रविवार, 28 जुलाई 2019

नेक्स्ट जेनरेशन अवार्ड 2019 का आयोजन

डॉ सौरभ पाण्डेय हुए दिल्ली में सम्मानित


 नई दिल्ली ! हिंदी भवन दिल्ली में स्वर्ण भारत परिवार द्वारा आयोजित नेक्स्ट जेनरेशन अवार्ड 2019 मे सहभागिता का अवसर मिला। जहां बड़ी-बड़ी राजनीतिक व सामाजिक हस्तियों के बीच धराधाम के प्रणेता मनीषी डॉ सौरभ पाण्डेय सम्मानित हुए । कार्यक्रम में प्रमुख रुप त्रिकाल पीठ के शंकराचार्य साध्वी भवंता सरस्वती,उत्तराखण्ड के सद्गुरु देवब्रत महाराज,भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री सौरभ चौधरी,,भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष एवम पूर्व महापौर रविन्द्र गुप्ता,पूर्व महापौर सरिता चौधरी,आलोक कार्यक्रम में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और सांसद मनोज तिवारी को भी आना था, लेकिन अति व्यस्तता के चलते वे नहीं आ सके।
प्रो अवनीश निदेशक राष्ट्रीय हिंदी संस्थान, विमल दुबे महानिदेशक सुगर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया,स्वर्ण भारत परिवार की ट्रस्टी अंजू मिश्र,उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी की सदस्य जगनैंन सिंह नीटू,ज्योतिषीचार्य नमिता,गीता पाण्डेय। रेनुकोट,शिखा सिंह अलवर राजस्थान आदि सैकड़ो गणमान्य की शानदार उपस्थिति ने समारोह में चार चांद लगा दिया। इसके लिए धराधाम परिवार के रत्नाकर त्रिपाठी,डॉ सतीशचन्द्र शुक्ला,राजीव रंजन तिवारी,सोमनाथ पाण्डेय,गौतम पाण्डेय ,प्रेस विटर इंचार्ज संजय विन्सेन्ट, रीना विन्सेन्ट,गुरुद्वारा सभा जटाशंकर गोरखपुर के अध्यक्ष जसपाल सिंह,राष्ट्रपति पदक सम्मानित शिक्षाविद गोरखलाल श्रीवास्तव, शहर ये काजी वलीउल्लाह खान,संदीप त्रिपाठी, अच्छेलाल पहलवान,एन अंसारी,आशुतोष शुक्ल,आदि लोगो ने बधाई दी है।


कल्याण भारती ने चलाया स्वच्छता-अभियान

बागपत,बडौत ! कल्याण भारती सेवा संस्थान के द्वारा कांवड़ सेवा हेतु मौसमी रस सेवा का आयोजन बड़ौत नगर के शिव चोंक, रेलवे रोड से किया गया सेवा कार्यक्रम के शुभारंभ हेतु शिव पूजन पंडित अवधेश प्रसाद मिश्र ने विधिवत सम्पन कराया।
कार्यक्रम का संचलन करते हुये संस्थान के प्रबन्ध निदेशक गोपी चन्द सैनी ने कहा कि कांवड़ सेवा हेतु यह सेवा नगर  के मुख्य मार्गो पर चलाई जायेगी ! जिसमें स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हुये लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जायेगा, और कूड़ेदान के प्रयोग के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया जायेगा। कार्यक्रम में उपस्थित व्यक्ति- प्रेमचंद सैनी, ओमदत्त शर्मा, प्रमोद कुमार, विनित कुमार, रवि कुमार, आदि ने कार्यक्रम में भाग लिया।


पर्यावरण-संरक्षण रैली का आयोजन

पर्यावरण जागरूकता एवं संरक्षण रैली का आयोजन किया गया


अलवर,गोविंदगढ़ ! पंचवटी परिवार एवं जेपीएस स्कूल गोविंदगढ़ की ओर से पर्यावरण जागरूकता रैली निकाली गई जिसमें स्कूल में के सभी विद्यार्थियों ने रैली तैयार कर लोगों को जागरूक करने के लिए नारे लगाए! जागरूकता रैली को एसडीएम अनिल सिंघल ने हरी झंडी देकर पेट्रोल पंप से रवाना किया रैली गोविंदगढ़ की गलियों से होकर राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय गोविंदगढ़ पहुंची जहां पर वृक्षारोपण किया गया एवं पर्यावरण की मानव श्रंखला बनाकर रैली का समापन किया गया!


