शनिवार, 7 सितंबर 2019

सही भोजन, बेहतर जीवन: हर्षवर्धन

नई दिल्ली। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के इट राइट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत करते हुए केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने 'इट राइट, स्‍टे फिट, तभी इंडिया सुपर फिट' का नारा दिया। भोजन और फिटनेस के माध्‍यम से नागरिकों को केंद्र में रखते हुए। एक स्‍वास्‍थ्‍य आंदोलन के रूप में यह स्‍वस्‍थ खान-पान की एक नई पहल है। पांच दिनों तक आयोजित 'दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन क्षेत्रीय समिति के 72वें अधिवेशन' के साथ-साथ आज नई दिल्‍ली में एक कार्यक्रम में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने नई लोगो और टैगलाइन 'सही भोजन, बेहतर जीवन' जारी करके 'इट राइट इंडिया' नामक अभियान शुरू किया। स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय में सचिव श्रीमती प्रीति सूदन, विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम क्षेत्रपाल सिंह, एफएसएसएआई की अध्‍यक्ष सुश्री रीता तेवतिया और एफएसएसएआई के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी श्री पवन अग्रवाल भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
 डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि समाचार माध्‍यमों, खाद्य उत्‍पादकों, उपभोक्‍ताओं और अन्‍य हितधारकों के साथ-साथ समाज के सभी हिस्‍सों के सक्रिय समर्थन और भागीदारी से यह एक देशव्‍यापी आंदोलन बन सकता है। पोषण के ईद-गिर्द मुद्दे पर एक जन आंदोलन के महत्‍व के बारे में चर्चा करते हुए, डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के दृष्टिकोण का एक हिस्‍सा है। पूरे देश में सितंबर माह को 'पोषण माह' के रूप में मनाया जा रहा है। स्‍वस्‍थ भोजन के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाना, जनसंख्‍या के कुछ हिस्‍से में कुपोषण,अल्‍प पोषण और मोटापे की समस्‍या का समाधान करना तथा कुपोषण-मुक्‍त भारत के लिए एक जोरदार अभियान चलाना इसका उद्देश्‍य है। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि इस आंदोलन का लक्ष्‍य पोषण अभियान, आयुष्‍मान भारत योजना और स्‍वच्‍छ भारत अभियान जैसे सरकार के फ्लैगशिप  जन स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रमों के बल पर एक नये भारत का निर्माण करना है, जिसे हमारे प्रधानमंत्री 2022 तक सभी नागरिकों के लिए पूरा करना चाहते हैं।
विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम क्षेत्रपाल सिंह ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम में डॉ. हर्ष वर्धन ने इट राइट इंडिया का नया लोगो भी जारी किया।


रुकावटो से हम रुकने वाले नहीं: मोदी

मुबंई। मुंबई में तीन मेट्रो लाइनों के शिलान्यास समारोह के अवसर पर पीएम मोदी जनता को संबोधित कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा- एक रुकावट आज हमने देखी है लेकिन इसरो के वैज्ञानिक तब तक नहीं रुकेंगे जब तक मंजिल तक नहीं पहुंच जाते। चांद पर पहुंचने का सपना पूरा होकर रहेगा, हमारे देश में पहली मेट्रो 30-35 साल पहले शुरू हुई थी। इसके बाद 2014 तक कुछ ही शहरों में मेट्रो चल पाई। आज 27 शहरों में मेट्रो या तो शुरू हो चुकी है या शुरू होने वाली है।


प्रधानमंत्री ने मुंबई में मेट्रो परियोजनाओं की आधारशिला रखने के बादे लोगों को संबोधित किया और इसरो के वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लोगों की सादगी और स्नेह मुझे हमेशा अभीभूत कर देता है। चुनाव प्रचार के दौरान महाराष्ट्र के अनेक शहरों में गया, आप लोगों से बात की. मुंबई में तो, जो रात में सभा हुई थी, उसकी चर्चा कई दिनों तक की गई थी। इस स्नेह के लिए, इस आशीर्वाद के लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।


उन्होंने कहा कि सबसे ऊंचे स्तर पर वो लोग पहुंचते हैं जो लगातार रुकावट के बावजूद, बड़ी से बड़ी चुनौतियों के बावजूद, निरंतर प्रयास करते रहते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त करके ही दम लेते हैं।


शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है:कुंभ

राशिफल


मेष-शारीरिक कष्ट से बाधा उत्पन्न हो सकती है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। किसी व्यक्ति से अकारण विवाद हो सकता है। किसी कार्य को करने से प्रशंसा मिलेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।


