सोमवार, 5 अगस्त 2019

प्रेमी युगल को प्रेमिका के घर वालों ने पीटा

प्रेमी युगल को प्रेमिका के घरवालों ने घेरकर पीटा


औरैया,दिबियापुर । परिजन जब शादी को राजी नहीं हुए तो प्रेमी प्रेमिका घर से भाग निकले। लड़की के परिजनों को जैसे ही भनक लगी तो उन्होंने दोनों को एक रास्ते में घेर लिया। इसके बाद प्रेमी की जमकर पिटाई की। लोगों की भीड़ लग गई।
दिबियापुर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी युवक को पड़ोस के ही गांव की युवती से प्रेम हो गया। दोनों में प्रेम परवान चढ़ा तो एक जाति के न होने के कारण लड़की के परिजनों ने विरोध किया। इस पर दोनों ने घर से भागने की योजना बनाई। दोनों ने प्लान बनाया और प्रेमी बाइक लेकर आ गया और प्रेमिका को बाइक पर बिठाकर भाग निकला। कुछ लोगों ने देखा तो प्रेमिका के परिजनों को सूचना दे दी तो वह लोग वाहन लेकर निकल पड़े और असेनी के पास दोनों को घेर लिया।प्रेमिका के परिजनों ने प्रेमी की जमकर धुनाई की। प्रत्यक्षदर्शी बताते है कि प्रेमिका ने बचाने की कोशिश की तो वह लोग उसे पीटते हुए अपने साथ ले गए। घायल प्रेमी का सीएचसी में उपचार हुआ। थाना पुलिस ने घटना की जानकारी होने से इन्कार किया।


छेड़खानी का विरोध करने पर पिता-पुत्री को पीटा


औरैया । शहर निवासी एक किशोरी ने दो युवकों पर छेड़खानी का आरोप लगाया है। विरोध करने पर मारपीट कर धमकी दिए जाने का आरोप लगाया है। आरोप है कि जब उसके पिता आरोपित के घर शिकायत करने गए तो उन लोगों ने लाठी-डंडों से उनकी पिटाई की। किशोरी ने कोतवाली में दिए शिकायती पत्र में बताया कि शनिवार की शाम वह अपने निजी काम से बाजार जा रही थी। जब वह बाजार करके वापस आ रही थी, तभी रास्ते में दो युवकों ने उसे घेर लिया और अश्लील हरकतें करने लगे। विरोध करने पर गाली-गलौज व मारपीट करने लगे। पीड़ित ने बताया जब उसने अपने घर जाकर परिजनों को बताया तो उसके पिता आरोपितों के घर उहालना देने गए। जिस पर आरोपितों ने गाली-गलौज करते हुए लाठी-डंडों से मारपीट की। आसपास के लोगों के आ जाने से मामला शांत हो सका। पुलिस ने तहरीर के आधार पर जांच शुरू कर दी है। शरद यादव


इच्छा एप करेगा निरीक्षण,हाईटेक शिक्षा

मोबाइल एप से बेसिक शिक्षा को किया जाएगा हाईटेक


शरद यादव. औरैया। परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने एवं निगरानी रखने के लिए शासन की ओर से मोबाइल एप लॉन्च किए गए हैं। इनके जरिए बेसिक शिक्षा विभाग को हाईटेक बनाने की तैयारी कर रहा है। पिछले दिनों लॉन्च किए गए दीक्षा एप का प्रयोग पढ़ाई कराने के लिए किया जाएगा। इच्छा एप का प्रयोग एबीआरसी व खंड शिक्षाधिकारी विद्यालयों का अनुश्रवण करने के लिए करेंगे। परिषदीय विद्यालयों की निश्शुल्क वितरित होने वाली पाठ्य पुस्तकों के प्रत्येक पाठ के शुरुआत में क्यूआर कोड दिया गया है। दीक्षा एप के माध्यम से क्यूआर कोड को स्कैन कर वीडियो चलाया जा सकता है। इससे न सिर्फ बच्चों को अध्ययन करने में सुविधा होगी, बल्कि शैक्षिक स्तर भी बढ़ेगा। बेसिक शिक्षा अधिकारी एसपी सिंह की ओर से प्रत्येक माह यह समीक्षा की जाएगी कि जनपद में कुल कितने शिक्षकों ने यह एप डाउनलोड किया है। एप के प्रयोग के लिए ब्लॉक संसाधन केंद्रों में प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। दीक्षा एप कक्षा एक से आठ तक के सभी कक्षाओं में सभी विषयों में प्रयोग किया जा सकता है। वहीं इच्छा एप को विद्यालयों की निगरानी एवं कक्षा शिक्षण को आनलाइन करने के उद्देश्य से लांच किया गया है। जनपद के कुल 1516 परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में एक लाख छह हजार बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है। वहीं इच्छा एप के माध्यम से निरीक्षण को आनलाइन भी किया जाएगा। आने वाले समय समय में कोई भी एबीआरसी बिना इस एप का इस्तेमाल किए निरीक्षण नहीं कर सकेगा।