वहीं विद्यार्थियों द्वारा राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय गोविंदगढ़ परिषर में पौधरोपण किया इस दौरान बच्चों ने पौधों के वृक्ष बनने तक उनकी देखभाल करने का भी संकल्प लिया।लक्ष्मणगढ़ उपखंड अधिकारी अनिल सिंघल ने कहा कि पौधरोपण पुण्य का कार्य है। इसमें सभी की भागीदारी होनी चाहिए। हम सभी को पौधरोपण तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। इन पौधों की देखभाल तब तक करनी चाहिए, जब तक वह वृक्ष का रूप धारण न कर ले। जब तक हम इनकी देखभाल नहीं करेंगे तब तक यह हमारे लिए किसी भी प्रकार से लाभदायक नहीं हो सकते। पौधों में परमात्मा का वास होता है। उनमें संजीवनी शक्ति होती है।इस मौके पर गोविंदगढ़ तहसीलदार हेमेंद्र गोयल, संयोजक पंचवटी परिवार प्रभु दयाल गोयल, गोविंदगढ़ सरपंच नीरज गर्ग, शक्तिधर भारद्वाज, सुखवंत सिंह,गंगाप्रसाद यादव, जेपीएस स्कूल के निदेशक सुनील भारद्वाज, मत्स्य कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट के निदेशक नीरज भारद्वाज, ओमदीप गुप्ता, लाखन सौलंकी, अन्य गणमान्य नागरिक व समस्त स्कूल स्टाफ सहित छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।


योगेंद्र द्विवेदी


परिजनों के अनुसार कार्य करें:मीन

राशिफल


मेष राशि(Aries)-आज का दिन अच्छा रहेगा। आय में वृद्धि होगी। अपरिचित व्यक्ति पर अधिक भरोसा ना करे।अटका हुआ धन वापिस मिलेगा ।अपने बच्चों के भविष्य बारे सोचे।बुज्र्गॉ की सेवा करके अच्छा फल प्राप्त करें।अच्छी-खासी सेहत के लिये रोजाना व्यायाम जरुरी है।मेहनत करोगे तो सफलता अवश्य मिलेगी।


2 -वृषराशि(tauras)- परिवार के साथ समय अच्छा गुजरेंगा।बच्चो के भविष्य बारे उचित सोचे।आज आपका कोई नजदीकी रिश्तेदार आपकी मदद करेगें।यात्रा का योग नहीँ बन रहा हैं।लड़ाई झगड़े से बचने की कोशिश करे।हमेशा सादा जीवन उच्च विचार अपनाये परिवार को विश्वास में रखने के लिये सावधानी बरतनी चाहिए।
3 -मिथुन राशि (gemini)-आपके विचार स्करातमकहो।नकारात्मक ना सोचे।आज गरीबों की मदद करके परमार्थ कमाइए।धार्मिक कार्यों मे रूचि बढाये।ब्च्चॉ के भविष्य पर गौर करें और उनकी पढाई पर विशेष ध्यान दें।आज यात्रा का योग सुभ होगा।मन में शान्ति के लिये मन्दिर में अवश्य जाये।सच्चाई का मार्ग अपनाए।


4-कर्क राशि ( cancer)-आज अचानक धनलाभ का योग है।कोई पुराना मित्र आपके कारोबार मे आपकी मदद करेगा।आपकी पुत्री के लिये अच्छा रिश्ता आएगा।माता पिता की सेवा करना आपका धर्म है इसे पूरी तरह से निभाए।आज कारोबार में धन लाभ होगा।
5सिंह राशि(leo)- आज कुछ ऐसा होगा जिससे आपको सफलता प्राप्त होगी।धनलाभ का योग है।अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।अपनो से बिना बात पर नाराजगी ठीक नहीं।।बुजुर्गो की सेवा करना आपका कर्तव्य है।दायित्व निभाए!
6कन्या राशि( virgo)-आज का दिन भाग्यशाली होगा।मनचाहा कार्य सफल होगा।अटका हुआ धन मिलने के योग हैं।अपने माता पिता की सेवा करना अपका फर्ज है।आपके पुत्र को सरकारी नौकरी मिलने का योग है।सुबह की सैर अवश्य करें।नियमितताअपनाए!