वृष-लाभ में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। पारिवारिक चिंता रहेगी। फालतू खर्च होगा। व्यावसायिक यात्रा लंबी हो सकती है। लाभ होगा।


मिथुन-आर्थिक उन्नति के लिए नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। व्यापार-व्यवसाय में मुनाफा बढ़ेगा। काफी समय से रुका हुआ कार्य पूर्ण हो सकता है। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यस्तता रहेगी। प्रमाद न करें।


कर्क-नए मित्र बनेंगे। पूजा-पाठ में मन लगेगा। शत्रु सक्रिय रहेंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। सामंजस्य बनाकर रखें। कोर्ट व कचहरी आदि में विजय मिलेगी। कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। जोखिम न लें।


सिंह-बेचैनी रहेगी। अज्ञात भय सताएगा। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में लापरवाही न करें। एकाग्रता की कमी होगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। अकारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी।


कन्या-शत्रु पस्त होंगे। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। पारिवारिक सुख-शांति बनी रहेगी। शत्रु सक्रिय रहेंगे। नजरअंदाज न करें। चोट व रोग से बचें। भाग्य का साथ मिलेगा।


तुला-किसी व्यक्ति से बहस हो सकती है। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। कारोबार से लाभ बढ़ेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। धनहानि संभव है। प्रमाद न करें।


वृश्चिक-शारी‍रिक कष्ट के योग हैं, सावधानी बरतें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी अपने कार्य एकाग्रता से कर पाएंगे। अध्ययन में मन लगेगा। यात्रा मनोरंजक हो सकती है।


धनु-ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। दूर से दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। विवाद से क्लेश हो सकता है। पुराना रोग उभर सकता है। झंझटों में न पड़ें। महत्वपूर्ण निर्णय टालें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। जल्दबाजी न करें।


मकर-विवाह के उम्मीदवारों को वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। खुशी का वातावरण निर्मित होगा। जल्दबाजी न करें। पूर्व में किए गए प्रयासों का फल अब मिल सकता है। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। धनार्जन होगा। व्यस्तता बनी रहेगी।


कुंभ-शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। मनोरंजन का मौका मिलेगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय होगा। विवाद से बचें। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। घर-बाहर सुख-शांति बनी रहेगी। नए मित्र बन सकते हैं।


मीन-राजभय रहेगा। किसी भी प्रकार की बहस का हिस्सा न बनें, बात बिगड़ सकती है। जल्दबाजी व लापरवाही न करें। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ के योग हैं। चोट व रोग से बचें। जोखिम न लें।


'बाघ' के सफेद होने का कारण

सफ़ेद बाघ (व्हाइट टाइगर) एक ऐसा बाघ है जिसका प्रतिसारी पित्रैक (रिसेसिव पित्रैक) इसे हल्का रंग प्रदान करता है। एक अन्य आनुवंशिक अभिलक्षण बाघ की धारियों को बहुत हल्का रंग प्रदान करता है। इस प्रकार के सफ़ेद बाघ को बर्फ-सा सफ़ेद या "शुद्ध सफे़द" कहते हैं। सफ़ेद बाघ विवर्ण नहीं होते हैं और इनकी कोई अलग उप-प्रजाति नहीं है और इनका संयोग नारंगी रंग के बाघों के साथ हो सकता है। हालांकि (लगभग) इस संयोग के परिणामस्वरूप जन्म ग्रहण करने वाले शावकों में से आधे शावक प्रतिसारी सफ़ेद पित्रैक की वजह से विषमयुग्मजी हो सकते हैं और इनके रोएं नारंगी रंग के हो सकते हैं। इसमें एकमात्र अपवाद तभी संभव है जब खुद नारंगी रंग वाले माता-पिता पहले से ही एक विषमयुग्मजी बाघ हो, जिससे प्रत्येक शावक को या तो दोहरा प्रतिसारी सफ़ेद या विषमयुग्मजी नारंगी रंग के होने का 50 प्रतिशत अवसर मिलेगा! अगर दो विषमयुग्मजी बाघों या विषमयुग्मजों का संयोग होता है तो उनसे जन्मे शावकों में से 25 प्रतिशत शावक सफ़ेद, 50 प्रतिशत विषमयुग्मजी नारंगी (सफ़ेद पित्रैक वाहक) और 25 प्रतिशत सफ़ेद पित्रैक विहीन समयुग्मजी नारंगी रंग के होंगे! 1970 के दशक में शशि और रवि नामक नारंगी रंग के विषमयुग्मजी बाघों की एक जोड़ी ने अलीपुर चिड़ियाघर में 13 शावकों को जन्म दिया जिसमें से 3 सफ़ेद रंग के थे। अगर दो सफ़ेद बाघों का संयोग कराया जाता है तो उनके सभी शावक समयुग्मजी और सफ़ेद रंग के होंगे! सफ़ेद पित्रैक वाला एक समयुग्मजी बाघ कई विभिन्न पित्रैकों की वजह से विषमयुग्मजी या समयुग्मजी भी हो सकता है। एक बाघ विषमयुग्मजी (विषमयुग्मज) है या समयुग्मजी (समयुग्मज), यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस पित्रैक पर चर्चा की जा रही है। अन्तःसंयोग समयुग्मता को बढ़ावा देता है जिसका इस्तेमाल सफ़ेद बाघ पैदा करने में किया जाता है।


