सोमवार, 17 जून 2019

एसएसपी झांसी ने किए कई के तबादले

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने झाँसी जनपद मै निरीक्षक सहित कई दरोगाओ के तबदला किये


 नवीन यादव


झाँसी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ड़ां ओपी सिंह के आदेश पर पुलिस विभाग में एक निरीक्षक सहित तीन दर्जन दरोगाओं की तबादला की सूची रविवार की देर रात जारी हो गयी।
एसएसपी डां ओपी सिंह ने क्षेत्र ने पुलिस व्यवस्था को साफ़ सुधरी अपराध मुक्त बनाये रखने हेतु एक बार फिर दरोगाओं के कार्यक्षेत्रों में बदलाव किया है। एसएसपी डॉ ओपी सिंह ने निरीक्षक आशीष कुमार मिश्रा को डीसीआरबी तथा साईबर सेल प्रभारी बनाया है। नई बस्ती चौकी प्रभारी अनुपम मिश्रा को चमनगंज चौकी का चार्ज सौपा है तो वहीं ग्वालियर रोड चौकी प्रभारी प्रमोद तिवारी को नई बस्ती चौकी इंचार्ज बनाया है। इसी प्रकार कई चौकी प्रभारियो के कार्यक्षेत्रों में बदलाव कर उन्हें नया कार्यभार सौपा गया नये चौकी प्रभारी बनाए जाने से झाँसी जनपद मै अपराधों पर अंकुश लगेगा


लोकतंत्र में विपक्ष का सख्त होना जरूरी

मोदी-शाह समेत नवनिर्वाचित सांसदों का शपथ ग्रहण;पीएम बोले- लोकतंत्र में विपक्ष का सशक्त होना अनिवार्य


17वीं लोकसभा के पहले सत्र में साेमवार को सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह ने शपथ ली। प्रोटेम स्पीकर वीरेंद्र कुमार मंगलवार को भी नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाएंगे। इससे पहले मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष का सशक्त होना जरूरी है। उनका हर शब्द मूल्यवान है, वे लोकसभा में अपने नंबरों की चिंता छोड़ दें।


उम्मीद है कि सभी दल सदन में उत्तम चर्चा करेंगे। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वीरेंद्र कुमार को प्राेटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाई। कुमार मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ से सांसद हैं। अब 19 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव हाेगा। 20 जून को राष्ट्रपति लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनाें की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे। इसी दिन राज्यसभा के सत्र की शुरुआत हाेगी। संसद का यह सत्र 26 जुलाई तक चलेगा। 5 जुलाई को पहली बार महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी।


पीएम मोदी ने कहा, ''इस चुनाव में पहले की तुलना में अधिक मात्रा में महिलाओं का वोट करना खास रहा। कई दशकों के बाद एक सरकार को दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ और पहले से अधिक सीटों के साथ जनता ने सेवा करने का अवसर दिया। जब पांच वर्ष का हमारा अनुभव है। जब सदन चला है, तंदरुस्त वातावरण में चला है तब देशहित के निर्णय भी अच्छे हुए हैं। आशा करता हूं कि सभी दल उत्तम प्रकार की चर्चा, जनहित के फैसले और जनआकांक्षाओं की पूर्ति की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं इसका विश्वास।


बंगाल सरकार की भूमिका


बंगाल के जूनियर डाक्टरों की हड़ताल के समर्थन देश व्यापी हड़ताल और जनता को स्वास्थ्य सुरक्षा देने के संवैधानिक डोर से बंधी पश्चिम बंगाल की सरकार की भूमिका पर विशेष