महासंघ,चुनाव पर किया विचार-विमर्श

गाजियाबाद । महासंघ के मूल उद्देश्य के विस्तार को ध्यान में रखते हुए सर्व समाज महासंघ कार्यकारिणी के द्वारा  एक सभा का आयोजन कुलदीप त्यागी के गाजियाबाद स्थित निवास पर किया गया। जिसमें महासंघ के मूल उद्देयो के विस्तार और प्रसार को लेकर  विचार-विमर्श किया गया । महासंघ का उद्देश्य सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध  कार्य करना, दलित-पिछड़ों को मुख्यधारा में लाना,शिक्षा को बढ़ाना एवं युवा वर्ग को आत्मनिर्भर एवं स्वभावलबीं आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर कुलदीप त्यागी जिला अध्यक्ष, रिटायर डिप्टी एसपी सुनील त्यागी, एमएलसी स्नातक के प्रत्याशी मौजूद रहे। चुनाव के बारे में आगे की रणनीति तय की गई, बैठक में मौजूद रामकिशोर त्यागी सिहानी, छात्र नेता मनीषा त्यागी, छात्र नेता उत्तम त्यागी, अनिल सैन, बबली त्यागी निवाड़ी, एक्साइज से डीएसपी देवेंद्र त्यागी, जितेंद्र कुमार, सुनील कुमार एडवोकेट, महिपाल सिंह मावी, बिजनौर से नगर पालिका वाइस चेयरमैन कृष्ण गोपाल आर्य मौजूद रहे।


प्रेम-प्रसंग में सफलता प्राप्त होगी:मेष

राशिफल


मेष – प्रेम-प्रसंग में सफलता प्राप्त होगी। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। भागदौड़ अधिक रहेगी। स्वास्थ्‍य का पाया कमजोर रहेगा। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। कोई दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। विवाद से बचें। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा।


वृष —–भूमि व भवन संबंधी कार्य लाभदायक रहेंगे। रोजगार प्राप्ति के लिए किसी प्रभावशाली व्यक्ति का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय से संतुष्टि होगी। जीवन सुखमय व्यतीत होगा। भाग्य का साथ मिलेगा। दूसरों के काम में दखल न दें। शत्रु नतमस्तक होंगे।


मिथुन—- किसी बात के बारे में अनहोनी की आशंका रहेगी। विवाद से क्लेश हो सकता है। शारीरिक कष्ट की आशंका है। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। कारोबार अच्‍छा चलेगा। प्रमाद न करें।


कर्क —–कोई बड़ा व्यय अचानक सामने आ सकता है। आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है। भावना में बहकर कोई निर्णय न लें। किसी व्यक्ति से अकारण विवाद हो सकता है। व्यापार ठीक चलेगा। शारीरिक कष्ट का कारण किसी तरह की लापरवाही हो सकती है। समय ठीक नहीं है।


सिंह —-सुख के साधन प्राप्त होंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। किसी लंबी यात्रा की योजना बन सकती है। नए काम मिलेंगे। कारोबार में वृद्धि होगी। भाग्य का साथ मिलेगा। स्वास्थ्‍य अच्‍छा रहेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। चोट लगने से बचें। प्रमाद न करें।


कन्या —-स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। किसी बड़ी समस्या का निराकरण सहज ही होगा। सुख के साधनों पर व्यय होगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। प्रमाद न करें।


तुला ——किसी सही बात का भी विरोध हो सकता है। अच्छी खबर प्राप्त होगी। आर्थिक उन्नति के लिए नई योजना बनेगी। समाजसेवा की प्रेरणा प्राप्त होगी। मान-सम्मान मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। समय की अनुकूलता रहेगी। नए अनुबंध होंगे।


वृश्चिक—– थोड़े प्रयास से ही कार्यसिद्धि होगी। कार्य की प्रशंसा होगी। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। आत्मसंतुष्टि रहेगी। धन प्राप्ति के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। भाग्य का साथ रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा।


