समसमायिक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
समसमायिक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 9 जून 2022

शुक्ल-पक्ष में मनाईं जाएंगी 'निर्जला एकादशी'

शुक्ल-पक्ष में मनाईं जाएंगी 'निर्जला एकादशी' 

सरस्वती उपाध्याय 
निर्जला एकादशी का काफी अधिक महत्व है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल-पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी के अलावा भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। साल में पड़ने वाली 24 एकादशियों में से इसे सबसे कठिन एकादशी माना जाता है। क्योंकि इस एकादशी में बिना जल पिएं व्रत रखा जाता है। एकादशी भगवान विष्णु को अति प्रिय है। मान्यता है कि इस एकादशी में भगवान विष्णु की विधिवत तरीके से पूजा करने के साथ व्रत रखने से सभी एकादशियों के बराबर फल मिलता है। जानिए निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
 
निर्जला एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त...

निर्जला एकादशी तिथि- 10 और 11 जून 2022, शुक्रवार।
 
एकादशी तिथि प्रारंभ- 10 जून सुबह 7 बजकर 25 मिनट से शुरू।

एकादशी तिथि समाप्त- 11 जून सुबह 5 बजकर 45 मिनट में समाप्त।

अभिजीत मुहूर्त – 10 जून को सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक।

शिव योग – 11 जून शाम 08 बजकर 46 मिनट से 12 जून शाम 05 बजकर 27 मिनट तक।

स्वाति नक्षत्र – 11 जून सुबह 03 बजकर 37 मिनट से 12 जून सुबह 02 बजकर 05 मिनट तक।

रवि योग- 10 जून को सुबह 5 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर 11 जून सुबह 3 बजकर 37 मिनट तक।

सर्वार्थ सिद्धि योग- 11 जून सुबह 5 बजकर 23 मिनट से 12 जून सुबह 2 बजकर 5 मिनट तक।

पारण का समय- 11 जून सुबह 5 बजकर 49 मिनट’ से 8 बजकर 29 मिनट तक।

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साथ कपड़े धारण कर लें। भगवान विष्णु का मनन करके हुए निर्जला व्रत का संकल्प ले लें।

भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा अर्चना करें।
सबसे पहले एक चौकी या फिर पूजा घर में ही पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर या फिर मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद फूल की मदद से जल अर्पित करके शुद्धि करें।
आसन बिछाकर बैठ जाएं।
अब भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल और माला चढ़ाएं। इसके बाद पीले रंग का चंदन, अक्षत आदि लगा दें।
इसके साथ ही भोग और तुलसी दल चढ़ा दें। अब घी का दीपक और धूप जलाकर विष्णु भगवान के मंत्र, चालीसा, स्तुति, स्तोत्र आदि का जाप कर लें।
अंत में विधिवत आरती कर लें और दिनभर निर्जल व्रत रहने के बाद दूसरे दिन सूर्योदय होने के बाद पारण करें। इसके बाद जल ग्रहण करें।

बुधवार, 8 जून 2022

महत्व: 9 जून को मनाया जाएगा, गंगा दशहरा

महत्व: 9 जून को मनाया जाएगा, गंगा दशहरा

सरस्वती उपाध्याय  
गंगा दशहरे का अपना एक अलग महत्व है। मान्यता है कि गंगा दशहरे के दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। इस बार गंगा दशहरा 9 जून को मनाया जाएगा। बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा 2022 का पर्व ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। इस दिन गंगा स्नान करने और दान देने की परंपरा है। कहा जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से 10 प्रकार के पाप कट जाते हैं। इस बार गंगा दशहरा का पर्व 9 जून को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन चार शुभ योग का निर्माण हो रहा है।

नौकरी में बाधा से मुक्ति के लिए उपाय...

अगर आपको लंबे समय से नौकरी या व्यापार में बाधा का सामना करना पड़ रहा है तो, गंगा दशहरा के दिन एक मिट्टी का घड़ा लें। उसमें गंगा जल की कुछ बूंदें और थोड़ी शक्कर डालें। अब घड़े में पानी भरकर किसी गरीब या जरूरतमंद को दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से नौकरी में आने वाली बाधाएं खत्म होती हैं।

धन प्राप्ति के लिए उपाय...

गंगा दशहरा के दिन स्नान करने के बाद मंदिर में जाकर शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक करें और थोड़ा जल बचा लें। उसी जल से पूरे घर में छिड़काव करने से नकारात्मकता दूर होती है। इसके साथ ही धन आगमन की रुकावटें खत्म हो जाती हैं।

कर्ज से मुक्ति के लिए उपाय...

कर्ज से मुक्ति के लिए गंगा दशहरा के दिन अपनी लंबाई का एक काला धागा लें और उसे नारियल में लपेटकर शिवलिंग के समक्ष रखें। इसके बाद अपनी समस्या की समाप्ति की प्रार्थना करें और शाम को काले धागे से लिपटा नारियल बहते जल में प्रवाहित कर दें। प्रवाहित करने के बाद पीछे मुड़कर न देखें। मान्यता है कि ऐसा करने से समस्या से मुक्ति मिलती है।

बुधवार, 1 जून 2022

गंगाजल की पवित्रता बनाएं रखें, जानिए नियम

गंगाजल की पवित्रता बनाएं रखें, जानिए नियम

सरस्वती उपाध्याय
पूजा-पाठ, शुद्धिकरण कई शुभ कार्यों में गंगाजल का उपयोग किया जाता है। अधिकतर लोग गंगाजल को अपने घरों में भी रखते हैं। लेकिन नियमों का पालन नहीं कर पाते। जी हां, आपको बता दें कि हिंदू धर्म में गंगाजल को बहुत पवित्र माना जाता है। जन्म से लेकर मरण तक गंगाजल का बहुत महत्व है। सनातन धर्म में गंगा नदी को मां का दर्जा दिया गया है।
मान्यता है कि गंगाजी के दर्शन मात्र से मनुष्यों के पाप धुल जाते हैं, और गंगाजल के स्पर्श से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। ऐसे में जरूरी है कि अगर घर में गंगाजल रख रहे हैं तो इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए इन नियमों का जरूर पालन करें...

रहे सावधान, शनि वक्री हो रहे हैं, 141 दिनों तक आपकी राशि को प्रभावित करेंगे।
अमूमन लोग गंगाजल को प्लास्टिक की बोतल में भरकर रखते हैं, जो कि गलत है। विज्ञान में प्लास्टिक बोतल को जहरीला माना जाता है। गंगाजल को हमेशा चांदी, पीतल या तांबे के बर्तन में भरकर रखना चाहिए।
घर में जिस स्थान पर गंगाजल रखा हो, वहां शुद्धि का बहुत ध्यान रखें। उस जगह हमेशा साफ-सफाई जरूर करें। गंगाजल की पवित्रता बनाए रखने के लिए पूजा घर में इसे रखने की सलाह दी जाती है। घर के ईशान कोण को देवताओं का स्थान माना जाता है। इसलिए गंगाजल को हमेशा घर की इस दिशा में रखना शुभ माना जाता है।

गंदे हाथों से जल स्पर्श न करें...
गंगाजल के प्रयोग से पहले ध्यान रखे की आपके हाथ स्वच्छ हों। गंदे हाथों से इसे न छूएं। घर में गंगाजल हो तो मास-मदिरा का सेवन न करें। गंदे हाथ से गंगाजल स्पर्श करने पर ग्रहदोष लगता है।

अंधेरे में न रखा हो, गंगाजल...
गंगाजल को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और घर में ये ऊर्जा बनी रहती है। लेकिन इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि इसे कभी भी अंधेरे कमरे या अंधेरे कोने में न रखें।

