रविवार, 4 अगस्त 2019

उन्नाव केस:ट्रक को लेकर बड़ा खुलासा

उन्नाव केस में सामने आई सीसीटीवी फुटेज, ट्रक को लेकर हुआ बड़ा खुलासा


उन्‍नाव ! यूपी के उन्नाव रेप केस में पीड़िता के एक्सीडेंट के मामले में लगातार नए और चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। अभी तक की जांच में सामने आया है कि ट्रक सड़क पर रॉन्ग साइड से आ रहा था और उसकी स्पीड काफी तेज थी।इस एक्सीडेंट में रेप पीड़िता के दो रिश्तेदारों की मौत हो चुकी है, जबकि वो खुद गंभीर रूप से घायल है। अब इस मामले की जांच कर रही टीम को एक सीसीटीवी फुटेज मिली है, जिसमें ट्रक की नंबर प्लेट को लेकर एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।खबर के मुताबिक, जांच टीम को एक्सीडेंट की जगह से 20 किमी दूर रायबरेली के लालगंज इलाके में पड़ने वाले टोल प्लाजा की सीसीटीवी फुटेज मिली है। इस सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, जिस समय एक्सीडेंट करने वाला ट्रक इस टोल प्लाजा से गुजरा, तो उसकी नंबर प्लेट पर कोई काला रंग नहीं लगा था और नंबर प्लेट एकदम साफ व स्पष्ट थी।


गौरतलब है कि ट्रक ने रायबरेली के गुरबख्शगंज इलाके में रेप पीड़िता की कार को टक्कर मारी थी। सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि एक्सीडेंट करने वाले ट्रक ने 28 जुलाई को सुबह करीब 5 बजकर 20 मिनट पर इस इलाके में प्रवेश किया था, जबकि रेप पीड़िता की कार को दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर टक्कर मारी गई थी।वहीं, इस मामले में अभी तक की रिपोर्ट में सामने आया है कि एक्सीडेंट के वक्त ट्रक की नंबर प्लेट पर काला रंग लगा हुआ था। यानी, एक्सीडेंट से ठीक पहले नंबर प्लेट पर कोई काला रंग नहीं लगा था। स्थानीय पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सीडेंट के बाद ट्रक के मालिक ने पुलिस से कहा था कि उसने नंबर प्लेट को इसलिए काला किया हुआ था, क्योंकि वो लोन की किस्त नहीं भर पा रहा था और फाइनेंसर के स्टाफ से बचना चाहता था।पुलिस का शक अब इस बात पर गहरा रहा है कि ट्रक ड्राइवर ने टोल प्लाजा से गुजरने के बाद ट्रक की नंबर प्लेट को काले रंग से ढका। पुलिस ट्रक के ड्राइवर और क्लीनर को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं, इस मामले में मुख्य आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर और 9 अन्य लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज किया जा चुका है।


प्रशासन के खिलाफ सड़क पर उतरी जनता

गाजियाबाद,लोनी! नगर पालिका परिषद के द्वारा क्षेत्र के विकास और जन समस्याओं के प्रति उदारता के कारण जनता विषम परिस्थितियों से गुजर रही है! मूल आवश्यकता और विकास से वंचित जनता मुखर हो गई है! नगरपालिका के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया है! जिसके परिणाम स्वरूप आज सुबह 8:00 बजे से नगर पालिका स्थित वार्ड संख्या 23 कृष्णा विहार फेस दो के कॉलोनी वासियों द्वारा उक्त कॉलोनी की अनदेखी, मुख्य मार्ग पर निर्माण व अन्य  विकास कार्य न कराने के संदर्भ में नगर पालिका परिषद व जिला प्रशासन गाजियाबाद के विरुद्ध धरना प्रदर्शन कर अपनी समस्या से अवगत कराया! सभी पत्रकार बंधुओं से विनम्र निवेदन है! उक्त क्षेत्र की जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए समय अनुसार पहुंचकर जनता की बात अपने माध्यम से उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने का कष्ट करें! नगर वासियों की समस्या अब असहनीय हो चुकी है! जिसके कारण जनता को सड़क पर उतरना पड़ रहा है !अब देखना यह है कि जिला प्रशासन समस्या के निस्तारण के क्या उपाय करता है!


