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शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2021

सुबह खाली पेट 5 भीगे बादाम खाने के कई लाभ

खाली पेट 5 भीगे बादाम खाने के कई फायदे

रोज सुबह खाली पेट 5 भीगे बादाम खाने के कई फायदे हो सकते हैं। बादाम पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो आपको दिनभर एनर्जी से भरपूर रख सकता है। बादाम खाने से दिमाग बहुत तेज होता है। बादाम में ढेर सारा पौष्टिक तत्व पाया जाता है। इसमें प्रोटीन, वसा, विटामिन और मिनरल पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं जो हमें शरीर के हर रोगों से बचाते हैं।
खाने में क्रंची और प्रोटीन से भरपूर बादाम में फाइबर और ओमेगा-3 होता है। टेस्ट के साथ हल्दी गुणों से भरपूर बहुत लोगों का मनपसंद देता ड्राई फ्रूट है। सूखे बादाम के मुकाबले भीगे हुए बादाम ज्यादा हेल्दी होते हैं, क्योंकि यह खाने में ज्यादा मुलायम और पचाने में आसान होते हैं। तो आइए जानते हैं बादाम के फायदे के बारे में।
बादाम खाने के फायदे।
भीगे हुए बादाम खाने से दिल हल्दी रहता है और खराब कोलस्ट्रॉल में राहत मिलती है और अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है।
बादाम में प्रोटीन और फाइबर काफी होता है, जो पेट को देर तक भरा रखता है और और अस्वस्थ चीजें खाने की आशंका कम कर देता है। इसके अलावा बादाम जैसे नट्स खाने से मेटाबॉलिज्म तेज होता जाता है और शरीर तेजी से फैट बर्न करता है।
बादाम में विटामिन ई प्रचुर मात्रा में होता है। जो कि आपकी दिमागी क्षमता बढ़ाता है। इससे आपकी याददाश्त और सीखने की क्षमता बढ़ जाती है।
कच्चे बादाम की तुलना में भीगे हुए बादाम को पचाना आसान है। भीगे हुए बादाम पाचन को भी बढ़ावा दे सकते हैं। यह पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है। ये एक एंजाइम के उत्पादन को भी बढ़ावा देते हैं जो पाचन को बढ़ावा देता है।
बादाम खाने से डायबिटीज नियंत्रित रहता है। इसमें फैट, विटामिन, फाइबर और प्रोटीन पाए जाते हैं जो टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
बादाम हार्ट के लिए बेहद अच्छा होता है। बादाम का सेवन करने वाले को हृदयाघात का खतरा 50 फीसदी तक काम होता है।
भीगे हुए बादाम में विटामिन ई का स्तर भी ज्यादा होता है। विटामिन ई त्वचा को सेहतमंद रखता है। अगर आप रोजाना रात में भिगोया हुआ बादाम खाते हैं तो आपको कभी त्वचा से संबंधित परेशानी नहीं होगा और आपकी त्वचा हमेशा चमकती रहेगी और सॉफ्ट होगी।

मिल्क पाउडर से बनाए गुलाब जामुन, सीखें

मीठा खाने के शौकीन लोगों का गर्मागर्म गुलाब जामुन खाना अधिकतर पसंद होता है। गुलाब जामुन एक ऐसी स्वीट डिश है जिसे आप कई तरह से बना सकते हैं, तो लीजिए आज जानिए मिल्क पाउडर से गुलाब जामुन बनाने का पूरा तरीका।

गुलाब जामुन बनाने की सामग्री:
दो कप मिल्क पाउडर।
तीन चम्मच मैदा।
आधा कप दूध (फुल क्रीम)।
चुटकीभर बेकिंग पाउडर।
घी तलने के लिए।

चाशनी के लिए :

एक कटोरी चीनी।
डेढ़ कप पानी।
आधा चम्मच इलाइची पाउडर।
चुटकीभर केसर।

गुलाब जामुन बनाने की विधि:
 सबसे पहले मीडियम आंच पर पैन में 2 चम्मच घी डालकर गर्म करने के लिए रखें।
घी के गर्म होते ही इसमें दूध डालकर धीमी आंच पर रहने दें।
 जब दूध और घी मिक्स हो जाए तब एक कप मिल्क पाउडर डालकर मिक्स करें और चलाते हुए पकाएंं।
मिश्रण के पैन छोड़ने पर गैस बंद कर दें और इसे एक बर्तन में निकालकर रख लें।
-मिश्रण में 2 बड़े चम्मच मैदा डालकर अच्छी तरह से मैश करते हुए इसे चिकना होने तक मसलते रहें। अगर जरूरत हो तो थोड़ा दूध डाल सकते हैं।
अब इस मिश्रण का थोड़ा सा भाग लेकर गोलाकार शेप बना लें।
इसी बीच चाशनी बनाने के लिए मीडियम आंच में एक पैन में चीनी और पानी डालकर उबलने के लिए रख दे।
चाशनी को अच्छे से पकाकर इसमें इलायची पाउडर और केसर डालकर आंच बंद कर दें।
मीडियम अंच में एक पैन में घी डालकर गर्म करें।
घी के गरम होते ही इसमें गुलाब जामुन डालकर धीमी आंच पर तल लें।
गुलाब जामुन के हल्का ब्राउन होते ही इसे चाशनी में डाल दें।
सारे गुलाब जामुन तलकर चाशनी में डाल दें और कुछ घंटों के लिए छोड़ दें।
तैयार है गुलाब जामुन। ठंडा या गर्म जैसे चाहे वैसे खाएं और खिलाएं।

गुरुवार, 21 अक्तूबर 2021

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता हैं 'नीम'

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता हैं नीम

भारत के लगभग हर हिस्से में नीम का पौधा आसानी से उपलब्ध है। इस पौधे सभी भागों को स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में नीम की पत्तियों, छाल और बीज से होने वाले तमाम तरह के फायदों का जिक्र मिलता है। विशेषज्ञों की मानें तो नीम की पत्तियां और फलियां स्वाद में भले ही कड़वी होती हैं लेकिन इनका सेवन करने वाले लोगों को कई प्रकार की गंभीर रोगों से सुरक्षित माना जा सकता है। इसके अलावा नीम के अर्क का सेवन करने से अस्थमा, कब्ज, खांसी, मधुमेह, गैस्ट्रिक अल्सर, अपच और मूत्र पथ के संक्रमण जैसी कई बीमारियों से सुरक्षा मिल सकती है। 

आयुर्वेद में नीम के पेड़ की छाल, फूल और फल का भी औषधीय रूप से उपयोग और लाभ बताया गया है। आयुर्वेद विशेषज्ञों के मुताबिक नीम की पत्तियों का सेवन करके डायबिटीज और त्वचा की गंभीर बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में नीम से होने वाले ऐसे ही कुछ अद्भुत स्वास्थ्य लाभ के बारे में जानते हैं। 