सोमवार, 30 मई 2022

गाय का दूध सबसे पॉपुलर ऑप्शन हैं: न्यूट्रिशनिस्ट

गाय का दूध सबसे पॉपुलर ऑप्शन हैं: न्यूट्रिशनिस्ट 

अकांशु उपाध्याय      
नई दिल्ली। किसी व्यक्ति के दूध ना पीने की कई वजह हो सकती हैं। कुछ लोग हेल्थ से जुड़ी समस्याओं की वजह से दूध नहीं पीते हैं और कुछ लोग एक खास डाइट को फॉलो करने के लिए भी ऐसा करते हैं। खैर, उनकी वजह जो भी हो, इससे पहले कि आप भी दूध छोड़ने का मन बनाएं और अपने मेन्यू में कोई और ऑप्शन शामिल करें, आपके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। न्यूट्रिशनिस्ट भक्ति कपूर ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के ज़रिए ये समझाने की कोशिश की है कि नॉन डेयरी मिल्क ऑप्शंस आज पॉपुलैरिटी में आसमान छू रहे हैं, लेकिन ये जानने की भी ज़रूरत है कि ये गाय के दूध के मुकाबले कैसे ढेर हो जाते हैं ?
न्यूट्रिशनिस्ट ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट के कैप्शन में लिखा, “गाय का दूध सबसे पॉपुलर ऑप्शन है, खासकर बच्चों के लिए। ये फैट, प्रोटीन समेत ज़रूरी विटामिन और मिनरल्स से नेचुरली मिलने वाली कैलोरी का एक बेहतर बैलेंस प्रदान करता है, जैसे विटामिन डी और कैल्शियम, क्योंकि ज़रूरी न्यूट्रिएंट्स प्रदान करना बच्चों की ग्रोथ और विकास के लिए ज़रूरी है।
उन्होंने बताया है कि दूध के विकल्प की तलाश करते समय इन चीजों पर ज़रूर विचार करें।
ऐसे न्यूट्रिशनल प्रोफ़ाइल की तलाश करें, जो असली दूध के समान हो।
बिना स्वाद के और बिना मीठे वाले विकल्प चुनें और छिपी हुई शुगर से सावधान रहें।
जब भी संभव हो, एडिटिव्स (कुछ मिला हुआ) से बचें।
ऐसे किसी भी प्रोडक्ट से बचें जो एलर्जी को ट्रिगर कर सकता है।
न्यूट्रिशनिस्ट का कहना है, “सुबह आपकी कॉफी में दूध लेने की अगर बात आती है, तो आप इसे बादाम के दूध से बदल सकते हैं। बादाम का दूध यहां अच्छा काम करता है। वहीं, जब बेकिंग की बात आती है, तो सोया दूध या जई का दूध  गाय के दूध का बेहतरीन विकल्प हो सकता है। ज्यादातर रेसिपी में आप दूध के किसी भी ऑप्शन को 1:1 के अनुपात (Ratio) में बदल सकते है।
यदि आपको दूध से एलर्जी है।
 ये आपका एक निजी या नैतिक निर्णय है।
इसकी कोई मेडिकल वजह है।
आपको दूध पीना अच्छा नहीं लगता है और जानते हैं कि इससे किन न्यूट्रिएंट्स को बदलना है।
यदि आपका डाइट कल्चर आपको ऐसा करने को कहता है।
कोई डॉक्युमेंट्री आपको ऐसा करने से डराती है।
आपको असली दूध का स्वाद पसंद है, लेकिन आप खुद को बदलने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
आपको लगता है कि हर विकल्प पौष्टिक रूप से वास्तविक दूध के बराबर है।

गर्मियों में फिट रहना, व्यक्तिगत-पेशेवर जीवन का हिस्सा

गर्मियों में फिट रहना, व्यक्तिगत-पेशेवर जीवन का हिस्सा

सरस्वती उपाध्याय
गर्मियों में फिट रहना, हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन का हिस्सा होना चाहिए और पोषण उस लक्ष्य का एक अभिन्न अंग है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ आमतौर पर मौसम के दौरान भोजन से संबंधित प्रश्नों के शीर्ष पर रहते हैं। लेकिन, क्या 2022 की गर्मी कुछ अलग है? निश्चित रूप से, एक महामारी में दो साल बिताने के बाद, लोग छुट्टियों, सामाजिक समारोहों और सप्ताहांत के रात्रिभोज की योजना बना रहे हैं।
इस शिथिल रवैये के परिणामस्वरूप, वे पोषण के महत्व को खो रहे हैं। यह लेख गर्मियों के दौरान आपके स्वास्थ्य और पोषण को नियंत्रण में रखने में आपकी मदद करने के लिए आसान-से-आसान टिप्स प्रदान करेगा। क्या बदलते मौसम से हमारे खान-पान पर असर पड़ता है। इसका जवाब है हाँ।
जैसे-जैसे मौसम बदलता है, हम अपनी शारीरिक गतिविधि और खाने की आदतों के स्तर को भी बदलते हैं। आमतौर पर गर्मियों की भूख के लिए एक ऊष्मीय प्रकृति होती है। मौसम जितना गर्म होगा, हम उतना ही ठंडा होना चाहेंगे। गर्मियों के दौरान, शरीर पसीने के माध्यम से पानी की कमी से निपटने और स्वस्थ पाचन क्रिया को बनाए रखने के लिए अधिक पानी, तरल और हल्के पके हुए खाद्य पदार्थों की लालसा रखता है।
टोरंटो विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक सी पीटर हरमन ने इस दावे का समर्थन किया और उल्लेख किया कि गर्म जलवायु में, लोग कम खाते हैं और ‘कूलर’ खाद्य पदार्थ पसंद करते हैं। 2 मई, 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इस गर्मी में, भारत में दूध आधारित आइसक्रीम और डेयरी-आधारित पेय पदार्थों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
लॉकडाउन के परिणामस्वरूप, स्थानीय बाजारों का बंद होना, और मिथक ‘कोल्ड’ को कोविड-19 संक्रमण से जोड़ते हुए, इन पेय पदार्थों और आइसक्रीम की बिक्री में पिछले दो सीज़न में गिरावट देखी गई। हालाँकि, गर्मियों में पोषण केवल आइसक्रीम, फलों के रस और ठंडे पेय से अधिक है। इन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में बड़ी मात्रा में परिष्कृत सफेद चीनी भी मौजूद होती है, जो लंबे समय तक सेवन करने पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।

शुक्रवार, 27 मई 2022

महत्व: 30 मई को रखा जाएगा 'वट सावित्री व्रत'

महत्व: 30 मई को रखा जाएगा 'वट सावित्री व्रत'  

सरस्वती उपाध्याय      

किसी भी सुहागिन महिला के लिए वट सावित्री का व्रत बहुत अधिक महत्व रखता है। इसका फल भी करवा चौथ के व्रत के समान है। इस व्रत को करने से महिलाओं को सदा सुहागन होने का वरदान प्राप्त होता है और इनके पति को लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य का भी वरदान प्राप्त होता है। इस साल 2022 में 30 मई को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। इस दिन सोमवार पड़ने की वजह से सोमवती अमावस्या का फल भी व्रत रखने वाली महिलाओं को प्राप्त होगा। इसे बड़ा अमावस भी कहा जाता है। कहीं-कहीं पर बरगदाही के नाम से भी वट सावित्री व्रत को जाना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। इसीलिए सुहागिन महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। वट सावित्री का व्रत करने वाली महिलाएं सोलह सिंगार करके बरगद के पेड़ के पास जाकर कच्चा सूत बांधकर बरगद की परिक्रमा करती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाकर हल्दी कुमकुम या रोली का टीका लगाकर विधिवत पूजा अर्चना करती हैं।

वट सावित्री का व्रत करने वाली सुहागिन महिलाएं अपने सास को बायना भी देती हैं। इस बायना में सुहाग का पूरा सामान रखा जाता है। एक बांस की टोकरी में साड़ी, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, काजल, फल, भीगा चना, पूड़ी रखकर अपनी सास को भेंट करती है। ऐसी मान्यता है कि सास को सुहाग का सामान भेंट करने से सदा सुहागन होने का वरदान प्राप्त होता है और घर में सुख शांति समृद्धि बढ़ती है।

