बुधवार, 4 सितंबर 2019

'वैष्णो देवी मंदिर' सर्वश्रेष्ठ स्वच्छ-स्थल

नई दिल्ली। जल शक्ति मंत्रालय ने मंगलवार को 'स्वच्छ भारत मिशन' के तहत देश के स्‍वच्‍छ प्रतिष्ठित स्‍थानों की रैंकिंग जारी की। इसमें जम्‍मू कश्‍मीर के माता वैष्णों देवी मंदिर को देश का 'सर्वश्रेष्‍ठ स्‍वच्‍छ स्‍थल' घोषित किया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 6 सितंबर को स्वच्छता महोत्सव के दौरान अवॉर्ड प्रदान करेंगे। यह कार्यक्रम पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाएगा। वैष्णों देवी मंदिर को स्वच्छता के सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थल घोषित किया गया है। यहां पर पिछले कुछ वर्षों में स्वच्छता को लेकर कई कदम उठाए गए थे। वैष्णो देवी को महाराष्ट्र के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, आगरा के ताजमहल, आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति मंदिर, पंजाब के स्वर्ण मंदिर, वाराणसी के मणिकर्णिका घाट आदि स्थलों से कड़ी टक्कर मिल रही थी। इस सम्मान के लिए माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बोर्ड के सीईओ और सभी कर्मचारियों को बधाई दी है। इससे पहले 2017 में श्राइन को पेयजल और स्वच्छता में स्पेशल अवॉर्ड मिला था। 2017 में यह स्वर्ण मंदिर के बाद दूसरे स्थान पर रही थी। 2018 में इसे इंडिया डुडे ग्रुप की तरफ से सबसे स्वच्छ धार्मिक स्थल घोषित किया गया था।


नवरात्रों से चलेगी,पहली प्राइवेट ट्रेन 'तेजस'

नई दिल्ली। देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस नवरात्र के शुभ मुहूर्त में दिल्ली से लखनऊ के बीच शुरू हाेगी। टिकट बुकिंग से लेकर ट्रेन के संचालन तक की पूरी जिम्मेदारी आईआरसीटीसी संभालेगा। किराया अगले सप्ताह तय हाेगा। संभावना है कि किराया शताब्दी की तुलना में 20% तक महंगा रहेगा। इसमें फ्लेक्सी फेयर लागू हाेगा और काेई छूट नहीं मिलेगी। सप्ताह में एक दिन मंगलवार को ट्रेन नहीं चलेगी। यह सुबह लखनऊ से चलकर दोपहर 12 बजे दिल्ली पहुंचेगी और दाेपहर बाद 3-4 बजे दिल्ली से चलकर 6 घंटे बाद लखनऊ पहुंचेगी। माेदी सरकार के 100 दिन के एजेंडे में प्राइवेट आपरेटर्स काे ट्रेन सौंपना भी शामिल है। ट्रेन की ओर यात्रियाें काे आकर्षित करने के लिए आईआरसीटीसी अतिरिक्त सुविधाएं भी मुहैया करवाएगा। इस ट्रेन में दो बार नाश्ता मिलेगा। यात्री स्टेशन में बने लाउंज का मुफ्त में इस्तेमाल कर सकेंगे। इसका किराया 200 रुपए प्रति घंटा है। इस ट्रेन में ड्राइवर और इलेक्ट्रिकल मेंटेनेंस का जिम्मा रेलवे के पास ही रहेगा। गार्ड्स और टीटीई काे आईआरसीटीसी रखेगा। एक अधिकारी के अनुसार रेलवे के रिटायर्ड कर्मचारी इसके लिए रखे जाएंगे। आईआरसीटीसी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुविधाओं काे लेकर यात्रियाें से मिलने वाले सुझाव भी लागू किए जाएंगे। हादसे की स्थिति में आईआरसीटीसी वही सुविधएं देगा, जो रेलवे देता है। दूसरी प्राइवेट तेजस अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलेगी।