हेल्थ के लिए कितना फायदेमंद है अनार, जानिए

क्या आप जानते हैं अनार आपके हेल्थ के लिए कितना फायदेमंद है। अनार में विटामिन ए, सी, ई, फोलिक एसिड और एंटीऑक्‍सीडेंट पाये जाते हैं। साथ इसमें प्रचुर मात्रा में लाभदायक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और खनिज पाए जाते हैं। आइये देखे क्या क्या है अनार के स्वास्थ्य फायदें
अनार में है कौन कौन से गुण।
अनार में आपके बॉडी में ब्लड इंक्रीज करने की शक्ती होती है । इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ए ,सी, ई पाया जाता है। अनार में एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं जो आपके शरीर को हर बीमारी से लड़ने की ताकत देती है।
पेट की प्रोब्लम को भी सॉल्व करें।
अनार के रस में बैक्टीरिया को मारने की शक्ति होती है। इसलिए अनार का रस पीने से पेट के रोग पेट के रोग, अपच, गैस, कब्ज व अन्य कई तकलीफों से तुरन्त आराम मिलता है।
अनार वजन को भी काम करता है।
अनार खाने से आपके वजन पर भी असर पड़ता है। और नियमित रूप से इसका सेवन करने से आपका वजन भी कम होता है।इसमें फैट नहीं होता परन्तु फाइबर, विटामिन-सी, पोटेशियम, मिनरल फास्फोरस तथा मैग्नीशियम बहुत अधिक मात्रा में मिलता है। तो ये किसी भी प्रकार से आपके शरीर में वजन नही बढता।
आपकी याददाश्त को तेज करता है।
अनार आपके याददाश्त को तेज करता है।
और इसे खाने से आपके अंदर एनर्जी लेवल भी इंक्रीज होता है।
अनार के जूस में न्युरो-प्रोटेक्टिव गुण पाए जाते है। ब्रेन की सेहत के लिए बेहतरीन होता है। इसके लगातार सेवन करने से ब्रेन हैमरेज जैसी घातक समस्याएं होने की संभावनांए कम हो जाती है।
दांतों को मजबूत बनाएं।
अनार खाने से दांतो की समस्या से भी निजात पाया जा सकता है। साथ ही अनार को मंजन के तौर पर भी किया जा सकता है। इसके लिए अनार के फूल छाया में सुखाकर बारीक पीस लेते हैं। इसे मंजन की तरह दिन में 2 या 3 बार दांतों में मलने से दांतों से खून आना बंद होकर दांत मजबूत हो जाते हैं।

बुधवार, 20 अक्तूबर 2021

औषधीय गुणों से भरपूर होता है गन्ना, फायदे

औषधीय गुणों से भरपूर होता है गन्ना, फायदे

गन्ना औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसलिए इसके रस का सेवन आपको आपके शरीर को कई प्रकार से फायदेमंद है। वैसे तो गर्मी आते ही बाजार में कई प्रकार के रस उपलब्ध होते हैं। लेकिन अगर आप गन्ने का रस का सेवन करेंगे तो निश्चित ही आपको कई बीमारियों से भी छुटकारा मिल जाएगा। यह बात हम नहीं कह रहे यह बात प्राचीन काल से ही मानी जा रही है।
आपको बता दें कि गन्ने का रस पीलिया, अपचन, त्वचा, मूत्र सहित अन्य रोगों के उपचार में काफी लाभदायक है। आज हम आपको गन्ने के रस के फायदे बतायंगे। जिनके बारे में शायद आपको मालूम नहीं हो।
लीवर के लिए फायदेमंद:
गन्ने का रस आपका लिवर सिस्टम मजबूत होता है और पीलिया के लिए भी काफी फायदेमंद रहता है। गन्ने का जूस पीने से पीलिया में बहुत जल्दी फायदा होता है। लिवर की कार्यप्रणाली में रूकावट होने के कारण पीलिया होता है। इसलिए गन्ने का रस पीने से लीवर अपना काम करने लगता है।
शुगर के मरीज पी सकते हैं गन्ना:
वैसे तो मधुमेह के मरीजों के लिए मीठी चीजों का सेवन प्रतिबंधित रहता है। लेकिन गन्ने का रस ऐसा पेय है।जिसे मधुमेह से पीड़ित लोग भी पी सकते हैं। क्योंकि गन्ने के रस में आइसोमाल्टोज होता है। आइसोमाल्टोज में ग्लाइसेमिक की कमी होती है। जिसका उपयोग मधुमेह से पीड़ित मरीज भी कर सकते हैं।
वजन को करता है नियंत्रित:
गन्ने का रस वजन घटाने के लिए एक प्राकृतिक नुस्खा है। एक शोध के अनुसार गन्ना फाइबर युक्त होता है और वह वजन कम करने के साथ लिपिड को भी कंट्रोल करता है। यह ग्लूकोस को तोड़कर ऊर्जा बनाने में सहायक है और इसका खाली पेट सेवन करने से कई फायदे होते हैं।
इम्युनिटी सिस्टम करता बेहतर:
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में गन्ना काफी फायदेमंद है। गन्ने में हेपाटोप्रोटेक्टिव और एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। गन्ने का रस कई प्रकार के बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण से बचाने के साथ-साथ इम्यूनिटी सिस्टम बढ़ाने में मदद करता है।
टॉन्सिल्स मैं भी फायदेमंद: 
गन्ने के रस के यूं तो कई फायदे हैं। यह गले की समस्या के लिए भी काफी बेहतर है। जिसको टॉन्सिल्स की परेशानी है, उन्हें गन्ने के जूस का सेवन करने से काफी फायदा होगा। क्योंकि जब टांसिल में सूजन आ जाती है तो वह दर्द ओर तकलीफ का कारण बनता है, गन्ने का जूस खराब गला, जुकाम और फ्लू जैसी समस्याएं भी ठीक होती है।
घाव भरने में भी लाभदायक:
गन्ने का जूस का सेवन करने से शरीर पर हुए घाव भी जल्दी भर आते हैं। घाव को ठीक करने के लिए गन्ने से बनी शक्कर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। क्योंकि उस शक्कर में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। जो घाव को ठीक करने में काफी मददगार होंगे।
यूरीन समस्या के लिए फायदेमंद:
गन्ने के रस से यूरिन से संबंधित समस्याओं से भी निजात मिलती है। यूरिन करते समय दर्द, जलन या असहज होना, मूत्र मार्ग में किसी प्रकार का संक्रमण आदि से निजात पाने के लिए गन्ने के रस का सेवन किया जा सकता है।
नाखूनों के लिए फायदेमंद:
आपके नाखून रूखे बेजान और कमजोर हैं। तो उनके स्वास्थ्य के लिए गन्ने का रस काफी फायदेमंद होगा। क्योंकि गन्ने में भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है। जो नाखून को मजबूत बनाता है।
मुहांसों के लिए भी बेहतर: 
गन्ने का रस नाखूनों के लिए काफी फायदेमंद है। इस के जूस में अल्फा हाइड्रोक्सी एसिड होता है। जो मुंहासों से निजात दिलाने में अहम भूमिका निभाता है।
बुखार में भी फायदेमंद:
बुखार किसी ना किसी प्रकार के संक्रमण के कारण होता है। अगर बुखार है तो उस दौरान भी गन्ने का रस पिया जा सकता है। क्योंकि यह संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया वायरस को खत्म करने का काम करता है। ऐसे में इस का जूस पीने से बुखार को कम करने में काफी मदद मिलती है।
कैन्सर:
गन्ने के रस में ट्रायसिन नामक एक फ्लेवोन पाया जाता है। जो एंटीऑक्सीडेंट गुणों से युक्त होता है। एंटी प्रोलाइफरेटिव के कारण गन्ने का जूस कैंसर की कोशिकाओं को पनपने से रोकता है। ऐसे में गन्ने का रस का सेवन करने से यह कैंसर के रोग से भी बचाता है।
ऊर्जा का स्रोत:
गन्ने के रस में कार्बोहाइड्रेट होता है। जिस कारण इसके सेवन से व्यक्ति को काफी देर तक ऊर्जा मिलती है। व्यायाम करने के बाद शरीर को फिर से हाइड्रेट करने और तरोताजा करने के लिए गन्ने का रस भी काफी बेहतर माना गया है।