बुद्धि बल से दूर होगी बाधा:मीन

राशिफल 


मेष----भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। किसी लंबी यात्रा का कार्यक्रम बन सकता है। नए उपक्रम प्रारंभ हो सकते हैं। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। होगी। स्वास्थ्‍य अच्‍छा रहेगा। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें।


वृष----उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। आत्मसम्मान बना रहेगा। किसी बड़े कार्य को करने की इच्छा जागृत होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनु्कूल लाभ देगा। बाहर जाने का कार्यक्रम बन सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी।


मिथुन----भावना में बहकर कोई निर्णय न लें। फालतू खर्च होगा। शत्रु सक्रिय रहेंगे। बनते काम बिगड़ सकते हैं। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। धैर्य रखें।


कर्क----कमजोर व्यक्तियों की सहायता करने की इच्छा जागृत होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। रुके कार्यों में गति आएगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा। नौकरी में सम्मान मिलेगा।। स्वास्थ्य ठीक रहेगा।


सिंह----जल्दबाजी में किए गए कार्य कोई बड़ी हानि का कारण हो सकते हैं। दुष्टजनों से दूर रहें। वाणी पर नियंत्रण रखें। बनते कामों में बाधा आएगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। दूसरों से अपेक्षा न करें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में तनाव रह सकता है।


कन्या----प्रेम-प्रसंग अनुकूल रहेंगे। राजकीय बाधा दूर होकर मनोनुकूल स्थिति बनेगी। व्यापार-व्यवसाय अच्‍छा चलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। भाग्य का साथ रहेगा। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। स्वास्थ्‍य का ध्यान रखें। प्रसन्नता रहेगी।


तुला----पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद प्राप्त होगा। रचनात्मक कार्यों में सफलता मिलेगी। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है। निवेश से लाभ होगा। नौकरी में कोई नया कार्य कर पाएंगे।


वृश्चिक----डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। नए व्यापारिक अनुबंध हो सकते हैं। आय में वृद्धि होगी। नौकरी में रुतबा बढ़ेगा। घर-बाहर प्रसन्नता का माहौल रहेगा। समय अनुकूल है। शेयर मार्केट से लाभ होगा।


धनु----स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें। समय की अनुकूलता का लाभ लें। पारिवारिक चिंता में वृद्धि होगी।



मकर----कानूनी अड़चन दूर होगी। किसी प्रभावशाली व्यक्ति का सहयोग प्राप्त होगा। तंत्र-मंत्र में रुचि जागृत होगी। आय में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। हित-शत्रुओं से सावधान रहें। धन प्राप्ति सुगम होगी। तीर्थदर्शन संभव है।


कुंभ----जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से लाभ होगा। मेहनत का फल पूरा-पूरा प्राप्त होगा। सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। व्यापार से मनोनुकूल लाभ होगा।


मीन ----किसी बुरी खबर के मिलने से खिन्नता रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। अपने बुद्धिबल से बाधा दूर कर पाएंगे। विवाद न करें। नौकरी में कार्यभार रहेगा। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। व्यापार ठीक चलेगा।


मित्रता:अलग-थलग सबसे न्यारा रिश्ता

सिद्ध महायोगी गुरु गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और भारत रक्षा मंच लोनी विधानसभा के अध्यक्ष  महंत चंद्रपाल भगत से फोन पर वार्ता की और वार्ता में मित्रता पर उन्होंने मुझे बहुत अच्छा संदेश देकर समझाया कि मित्रता एकजुटता का प्रतीक है और जीवन में मित्र होना बहुत जरूरी है! जिसके माध्यम से हम अपनी दिनचर्या पूरी करते हैं और आर्थिक सामाजिक और पारिवारिक कार्य पूरे कर पाते हैं!भारतीय परम्परा में हमेशा से ही मित्रता का महत्व रहा है! हमारे जीवन में माता-पिता और गुरू के बाद मित्र को स्थान दिया गया है, लेकिन जब भी मित्रता की बात होती है तो लोग द्वापर युग वाली कृष्ण-सुदामा की मित्रता की मिसाल देना नहीं भूलते !भगवान कृष्ण के सहपाठी रहे सुदामा एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण परिवार से थे!उनके सामने हालात ऐसे थे बच्चों को पेट भरना भी मुश्किल हो गया था, गरीबी से तंग आकर एक दिन सुदामा की पत्‍नी ने उनसे कहा कि वे खुद भूखे रह सकती है लेकिन बच्चों को भूखा नहीं देख सकती ऐसे कहते-कहते उनकी आंखों में आंसू आ गए!


