सोमवार, 12 अगस्त 2019

रविदास मंदिर:15 को मनेगा काला दिवस

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नई दिल्ली के तुगलकाबाद में श्री गुरु रविदास जी का प्राचीन मंदिर तोड़ने का मामला पंजाब में एक बड़ा मुद्दा बन गया है। इसको लेकर जालंधर, कपूरथला, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, रोपड़, फिरोजपुर आदि जिलों में दूसरे दिन भी प्रदर्शन हुए।अब गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने 13 अगस्त को पंजाब बंद का ऐलान किया है। इसके साथ ही 15 अगस्त को काला दिवस के रूप में मनाने की अपील की है।
खबर के मुताबिक, संगठन द्वारा राज्य बंद के ऐलान के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  से दखल देने की अपील की है। इसके साथ ही उन्होंने शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से बात कर उस जगह को फिर से मंदिर के लिए आवंटित करने की बात कही है। कैप्टन सिंह ने समुदाय को वित्तीय व कानूनी मदद करने का भरोसा भी दिलाया है ताकि इस मामले को आगे ले जाने में कोई परेशानी न हो और उसी जगह पर फिर से मंदिर बनाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने बनाई पांच सदस्यीय कमेटी
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक पांच सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया है। यह कमेटी समुदाय के राजनीतिक और धार्मिक प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगी और इस मुद्दे का हल निकालने का प्रयास करेगी। इस कमेटी में चौधरी संतोख सिंह, चरणजीत सिंह चन्नी, राज कुमार चब्बेवाल, अरुणा चौधरी और सुशील कुमार रिंकू शामिल हैं। इस मामले पर केंद्रीय मंत्री विजय सांपला ने बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के साथ बैठक भी की है। उन्होंने कहा है कि पार्टी के नेता इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। कहा जाता है कि सिकंदर लोदी के शासन काल में श्री गुरु रविदास जी 1509 में इस स्थल पर आए थे। इसी पवित्र जगह पर बने मंदिर को सुप्रीम कोर्ट ने तोड़ने का आदेश दिया है।


अनुपम की आत्मकथा पहुंची न्यूयॉर्क

मुंबई । अपने कॅरियर में करीब 500 फिल्में कर चुके 'पद्म भूषण' से सम्मानित अभिनेता अनुपम खेर की आत्मकथा भारत से निकल कर न्यूयॉर्क पहुंच गई। खेर के मित्र और जाने माने अभिनेता ऋषि कपूर, उनकी पत्नी नीतू कपूर और एनबीसी के कार्यक्रम 'न्यू एम्सटर्डम' के साथी कलाकारों ने उनकी आत्मकथा का विमोचन किया। खेर की आत्मकथा में उनकी नाकामियों, उन्हें नकारे जाने से लेकर अपने जीवन से मिले सबक का जिक्र है।