अधिक मात्रा में होता हैं सेब में फाइबर, फायदें

अकांशु उपाध्याय        

नई दिल्ली। सेब में उपयोगी एंटीऑक्सिडेंट, फ्लैनोनोड्स और फाइबर बहुत अधिक मात्रा में होते है। सेब में पॉलिफेलोल अच्छी मात्रा में होते है। जो कि सेब के गूदे और छिलके दोनों में पाया जाता है। यह एंटीआक्‍सीडेंट के रूप में काम करता है। सूखे सेब को दुनिया भर में खाया जाता है। सूखे सेब को काटकर इसका पूरा पानी निकालकर इसे सूखाया जाता है।

सूखे सेब में कई विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते हैं। सेहत के लिए भी सूखे सेब काफी फायदेमंद माना जाता है। इसे लोग स्नैक्स के रूप में खाते हैं। सूखे सेब में विटामिन ए और सी होते हैं। ये विटामिन आपकी हड्डियों और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसमें विटामिन बी-6 भी होता है जो कि मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के साथ न्यूरॉन्स के काम काज को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इसी तरह सूखे सेब खाने के फायदे कई हैं। आइए जानते हैं सूखे सेब खाने के फायदे के बारे में।

सूखे सेब खाने के फायदे

सूखे सेब में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। इसमें फैट की मात्रा भी न के बराबर होती है। फाइबर मेटाबोलिज्म को ठीक करता है और तेजी से फैट पचाकर वजन घटाने में मददगार है। आयरन और पोटेशियम दोनों ही हमारे ब्लड सेल्स को हेल्दी रखने में मददगार हैं। सूखे सेब आयरन से भरपूर होते हैं। ये रेड ब्लड सेल्स को बढ़ाने और शरीर में खून की कमी को दूर करने में मदद करते हैं तो, पोटेशियम ब्लड सेल्स को हेल्दी रखता है और उनकी चौड़ाई बढ़ाने में मदद करता है। इससे ब्लड आराम से सर्कुलेट होता है और शरीर के हर अंग तक पहुंचाता है। साथ ही पोटेशियम न्यूरॉन्स और मस्तिष्क गतिविधियों को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। तो, इस तरह से दोनों ही शरीर को हेल्दी रखने में मददगार हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने में सूखे सेब मददगार होते हैं। इनमें विटामिन सी होता है जो कि शरीर को संक्रामक बीमारियों से बचाता है। ये इम्यून सेल्स को मजबूत करता है और शरीर को मौसमी बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। साथ ही सूखे सेब एंटीऑक्सिडेंट का एक अच्छा स्रोत होते हैं। ये ऐसे पदार्थ हैं जो फाइन रेडिकल्स के कारण आपकी कोशिकाओं को होने वाले नुकसान से लड़ने में मदद करते हैं।

सूखे सेब में विटामिन बी होते हैं जो हार्मोन, मस्तिष्क और ऊर्जा के लिए अच्छे होते हैं। पर सबसे ज्यादा फायदा हमारे होर्मोनल हेल्थ को होता है। ये विटामिन बी 5 और विटामिन बी 6 से भरपूर है जो कि हार्मोनल संतुलन में सुधार करता है। सूखे सेब खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है। इसमें विटामिन, खनिज और फाइबर का एक बड़ा स्रोत है। अघुलनशील फाइबर आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और घुलनशील फाइबर कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है।



हैरतअंगेज: 70 साल की उम्र में मां बनीं महिला
अहमदाबाद। 20 अक्टूबर को 70 साल की उम्र में अगर कोई महिला मां बने, तो इसे आप क्या कहेंगे ? गुजरात के कच्छ में ऐसा ही हुआ है। 70 वर्षीय जीवूबेन राबरी ने शादी के 45 साल बाद एक बेटे को जन्म दिया है। जीवूबेन का तो दावा है कि वह किसी बच्चे को जन्म देने वाली दुनिया की सबसे उम्रदराज महिला हैं।
महिला का कहना है कि वह 70 साल की उम्र में पहली बार मां बनी हैं। जीवनबेन राबरी और उनके पति मालधारी (75) ने गर्व के साथ अपना बेटा पत्रकारों को दिखाया। दंपती ने बताया कि बच्चे का जन्म आइवीएफ तकनीक से हुआ है। राबरी और मालधारी गुजरात के एक छोटे से गांव मोरा के रहने वाले हैं। राबरी ने कहा कि उनके पास कोई पहचानपत्र नहीं है, लेकिन उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि उनकी उम्र 70 साल है। 
इस सिलसिले में जानकारी देते हुए डॉ. नरेश भानुशाली ने बताया कि यहां आए दंपति की उम्र काफी ज्यादा है।इनको बच्चा होने की कोई उम्मीद नहीं थी। पहले हमने इनसे कहा था कि इस उम्र में बच्चा नहीं हो सकता। लेकिन इन लोगों को भगवान और डॉक्टर पर बहुत भरोसा था। डॉ. नरेश भानुशाली ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि इस दंपति ने कहा कि हमारे परिवार के अन्य लोगों को बड़ी उम्र में परिणाम प्राप्त हुआ है। इन लोगों ने कहा कि आप अपनी तरफ से कोशिश करें, फिर हमारी किस्मत। बुजुर्ग महिला ने टेस्ट ट्यूब बेबी से बच्चे को जन्म दिया है।

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

बुजुर्ग-युवाओं में ब्लड शुगर का खतरा तेजी से बढ़ा

बुजुर्ग-युवाओं में ब्लड शुगर का खतरा तेजी से बढ़ा

खराब खानपान और जीवनशैली का ही नतीजा है कि बुजुर्गों के साथ युवाओं में भी ब्लड शुगर का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। अगर आप ब्लड शुगर जैसी बीमारी से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपने अपनी जीवनशैली में कई तरह के बदलाव करने होंगे। क्योंकि इस बीमारी का इलाज किसी भी दवाई से नहीं किया जा सकता है। रोज़ाना दवाई खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल हो सकता है, लेकिन ये बीमारी जड़ खत्म नहीं हो सकती है।

कई बार ब्लड शुगर के मरीजों के मन में फ्रूट्स को लेकर संशय होता है। एक स्टडी में सामने आया है कि फ्रूट जूस से बहुत तेजी से ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है। अगर आप अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए फ्रूट जूस पीना चाहते हैं तो आप ऐसे फ्रूट्स खा सकते हैं, जिनमें कम मिठास होती है।

तनाव, चिंता आदि को दूर करने में मददगार 'संतरा'

विटामिन-सी से भरपूर होता है। संतरे का छिलका।आपको बताते चलें कि इसके छिलके में भी विटामिन-सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसमें विटामिन सी के साथ-साथ विटामिन बी 6 भी प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं। जो शरीर से डिप्रेशन,तनाव,चिंता आदि को दूर करने में मददगार साबित होता है। वहीँ इसके साथ-साथ संतरे के छिलके में विटामिन बी भी पाया जाता है। जो कि नर्वस सिस्टम को मजबूत बना के रखता है।