ऐसा देखकर सुदामा बहुत दुःखी हुए और पत्नी से इसका उपाय पूछा,इस पर सुदामा की पत्नी ने कहा- आप बताते रहते हैं कि द्वारका के राजा कृष्ण आपके मित्र हैं, तो एक बार क्यों नहीं उनके पास चले जाते? वह आपके मित्र हैं तो आपकी हालत देखकर बिना मांगे ही कुछ न कुछ दे देंगे इस पर सुदामा बड़ी मुश्किल से अपने सखा कृष्ण से मिलने के लिए तैयार हुए उन्होंने अपनी पत्‍नी सुशीला से कहा कि मित्र के यहाँ खाली हाथ मिलने नहीं जाते इसलिए कुछ उपहार उन्हें लेकर जाना चाहिए.उनके घर में अन्न का एक दाना तक नहीं था, कहते हैं कि सुदामा के बहुत जिद करने पर उनकी पत्‍नी सुशीला ने पड़ोस चार मुट्ठी चावल मांगकर लाईं और वही कृष्ण के लिए उपहार के रूप में एक पोटली में बांधकर दिया !सुदामा जब द्वारका पहुंचे तो वहां का वैभव देखकर हैरान रह गए, पूरी नगरी सोने की थी! लोग बहुत ही सुखी और संपन्न थे सुदामा किसी तरह से लोगों से पूछते हुए कृष्ण के महल तक पहुंचे और द्वार पर खड़े पहरेदारों से कहा कि वह कृष्ण से मिलना चाहते हैं, उनकी हालत देखकर द्वारपालों ने पूछा कि क्या काम है? सुदामा- कृष्ण मेरे मित्र हैं !द्वारपालों ने महल में जाकर भगवान कृष्ण को बताया कोई गरीब ब्राह्मण उनसे मिलने आया है! वह अपना नाम सुदामा बता रहा है, सुदामा नाम सुनते ही भगवान कृष्ण नंगे पांव सुदामा को लेने के लिए दौड़ पड़े वहाँ मौजूद लोग हैरान रह गए कि एक राजा और एक गरीब साधू में कैसी दोस्ती हो सकती है !भगवान कृष्ण सुदामा को अपने महल में ले गए और पाठशाला के दिनों की यादें ताजा कीं कृष्ण ने सुदामा से पूछा कि भाभी ने उनके लिए क्या भेजा है? इस पर सुदामा संकोच में पड़ गए और चावल की पोटली छुपाने लगे, ऐसा देखकर कृष्ण ने उनसे चावल की पोटली छीन ली और भगवान कृष्ण सूखे चावल ही निकालकर खाने लगे, सुदामा की गरीबी देखकर उनके आखों में आंसू आ गए !सुदामा कुछ दिन द्वारिकापुरी में रहे लेकिन संकोचवश कुछ मांग नहीं सकें ! विदा करते वक्त कृष्ण उन्हें कुछ दूर तक छोड़ने आएं और उनसे गले लगे ! सुदामा जब अपने घर लौटने लगे तो सोचने लगे कि पत्नी पूछेगी कि क्या लाए हो तो वह क्या जवाब देंगे?सुदामा घर पहुंचे तो वहां उन्हें अपनी झोपड़ी नजर ही नहीं आई! वह अपनी झोपड़ी ढूंढ़ रहे थे तभी एक सुंदर सा आलीशान घर से उनकी पत्नी बाहर आईं, वे महंगे कपड़े पहने थी सुशीला ने सुदामा से कहा- देखा कृष्ण का प्रताप, हमारी गरीबी दूरकर आपके मित्र ने हमारे सारे दुःख हर लिए सुदामा को कृष्ण का प्रेम याद आया, उनकी आंखों में खूशी के आंसू आ गए !मित्रों! कृष्ण और सुदामा का प्रेम यानि सच्ची मित्रता यही थी कहा जाता है कि कृष्ण ने सुदामा को अपने से भी ज्यादा धनवान बना दिया था, दोस्ती के इसी सुन्दर भावों को लोग आज भी उदाहरण देते हैं !कृष्ण-सुदामा की दोस्ती लोगों को इतनी प्रभावित करती है कि बहुत से लोग तो कॉलरट्यून में भी- अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो. की धुन लगा रखते हैं !