खेर की आत्मकथा 'लेसंस लाइफ टॉट मी, अननोविंगली' का न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास में आयोजित विशेष कार्यक्रम में विमोचन हुआ, जिसमें जाने माने अभिनेता के करीबी मित्रों और सहयोगियों ने हिस्सा लिया। किताब के विमोचन के दौरान वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए खेर ने कहा कि मेरे जीवन में जो कुछ भी गलत हुआ, जो कुछ सही हुआ, यह आत्मकथा उसी का सार है। उन्होंने अपने जीवन की उन घटनाओं का जिक्र किया जिसने उनके कॅरियर को आकार दिया। खेर ने कहा कि यह आत्मकथा बेहद रोचक है क्योंकि इसमें उनकी सफलताओं के बारे में बात नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि मेरे लिये सफलता बड़ी नीरस रही है, यह बिल्कुल एक आयामी होती है। नाकामी के कई आयाम होते हैं, यह बहुत अद्भुत चीज है। आज मैं जो कुछ भी हूं वह अपनी नाकामियों की वजह से ही हूं। ऋषि कपूर न्यूयॉर्क में करीब एक साल से कैंसर का इलाज करा रहे हैं और खेर की किताब के विमोचन के दौरान इलाज के बाद पहली बार वह सार्वजनिक तौर पर नजर आये। पहले से बेहतर और स्वस्थ नजर आ रहे कपूर ने दर्शकों को बताया कि उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गयी। पत्नी नीतू कपूर के साथ आये ऋषि कपूर ने कहा कि हालांकि वह खेर से कुछ साल बड़े हैं लेकिन उन दोनों ने साथ में जो पहली फिल्म की थी वह यश चोपड़ा निर्देशित 1988 में आयी 'विजय' थी, जिसमें खेर ने कपूर के दादा की भूमिका निभायी थी। कपूर ने कहा कि कल को अभिनेता बनने के इच्छुक युवाओं के लिये यह एक अच्छी किताब है। खेर ने भी किताब के विमोचन के लिये कपूर का आभार जताया। विमोचन के दौरान 'न्यू एम्सटर्डम' के कलाकारों रेयान एगोल्ड, जेनेट मोंटगोमरी और डियर्डरे फ्रीएल तथा स्टार शेफ विकास खन्ना भी उपस्थित थे। खेर की किताब भारत में पांच अगस्त को जारी की गयी और अमेरिका में यह 15 अक्टूबर को जारी की जायेगी। भारतीय महावाणिज्य दूत संदीप चक्रवर्ती ने कहा कि अपने पूरे जीवन और कॅरियर में खेर ने खास अंदाज में लोगों के दिलों को छुआ है।


शराब कारोबारी के यहां 26 लाख की चोरी

शराब कारोबारी के घर में 26 लाख की चोरी


कानपुर । कानपुर दक्षिण गुजैनी में रविवार शाम बेटे की जन्मदिन मनाने गए शराब कारोबारी के घर में घुसे चोरों ने ताला तोड़कर नगदी जेवर समेत 26 लाख का माल पार कर दिया देर रात पार्टी मना कर जब वह घर लौटे तो  अलमारी व लॉकर के टूटे ताले देखकर घटना की जानकारी हुई


 डीबीएस कॉलेज के पूर्व अध्यक्ष व शराब और लोहा कारोबारी विष्णु गोपाल गुप्ता  गुजैनी ई ब्लॉक   मैं रहते हैं  रविवार को उनके बेटे आयांश का जन्मदिन था जिसके चलते वह रात करीब 8:00 बजे पत्नी शिखा वह दोनों बेटों के संग पार्टी मनाने बाहर गए हुए थे इसी का फायदा उठाकर छत के रास्ते से घर में घुसे चोरों ने ताले तोड़कर अलमारी वाला  लॉकर तोड़कर लाखों  का नगदी जेवरात व अन्य कीमती सामान पार कर दिया वह घर लौटे तो जैसे ही ऊपर पहुंचे तो घर में सारा सामान अस्त-व्यस्त पड़ा था इसी पर पूरे परिवार के होश उड़ गए उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी मौके पर  इंस्पेक्टर संजीव मिश्रा फॉरेंसिक की टीम के साथ मौके पर पहुंचे और कारोबारी से पूछताछ की विष्णु गोपाल गुप्ता ने बताया कि चोर 20 लाख के  जेवरात  6 . 20  लाख की नगदी  समेत करीब 26 लाख का माल पार कर ले गए पीड़ित कारोबारी ने चोरी की तहरीर दी है इस पर इंस्पेक्टर ने बताया रिपोर्ट दर्ज कर  कार्यवाही की जा रही है मौके से चोर का स्वीट  ब्रो लिखा हुआ एक ब्रेसलेट भी मिला है


आकाश श्रीवास्तव संवाददाता


भारत में चमेली की 100 किस्में

चमेली (Jasmine) का फूल झाड़ी या बेल जाति से संबंधित है, इसकी लगभग २०० प्रजाति पाई जती हैं। "चमेली" नाम पारसी शब्द "यासमीन" से बना है, जिसका मतलब "प्रभु की देन" है।[कृपया उद्धरण जोड़ें]