खनिज से भरपूर होता है संतरे का छिलका।
आपको बताते चलें कि संतरे कि तरह इसके छिलके में भी विटामिन और खनिज पाया जाता है। ये शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत बना के रखने में कारगर साबित होता है। जिसकी जैसी वजह से ढेरों बीमारियां शरीर से दूर रहती हैं। वहीं ये स्किन में ग्लो लेकर आने में भी सक्षम होता है। इसका सेवन त्वचा से पिम्पल्स के दाग हटाने में आपकी काफी हद तक मदद कर सकता है। वहीं यदि बालों के झड़ने या टूटने से परेशान हैं। तो ये फायदेमंद साबित हो सकता है। कैल्शियम से होता है भरपूर। संतरे के छिलके में कैल्शियम उचित मात्रा में मौजूद होता है। कैल्शियम के सेवन से दांत और हड्डियों को मजबूती मिलती है। यदि आपकी हड्डियां कमजोर हैं तो संतरे के साथ इसका छिलका भी आपके लिए फायदेमंद होगा।कब्ज की समस्या को करता है दूर। आपको बताते चलें कि इसके छिलके में पेक्टिन नामक एक तत्त्व पाया जाता है। जिसमें फाइबर की भरपूर मात्रा होती है। ये पेट को साफ़ रखने में तो मदद करता ही है वहीं पेट से अनेकों बीमारियों को भी दूर कर देता है। पेट से जुड़ी बीमारियों के लिए संतरे का छिलका लाभदायक होता है। वेट कंट्रोल करने में होता है मददगार। संतरे के छिलके में अनेकों तत्त्व पाए जाते हैं। जो वेट को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। वहीं ये नेचुरल तरीकों से वजन को कम करता है। जिससे सेहत को कोई भी नुकसान नहीं होता है। दिल की सेहत के लिए होता है लाभदायक। संतरे के छिलके की बात करें तो इसमें कई सारे ऐसे तत्त्व पाए जाते हैं जो बीमारियों को शरीर से दूर करते हैं। इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बेहद कम होती है जो दिल की बीमारी के खतरे को कम करने में दो गुना सक्षम होती है।

सोमवार, 18 अक्तूबर 2021

उम्र बढ़ने के शुरुआती लक्षण आंखों के नीचे दिखें

उम्र बढ़ने के शुरुआती लक्षण आंखों के नीचे दिखें

आंखों के आसपास की त्वचा बहुत पतली होती है। इसलिए उम्र बढऩे के शुरुआती लक्षण आंखों के नीचे आसानी से दिखाई देते हैं। यही कारण है कि आंखों के नीचे की त्वचा को अधिक देखभाल की जरूरत होती है।
वैसे तो बाजार में ऐसे कई प्रोडक्ट्स है। जो इन समस्याओं से छुटकारा दिलाने में कारगर है। लेकिन इनका असर ज्यादा दिन तक नहीं रहता है ऐसे में आप प्राकृतिक उपचार आजमा सकते हैं।
आंखों की झुर्रियों के लिए प्राकृतिक उपचार
केला और एवोकैडो।
इसके लिए आपको केला और एवोकैडो की जरूरत होगी। एक बाउल लें, इसमें 1 बड़ा चम्मच मैश किया हुआ केला और एवोकैडो मिलाएं। इन्हें एक साथ ब्लेंड करे। अब इसे अपने अंडर आई एरिया पर लगाएं। इसका इस्तेमाल आप नियमित रूप से कर सकते हैं।
हल्दी और छाछ।
हल्दी से बना मास्क आंखों के नीचे की झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिए सबसे अच्छे तरीकों में से एक है।इसके लिए आपको हल्दी और छाछ की जरूरत होगी।एक कटोरी में 1 बड़ा चम्मच हल्दी पाउडर और 1 बड़ा चम्मच छाछ लें. स्पैचुल की मदद से इस मिश्रण को एक हल्के मास्क में ब्लेंड करें। मास्क को अपनी अंडरआई के हर इंच पर सावधानी से लगाएं। गीले कॉटन पैड से हटाने से पहले इसे 15 मिनट तक लगा रहने दें।
दही, शहद और गुलाब जल।
इस मास्क को बनाने के लिए एक कटोरे में 1 बड़ा चम्मच ताजा दही, 1 चम्मच शहद और गुलाब जल की कुछ बूंदें मिलाएं। इस मिश्रण को बनाने के लिए सामग्री को अच्छे से मिलाएं। अपनी आंखों पर मास्क लगाएं।ठंडे पानी से धोने से पहले इसे 20-25 मिनट तक लगा रहने दें।
एलोवेरा जेल, खीरा और दही।
सुस्त, रूखी और थकी-सी दिखने वाली आंखों को तुरंत चमकदार और आकर्षक बनाने के लिए आप इस मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आपको एलोवेरा जेल, खीरा और दही की जरूरत होगी। एक मिक्सिंग बाउल में 2 बड़े चम्मच एलोवेरा जेल, 1 बड़ा चम्मच दही और 1 बड़ा चम्मच खीरे का रस मिलाएं। सामग्री को मिलाएं और पेस्ट लगाने के लिए अपनी उंगलियों का इस्तेमाल करें। इसे 10 से 15 मिनट के लिए लगा रहने दें। महीन रेखाओं को कम करने के लिए इस प्रक्रिया को सप्ताह में दो बार दोहराएं।
पपीता और शहद।
इस मास्क को बनाने के लिए आपको पपीता और शहद की जरूरत होगी। पपीते के एक स्लाइस को इतना मैश कर लें कि इसका पेस्ट बन जाए। मिश्रण बनाने के लिए सामग्री को मिलाएं और अपनी आंखों पर मास्क लगाएं।ठंडे पानी से धोने से पहले इसे 20-25 मिनट तक लगा रहने दें।

सर्दियों में रसभरी खाने के अनेक फायदेंं

विशेषज्ञों का कहना है कि आपको मौसमी फलों को मिस नहीं करना चाहिए। सर्दियों में रसभरी खाने के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। दाल शरीर को अच्छे पोषक तत्व प्रदान करने के लिए अच्छी होती है। ये खनिज हृदय स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। खून में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए भी आयरन की जरूरत होती है। आलूबुखारा एनीमिया की समस्या को कम करता है। सुचारू रक्त परिसंचरण सुनिश्चित करने के लिए शरीर को आलूबुखारे की भी आवश्यकता होती है। सूखे प्लम कैल्शियम और फास्फोरस से भरपूर होते हैं। ये हड्डियों को मजबूत रखने के लिए जरूरी हैं। साथ ही गठिया से पीड़ित लोगों को भी इन फलों को खाने से फायदा हो सकता है। जिन लोगों को जोड़ों की समस्या है उन्हें इन फलों को खाने की सलाह दी जाती है। जामुन तनाव को कम करने में भी अच्छा काम करते हैं। इसमें कई तनाव से राहत देने वाले गुण होते हैं जो त्वचा के स्वास्थ्य और यौवन को बढ़ाते हैं। त्वचा की झुर्रियों को कम करता है। कब्ज वाले लोगों के लिए लेमनग्रास बहुत अच्छा होता है।

हालांकि, रोजाना रास्पबेरी खाने से समस्या काफी कम हो जाएगी। जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए भी आलूबुखारा एक अच्छा भोजन है। आप कितना भी खा लें, आपका वजन नहीं बढ़ेगा। इसमें फैट नहीं होता, इसमें कैलोरी बहुत कम होती है। शरीर को तुरंत एनर्जी मिलती है. मानव शरीर के लिए आवश्यक 24 अमीनो एसिड में से 18 अकेले प्लम में पाए जाते हैं। ये पेट, अपच, गले में खराश, दमा और मांसपेशियों के दर्द को कम करते हैं। यह गर्भवती महिलाओं में मतली और उल्टी को भी कम करता है। फेफड़ों में जमा हुए थूक से गुर्दे और थूक को बाहर रखने में मदद करता है। तो चिकित्सा विशेषज्ञों का सुझाव है कि किसी भी मौसम में पाए जाने वाले दांत, उम्र की परवाह किए बिना, उस मौसम में खाने के लिए सभी के लिए अच्छे होते हैं।