संदीप गुप्ता


प्राकृतिक संतुलन का आधार 'घास'

घास शब्द का अर्थ बहुत व्यापक है। साधारणतया घासों में वे सब वनस्पतियाँ सम्मिलित की जाती हैं जो गाय, भैंस, भेड़, बकरी आदि पालतू पशुओं के चारे के रूप में काम आती हैं, परन्तु आधुनिक युग में वानस्पतिक वर्गीकरण के अनुसार केवल घास कुल (ग्रेमिनी कुल) के पौधे ही इसके अंतर्गत माने जाते हैं। लगभग दो लाख फूलने और फलने वाले पौधों में से पाँच हजार इस कुल के अंतर्गत आते हैं। चरागाह एवं खेल के मैदान ऐसे स्थानों में होने वाले पौधे, जैसे हाथी घास नेपियर ग्रास, सूडान घास, दूब आदि को तो घास कहते ही हैं हमारे भोजन के अधिकांश अनाज, जैसे गेहूँ, धान, मक्का, ज्वार, बाजरा आदि भी घास कुल में ही परिगणित हैं। इनके अतिरिक्त ईख, बाँस आदि भी इसी कुल में सम्मिलित हैं।


घासों के आकार एवं ऊँचाई में भिन्नता होती है। कुछ पौधे केवल कुछ इंच लंबे हाते हैं, जैसे खेल के मैदान एवं लान की घासें; कुछ मध्यम वर्ग के होते हैं, जैसे गेहूँ, मक्का आदि तथा कुछ बहुत ही ऊँचे होते हैं, जैसे ईख, बाँस आदि। कुछ पकर के पौधों में फूल अलग अलग तथा कुछ में गुच्छों में होते हैं। अनाजवाले पौधे अधिकतर वार्षिक होते है, किंतु बाँस, काँस आदि ३०-४० वर्ष, या इससे भी अधिक, जीवित रहते हैं। कुछ घासें पानी में उगती हैं या प्राय: नदी, तालाब और समुद्र के किनारे पाई जाती हैं। इसके विपरीत कुछ प्रकार की घासें केवल कम वर्षावाले स्थानों तथा मरुस्थलों में ही जीवित रहती हैं।


घासों की जड़ें प्राय: रेशेदार होती हैं। तने ठोस तथा संधियुक्त होते हैं। संधियों के बीच के भागों को पोर या पोरी कहते हैं। पत्तियाँ नुकीली और तने के जोड़ों पर एक के बाद दूसरी ओर मुड़ी रहती हैं। पत्तियाँ सदैव समांतरमुखी होती हैं। और दो स्पष्ट भागों, मुतान,एवं फलक, में विभाजित होती हैं। पत्तियाँ तने के जोड़ से निकलती हैं और मुतान पोरी को घेरे रहती हैं। मुतान में फलक के मूल के कुछ ऊपर से विशेष प्रकार के अस्तर निकलते हैं। इन्हें छोटी जीभ कहते हैं। कुछ घासों की पत्तियों के नीचे फलक के मूल पर एक विशेष प्रकार के वृद्धि उपांग होते हैं, जिन्हें कर्णाभ कहते हैं। इस प्रकार घास की पत्तियों की बनावट विशेष प्रकार की होती है तथा पत्तियों द्वारा ही इस कुल के पौधों को पहचाना जाता है। कुछ घासों में नीचे की ओर की कुछ पोरियाँ कुछ अधिक लंबी और उपवर्तुल होकर पौधे के लिये भोजन तत्व इकट्ठा करने का स्थान बना लेती हैं। इस पकार के पौधे कंदीय कहलाते हैं।