लोकतंत्र में प्रजा यानी जनता जनार्दन के हितों को सर्वोच्च माना गया है जिस कार्य व्यवहार से देश या प्रदेशवासियों का अहित होता हो अथवा जान मुसीबत में पड़ती हो उसे करने का अधिकार प्रजातांत्रिक व्यवस्था के तहत जनता द्वारा चुनी गई सरकार को नहीं होता है। इतना ही नहीं लोकतंत्र में गठित सरकार का परम दायित्व होता है कि वह अपने सरकारी तंत्र से जुड़े लोकसेवकों के साथ ही अपने मतदाता भगवान के स्वास्थ्य शिक्षा न्याय एवं विकास के साथ ही सुरक्षा प्रदान करें।लोकतांत्रिक व्यवस्था में आमजनता द्वारा चुनी गई सरकार और उसके लोकसेवक ही अगर जनता की जान के दुश्मन बनने का सबब बन जाए तो इससे बड़ा दुर्भाग्य लोकतंत्र के लिए और भला क्या हो सकता है? इस समय देश के अधिकांश राज्यों के जूनियर डॉक्टर बंगाली हड़ताली डाक्टर साथियों के समर्थन में हड़ताल पर चल रहे हैं और आज देश व्यापी हड़ताल की जा रही है। डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने की शुरुआत इस बार बहुचर्चित पश्चिमी बंगाल से हुई है और वहां पर अबतक सैकड़ों जूनियर डॉक्टर अपने पद से इस्तीफा भी दे चुके हैं। डॉक्टरों की हड़ताल की शुरुआत गत दिनों वहाँ पर डाक्टरों पर हमले के बाद हुयी है। मारपीट हमला करने का आरोप वहाँ की ममता बनर्जी की अगुवाई वाली उनकी पार्टी के कार्य कर्ताओं पर लगाया जा रहा है। घटना के बाद मुख्यमंत्री की टिप्पणी एवं रवैये के साथ सुरक्षा प्रदान करने की बात को लेकर डाक्टर हड़ताल पर चले गये हैं। वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस गंभीर संकट को समाप्त कर बाधित स्वास्थ्य सेवाएं बहाल कराने की जगह इसे राजनीतिक परिदृश्य से प्रेरित बताकर इस हड़ताल को भाजपा समर्थित करार देकर आग में घी जैसा डाल रही हैं। सुरक्षा जैसी महत्वपूर्ण मांग को लेकर बगावत पर आमादा देश के विभिन्न राज्यों के विभिन्न अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। बंगाल सरकार एवं जूनियर डाक्टरों के बीच चल रही अहम की लड़ाई सीधे आमजनता की जान खतरे में डाल रही है और स्थिति-"लड़े दो साड़ कचरि गई बूढ़ा" वाली हो गयी है।बंगाल के साथ देश के अन्य हड़ताल प्रभावित राज्यों में हड़ताल से हाहाकार मची है और हजारों लोगों की जान संकट में है। हड़ताल की जन्मदाता पश्चिम बंगाल की संवैधानिक सरकार अपने उत्तरदायित्वों को राजनैतिक महत्वाकांक्षा के चलते अनदेखा कर इसे पूरे देश में फैला रही हैं जिसे कतई उचित नहीं कहा जा सकता है।हड़ताली डाक्टरों की मांग भले ही शतप्रतिशत सही हो लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह भगवान के बाद दूसरे भगवान माने जाते हैं और उनके कर्तव्यों से जरा सा भी विमुख होना किसी की मौत का कारण बन सकता है। सुरक्षा की मांग को लेकर शुरू की गई हड़ताल धीरे धीरे जनविरोधी एवं जानघातक होती जा रही है। भले ही जूनियर डाक्टरों के साथ अन्याय हो रहा हो लेकिन उनके हड़ताल पर जाने से इस देश की जनता की जान खतरे में पड़ गई है। मुख्यमंत्री और डॉक्टरों के बीच चल रही अहम की लड़ाई जनता के लिए खतरा बनती जा रही है और कई दिन बीत जाने के बावजूद भी मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें सुरक्षा का वादा देकर तथा भूल चूक गलती माफ कहकर जनता के हित में हड़ताली डाक्टरों से वार्ता करके हड़ताल खत्म न करवाना आमजन की जान माल से जानबूझकर खिलवाड़ करने जैसा जघन्य अपराध है।सभी जानते हैं कि देश में भले ही लोकसभा चुनाव संपन्न हो गए हो और चुनावी सरगर्मियां शांत हो गई हूं लेकिन पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले शुरू हुई राजनीतिक सरगर्मियां चुनाव परिणाम आ जाने के बावजूद आज तक जारी हैं और सत्ताधारी टीएमसी एवं भाजपा के बीच राजनैतिक गतिविधियों के साथ ही वहां पर हिंसा मारपीट जंगलराज जैसा दृश्य बना हुआ है और वहां की मुख्यमंत्री कानून का राज कायम करने में जैसे असफल साबित हो रही हैं। अगर पश्चिम बंगाल में डाक्टरों की सुरक्षा देने जैसी मांगे मानकर मामला रफादफा कर दिया गया होता तो शायद जूनियर डाक्टरों की हड़ताल बंगाल के बाहर नही फैलती।अगर कहा जाय तो गलत नही होगा कि चुनावी राजनैतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की हठधर्मिता एवं तानाशाही राजनैतिक दृष्टिकोण के चलते चल रही हड़ताल समाप्त नहीं हो पा रही है।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार न तो राजनैतिक हत्यायें रोक पा रही है और न ही जूनियर डाक्टरों की हड़ताल को समाप्त करा पा रही है जो लोकतंत्र के भविष्य में उचित नही कहा जा सकता है। 
भोलानाथ मिश्र