बस-ट्रक की भिड़ंत,1 मौत 30 घायल

बैतूल। यात्री बस और ट्रक की जोरदार टक्कर हो गई। इस हादसे में साइकिल सवार एक व्यक्ति की ट्रक की चपेट में आकर मौत हो गई, जबकि करीब 30 लोग घायल हो गए। घायलों में स्कूली बच्चे भी शामिल है। घायलों को इलाज के लिए चिचोली स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जानकारी अनुसार घटना बैतूल-इंदौर नेशनल हाइवे 59 पर चिचोली थाना क्षेत्र के निकट मंडाई घाट की है। बुधवार सुबह 10 बजे यात्री बस क्रम एमपी 48 पी 0577 यात्रियों को लेकर जा रही थी। इसी दौरान हरदा की ओर जा रहे ट्रक क्रमांक एमपी 09 एचएच 6406 की बस से आमने सामने सीधी भिड़ंत हो गई।


'स्कूटी' का 23 हजार का चालान काटा

नई दिल्ली। देशभर में एक सितंबर से नया ट्रैफिक नियम लागू हो गया है। इसके तहत जुर्माने की राशि में के गुना बढ़ोत्तरी की गई है। इसका एक नमूना गुड़गांव में देखने को मिला, जहां दिल्ली निवासी दिनेश मदान की स्कूटी का 23 हजार रुपए का चालान काट दिया गया। चालान की कॉपी भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।


बिना हेलमेट और कागजात के चला रहे थे स्कूटी


दिनेश बिना हेलमेट के गाड़ी चला रहे थे, साथ ही उनके पास स्कूटी का रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस, एयर पॉल्यूशन एनओसी, और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं था। हालांकि उन्होंने कागजात घर पर रखे होने की बात कही और उसे ट्रैफिक पुलिस को मुहैया कराने का वादा किया। लेकिन तब तक ट्रैफिक पुलिस ने दिनेश का 23 हजार रुपए का चालान काट दिया था।


ट्रैफिक पुलिस ने सीज की स्कूटी


दिनेश ने बताया कि ट्रैफिक पुलिसकर्मियों ने चालान काटने के बाद स्कूटी को सीज कर दिया। अब गाड़ी को कोर्ट से छुड़ाना होगा। इसके लिए पहले थाने में जाकर के केस बनेगा और फिर उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। इसके साथ ही चालान भरने के अलावा जमानत भी देनी होगी। दिनेश ने कहा यह होने के बाद से वो बहुत परेशान हैं। हालांकि अब वो इस स्कूटी को छुड़ाने के लिए नहीं जाएंगे।


15 हजार रुपए है स्कूटी की कीमत


दिनेश मदान ने सोमवार को गुड़गांव किसी काम से गए थे। जिला अदालत कॉम्पलेक्स के सामने स्थित सर्विस रोड पर उन्होंने हेलमेट उतार दिया। वहां पर खड़े पुलिसकर्मियों ने उनसे गाड़ी के कागजात मांगे। कागजात न होने की स्थिति में पुलिस कर्मियों ने 23 हजार रुपये का चालान कर दिया। दिनेश ने कहा कि उनकी स्कूटी की कीमत फिलहाल 15 हजार रुपए है।


लूट के आरोपियों को 7 वर्ष की सजा

जांजगीर-चांपा। करीब दो वर्ष पूर्व 26 नवंबर 17 को चाँपा थाना क्षेत्र में रायटर सेफ गार्ड कंपनी से हुई 57 लाख की लूट मामले में गिरफ्तार 3 आरोपियों को न्यायालय ने 7-7 वर्ष की सजा और 11-11 हजार रुपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। वही दो आरोपियों को मामले से दोषमुक्त कर दिया है। दरअसल दो वर्ष पूर्व 26 नवंबर को चाँपा थाना क्षेत्र के जगदल्ला में शराब दुकानों का कैश कलेक्शन करने वाली राइटर सेफ गार्ड कंपनी के कार्यालय में देर रात 8 नकाबपोशों के द्वारा कट्टे की नोक पर करीब 57 लाख रुपये लूट कर फरार हो गए थे। इसमें से 5 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया था।


अफसोस,सरकार को हैरानी नहीं होती

मुबंई। शिवसेना ने सामना में लिखा है, 'नोटबंदी और जीएसटी जैसे निर्णय देश में आर्थिक मंदी की वजह बन रहे हैं, ऐसा मनमोहन सिंह कह रहे हैं। देश की विकास दर गिर रही है। उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोत्तरी घट गई है तथा लाखों लोगों पर नौकरी गंवाने का संकट आ गया है। फिर भी यह हालात सरकार को भयावह नहीं लगते, ऐसी व्यवस्था हैरान करने वाली है। देश की पहली महिला रक्षा मंत्री सीतारमण की पहले सराहना हुई। देश की पहली महिला वित्त मंत्री के रूप में उन पर की गई पुष्पवर्षा के फूल अभी भी सूखे नहीं हैं। परंतु सक्षम महिला होना तथा देश की अर्थनीति को पटरी पर लाने में फर्क होता है।