चमेली, जैस्मिनम (Jasminum) प्रजाति के ओलिएसिई (Oleaceae) कुल का फूल है। भारत से यह पौधा अरब के मूर लोगों द्वारा उत्तर अफ्रीका, स्पेन और फ्रांस पहुँचा। इस प्रजाति की लगभग 40 जातियाँ और 100 किस्में भारत में अपने नैसर्गिक रूप में उपलब्ध हैं। यह भारत में प्रमुख रूप से पाया जाता है।जिनमें से निम्नलिखित प्रमुख और आर्थिक महत्व की हैं:


1. जैस्मिनम ऑफिसनेल लिन्न., उपभेद ग्रैंडिफ्लोरम (लिन्न.) कोबस्की जै. ग्रैंडिफ्लारम लिन्न. (J. officinale Linn. forma grandiflorum (Linn.) अर्थात् चमेली।


2. जै. औरिकुलेटम वाहल (J. auriculatum Vahl) अर्थात् जूही।


3. जै. संबक (लिन्न.) ऐट. (J. sambac (Linn.) ॠत्द्य.) अर्थात् मोगरा, वनमल्लिका।


4. जै. अरबोरेसेंस रोक्स ब.उ जै. रॉक्सबर्घियानम वाल्ल. (J. Arborescens Roxb. syn. J. roxburghianum Wall.) अर्थात् बेला।


हिमालय का दक्षिणावर्ती प्रदेश चमेली का मूल स्थान है। इस पौधे के लिये गरम तथा समशीतोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु उपयुक्त है। सूखे स्थानों पर भी ये पौधे जीवित रह सकते हैं। भारत में इसकी खेती तीन हजार मीटर की ऊँचाई तक ही होती है। यूरोप के शीतल देशों में भी यह उगाई जा सकती है। इसके लिये भुरभुरी दुमट मिट्टी सर्वोत्तम है, किंतु इसे काली चिकनी मिटृटी में भी लगा सकते हैं। इसे लिए गोबर पत्ती की कंपोस्ट खाद सर्वोत्तम पाई गई है। पौधों को क्यारियों में 1.25 मीटर से 2.5 मीटर के अंतर पर लगाना चाहिए। पुरानी जड़ों की रोपाई के बाद से एक महीने तक पौधों की देखभाल करते रहना चाहिए। सिंचाई के समय मरे पौधों के स्थान पर नए पौधों को लगा देना चाहिए। समय-समय पर पौधों की छँटाई लाभकर सिद्ध हुई है। पौधे रोपने के दूसरे वर्ष से फूल लगन लगते हैं। इस पौधे की बीमारियों में फफूँदी सबसे अधिक हानिकारक है।


आजकल चमेली के फूलों से सौगंधिक सार तत्व निकालकर बेचे जाते हैं। आर्थिक दृष्टि से इसका व्यवसाय विकसित किया जा सकता है।


भारत-पाकिस्तान अधिराज्य स्थापना

भारत का विभाजन माउंटबेटन योजना के आधार पर निर्मित भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ के आधार पर किया गया। इस अधिनियम में काहा गया कि 15 अगस्त 1947 को भारत व पाकिस्तान अधिराज्य नामक दो स्वायत्त्योपनिवेश बना दिए जाएंगें और उनको ब्रिटिश सरकार सत्ता सौंप देगी। स्वतंत्रता के साथ ही 14 अगस्त को पाकिस्तान अधिराज्य (बाद में इस्लामी जम्हूरिया ए पाकिस्तान) और 15 अगस्त को भारतीय संघ (बाद में भारत गणराज्य) की संस्थापना की गई। इस घटनाक्रम में मुख्यतः ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रांत को पूर्वी पाकिस्तान और भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में बाँट दिया गया और इसी तरह ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत को पश्चिमी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत और भारत के पंजाब राज्य में बाँट दिया गया। इसी दौरान ब्रिटिश भारत में से सीलोन (अब श्रीलंका) और बर्मा (अब म्यांमार) को भी अलग किया गया, लेकिन इसे भारत के विभाजन में नहीं शामिल किया जाता है। इसी तरह 1971 में पाकिस्तान के विभाजन और बांग्लादेश की स्थापना को भी इस घटनाक्रम में नहीं गिना जाता है। (नेपाल और भूटान इस दौरान भी स्वतंत्र राज्य थे और इस बंटवारे से प्रभावित नहीं हुए।)