शनिवार, 7 मई 2022

8 मई को मनाया जाएगा हैप्पी 'मदर्स डे'

8 मई को मनाया जाएगा हैप्पी 'मदर्स डे'  

सरस्वती उपाध्याय

हैप्पी 'मदर्स डे' को लेकर लोगों को उत्साह है। हर साल 8 मई को मदर्स डे मनाया जाता है। इस साल मदर्स डे 8 मई, रविवार को है। हैप्पी मदर्स डे मां और बच्चों के प्रेम और स्नेह का दिन है। वैसे तो हर दिन मां और बच्चों का होता है। लेकिन बच्चे जीवन की भागदौड़ में मां को यह बता नहीं पाते कि उनके जीवन में मां कितनी अहम हैं। ऐसे में मदर्स डे मां के मातृत्व, उनकी देखभाल, निस्वार्थ प्यार को समर्पित दिन होता है। लेकिन मदर्स डे के बारे में आप कितना जानते हैं? विश्व मातृ दिवस के अवसर पर भले ही लोग अपनी-अपनी तरह से मदर्स डे का पर्व मनाते हैं। लेकिन मदर्स डे से जुड़ी कई ऐसी बाते हैं, जिनसे आप अनजान होंगे...

पहला मदर्स डे कहां मनाया गया...

मौजूदा समय में दुनिया के तमाम देश मदर्स डे मनाते हैं। अमेरिका से लेकर भारत और यूरोपीय देशों में मदर्स डे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है लेकिन शायद आप इस बात से अनजान हो कि सबसे पहला मदर्स डे अमेरिका के वेस्ट वर्जीनिया और फिलाडेल्फिया में मनाया गया था। साल 1908 में पहली बार मदर्स डे मनाया गया।

6 मार्च को भी मदर्स डे...

उसके बाद से कई सारे देशों में मदर्स डे मनाने का एक तय दिन हो गया। जिसे भारत, अमेरिका समेत अन्य देशों ने अपना लिया लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि यूके में मदर्स डे 6 मार्च को मनाया जाता है।

मदर्स डे मनाने की आधिकारिक घोषणा...

भले ही साल 1908 में मदर्स डे मनाने की शुरुआत हो गई हो लेकिन आधिकारिक तौर पर मदर्स डे मनाने के लिए कानून पास हुआ। अमेरिके के राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने 9 मई 1914 को कानून पास किया, जिसमें लिखा था कि मई महीने के हर दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाएगा।

सोमवार, 2 मई 2022

तृतीया तिथि को मनाईं जाएंगी 'परशुराम जयंती'

तृतीया तिथि को मनाईं जाएंगी 'परशुराम जयंती'  

सरस्वती उपाध्याय         
परशुराम भगवान विष्णु को छठवें अवतार माने जाते हैं। उनके पिता का जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। परशुराम के चार बड़े भाई थे। परशुराम को न्याय देवता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान परशुराम का जन्म वैशाख माह के शुक्ल-पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था। इस दिन को लोग अक्षय तृतीया के नाम से भी जानते हैं। इस साल अक्षय तृतीया व परशुराम जयंती 3 मई, मंगलवार को है। 
प्रभु परशुराम अपने माता-पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे। इसके बावजूद उन्होंने अपने पिता के कहने पर अपनी माता की गर्दन काट दी थी।
ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान परशुराम को एक बार उनके पिता ने आज्ञा दी थी कि वो अपनी मां का वध कर दें। भगवान परशुराम आज्ञाकारी पुत्र थे। इसलिए उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए तुरंत अपनी मां का सिर धड़ से अलग कर दिया था। अपने पुत्र को आज्ञा का पालन करते हुए देखकर भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि बेहद प्रसन्न हुए। पिता को प्रसन्न देखकर उन्होंने अपनी मां को दोबारा जीवित करने का आग्रह किया।

पिता से भगवान परशुराम ने मांगे तीन वरदान...

परशुराम ने अपने पिता से तीन वरदान मांगे थे। पहले वरदान में माता रेणुका को पुनर्जीवित करने और दूसरा चारों भाइयों को ठीक करने का वरदान मांगा। तीसरे वरदान में उन्होंने कभी पराजय का सामना न करना पड़ा और लंबी आयु का वरदान मांगा था।

गुरुवार, 28 अप्रैल 2022

ऑयल का चुनाव एक्सपर्ट की सलाह से ही करें

ऑयल का चुनाव एक्सपर्ट की सलाह से ही करें
सरस्वती उपाध्याय 
स्वस्थय हृदय के लिए स्वस्थ खानपान भी जरूरी है। खासकर, भोजन पकाने के लिए तेल का चुनाव बेहद सावधानी पूर्वक करना चाहिए, क्योंकि सरसों तेल, रिफाइंड ऑयल, घी आदि की क्वालिटी सही ना हो, तो शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल, फैट आदि बढ़ने की संभावना रहती है। ऐसे में हेल्दी हार्ट के लिए कुकिंग ऑयल का चुनाव किसी एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही करें। खासकर, जब आपके घर में किसी को हार्ट की बीमारी है या हृदय रोग होने की फैमिली हिस्ट्री है। आइए जानते हैं, लंबी उम्र तक स्वस्थ हृदय के लिए कौन-कौन से तेल होते हैं बेस्ट‌।
फूड डॉट एनडीटीवी डॉट कॉम में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, सूरजमुखी के बीजों से तैयार किए गए इस तेल में अन्य तेलों की तुलना में अधिक विटामिन ई होता है। यह हृदय के लिए एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है। आप इसे सरसों के तेल के साथ मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं। सूरजमुखी के तेल में 80% से अधिक मोनोअनसैचुरेटेड फैट होता है, जो इसे दिल के लिए बेहतरीन तेल बनाता है। इसका स्मोक प्वाइंट बहुत अधिक होता है, इसलिए इसका उपयोग ज्यादातर तलने के लिए किया जाता है।
ऑलिव ऑयल में पाया जाने वाला मुख्य प्रकार का वसा मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड एक हेल्दी डायटरी फैट की श्रेणी में आता है। ये स्वस्थ वसा शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल रखकर हृदय रोग के जोखिम को कम करने में कारगर होता है। एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल को आप सलाद में ड्रेसिंग के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं, रेगुलर ऑलिव ऑयल में हाई स्मोक प्वाइंट होता है और इसे तलने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जो हार्ट हेल्थ के स्वस्थ रखता है।
चावल की भूसी या राइस ब्रान ऑयल दिल के लिए सबसे बेस्ट खाना पकाने के तेलों में से एक माना जाता है। इसमें पॉलीअनसैचुरेटेड फैट और मोनोअनसैचुरेटेड फैट का एक आदर्श संतुलन होता है। चावल के दाने की बाहरी परत को चोकर कहा जाता है। इस भूरी भूसी से तेल निकाला जाता है। इसका स्वाद में हल्का और हल्का सा नट जैसा स्वाद होता है। इसे सलाद, कुकीज और केक में या ग्रिलिंग और तलने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। मात्रा में ओमेगा-6 फैटी एसिड (जिसे लिनोलिक एसिड भी कहा जाता है) होता है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल को संतुलित करता है, धमनियों को सख्त होने से रोकता है और इस प्रकार, हृदय रोग के जोखिम को कम करता है।
तिल का तेल खाएं दिल को रखें हेल्दी
तिल का तेल भी हेल्दी हार्ट के लिए बेहतर होता है।‌ अधिकतर लोग इस तेल का खाना पकाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसका स्वाद भी बहुत अच्छा होता है। मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड में समृद्ध यह तेल अपने हाई स्मोक प्वाइंट के लिए जाना जाता है। इसका सेवन भी हेल्दी हार्ट के लिए किया जा सकता है।
सोयाबीन तेल भी है हार्ट फ्रेंडली
सोयाबीन का तेल सोयाबीन से निकाला जाने वाला एक वनस्पति तेल है।‌ इसमें अच्छी किस्म के आवश्यक फैटी एसिड और प्लांट स्टेरोल होते हैं, जो समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। ये शरीर में कोलेस्ट्रॉल को जमा होने से रोकते हैं। बंद धमनियों (एथेरोस्क्लेरोसिस) और हार्ट डिजीज जैसे हार्ट अटैक, स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है।

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

रमजान का महीना, सहरी में 5 ड्रिंक्स का करें सेवन

रमजान का महीना, सहरी में 5 ड्रिंक्स का करें सेवन      

सरस्वती उपाध्याय 

रमजान का पवित्र महीना (Month of Ramzan) चल रहा है। इस पूरे महीने मुसलमान दिन भर रोजा रखते हैं और खुदा की इबादत करते हैं। माना जाता है कि रमजान के महीने में खुदा की इबादत करने और रोजा रखने से बाकी महीनों से ज्यादा नेकियां मिलती हैं और जन्नत का दरवाजा खुल जाता है। इसलिए मुस्लिम समुदाय के लोग 15 घंटे बिना कुछ खाए और पिएं रहते हैं। हालांकि, गर्मी के मौसम में दिन भर भूखा रहना बर्दाश्त किया जा सकता है। लेकिन प्यास को बर्दाश्त करना मुश्किल होता है। ऐसे में अगर कुछ जरूरी चीजों का सेवन किया जाए तो दिन भर शरीर हाइड्रेट रहता है और एनर्जी भी बनी रहती है, तो आइए जानते हैं कि आप सहरी में किन चीजों का इस्तेमाल करें, जिससे पूरे दिन आप एनर्जी के साथ बिना प्यास महसूस किए गुजार सकें।

खजूर शेक...

रमजान के दिनों में इफ्तार की शुरुआत खजूर से ही की जाती है। ऐसे में अगर आप खजूर शेक बनाकर सहरी में पिएं तो आपको पूरे दिन प्यास नहीं लगेगी। खजूर में कई जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो शरीर की कमजोरी को दूर करने का काम करते हैं।

किशमिश मिल्‍क...

किशमिश के सेवन से थकावट दूर होती है और शरीर की इम्‍यूनिटी अच्‍छी होती है। ऐसे में आप रमजान के दिनों में आधा लीटर दूध में 15 ग्राम किशमिश को डालकर उबाल लें और फ्रिज में रख दें। इसे आप सहरी में पियें। यह आपको पूरे दिन कमजोरी और प्यास से बचाएगी।

दही...

अगर आप सहरी में दही का सेवन करें तो इससे आपको दिन भर प्‍यास नहीं लगेगी और एनर्जी से भरपूर रहेंगेे। दरअसल दही में विटामिन, प्रोटीन, लैक्टोज, फास्फोरस और अधिक मात्रा में कैल्शियम मौजूद होता है जो हड्डियों के की सेहत से लेकर पाचन तंत्र को भी ठीक रखता है। इसके सेवन से पूरे दिन प्यास भी नहीं लगती हैै।

संतरे का जूस...

संतरे का फल अगर आप सहरी में पियें तो ये आपके शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है और आप दिन भर प्‍यास महसूस नहीं करते। संतरे में विटामिन सी, पोटेशियम, फाइबर, विटामिन ए जैसे कई पोषक तत्व होते हैं जो कई बीमारियों को भी दूर रखने का काम करता हैै।

पानी पिएं...

दिन भर अगर आप प्‍यासे रहते हैं तो सहरी के समय ज्‍यादा से ज्‍यादा पानी पीने की कोशिश करें। रमजान के दिनों में सहरी में कम-से कम तीन गिलास नॉर्मल पानी जरूर पीना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में बने रहे टॉक्सिन को फ्लश करने में आसानी होती है।

लू को मात देने के लिए अपनाएं, खास टिप्स

लू को मात देने के लिए अपनाएं, खास टिप्स  

सरस्वती उपाध्याय 
अंग्रेजी में एक कहावत है, ‘प्रिवेंशन इज बेटर दैन क्योर’, जिसका सीधा सा मतलब है कि इलाज से बेहतर बचाव होता है। दरअसल, ये कहावत गर्मी पर बिल्कुल सटीक लागू होती है। कई लोग गर्मी से बचने के लिए तपती धूप और खासकर लू में निकलने से पहले कोई एहतियात नहीं बरतते हैं, जिसके चलते न सिर्फ उन्हें लू लगने का खतरा बढ़ जाता है, बल्कि उनकी तबीयत भी गंभीर रूप से खराब हो सकती है।
दरअसल, गर्मी के मौसम में लू लगना आम बात होती है। ऐसे में कुछ लापवाहियों के चलते कई लोग लू का शिकार हो जाते हैं। जिसके बाद लूज मोशन, उल्टी, डिहाइड्रेशन, शरीर में दर्द, थकान और कमजोरी आने लगती है। साथ ही वायरल इंफेक्शन होने की संभावना भी काफी हद तक बढ़ जाती है। हम आपसे शेयर कर रहे हैं, लू से बचने के कुछ खास टिप्स, जिन्हें फॉलो करके आप लू को आसानी से मात दे सकते हैं।

शरीर को कवर करके रखें...
गर्मी में कुछ लोग धूप और चिलचिलाती गर्मी के कारण कम से कम कपड़े पहन कर बाहर जाने को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन ऐसे में लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बाहर निकलने से पहले शरीर को अच्छे से ढकना ना भूलें।
शरीर को लू से बचाने के लिए बाहर निकलते समय फुल स्लीव कपड़े पहनने की कोशिश करें। बेशक फुल कपड़ों में आपको गर्मी ज्यादा लग सकती है। मगर, इससे आपको धूप और लू बिल्कुल नहीं लगेगी। साथ ही गर्मी में सिंथेटिक कपड़ों के बजाए ढ़ीले-ढ़ाले हल्के रंग के सूती कपड़े पहने। इससे आपको भी गर्मी कम लगेगी और आप काफी कम्फर्टेबल फील करेंगे।
धूप और लू का आंखों पर सीधा असर होता है। जिससे आपकी आंखों में जलन, खुजली और सूजन भी शुरू हो सकती है। ऐसे में बाहर जाते समय आंखों पर सन ग्लास पहनना ना भूले।
गर्मी में खाली पेट बाहर निकलना बीमारी को आमंत्रण देने जैसा होता है। इसलिए हमेशा कुछ न कुछ खाकर ही बाहर जाएं। साथ ही गर्मी से बचने के लिए आम पना, शिंकजी और गन्ने का जूस जैसे ड्रिंक्स भी पी सकते हैं। इससे आपका शरीर ठंडा रहेगा और आप पर गर्मी का असर नहीं होगा।

इन बातों का रखें ख्याल...
गर्मी में शरीर को ठंडा रखने के लिए रोज नहाएं और घर को भी ठंडा रखने की कोशिश करें। वहीं धूप से आने के बाद तुंरत पानी या ठंडी चीजों का सेवन करने से बचें। इसके अलावा गर्मी में हेल्दी रहने के लिए मार्किट में खुली चीजों और कटे फलों को भूलकर भी ना खाएं। इससे आपकी तबीयत खराब हो सकती है।

शनिवार, 23 अप्रैल 2022

अपने दिनचर्या में शामिल करें योगाभ्यास, जानिए

अपने दिनचर्या में शामिल करें योगाभ्यास, जानिए        

सरस्वती उपाध्याय            
गर्मियां आते ही शरीर में कई सारे बदलाव देखने को मिलते हैं। हमारे शरीर में पानी की अधिक जरूरत होती है ऐसे में आप ज्यादा-ज्यादा पानी पिएं, मौसमी फल और सब्जी अपनी डाइट में ज़रूर शामिल करें। इन सबके साथ ही आप अपने शरीर को सही तरीके से आराम भी दें। क्योंकि बिगड़ी हुई लाइफ स्टाइल आपके पाचन पर गहरा असर डालती है। यदि आपकी पाचन क्रिया दुरुस्त नहीं होगी तो आपको कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। बिगड़ी दिनचर्या के कारण बहुत से लोगों में अकड़न-जकड़न और ब्लड प्रेशर की समस्या देखने को मिलने लगी है। प्रभावित लाइफ स्टाइल आपके शरीर में रक्त संचार को भी प्रभावित करता है। इसके लिए आपको अपने दिनचर्या में नियमित रूप से योगाभ्यास को शामिल करना चाहिए। 
किसी भी योगासन की शुरुआत ध्यान के साथ करना चाहिए। इससे मन एकाग्र होता है और योगसन के अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं। अपनी आती जाती सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। उसके बाद ओम के साथ किसी भी मंत्र का उच्चारण करें।
अब सीधे खड़े होकर अपने हाथों को कमर पर रख लें। पैरों को आस में करलें, पंजों के बल खड़े हो जाए और फिर नीचे आएं उसके बाद एड़ी के बल खड़े हो जाएं। इस प्रक्रिया 10 बार दोहराएं।
सबसे पहले घुटनों को मोड़कर मलासन में बैठ जाएं। इस दौरान आपकी एडियां हिप्स को टच करनी चाहिए।
अब घुटनों को थोड़ा नीचे झुकाकर पंजों पर बैठें और हाथों को घुटनों पर रखें।
अब दाएं घुटने को अंदर की तरफ जमीन पर टिकाएं।
फिर बाएं पैर को उठाकर आगे की तरफ ले जाएं और जमीन पर टिकाएं।
अब बाएं घुटने को जमीन पर टिकाते हुए दाएं पैर को आगे ले जाकर रखें।
इसी तरह एक ही दिशा में आगे बढ़ते रहें।
मैट की दूरी तक आगे बढ़ें और फिर अपनी जगह वापिस आ जाएं।
यह क्रिया कम से कम 5-7 बार करें।
अगर आप ऐसी जगह आसन कर रहे हैं, जहां आपके घुटनों को नीचे टिकाने में तकलीफ न हो, तो एक ही दिशा में जितना आगे बढ़ सकें, बढ़ें।
ध्यान रखें चाल हमेशा पंजों के बल ही करें।
इस आसन के दौरान आपको शरीर के निचले हिस्से में खिंचाव महसूस होगा।
यह आपके फैट को तेजी से बर्न करने में मदद करेगा।हो सकता है शुरूआत में आपको बैलेंस बनाने में दिक्कत आए। इसलिए बेहतर होगा कि आप हाथों को जमीन पर टिकाकर बॉडी को सपोर्ट दे।
सर्वांग पुष्टि आसन के लिए मैट पर दोनों पैर फैलाकर सीधे खड़े हो जाएं। मुट्ठी इस तरह बंद करें कि अंगूठा दिखाई ना दे। अब दोनों हाथों को नीचे झुकाकर बाएं टखने के पास बायां हाथ नीचे और दायां हाथ कलाई के ऊपर रखें। सांस भरते हुए धीरे-धीरे दोनों हाथों से ऊपर की ओर बाएं कन्धे के बाजू से सिर तक ले जाएं और दाएं टखने की तरफ सांस छोड़े। दाहिना हाथ नीचे और बायां हाथ ऊपर रखें। दोबारा सांस लेकर दोनों हाथों के नीचे से ऊपर दाएं कन्धे तक लाते हुए सिर के ऊपर तक ले जाएं। अब बाईं ओर मुड़ते हुए दोनों हाथों को बाएं कन्धे से नीचे की ओर बाएं टखने तक लाएं। सांस छोड़े, हाथ को बदल-बदलकर बायां नीचे और दाहिना ऊपर रखें। इसे दो बार दोहराएं। हर अंग की चर्बी घटाने के लिए करें ‘सर्वांग पुष्टि आसन’ बेहतरीन है। लेकिन जो लोग लोअर बैक पेन की समस्या से परेशान हैं वे इस आसन को ना करें। लाभकारी है। तितली आसन करने के लिए पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएं,रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। घुटनो को मोड़ें और दोनों पैरों को श्रोणि की ओर लाएं। दोनों हाथों से अपने दोनों पांव को कस कर पकड़ लें। सहारे के लिए अपने हाथों को पांव के नीचे रख सकते हैं। एड़ी को जननांगों के जितना करीब हो सके लाने का प्रयास करें। लंबी,गहरी सांस लें, सांस छोड़ते हुए घटनों एवं जांघो को जमीन की तरफ दबाव डालें। तितली के पंखों की तरह दोनों पैरों को ऊपर नीचे हिलाना शुरू करें। धीरे धीरे तेज करें। सांसें लें और सांसे छोड़ें। शुरुआत में इसे जितना हो सके उतना ही करें। धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

22 अप्रैल को मनाया जाता हैं 'विश्व पृथ्वी दिवस'

22 अप्रैल को मनाया जाता हैं 'विश्व पृथ्वी दिवस'   

सरस्वती उपाध्याय            

'वर्ल्ड अर्थ डे' यानी, विश्व पृथ्वी दिवस हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाता है। ये दिन एक मौका होता है, जब करोड़ों लोग मिलकर पृथ्वी से जुड़ी पर्यावरण की चुनौतियों जैसे कि, क्लाइमेट चेंज। ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण और जैवविविधता संरक्षण के लिए प्रयास करने में और जागरुक हों और इसमें तेजी लाएं। इस दिन को इंटरनेशनल मदर अर्थ डे के रूप में भी जाना जाता है।इसे मनाने का मकसद यही है कि लोग पृथ्वी के महत्‍व को समझें और पर्यावरण को बेहतर बनाए रखने के प्रति जागरूक हों। यही वजह है कि इस दिन पर्यावरण संरक्षण और पृथ्वी को बचाने का संकल्प लिया जाता है।

विश्व पृथ्वी दिवस के दिन पेड़ लगाकर, सड़क के किनारे कचरा उठाकर, लोगों को टिकाऊ जीवन जीने के तरीके अपनाने के लिए प्रेरित करने जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करके सेलिब्रेट किया जाता है। इसके अलावा बच्चों में जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन स्कूलों और विभिन्न समाजिक संस्थाओं द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

यह है 'वर्ल्ड अर्थ डे' का इतिहास...

विश्व पृथ्वी दिवस पहली बार साल 1970 में मनाया गया था। तब से लेकर आज तक इसे हर साल 22 अप्रैल को 192 देशों में सेलिब्रेट किया जाता है। दरअसल, साल 1960 दशक में विकास कार्यों के चलते पेड़ों की बड़ी मात्रा में कटाई की गई थी, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान हुआ। इसी को देखते हुए अमेरिकी सेनिटर ने साल 1969 में लोगों को जागरुक करने के लिए वॉशिंगटन में एक सम्मेलन की घोषणा की। जिसमें स्कूल के कई बच्चे शामिल हुए। इस दौरान बच्चों समेत वहां के लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुक किया गया। इसके बाद से ही इस दिन को विश्वभर में 'वर्ल्ड अर्थ डे' के रूप में मनाया जाने लगा।


गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

हड्डियों की सेहत को बनाए रखने के उपाय, जानिए

हड्डियों की सेहत को बनाए रखने के उपाय, जानिए  

सरस्वती उपाध्याय         
हड्डियां शरीर के लिए कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती हैं। जैसे शरीर को स्ट्रक्चर प्रदान करना, अंगों की रक्षा करना, मांसपेशियों को सपोर्ट करना, कैल्शियम स्टोर करना आदि‌। बचपन से ही मजबूत और स्वस्थ हड्डियों का निर्माण करना महत्वपूर्ण है। आप वयस्कता में भी हड्डियों की सेहत को बनाए रखने के उपायों को आजमा सकते हैं। हालांकि, प्रॉपर देखभाल, एक्सरसाइज, वेट मैनेज, हेल्दी डाइट आदि का सेवन करें, तो हड्डियां मजबूत बनी रह सकती हैं। 
आजकल लोगों में 30-35 की उम्र से ही हड्डियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, अर्थराइटिस, हड्डियां जल्दी फ्रैक्चर होने की समस्या आम होती जा रही है। उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है, जिससे हड्डियां दर्द करने लगती हैं, कमजोर हो जाती हैं। बुजुर्गावस्था में ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है।लंबी उम्र तक हड्डियों को स्वस्थ रखना है, तो इन बातों का ध्यान रखें।

हड्डियों की सेहत कैसे होती है खराब ?
रिपोर्ट के अनुसार, कई तरह के कारक हड्डियों की सेहत को प्रभावित करते हैं। आपकी डाइट में कैल्शियम की मात्रा कितनी है, आप कितना फिजिकल एक्टिविटी करते हैं। धूम्रपान और शराब का सेवन कितना करता है।शरीर में हार्मोन लेवल कितना है। यदि बहुत ज्यादा थायरॉएड हार्मोन होगा, तो बोन लॉस होने की संभावना महिलाओं में अधिक होती है। फूड इनटेक कम करना, ईटिंग डिसऑर्डर और हद से ज्यादा वजन कम होने से भी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। कुछ खास तरह की दवाओं के सेवन से भी हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। 

कैल्शियम जरूर करें डाइट में शामिल....

कैल्शियम के सेवन से भी हड्डियां मजबूत रहती हैं। 19 से 50 वर्ष की आयु के वयस्कों और 51 से 70 वर्ष की आयु के पुरुषों को प्रतिदिन 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है। वहीं, 51 वर्ष की उम्र की महिलाओं और 71 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पुरुषों के लिए 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है।कैल्शियम का मुख्य स्रोत डेयरी प्रोडक्ट्स, बादाम, ब्रोकली, केल, सार्डिन्स, सोया प्रोडक्ट्स जैसे टोफू आदि हैं।

विटामिन- डी की कमी ना होने दें...
कैल्शियम को एब्जॉर्ब करने के लिए शरीर को विटामिन डी की जरूरत होती है। ऐसे में विटामिन डी का सेवन प्रतिदिन बहुत जरूरी है। विटामिन- डी के मुख्य स्रोत हैं ऑयली फिश जैसे टूना, सैल्मन, व्हाइटफिश, मशरूम, अंडा, फोर्टिफाइड फूड्स जैसे दूध, अनाज आदि. इनके अलावा, विटामिन- डी का सबसे जरूरी सोर्स है धूप, इसलिए सुबह में कम से कम 10 से 15 मिनट धूप में जरूर बैठें‌।

डेली रूटीन में फिजिकल एक्टिविटी हो शामिल...

वजन कम करने वाले एक्सरसाइज जैसे चलना, टहलना और सीढ़ियां चढ़ना-उतरना आपको मजबूत हड्डियां बनाने और बोन लॉस को धीमा करने में में मदद कर सकते हैं।

स्मोकिंग और एल्कोहल का सेवन करें कम...
हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए धूम्रपान न करें।महिलाओं को प्रतिदिन एक से अधिक गिलास शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। वहीं, पुरुषों को एक दिन में दो से अधिक पेग शराब पीने से बचना चाहिए।

सब्जियां खाएं हड्डियों को मजबूत बनाएं...
चाहते हैं लंबी उम्र तक आपको घुटनों में दर्द ना हो, आराम से चल-फिर सकें, दौड़ सकें, तो आज से ही डाइट में हर तरह की सब्जियों को शामिल करना शुरू कर दें। सब्जियां हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होती हैंं। इनमें विटामिन सी होता है, जो हड्डियों को फॉर्म करने वाली कोशिकाओं के निर्माण को बढ़ाता है। विटामिन सी का एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव हड्डियों की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाते हैंं। साथ ही सब्जियां हड्डियों की घनत्वता को भी बढ़ाती हैं।

नमक का सेवन सीमित करें...
नमक का सेवन बहुत अधिक ना करें‌। आजकल लोग जंक फूड्स, चिप्स, पिज्जा, बर्गर, चीज, प्रॉसेस्ड फूड्स आदि चीजों का सेवन अधिक करते हैंं। इनमें नमक अधिक होता है। कुछ लोग भोजन में ऊपर से भी नमक डाल लेते हैं, ऐसा करने से हड्डियों को नुकसान पहुंच सकता है। सीमित मात्रा में नमक का सेवन करेंगे तो ब्लड प्रेशर भी हाई नहीं होगा। साथ ही सोडा ड्रिंक्स और कैफीन भी अधिक लेना बोन हेल्थ के लिए हानिकारक होता है। इनमें फॉस्फोरस होता है, जो हड्डियों के लिए सही नहीं होता है।

विटामिन-डी का सबसे अच्छा स्रोत हैं सूर्य की रोशनी

विटामिन-डी का सबसे अच्छा स्रोत हैं सूर्य की रोशनी  

सरस्वती उपाध्याय         
हमारी बेहतर सेहत के लिए कई प्रकार के पोषक तत्वों की दैनिक आवश्यकता होती है। विटामिन-डी उनमें से एक है। सूर्य की रोशनी को विटामिन-डी का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। यही कारण है कि सभी लोगों को रोजाना सुबह की हल्की धूप में वॉक करने की सलाह दी जाती है। सूर्य की रोशनी सिर्फ विटामिन-डी के लिए ही नहीं, शरीर के लिए कई अन्य प्रकार से भी लाभदायक मानी जाती है। रोजाना सूर्य के प्रकाश में कुछ समय बिताने की आदत आपके सेहत को गजब का बूस्ट दे सकती है। आइए सूर्य के प्रकाश से होने वाले विभिन्न स्वास्थ्य लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं...

हड्डियों के लिए फायदेमंद...
हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन-डी की आवश्यकता होती है। सूर्य की रोशनी इसका सबसे अच्छा स्रोत मानी जाती है। विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम की उचित मात्रा बनाए रखने में सहायक है, ऐसे में सूर्य की रोशनी के संपर्क में रहना आपके लिए विशेष लाभप्रद हो सकता है। कैल्शियम, हड्डियों को मजबूत करने, पतले होने और आसानी से टूटने से बचाने में सहायक है।

मूड विकारों को कम करती है...
सूर्य की रोशनी का संपर्क आपके मूड को बेहतर बनाए रखने में सहायक है। धूप, आपके शरीर में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाती है। सेरोटोनिन, एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो मूड को खुश रखने में मददगार मानी जाती है। मन को शांत रखने और ध्यान केंद्रित करने में इसका लाभ है।
सूर्य की रोशनी के संपर्क में रहना शरीर की इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ावा देने में काफी मददगार हो सकता है। विटामिन-डी हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है, और सूरज की रोशनी के लगातार संपर्क में रहने से आप इसे बेहतर बनाए रखने में सफल हो सकते हैं। स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली सर्जरी के बाद बीमारी, संक्रमण, कुछ प्रकार के कैंसर, कोरोना संक्रमण आदि के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।