मंदी की आहट को लेकर शिवसेना ने मोदी सरकार पर निशाना साधा हैं। शिवसेना ने सामना में लिखा है, 'अनुच्छेद 370 हटाकर सरकार ने साहसी कदम आगे बढ़ाया और देश इसे लेकर प्रसन्न है। लेकिन, कश्मीर और आर्थिक मंदी दो अलग विषय हैं। कश्मीर में विद्रोही सड़क पर उतरें तो उन्हें बंदूक के जोर पर पीछे ढकेला जा सकता है लेकिन आर्थिक मंदी पर बंदूक वैसे तानोगे? मंदी के कारण बेरोजगारी बढ़ेगी और लोग 'भूख-भूख' करते सड़क पर आएंगे तब उन्हें भी गोली मारोगे क्या? आर्थिक मंदी पर भक्त चाहे कितना भी उल्टा-पुल्टा कहें तब भी सच के मुर्गे ने बांग दे दी है और मौनी बाबा मनमोहन द्वारा सौम्य शब्दों में कहे गए सच से भी धमाका हो ही गया।


यात्रा में सावधानी आवश्यक:कुंभ

राशिफल


वृष-धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। सत्संग का लाभ होगा। धार्मिक कृत्यों पर व्यय होगा। कारोबार लाभदायक रहेगा। विवेक से कार्य करें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नौकरी में चैन रहेगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि में जल्दबाजी न करें।


मिथुन-चोट व दुर्घटना से शारीरिक हानि संभव है। पुराना रोग उभर सकता है। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। वाणी पर संयम आवश्यक है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। कारोबार अच्‍छा चलेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। सहकर्मी साथ नहीं देंगे। जल्दबाजी न करें।


कर्क-राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। रुके कार्यों में गति आएगी। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। नए काम मिल सकते हैं। थकान व कमजोरी रह सकती है। नौकरी में चैन रहेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। निवेश शुभ रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।


सिंह-स्थायी संपत्ति में वृद्धि के योग हैं। बड़े लाभदायक सौदे हो सकते हैं। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। शारीरिक कष्ट की आशंका है। जल्दबाजी न करें।


कन्या-विद्यार्थी वर्ग अपने कार्य में सफलता प्राप्त करेगा। एकाग्रता बनी रहेगी। कारोबार में वृद्धि होगी। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। कारोबार लाभदायक रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।


तुला-किसी अपने व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। बुरी खबर मिल सकती है। स्वास्‍थ्य का पाया कमजोर रहेगा। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। नौकरी में कार्यभार रहेगा। दूसरे अधिक अपेक्षा करेंगे। धैर्य रखें।


वृश्चिक-घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। मेहनत का फल पूरा-पूरा मिलेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। मित्रों व रिश्तेदारों की मदद करने का अवसर प्राप्त होगा। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है।


धनु-शुभ समाचार प्राप्त होंगे। यात्रा सफल रहेगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। घर में अतिथियों का आगमन होगा। व्यय होगा। नए मित्र बनेंगे। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। दूसरों के कार्य में दखल न दें।


मकर-नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। किसी बड़े काम के होने से प्रसन्नता रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। सुख के साधन जुटेंगे। नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। कारोबार में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड से मनोनुकूल सफलता प्राप्त होगी। प्रमाद न करें।


कुंभ-स्वास्थ्य पर बड़ा खर्च हो सकता है। कर्ज लेना पड़ सकता है। निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। अकारण विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यात्रा में सावधानी आवश्यक है। कारोबार ठीक चलेगा। बेचैनी रहेगी। ईर्ष्यालु व्यक्तियों से सावधान रहें। धैर्य रखें।


मीन-व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रुका हुआ पैसा मिल सकता है। धन प्राप्ति सुगम होगी। किसी बड़े काम को करने की इच्छा बनेगी। कारोबार अच्छा चलेगा। रोजगार में वृद्धि होगी। भाग्य का साथ मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। पार्टनरों से मतभेद दूर होंगे।


