सोमवार, 19 अगस्त 2019

तीन पत्थरबाज आतंकवादियों को किया ढेर

श्रीनगर । अबतक का सबसे बड़ा राष्ट्रवादी कार्य है, अगर आप कर्नल पठानिया समेत 5 सैनिको का किस्सा नहीं जानते तो आपको बता दें की 2010 में कर्नल दिनेश पठानिया जम्मू कश्मीर के माछिल में तैनात थे। 2010 में आये दिन कश्मीरी मुस्लिम पत्थरबाजी कर सैनिको को घायल कर देते थे। उस ज़माने में न पैलेट गन की छूट थी, और न ही सैनिको को किसी भी प्रकार की कार्यवाही करने की इज़ाज़त थी।


रोज रोज सैनिक घायल होकर अपना इलाज करवाते थे, इसी के बाद 2010 में कर्नल पठानिया ने पत्थरबाज आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही करने का आदेश दे दिया। उनकी टीम ने 3 पत्थरबाज आतंकियों को ढेर कर दिया, 2010 में सोनिया-मनमोहन की सरकार थी, फ़ौरन रक्षामंत्रालय ने आर्मी कोर्ट से कर्नल पठानिया समेत 5 सैनिको का कोर्ट मार्शल करते हुए उम्रकैद की सजा सुना दीl अब 2017 में मोदी सरकार के दौरान आर्मी कोर्ट ने रक्षामंत्रालय के सिफारिश पर कर्नल पठानिया समेत सभी 5 सैनिको को जमानत दे दी, और उनकी उम्रकैद की सजा भी ख़त्म कर दी, 7 सालों से कर्नल पठानिया और उनके साथी जेल में सड़ रहे थे, क्योंकि इनहोने आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही की थी। इसलिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इन सैनिकों को जेल मे डाल दिया गया था। और मोदी सरकार ने 2015 से ही क़ानूनी कार्यवाही शुरू कर दी थी और अब तमाम क़ानूनी कार्यवाई ख़त्म हुई और कर्नल पठानिया समेत सभी 5 सैनिको की उम्रकैद की सजा ख़त्म और सभी को जमानत दे दी गयी। और इन पांच सैनिकों को कांग्रेस सरकार द्वारा दी गई नारकीय जिन्दगी से झुटकारा मिला । याने कि इन पांच सैनिकों का पुनर्जन्म हुआ हैं।


