गुरुवार, 25 जुलाई 2019

स्मार्ट सिटी पर कार्रवाई आगे बढ़ी


स्मार्ट सिटी के कामों में ढिलाई पर संसद में चिंता जताई तो अजमेर में अफसरों ने कहा-तेजी से हो रहा है काम।  12 करोड़ रुपए तो कंसलटेंसी के देंगे।

 अजमेर ! अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी ने संसद में स्मार्ट सिटी के कार्यों में ढिलाई और लापरवाही बरतने को लेकर केन्द्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया तो दोहपर को ही जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा और नगर निगम की आयुक्त सुश्री चिन्मयी गोपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अब स्मार्ट सिटी के काम तेजी से हो रहे हैं। असल में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट का सारा पैसा भारत सरकार दे रही है, इसलिए सांसद ने केन्द्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। इस समय में राज्य में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए स्मार्ट सिटी के कामों में संबंधित अधिकारी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। अधिकारियों ने पूर्व में स्वीकृत कामों में बदलाव भी कर दिया है।  यानि अब स्मार्ट सिटी में वो ही काम होंगे, जिन्हें कांग्रेस सरकार चाहेगी। ऐसा नहीं कि इन कामों में कांग्रेस सरकार में ही ढिलाई हुई है, भाजपा सरकार के समय भी स्मार्ट सिटी के कामों ने गति नहीं पकड़ी। जिन कामों के टेंडर तक जारी हो गए उन्हें भी शुरू नहीं किया जा सका। ऐलिवेटेड रोड को 31 मार्च 2020 तक बन जाना चाहिए था, लेकिन अभी शुरुआती दौर में ही है। अब दो वर्ष और लगेंगे या तीन वर्ष कहा नहीं जा सकता। राजनीतिक दलों के नेता यही दावा करते हैं कि विकास में राजनीति नहीं होती, लेकिन स्मार्ट सिटी के कामों को लेकर खुलेआम राजनीति हो रही है। प्रशासन के अधिकारी वो ही काम करते हैं जो कांग्रेस के नेता कहते हैं। 
कंसलटेंसी के 12 करोड़ रुपए:
स्मार्ट सिटी के काम कैसे होंगे, इस कार्य का भी ठेका दिया गया है। संबंधित विदेशी फर्म को अगले दो वर्ष में 12 करोड़ 40 लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। प्रशासन ने स्मार्ट सिटी के 65 कार्य चिह्नित किए हैं। इन पर 1039 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। एजिस इंडिया कंसलटेंसी इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ही बताएगी कि कार्य कैसे होंगे। हालांकि प्रशासन के पास इंजीनियरों की फौज है, लेकिन सरकारी इंजीनियर्स इतने काबिल नहीं कि स्मार्ट सिटी के काम करवा सकें। यदि स्मार्ट सिटी के कामों में कौताही बरती गई तो केन्द्र सरकार भी धनराशि देने में कटौती कर सकती है।
एस.पी.मित्तल


कुरान में भी तीन तलाक का उल्लेख नहीं


कुरान शरीफ में भी एक साथ तीन तलाक का उल्लेख नहीं। 
बीस मुस्लिम देशों में प्रतिबंध तो फिर भारत में विरोध क्यों?
तीन संशोधन के साथ लोकसभा में बिल पेश।



 नई दिल्ली ! तीन बड़े संशोधन के साथ तीन तलाक का बिल लोकसभा में पेश कर दिया है। लेकिन इसके साथ ही कांग्रेस, सपा, बसपा, टीएमसी, जेडीयू आदि ने इस बिल का विरोध किया है। केन्द्रीय विधि एवं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल को प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह बिल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप प्रस्तुत किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि एक साथ तीन तलाक कहना मुस्लिम धर्म की भावनाओं के विपरीत है। इसलिए बीस मुस्लिम देशों में तीन तलाक  को प्रतिबंध किया गया है। मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में 575 घरेलू हिंसा के मामले सामने आए इनमें से 345 तीन तलाक के मामले हैं। इससे साफ जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी तीन तलाक की घटनाएं नहीं रुक रही हैं। मुस्लिम समाज में छोटी छोटी बातों पर पत्नी को एक साथ तीन तलाक कह कर छोड़ा जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट का आदेश घर में टांगने के लिए है। हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप ही बिल तैयार किया है। उन्होंने कहा कि पूर्व में प्रस्तुत बिल पर तीन प्रमुख आपत्ति जताई गई थी। इस नए बिल में तीनों आपत्तियों का समाधान कर दिया गया है। अब पुलिस में रिपोर्ट पीडि़ता स्वयं दर्ज कराए या फिर उसके परिवार का कोई सदस्य। इसी प्रकार पीडि़ता को सुनने के बाद अदालत पति को जमानत दे सकती है। इस बिल में समझौते की गुंजाइश भी रखी गई है। उन्होंने कहा कि इस बिल को राजनीति और धर्म के चश्में से नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि यह बिल नारी की गरिमा और सम्मान जुड़ा हुआ है। बिल के प्रस्तुत होने के साथ ही कांग्रेस और विपक्षी दलों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। बिल को मुस्लिम धर्म में हस्तक्षेप माना जा रहा है। जबकि जानकारों का कहना है कि कुरान शरीफ में भी एक साथ तीन तलाक कहकर पत्नी को छोडऩे का कोई उल्लेख नहीं है। कुरान में तलाक की जो प्रक्रिया बता रखी है उसमें तीन माह में तीन बार तलाक कहने पर ही पत्नी को छोड़ा जा सकता है। एक माह में एक बार तलाक कहना होगा। यह प्रक्रिया इसलिए निर्धारित की है यदि कोई शौहर गुस्से में एक बार तलाक कह दे तो उसे दूसरे माह अपनी गलती सुधारने का अवसर भी मिलता है। तीसरे माह में समझौते की गुंजाइश भी बनी रहती है, लेकिन अब एक साथ तीन तलाक कहकर पत्नी को छोडऩे के मामले उजागर हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में तो वाट्सएप और पोस्टकार्ड पर तीन बार तलाक लिखकर पत्नी को छोड़ा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि एनडीए के पहले कार्यकाल में लोकसभा से तीन तलाक का बिल पास हो चुका था, लेकिन राज्यसभा में बहुमत नहीं होने की वजह से यह बिल राज्यसभा में पास नहीं हो सका। इसलिए बिल कानून नहीं बन सका। लेकिन अब भाजपा और उसके सहयोगी दलों को उम्मीद है कि राज्यसभा से भी बिल पास हो जाएगा। हालांकि भाजपा की गठबंधन सरकार को समर्थन देने वाले जेडयू ने बिल का विरोध किया है।
एस.पी.मित्तल


नगर-निगम के एक बड़े घोटाले का खुलासा

 फाइलों में काम कर रहे थे निगम के 104 माली,वेतन दिया 75 लाख



गाजियाबाद। नगर निगम में मालियों की तैनाती में बड़ा घोटाला सामने आया है। निगम के उद्यान विभाग में 104 माली बीते आठ माह से सिर्फ फाइलों में काम कर रहे हैं। न इन मालियों ने कभी निगम के पार्क देखे और न ही स्थानीय लोगों ने इन मालियों को देखा, बावजूद इसके नगर निगम ने इन्हें 75 लाख का भुगतान कर दिया। फर्जीवाड़ा करके हर माह प्रत्येक माली के नाम पर 9430 रुपये का भुगतान किया गया है। महापौर आशा शर्मा ने इस मामले में लिखित में जवाब मांगा तो अधिकारी उन्हें भी गोलमोल जवाब देकर घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं।
नगर निगम ने नवंबर 2018 में शहर के पार्कों की मेंटेनेंस के लिए 104 मालियों की तैनाती आउटसोर्सिंग पर की थी। इन मालियों को पांचों जोन में भेजा जाना था। लेकिन यह तैनाती सिर्फ कागजों में हुई। नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह भी जानने का प्रयास नहीं किया कि जिन मालियों को तैनाती दी गई है, वह काम पर पहुंचे भी है या नहीं। निगम सूत्रों की मानें तो निगम के उद्यान विभाग में तैनात कुछ कर्मचारियों ने आपस में मिलीभगत कर यह घोटाला कर लिया। हर महीने इन कर्मचारियों के नाम पर 9.80 लाख रुपये इनके वेतन के नाम पर हड़प लिए गए। इस रकम की बंदरबांट नीचे से ऊपर तक होता था। महापौर आशा शर्मा ने मामला पकड़ा तो अधिकारियों से जवाब तलब किया। अब नगर निगम में हड़कंप मचा हुआ है।
ऐसे किया गया घोटाला
निगम सूत्रों के मुताबिक उद्यान विभाग में तैनात कुछ कर्मचारियों ने नए 104 कर्मचारियों की तैनाती के नाम पर अपने कुछ परिचितों का डाटा निगम में दे दिया। इनके खाते नंबर भी निगम में दिए गए। नगर निगम ने वेतन का भुगतान भी उनके खातों में आरटीजीएस के माध्यम से किया। यानी अगर जांच हुई तो पूरे घोटाले की परतें खुल जाएंगी।
ऐसे खुला घोटाला
पूर्व में नगर निगम में आउटसोर्सिंग पर कर्मचारियों की तैनाती निजी फर्मों द्वारा की जाती थी। यह फर्म संचालक निगम अधिकारियों और कर्मचारियों से सांठगांठ कर लेते थे। अब शासन ने शहरी आजीविका मिशन के तहत एक संस्था को नामित कर दिया है। पूर्व में आउटसोर्सिंग पर तैनात कर्मचारियों का पंजीकरण अब इस संस्था के अंतर्गत किया जा रहा है। संस्था ने तैनात कर्मचारियों का क्रॉस वेरिफिकेशन किया तो 104 कर्मचारी गायब मिले। इससे घोटाला पकड़ा गया।
कोट
कर्मचारियों की तैनाती के नाम पर बड़ा घोटाला किया जा रहा है। गोपनीय शिकायत मिलने पर वर्तमान महापौर स्तर पर पड़ताल कराई गई तो मामला सही पाया गया। अधिकारियों से इस पर जवाब मांगा गया है, लेकिन अभी तक स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। इसकी शिकायत शासन को भेजी जाएगी।


28 लाख रोजगार के अवसर दिए:मुख्यमंत्री


सरकार ने पिछले दो सालों में 28 लाख रोजगार के अवसर पैदा किए,सीएम योगी


 


लखनऊ ! मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उनकी सरकार ने पिछले दो सालों में 28 लाख रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। जनता ने विकास की लाज को बचाए रखा। जनता ने साफ कर दिया कि जो विकास नहीं करेगा, उसके साथ जनता नहीं होगी। उसे झूठी घोषणाओं, नारों, धरने, प्रदर्शन और राजनीति से मतलब नहीं है। उसे विकास पसंद है। जनता ने लोकलाज से लोकतंत्र को स्थापित किया है। 


मुख्यमंत्री ने बुधवार को विधानसभा में अनुपूरक बजट पर चर्चा में यह बातें कहीं। मुख्यमंत्री ने एक शेर 'चिराग जिसे आंधियों ने पाला हो, उसे हवा के झोंके बुझा नहीं सकते, पढ़ कर अपनी सरकार की हौसला अफजाई की। जनता ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को 80 में से 64 सीटें दिलाईं। उन्होंने कहा कि राज्य को विकास के पथ पर ले जाने के लिए किसी भी तरह की धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा लोकसभा में तीन तलाक का प्रस्ताव आने से काफी पहले ही उत्तर प्रदेश में महागठबंधन का तलाक हो चुका है।


बुंदेलखंड एक्सप्रेस- वे का शिलान्यास दो महीने


बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का शिलान्यास दो से ढाई महीने में कर दिया जाएगा। इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा है। इस एक्सप्रेस वे के दोनों ओर औद्योगिक गलियारा विकसित होगा। इसके साथ ही डिफेंस कारीडोर को भी इस एक्सप्रेस वे से खासा फायदा होगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे अगस्त 2020 तक चालू हो जाएगा।


विकास भवन में बहता विकास:कानपुर

 


कानपुर । विकास भवन एक ऐसा नाम जो शहर के विकास का कार्य करता है लेकिन जब वो विभाग ही विकास के लिए तड़प रहा हो तो शहर का क्या हाल होगा।
हम बात कर रहे है अपने शहर कानपुर के विकास भवन की जहां से शहर के विकास के लिए रणनीति व कार्य योजना तैयार की जाती है! वहीं ये भवन बिना कार्ययोजना के हुए कार्य से विकास होते हुए भी जल भराव से ग्रसित है । अब यही से अंदाजा लगाया जा सकता है !जहाँ शहर का आला अधिकारी बैठता हो तथा अन्य अधिकारी का आवागमन होता हो तो उस के बावजूद विकास भवन अपनी कहानी कह रहा है! दूसरी तरफ अधिकारी क्लीन कानपुर, ग्रीन कानपुर की बात कर रहे है! वही विकास करने वाला विकास भवन में बजबजाती नाली बहते नाले रोड पर भरा पानी मानो जैसे किसी मलिन बस्ती में आ गए है।
नाम ना बताने की शर्त पर वहां के कर्मचारी ने बताया यहाँ पानी निकासी की कोई व्यवस्था नही है! अगर एक बार बारिश का पानी भर जाए तो महीनों पानी नही निकलता ! अगर बारिश के मौसम की बात करे तो मानो जैसे तालाब के किनारे भवन बना हुआ है !आलाअधिकारी जैसे आंखों पर पट्टी बांध लिया है।


शाह मोहम्मद


भारत का पहला गोब्रेज कैफे होगा:अंबिकापुर

प्लास्टिक कचरा लाएं और भरपेट खाना खाएं


अंबिकापुर ! आपने शानदार खाना परोसने वाले कई बेहतरीन कैफे के बारे में सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी कचरा कैफे का नाम सुना है? नाम पर न जाएं क्योंकि यहां भी खाना ही मिलेगा। लेकिन पैसों से नहीं बल्कि प्लास्टिक कचरे के बदले।


दरअसल छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर में प्लास्टिक के कचरे से निबटने और गरीब लोगों का पेट भरने के लिए एक पहल शुरू की गई है। ये कैफे जल्दी ही अंबिकापुर नगर निगम द्वारा खोला जाना है।ये अपने आप में भारत का पहला गार्बेज कैफे होगा। यहां लोग घर में बेकार पड़ा प्लास्टिक का कचरा दे सकेंगे और इसके बदले में कचरे के वजन के बराबर खाना खा सकेंगे। ये कैफे अंबिकापुर नगर निगम शहर के मुख्य बस स्टैंड पर खोला जाएगा। वहीं सड़क पर प्लास्टिक का कचरा बीनने वालों को एक किलो प्लास्टिक के बदले में मुफ्त भोजन दिया जाएगा। वहीं आधा किलो प्लास्टिक के बदले में नाश्ता दिया जाएगा।


वीवीआईपी सुरक्षा से हटाए 1300 कमांडो

वीवीआईपी सुरक्षा से हटाए गए 1300 कमांडो


नई दिल्ली ! केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 350 वीआईपी की सुरक्षा में लगे एनएसजी कमांडो समेत 1,300 सुरक्षाकर्मियों को हटा लिया है। सुरक्षा में हुई इस कटौती में सभी दलों के नेता शामिल हैं। इस फैसले के तहत कुछ नेताओं की सुरक्षा में कटौती की गई है, जबकि कुछ की सुरक्षा कवर सेंट्रल लिस्ट से हटा दी गई है। इन 1,300 जवानों में अधिकतर विशेष रूप से प्रशिक्षित सीआईएसएफ, सीआरपीएफ और हाइ-प्रोफाइल एंटी-टेरर फोर्स एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो शामिल हैं।


जिन नेताओं की केंद्रीय सुरक्षा में कटौती की गई है या घटाई गई है, उसमें दिग्गज विपक्षी नेताओं के साथ ही भाजपा और आरएसएस से जुड़े लोग भी शामिल हैं। मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद पहली बार गृहमंत्रालय ने वीआईपी को मुहैया की जाने वाली सिक्योरिटी में इतने बड़े पैमाने फेरबदल किया है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई नेताओं को केंद्र और राज्य सरकारों दोनों की तरफ से सुरक्षा दी जा रही थी। इसके कारण मैनपावर की बर्बादी हो रही थी। इसलिए केंद्र सरकार ने कुछ की सुरक्षा में कटौती करने और कुछ में बदलाव करने का फैसला किया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार किसी भी वीआईपी को उस पर मंडराने वाले खतरे का आकलन करने के बाद ही जरूरी सिक्योरिटी कवर मुहैया कराती और उसकी वक्त-वक्त पर समीक्षा भी करती रहती है।


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पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया  अखिलेश पांडेय  वारसॉ। अक्सर लोग अपने प्यार का इजहार किसी खास जगह पर करने का सोचते हैं। ताकि वो पल ज...