निर्धन जनता का प्रमुख फल

अमरुद


भारत की जलवायु में अमरूद इतना घुल मिल गया है कि इसकी खेती यहाँ अत्यंत सफलतापूर्वक की जाती है। पता चलता है कि 17वीं शताब्दी में यह भारतवर्ष में लाया गया। अधिक सहिष्ण होने के कारण इसकी सफल खेती अनेक प्रकार की मिट्टी तथा जलवायु में की जा सकती है। जाड़े की ऋतु में यह इतना अधिक तथा सस्ता प्राप्त होता है कि लोग इसे निर्धन जनता का एक प्रमुख फल कहते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक फल है। इसमें विटामिन "सी' अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन "ए' तथा "बी' भी पाए जाते हैं। इसमें लोहा, चूना तथा फास्फोरस अच्छी मात्रा में होते हैं। अमरूद की जेली तथा बर्फी (चीज) बनाई जाती है। इसे डिब्बों में बंद करके सुरक्षित भी रखा जा सकता है।


अमरूद के लिए गर्म तथा शुष्क जलवायु सबसे अधिक उपयुक्त है। यह गरमी तथा पाला दोनों सहन कर सकता है। केवल छोटे पौधे ही पाले से प्रभावित होते हैं। यह हर प्रकार की मिट्टी में उपजाया जा सकता है, परंतु बलुई दोमट इसके लिए आदर्श मिट्टी है। भारत में अमरूद की प्रसिद्ध किस्में इलाहाबादी सफेदा, लाल गूदेवाला, चित्तीदार, करेला, बेदाना तथा अमरूद सेब हैं।


अमरूद का प्रसारण अधिकतर बीज द्वारा किया जाता है, परंतु अच्छी जातियों के गुणों को सुरक्षित रखने के लिए आम की भाँति भेटकलम (इनाचिंग) द्वारा नए पौधे तेयार करना सबसे अच्छी रीति हैं। बीज मार्च या जुलाई में बो देना चाहिए। वानस्पातिक प्रसारण के लिए सबसे उतम समय जुलाई अगस्त है। पौधे 20 फुट की दूरी पर लगाए जाते हैं। अच्छी उपज के लिए दो सिंचाई जाड़े में तथा तीन सिंचाई गर्मी के दिनों में करनी चाहिए। गोबर की सड़ी हुई खाद या कंपोस्ट, 15 गाड़ी प्रति एकड़ देने से अत्यंत लाभ होता है। स्वस्थ तथा सुंदर आकर का पेड़ प्राप्त करने के लिए आरंभ से ही डालियों की उचित छँटाई (प्रूनिग) करनी चाहिए। पुरानी डालियों में जो नई डालियाँ निकलती हैं उन्हीं पर फूल और फल आते हैं। वर्षा ऋतु में अमरूद के पेड़ फूलते हैं और जाड़े में फल प्राप्त होते हैं। एक पेड़ लगभग 30 वर्ष तक भली भाँति फल देता है और प्रति पेड़ 500 से अधिक फल प्राप्त होते हैं। कीड़े तथा रोग से वृक्ष को साधारणात: कोई विशेष हानि नहीं होती।


अमरूद के अद्भुत गुण 
अमरूद मीठा और स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ कई औषधीय गुणों से भरा हुआ है। सर्दियों में अमरूद खाने के फायदे ही फायदे हैं। दंत रोगों के लिए अमरूद रामबाण साबित होता है। अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों के कीड़ा और दांतों से सम्बंधित रोग भी दूर हो जाते हैं। इसके अलावा भी ये कई औषधीय गुणो के लिए जाना जाता है।


