तव में काली मिर्च के भारतीय क्षेत्र का विस्तार उत्तर मलाबार और कोंकण से लेकर दक्षिण में त्रावणकोर कोचीन तक समझा जाना चाहिए।


व्यापार 
आज काली मिर्च अंतरराष्ट्रीय व्यापार का एक महत्वपूर्ण पदार्थ है। संसार के कुल देशों में काली मिर्च का उत्पादन गत महायुद्ध के पूर्व के 96,525 मीटरी टनों से गिरकर लगभग 45,725 मीटरी टनों पर पहुँच गया था। इस भारी कमी का मुख्य कारण गत महायुद्ध में इंडोनेशिया की काली मिर्च की खेती का सर्वनाश ही समझना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में केवल भारत का उत्पादन ही महायुद्ध के पूर्व के 18,800 मीटरी टनों से बढ़कर 25,400 मीटरी टनों से ऊपर पहुँचा है।


 


श्राद्ध: पितृ ऋण सर्वोपरि है।

श्रद्धया इदं श्राद्धम्‌ (जो श्रदा से किया जाय, वह श्राद्ध है।) भावार्थ है प्रेत और पित्त्तर के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है।


हिन्दू धर्म में माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए पुत्र की अनिवार्यता मानी गई हैं। जन्मदाता माता-पिता को मृत्यु-उपरांत लोग विस्मृत न कर दें, इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं जिसमे हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं।आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ब्रह्माण्ड की ऊर्जा तथा उस उर्जा के साथ पितृप्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है। धार्मिक ग्रंथों में मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति का बड़ा सुन्दर और वैज्ञानिक विवेचन भी मिलता है। मृत्यु के बाद दशगात्र और षोडशी-सपिण्डन तक मृत व्यक्ति की प्रेत संज्ञा रहती है। पुराणों के अनुसार वह सूक्ष्म शरीर जो आत्मा भौतिक शरीर छोड़ने पर धारण करती है प्रेत होती है। प्रिय के अतिरेक की अवस्था "प्रेत" है क्यों की आत्मा जो सूक्ष्म शरीर धारण करती है तब भी उसके अन्दर मोह, माया भूख और प्यास का अतिरेक होता है। सपिण्डन के बाद वह प्रेत, पित्तरों में सम्मिलित हो जाता है। पितृपक्ष भर में जो तर्पण किया जाता है उससे वह पितृप्राण स्वयं आप्यापित होता है। पुत्र या उसके नाम से उसका परिवार जो यव (जौ) तथा चावल का पिण्ड देता है, उसमें से अंश लेकर वह अम्भप्राण का ऋण चुका देता है। ठीक आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से वह चक्र उर्ध्वमुख होने लगता है। 15 दिन अपना-अपना भाग लेकर शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से पितर उसी ब्रह्मांडीय उर्जा के साथ वापस चले जाते हैं। इसलिए इसको पितृपक्ष कहते हैं और इसी पक्ष में श्राद्ध करने से पित्तरों को प्राप्त होता है।


पुराणों में कई कथाएँ इस उपलक्ष्य को लेकर हैं जिसमें कर्ण के पुनर्जन्म की कथा काफी प्रचलित है। एवं हिन्दू धर्म में सर्वमान्य श्री रामचरित में भी श्री राम के द्वारा श्री दशरथ और जटायु को गोदावरी नदी पर जलांजलि देने का उल्लेख है एवं भरत जी के द्वारा दशरथ हेतु दशगात्र विधान का उल्लेख भरत कीन्हि दशगात्र विधाना तुलसी रामायण में हुआ है।


भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण प्रमुख माने गए हैं- पितृ ऋण, देव ऋण तथा ऋषि ऋण। इनमें पितृ ऋण सर्वोपरि है। पितृ ऋण में पिता के अतिरिक्त माता तथा वे सब बुजुर्ग भी सम्मिलित हैं, जिन्होंने हमें अपना जीवन धारण करने तथा उसका विकास करने में सहयोग दिया। पितृपक्ष में हिन्दू लोग मन कर्म एवं वाणी से संयम का जीवन जीते हैं; पितरों को स्मरण करके जल चढाते हैं; निर्धनों एवं ब्राह्मणों को दान देते हैं। पितृपक्ष में प्रत्येक परिवार में मृत माता-पिता का श्राद्ध किया जाता है, परंतु गया श्राद्ध का विशेष महत्व है। वैसे तो इसका भी शास्त्रीय समय निश्चित है, परंतु 'गया सर्वकालेषु पिण्डं दधाद्विपक्षणं' कहकर सदैव पिंडदान करने की अनुमति दे दी गई है।