विधायक समेत 138 लोगों पर केस दर्ज

कुशीनगर। अहिरौली बाजार थाना क्षेत्र के जगदीशपुर बरडीहा में शनिवार को हुए सड़क जाम व आगजनी के मामले में भारतीय समाज पार्टी के रामकोला विधायक रामानंद बौद्ध समेत 138 लोगों पर पुलिस ने केस दर्ज किया है। 78 नामजद और 60 अज्ञात के खिलाफ पुलिस ने विभिन्न मामलों में मुकदमा दर्ज कर धरपकड़ की कार्रवाई तेज कर दी है।
जगदीशपुर बरडीहा निवासी संतोष पांडेय ने पुलिस को तहरीर देकर बताया है कि गांव के ही नौरंग सिंह समेत काफी लोगों द्वारा पुलिस व राजस्व कर्मियों की टीम पर ईंट पत्थर से मारते हुए सरकारी कार्य में बाधा डालने का प्रयास किया था। इस मामले में पूर्व में ही नौरंग सिंह समेत तमाम लोगों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। आरोप है कि नौरंग सिंह द्वारा गांजा भी बेचा जाता है। इसी मामले में पुलिस ने गांजे के साथ नौरंग सिंह को गिरफ्तार कर 14 अगस्त को जेल भेज दिया था। शिकायकर्ता का आरोप है कि इससे नाराज रामकोला विधायक रामानंद बौद्ध की अगुवाई में लोगों ने बीते शनिवार को जगदीशपुर बरडीहा में जाम कर आगजनी, लूटपाट एवं तोड़फोड़ की घटना को अंजाम दिया गया। तहरीर के आधार पर अहिरौली बाजार थाने की पुलिस ने विधायक रामानंद बौद्ध, रामसिंह, ज्योतिरादित्य सिंह, राजकुमार कन्नौजिया, व्यास कन्नौजिया, उत्तम सिंह समेत 78 नामजद व 60 अज्ञात समेत 138 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है। केस दर्ज होने के बाद अहिरौली बाजार थाने की पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी में जुटी हुई है।
7 आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने भेजा जेल
दर्ज किए केस में आरोपी बने 7 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इसमें एनडीपीएस एक्ट में जेल भेजे गए नौरंग सिंह की पत्नी भी शामिल है। गिरफ्तार कर जेल भेजे गए आरोपियों में आजम, यशवंत सिंह, दुष्यंत सिंह, अंजान, अनिल कुमार, सुरेन्द्र गुप्ता, शिवपूजन एवं नौरंग सिंह की पत्नी चन्द्रकला शामिल है।
पुलिस ने विरोधी दलों की साजिश में दर्ज किया है केस : विधायक
रामकोला के विधायक रामानंद बौद्ध ने कहा कि पुलिस ने विरोधी दलों की साजिश में उनके खिलाफ केस दर्ज किया है। वे शनिवार को हाटा में थे तभी उन्हें किसी ने बताया कि जेल में बंद नौरंग सिंह की मौत हो गयी है। इस पर जब उन्होंने किसी माध्यम से जेल अधीक्षक देवरिया से पता लगाया तो वह स्वस्थ बताया गया। फिर वे जगदीशपुर पहुंचकर आक्रोशित लोगों से इसे अफवाह बता कर उन्हें शांत कराते हुए अपने आवास चले गए। बाद में वहां क्या हुआ पता नहीं है।


 


सात दिन में खाली होंगे सरकारी बंगले

नई दिल्ली । देश के कई पूर्व सांसदों को 7 दिनों के भीतर सरकारी बंगले खाली करने को कहा गया है। कई पूर्व सांसदों ने 16वीं लोकसभा के भंग होने के दो महीने बाद भी सरकारी आवास खाली नहीं किए। कथित तौर पर 200 से अधिक ऐसे सांसद हैं जिन्हें अपने बंगले खाली करने हैं। आर पाटिल, अध्यक्ष, आवास समिति ने कहा, 'सभी पूर्व सांसदों को दिल्ली स्थित सरकारी आवास खाली करने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है। अधिकारियों ने तीन दिनों के भीतर इन आवासों को बिजली और पानी की आपूर्ति बंद करने को कहा गया है । नियमों के अनुसार पूर्व सांसदों को पिछली लोकसभा भंग होने के एक महीने के भीतर अपने-अपने बंगले खाली करने थे। लोकसभा के 200 से अधिक पूर्व सांसदों ने अब तक अपने सरकारी बंगलों को खाली नहीं किया है। इन सांसदों को 2014 में ये बंगले आवंटित किए गए थे। लोकसभा चुनाव में जीतने वाले नवनिर्वाचित सांसद अस्थायी आवास में रह रहे हैं ।


नवनिर्वाचित सांसदों को वेस्टर्न कोर्ट में अस्थायी आवास उपलब्ध कराए गए हैं और जब तक उन्हें लुटियंस दिल्ली में पूर्णकालिक आवास आवंटित नहीं किया जाता, तब तक कई अतिथि गृह हैं। पहले नव-निर्वाचित सांसद पांच-सितारा होटलों में तब तक रुकते थे, जब तक उन्हें एक पूर्णकालिक सरकारी बंगला आवंटित नहीं किया जाता था ।
17वीं लोकसभा में 260 से अधिक सांसद हैं, जो पहली बार निचले सदन के लिए चुने गए हैं, जिनमें क्रिकेटर से राजनेता बने गौतम गंभीर, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, स्मृति ईरानी, सूफी गायक हंस राज हंस और बंगाली अभिनेत्रियां मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां शामिल हैं।