15 अगस्त 1947 की आधी रात को भारत और पाकिस्तान कानूनी तौर पर दो स्वतंत्र राष्ट्र बने। लेकिन पाकिस्तान की सत्ता परिवर्तन की रस्में 14 अगस्त को कराची में की गईं ताकि आखिरी ब्रिटिश वाइसराॅय लुइस माउंटबैटन, करांची और नई दिल्ली दोनों जगह की रस्मों में हिस्सा ले सके। इसलिए पाकिस्तान में स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त और भारत में 15 अगस्त को मनाया जाता है।


भारत के विभाजन से करोड़ों लोग प्रभावित हुए। विभाजन के दौरान हुई हिंसा में करीब 5 लाख लोग मारे गए और करीब 1.45 करोड़ शरणार्थियों ने अपना घर-बार छोड़कर बहुमत संप्रदाय वाले देश में शरण ली।


विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग का आविर्भाव

विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग का आविर्भाव 
सूत जी कहते हैं, मुनिवर। अब मैं काशी के विश्वेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग का महत्व बताऊंगा। जो महापातको का भी नाश करने वाला है। तुम लोग सुनो इस भूतल पर जो भी वस्तु दृष्टिगोचर होती है। वह सच्चिदानंद स्वरूप निर्विकार एवं सनातन ब्रह्म स्वरूप है। अपने अद्वैत भाव में ही रमने वाले उन परमात्मा में कभी एक से दो हो जाने की इच्छा जाग्रत हुई ।फिर वही परमात्मा सगुण रूप में प्रकट हो शिव कहलाए। पुरुष और स्त्री दो रूपों में प्रकट हो गए। उनमें जो पुरुष था उसका शिव नाम हुआ और जो स्त्री हुई उसे शक्ति कहते हैं। उन चिदानंद स्वरूप शिव और शक्ति ने स्वयं अदृश्य रहकर स्वभाव से ही दो चेतना प्रकृति और पुरुष की सृष्टि की। मुनिवर, उन दोनों माता-पिताओं को उस समय आमने-सामने देखकर वे दोनों प्रकृति और पुरुष महान शंका में पड़ गए। उस समय निर्गुण परमात्मा से आकाशवाणी हुई। तुम दोनों को तपस्या करनी चाहिए। फिर तुमसे परम उत्तम सृष्टि का विस्तार हुआ। वह प्रकृति और पुरुष बोले प्रभु शिव तपस्या के लिए तो कोई स्थान है ही नहीं फिर हम दोनों इस समय कहां स्थित होकर आपकी आज्ञा अनुसार तप करें। तब निर्गुण शिव ने तेज के साथ भूत पांच कोष लंबे चौड़े शुभ एवं सुंदर नगर का निर्माण किया। जो उनका अपना ही समरूप था। वह सभी आवश्यक उपकरणों से युक्त उस नगर का निर्माण करके उन्होंने उसे उन दोनों के लिए भेजा। वह नगर आकाश में पुरुष के समीप आकर स्थित हो गया। तब पुरुष श्री हरि ने उस नगर में स्थित हो सृष्टि की कामना से शिव का ध्यान करते हुए बहुत वर्षों तक तप किया। उस समय परिश्रम के कारण उनके शरीर से स्वच्छ जल की अनेक धाराएं प्रकट हुई ।जिनसे सारा आकाश व्याप्त हो गया। वहां दूसरा कुछ भी नहीं दिखाई देता था। उसे देखकर भगवान विष्णु मन ही मन बोले कि यह कैसी अद्भुत वस्तु दिखाई देती है? उस समय इस आश्चर्य को देखकर उन्होंने अपना सिर हिलाया। जिससे उन प्रभु के सामने ही उनके एक कान से मणि गिर गई। जहां वह मणि गिरी जहां वह स्थान मणिकर्णिका नामक महान तीर्थ हो गया ।