पिता-पुत्र और पौत्र की निरंतरता

श्राद


पूर्वज पूजा की प्रथा विश्व के अन्य देशों की भाँति बहुत प्राचीन है। यह प्रथा यहाँ वैदिक काल से प्रचलित रही है। विभिन्न देवी देवताओं को संबोधित वैदिक ऋचाओं में से अनेक पितरों तथा मृत्यु की प्रशस्ति में गाई गई हैं। पितरों का आह्वान किया जाता है कि वे पूजकों (वंशजों) को धन, समृद्धि एवं शक्ति प्रदान करें। पितरों को आराधना में लिखी ऋग्वेद की एक लंबी ऋचा (१०.१४.१) में यम तथा वरुण का भी उल्लेख मिलता है। पितरों का विभाजन वर, अवर और मध्यम वर्गों में किया गया है (कृ. १०.१५.१ एवं यजु. सं. १९४२)। संभवत: इस वर्गीकरण का आधार मृत्युक्रम में पितृविशेष का स्थान रहा होगा। ऋग्वेद (१०.१५) के द्वितीय छंद में स्पष्ट उल्लेख है कि सर्वप्रथम और अंतिम दिवंगत पितृ तथा अंतरिक्षवासी पितृ श्रद्धेय हैं। सायण के टीकानुसार श्रोत संस्कार संपन्न करने वाले पितर प्रथम श्रेणी में, स्मृति आदेशों का पालन करने वाले पितर द्वितीय श्रेणी में और इनसे भिन्न कर्म करने वाले पितर अंतिम श्रेणी में रखे जाने चाहिए।


ऐसे तीन विभिन्न लोकों अथवा कार्यक्षेत्रों का विवरण प्राप्त होता है जिनसे होकर मृतात्मा की यात्रा पूर्ण होती है। ऋग्वेद (१०.१६) में अग्नि से अनुनय है कि वह मृतकों को पितृलोक तक पहुँचाने में सहायक हो। अग्नि से ही प्रार्थना की जाती है कि वह वंशजों के दान पितृगणों तक पहुँचाकर मृतात्मा को भीषण रूप में भटकने से रक्षा करें। ऐतरेय ब्राह्मण में अग्नि का उल्लेख उस रज्जु के रूप में किया गया है जिसकी सहायता से मनुष्य स्वर्ग तक पहुँचता है। स्वर्ग के आवास में पितृ चिंतारहित हो परम शक्तिमान् एवं आनंदमय रूप धारण करते हैं। पृथ्वी पर उनके वंशज सुख समृद्धि की प्राप्ति के हेतु पिंडदान देते और पूजापाठ करते हैं। वेदों में पितरों के भयावह रूप की भी कल्पना की गई है। पितरों से प्रार्थना की गई है कि वे अपने वंशजों के निकट आएँ, उनका आसन ग्रहण करें, पूजा स्वीकार करें और उनके क्षुद्र अपराधों से अप्रसन्न न हों। उनका आह्वान व्योम में नक्षत्रों के रचयिता के रूप में किया गया है। उनके आशीर्वाद में दिन को जाज्वल्यमान और रजनी को अंधकारमय बताया है। परलोक में दो ही मार्ग हैं : देवयान और पितृयान। पितृगणों से यह भी प्रार्थना है कि देवयान से मर्त्यो की सहायता के लिये अग्रसर हों (वाज. सं. १९.४६)।


संहिताओं और ब्राह्मणों की बहुत सी पंक्तियों में मृत्यु के प्रति मिलता है। पहला जन्म साधारण जन्म है। पिता की मृत्यु के उपरांत पुत्र में ओर पुत्र के बाद पौत्र में जीवन की जो निरंतरता बनी रहती है उसे दूसरे प्रकार का जन्म माना गाया है। मृत्युपरांत पुनर्जन्म तीसरे प्रकार का जन्म है। कौशीतकी में ऐसे व्यक्तियों का उल्लेख है जो मृत्यु के पश्चात् चंद्रलोक में जाते हैं और अपने कार्य एवं ज्ञानानुसार वर्षा के माध्यम से पृथ्वी पर कीट पशु, पक्षी अथवा मानव रूप में जन्म लेते हैं। अन्य मृत्क देवयान द्वारा अग्निलोक में चले जाते हैं।