पाक सेना प्रमुख का कार्यकाल 3 साल बड़ा

इस्लामाबाद। पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल 3 साल के लिए बढ़ा दिया है। जनरल कमर जावेद बाजवा अब अगले 3 साल तक पाकिस्तानी सेना के प्रमुख   बने रहेंगे। पाकिस्तानी सरकार ने ये फैसला क्षेत्रीय सुरक्षा वातावरण बनाए रखने के लिए लिया है। प्रधानमंत्री इमरान खान के कार्यालय से जारी की गई एक अधिसूचना में कहा गया कि  जनरल कमर जावेद बाजवा को वर्तमान कार्यकाल पूरा होने की तारीख से तीन साल के लिए एक और कार्यकाल के लिए सेनाध्यक्ष नियुक्त किया जाता है। खबर मिली है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 3 साल के लिए बाजवा का कार्यकाल बढ़ाए जाने के पक्ष में नहीं थे। वह चाहते थे कि बाजवा का कार्यकाल सिर्फ 1 साल के लिए बढ़ाया जाए लेकिन बाजवा ने कार्यकाल बढ़ाने के लिए इमरान खान पर दबाव बनाया जिसके कारण यह फैसला लिया गया। बता दें 58 साल के बाजवा इस साल रिटायर होने वाले थे।


केरल में बाढ़ ने ली 121 लोगों की जान

तिरुवनंतपुरम। केरल में बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या 121 पर पहुंच गई है। मलप्पुरम में 58, कवलप्परा में 46 और कोजीकोड में 17 लोगों की मौत हो गई। मलप्पुरम से 13 और वायनाड से 7 लोगों के लापता होने की खबर है। बाढ़ के कारण 1789 घर तबाह हो गए हैं। 26668 लोगों को 185 राहत शिविरों में रखा गया है। वायनाड और मलप्पुरम में बाढ़ ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। केरल सरकार ने शुक्रवार कहा था कि बाढ़ में जितने भी लोग लापता हैं, जब तक उन्हें ढूंढ नहीं निकाला जाता या उनके शव नहीं मिल जाते, तब तक सर्च ऑपरेशन जारी रहेगा। इधर हिमाचल प्रदेश में भी बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या 22 हो गई है।  शिमला से 2 लोगों के लापता होने की खबर है। हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण नदियां उफान पर हैं। शिमला में सतलज नदी में आई बाढ़ की वजह से चबा क्षेत्र में बना पुल डूब गया। पुल के कुछ हिस्सों को नुकसान भी पहुंचा है। 9 लोगों की मौत शिमला, 5 की सोलन, 2 की कुल्लू, सिरमौर और चंबा में हुई है। महाराष्ट्र में भी हालात खराब हैं। बाढ़ के कारण पुणे में 56 लोग की मौत हो चुकी है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रविवार को बादल फटने के बाद 17 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं सोमवार को जम्मू में तवी नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया जिसके बाद दो लोग नंदी में निर्माणाधीन पुल पर फंस गए। दोनों को वायुसेना ने एयरलिफ्ट कर रेस्क्यू कराया।


अरुण जेटली की स्थिति होती जा रही गंभीर

नई दिल्‍ली। भाजपा के सीनियर लीडर और पूर्व वित्‍त मंत्री अरुण जेटली की हालत बेहद नाजुक है। सूत्रों के मुताबिक 9 अगस्‍त से दिल्‍ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (एम्‍स) में भर्ती अरुण जेटली को एक्‍स्‍ट्राकारपोरल मेंब्रेन ऑक्‍सीजनेशन और इंट्रा ऐरोटिक बैलून  सपोर्ट पर रखा गया है। सूत्र यह भी बताया हैं कि जेटली के दिल और फेफड़े ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। जेटली का हाल जानने सभी बड़े नेता एम्‍स अस्पताल पहुंच रहे हैं।