7-तुला राशि (libra)- किसी अनजान व्यक्ति से दुरी बनाएँ रखना उचित होगा।धनलाभ की प्राप्ति होगी।अपने व्यवसाय की सफलता के राज अपने निजी व्यक्ति को ही बताए।अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।रोजाना कसरत या व्यायाम करना जरुरी है।
8वृश्चिक राशि(scorpion)-आपका व्यवहार अन्य लोगों के लिये आदर्श साबित होगा।दूर स्थान की यात्रा लाभदायक सिद्ध होगी।आज पुराने मित्रों से मुलाकत अच्छी-खासी लाभकारी होगी।गरीब रिश्तेदारों की मदद अवश्य करें।
9धनु राशि(Sagittarius)- अधूरे कार्य पूरे करे।रिश्तेदारों से अच्छा व्यवहार करे कोशिश करें कि आप उन्हें नाराज ना करे।आज यात्रा टालना आपके लिए हितकारी होगा।धन लाभ का योग है। अचानक अटका हुआ धन वापस मिलेगा।
10मकर राशि(capricon)-आपका व्यवहार सबके साथ मीठा और सौहार्दपूर्ण होना चाहिये।रेगुलर स्वास्थ्य की जांच अति आवश्यक है डाक्टर की सलाह की पालना अवश्य करें।मेहनत करोगे तो सफलता अवश्य मिलेगी।सबको साथ लेकर चलने की आदत बनाये।
11कुम्भ राशि(Aquarius)-सबसे मीठा और अच्छा व्यवहार करे।धनलाभ का योग है।नया कार्य शुरू करने से पहले विचार विमर्श करे।परिवार के साथ अच्छा विजेट का प्रोग्राम बनाये।सादा जीवन उच्च विचार अपनाये अनुभवी व्यक्तियों की सलाह अनुसार कार्य करे।सेहत के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।
12-मीन राशि ( pisces)-अपने माता-पिता की सेवा करना अपका दायित्व है।अपने ब्च्चॉ के भविष्य बारे कदम उठायें।परिवार के बुजर्ग की अनुमति अनुसार कार्य करे।आपकी बेटी के लिये अच्छा वर योग है विवाह की तैयारियाँ शीघ्र करे।धनलाभ का योग है।माता पिता की सैर अवश्य करें ।


बरसाती जल संचयन प्रणाली (प्रयोग)

 वर्षा के जल को किसी खास माध्यम से संचय करने या इकट्ठा करने की प्रक्रिया को कहा जाता है। विश्व भर में पेयजल की कमी एक संकट बनती जा रही है। इसका कारण पृथ्वी के जलस्तर का लगातार नीचे जाना भी है। इसके लिये अधिशेष मानसून अपवाह जो बहकर सागर में मिल जाता है, उसका संचयन और पुनर्भरण किया जाना आवश्यक है, ताकि भूजल संसाधनों का संवर्धन हो पाये। अकेले भारत में ही व्यवहार्य भूजल भण्डारण का आकलन २१४ बिलियन घन मी. (बीसीएम) के रूप में किया गया है जिसमें से १६० बीसीएम की पुन: प्राप्ति हो सकती है। इस समस्या का एक समाधान जल संचयन है। पशुओं के पीने के पानी की उपलब्धता, फसलों की सिंचाई के विकल्प के रूप में जल संचयन प्रणाली को विश्वव्यापी तौर पर अपनाया जा रहा है। जल संचयन प्रणाली उन स्थानों के लिए उचित है, जहां प्रतिवर्ष न्यूनतम २०० मिमी वर्षा होती हो। इस प्रणाली का खर्च ४०० वर्ग इकाई में नया घर बनाते समय लगभग बारह से पंद्रह सौ रुपए मात्र तक आता है।