छांदोग्य के अनुसार ज्ञानोपार्जन करने वाले भले व्यक्ति मृत्युपरांत देवयान द्वारा सर्वोच्च ब्राह्मण पद प्राप्त करते हैं। पूजापाठ एवं जनकार्य करने वाले दूसरी श्रेणी के व्यक्ति रजनी और आकाश मार्ग से होते हुए पुन: पृथ्वी पर लौट आते हैं और इसी नक्षत्र में जन्म लेते हैं।


स्मृतियों एवं पुराणों में भी आत्मासंसरण संबंधी विश्वास पाए जाते हैं और इनमें भी पितृर्पण के हेतु श्राद्धसंस्कारों की महत्ता परिलक्षित होती है। मृत्युपरांत पितृ-कल्याण-हेतु पहले दिन दस दान और अगले दस ग्यारह दिन तक अन्य दान दिए जाने चाहिए। इन्हीं दानों की सहायता से मृतात्मा नई काया धारण करती है और अपने कर्मानुसार पुनरावृत्त होती है। पितृपूजा के समय वंशज अपने लिये भी मंगलकामना करते हैं।


यमाचार्य नचिकेता वार्ता (कर्तव्यवाद)

गतांक से...
उन्होंने भयंकर वनो में साक्लय एकत्रित किया। नाना प्रकार की औषधियों का मिश्रण हो गया। उससे सुगंधित पदार्थ जो पुष्पी वालों पदार्थ की वृद्धि करने वाली थी। उस औषधियो के साकल्‍य को एकत्रित किया और वह मुंजूक ऋषि के यहां एक कामधेनु गऊ रहती थी। उसके घृत को लिया, वह यज्ञ की सफलता का एक मूल है मुलक बन जाता है। तो उन्होंने यज्ञ प्रारंभ किया। मुंजुक ॠषि ने उस यज्ञ का प्रारंभ कराया और अपने शुद्ध हृदय से निर्भय बन करके उन्होंने यज्ञ का प्रारंभ किया। जब प्रारंभ हुआ तो उस वन मे भयंकर सिंहराज मृगराज भी ध्वनि को ध्वनित अपने में श्रवण करने लगे। मुझे कुछ ऐसा स्मरण है मुनिवरो, देखो वहां कहीं से भ्रमण करते हुए भारद्वाज गोत्र से विश्वतम ऋषि महाराज कहीं से भ्रमण करते हुए आ गए। मुंजुकॠषि भी विद्यमान है। उन्होंने मुनिवरो, देखो साकल्‍य की अग्नि में अर्पित करने लगे। तो उन्होंने कहा ॠषिवर उनके अंतरण को मुंजुकॠषि ने दृष्टिपात किया और मुंजुकॠषि ने कहा कि तुम्हें यह प्रतीत है कि यह जो व्रतकेतू जो याग कर रहे हैं। यह क्यों कर रहे हैं?उन्होंने कहा प्रभु मैं तो नहीं जानता। उन्होंने कहा यह सनातन शुद्धि के लिए,आत्मशुद्धि के लिए, यह वायुमंडल को पवित्र बनाएंगे। ब्रहम-जगत जब तक हमारा पवित्र नहीं होगा। हम अंतर-जगत को पवित्र नहीं बना सकते इसलिए यह ब्रहम-जगत का शोधन कर रहे हैं तो उन्हे ऐसा स्मरण है। उन्होंने कहा तो क्या मैं नहीं बना सकता। तुम्हारी विचारधारा में तमोगुण छाया हुआ है और वह तमोगुण की तरंगों का वायु मंडल अग्‍नी के ऊपर विश्राम करके वाय में प्रवेश कर गए तो यह वायुमंडल पवित्र नहीं बना सकेंगे। इसलिए तुम अपनी विचारधारा को पवित्र बना करके प्राप्त हो। उन्होंने कहा मुंजुक ॠषि से प्रभु प्राप्त यथार्थ कहते हैं। मेरा रजोगुणी विचार रहा है मैं तो सतोगुणी बनाना चाहता हूं। उन्होंने कहा जाओ तपस्या करो। तो उन्होंने देखा कि यग का प्रारंभ किया। तो राजा व्रतकेतू ने याग संपन्न किया। मुंजुकॠषि के सहयोग से वायु मंडल पवित्र हो गया। तो वायुमंडल में जो शब्दों की धारा है ध्‍वनिया है गृह में क्या ,आश्रम में क्या ,वह वायु में भ्रमण करती रहती है। अग्नि की तरंगों पर विद्यमान हो जाता है। यह ज्ञान हमारे समीप परम्‍परागतो से ऋषि मुनियों के मस्तिष्क में नृत्य करता रहा है। जो मुंजुकॠषि महाराज ने एक वर्ष तक इस प्रकार की याग प्रारंभ किया। प्रात: कालीन याग होना,मध्यकालीन अध्‍यन होना और देखो सायं काल को याग के पश्चात चिंतन करना। मनिवरो देखो उनका ह्रदय 1 वर्ष के पश्चात उनकी जो भावना रजोगुण की जो भावना यह समाप्त हो गई। हृदय में  उनका ब्रहम जगत पवित्र बन गया। साधना में परिणत हो गए।