भाजपा के कई नेता उनका हालचाल जानने के लिए एम्स पहुंचे। उनका हाल जानने एम्स पहुंचने वालों में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, हिमाचल प्रदेश के गवर्नर कलराज मिश्र,आरएसएस के संयुक्त सचिव कृष्ण गोपाल, पूर्व समाजवादी नेता अमर सिंह का नाम शामिल है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को एम्स पहुंचकर उनका हाल जाना था।बिहार के सीएम नीतीश कुमार शनिवार को दिल्ली पहुंचे और एयरपोर्ट से सीधे अस्पताल पहुंचे। अन्य नेताओं में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, जम्मू कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मलिक, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एम्स पहुंचकर अरुण जेटली का हाल जाना था। पीएम नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और भाजपा के अन्य प्रमुख नेता उनका हाल जानने पहले ही एम्स जा चुके हैं।


पंजाब रेलवे सेक्शन ने की कई ट्रेनें रद्द

अंबाला। भारी बारिश के चलते नदियों के उफान पर आ जाने से ऐतिहातन उत्तर रेलवे को अंबाला-सहारनपुर और अंबाला-नग्गल डैम रूट पर कई रेलगाडिय़ों को रद्द करना पड़ा और लम्बी दूरी की गाडिय़ों के रूट को डाइवर्ट करना पड़ा। अचानक ट्रेन रद्द किये जाने से पंजाब, जम्मू और सहारनपुर, बिहार पर जाने वाले यात्रियों को भारी कठिनाई हुई। इन यात्रियों को भारी बारिश में अंबाला रेलवे स्टेशन पर ही मुश्किल में रात बितानी पड़ी। यात्रियों का कहना है कि वे अब भी अपने घर जाने के लिए ट्रेन का इन्तजार कर रहे हैं और अभी भी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। उनका कहना है कि रेलवे वाले रेलगाडिय़ों के आवागमन के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं बता रहे हैं। अंबाला कैंट का रेलवे स्टेशन उत्तर भारत का सबसे पुराना और महत्वपूर्ण स्टेशन है। यहां से रोजाना अढ़ाई सौ के करीब मेल, एक्सप्रेस और मालगाडिय़ों का आवागमन होता है। यहां से पंजाब, राज्यस्थान, जम्मू, कटड़ा सहित दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित अन्य जगह लाखों यात्री सफर करते हैं। दो दिनों से हुई बारिश के कारण अंबाला-सहारनपुर रेल मार्ग पर नदियों में उफान के कारण ज्यादातर रेलगाडिय़ों को रद्द करना पड़ा और यात्रियों की सुविधा के लिए कुछ के रूट में परिवर्तन करना पड़ा। स्टेशन निदेशक का कहना है जिस कारण पंजाब सेक्शन में बारिश के कारण 16 ट्रेन की गई रद्द और 18 रेलगाडिय़ां आंशिक रूप से रद्द की गई थी। सहारनपुर-अंबाला  अप लाइन की 19 रेलगाडिय़ां और डाउन की 12 को रद्द किया गया था। लम्बी दूरी की कुछ गाडिय़ों को डाइवर्ट करके चलाया गया था।