रविवार, 17 अक्तूबर 2021

आम आदमी के खिलाफ 'संपादकीय'

आम आदमी के खिलाफ   'संपादकीय'
ना रोज़गार-रोटी, ना छत-मकान है,
चर्चे में सियासत के कब्रिस्तान है।
कुछ भीड़ इनके पीछे, कुछ भीड़ उनके आगे,
सचमुच यहाँ की हालत‌ भेड़िया धसान है।
भारत वर्ष के उत्कर्ष का स्वर्णिम वर्ष हर्ष के आगोश में मुस्कराते हुये नव वर्ष की तरफ शनैः शनैः अग्रेषित हो रहा है। चुनावी समीकरण को मन माफिक बनाने के लिये सियासी जमात के सहचर तमाम तरह के अलंकरण से जनमानस के बीच अपनी पहचान रखने वालो को बिभूषित कर रहे हैं। गरीबों के रहनुमाओं की पैदावार बढ गयी, उनके दर्द में फर्ज निभाने वालों की बाढ़ आ गयी है। इसी सीयासी तमाशे से लोगों की चीढ़ बढ़ गयी है। समय की मार देखिये, पढ़ें-लिखों को हर नुक्कड‌ हर चौराहे पर काम की तलाश में खड़ा बेकार देखिये।काम-धन्धे के अभाव में भूखमरी का दंश झेलता हुए गरीब के दिल मे बढता घाव देखिये। हर रोज बदलाव की हवा तेज होती जा रही है। महंगाई कि मार से हर आदमी मानसिक रुप से बीमार हो गया। हर तरफ‌ लूट मची है, हर तरफ अपना दबदबा कायम करता जा रहा‌ है भ्रष्टाचार। चारों तरफ हाहाकार है। फिर भी चुप सरकार है. ऐतिहासिक उत्कर्ष है साहब ! सब कुछ बिक रहा‌ है! रेल, तेल ,भेल ,खेल, जेल,आयुध कारखाना लाल किले का  तहखाना, हवाई अड्डा, ‌गांव गिराव का सरकारी गड्ढा... कल कारखाना, कोयला का खदान, सब कुछ खरीद रहा अडानी 'अम्बानी का खानदान। इसी की चपेट में आकर आन्दोलनरत है महीनों से किसान। वाह साहब देश नहीं बिकने दूंगा। शायद सुनने में गलती हो गयी। देश नहीं बचने दूंगा। गजब की सोच आखिर कैसा बन रहा‌ है हिन्दुस्तान? जहां गिरवी पड़ता जा रहा है स्वाभिमान। देश का ‌‌अन्नदाता आज सिसक रहा है। आने वाले कल में होने वाली त्रासदी को सोचकर‌ परेशान हैं। बंधक बनता जा रहा खेत और खलिहान है। भयंकर वारिस के चलते ,किसानों की खरीफ की फसलें नष्ट हो गईं हैं। किसान खून के आंसू रोने को मज़बूर है। उनकी चिंता बैंकों से लिए कर्ज की अदायगी कैसे करें? बच्चों की फीस,और दवा का इंतजाम कैसे करें? रोज मर्रा का घर का खर्चा कैसे चलेगा? बाढ़ के प्रभाव से शुद्ध पानी को मोहताज़ है। 
यदि पानी उबाल कर पियें तो गैस की मंहगाई चरम पर है। जहां बाढ़ का भयंकर प्रकोप है डायरिया फैलने लगा है। जल-जमाव से डेंगू मच्छरों का खतरा बढ़ा है। पशुओं के चारे का इंतजाम कहां से और कैसे करें? इस उधेड़बुन ने उनका जीना मुहाल कर रखा है। सरकार की ओर से अभी तक उनके दर्द पर मरहम लगाने की कोई घोषणा नहीं हुई। तबाही झेलता किसान संविधान के हासिये पर आजादी के समय ही कर दिया गया। उनके लिये न कोई आयोग से सहयोग मिला, केवल बर्बादी का रोग। सियासत के चुगलखोर चुनाव भर सुबह-शाम 'राम राम' बोलते हैं। चुनाव जीतते ही जय श्रीराम बोलकर भ्रष्टाचार के आगोश में मदहोश हो जाते हैं। चुनाव की दुन्दूभी बजने वाली है। हर कदम पर सियासी मदारी डेरा डाल रहे हैं। अपना करतब दिखाकर बहका कर अपनी झोली भरने की जुगत में है, सावधान रहें ! आप का एक वोट देश की तकदीर बदल सकता हैं।
बाजू पे अपने घर का पता बांध कर चलें,
महफूज़ मेरे शहर के रस्ते नहीं रहें।
जगदीश सिंह
भैय्यागिरी का दौर   'संपादकीय'
आधुनिक राजनीति में समसामयिक बदलावों के साथ प्रौद्योगिक क्रियाओं का बड़ा समावेश हुआ है। क्षेत्रवाद-जातिवाद के ध्रुवीकरण को केंद्रित करके राजनैतिक लाभ उठाने का दौर आज भी जारी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रदेश की अधिकांश विधानसभाओं में आज भी भैय्यागिरी का दौर है। कई विधानसभाओं में संप्रदायिकता ही राजनीति का प्रथम घटक है। हिंसा और द्वेष की आधारशिला पर राजनीति की जाती है। नफरत के सैलाब में भाई बंदगी और प्यार-मोहब्बत का ढांचा धूं-धूं करके जल जाता है। एक ऐसी रेखा हमारे संबंधों के बीच में खींची जाती है, जिसे हम लक्ष्मणरेखा तो नहीं कह सकते लेकिन उसकी मजबूती चीन की दीवार से भी मजबूत होती है। हमारे विचारों को परिवर्तित करने का कार्य किया जाता है और हम सभी इस बंटवारे के मूकबधिर पात्र बन जाते है। 
सत्ता पाने के लालच में गणतंत्र की व्यवस्था और संवैधानिक मूल्यों का कोई वजूद नहीं रह जाता है। जिस प्रकार से जातिवाद की संरचना और विस्तार का दौर जारी है। यह सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करता है। परंतु किस स्तर तक प्रभावित करेगा, क्या इसका दुष्परिणाम होगा ? इसका अनुमान इस प्रक्रिया के संरक्षकों को भी नहीं है। राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के प्रति किए गए कूटनीतिक प्रयासों की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। किंतु कूटनीतिक प्रयासों की जड़ें कितनी गहरी है, उससे उत्पन्न होने वाले भावी परिणाम को समझना शुद्ध राजनीति है। हालांकि राजनीति की पृष्ठभूमि में बड़े परिवर्तन से नवीनीकरण की संभावनाएं बढ़ गई हैं। आधुनिकरण की पराकाष्ठा में प्रदेश की राजनीति का केंद्र विधानसभा चुनाव 2022 में भी जातिवाद और ध्रुवीकरण आधारित ही रहेगा। इसमें किसी प्रकार के किसी बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है। 
सत्तारूढ़ भाजपा की कूटनीति का विशेष और महत्वपूर्ण दांवपेच का कारोबार बल्कि दारमोदार यहीं से शुरू होगा। सामाजिक द्वेष की परिधि का दायरा बढ़ने से प्रदेश की कई विधानसभा में भाजपा के प्रति अप्रिय परिणाम तो फलीभूत होंगे ही साथ में अप्रत्याशित परिणाम भाजपा के पतन का प्रारंभ भी होगा। बढ़ते हुए द्वेष में आक्रोश का व्याप्त होना स्वभाविक है। योगी सरकार की असफलता और असंतुष्ट मतदाता उल्टे दिनों के प्रतिबिंब बन कर उभरेगें। इसके लिए ज़हन पर जोर देने की जरूरत नहीं है। उदाहरण के तौर पर लोनी विधानसभा में पहली बार भाजपा के विरुद्ध रिकॉर्ड तोड़ मतदान होगा। असंतुष्ट भाजपा कैडर और राजनेताओं में उत्पन्न मतभेद से जो व्यवधान उत्पन्न हुआ है। उसके परिणाम स्वरूप भाजपा को एक छत्र के नीचे लाना दुर्गम होता जा रहा है। स्वयं की विश्वसनीयता को स्थिर रख पाना राजनेताओं के लिए एक चुनौती बन गई है। वंही, जनता झूठी तसल्ली और खोखले वादों का असली सच समझ चुकी है। महामारी के दौर में लाचारी और महंगाई की मार ने आंखें खोल दी है। जिनको 1000-1200 रुपए प्रतिदिन दिहाड़ी-मजदूरी मिलती है। बस, वही लोग अपने संकल्प को नहीं तोड़ेंगे। जनता की बदहाली का आईना बिल्कुल साफ है।
राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'

उत्तरी क्षेत्रों में लोकप्रिय खाद्य व्यंजन हैं 'छोले भटूरे'

छोले भटूरे भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी क्षेत्रों में लोकप्रिय एक खाद्य व्यंजन है। यह चना मसाला (मसालेदार सफेद छोले) और भटूरा/पूरी का एक संयोजन है। जो मैदा से बनी एक तली हुई रोटी है। हालांकि इसे एक विशिष्ट पंजाबी व्यंजन के रूप में जाना जाता है, लेकिन पकवान की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न दावे हैं। छोले भटूरे को अक्सर नाश्ते के व्यंजन के रूप में खाया जाता है, कभी-कभी लस्सी के साथ। यह स्ट्रीट फ़ूड या संपूर्ण भोजन भी हो सकता है और इसके साथ प्याज, मसालेदार गाजर, हरी चटनी या आचार भी हो सकता है। मैदा और सूजी को किसी बर्तन में छान कर निकाल लीजिये, मैदा के बीच में जगह बनाइये, 2 टेबिल स्पून तेल, नमक, बेकिंग पाउडर, दही और चीनी इसमें डालकर, इसी जगह इन सब चीजों को अच्छी तरह मिला लीजिये। गुनगुने पानी की सहायता से नरम आटा गूथ लीजिये। गुथे हुये आटे को 2 घंटे के लिये बन्द अलमारी या किसी गरम जगह पर ढक कर रख दीजिये। कढ़ाई में तेल डाल कर गरम करें। गूथे हुये आटे से एक टेबिल स्पून आटे के बराबर आटा निकालिये। लोई बनाइये और पूरी की तरह बेलिये, लेकिन यह, पूरी से थोड़ा सा मोटा बेला जाता है। पूरी को गरम तेल में डालिये, कलछी से दबाकर फुलाइये, दोनों ओर पलट कर हल्का ब्राउन होने तक तलिये। 
काबुली चना एक कटोरी या 150 ग्राम, खाना वाला सोडा आधा चम्मच, टमाटर -3-4 मीडियम साइज, हरी मिर्च - 2-3, अदरक - 1 इन्च लम्बा टुकड़ा य़ा एक छोटी चम्मच अदरक का पेस्ट, रिफाइन्ड तेल - 2 टेबिल स्पून, जीरा - आधा छोटी चम्मच, धनियाँ पाउडर - एक छोटी चम्मच, लाल मिर्च पाउडर - एक चौथाई छोटी चम्मच से कम, गरम मसाला।
चनों को रात भर पानी में भिगने रख दीजिये। पानी से निकाल कर चनों को धोकर, कुकर में डालिये, एक छोटा गिलास पानी, नमक और खाना सोडा मिला दीजिय। कुकर बन्द करें और गैस पर उबालने के लिये रख दीजिये। दूसरी तरफ टमाटर, हरी मिर्च, अदरक को मिक्सी से बारीक पीस लें। कढ़ाई में तेल डाल कर गरम करें। जीरा भुनने के बाद धनियाँ पाउडर डाल दीजिये। चमचे से चलायें, टमाटर, अदरक, हरी मिर्च का मिश्रण और लाल मिर्च पाउडर डाल कर मसाले को जब तक भूने तब तक कि मसाले के ऊपर तेल न तैरने लगे। भुने मसाले में एक गिलास पानी और स्वादानुसार नमक डाल दीजिये। उबले चनों को इस मसाले की तरी में मिला कर अच्छी तरह चमचे से चला लीजिये। यदि आपको छोले अधिक गाढ़े लग रहे हो, तो आप उनमें आवश्यकता अनुसार पानी मिला लीजियें, उबाल आने के बाद 2-3 मिनिट पकने दीजिये। गरम मसाला और आधा हरा धनियाँ मिला दीजिये। आपके छोले तैयार हैं। इन्हें भटूरे के साथ सर्व करें।
 
शुक्ल-पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है शरद पूर्णिमा

हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल-पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। शरद पूर्णिमा को 'कौमुदी व्रत', 'रास पूर्णिमा' और 'कोजागरी पूर्णिमा' भी कहा जाता है। इस बार शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर (मंगलवार) को 7 बजे से शुरू होकर 20 अक्टूबर को 8 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूरे साल में सिर्फ इसी दिन चांद अपनी 16 कलाओं से युक्त है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चाँद 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर रातभर अमृत बरसता है। यही वजह है कि उत्तर भारत में शरद पूर्णिमा को रात में खीर बनाकर रातभर चाँदनी में रखने का रिवाज है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन श्रीकृष्ण ने निधिवन में गोपियों के साथ महारास रचाया था इसलिए इसे रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा को लेकर कई मान्यताएँ प्रचलित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्‍मी जी का जन्‍म हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात लक्ष्‍मी माता घर-घर जाती हैं और जागने वाले भक्‍तों को धन-वैभव का वरदान देती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन ही वाल्मिकि जयंती भी मनाई जाती है। शरद पूर्णिमा मनाने के पीछे एक धार्मिक मान्यता यह भी है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के चार माह के शयनकाल का अंतिम चरण होता है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो विवाहित स्त्रियां शरद पूर्णिमा का व्रत करती हैं उन्‍हें संतान-सुख की प्राप्‍ति होती है। वहीं, माताएँ अपनी संतान की दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं। कुँवारी कन्याओं को शारद पूर्णिमा का व्रत करने से मनवांछित व्रत की प्राप्ति होती है। शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद व्रत का संकल्‍प लें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई कर पूजा की तैयारी कर लें। पूजा की तैयारी के बाद घर में मौजूद मंदिर में दीया जलाएं। दीपक जलाकर ईष्‍ट देवता का पूजन करें। साथ ही भगवान इंद्र और माता लक्ष्‍मी की पूजा करें। अब धूप, दीप और बत्ती से भगवान की आरती उतारें। शाम के समय लक्ष्‍मी जी की पूजा करें और आरती भी उतारें। अब चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर प्रसाद चढ़ाएं और आरती उतारें। इसके बाद व्रत तोड़ें। साथ ही प्रसाद की खीर को रात 12 बजे के बाद अपने दोस रिश्तेदारों में बांटें।