पेयजल की उपलब्धता एवं संदूषण

दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में अपरिष्कृत पानी के प्रदूषण का सबसे आम स्रोत मानव मल (नालों से बहने वाला गंदा पानी) और विशेष रूप से मल संबंधी रोगाणु और परजीवी हैं। वर्ष 2006 में जलजनित रोगों से प्रति वर्ष 1.8 मिलियन लोगों के मारे जाने का अनुमान था जबकि लगभग 1.1 मिलियन लोगों के पास उपयुक्त पीने के पानी का अभाव था। यह स्पष्ट है कि दुनिया के विकासशील देशों में पर्याप्त मात्रा में अच्छी गुणवत्ता के पानी, जल शुद्धीकरण तकनीक और पानी की उपलब्धता एवं वितरण प्रणालियों तक लोगों की पहुंच होना आवश्यक है। दुनिया के कई हिस्सों में पानी का एकमात्र स्रोत छोटी जलधाराएं हैं जो अक्सर नालों की गंदगी से सीधे तौर पर संदूषित होती हैं।


अधिकांश पानी को उपयोग करने से पहले किसी प्रकार से उपचारित करने की आवश्यकता होती है, यहां तक कि गहरे कुओं या झरनों के पानी को भी उपचार की सीमा पानी के स्रोत पर निर्भर करती है। जल उपचार के उचित तकनीकी विकल्पों में उपयोग के स्थान (पीओयू) पर सामुदायिक और घरेलू दोनों स्तर के डिजाइन शामिल हैं। कुछ बड़े शहरी क्षेत्रों जैसे क्राइस्टचर्च, न्यूजीलैंड को पर्याप्त मात्रा में पर्याप्त रूप से शुद्ध पानी उपलब्ध है जहां अपरिष्कृत पानी को उपचारित करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।


पिछले दशक के दौरान जलजनित रोगों को कम करने में पीओयू उपायों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए एक बढ़ती हुई संख्या में क्षेत्र के आधार पर अध्ययन किये गए। बीमारी को कम करने में पीओयू विकल्पों की क्षमता समुचित रूप से प्रयोग किये जाने पर सूक्ष्म रोगाणुओं को हटाने की उनकी क्षमता और उपयोग में आसानी एवं सांस्कृतिक औचित्य जैसे सामाजिक कारकों दोनों की एक कार्यप्रणाली है। तकनीकें अपनी प्रयोगशाला-आधारित सूक्ष्मजीव पृथक्करण क्षमता के प्रयोग की तुलना में ज्यादातर (या कुछ हद तक) स्वास्थ्य लाभ उत्पन्न कर सकती हैं।


पीओयू उपचार के मौजूदा समर्थकों की प्राथमिकता एक स्थायी आधार पर एक बड़ी संख्या में कम आय वर्ग के परिवारों तक पहुंचने की है। इस प्रकार पीओयू उपाय एक महत्वपूर्ण स्तर तक पहुंच गए हैं लेकिन इन उत्पादों का प्रचार-प्रसार और वितरण दुनिया भर के गरीबों के बीच किये जाने के प्रयास केवल कुछ ही वर्षों से चल रहे हैं।


आपात स्थितियों में जब पारंपरिक उपचार प्रणालियां काम नहीं करती हैं, जल जनित रोगाणुओं को को उबालकर मारा या निष्क्रिय किया जा सकता है लेकिन इसके लिए प्रचुर मात्रा में इस ईंधन के स्रोतों की आवश्यकता होती है और ये उपभोक्ताओं पर भारी दबाव दाल सकते हैं, विशेष रूप से जहां स्टेराइल स्थितियों में उबले हुए पानी का भंडारण करना मुश्किल होता है और जो कुछ सन्निहित परजीवियों जैसे कि क्रिप्टोस्पोरीडम या बैक्टेरियम क्लोस्ट्रीडियम को मारने का एक विश्वसनीय तरीका नहीं है। अन्य तकनीकों जैसे कि निस्पंदन (फिल्टरेशन), रासायनिक कीटाणुशोधन और पराबैंगनी विकिरण (सौर यूवी) सहित में रखने को कम आय वर्ग के देशों के उपयोगकर्ताओं के बीच जल-जनित रोगों के स्तर को काफी हद तक कम करने के लिए एक अनियमित नियंत्रण की श्रृंखला के रूप में देखा गया है।