भोपाल व इंदौर में मेट्रो रेल परियोजना पर करार

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल परियोजना के लिए सोमवार को करार हुआ। यह एमओयू नई दिल्ली में भारत सरकार, मध्यप्रदेश सरकार और मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन के बीच हुआ। एमओयू केन्द्रीय शहरी और आवास मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी और प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्द्धन सिंह की उपस्थिति में हुआ। बता दें कि इस परियोजना को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की ओर से अनुमोदित किया जा चुका है।
नगरीय विकास जयवर्धन सिंह ने बताया कि भोपाल मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में 27.87 किलोमीटर में दो कॉरिडोर बनेंगे। एक कॉरिडोर करोंद सर्कल से एम्स तक 14.99 किलोमीटर और दूसरा भदभदा चौराहे से रत्नागिरि चौराहा तक 12.88 किलोमीटर का होगा। इसकी कुल लागत रूपये 6941 करोड़ 40 लाख होगी। इस परियोजना के पूरे होने प्रदेश की दोनों बड़े नगर में यातायात समस्या से राहत मिलेगी। दोनों शहरों के लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट का लाभ मिलेगा।


तस्वीर लगाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी

शासकीय कार्यालयों तथा भवनों में तस्वीरें लगाने के संबंध में निर्देश


रायपुर । दिनांक 19 अगस्त 2019, राज्य शासन द्वारा प्रदेश के समस्त शासकीय कार्यालयों तथा भवनों में राष्ट्रीय नेताओं के चित्र लगाए जाने का निर्णय लिया गया है। इनमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, वर्तमान राष्ट्रपति, वर्तमान प्रधानमंत्री, स्व. पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद,  इंदिरा गांधी,  राजीव गांधी और डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के चित्र लगाए जाने हैं।


इस संबंध में मंत्रालय (महानदी भवन) के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा परिपत्र जारी कर शासन के समस्त विभाग तथा विभागाध्यक्षों, संभागायुक्त, कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए है। परिपत्र में नेताओं के उल्लेखित नाम उदाहरण स्वरूप दिए गए है। यह आवश्यक नहीं है कि उक्त सभी राष्ट्रीय नेताओं की तस्वीरें कार्यालयों में लगाई जाए। कार्यालय प्रमुख अपने विवेक का अपयोग करते हुए भवन का आकार, उपलब्ध धनराशि और मितव्ययता का ध्यान रखते हुए उपरोक्त राष्ट्रीय नेताओं में से किन्ही की तस्वीर लगा सकते है, किन्तु राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, वर्तमान राष्ट्रपति, वर्तमान प्रधानमंत्री का चित्र सभी कार्यालयों, नगरीय निकायों, पंचायत कार्यालयों, सर्किट हाउस तथा रेस्ट हाउस इत्यादि में लगाया जाना आवश्यक है। राज्य शासन द्वारा इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ राज्य के वर्तमान राज्यपाल तथा वर्तमान मुख्यमंत्री की तस्वीरें भी उक्त सभी कार्यालयों में लगाए जाने का निर्णय लिया गया है। राष्ट्रीय नेताओं की तस्वीरें संचालक फोटो डिवीजन, सूचना एवं प्रकाशन मंत्रालय, आकाशवाणी भवन नई दिल्ली की वेबसाईट चीवजवकपअपेपवदण्हवअण्पद से प्राप्त की जा सकती है। छत्तीसगढ़ राज्य के वर्तमान राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री की अनुमोदित फोटोग्राफ्स जनसम्पर्क संचालनालय छत्तीसगढ़ की वेबसाईट कचतबहण्हवअण्पद के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।


जैविक व अजैविक पदार्थों का संतुलन

संपूर्ण विश्व में बढ़ती हुई जनसंख्या एक गंभीर समस्या है, बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन की आपूर्ति के लिए मानव द्वारा खाद्य उत्पादन की होड़ में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग पारिस्थितिकी तंत्र  प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र) प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो जाती है, साथ ही वातावरण प्रदूषित होता है तथा मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आती है।