राजनीतिक सिद्धांत और दर्शन

राजनीति विज्ञान अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है और राजनीतिक सिद्धान्त उसका एक उप -क्षेत्र भर है। राजनीति विज्ञान में ये तमाम बातें शामिल हैं: राजनीतिक चिंतन, राजनीतिक सिद्धान्त, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचारधारा, संस्थागत या संरचनागत ढांचा, तुलनात्मक राजनीति, लोक प्रशासन, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संगठन आदि। कुछ चिंतकों ने राजनीति विज्ञान के विज्ञान पक्ष पर बल दिया है। उनका कहना है कि जब राजनीति विज्ञान का अध्ययन एक विज्ञान के रूप में वैज्ञानिक पद्धतियों से किया जाता है तब राजनीतिक सिद्धान्त जिस हद तक राजनीतिक दर्शन का हिस्सा है उस हद तक वह राजनीति विज्ञान नहीं माना जा सकता, क्योंकि राजनीति विज्ञान में तो अमूर्त्त और अंतःप्रेरणा से उद्भूत निष्कर्षों या चिंतनों के लिए कोई स्थान नहीं है लेकिन राजनीतिक दर्शन ठीक इन्हीं अयथार्थ पद्धतियों पर भरोसा करके चलता है। राजनीतिक सिद्धान्त न तो शुद्ध चिंतन है, न शुद्ध दर्शन और न शुद्ध विज्ञान।


राजनीतिक सिद्धान्त की आधारभूत विशेषताएँ 
कोई राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः किसी एक व्यक्ति की सृष्टि होता है, जो उसके नैतिक और बौद्धिक रुख पर आधारित होता है और जब वह अपने सिद्धान्त का प्रतिपादन कर रहा होता है तब वह सामान्यतः मानव जाति के राजनीतिक जीवन की घटनाओं, संघटनाओं और रहस्यों की व्याख्या करने की कोशिश कर रहा होता है। उस सिद्धान्त को सच माना या न माना जा सकता है, लेकिन उसे एक सिद्धान्त के रूप में हमेशा मान्य किया जा सकता है। आमतौर पर हम देखते हैं कि किसी चिंतक का राजनीतिक सिद्धान्त किसी-किसी मानक कृति में प्रस्तुत किया जाता है, जैसे अफलातून ने रिपब्लिकमें या रॉल ने ए थिओरी ऑफ़ जस्टिसमें प्रस्तुत किया।
राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः मानव जाति, उसके द्वारा संगठित समाजों और इतिहास तथा ऐतिहासिक घटनाओं से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयत्न करता है। वह विभेदों को मिटाने के तरीके भी सुझाता है और कभी-कभी क्रांतियों की हिमायत करता है। बहुधा भविष्य के बारे में पूर्वानुमान भी दिए जाते हैं।
राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः विद्या की किसी-न-किसी शाखा पर आधारित होता है और यद्यपि अध्ययन का विषय वही रहता है, तथापि सिद्धान्तकार कोई दार्शनिक, अर्थशास्त्री, धर्मतत्वज्ञ या समाजशास्त्री आदि हो सकता है।
इस प्रकार राजनीतिक सिद्धान्त केवल व्याख्याएँ एवं पूर्वानुमान ही नहीं प्रस्तुत करता है बल्कि कभी-कभी वह ऐतिहासिक घटनाओं को प्रभावित और उनमें भागीदारी भी करता है, खास कर तब जब वह किसी खास ढंग की राजनीतिक कार्यवाही प्रस्तावित करता है और जिस ढंग की कार्यवाई वह सुझाता है उसे व्यापक स्वीकृति प्राप्त होती है। महान सकारात्मक उदारवादी चिंतक हेरॉल्ड लास्की ने कहा था कि राजनीतिक सिद्धान्तकार का काम केवल वर्णनकरना नहीं बल्कि जो होना चाहिए उसका सुझाव देना भी है।
राजनीतिक सिद्धान्त बहुधा पूरी विचारधारा का आधार भी होता है। उदारवादी सिद्धान्त उदारवाद का आधार बन गए और मार्क्स का सिद्धान्त मार्क्स की छाप की समाजवादी विचारधारा का किसी चिंतक द्वारा प्रस्तावित कोई राजनीतिक सिद्धान्त सामान्यतः हमेशा उस चिंतक की राजनीतिक विचारधारा को प्रतिबिंबित कर रहा होता है। यही कारण है कि जब विचारधाराओं के बीच विभेद होते हैं तो उसके फलस्वरूप विचारधाराओं में अंतर्निहित सिद्धान्तों के बारे में बहस चलती है।