उपयोग-संचयन के तरीके


पहाड़ियों में जल संचयन की प्रणाली का आरेख
शहरी क्षेत्रों में वर्षा के जल को संचित करने के लिए बहुत सी संचनाओं का प्रयोग किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्र में वर्षा जल का संचयन वाटर शेड को एक इकाई के रूप लेकर करते हैं। आमतौर पर सतही फैलाव तकनीक अपनाई जाती है क्योंकि ऐसी प्रणाली के लिए जगह प्रचुरता में उपलब्ध होती है तथा पुनर्भरित जल की मात्रा भी अधिक होती है। ढलान, नदियों व नालों के माध्यम से व्यर्थ जा रहे जल को बचाने के लिए इन तकनीकों को अपनाया जा सकता है। गली प्लग, परिरेखा बांध (कंटूर बंड), गेबियन संरचना, परिस्त्रवण टैंक (परकोलेशन टैंक), चैक बांध,सीमेन्ट प्लग,नाला बंड, पुनर्भरण शाफ्‌ट, कूप डग वैल पुनर्भरण, भूमि जल बांध,उपसतही डाईक, आदि। ग्रामीण क्षेत्रों में छत से प्राप्त वर्षाजल से उत्पन्न अप्रवाह संचित करने के लिए भी बहुत सी संरचनाओं का प्रयोग किया जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में इमारतों की छत, पक्के व कच्चे क्ष्रेत्रों से प्राप्त वर्षा जल व्यर्थ चला जाता है। यह जल जलभृतों में पुनर्भरित किया जा सकता है व ज़रूरत के समय लाभकारी ढंग से प्रयोग में लाया जा सकता है। वर्षा जल संचयन की प्रणाली को इस तरीके से अभिकल्पित किया जाना चाहिए कि यह संचयन,इकट्‌ठा करने व पुनर्भरण प्रणाली के लिए ज्यादा जगह न घेरे। शहरी क्षेत्रों में छत से प्राप्त वर्षा जल का भण्डारण करने की कुछ तकनीके इस प्रकार से हैं पुनर्भरण पिट (गड्ढा), पुनर्भरण खाई, नलकूप और पुनर्भरण कूप, आदि।


आकाशीय बिजली (परिभाषा-वर्गीकरण)

कपासीवर्षी मेघों में उत्पन्न होती है। इन मेघों में अत्यंत प्रबल ऊर्ध्वगामी पवनधाराएँ चलती हैं, जो लगभग ४०,००० फुट की ऊँचाई तक पहुँचती हैं। इनमें कुछ ऐसी क्रियाएँ होती हैं जिनके कारण इनमें विद्युत्‌ आवेशों की उत्पत्ति तथा वियोजन होता रहता है।


इन क्रियाओं के स्पष्टीकरण के लिए विल्सन, सिंपसन, सक्रेज  आदि ने अपने सिद्धांत प्रस्तुत किए हैं, जो परस्पर विरोधी जान पड़ते हैं, किंतु इतना तो सभी बतलाते हैं कि तड़ित की जननप्रक्रिया मेघों में होती है और इसके लिये उन मेघों में विद्यमान जलसीकर, अथवा हिमकण आदि अवक्षेपण, ही उत्तरदायी होते हैं। बादलों में विद्युद्वितरण के संबंध में भी सभी एकमत हैं कि इनके ऊपरी स्तर धनाविष्ट तथा मध्य और निम्नस्तर ऋणाविष्टि होतें हैं। इन आवेशों का विभाजन मेघों के अंदर शून्य डिग्री सें० तापवाले स्तरों के भी काफी ऊपर होता है। इससे यह निष्कर्ष सहज ही प्राप्त होता है कि आवेशविभाजन मेघों में बननेवाले हिमकणों तथा ऊर्ध्वगामी पवनधाराओं से ही होता है, जल की बूँदों से नहीं। कभी-कभी निम्न स्तर में भी कहीं-कहीं धनावेशों का एक केंद्र सा बन जाता है।