प्राचीन काल में मानव स्वास्थ्य के अनुकुल तथा प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप खेती की जाती थी, जिससे जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान का चक्र (पारिस्थितिकी तंत्र) निरन्तर चलता रहा था, जिसके फलस्वरूप जल, भूमि, वायु तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता था। भारत वर्ष में प्राचीन काल से कृषि के साथ-साथ गौ पालन किया जाता था, जिसके प्रमाण हमारे ग्रांथों में प्रभु कृष्ण और बलराम हैं जिन्हें हम गोपाल एवं हलधर के नाम से संबोधित करते हैं अर्थात कृषि एवं गोपालन संयुक्त रूप से अत्याधिक लाभदायी था, जोकि प्राणी मात्र व वातावरण के लिए अत्यन्त उपयोगी था। परन्तु बदलते परिवेश में गोपालन धीरे-धीरे कम हो गया तथा कृषि में तरह-तरह की रसायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है जिसके फलस्वरूप जैविक और अजैविक पदार्थो के चक्र का संतुलन बिगड़ता जा रहा है और वातावरण प्रदूषित होकर, मानव जाति के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। अब हम रसायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों के उपयोग के स्थान पर, जैविक खादों एवं दवाईयों का उपयोग कर, अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं जिससे भूमि, जल एवं वातावरण शुद्ध रहेगा और मनुष्य एवं प्रत्येक जीवधारी स्वस्थ रहेंगे।



जैविक कृषि से उत्पादित सब्जियाँ
भारत वर्ष में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है और कृषकों की मुख्य आय का साधन खेती है। हरित क्रांति के समय से बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए एवं आय की दृष्टि से उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है अधिक उत्पादन के लिये खेती में अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरको एवं कीटनाशक का उपयोग करना पड़ता है जिससे सीमान्य व छोटे कृषक के पास कम जोत में अत्यधिक लागत लग रही है और जल, भूमि, वायु और वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है साथ ही खाद्य पदार्थ भी जहरीले हो रहे हैं। इसलिए इस प्रकार की उपरोक्त सभी समस्याओं से निपटने के लिये गत वर्षों से निरन्तर टिकाऊ खेती के सिद्धान्त पर खेती करने की सिफारिश की गई, जिसे प्रदेश के कृषि विभाग ने इस विशेष प्रकार की खेती को अपनाने के लिए, बढ़ावा दिया जिसे हम जैविक खेती के नाम से जानते है। भारत सरकार भी इस खेती को अपनाने के लिए प्रचार-प्रसार कर रही है।


म.प्र. में सर्वप्रथम 2001-02 में जैविक खेती का अन्दोलन चलाकर प्रत्येक जिले के प्रत्येक विकास खण्ड के एक गांव में जैविक खेती प्रारम्भ कि गई और इन गांवों को जैविक गांव का नाम दिया गया। इस प्रकार प्रथम वर्ष में कुल 313 ग्रामों में जैविक खेती की शुरूआत हुई। इसके बाद 2002-03 में दि्वतीय वर्ष में प्रत्येक जिले के प्रत्येक विकासखण्ड के दो-दो गांव, वर्ष 2003-04 में 2-2 गांव अर्थात 1565 ग्रामों में जैविक खेती की गई। वर्ष 2006-07 में पुन: प्रत्येक विकासखण्ड में 5-5 गांव चयन किये गये। इस प्रकार प्रदेश के 3130 ग्रामों जैविक खेती का कार्यक्रम लिया जा रहा है। मई 2002 में राष्ट्रीय स्तर का कृषि विभाग के तत्वाधान में भोपाल में जैविक खेती पर सेमीनार आयोजित किया गया जिसमें राष्ट्रीय विशेषज्ञों एवं जैविक खेती करने वाले अनुभवी कृषकों द्वारा भाग लिया गया जिसमें जैविक खेती अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया गया। प्रदेश के प्रत्येक जिले में जैविक खेती के प्रचार-प्रसार हेतु चलित झांकी, पोस्टर्स, बेनर्स, साहित्य, एकल नाटक, कठपुतली प्रदशन जैविक हाट एवं विशेषज्ञों द्वारा जैविक खेती पर उद्बोधन आदि के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जाकर कृषकों में जन जाग्रति फैलाई जा रही है। जैविक खेती से मानव स्वास्थ्य का बहुत गहरा सम्बन्ध है। इस पद्धति से खेती करने में शरिर तुलनात्मक रूपसे अधिक स्वास्थ्य रहता है। औसत आयु भी बढती है। हमारे आने बाले पीढ़ी भी अधिक स्वास्थ्य रहेंगे। कीटनाशक और खाद का प्रयोग खेती में करने से फसल जहरीला होता। जैविक खेती से फसल स्वास्थ्य और जल्दी खारब नहीं होता है।