यमाचार्य नचिकेता वार्ता-कर्तव्यवाद

गतांक से ....
एक समय ऋषि साक्‍लय मुनि महाराज कात्‍यागं के गृह में भ्रमण करते हुए जा पहुंचे। ग्रह में वह उनकी कन्या थी, उस कन्या ने कहा, प्रभु! मुझे कुछ उपदेश दीजिए। उन्होंने कहा कि उन्हें क्या उपदेश दूं? कन्या ने कहा, भगवान! आप तो बड़े महान तपस्वी है वैद्ज्ञ है। दर्शनों के गर्भ को जानते हैं। उन्होंने कहा कि देखो मैंने तो यह पाया है। अब तक मुझे जो भी शिक्षा प्राप्त हुई है। उसी के अनुसार में तुमसे कहता हूं किसी से भी हिंनता के वाक्यों का उच्चारण मत करो। तुम कन्या हो कात्यागं के ग्रह में तुम्हारा जन्म हुआ है। अपने कुल का तुम्हारा परिवर्तन हो। तुम अपने हृदय में इच्छा प्रकट मत करो कि मेरी जो माता है या पित्र है। मेरे पालन-पोषण के लिए कुछ प्रदान करें। क्योंकि इच्छा करना तुम्हारे लिए हीनता है । मेरे पूज्य पिता जी ने,माता का उपदेश और आचार्यों का मुझे यह उपदेश रहा है। यदि कन्या की इच्छा रहती है। कोई परिवर्तन होने पर पति को, पति को न प्रवेश होने पर,क्या मेरे लिए कोई इच्छा होनी चाहिए । यह मेरी आत्मा उससे मृत्यु को प्राप्त हो जाएगी। ऐसा ऋषि साक्‍लय ने देखो कात्‍यांग की कन्या को उपदेश दिया। कात्यागं की कन्या स्वाति ने यह कहा हे भगवान, बहुत प्रियतम उपदेश मुझे शिरोमणि है। क्योंकि वाक्यों में यह इच्छा प्रकट नहीं करनी चाहिए। मानव को अपने क्रियाकलापों में, तपस्या में रहना चाहिए। जब उन्होंने कहा प्रभु मुझे कोई उपदेश दीजिए। मेरा उपदेश तो केवल यही है मानव को वेद का अध्ययन करना चाहिए। वेद में रत रहना चाहिए। वेद: अमृता ब्रह्मलोकम यह जो वेद है यह अमृत है ।यह परम पिता परमात्मा ने हमारे लिए जो वेद का निर्माण किया है। सृष्टि का सृष्टि को उत्पन्न करने वाला जो निर्माणवेता है। सृष्टि के प्रारंभ में मानव के ज्ञान और विज्ञान को और अपने संस्कारों को उपलब्ध करने के लिए ज्ञान और विज्ञान की धाराओं में रत होने के लिए उन्होंने पवित्र वेद का ज्ञान हमें दिया है। इस वैदिक ज्ञान को वैदिक प्रकाश को अपना करके हम अपने मानत्व को देखो उधरवा में ले जाए और मोक्ष की पगडंडी ग्रहण करें। देखो कात्यागं की पत्नी ने कहा प्रभु आप उपदेश दे रहे हैं मेरी कन्या को यह तो बड़ा प्रिय है। परंतु मोह के संबंध में आपका क्या विचार है? मोह होना चाहिए अथवा नहीं होना चाहिए। कात्यागं की पत्नी ने ऋषि से कहा कि मेरा एक प्रसंग हैं । मैं हूं नहीं होना चाहिए।मुनी ने कहा,परंतु कर्तव्य का पालन होना चाहिए कर्तव्य में मानव की प्रवृत्तियां नहीं रहती है। एक माता के गर्भ में बालक है परंतु माता जानती है कि निर्माण करने वाला प्रभु है। यह परमपिता परमात्मा की संपदा है। यह मेरी संपदा नहीं है। यह मेरी संपदा नहीं है यह संपदा प्रभु की है। मेरे गर्भ से उत्पन्न होने वाला बालक मानव प्रभु की आज्ञा है। उसके नियमों का पालन करने वाला हो। मेरा यह जीवन सार्थक बन जाएगा ।