धनु ——व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। फालतू खर्च होगा। शारीरिक कष्ट की आशंका है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। घर में अतिथियों का आगमन होगा। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें।


मकर —-जीवनसाथी के बारे में चिंता रहेगी। किसी लंबी यात्रा की योजना बनेगी। आर्थिक उन्नति होगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। विवेक से कार्य करें। कार्य में सफलता मिलेगी। विवाद से बचें।


कुंभ —-कुसंगति से बचें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में विशेष सावधानी रखें। किसी भी तरह की बहस में हिस्सा न लें। भावना में बहकर महत्वपूर्ण निर्णय न लें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। शत्रु शांत रहेंगे। नौकरी में कार्यभार रहेगा।


मीन —-स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। विद्यार्थी वर्ग अध्ययन आदि में सफलता प्राप्त करेगा। संगीत आदि में रुचि रहेगी। नौकरी में कोई नया कार्य करने से प्रभाव बढ़ेगा। कोई गलत निर्णय ले सकते हैं, सावधान रहें।


भारतीय शिक्षा प्रणाली,शैक्षिक प्रशासन

किसी भी देश का शैक्षिक प्रशासन बहुधा उसके राष्ट्रीय हितों के अनुरूप सुनिर्देशित प्रयोजनों से संबद्ध होता है। ब्रिटिश शासन काल में भारत की शैक्षिक नीति एवं प्रशासन विदेशी सत्ता द्वारा संचालित होने के कारण राष्ट्रीय परंपराओं संस्कृति तथा देशवासियों की आवश्यकताओं के अनुकूल न था।


भारत सरकार का शैक्षिक प्रशासन, १९१९ के अधिनियम से पूर्व पूर्णत: केंद्रीकृत था। इस अधिनियम से आंशिक प्रादेशिक स्वायता प्रदान की गई और तदुपरांत शिक्षा प्रादेशिक मंत्रालयों के अधीन एक अंतरित विषय बन गई। समुचित समन्वय के अभाव में वित्तीय कठिनाइयों के साथ ही इससे प्रादेशिकता की भावना जाग्रत हुई। महत्वपूर्ण विषयों पर सलाह देने के लिये एक केंद्रीय शिक्षा सलाहकार मंडल की स्थापना १९२१ में की गई, पर दो वर्ष उपरांत इसे भंग कर दिया गया। किंतु १९३५ में इसकी पुन: स्थापना हुई। भारतीय शैक्षिक सेवा में भर्ती १८९६ में प्रारंभ की गई थी किंतु १९२४ में इसे स्थगित कर दिया गया। भारत सरकार के १९३५ के अधिनियम ने राज्यों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की और इसके फलस्वरूप भारतीय शिक्षा मंत्री अधिक अधिकार-संपन्न हो गए। १९४५ से भारत सरकार में शिक्षा के लिए पृथक् विभाग की स्थापना की गई और १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत मौलाना अबुल कलाम अजाद के मंत्रित्व में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की स्थापना हुई।