जब पूर्व मे जल राशि में वह सारी पंचकोशी डूबने और बहने लगी। तब निर्गुण शिव ने शीघ्र ही उसे अपने त्रिशूल के द्वारा धारण कर लिया। फिर विष्णु अपनी पत्नी प्रकृति के साथ वही सोए। तब उनकी नाभि से कमल प्रकट हुआ। उस कमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए ।उनकी उत्पत्ति में भी शंकर का आदेश ही कारण था। उन्होंने शिव की आज्ञा पाकर अद्भुत सृष्टि आरंभ की ।ब्रह्मा जी ने ब्रह्मांड में 14 भवन बनाए। ब्रह्मांड का विस्तार महर्षियो ने 50 करोड़ योजन का बताया है। फिर भगवान शिव ने यह सोचा कि ब्रह्मांड के भीतर कर्म पास से बंधे हुए प्राणी मुझे कैसे प्राप्त कर सकेंगे ।यह सोचकर उन्होंने मुक्त दायिनी पंचकोशी को इस जगत में छोड़ दिया ।यह पंचकोशी काशी लोग में कल्याण बंधन का नाश करने वाली, ज्ञानदात्री तथा मोक्ष को प्रकाशित करने वाली मानी गई है ।मुझे परम प्रिय है यहां स्वयं परमात्मने अविमुक्त लिंग की स्थापना की है। अतः मेरे अंशभूत हरी तुम्हें कभी इस क्षेत्र का त्याग नहीं करना चाहिए। ऐसा कहकर भगवान् काशीपुरी को स्वयं अपने त्रिशूल से उतारकर मृत्युलोक के जगत में छोड़ दिया। ब्रह्मा जी का 1 दिन पूरा होने पर जब सारे जगत का प्रलय हो जाता है। तब भी निश्चय ही इस काशीपुरी का नाश नहीं होता है। उस समय भगवान शिव के त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और जब द्वारा की जाती है। तब एक भूतल पर स्थापित कर देते हैं। काशी में अभी मुक्तेश्वर लिंग सदा विराजमान रहता है। वह महापातक पुरुषों को भी मोक्ष प्रदान करने वाला है। मुनीश्वर अन्य मोक्ष दायक धामों में आधी मुक्ति प्राप्त होती है। केवल इस काशी में ही जीवो को सायुज्य नामक सर्वोत्तम मुक्ति सुलभ होती है। जिनकी कहीं भी गति नहीं उनके लिए वाराणसी पूरी ही गति है। महा पुण्य पंचकोशी करोड़ों हत्याओं का विनाश करने वाली है। यहां समस्त अमरगण भी मन की इच्छा करते हैं। फिर दूसरों की तो बात ही क्या है। यह शंकर की क्रिया नगरी काशी सदा भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
2019-8-9 • RNI.No.UPHIN/2014/57254
1.अंक-10(साल-01)
2.मगंलवार,13अगस्‍त 2019
3.शक-1941,श्रावन शुक्‍लपक्ष त्र्‍योदशी,विक्रमी संवत 2076
4. सूर्योदय प्रातः 5:47,सूर्यास्त 7:07
5.न्‍यूनतम तापमान 29 डी.सै.,अधिकतम-35+ डी.सै., हवा में आद्रता रहेगी!
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा!
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार लोनी गाजियाबाद 201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी गाजियाबाद 201102
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