बादलों के निम्न स्तरों पर ऋणवेश उत्पन्न हो जाने के कारण नीचे पृथ्वी के तल पर प्रेरण द्वारा धनावेश उत्पन्न हो जाते हैं। बादलों के आगे बढ़ने के साथ ही पृथ्वी पर के ये धनावेश भी ठीक उसी प्रकार आगे बढ़ते जाते हैं। ऋणावेशों के द्वारा आकर्षित होकर भूतल के धनावेश पृथ्वी पर खड़ी सुचालक या अर्धचालक वस्तुओं पर ऊपर तक चढ़ जाते हैं। इस विधि से जब मेघों का विद्युतीकरण इस सीमा तक पहुँच जाता है कि पड़ोसी आवेशकेंद्रों के बीच विभव प्रवणता विभंग मान तक पहुँच जाती है, तब विद्युत्‌ का विसर्जन दीर्घ स्फुलिंग के रूप में होता है। इसे तड़ित कहते हैं। पृथ्वी की ओर आनेवाली तड़ित कई क्रमों में होकर पहुँचती है। बादलों से इलेक्ट्रानों का एक हिल्लोल १ माइक्रो सेकंड (1x10E-६ सेकंड) में ५० मीटर नीचे आता है और रुक जाता है। लगभग ५० मा० से० के पश्चात्‌ दूसरा क्रम आरंभ होता है और इसी प्रकार कई क्रमों में होकर अंत में यह तरंग पृथ्वी तक पहुँचती है। इसे प्रमुख आघात कहते हैं। अपने उद्गमस्थल से पृथ्वी तक पहुँचने में इसे कुल ०.००२ सेकंड तक का समय लगता है।


उपर्युक्त तथ्य शॉनलैंड तथा उनके सहयोगियों द्वारा अत्यंत सुग्राही कैमरे की सहायता से लिए गए फोटो चित्र से प्रकट हुए थे। उसी फोटो पट्टिका पर यह भी दिखलाई पड़ा कि प्रमुख क्रम के पृथ्वी पर पहुँचने के क्षण ही एक अत्यंत तीक्षण ज्योति पृथ्वी से मेघों की ओर उन्हीं क्रमों में होकर गई जिनसे होकर प्रमुख क्रम आया था। इसे प्रतिगामी आपात कहते हैं। जहाँ प्रमुख क्रम का औसत वेग १०५ मीटर प्रति सेकंड होता है वहीं प्रतिगामी आधात का वेग १०७ मीटर प्रति सेकंड होता है, क्योंकि उसका मार्ग पहले से ही आयनित होने के कारण प्रशस्त रहता है।उपर्युक्त प्रमुख और प्रतिगामी आघातों के बाद भी कई आघात क्रमश:- नीचे और ऊपर की ओर आते-जाते दिखलाई पड़ते हैं। ये द्वितीयक आघात कहलाते हैं। नीचे आनेवाले ये द्वितीयक आघत प्रमुख आघात की भाँति क्रमों में नहीं आते।


शिवा स्वरूप सती की अराधना (शिव-महापुराण)

सती दक्ष प्रजापति की पुत्री और भगवान शिव की पत्नी थी। इनकी उत्पत्ति तथा अंत की कथा विभिन्न पुराणों में विभिन्न रूपों में उपलब्ध होती है।


शैव पुराणों में भगवान शिव की प्रधानता के कारण शिव को परम तत्त्व तथा शक्ति (शिवा) को उनकी अनुगामिनी बताया गया है। इसी के समानांतर शाक्त पुराणों में शक्ति की प्रधानता होने के कारण शक्ति (शिवा) को परमशक्ति (परम तत्त्व) तथा भगवान शिव को उनका अनुगामी बताया गया है।श्रीमद्भागवतमहापुराण में अपेक्षाकृत तटस्थ वर्णन है। इसमें दक्ष की स्वायम्भुव मनु की पुत्री प्रसूति के गर्भ से 16 कन्याओं के जन्म की बात कही गयी है। देवीपुराण (महाभागवत) में 14 कन्याओं का उल्लेख हुआ है तथा शिवपुराण में दक्ष की साठ कन्याओं का उल्लेख हुआ है जिनमें से 27 का विवाह चंद्रमा से हुआ था।इन कन्याओं में एक सती भी थी। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्मा जी को भगवान शिव के विवाह की चिंता हुई तो उन्होंने भगवान विष्णु की स्तुति की और विष्णु जी ने प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी को बताया कि यदि भगवान शिव का विवाह करवाना है तो देवी शिवा की आराधना कीजिए। उन्होंने बताया कि दक्ष से कहिए कि वह भगवती शिवा की तपस्या करें और उन्हें प्रसन्न करके अपनी पुत्री होने का वरदान मांगे। यदि देवी शिवा प्रसन्न हो जाएगी तो सारे काम सफल हो जाएंगे। उनके कथनानुसार ब्रह्मा जी ने दक्ष से भगवती शिवा की तपस्या करने को कहा और प्रजापति दक्ष ने देवी शिवा की घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवा ने उन्हें वरदान दिया कि मैं आप की पुत्री के रूप में जन्म लूंगी। मैं तो सभी जन्मों में भगवान शिव की दासी हूँ; अतः मैं स्वयं भगवान शिव की तपस्या करके उन्हें प्रसन्न करूँगी और उनकी पत्नी बनूँगी। साथ ही उन्होंने दक्ष से यह भी कहा कि जब आपका आदर मेरे प्रति कम हो जाएगा तब उसी समय मैं अपने शरीर को त्याग दूंगी, अपने स्वरूप में लीन हो जाऊँगी अथवा दूसरा शरीर धारण कर लूँगी। प्रत्येक सर्ग या कल्प के लिए दक्ष को उन्होंने यह वरदान दे दिया।तदनुसार भगवती शिवा सती के नाम से दक्ष की पुत्री के रूप में जन्म लेती है और घोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न करती है तथा भगवान शिव से उनका विवाह होता है। इसके बाद की कथा श्रीमद्भागवतमहापुराण में वर्णित कथा के काफी हद तक अनुरूप ही है।