पीने के पानी की गुणवत्ता के मानदंड आम तौर पर दो श्रेणियों के तहत आते हैं: रासायनिक,भौतिक और सूक्ष्म जीवविज्ञानी। रासायनिक,भौतिक मानदंडों में भारी धातु, कार्बनिक यौगिकों का पता लगाना, पूर्ण रूप से मिले हुए ठोस पदार्थ (टीएसएस) और टर्बिडिटी (गंदलापन) शामिल हैं। सूक्ष्म जीवविज्ञानी मापदंडों में शामिल हैं। कैलिफॉर्म बैक्टीरिया, ई. कोलाई और जीवाणु की विशिष्ट रोगजनक प्रजातियां (जैसे कि हैजा-उत्पन्न करने वाली विब्रियो कॉलेरा), वायरस और प्रोटोज़ोअन परजीवी।


यमाचार्य नचिकेता वार्ता (धर्मवाद)

मुनिवरो, हम पूर्व की भांति आपके समक्ष कुछ मनोहर वेद मंत्रों का गुणगान गाते चले जा रहे हैं। तुम्हें भी प्रतीत हो गया होगा। आज हमने पूर्व से जिन वेद मंत्रों का पठन-पाठन किया। हमारे यहां परंपरागत उससे ही उस मनोहर वेद वाणी का प्रसार होता रहता है। जिस पवित्र वेद वाणी में उस मेरे देव परमपिता परमात्मा की प्रतिभा का वर्णन किया जाता है। क्योंकि वह परमपिता परमात्मा महान और प्रतिभाशाली कहलाया जाता है। उसीकी चेतना से ही यह जगत चैतन्य हो रहा है। जितना भी है जडवत संसार है अथवा चेतन जगत है। उनको क्रिया में लाने वाला है अथवा क्रियाशील बना रहता है। एक मनोनीत चेतना के लाई जाती है। उसी की चेतना में यह सर्वत्र ब्रह्मांड क्रियाशील दृष्टिपात आ रहा है। आज का हमारा वेद का ऋषि हमें यह कह रहा है कि यह नाना प्रकार की प्रेरणा दे रहा है और यह कह रहा है। हे मानव,तू अपने जीवन को उधरवागति में ले जाने का प्रयास कर। उधरवागति में कौन जाता है? उधरवागती हम किसे कहते हैं? हमारे आचार्यों ने यह माना है कि सर्वत्र इंद्रियों में उस परमपिता परमात्मा की प्रतिभा का ही वर्णन होता रहता है। अथवा उसी महान, उसकी महानता निहित रहती है। हमारी प्रत्येक इंद्रियों में धर्म और मानवता समाहित रहती है। हमें विचारना चाहिए कि मानव का धर्म और मानवता दोनों का कितना घनिष्ठ संबंध है? क्योंकि धर्म उसे कहा जाता है जिसको मानव अपने में धारण कर लेता है और धर्म उसे कहते हैं जो धर्म मानव इंद्रियों में समाहित रहता है। वह धर्म नहीं कहा जाता, वह स्वत ही उसमें निहित रहता है। प्रत्येक इंद्रिया धर्म के सूत्र में पिरोई हुई रहती है। इस सूत्र को धारण करने के पश्चात मानव का जीवन धन्य हो जाता है।वह जो धर्म है मुनवरो 'इंद्रिया वृहे व्रत्‌ लोकामं' धर्म रूपी सूत्र में संसार पिरोया हुआ है ।यहां नाना लोक लोकांतर पिरोए हुए रहते हैं। परंतु आज हमें धर्म को जानना है। मैंने धर्म के संबंध में बहुत सी विवेचना पुरातन काल में प्रकट करते हुए कहा है कि मानव को वास्तव में धर्म को जानना चाहिए। क्योंकि धर्म एक सूत्र है जिस सूत्र में प्रत्येक परमाणु पिरोया हुआ है। लोक-लोकांतर पिराया हुआ है और वह ॠत और सत में भ्रमण करता हुआ मानव को उज्जवलता प्रकट करता रहता है। उज्जवल बनाता रहता है। मुझे वह काल स्‍मरण आता रहता है जिस काल में याज्ञवल्‍क्‍य मुनि महाराज अपने आश्रम में विद्यमान रहते थे। ब्रह्मचारीओं के मध्य में विराजमान होकर के कर्मचारियों से उच्चारण कर रहे थे। हे ब्रह्मचरयो, धर्म के ऊपर निरंतर चिंतन करना प्रारंभ करेंगे। वह काल स्‍मरणन आने लगता है तो हृदय गदगद हो जाता है। मेरी याज्ञवल्‍क्‍य मुनि महाराज के आश्रम में नाना ब्रह्मचारी प्रातः कालीन नाना समाधियों को लेकर आचार्यों के चरणों में ओत-पौत हो गए और ऋषि से कहते हैं 