जब माता के हृदय में यह विचार रहते हैं तो मानो माता अपने बालक को जन्म दे करके स्वयं में प्रसन्न है कि मेरा बालक पूर्ण आयु होगा। क्योंकि माता यह जानती है मेरे विचारों में एक निष्ठा रहेगी तो मेरे गर्भ से उत्पन्न होने वाला बालक भी पूर्ण आयु को प्राप्त होगा और जब पूर्ण आयु में होगा तो माता-पिता को उसका शौक नहीं होगा। शौक उस काल में प्राणी होता है जब प्राणी का मिलन हो करके, विच्छेद हो जाता है। हमारे यहां उस काल में मुनिवर माता-पिता से पूर्व बालक का विच्छेद नहीं होता है। क्योंकि माता अपने कर्तव्य का पालन करती है और मृत्यु के रूप को जान लेती है। अपने बालक को माता कहती है। हे बालक! यह जो संसार है जिस संसार में हम और तुम सब विधमान है। यह निसार है इसमें कोई सार नहीं है। यह तो केवल विडंबना का क्षेत्र बना हुआ है। मुनिवरो, माता कहती है हे बालक इस संसार से उपराम होना। इस संसार को अपने उपांगों से जानना ही हमारा कर्तव्य है। हे बालक तू मुझे जानू मैं तुझे जानू। संसार में देखो मृत्यु का अभाव हो जाता है। माताजी अपने बालक को बाल्यकाल में शिक्षा-संस्कारों को उपलब्ध करा देती है। तो मुनिवरो, माता ब्रह्म कहलाती है। बालक तेरा अज्ञान होना ही मृत्यु है। शोकाकुल होना ही मृत्यु है। हे बालक संसार में निराशा ही तेरी मृत्यु है। मेरे प्यारे बालक देखो गौरव के जो वाक्य प्रकट करती है। माता कर्तव्य का पालन करती है और कर्तव्य का उपदेश है। वह माता को महान और पवित्र बना देता है। उसी आभा में नियुक्त हो जाता है। मुनिवर के गृह में जब साक्‍लय मुनि महाराज ने उपदेश दिया तो मुनिवर कात्यागं की पत्नी चरणों को स्पर्श करके बोली, धन्य है प्रभु। परंतु मेरा एक प्रसंग और है। बालक जब गृह स्वामी बन जाए बन जाए और वह ग्रह स्वामी वादी बन जाए तो माता-पिता को क्या करना चाहिए। मेरे प्यारों उस समय ऋषि ने कहा कि माता-पिता को मानो प्रभु की गोद में चला जाना चाहिए। याग में रत हो जाए और ब्रह्मा बन जाए। ब्रह्मा भी प्राणी होते हैं। जो ब्रह्मा का चिंतन करते रहते हैं और ब्रह्म ज्ञान जो प्रकृति के गर्भ में ब्रह्मा की आभा निहित हो रही है उस आधा में माता-पिता जागृत हो जाते हैं। तो वह उसके ग्रह में बालक बालिका माता-पिताओ उस ब्रह्म ज्ञान के ब्रह्मा ज्ञान का देवत्व जानने का बालक प्रयास करता है। अनुसरण करता है तो गृह में मानो स्वर्ग की स्थापना हो जाती है। स्वर्ग आ जाता है। वायुमंडल दूषित नहीं होता। वायुमंडल जब दूषित होता है जब ग्रह स्वामी और ग्रह स्वामीनी ग्रह में निहित रहते हैं। देखो बालक ग्रह स्वामी हो जाता है गृह स्वामी रत हो जाता है। उस समय देखो वे माता-पिता उसकी आभा में उसके क्रियाकलाप में जब बालक बनते हैं। उस समय गृह प्रवेश सत्यवादी विचार में रह करके कलह हमें गृह हो जाते हैं। और वह ग्रह नर्क बन जाते हैं। वहीं नारकिक विचार वायुमंडल में प्रवेश होते हैं तो वायुमंडल भी दूषित हो जाता है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
september 05, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254
1.अंक-33 (साल-01)
2.  बृहस्पतिवार,05सितबंर 2019
3.शक-1941,भादप्रद शुक्‍लपक्ष सप्‍तमी,विक्रमी संवत 2076
4. सूर्योदय प्रातः 5:56,सूर्यास्त 6:44
5.न्‍यूनतम तापमान -27 डी.सै.,अधिकतम-35+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, उमस बनी रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.201102
email:universalexpress.editor@gmail.com
cont.935030275


कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया

कप्तान तेंदुलकर ने सोलर प्लांट का शुभारंभ किया पंकज कपूर  रुद्रपुर। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलक...