शनिवार, 20 जुलाई 2019

अपने पाप छुपाना चाहती है भाजपा:अखिलेश

अखिलेश ने कहा अपने पाप छिपाना चाहती है भाजपा


लखनऊ ! सोनभद्र नरसंहार को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी भाजपा पर निशाना साधा। शुक्रवार को जारी बयान में उन्होंने आरोप लगाया कि नरसंहार से पीड़ित परिवारों से मिलने जा रहे समाजवादी पार्टी के नेताओं को रोककर भाजपा अपने पाप छिपाना चाहती है। उन्होंने कहा कि सपा प्रतिनिधिमंडल को रोकना लोकतंत्र विरोधी आचरण है। भाजपा सरकार ने इस कृत्य से बता दिया है कि वह जनभावनाओं के प्रति कितनी संवेदनहीन है? सरकार अपनी अक्षमताओं पर पर्दा डालकर पापों को छिपाना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस नृशंस हत्याकांड के लिए पुलिस प्रशासन व भाजपा सरकार जिम्मेदार हैं।
आदिवासी जिस जमीन पर वषों से खेती कर रहे थे उससे बेदखल करने में ग्राम प्रधान उनके साथी काफी समय से लगे थे परंतु प्रशासन आंखे मूंदे रहा। तहसील व थाना दिवस पर न्याय की गुहार की परंतु प्रशासन ने सुनवाई नहीं की। वह सौदेबाजी में लगा रहा। उनकी लापरवाही ने गरीबों की जानें ले लीं। यादव ने कहा कि सोनभद्र कांड प्रदेश की हालत बता रहा है कि यहां कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ रही हैं!


प्राधिकरण-परिषद की योजनाओं में कारोबार अवैध

प्राधिकरणों के अवैध निर्माण को शासन से छूट


लखनऊ ! प्रदेश भर के प्राधिकरण और आवास विकास परिषद मकान में दुकान खोलने को अवैध निर्माण मानता है लेकिन, उसी को शासन रोजगार का बड़ा साधन मानकर गृहकर में छूट देकर प्रोत्साहित कर रहा है। इस दोहरी व्यवस्था से भवन मालिक परेशान हैं। टैक्स देकर भी तमाम लोगों के मकान-दुकान लगातार सीज हो रहे हैं।
भवन उपविधि के तहत प्राधिकरण और परिषद की योजनाओं में आवासीय भवन में कारोबार करना अवैध है। यहां तक की छोटी दुकान भी खोलने पर पाबंदी है। दूसरी ओर शासन इसको रोजगार का बड़ा साधन मानकर इस पर गृहकर में भारी छूट देने का एलान कर चुका है। अब लाखों कारोबारी पशोपेश में हैं कि वे किसको सही मानें। शासन की छूट को या प्राधिकरणों की कार्रवाई को। नगर योजना एवं विकास अधिनियम के तहत लैंड यूज के खिलाफ निर्माण या गतिविधि करना धारा '28 क' का उल्लंघन है। इसके तहत प्राधिकरण सीलिंग तक की कार्रवाई करते हैं।


लगातार होती कार्रवाई


प्राधिकरण ने पिछले सप्ताह गोमती नगर के विभवखंड में हरीश बाबू और अन्य मकान 4-194 में एक दुकान को सील किया गया था। इसके बाद पिछले दिनों शासन ने नगर निगम को आदेश किया कि मकानों में छोटी दुकानों के लिए गृहकर में छूट दें।


पीसीएस-जे का मॉडल आंसर पेपर लीक

पीसीएस-जे का मॉडल आंसर पेपर लीक!


प्रयागराज ! पीसीएस-जे 2018 भर्ती परीक्षा में धांधली होने के आरोप के बीच उसका मॉडल आंसर पेपर बाजार में आ गया। मॉडल पेपर पर हर प्रश्न के नीचे उसका उत्तर लिखा है। यह मॉडल आंसर पेपर कॉपी जांचने वाले शिक्षकों को दिया जाता है, जिससे वे मूल्यांकन कर सकें।
यह मॉडल आंसर पेपर कब और कैसे बाजार में आया, इसका पता अभी नहीं चल सका है लेकिन, इसके बाजार में आने से परीक्षा की शुचिता पर सवाल उठता नजर आ रहा है जबकि उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग पेपर को अपना बताने से इंकार कर रहा है। वहीं पीसीएस-जे 2018 का जो मॉडल आंसर पेपर बाजार में मौजूद है उसे 'प्रक्रिया एवं साक्ष्य विधि' विषय होने का दावा किया जा रहा है। यह परीक्षा एक फरवरी 2019 को प्रथम पाली में हुई थी। आयोग सचिव जगदीश का कहना है कि जो मॉडल आंसर पेपर बाजार में घूम रहा है, वह पीसीएस-जे 2018 का नहीं है और न ही आयोग में ऐसा मॉडल आंसर पेपर बनता है।


अकल बड़ी या बेंस ( संपादकीय)

मधुकर कहिन
उच्चारण की कठिनाई के चलते शाब्दिक आतंकवाद के शिकार हो चुके मुहावरों की दुर्दशा


नरेश राघानी


कल भीलवाड़ा से लौटते वक्त कुछ पत्रकार मित्र साथ बैठे थे। चर्चा चली भाषा ज्ञान पर। मित्र नेमीचंद तमोली भी मेरे साथ थे। जिनसे मुहावरों पर और उनके अर्थ पर चर्चा चल रही थी। तो मैंने मित्र नेमीचंद से पूछा की - भाई ! मैंने देखा है कि मुहावरों में कई मुहावरे ऐसे हैं जिनका शाब्दिक अर्थ समझें तो कई सवाल खड़े होते हैं। जैसे कि इन मुहावरों की उत्पत्ति कैसे हुई ?अर्थ और शब्दों का मेल कैसे हुआ?


जैसे कि धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का । यह मुहावरा वैसे तो किसी ऐसे व्यक्ति हेतु बोला जाता है जिसके लिए कोई विकल्प न बच गया हो।लेकिन इसको धोबी का कुत्ता क्यों कहा जाता है ? मैंने तो किसी भी धोबी को आज तक कुत्ता पालते देखा नहीं ... और फिर इसे धोबी से जोड़ कर ही क्यूँ कहा जाता है ? मेरा मित्र मुस्कराया और कहा कि - मेरे भाई ! यह शाब्दिक आतंकवाद सी दुर्घटना है। इस मुहावरे का जन्म हुआ तो बिल्कुल सही तुलना से है। लेकिन शब्द बदल गए हैं। यही वजह है कि इसमें कुत्ता घुस गया हैं।
पुरातन काल में जब धोबी किसी के भी घर जाते थे। तो उसी घर के आस-पास किसी भी पेड़ की बड़ी सी लकड़ी तोड़कर एक सोटा बनाया जाता था। जिससे उस घर के कपड़े घाट पर ले जाकर धोए जाते थे। इस सोटे को कुतका कहा जाता था। जब कपड़े धो लिए जाते थे तो धोबी वह कुतका घर के बाहर ही किसी झाड़ी में छोड़कर वापस अपने घर लौट आता था। दूसरे दिन सुबह जब कपड़े धोने होते थे , तो वहीं कुतका वहां से फिर उठाकर कपड़े घाट पर ले जाकर धोए जाते थे। यह कुतका धोबी अपने घर नहीं ले जाता था। अब इसके पीछे क्या कारण था ? वह तो इससे आगे का विषय है। परंतु उस सोटे कि आवारगी और तिरस्कार को ही लोगों ने मुहावरे के रूप में प्रदर्शित करना शुरू कर दिया। और किसी की भी ऐसी ही विषम परिस्थिति को उस सोटे से जोड़कर परिभाषित करना शुरू कर दिया गया। तो कहावत दरअसल यह है कि धोबी का कुतका (सोटा) घर का न घाट का। काल चक्र के चलते चलते यह कुतका शब्द उच्चारण की कठिनाई के चलते कुतका से कुत्ता हो गया। और लोग आज तक भी बिना सोचे समझे, इसे धोबी का कुत्ता बोलते हैं।
ऐसी शाब्दिक दुर्घटना एक और कहावत के साथ भी है । जो कि बहुत मशहूर है। वह है - अक्ल बड़ी या भैंस ?


अब इसे यदि शाब्दिक तौर पर आप सोचें, तो अक्ल आपके दिमाग में बसे छोटे से मास के लोथड़े में है। और भैंस का साइज मेरे ख्याल में यहां सब जानते हैं। अब भैंस की तुलना अक्ल से करना तो वाकई समझ से बाहर है। तो साहब ! यह शब्द भैंस नहीं बेंस है। जिसका शाब्दिक अर्थ है आपकी आयु की मौजूद अवस्था । क्योंकि उम्र आप उस काल को कहेंगे जो कि आपके जन्म समय से लेकर मृत्यु के समय तक की समय अवधि है। इस पूरे काल को उम्र कहा जायेगा। जो कि मृत्यु उपरांत ही निर्धारित की जा सकेगी। 
मतलब यदि किसी जीवित व्यक्ति से आप पूछें कि आपकी उम्र क्या है ? तो वह शाब्दिक तौर से गलत होगा। इसी वजह से किसी जीवित व्यक्ति की आयु पूछने के वक़्त बेंस शब्द का इस्तेमाल किया जाता था। बड़े बूढ़े पूछते थे कि आप की बेंस क्या है । यानी कि आपकी इस वक़्त आयु अवस्था क्या है ? सीधे अर्थों में इसका मतलब यही है कि आप की मौजूदा आयु क्या है ? तो कहावत दरअसल यह है भाई !
अक्ल बड़ी या बेंस? - अर्थात अक्ल बड़ी या मौजूदा आयु?


निश्चित तौर पे अक्ल बड़ी है । क्योंकि बुद्धिमता की कोई आयु नहीं होती। कोई भी कम आयु में ज्यादा बुद्धिमान हो सकता है और कोई भी दीर्घायु होते हुए भी बुद्धिविहीन।
काल और बेंस शब्द के उच्चारण में आने वाली कठिनाई के चलते यह शब्द भी शाब्दिक आतंकवाद का शिकार हो गया है। और लोग बिना सोचे समझे आज भी इसे बस आंखें मूंदकर अकल बड़ी या भैंस कहते हैं।
वकाई यह एक ऐसी जानकारी थी जिससे मैं आज तक इतने लेखन के पश्चात भी अनिभिज्ञ था। इस दुर्लभ जानकारी हेतु मैं पत्रकार मित्र नेमीचंद तमोली का हृदय से आभारी हूँ। इस ब्लॉग के माध्यम से यह जानकारी आप लोगों तक पहुँचा रहा हूँ। जिसके लिए नेमीचंद तमोली बधाई के पात्र है।


छोटी-छोटी बातों पर गौर करें :मकर

आज का राशिफल


1मेषराशि(Aries)-आज का दिन अच्छा रहेगा। आय में वृद्धि होगी। अपरिचित व्यक्ति पर अधिक भरोसा ना करे।अटका हुआ धन वापिस मिलेगा।गरीबों की मदद करके परमार्थ कमाइए।बुज्र्गॉ की सेवा करके अच्छा फल प्राप्त करें।अच्छी-खासी सेहत के लिये रोजाना सुबह योग या व्यायाम जरुरी है।


2वृषराशि(tauras)- परिवार के साथ समय अच्छा गुजरेंगा।बच्चो के भविष्य बारे उचित सोचे।आज आपका कोई नजदीकी रिश्तेदार आपकी मदद करेगें।यात्रा का योग नहीँ बन रहा हैं।लड़ाई झगड़े से बचने की कोशिश करे।परिवार को विश्वास में रखने के लिये सावधानी बरतनी चाहिए।परेशानियाँ से निजात पाने की कोशिश करें ।



3 मिथुन राशि (gemini)-आपके विचार स्करातमकहो।नकारात्मक ना सोचे।आज गरीबों की मदद करके परमार्थ कमाइए।।मेहनत करेगें तो सफलता अवश्य मिलेगी धार्मिक कार्यों मे रूचि बढाये।आज यात्रा का योग शुभ होगा।मन में शान्ति के लिये मन्दिर में अवश्य जाये।सच्चाई का मार्ग अपनाए।


4-कर्क राशि ( cancer)-आज अचानक धनलाभ का योग है।कोई पुराना मित्र आपके कारोबार मे आपकी मदद करेगा।आपकी पुत्री के लिये अच्छा रिश्ता आएगा।माता पिता की सेवा करना आपका धर्म है इसे पूरी तरह से निभाए।आज कारोबार में धन लाभ होगा।



5सिंह राशि(leo)- आज कुछ ऐसा होगा जिससे आपको सफलता प्राप्त होगी।धनलाभ का योग है।अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।अपनो से बिना बात पर नाराजगी ठीक नहीं।।बुजुर्गो की सेवा करना आपका कर्तव्य है।दायित्व निभाए।



6कन्या राशि( virgo)-आज का दिन भाग्यशाली होगा।मनचाहा कार्य सफल होगा।अटका हुआ धन मिलने के योग हैं।अपने माता पिता की सेवा करना अपका फर्ज है।आज कोई पारिवारिक समस्या का समाधान निकलेगा।आपके पुत्र को सरकारी नौकरी मिलने का योग है।


7-तुला राशि (libra)- किसी अनजान व्यक्ति से दुरी बनाएँ रखना उचित होगा।धनलाभ की प्राप्ति होगी।अपने व्यवसाय की सफलता के राज अपने निजी व्यक्ति को ही बताए।अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।रोजाना कसरत या व्यायाम करना जरुरी है।



8वृश्चिक राशि(scorpion)-आपका व्यवहार अन्य लोगों के लिये आदर्श साबित होगा।दूर स्थान की यात्रा लाभदायक सिद्ध होगी।अपनो से नाराजगी नहीं करे।सबसे अच्छा व्यवहार करने की कोशिश करें।आज पुराने मित्रों से मुलाकत अच्छी-खासी लाभकारी होगी।गरीब रिश्तेदारों की मदद अवश्य करें।



9धनु राशि(Sagittarius)- अधूरे कार्य पूरे करे।रिश्तेदारों से अच्छा व्यवहार करे कोशिश करें कि आप उन्हें नाराज ना करे।आज अचानक धन लाभ का योग है।आज यात्रा टालना आपके लिए हितकारी होगा।



10मकर राशि(capricon)-आपका व्यवहार सबके साथ मीठा और सौहार्दपूर्ण होना चाहिये।रेगुलर स्वास्थ्य की जांच अति आवश्यक है डाक्टर की सलाह की पालना अवश्य करें।सबको साथ लेकर चलने की आदत बनाये।छोटी छोटी बातों पर गौर करें और सबकी रजा मन्दि से कार्य करने की कोशिश करें।



11कुम्भ राशि(Aquarius)-सबसे मीठा और अच्छा व्यवहार करे।धनलाभ का योग है।नया कार्य शुरू करने से पहले विचार विमर्श करे।परिवार के साथ अच्छा घुमने का प्रोग्राम बनाये।अनुभवी व्यक्तियों की सलाह अनुसार कार्य करे।सेहत के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।



12-मीन राशि ( pisces)-अपने माता-पिता की सेवा करना अपका दायित्व है।अपने ब्च्चॉ के भविष्य बारे कदम उठायें।परिवार के बुजर्ग की अनुमति अनुसार कार्य करे।आपकी बेटी के लिये अच्छा वर योग है विवाह की तैयारियाँ शीघ्र करे।धनलाभ का योग है।


प्रेरणा से ओतप्रोत आराध्य देव (भाव-दर्शन)

 शिव से संदेश


भगवान शंकर हमारे आराध्य देव हैं, जिन्हें हम महेश भी कहते हैं। महेश यानि महान, सर्वोच्च, सर्वोत्कृष्ट ईश्वर ही महेश्वर हैं। जिनकी पूजन से हमको जीने की प्रेरणा मिलती है, जीवन प्रबन्धन, तनाव कम करने, जीवन में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने की प्रेरणा मिलती है। पारिवारिक, सामाजिक और सार्वजनिक जीवन को कैसे संतुलित रखें? कैसे सामंजस्य स्थापित करें? भगवान शंकर के स्वरुप से हमें शिक्षा लेनी चाहिए।


देखिए, 1. भगवान शंकर के गले में सर्प और पुत्र गणेश का वाहन चूहा और पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर (मोर सांप को खाता है, सांप चूहे को खाता है, फिर भी तीनों साथ)


2. नन्दी (बैल) और मां भवानी का वाहन सिंह (सिंह गाय-बैल को खाता है)


3. जटा में गंगा और त्रिनेत्र में अग्नि (जल और आग की दुश्मनी फिर भी एक साथ)


4. चन्द्रमा में अमृत और गले मे जहर (अमृत और जहर की दुश्मनी फिर भी एक साथ)


5. शरीर मे भभूत और साथ में भूतों की सेना (भभूत से भूत भागते हैं, फिर भी एक साथ)


6. देवाधिदेव हैं, महादेव हैं, महेश्वर हैं, लेकिन स्वर्ग न लेकर हिमालय में तपलीन


7. एक तरफ तांडव नृत्य और दूसरी तरफ गहन समाधि (बिल्कुल अलग-अलग स्वरूप)


8. एक तरफ बड़े-बड़े राक्षसों से लड़ते है और दूसरी तरफ गहन समाधि में ध्यानस्थ हो जाते हैं।



इतने विपरीत स्वभाव के वाहन, गण और स्वरूप के बाद भी, भगवान शंकर सबको साथ लेकर चलते हैं, चिंता से मुक्त रहते हैं। भगवान शंकर हमें प्रेरणा देते हैं कि जीवन शांतिमय हो, संतुलित हो। तनाव रहित हो। सामंजस्य ऐसा कि सबको साथ लेकर चलने की शक्ति हो, सामर्थ्य हो। सबका सम्मान हो, आदर हो। किन्तु हम जरा से विपरीत स्वभाव वाले मित्र, साथी, सम्बन्धी, सखा की सोच से, विचारों से बातों से तनाव में आ जाते हैं। खीझ उठते हैं, झुंझला जाते हैं। चिड़चिड़ाने लगते हैं। संतुलन खो बैठते हैं। हम छोटी-छोटी समस्या में उलझे रहते हैं। तनाव से इतने ग्रसित कि नींद तक नहीं आती। छोटी-छोटी कठिनाई से डर जाते हैं। ऐसे में हम न सिर्फ अपना समय बर्बाद करते हैं बल्कि ऊर्जा भी नष्ट करते हैं।


हम भगवान शंकर की पूजा तो करते हैं, लेकिन उनके गुणों को धारण नहीं करते। उनसे प्रेरणा नहीं लेते। उनसे शिक्षा नहीं लेते। हर किसी ने कभी न कभी इस बात का अनुभव जरूर किया होगा कि नजरिया बदलते ही चीजें अलग दिखाई देने लगती हैं। नकारात्मक चीजें सकारात्मक लगने लगती हैं और लोगों में कमियों की जगह खूबियां नजर आने लगती हैं।


पारिवारिक, सामाजिक और सार्वजनिक जीवन में हमें कई लोगों से मिलना होता है, उनके साथ जीवनयापन करना होता है, काम करना होता है। यह जरूरी नही कि हर जगह एक जैसी विचारधारा वाले लोग रहते हों, हमारी तरह ही सोचने वाले लोग हों, जरूरी नहीं। हमसे अलग सोच रखने वाले लोग भी मिलेंगे, अलग विचारधारा वाले लोग भी मिलेंगे। ऐसी स्थिति में संतुलन और सामंजस्य आवश्यक है। बेहतर जीवन-प्रबन्धन और स्वस्थ रूप से कार्य को गतिशील बनाने के लिए यह संतुलन जरूरी है, यह सामंजस्य जरूरी है


वशिष्ठ चौबे 


ब्रह्म सत्य,जगत मिथ्या (अध्यात्म)

हम में से हर एक कभी न कभी भ्रम या मतिभ्रम का शिकार होता है, कभी द्रष्टा और दृष्ट के दरमियान परदा पड़ जाता है। कभी वातावरण मिथ्या ज्ञान का कारण हो जाता है व्यक्ति की हालत में इसे अविद्या कहते है। माया व्यापक अविद्या है जिसमें सभी मनुष्य फँसे हैं। कुछ विचारक इसे भ्रम के रूप में देखते हैं, कुछ मतिभ्रम के रूप में। पश्चिमी दर्शन में कांट और बर्कले इस भेद को व्यक्त करते हैं।


ज्ञानलाभ के अनुसार आरंभ में हमारा मन कोरी पटिया के समान होता है जिसपर बाहर से निरंतर प्रभाव पड़ते रहते हैं। कांट ने कहा कि ज्ञान की प्राप्ति में मन क्रियाहीन नहीं होता, क्रियाशील होता है। सभी घटनाएँ देश और काल में घटती प्रतीत होती है, परंतु देश और काल कोई बाहरी पदार्थ नहीं, ये मन की गुणग्राही शक्ति की आकृतियाँ हैं। प्रत्येक उपलब्ध को इन दोनों साँचों में से गुजरना पड़ता है। इस क्रम में उनका रंग रूप बदल जाता है। इसका परिणाम यह है कि हम किसी पदार्थ को उसके वास्तविक रूप में नहीं देख सकते, चश्में में से देखते हैं, जिसे हम आरंभ से पहने हैं और जिसे उतार नहीं सकते।


लॉक ने बाह्म पदार्थों के गुणों में प्रधान और अप्रधान का भेद देखा। प्रधान गुण प्राकृतिक पदार्थों में विद्यमान है, परंतु अप्रधान गुण वह प्रभाव है जो बाह्म पदार्थ हमारे मन पर डालते हैं। बर्कले ने कहा कि जो कुछ अप्रधान गुणों के मानवी होने के पक्ष में कहा जाता है, वही प्रधान गुणों के मानवी होने के पक्ष में कहा जा सकता है। पदार्थ गुणसमूह ही है और सभी गुण मानवी हैं, समस्त सत्ता चेतनों और विचारों से बनी है। हमारे उपलब्ध (Sense Experience) हम पर थोपे या आरोपित किए जाते हैं, परंतु ये प्रकृति के आघात के परिणाम नहीं, ईश्वर की क्रिया के फल हैं।


भारत में मायावाद का प्रसिद्ध विवरण है,"ब्रह्म सत्यम, जगत्‌ मिथ्या"। इस व्यवस्था में जीवात्मा का स्थान कहाँ है? यह भी जगत्‌ का अंश है, ज्ञाता नहीं, आप आभास है। ब्रह्म माया से आप्त होता है और अपने शुद्ध स्वरूप को छोड़कर ईश्वर बन जाता है। ईश्वर, जीव और बाह्म पदार्थ, प्राप्त ब्रह्म के ही तीन प्रकाशन हैं। ब्रह्म के अतिरिक्त तो कुछ ही नहीं, यह सारा खेल होता क्यों है? एक विचार के अनुसार मायावी अपनी दिल्लगी के लिये खेल खेलता है, दूसरे विचार के अनुसार माया एक परदा है जो शुद्ध ब्रह्म को ढक देती है। पहले विचार के अनुसार माया ब्रह्म की शक्ति है, दूसरे के अनुसार उसकी अशक्ति की प्रतीक है। सामान्य विचार के अनुसार मायावाद का सिद्धांत उपनिषदों, ब्रह्मसूत्रों और भगवद गीता में प्रतिपादित है। इसका प्रसार प्रमुख रूप से शंकराचार्य ने किया। उपनिषदों में मायावाद का स्पष्ट वर्णन नहीं, माया शब्द भी एक दो बार ही प्रयुक्त हुआ है। ब्रह्मसूत्रों में शंकर ने अद्वैत को देखा, रामानुज ने इसे नहीं देखा और बहुतेरे विचारकों के लिये रामानुज की व्याख्या अधिक विश्वास करने के योग्य है। भगवद्गीता दार्शनिक कविता है, दर्शन नहीं। शंकर की स्थिति प्राय: भाष्यकार की है। मायावाद के समर्थन में गौड़पाद की कारिकाओं का स्थान विशेष महत्व का है!


चेन्नई सुपर किंग्स ने ग्लीसन को टीम में शामिल किया

चेन्नई सुपर किंग्स ने ग्लीसन को टीम में शामिल किया  इकबाल अंसारी  चेन्नई। देश में इन दिनों आईपीएल की धूम मची हुई है। गत चैम्पियन चेन्नई सुपर...