भारतीय संविधान के निर्माण के समय सन् १९४४ से शिक्षा तथा विश्वविद्यालय राज्य सूची के अंतर्गत रखे गए। केंद्र की गतिविधियों का केंद्रीय विश्वविद्यालयों तथा राष्ट्रीय महत्व की वैज्ञानिक और प्राविधिक शिक्षण संस्थाओं के परस्पर समन्वय तथा उच्च शिक्षा अथवा अनुसंधान एवं वैज्ञानिक और प्राविधिक संस्थाओं के मानकों के संकल्प तक सीमित कर दिया गया। व्यावसायिक तथा श्रमिकों को प्राविधिक शिक्षण केंद्र तथा राज्यों की समवर्ती सूची में रखा गया।यह अनुभव किया जाता है कि इस नवीन प्रजातंत्र में शैक्षिक प्रशासन का मुख्य कार्य शिक्षा को मानवीय रूप देना एवं जनता को प्रजातांत्रिक विधियों एवं स्थितियों में प्रशिक्षित करना है। नए शिक्षकों तथा निरीक्षण अधिकारियों को ऐसी विशिष्ट दृष्टि से संपन्न करना है, जिससे कि वे सत्ता की धाक जमाए बिना ही शिक्षार्थियों को प्रेरित कर सकें। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत देश की परिवर्तित परिस्थतियों के अनुकूल शैक्षिक प्रशासन के सुधार की ओर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जा सका।वर्तमान काल में राज्यों में शिक्षा की व्यवस्था राज्य के शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में की जाती है, जिसके अधीन अनेक उपनिदेशक एवं सहायक होते हैं। राज्य अनेक मंडलों अथवा अंचलों में विभक्त होता है, प्रत्येक मंडल के अंतर्गत अनेक जिले होते हैं। प्रत्येक मंडल एक निरीक्षक के अधीन तथा हर जिला स्कूल निरीक्षक के अधीन होता है।इससे निम्न स्तर पर नागरिक तथा ग्रामीण क्षेत्रों में प्राय: प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था स्थानीय निकायों द्वारा की जाती है। पंचायती राज्य के प्रादुर्भाव तथा प्रजातांत्रिक विकेंद्रीकरण के कारण इन निकायों का विशेष महत्व है।विविध स्तरों पर शिक्षण संस्थाओं के नियंत्रण तथा प्रशासन में प्रवृत स्वैच्छिक अभिकरण भी इस प्रसंग में उल्लेखनीय हैं। सरकारी प्रशासन इन अभिकरणों को मान्यता प्रदान कर अथवा वित्तीय सहायता देकर इन पर नियंत्रण रखता है।केंद्रीय शिक्षामंत्री राज्यों के शैक्षिक प्रशासन पर परोक्ष रूप से नियंत्रण रखता है। वह समन्वय स्थपना तथा स्तरों में सुधार के अतिरिक्त अन्य विषयों से संबंधित निर्देश नहीं देता। किंतु केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड तथा भारतीय प्राविधिक शिक्षा परिषद् तथा अन्य समानांतर निकायों के अध्यक्ष के नाते वह इन निकायों के राज्यप्रतिनिधि शिक्षा मंत्रियों को रष्ट्रीय शिक्षानीति में एकरूपता की स्थापना के लिये अवश्य प्रभावित करता है।


काल भैरव जन्म (शिव-महापुराण)

नंदीश्वर ने कहा, महामुनि,परमेश्वर शिव उत्तम-उत्तम लीलाएं रचने वाले तथा सत पुरुषों के प्रेमी हैं।उन्होंने मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भैरव स्वरूप से अवतार लिया था। इसलिए जो मनुष्य मार्गशीर्ष मास की कृष्ण अष्टमी को काल भैरव के संघट उपवास करके रात्रि में जागरण करता है। वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। जो मनुष्य अन्यत्र भी भक्ति पूर्वक जागरण सहित इस व्रत का अनुष्ठान करेगा। वह भी महापापो से मुक्त होकर सद्गति को प्राप्त हो जाएगा। प्राणियों के लाखो जन्म में किए हुए जो पाप है वे सब के सब काल भैरव के दर्शन से निर्मल हो जाते हैं। जो मूर्ख काल भैरव के भक्तों का अनिष्ट करता है। वह इस जन्म में दुर्गति को प्राप्त होता है, जो लोग विश्वनाथ के भक्त है परंतु काल भैरव की भक्ति नहीं करते हैं। उन्हें कष्‍ठ की प्राप्ति होती है। काशी में तो इसका विशेष प्रभाव पड़ता है।जो मनुष्य वाराणसी में निवास कर के काल भैरव का भजन नहीं करता उसके पाप शुक्ल पक्ष के चंद्रमा की भांति बढ़ते रहते हैं। जो काशी में प्रत्येक सोमवार की कृष्ण अष्टमी के दिन कॉल राज का भजन पूजन नहीं करता। उसका पुण्य कृष्ण पक्ष के चंद्रमा के समान क्षीण हो जाता है।