लोक-प्रशासन या स्‍थाई विधियां

मानव एक सामाजिक प्राणी है। वह सदैव समाज में रहता है। प्रत्येक समाज को बनाये रखने के लिए कोई न कोई राजनीतिक व्यवस्था अवश्य होती है। इसलिये यह माना जा सकता है कि उसके लिये समाज तथा राजनीतिक व्यवस्था अनादि काल से अनिवार्य रही है। अरस्तू ने कहा है कि “यदि कोई मनुष्य ऐसा है, जो समाज में न रह सकता हो, या जिसे समाज की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह अपने आप में पूर्ण है, तो वह अवश्य ही एक जंगली जानवर या देवता होगा।” प्रत्येक समाज में व्यवस्था बनाये रखने के लिये कोई न कोई निकाय या संस्था होती है। चाहे उसे नगर-राज्य कहें अथवा राष्ट्र-राज्य। राज्य, सरकार और प्रशासन के माध्यम से कार्य करता है। राज्य के उद्देश्य और नीतियाँ कितनी भी प्रभावशाली, आकर्षक और उपयोगी क्यों नहों, उनसे उस समय तक कोई लाभ नहीं हो सकता, जब तक कि उनको प्रशासन के द्वारा कार्य रूप में परिणित नहीं किया जाये। इसलिये प्रशासन के संगठन, व्यवहार और प्रक्रियाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।


चार्ल्सबियर्ड ने कहा है कि “कोई भी विषय इतना अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं है जितना कि प्रशासन है। राज्य एवं सरकार का, यहाँ तक कि, स्वयं सभ्यता का भविष्य, सभ्य समाज के कार्यों का निष्पादन करने में सक्षम प्रशासन के विज्ञान, दर्शन और कला के विकास करने की हमारी योग्यता पर निर्भर है।” डॉनहम ने विश्वासपूर्वक बताया कि “यदि हमारी सभ्यता असफल होगी तो यह मुख्यतः प्रशासन की असफलता के कारण होगा। यदि किसी सैनिक अधिकारी की गलती से अणुबम छूट जाये तो तृतीय विश्व युद्ध शुरू हो जायेगा और कुछ ही क्षणों में विकसित सभ्यताओं के नष्ट होनेकी सम्भावनाएँ उत्पन्न हो जायेंगी।”


ज्यों-ज्यों राज्य के स्वरूप और गतिविधियों का विस्तार होता गया है, त्यों-त्यों प्रशासन का महत्त्व बढ़ता गया है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि हम प्रशासन की गोद में पैदा होते हैं, पलते है, बड़े होते हैं, मित्रता करते, एवं टकराते हैं और मर जाते हैं। आज की बढ़ती हुई जटिलताओं का सामना करने में, व्यक्ति एवं समुदाय, अपनी सीमित क्षमताओं और साधनों के कारण, स्वयं को असमर्थपाते हैं। चाहे अकाल, बाढ़, युद्धया मलेरिया की रोकथाम करनेकी समस्या हो अथवा अज्ञान, शोषण, असमानता या भ्रष्टाचार को मिटानेका प्रश्न हो, प्रशासन की सहायता के बिना अधिक कुछ नहीं किया जा सकता। स्थिति यह है कि प्रशासन के अभाव में हमारा अपना जीवन, मृत्यु के समान भयावह और टूटे तारे के समान असहाय लगता है। हम उसे अपने वर्तमान का ही सहारा नहीं समझते, वरन् एक नयी सभ्यता, संस्कृति, व्यवस्था और विश्व के निर्माण का आधार मानतेहैं। हमें अपना भविष्य प्रशासन के हाथों में सौंप देने में अधिक संकोच नहीं होता।