शनिवार, 16 अक्तूबर 2021

बासी रोटी खाने के फायदे

बासी रोटी खाने के फायदे   
रात का बचा हुआ खाना सुबह डस्टबीन में फेंकने की बुरी आदत कई लोगों को होती है। ये खाना खराब ना होने के बावजूद लोग इसे बड़ी लापरवाही से कूड़ेदान में फेंक देते हैं। फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल तकरीबन 40 फीसद खाना बर्बाद किया जाता है। भूख से जुड़ी समस्या और खाद्य सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्ध दिवस (World Food Day) मनाया जाता है। आइए आज इसी कड़ी में आपको रात की बची बासी रोटी खाने के फायदे बताते हैं जो शायद आज से पहले आपको नहीं पता होंगेडायबिटीज के रोगियों को फायदा- डॉक्टर्स कहते हैं कि डायबिटीज के मरीजों के लिए बासी रोटी काफी फायदेमंद होती है। रोज सुबह दूध के साथ बासी रोटी खाने से आपके शरीर में शुगर का लेवल बैलेंस रहता है। इससे शरीर को इनफ्लेमेशन की दिक्कत से भी राहत मिलती है।
हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल- ब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए भी बासी रोटी खाना काफी लाभकारी है। सुबह के वक्त ठंडे दूध के साथ बासी रोटी खाने से हाई ब्लड प्रेशर को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। एसिडिटी से राहत- पेट की समस्याओं एसिडिटी और कब्ज से जूझ रहे लोगों को भी बासी रोटी से राहत मिल सकती है। सुबह दूध के साथ इसका सेवन करने से आप एसिडिटी और कब्ज की समस्या से निजात पा सकते हैं।
जिम जाने वालों के लिए फायदेमंद- बहुत कम लोगों को यह बात मालूम होगी कि जिम जाने वाले लोगों के लिए भी बासी रोटी फायदेमंद है। जिम में मसल्स गेन करने वालों के लिए भी बासी रोटी के कई फायदे हैं। एक जानकार जिम ट्रेनर से आप इसके फायदों के बारे में पूछ सकते हैं।
ताजी रोटी से ज्यादा पौष्टिक- ताजी रोटी की अपेक्षा बासी रोटी अधिक पौष्ट‍िक होती है, क्योंकि लंबे समय तक रखे रहने के कारण इसमें जो बैक्टीरिया होते हैं, उनसे भी सेहत को फायदा हो सकता है। हालांकि इस बात का विशेष ध्यान रखें कि रोटी 12 से 16 घंटे से ज्यादा बासी ना हो।

अरब मुल्कों में खूब जानी-पहचानी है जलेबी
 जलेबी उत्तर भारत-पकिस्तान व मध्यपूर्व का एक लोकप्रिय व्यंजन है। इसका आकार पेंचदार होता है और स्वाद करारा मीठा। इस मिठाई की धूम भारतीय उपमहाद्वीप से शुरू होकर पश्चिमी देश स्पेन तक जाती है। इस बीच भारत, बांग्लादेश पाकिस्तान, ईरान के साथ तमाम अरब मुल्कों में भी यह खूब जानी-पहचानी है। आमतौर पर तो जलेबी सादी ही बनाई व पसंद की जाती है, पर पनीर या खोया जलेबी को भी लोग बडे चाव से खाते हैं। जलेबी भारत की राष्ट्रीय मिठाई हैं। कुछ लोगों का मानना है कि जलेबी मूल रूप से अरबी शब्द है और इस मिठाई का असली नाम है जलाबिया। यूं जलेबी को विशुद्ध भारतीय मिठाई मानने वाले भी हैं। शरदचंद्र पेंढारकर (बनजारे बहुरूपिये शब्द) में जलेबी का प्राचीन भारतीय नाम कुंडलिका बताते हैं। वे रघुनाथकृत ‘भोज कुतूहल’ नामक ग्रंथ का हवाला भी देते हैं जिसमें इस व्यंजन के बनाने की विधि का उल्लेख है। भारतीय मूल पर जोर देने वाले इसे ‘जल-वल्लिका’ कहते हैं। रस से परिपूर्ण होने की वजह से इसे यह नाम मिला और फिर इसका रूप जलेबी हो गया। फारसी और अरबी में इसकी शक्ल बदल कर हो गई जलाबिया। उत्तर पश्चिमी भारत और पाकिस्तान में जहां इसे जलेबी कहा जाता है वहीं महाराष्ट्र में इसे जिलबी कहा जाता है और बंगाल में इसका उच्चारण जिलपी करते हैं। जाहिर है बांग्लादेश में भी यही नाम चलता होगा।

सोशल मीडिया पर दावा झूठा व पूरी तरह फर्जी

 आजकल एक मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत नौकरियां, लैपटॉप और मोबाइल फोन दे रही है। लेकिन इस मैसेज को आगे भजेने या इस पर गौर करने से पहले इसकी पुष्टि आपके लिए बेहद जरूरी है। पीआईबी फैक्ट चेक ने इसकी जानकारी दी है।

आपको बता दें कि ‘PIB Fact Check’ ने बताया कि यह दावा पूरी तरह झूठा और फर्जी है। सरकार इस योजना के तहत ऐसा कुछ नहीं कर रही है। इसलिए आप इस दावे पर बिल्कुल भी विश्वास न करें और न ही इस मैसेज को फॉरवार्ड करें। PIB फैक्ट चेक ने यह जानकारी दी है।

क्या कहा गया है इस दावे में?
PIB फैक्ट चेक ने ट्वीट करके ये जानकारी दी और बताया कि एक फर्जी विज्ञापन सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि सरकार ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत नौकरियां, लैपटॉप और मोबाइल दे रही है। यह दावा पूरी तरह से झूठा और फर्जी है। सरकार इस योजना के तहत ऐसी कोई सुविधा नहीं देने जा रही है। सरकार का इस योजना के तहत किसी भी व्यक्ति को पैसे देने का प्रावधान नहीं है।

पीआईबी ने शेयर किया फोटो 

पीआईबी ने इस फर्जी विज्ञापन का फोटो भी शेयर किया है। इसमें दिख रहा है कि लोगों को एसएमएस भेजने को कहा गया है। ऐसा करने पर उन्हें पैसे, लैपटॉप का लालच दिया गया है। इसके तहत उनसे अपना नाम, पता भी एसएमएस भी शेयर करने को कहा गया है। लेकिन, आप सावधान रहें, यह अपराधियों द्वारा आपको धोखाधड़ी में फंसाने का जरिया है।

पीआईबी ने चेताया है कि अगर आप भी यह विज्ञापन कहीं देखते हैं या व्हाट्सऐप पर इसे आपको भेजा जाता है, तो इस पर बिल्कुल विश्वास नहीं करें। इसमें दिए नंबर पर कोई एसएमएस न भेजें और अपनी निजी जानकारी किसी के साथ साझा न करें। ऐसा करको आप फ्रॉड का शिकार हो सकते हैं। इसके साथ ही दूसरे लोगों को भी इस फर्जीवाड़े के बारे में अवगत कराएं। आजकल धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

PIB फैक्ट चेक करता है खंडन 

आपको बता दें कि PIB फैक्ट चेक सरकारी नीतियों या स्कीमों पर गलत जानकारी का खंडन करता है। अगर आपको कोई सरकार से संबंधित समाचार के फर्जी होने का शक है, तो आप PIB फैक्ट चेक को इसके बारे में जानकारी दे सकते हैं। इसके लिए आप 918799711259 इस मोबाइल नंबर या socialmedia@pib.gov.in ईमेल आईडी पर भेज सकते हैं।