आजमगढ़ में संगठनों की हुई बैठक

आजमगढ़ में सामाजिक-राजनीतिक संगठनों की हुई बैठक


आज़मगढ़ ! वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में व्यापक साझा प्रतिरोध, परस्पर सहयोग व समर्थन पर विस्तृत चर्चा की गई। तमाम प्रतिभागियों ने एक स्वर में उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की बदतर हालत पर चिंता व्यक्त की। एक दो अपवादों को छोड़कर प्रदेश में चुनाव उपरान्त लगातार हो रही राजनीतिक हत्याओं और बलात्कार की घटनाओं का शिकार दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हो रहे हैं लेकिन सरकार और सुरक्षा एजेंसियों का फोकस कुछ अपवादों पर ही होता है। मीडिया में भी उन्हीं घटनाओं और मुद्दों को स्थान मिलता है। जातीय वैमनस्यता और साम्प्रदायिक ज़हर फैलाकर हाशिए पर खड़े अवाम को रोज़गार से वंचित किया जा रहा है और जीने के अधिकार समेत उनके अन्य अधिकारों को कुचला जा रहा है। नवनिर्वाचित बार कौंसिल की अध्यक्ष दरवेश यादव की आगरा न्यायालय परिसर में होने वाली हत्या की तमाम प्रतिभागियों ने एक स्वर में निंदा की।


रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि प्रदेश में योगी सरकार के नेतृत्व में कानून व्यवस्था की स्थिति भयावह स्तर पर पहुंच चुकी है। दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न की सुनियोजित घटनाओं में काफी इज़ाफा हुआ है और कई मामलों में पुलिस प्रशासन ने सत्ता के दबाव में उत्पीड़ित व्यक्ति⁄समूह के खिलाफ ही फर्जी मुकदमे भी कायम किए हैं। योगी के सत्ता में आने के बाद इनकाउंटर के नाम पर चुनचुन कर दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक युवकों की हत्याएं की गई हैं या उनके पैरों में गोलियां मारी गई हैं जिसकी वजह से पैर तक काटने पड़े हैं। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद प्रदेश में सन्नाटा है और विपक्ष अपने दायित्व के निर्वाह में बुरी तरह असफल है। विपक्ष का अक्षम नेतृत्व और निष्क्रियता से जनता में बेचैनी है। सवालों की सूची लम्बी होती चली जा रही लेकिन जवाब नदारद है। यह स्थिति बदलनी चाहिए और इसके लिए व्यापक साझा संघर्ष की ज़रूरत है जिसमें राजनीतिक प्रयोग और परस्पर भागीदारी और समर्थन भी शामिल है। हम लंबे समय से संघर्ष करते रहे हैं लेकिन ज़रूरी है कि निर्माण की प्रक्रिया में भी आगे बढ़ें।


बहुजन मुक्ति मोर्चा के ईश्वरचंद यादव और एडवोकेट शमशाद ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि ब्राह्मणवादी व्यवस्था साम्प्रदायिक ज़हर फैलाकर दलितों और पिछड़ों को अल्पसंख्यकों के खिलाफ लामबंदी करती है तो कभी जातीय ऊंच-नीच के मनुवादी एजेंडे को लागू करने के लिए उन्हें आपस में एक दूसरे के खिलाफ भड़काकर बांटो और राज करो की नीति पर अमल करती है। इस प्रकार मूल निवासियों के हक हकूक पर डाका ही नहीं डालती बल्कि उनकी जड़ों में मट्ठा डालने का काम करती है। आरक्षण को व्यवहारिकता में लगभग समाप्त कर दिया गया है और यूपीएससी की परिक्षाओं में शामिल हुए बिना आईएएस की सीधी नियुक्तियों का फरमान इसकी ताज़ा मिसाल है। उन्होंने भाजपा पर ईवीएम मशीनों में धोखाधड़ी करके सत्ता हथियाने का भी आरोप लगाया।


एडवोकेट चंदन ने कहा कि वैचारिक समानता, न्याय के प्रति प्रतिबद्धता और जनता की साझीदारी सुनिश्चित किए बिना चुनाव के समय गठबंधन का जो हश्र होना चाहिए वह सामने है। कल के साझीदार आज आरोप प्रत्यारोप में लिप्त हैं। इससे जनता का विश्वास टूटता है। इससे सबक लेने की ज़रूरत है।


आजमगढ़ भीम आर्मी अध्यक्ष श्यामा प्रसाद जुगुनू और महासचिव धर्मवीर भारती ने पिछड़ों और दलितों में आपसी भेदभाव को इंगित करते हुए कहा कि खानपान का मामला हो या सामाजिक सरोकारों की बात हो चमार दलितों के साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाता जो हमारी राजनीतिक एकता में सबसे बड़ी रुकावट है। हमें जब भी आवाज़ दी जाती है हम पीड़ित व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास करते हैं। हमें किसी का इंतेज़ार किए बिना खुद सूचनाओं का आदान–प्रदान करना चाहिए और तालमेल बैठाना चाहिए। हमें हर हालत में झूठ फरेब से बचते हुए बार-बार ठगी गई जनता के बीच जाकर विश्वास बहाली के लिए प्रयास करने जी ज़रूरत है।


नेलोपा के पूर्व जिलाध्यक्ष हीरामन यादव व पूर्व ज़िला महासचिव हाफिज़ जमालुद्दीन ने कहा कि शासन, प्रशासन और मीडिया में दो प्रतिशत लोगों का ही वर्चस्व है। विपक्ष लोकसभा चुनावों के दौरान भी जनता से नाता नहीं जोड़ सका। जनता के ज्वलंत मुद्दों और समस्याओं पर किसी तरह के संघर्ष की बात तो दूर विपक्ष की तरफ से कोई बयान तक नहीं आता है। इसलिए आवश्यक है कि विकल्प पर विचार किया जाए और उसको मूर्त रूप देने के लिए संघर्ष किया जाए।


कौमी एकता दल के पूर्व नेता सालिम दाऊदी और गुलाम अम्बिया ने जनता के मुद्दों को लेकर जनता के बीच में जाने की ज़रूरत बताते हुए कहा कि स्थानीय निकाय के चुनाव हमें इसके लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करते हैं। इससे जन समस्याओं की बेहतर समझ विकसित करने, संघर्ष को सही दिशा और जन भागीदारी बढ़ाने के साथ ही राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रियता बढ़ाने में मदद मिलेगी।


एमआईएम नेता हामिद संजरी ने कहा कि चर्चा के दौरान उठाए गए मुद्दों और साझा संघर्ष के प्रति संगठनों के रूझान से वह पूरी तरह सहमत हैं और दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के अधिकरों के लिए किसी भी अभियान का हिस्सा बनने पर उन्हें खुशी होगी।


मुस्लिम मजलिस के नेता शाह आलम शेरवानी ने जातीय और साम्प्रदायिक भेदभाव को खत्म करने के लिए अभियान एंव जनसम्पर्क पर बल देते हुए स्थानीय निकायों के चुनाव सशक्त मौजूदगी दर्ज करवाने पर बल दिया।


कारवां के संयोजक विनोद यादव ने जनता की समस्याओं के निवारण के लिए शासन प्रशासन स्तर पर प्रयासों को संगठित और व्यापक बनाने के लिए मिलजुल कर प्रयास करने पर बल दिया।


सरकारी दमन के खिलाफ संघर्ष कर रहे भारत बंद के अंबेडकरवादी नेता बांके लाल यादव ने कहा कि अलग-अलग मुद्दों पर काम कर रहे संगठनों को साम्प्रदायिक और जातीय आधार पर पक्षपात एंव भेदभाव के खिलाफ संघर्ष को प्रमुख रूप से अपने एजेंडे में शामिल करने की ज़रूरत है।


डाक्टर राजेंद्र यादव ने कहा कि अन्याय के खिलाफ संघर्ष में हमें जनता के दुख दर्द को प्रशासनिक स्तर पर उठाने और मीडिया तक ले जाने की ज़रूरत है। आवश्यकतानुसार सभी संगठनों को मिलकर धरना–प्रदर्शन करना चाहिए और ज्ञापन देना चाहिए।


अम्बेडकर निशुल्क शिक्षण संस्थान के उमेश कुमार ने कहा कि हर तरह की यातना दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हिस्से में ही क्यों आती है और साथ ही महिलाओं का उत्पीड़न करने वाले अधिकांश आरोपी एक ही वर्ग से क्यों आते हैं, इस पर हमें विचार करना चाहिए। जाति उन्मूलन के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए। जब तक सत्ता पर कब्ज़ा नहीं होगा स्थिति बदलने वाली नहीं है इसके लिए सभी को एकजुट प्रयास करना होगा।


रिहाई मंच नेता तारिक शफीक ने कहा कि भगवा गिरोह ने दलित और अति पिछड़ा वर्ग के हिंदुत्वीकरण के माध्यम से ही सत्ता की दहलीज़ तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की है।


छात्र सेना के संयोजक राजनारायण यादव ने कहा कि दलित और पिछड़ा वर्ग का नेतृत्व जाटव और यादव कर रहे हैं। उन्होंने बैठक में अति दलित और अति पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व पर भी सवाल उठाए और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने और उनका सम्मान करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसके बिना सामाजिक न्याय की बात करने का कोई मतलब नहीं होता। उन्होंने कार्यकर्ताओं का सम्मान करने और उनको विचारों, जानकारियों और संसाधनों से लैस करने पर भी बल दिया।


अधिवक्ता मनोज कुमार ने तमाम वंचित जातियों को जोड़कर एक मंच पर लाने पर बल दिया।


सामाजिक कार्यकर्ता कौसर पठान का मत था कि सभी संगठनों को जन समस्याओं और उत्पीड़न के खिलाफ नियमित धरना प्रदर्शन के रास्ते से ही बड़ा संघर्ष खड़ा किया जा सकता है जिसका अंतिम लक्ष्य राजनीतिक मज़बूती होना चाहिए।राष्ट्रीय विद्यार्थी चेतना परिषद् के सच्चिदानंद यादव ने कहा कि क्षेत्र में जनता के बीच उपस्थिति बढ़ाने से ही अभियान को बल मिलेगा। अश्वजीत बौध ने कहा कि आरक्षण खत्म है और संविधान खतरे में है।


चर्चा में मसीहुद्दीन संजरी, एमआईएम के आदिल कुरैशी, वसीम अहमद, रिहाई मंच के अवधेश यादव, आरिफ नसीम, सुजीत यादव, मोहम्मद नाज़िम, संतोष कुमार सिंह एडवोकेट, मुशीर आलम, शिब्ली कालेज के छात्र नेता अली दाऊदी, शारिक अली, अबू होशाम, भीम आर्मी के शैलेश कुमार, नासिर अहमद, मुहम्मद नाजिम, सुनील यादव, आदि ने भी भाग लिया।


 इकबाल अंसारी


मुफ्त कनेक्शन के बाद, बड़े झटके की तैयारी

उत्तर प्रदेश: गरीबों को मुफ्त बिजली कनेक्शन के बाद अब बड़े झटके की तैयारी


प्रदेश के गरीब परिवारों को सौभाग्य योजना के तहत मुफ्त में बिजली कनेक्शन देने के बाद उप्र पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन अब उन्हें बिजली दर में बड़ा झटका देने की तैयारी में है।
कारपोरेशन की ओर से दो दिन पहले उप्र विद्युत नियामक आयोग में वर्ष 2019-20 के लिए घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दर में बढ़ोतरी के लिए जो प्रस्ताव दाखिल किया गया है, उसमें सबसे अधिक बढ़ोतरी बीपीएल उपभोक्ताओं के बिल में ही की गई है।
प्रस्ताव के मुताबिक, बीपीएल की बिजली दर में करीब 53 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रस्तावित बिजली दर पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि गरीब बीपीएल परिवार को एक बार फिर से लालटेन युग में धकेलने की साजिश है।
बता दें कि वर्ष 2018-19 में जब ग्रामीण अनमीटर्ड घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में बढ़ोतरी की गई थी, तो पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन ने दलील दी थी कि अक्तूबर-2018 से ग्रामीण उपभोक्ताओं को भी 24 घंटे तक बिजली उपलब्ध कराई जाएगी।


इसलिए 1 अप्रैल 2019 से ग्रामीणों की अनमीटर्ड दरों को 300 से बढ़ाकर 400 रुपये प्रतिमाह किया गया है। लेकिन वास्तविकता यह है कि ग्रामीणों को 24 घंटे बिजली तो मिली नहीं, पर बढ़ा हुआ दर देना पड़ रहा है। अब एक बार फिर से उनके बिजली दर को 400 से बढ़ाकर 500 रुपये प्रतिमाह किए जाने का प्रस्ताव देकर गांव के गरीब उपभोक्ताओं को बिजली दर का बोझ बढ़ाने की तैयारी है।
प्रस्तावित बिजली दर पर आपत्ति जताते हुए विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि यह ग्रामीण और बीपीएल उपभोक्ताओं व किसानों के साथ बड़ा धोखा है।
उन्होंने कहा कि 1 किलोवाट से लेकर 5 किलोवाट तक के घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली दरों का आकलन करने से पता चला है कि फिक्स चार्ज व यूनिट चार्ज के नाम पर बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं के साथ लगातार अन्याय कर रही हैं। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित बिजली दर के मुद्दे पर जल्द ही प्रदेश भर में आंदोलन शुरू किया जाएगा।
इसके लिए उनकी किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश सिंह टिकैत से भी वार्ता हुई है। दोनों संगठन साझा मंच बनाकर आंदोलन शुरू करेंगे। वहीं ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने उपभोक्ता परिषद केप्रतिनिधियों को सोमवार को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाया है।


ट्रैफिक सिस्टम पर आज से होगा काम

 


ट्रैफ़िक सिस्टम सुधारने के लिए आज से होगा काम।


 


 मुरादाबाद! वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने रविवार को कायंभर ग्रहण कर लिया है। वह आगरा से तबादला होकर मुरादाबाद आए है।
नवागत एसएसपी ने बताया कि मुरादाबाद मे ट्रैफ़िक सिस्टम को सुधारने के लिए सोमवार से ही काम शुरू हो जाएगा। इसमें शहर के लोगों को भी सहयोग करना पड़ेगा। अपराध के पुराने मामले का ख़ुलासा करने के लिए टीमों को लगाया जाएगा। महिला अपराध पर अंकुश लगाने पर पुलिस काम करेगी। अगले महीने स्कूल खुलने है। अत। स्कूल के आसपास छुट्टी और खुलने के समय पुलिस की उपलब्धता हर रहेगी ताकि किसी शौहदे की छात्राओं से अभद्रता करने की हिम्मत न हो सके।


मजदूरों के भुगतान में कटौती, डीएम से शिकायत

तेंदूपत्ता मजदूरों के भुगतान में बड़ी कटौती, सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज, कलेक्टर का कराया ध्यान आकृष्ट
सतना। सहायक वन परिक्षेत्राधिकारी बरौंधा एवं फड़मुंशी द्वारा वन परिक्षेत्र बरौंधा अंतर्गत पाथरकछार समिति के खोही फड़ में मजदूरों के भुगतान पर भारी कटौती किए जाने का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। सूत्रों के हवाले से मिली खबरों में बताया गया है कि खोही फड़ के तेंदूपत्ता तोड़ान में प्रति मजदूर को किए गए भुगतान में 200 से 300 रुपए तक की कटौती की गई है। पीड़ितों ने इस ओर सतना कलेक्टर डॉ. सत्येंद्र सिंह का ध्यान आकृष्ट कराते हुए सीएम हेल्पलाइन पर भी अपनी शिकायत दर्ज कराई है। जो भी हो फिलहाल मजदूरी में इतनी बड़ी कटौती मजदूरों की समझ के परे है। एक मजदूर का दो से लेकर तीन सौ रुपए काटकर भुगतान करने का मतलब अकेले खोही फड़ मे करीब चालीस हजार की हेराफेरी होने का खुला संकेत करता है, वो भी एक सक्षम अधिकारी के सामने। अब देखना यह है कि सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायत का क्या असर पड़ता है ? कलेक्टर साहब इस मामले पर विभागीय अधिकारी व फड़ मुंशी के खिलाफ कार्यवाही कर मजदूरों को उनकी वाजिब मजदूरी दिलवा पायेंगे ?


कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप

कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप  दुष्यंत टीकम  जशपुर/पत्थलगांव। जशपुर जिले के एक गांव में कुएं में नवजात शिशु का शव मिला है। इससे...