सोमवार, 18 अप्रैल 2022

द लोनी फाइल्स, अत्याचार आज भी बरकरार

द लोनी फाइल्स, अत्याचार आज भी बरकरार   

अश्वनी उपाध्याय 
गाजियाबाद। बहुचर्चित हिंदी फीचर फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' में निर्देशक के द्वारा 1990 के दशक में हिंदुओं पर कश्मीर राज्य में किए गए अत्याचार को प्रदर्शित करने की बेहतर कोशिश की गई है। लेकिन यह बीता हुआ कल है। जिसके चित्रण या अभिनय पर दोष सिद्धि के आरोप लगाए जा सकते हैं। परंतु आज केंद्र और  उत्तर प्रदेश में भाजपा दल सत्तारूढ़ है। जो सनातन सभ्यता और संस्कृति का आधुनिकरण करने का प्रयास कर रहा है। यदि ऐसी स्थिति में किसी हिंदू परिवार पर उत्तर प्रदेश में अत्याचार किया जाता है तो यह हिंदुत्व विचारधारा के लिए शर्म की बात है। जानकारी के अनुसार गाजियाबाद की तहसील लोनी स्थित बुध नगर निवासी बुजुर्ग दंपत्ति श्रीमती कृष्णा देवी व पति पोशाकी घर के पास हनुमान मंदिर में साफ-सफाई आदि का कार्य करते हैं। 11 अक्टूबर 2017 में बुजुर्ग दंपत्ति ने अपने जीवन भर की जमा पूंजी से वर्ग 33.44 मीटर जमीन खरीदी थी। 
उपरोक्त अंकित तिथि में ही 6 लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया गया था। भूस्वामी जुबेदा बेगम पति असर मोहम्मद ने सन 2017 से आज तक बुजुर्ग दंपत्ति को न जमीन पर कब्जा दिया और ना ही उसके रुपए लौटाए हैं। श्रीमती कृष्णा देवी के द्वारा इस संबंध में उप जिला अधिकारी तहसील लोनी से कई बार लिखित शिकायत की है। लेकिन कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई है। जुबेदा दबंग प्रवृत्ति की महिला है। जिसने किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई करने पर श्रीमती कृष्णा को जान से मारने की धमकी भी दी है। एक हिंदू बुजुर्ग दंपत्ति पर अत्याचार किया जा रहा है, जिसके विरोध में कोई दल-संगठन सामने नहीं आया है। पीड़ित बुजुर्ग महिला ने बताया कि पति की बीमारी के चलते किसी बड़े अधिकारी तक जाना संभव नहीं होता है। स्थानीय विधायक नंदकिशोर गुर्जर के किसी सहयोगी के द्वारा शिकायत की गई थी। लेकिन हिंदू विचारधारा के समर्थक विधायक के द्वारा भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। प्रकरण में पुनः 6 अप्रैल को उप जिला अधिकारी को सहायता के लिए पत्र लिखा गया है। हिंदुत्व का दम भरने वाले, हिंदुत्व को लेकर धरना-प्रदर्शन करने वाले, चीखने-चिल्लाने वाले सभी लोग गलत नहीं है। आज भी हिंदुओं पर अत्याचार बरकरार है। यदि हम बारीकी से अध्ययन करते हैं तो प्रमाणीकरण करना अधिक कठिन नहीं है कि योगी सरकार में हिंदुओं का शोषण और हनन बदस्तूर जारी है।

हस्तरेखा शास्त्र, रेखाओं व पर्वतों को ज्यादा महत्व

हस्तरेखा शास्त्र, रेखाओं व पर्वतों को ज्यादा महत्व  


सरस्वती उपाध्याय          

हस्तरेखा शास्‍त्र में कुछ रेखाओं और पर्वतों को ज्‍यादा महत्‍व दिया गया है। क्‍योंकि ये जीवन के अहम पहलुओं को प्रभावित करते हैं। चंद्र क्षेत्र भी इनमें से एक है। चंद्रमा का संबंध मन से है और यदि यह अशुभ स्थिति में हो तो न केवल मन को, बल्कि पूरे शरीर और आर्थिक स्थिति पर भी बुरा असर डालता है। ऐसे लोगों का बीमारियों पर अच्‍छा-खासा पैसा खर्च होता है। वहीं शुभ चंद्रमा जिंदगी बना देता है।

हथेली में चंद्र की स्थिति और उसका प्रभाव
मस्तिष्‍क रेखा के नीचे का भाग चंद्र पर्वत होता है। यह मणिबंध तक जाता है।

यदि चंद्र पर्वत गोल हो और उस पर कोई तिल या धब्‍बा न हो तो यह शुभ होता है। वहीं, इसके उलट दबा हुआ चंद्र पर्वत व्‍यक्ति के जीवन में संघर्ष का कारण बनता है।

यदि चंद्र पर्वत से निकलकर कोई रेखा बुध पर्वत तक जाए तो उसे देव रेखा कहते है। ऐसे लोग भगवान की कृपा से खूब सफलता पाते हैं।

वहीं, देव रेखा होने के साथ-साथ भाग्य रेखा सूर्य और शनि पर्वत के बीच से जाती हो तो व्यक्ति अपने कर्मों के कारण असफलता पाता है। ऐसे लोग गलत संगति में पड़ कर अपना सबकुछ गंवा देते हैं‌‌।

चंद्र क्षेत्र से किसी रेखा का मंगल पर्वत तक जाना अपार धन-पद-प्रतिष्‍ठा दिलाता है। हालांकि, इन लोगों को जलाशयों से बचकर रहना चाहिए‌।

 यदि चंद्र पर्वत से कोई रेखा निकलकर सूर्य पर्वत तक जाए तो ऐसे लोग पर मां सरस्‍वती और मां लक्ष्‍मी दोनों की कृपा होती है। वे अपने ज्ञान से खूब नाम कमाते हैं और धनवान भी बनते हैं। इन लोगों में मदद की भावना होती है।

शुक्र पर्वत से किसी रेखा का निकलना और उसका जीवन रेखा को काटते हुए चंद्र पर्वत पर पहुंचना अच्‍छा नहीं होता है। ऐसे लोगों को न केवल जीवन में खूब संघर्ष करना पड़ता है, बल्कि वे धोखा भी खाते हैं।

शनिवार, 16 अप्रैल 2022

किस्मत: पूरब या उत्तर दिशा में लगाना चाहिए शीशा

किस्मत: पूरब या उत्तर दिशा में लगाना चाहिए शीशा 

सरस्वती उपाध्याय 
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में लगे शीशे का किस्मत से खास कनेक्शन है। अगर दर्पण को सही दिशा में नहीं रखा जाए तो व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं अगर शीशे को सही दिशा में लगाया जाए तो घर-परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा बरकरार रहती है।
आईने से जुड़े ये वास्तु टिप्स हैं खास, वास्तु शास्त्र के मुताबिक ब्रह्मांड की सकारात्मक ऊर्जा पूर्व से पश्चिम  और उत्तर से दक्षिण की तरफ चलती है। ऐसे में शीशे को पूरब या उत्तर की दीवार पर इस तरह से लगाना चाहिए, ताकि देखने वाले का चेहरा पूरब या उत्तर की ओर रहे। वास्तु शास्त्र के मुताबिक दर्पण लगाने के लिए सबसे अच्छी दिशा पूरब, उत्तर या पूर्वोत्तर दिशा मानी गई है। इस दिशा में आईना लगाने से घर में खुशहाली और सुख-समृद्धि आती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की तिजोरी या आलमारी के सामने दर्पण लगाने से धन में बरकत होती है। आईना लगाते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह कहीं से भी टूटा हुआ नहीं हो। दरअसल ऐसा आइना निगेटिव एनर्जी उत्पन्न करता है। वास्तु के मुताबिक बेडरूम में आईना कमरे के तरफ ही लगाना चाहिए। सोते वक्त शरीर का कोई भी हिस्सा आईने में नहीं दिखाई देना चाहिेए। क्योंकि इससे सेहत से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं। -अगर कमरा छोटा होने के कारण आईना बेड से सामने ही है तो रात को सोते वक्त उस आईने को किसी कपड़े से ढक दें। इससे नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक, घर के दक्षिण या पश्चिम दिशा में आईना नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने घर में क्लेश बढ़ने लगते हैं। इसके अलावा कमरे की दीवारों पर शीशा आमने-सामने नहीं रखना चाहिए। इससे घर में तनाव उत्पन्न हो सकता है।