प्रशासन की आवश्यकता सभी निजी और सार्वजनिक संगठनों को होती है। डिमॉक एवं कोइंग ने कहा है कि “वही (प्रशासन) यह निर्धारण करता है कि हम किस तरह का सामान्य जीवन बितायेंगे और हम अपनी कार्यकुशलताओं के साथ कितनी स्वाधीनताओं का उपभोग करने में समर्थ होंगे।” प्रशासन स्वप्न और उनकी पूर्ति के बीच की दुनिया है। उसे हमारी व्यवस्था, स्वास्थ्य और जीवनशक्ति की कुन्जी माना जा सकता है। जहाँ स्मिथबर्ग, साइमन एवं थॉमसन उसे “सहयोगपूर्ण समूहव्यवहार” का पर्याय मानते हैं, वहाँ मोर्स्टीन मार्क्स के लिये वह “प्रत्येक का कार्य” है। वस्तुतः प्रशासन सभी नियोजित कार्यों में विद्यमान होता है, चाहे वे निजी हों अथवा सार्वजनिक। उसे प्रत्येक जनसमुदाय की सामान्य इच्छाओं की पूर्ति में निरत व्यवस्था माना जा सकता है।


प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था को प्रशासन की आवश्यकता होती है, चाहे वह लोकतंत्रात्मक हो अथवा समाजवादी या तानाशाही। एक दृष्टि से, प्रशासन की आवश्यकता लोकतंत्र से भी अधिक समाजवादी व्यवस्थाओं को रहती है। समाजवादी व्यवस्थाओं के सभी कार्यप्रशासकों द्वारा ही सम्पन्न किये जाते हैं। लोकतंत्रात्मक व्यवस्थाओं में व्यक्ति निजी तौर पर तथा सूचना समुदाय भी सार्वजनिक जीवन में अपना योगदान देते हैं। यद्यपि यह कहा जा सकता है कि प्रशासन का कार्य समाजवाद की अपेक्षा लोकतंत्र में अधिक कठिन होता है।


समाजवाद में प्रशासन पूरी तरह से एक राजनीतिक दल द्वारा नियन्त्रित और निर्देशित समान लक्ष्यों को पूरा करने के लिये समूहों द्वारा सहयोगपूर्ण ढंग से की गयी क्रियाएँ ही प्रशासन है। गुलिक ने सुपरिभाषित उद्देश्यों की पूर्ति को उपलब्ध कराने को प्रशासन कहा है। स्मिथबर्ग, साइमन आदि ने समान लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये सहयोग करने वाले समूहों की गतिविधि को प्रशासन माना है। फिफनर व प्रैस्थस के मतानुसार, प्रशासन “वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये मानवीय तथा भौतिक साधनों का संगठन एवं संचालन है।” एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका ने उसे “कार्यो के प्रबन्ध अथवा उनको पूरा करनेकी क्रिया” बताया है। नीग्रो के अनुसार, “प्रशासन लक्ष्य की प्राप्ति के लिये मनुष्य तथा सामग्री का उपयोग एवं संगठन है।” व्हाइट के विचारों में, वह “किसी विशिष्ट उद्देश्य अथवा लक्ष्य की प्राप्ति के लिये बहुत से व्यक्तियों का निर्देशन, नियन्त्रण तथा समन्वयन की कला है।”


कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप

कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप  दुष्यंत टीकम  जशपुर/पत्थलगांव। जशपुर जिले के एक गांव में कुएं में नवजात शिशु का शव मिला है। इससे...