।महाराज ,हम यज्ञ करना चाहते हैं ब्रह्मचारी जब कहते हैं कि यज्ञ करना चाहते हैं तो ऋषि कहते हैं। यज्ञ किससे कर रहे हो ।उन्होंने कहा कि अब मैं समाधी के द्वारा यज्ञ कर रहा हूं। समिधा किसे कहते हैं। समिधा उसे कहते हैं जो अग्नि को चैतन्य कर देती है। परंतु अग्नि कैसे होती है यह समाधिओ के द्वारा होती रहती है। और समिधा जब अग्नि में प्रवेश कर जाती है तो अग्नि उदिप्‍त हो जाती है। इसी प्रकार यहां समिधा जहां काष्ट की समिधा होती है ।जहां वृक्ष की समिधा होती है। मुनिवरो, देखो मानव के शरीर में जो यज्ञ होता है। उसकी समिधा क्या है? ब्रह्मचारी, ऋषि याज्ञवल्क्य मुनि महाराज कहते हैं हे ब्रह्मचारयो, तुम्हारे हृदय में जो अग्नि प्रदीप्त हो रही है। उसकी समिधा क्या है। उसका वजस्‍व कौन है, उसका उदबुद करने वाला कौन है? वेद के ऋषि ने जब ऐसा कहा तो ब्रह्मचारी कहते हैं। हे प्रभु, हमारे शरीर की जो अग्नि उदबुद होती है। उसकी समिधा ज्ञान है, उसकी संमिधा विवेक है, जिसको धारण करने के पश्चात मानव का जीवन धन्य हो जाता है और यह संसार उदबूद स्वाहा कह करके अपनी वाणी से आंतरिक, अपने को ब्रह्म-जगत में प्रवेश करा देता है और कहीं-कहीं ब्रह्मा-जगत की अग्नि को आंतरिक जगत में प्रवेश करा देता है। तो परिणाम क्या? यह जो विशाल अग्नि है उस अग्नि को हम अपने में धारण करना चाहते हैं ।जो अग्नि लोको में सूर्य को प्रकाश मान बना रही है। तेजोमयी बना रही है। वही अग्नि है जो पृथ्वी के गर्भ में प्रवेश होकर के नाना प्रकार के खाद और खनिजों को उत्पन्न कर रही है। वह जो बननती है, जो नाना प्रकार की वनस्पतियों को ऊंचा बना रही है। वही अग्नि है जो माता के गर्भ स्थल में एक बिंदु प्रवेश करता है। उसे एक बिंदु के प्रवेश करने पर परमाणु की व्यवस्था परमाणु विभक्त हो जाते हैं और परमाणु अपने आंगन में गति करना प्रारंभ करते हैं। जब माता के गर्भ में परमाणु गति करते हैं। उन्‍ही प्रमाणुओ में से वह धर्मम्‌ जबपृहे लोका: वेद का ऋषि कहता है। अपने-अपने धर्म अपनी-अपनी आभा में, अपने-अपने कारण में, प्रत्येक प्रमाण लय हो करके हम जैसे पुत्रों का निर्माण माता के गर्भ स्थल में करता है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
september 08, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254
1.अंक-36 (साल-01)
2.शनिवार,08सितबंर 2019
3.शक-1941,भादप्रद शुक्‍लपक्ष दशमी,विक्रमी संवत 2076
4. सूर्योदय प्रातः 5:57,सूर्यास्त 6:43
5.न्‍यूनतम तापमान -26 डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, उमस बनी रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102


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कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप

कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप  दुष्यंत टीकम  जशपुर/पत्थलगांव। जशपुर जिले के एक गांव में कुएं में नवजात शिशु का शव मिला है। इससे...