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022

16 अप्रैल को मनाईं जाएगी 'हनुमान जयंती'

16 अप्रैल को मनाईं जाएगी 'हनुमान जयंती'     

सरस्वती उपाध्याय         
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन धूमधाम से देशभर में हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। लेकिन, इस बार हनुमान जयंती 16 अप्रैल के दिन पड़ रही है। हनुमान का जन्म मंगलवार के दिन हुआ था। इसलिए मंगलवार का दिन हनुमान को समर्पित है। श्री राम के जन्म के ठीक 6 दिन बाद रुद्रावतार पवनपुत्र हनुमान का जन्म हुआ था। बजरंगबली मे अपनी सच्ची भक्ति से यह सिद्ध कर दिया कि भगवान राम से बड़ा उनका नाम है, उनकी भक्ति है।

मान्यता है कि हनुमान जयंती के दिन विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने और व्रत आदि करने से हनुमान की कृपा प्राप्त होती है। बता दें कि हनुमान जंयती के दिन विशेष योग बन रहे हैं।

चौपाई...

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।

जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।

जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।

आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।

बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।

अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।

लाह समान लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।

अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।

जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।

ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।

गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।

सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो।।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा।।

सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दुत धरू मारू धाई कै।।

जै हनुमन्त अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।

पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।

वन उपवन जल-थल गृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।

पाँय परौं कर जोरि मनावौं। अपने काज लागि गुण गावौं।।

जै अंजनी कुमार बलवन्ता। शंकर स्वयं वीर हनुमंता।।

बदन कराल दनुज कुल घालक। भूत पिशाच प्रेत उर शालक।।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल वीर मारी मर।।

इन्हहिं मारू, तोंहि शमथ रामकी। राखु नाथ मर्याद नाम की।।

जनक सुता पति दास कहाओ। ताकी शपथ विलम्ब न लाओ।।

जय जय जय ध्वनि होत अकाशा। सुमिरत होत सुसह दुःख नाशा।।

उठु-उठु चल तोहि राम दुहाई। पाँय परौं कर जोरि मनाई।।

ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता।।

ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।

अपने जन को कस न उबारौ। सुमिरत होत आनन्द हमारौ।।

ताते विनती करौं पुकारी। हरहु सकल दुःख विपति हमारी।।

ऐसौ बल प्रभाव प्रभु तोरा। कस न हरहु दुःख संकट मोरा।।

हे बजरंग, बाण सम धावौ। मेटि सकल दुःख दरस दिखावौ।।

हे कपिराज काज कब ऐहौ। अवसर चूकि अन्त पछतैहौ।।

जन की लाज जात ऐहि बारा। धावहु हे कपि पवन कुमारा।।

जयति जयति जै जै हनुमाना। जयति जयति गुण ज्ञान निधाना।।

जयति जयति जै जै कपिराई। जयति जयति जै जै सुखदाई।।

जयति जयति जै राम पियारे। जयति जयति जै सिया दुलारे।।

जयति जयति मुद मंगलदाता। जयति जयति त्रिभुवन विख्याता।।

ऐहि प्रकार गावत गुण शेषा। पावत पार नहीं लवलेषा।।

राम रूप सर्वत्र समाना। देखत रहत सदा हर्षाना।।

विधि शारदा सहित दिनराती। गावत कपि के गुन बहु भाँति।।

तुम सम नहीं जगत बलवाना। करि विचार देखउं विधि नाना।।

यह जिय जानि शरण तब आई। ताते विनय करौं चित लाई।।

सुनि कपि आरत वचन हमारे। मेटहु सकल दुःख भ्रम भारे।।

एहि प्रकार विनती कपि केरी। जो जन करै लहै सुख ढेरी।।

याके पढ़त वीर हनुमाना। धावत बाण तुल्य बनवाना।।

मेटत आए दुःख क्षण माहिं। दै दर्शन रघुपति ढिग जाहीं।।

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।

डीठ, मूठ, टोनादिक नासै। परकृत यंत्र मंत्र नहीं त्रासे।।

भैरवादि सुर करै मिताई। आयुस मानि करै सेवकाई।।

प्रण कर पाठ करें मन लाई। अल्प-मृत्यु ग्रह दोष नसाई।।

आवृत ग्यारह प्रतिदिन जापै। ताकी छाँह काल नहिं चापै।।

दै गूगुल की धूप हमेशा। करै पाठ तन मिटै कलेषा।।

यह बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहौ फिर कौन उबारे।।

शत्रु समूह मिटै सब आपै। देखत ताहि सुरासुर काँपै।।

तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई। रहै सदा कपिराज सहाई।।


दोहा...

प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।

तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान।।

गुरुवार, 14 अप्रैल 2022

मच्छरों से छुटकारा, अपनाएं घरेलू उपाय

मच्छरों से छुटकारा, अपनाएं घरेलू उपाय     


सरस्वती उपाध्याय          

गर्मियों में जितना गर्मी परेशान नहीं करती हैं, उससे कही ज्यादा तंग मच्छर कर देते हैं‌‌। जैसे ही मच्छर मारने की कोइल खत्म होती है। वैसे ही ये मच्छर हमला करने लगते हैं‌। जहां हल्का हाथ लगाओ वहीं मच्छर बैठा मिल जाता है। हर समय इन्हें भगाने में ही ध्यान रहता है और चाहे, जितनी कोशिश कर लो, किसी ना किसी कोने में मच्छर छुपकर बस मौके की तलाश में रहते हैं कि कब रेपलेंट (Mosquito Repellent) खत्म हो और कब आकर काट सकें‌। इन मच्छरों से सभी एक बराबर परेशान रहते हैं। कभी-कभी तो लगता है कि गर्मी बर्दाश्त हो सकती है, लेकिन ये मच्छर नहीं‌‌। आपकी भी मच्छरों ने इतनी ही बुरी हालत कर दी है तो ये कुछ घरेलू उपाय आपके काम आ सकते हैं।

1. लहसुन: लहसुन का रस मच्छरों को फूटी आंख नहीं सुहाता. कुछ लहसुन की कलियों को मसलकर पानी में उबाल लें। अब इसे स्प्रे बोतल में भरकर पूरे कमरें में छिड़क लें। कमरे में मौजूद सभी मच्छर भाग जाएंगे
जहां भी आसपास आपको लगता है कि मच्छर अंडे दे सकते हैं या पनप सकते हैं वहां कॉफी पाउडर या कॉफी ग्राउंड्स डाल दें। सब मच्छर और उनके अंडे मर जाएंगेे‌।

2. पुदीना: मच्छरों को पुदीने की खुशबू से चिड़ होती है। पुदीने के तेल को घर में जगह-जगह छिड़क दें। मच्छर आपके घर से दूर रहेंगे।

3. नीम का तेल: शरीर पर मच्छर ना काटें और आपसे दूर रहें, इसके लिए नीम के तेल (Neem Oil) को पानी में मिलाकर या अपने बॉडी लोशन में मिलाकर शरीर पर लगा लें। मच्छर आपके आसपास भी नहीं भटकेंगे।

4. सोयाबीन का तेल: सोयाबीन का तेल भी मच्छरों को आपसे दूर रखता है। रात में इसे शरीर पर लगाकर सोने पर मच्छर आपको नहीं काट पाएंगे।

चेन्नई सुपर किंग्स ने ग्लीसन को टीम में शामिल किया

चेन्नई सुपर किंग्स ने ग्लीसन को टीम में शामिल किया  इकबाल अंसारी  चेन्नई। देश में इन दिनों आईपीएल की धूम मची हुई है। गत चैम्पियन चेन्नई सुपर...