सिलाद पुत्र नंदी का अवतरण

सनत कुमार जी ने पूछा,आप महादेव के अंश से उत्पन्न होकर शिव को कैसे प्राप्त हुए थे?वह सारा वृत्तांत मै सुनना चाहता हूं उसे वर्णन करने की कृपा करें! नंदीश्वर बोले ,सर्वज्ञ सनत कुमार जी मैं जिस प्रकार महादेव के अंश से जन्म लेकर शिव को प्राप्त हुआ, उस प्रसंग का वर्णन करता हूं तुम सावधानीपूर्वक श्रवण करो! शिलाद नामक एक धर्मात्मा ने पितरों के आदेश से उन्होंने आयोनिज पुत्र की प्राप्ति के लिए तप करके देवेश्वर इंद्र को प्रसन्न किया!परंतु देवराज इंद्र ने ऐसा पुत्र प्रदान करने में अपने आप को असमर्थ बता कर सर्वेश्वर महा शक्तिसंपन्न महादेव की आराधना करने का उपदेश दिया !तब सिलाद भगवान महादेव को प्रसन्न करने के लिए तप करने लगे, उनके तप से प्रसन्न होकर महादेव पधारें और महासमाधि मग्‍न को थपथपा कर जगाया,तब शिलाद ने शिव का स्तवन किया और भगवान शिव के उन्हें वर देने को प्रस्तुत होने पर उनसे कहा प्रभु मैं आपके ही समान अग्नि पुत्र चाहता हूं तब शिव जी प्रसन्न होकर मुनी से बोले, शिव जी ने कहा, तपोधन पूर्वकाल में ब्रह्माजी ने मुनियों ने तथा बड़े-बड़े देवताओं ने मेरे अवतार धारण करने के लिए तपस्या द्वारा मेरी आराधना की थी! इसलिए सारे जगत का पिता हूं फिर भी तुम मेरे पिता और मैं तुम्हारा पुत्र होऊगां, मेरा नाम नदीं हुआ! नंदीश्वर जी कहते हैं ,अपने चरणों में बात कर के सामने खड़े हुए आदमी की कृपा दृष्टि से देखा और उन्हें ऐसा आदेश दे तुरंत ही उमा सहित वहीं अंतर्धान हो गए! महादेव जी के चले जाने के पश्चात महामुनि सिलाद ने अपने आश्रम में आकर वह सारा वृत्तांत कह सुनाया! कुछ समय बीत जाने के बाद जब यज्ञ जोतन में श्रेष्ठ मेरे पिताजी तप करने के लिए क्षेत्र को जोत रहे थे !उसी समय मैं शंभू की आज्ञा से यज्ञ के पूर्व उनके शरीर में उत्पन्न हो गए! मेरे शरीर की अग्‍नि वाह युगांत कालीन अग्नि के समान थी! तब सारी दिशाओं में प्रसन्नता हुई ! उधर सिलाद ने भी जब मुझ बालक को प्रलय कालीन सूर्य और अग्नि के सदृश प्रभावशाली, त्रिनेत्र, चतुर्भुज ,प्रकाशमान जटामुकुटधारी, त्रिशूल आदि आयुधो से युक्त सर्वथा रूद्र रूप में देखा! तभी महान आनंद में निमग्न हो गये और मुझ को नमस्कार करते हुए कहने लगे, शिलाद बोले सुरेश्वर, क्योंकि तुमने नंदी नाम से प्रकट होकर मुझे आनंदित किया है! इसलिए मैं तुम आनंद में जगदीश्वर को नमस्कार करता हूं ! नंदीश्वर जी कहते हैं, मुनि पद्म जैसे निर्धन को निधि प्राप्त हो जाने से प्रसन्नता होती है! उसी प्रकार मेरी प्राप्ति से हर्षित होकर पिताजी ने महेश्वर की भलीभांति वंदना की और फिर मुझे लेकर वे शीघ्र ही अपनी पाठशाला को चले गए! महामुनि जब मैं सिलाद की कुटिया में पहुंच गया! तब मैंने अपने रूप का परित्याग करके मनुष्य रूप धारण कर लिया! तदनंतर साल का नंदन पुत्र वत्सल सिलाद ने मेरे जात कर्म आदि सभी संस्कार संपन्न किए !फिर 5 वर्ष में पिताजी ने मुझे सांगोपांग संपूर्ण वेदों का तथा अन्यान्य शास्त्रों का भी अध्ययन कराया! 7 वर्ष पूरा होने पर शिव जी की आज्ञा से मित्र और वरुण नाम के मुनि मुझे देखने के लिए आश्रम पधारें आज तक संपूर्ण शास्त्रों के अर्थ तथा थोड़ी है! परंतु1वर्ष से अधिक नहीं दिखती!


सामान्य प्राधिकृत प्रकाशन सूचना

1.अंक-02( वर्ष-01)
2.सोमवार, 5 अगस्‍त 2019
3.शक-1941,श्रावन शुक्‍लपक्ष चतुर्थी,विक्रमी संवत 2076
4. सूर्योदय प्रातः 5:47,सूर्यास्त 7:06
5.न्‍यूनतम तापमान 27 डी.सै.,अधिकतम-32 डी.सै.! बौछारे पड़ने की संभावना रहेगी!
6. स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम के द्वारा प्रकाशित ! समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा!
(क)संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार लोनी गाजियाबाद 201102
(ख)संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी गाजियाबाद 201102
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cont.935030275


कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप

कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप  दुष्यंत टीकम  जशपुर/पत्थलगांव। जशपुर जिले के एक गांव में कुएं में नवजात शिशु का शव मिला है। इससे...