वह साधना मे परिणत हो गये। साधना उनकी बड़ी विचित्र ता में चली गई आगे चलकर वह ब्रह्म बिता बने तो मुनिवर देखो वाक्य उच्चारण करने का अभिप्राय यह है कि हम अपने इस मानवीय जीवन को इतना महान इतना पवित्र बनाएं कि हमारा ब्राह्मण जगत, अंतर-जगत दोनों पवित्र हो जाए और हम ब्रह्मा को एक-एक, कण-कण में दृष्टिपात करने लगे तो मुनिवरो हमारा अंतर-हृदय अभिमान मुक्‍त बन सकता है और नीरअभिमानी बन करके हम वेद रूपी प्रकाश को अपना करके, स्वत: प्रकाशमान हो जाए। मेरे प्यारे देखो यह वाक मैंने अभी-अभी प्रकट किया है। अब मेरे प्यारे महानंद जी शब्द उच्चारण करेंगे।
श्रावणि गतम्‌ मना: वाचन्‍नम्‌ वृहे कृतं
 मेरे पूज्य पाद गुरुदेव मेरे भक्त ऋषि मंडल, मेरे पूज्य पाद गुरुदेव गुरुदेव वेद और दर्शन की वार्ता प्रकट कर रहे थे। क्योंकि यह जो मानवीय दर्शन है यह परंपरागतो से ही विचित्र माना गया है। जब हम पूज्‍यपाद गुरुदेव के चरणों में और ओत-प्रॊत होते हैं तो हम अपने में अपने को धन्य स्वीकार करते रहते हैं। बहुत समय हो गया है इसका अध्ययन करते हुए मुझे किसी काल में असमंजस हो जाता है। उसके बाद के हृदय में इतने ज्ञान की धाराओं की उपलब्धियां होती रहती है। कितनी महान स्मरण शक्ति है, स्मरण शक्ति के द्वारा यह वह उदगीत गाते रहते हैं और ऐसे समुद्र में चले जाते हैं जहां से नाना रत्नों को ले करके आते हैं। याग की विवेचना कर रहे हैं इनका विवेचनामयी हृदय अदम्‍यमयी ज्योति वाला जो उद्देश्य है। वह हमारे हृदय को स्पर्श करता रहता है। परंतु आज पूज्य पाद गुरुदेव को मैं तो कुछ परिचय देने चला आता हूं। मैं व्याख्या देना नहीं चाहता। पूज्‍यपाद गुरुदेव को मैंने कुछ उदगीत गाने के लिए चला आया हूं और वह क्या है कि जहां यह हमारी आकाशवाणी जा रही है। जहां हमारी यह प्रेरणादायक शब्द जा रहे हैं। उस स्थली पर एक यज्ञ का समापन हुआ है। मेरा हृदय बड़ा गदगद रहता है कि यह जो काल है बड़ा विचित्र काल चल रहा है। यहां सूरा पान माशांहार की एक गतिया मानव के हृदय में गतिशील हो रही है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


september 15, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1.अंक-43 (साल-01)
2. शनिवार,15सितबंर 2019
3.शक-1941,अश्‍विन, कृष्‍णपक्ष,तिथि प्रतिपदा ,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 6:00,सूर्यास्त 6:00
5.न्‍यूनतम तापमान -27 डी.सै.,अधिकतम-36+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, उमस बनी रहेगी बरसात की संभावना रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


https://universalexpress.page/
email:universalexpress.editor@gmail.com
cont.935030275


चेन्नई सुपर किंग्स ने ग्लीसन को टीम में शामिल किया

चेन्नई सुपर किंग्स ने ग्लीसन को टीम में शामिल किया  इकबाल अंसारी  चेन्नई। देश में इन दिनों आईपीएल की धूम मची हुई है। गत चैम्पियन चेन्नई सुपर...