उसके पश्चात नंदीश्वर ने वीरभद्र तथा साराबअवतार का वृत्तांत सुनाया। ब्रह्मपुत्र, भगवान शिव जिस प्रकार प्रसन्न होकर विश्वानर मुनि के घर अवतरण हुए थे शशि मौलिक के उस चरित्र को तुम प्रेम पूर्वक श्रवण करोउ।उस समय वे तेज की निधि अग्नि रूप से सर्वात्मक परम प्रभु शिव अग्नि लोक के अधिपति, रूप से ग्रह पति नाम से अवतरित हुए थे। पूर्व काल की बात है। नर्मदा के रमणीय तट पर नरम पुर नाम का एक नगर था। उसी नगर में विश्वानर नाम के एक मुनि निवास करते थे ।उनका जन्म शांडिल्य गोत्र में हुआ थाा। वह परम पावन पुण्यात्मा शिवभक्त के निधि और जितेंद्र थे। ब्रह्मचर्य आश्रम में उनकी बड़ी निष्ठा थी ।वह सदा तप में तत्पर रहते थे। फिर उन्होंने सूची स्मृति नाम की सदगुणवती कन्या से विवाह कर लिया और वे उचित कर्म करते हुए देवता तथा पितरों को प्रिय लगने वाला जीवन बिताने लगे । इस प्रकार बहुत समय व्यतीत हो गया। तब उनकी सूची स्मृति को उत्तम व्रत का पालन करने वाली थी ।अपने पति से बोली प्राणनाथ स्त्रियों के योग्य जितने आपकी कृपा से आपके साथ रहकर परंतु मेरे हृदय में एक लालसा चिरकाल से वर्तमान है। औरतों के लिए उचित भी है उसे आप करने की कृपा करें। यदि मैं वर पाने के योग्य और आप मुझे वर देना चाहते हैंं। तो मुझे महेश्वर सरीखा पुत्र प्रदान कीजिए। इसके अतिरिक्त मुझे कुछ नहीं चाहिए नंदीश्वर जी कहते हैंं। मुनि पत्नी की बात सुनकर पवित्र व्रत परायण ब्राह्मण विश्वानंद क्षण भर के लिए समाधिस्थ हो गए और हृदय में यह विचार करने लगेे। अह ,मेरी इस पत्नी ने उचित नियम के साथ चलते दुर्लभ कामना की है। यह तो मेरे मनोरथ पद से बहुत दूर है। शिवजी तो सब कुछ करने में समर्थ  ऐसा प्रतीत होता है मानो उन्होंने ही इसके मुख्य में बैठकर वाणी रूप से ऐसी बात कही है। विश्वासनर ने कहा,भगवन आप ही एकमात्र ऐसे ब्रह्मा हैै। यह सारा जगत आप का ही स्वरूप है ।यहां अनेक कुछ भी नहीं है। यह बिल्कुल सत्य है कि एकमात्र रूद्र के अतिरिक्त दूसरे किसी की सत्ता नहीं है। इसलिए मैं आप महेश की शरण ग्रहण करता हूं। शंभू, आप ही सबके करता-हरता है तथा जैसे धर्म एक होते हुए भी अनेक रूप से दिखता है। उसी प्रकार आप भी एक रूप होकर नाना रूपों में व्याप्त है। फिर भी आप रुप रहीत है रूप सहित है इसलिए आप ईश्वर के अतिरिक्त में किसी दूसरे की शरण नहीं ले सकता। जैसे रज्जू सरसिटी में चांदी और मृग मरीचिका में जल प्रवाह  है उसी प्रकार जिसे जान लेने पर विश्व प्रपंच मीथ्‍या साबित होता है मै उन ईश्वर की शरण लेता हूं। संभल में जो शीतलता अग्नि में दहक का, सूर्य में गर्मी, चंद्रमा में आह्लाद, कारिता पुष्प में दूध में घी विधमान है वह आपका ही स्वरूप है। आपके चरणों की शरण,आप कान रहित होकर शब्द सुनते हैं ।नासिका रहिित सूघंते हैं पैर न होने पर भी दूर तक चले जाते हैं नेत्र हीन होकर सब कुछ देखते हैं ।और यही समझता है। भला आपको सरूप से कौन जान सकता है इसलिए मैं आपकी शरण में रहता हूंं। ईश्वर,न आपका कोई  जन्म है ना नाम है ना रूप है और ना देश है। ऐसा होने पर भी आप त्रिलोकी के अधिितिप तथा संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं। इसलिए मैं आपका भजन करता हूं परमेश्वर आप सर्व स्वरूप है ।यह सारा विश्व प्रपंच आपसे ही प्रकट हुआ हैै। आप गोरीनाथ दिगंबर और परम शांति,बाल युवा और वृद्ध रूप में आप ही वर्तमान है।ऐसी कौन सी वस्तु है जिसमें आप व्याप्त ना हो अतः मैं आपके चरणो में नतमस्तक हूँ ।


अधिकृत प्रकाशन विवरण

1.अंक-03(साल-01)
2.मगंलवार,6अगस्‍त 2019
3.शक-1941,श्रावन शुक्‍लपक्ष षष्‍ठी,विक्रमी संवत 2076
4. सूर्योदय प्रातः 5:46,सूर्यास्त 7:07
5.न्‍यूनतम तापमान 27 डी.सै.,अधिकतम-33 डी.सै.,हवा में आद्रता रहेगी!


6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा!


7.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार लोनी गाजियाबाद 201102


8.स्वामी,संपादक,प्रकाशक एवं मुद्रक राधेश्याम के द्वारा  प्रकाशित।


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी गाजियाबाद 201102
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