प्रयाग में प्रजापतियों के एक यज्ञ में दक्ष के पधारने पर सभी देवतागण खड़े होकर उन्हें आदर देते हैं परंतु ब्रह्मा जी के साथ शिवजी भी बैठे ही रह जाते हैं। लौकिक बुद्धि से भगवान शिव को अपना जामाता अर्थात पुत्र समान मानने के कारण दक्ष उनके खड़े न होकर अपने प्रति आदर प्रकट न करने के कारण अपना अपमान महसूस करता है और इसी कारण उन्होंने भगवान शिव के प्रति अनेक कटूक्तियों का प्रयोग करते हुए उन्हें यज्ञ भाग से वंचित होने का शाप दे दिया। इसी के बाद दक्ष और भगवान शिव में मनोमालिन्य उत्पन्न हो गया। तत्पश्चात अपनी राजधानी कनखल में दक्ष के द्वारा एक विराट यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें उन्होंने न तो भगवान शिव को आमंत्रित किया और न ही अपनी पुत्री सती को। सती ने रोहिणी को चंद्रमा के साथ विमान से जाते देखा और सखी के द्वारा यह पता चलने पर कि वे लोग उन्हीं के पिता दक्ष के विराट यज्ञ में भाग लेने जा रहे हैं, सती का मन भी वहाँ जाने को व्याकुल हो गया। भगवान शिव के समझाने के बावजूद सती की व्याकुलता बनी रही और भगवान शिव ने अपने गणों के साथ उन्हें वहाँ जाने की आज्ञा दे दी। परंतु वहाँ जाकर भगवान शिव का यज्ञ-भाग न देखकर सती ने घोर आपत्ति जतायी और दक्ष के द्वारा अपने (सती के) तथा उनके पति भगवान शिव के प्रति भी घोर अपमानजनक बातें कहने के कारण सती ने योगाग्नि से अपने शरीर को भस्म कर डाला। शिवगणों के द्वारा उत्पात मचाये जाने पर भृगु ऋषि ने दक्षिणाग्नि में आहुति दी और उससे उत्पन्न ऋभु नामक देवताओं ने शिवगणों को भगा दिया। इस समाचार से अत्यंत कुपित भगवान शिव ने अपनी जटा से वीरभद्र को उत्पन्न किया और वीरभद्र ने गण सहित जाकर दक्ष यज्ञ का विध्वंस कर डाला; शिव के विरोधी देवताओं तथा ऋषियों को यथायोग्य दंड दिया तथा दक्ष के सिर को काट कर हवन कुंड में जला डाला। तत्पश्चात देवताओं सहित ब्रह्मा जी के द्वारा स्तुति किए जाने से प्रसन्न भगवान शिव ने पुनः यज्ञ में हुई क्षतियों की पूर्ति की तथा दक्ष का सिर जल जाने के कारण बकरे का सिर जुड़वा कर उन्हें भी जीवित कर दिया। फिर उनके अनुग्रह से यज्ञ पूर्ण हुआ।


कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप

कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप  दुष्यंत टीकम  जशपुर/पत्थलगांव। जशपुर जिले के एक गांव में कुएं में नवजात शिशु का शव मिला है। इससे...