गुरुवार, 17 जून 2021

ब्राजील में कोरोना के 19 वेरिएंट की पहचान की गई

ब्रासीलिया। दुनियाभर में जारी कोरोना वायरस का खतरा अब भी लगातार जारी है। इसी बीच ब्राजील के वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाली जानकारी दी है। ब्राजीली वैज्ञानिको के मुताबिक, ब्राजील के साओ पाउलो राज्य में कोरोना वायरस के कम से कम 19 वेरिएंट (प्रकारों) की पहचान की गई है। ब्राजील के जैविक अनुसंधान केंद्र, इंस्टीट्यूट बुटानटन ने एक बयान देकर ये जानकारी दी। बयान में कहा गया कि साओ पाउलो राज्य में 19 कोरोना वायरस वैरिएंट घूम रहे हैं। जिनमें P.1 (अमेज़ॅन) स्ट्रेन 89.9 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है। इसके बाद स्ट्रेन बी.1.1.7 (यूके वेरिएंट) आता है। जो 4.2 प्रतिशत कोरोना मामलों के लिए जिम्मेदार है। साओ पाउलो राज्य ब्राजील का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य हैष यहां पर 4.6 करोड़ लोगों की आबादी रहती है और देश के सबसे अधिक कोरोना के मामले यहीं पर पाए गए हैं।

इसी बीच, रूस की स्पुतनिक-वी कोविड वैक्सीन की पहली खेप जुलाई के शुरुआत में ब्राजील पहुंच सकती है। ब्राजील के सेरा राज्य के गवर्नर कैमिलो सैन्टाना ने इसकी जानकारी दी, उन्होंने कहा- स्पुतनिक-वी वैक्सीन से जुड़े रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष के प्रतिनिधियों और उत्तर-पूर्व (ब्राजील) के गवर्नरों के बीच एक बैठक हुई। फंड ने जुलाई की शुरुआत में वैक्सीन की पहली बैच की डिलीवरी की पुष्टि की और इस महीने के अंत तक वैक्सीन वितरण कार्यक्रम तैयार हो जाएगा।

रविवार, 13 जून 2021

शुक्र ग्रह 22 जून को कर्क राशि में गोचर करेंगे

शुुक्र ग्रह को सुख, सौंदर्य, कला, प्रेम, वाहन समेत अन्य भौतिक सुखों का कारक माना जाता है। शुक्र ग्रह की स्थिति से पता चलता है कि हम दोस्ती में कैसे रहेंगे और प्रेम संबंध में हमारी भावनाएं कैसी होंगी। शुक्र एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने के लिए लगभग 23 दिनों का समय लेता है। वैदिक ज्योतिष में भी शुक्र की गिनती शुभ ग्रहों में की जाती है। शुक्र के राशि परिवर्तन का भी सभी राशियों पर प्रभाव पड़ता है। शुक्र 22 जून को कर्क राशि में गोचर करेंगे। इससे पहले 29 मई के दिन शुक्र ने अपनी राशि बदली थी। शुक्र के कर्क राशि में गोचर करने से कुछ राशियों को लाभ होगा तो कुछ राशियों को नुकसान पहुंचेगा।
22 जून को मेष राशि के चतुर्थ भाव में शुक्र का गोचर हो रहा है। चतुर्थ भाव आराम, माता और सुख-सुविधाओं का कारक है। शुक्र गोचर से आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। करियर में भी आपको सफलता की नई ऊंचाइयां मिलेंगी। कार्यक्षेत्र में बदलाव भी संभव है। मिथुन राशि के दूसरे भाव में शुक्र का गोचर हो रहा है। यह भाव वाणी, धन और परिवार का कारक माना जाता है। आपकी राशि में शुक्र के गोचर के दौरान आप परिवार के साथ अच्छा समय बिताएंगे। निवेश में मुनाफा हो सकता है। आमदनी में बढ़ोतरी होने के प्रबल योग हैं। यात्राओं का योग भी बन सकता है। शुक्र का गोचर वृश्चिक राशि वालों के लिए शुभ परिणाम लेकर आएगा। व्यापारियों को फायदा होगा। शुक्र गोचर के दौरान नए कार्य की शुरुआत करना उत्तम रहेगा। इस दौरान आपको करियर के क्षेत्र में अच्छे अवसर मिलेगें। अपनी सेहत का ध्यान रखें। साथ ही कार्य क्षेत्र में अनावश्यक बातों में उलझने से बचें। मकर राशि के सातवें भाव में शुक्र का गोचर हो रहा है। यह भाव विवाह और भागीदारी का कारक माना जाता है। इस वजह से मकर राशि में शुक्र के गोचर के दौरान नौकरी पेशा लोगों के जीवन में अनुकूल बदलाव हो सकते हैं। प्रमोशन मिलने की उम्मीद है। शुक्र के असर से आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। छात्रों का मन पढ़ाई से हट सकता है।

रविवार, 6 जून 2021

10 जून को लगेगा सूर्य ग्रहण, भारत में नहीं दिखेगा

सूर्य ग्रहण 10 जून गुरुवार को लग रहा है। यह साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण है। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाए तो उसे सूर्य ग्रहण की संज्ञा दी जाती है। वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टि से इसे महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। जिसका असर पृथ्वी पर मौजूद हर वस्तु पर पड़ता है, खासतौर से मनुष्यों पर इसका असर देखने को मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रहण वृष राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। सूर्य ग्रहण भारत में आंशिक रूप से ही देखा जा सकेगा। आंशिक सूर्य ग्रहण को खंडग्रास, कंकणाकृति भी कहा जाता है। 
इस स्थिति में सूर्य एक चांदी के चमकते कंकण या फिर वलय के आकर में दिखाई देता है। इसे ‘रिंग ऑफ फायर’ या वलयाकार ग्रहण भी कहते हैं। वहीं इस साल कुल 4 ग्रहण लगेंगेसूर्य ग्रहण 10 जून यानी कि गुरुवार को दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से ग्रहण लगना प्रारंभ होगा। और पूरे 5 घंटे बाद शाम 6 बजकर 41 मिनट पर पूरा होगा। सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है। लेकिन खास बात ये है कि ये ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा इसलिए न तो यहां सूतक काल मान्य होगा और नहीं धार्मिक आयोजनों में किसी तरह की रुकावट आएगी। ये ग्रहण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अटलांटिक में नजर आएगा।

इन बातों का रखें ध्यान

भले ही ये सूर्य ग्रहण उपच्छाया ग्रहण होगा और भारत में नजर नहीं आएगा। बावजूद इसके ज्योतिष गर्भवती महिलाओं को कुछ खास बातों का ध्यान रखने और उन्हें नजरअंदाज न करने की सलाह देते हैं। ग्रहण शुरू हो उससे पहले ही स्नान कर लेना चाहिए। ग्रहण के दौरान जितना संभव हो उतना प्रभु को याद करें। ग्रहण काल के समय क्रोध, किसी की निंदा व बुरे कार्यों को करने से बचें। धारदार चीज़ें जैसे कैंची, चाकू इत्यादि का इस्तेमाल न करें। हाथ, पांव को सीधा रखें उन्हें मोड़े नहीं। सूर्य मंत्रों का जाप करें।

शनिवार, 5 जून 2021

पशु गर्भधारण अवस्था की मात्र 10 रुपये में जांच

राणा ओबरॉय   
चंडीगढ़। हरियाणा में वैज्ञानिकों ने पशुओं के गर्भ की जांच के लिए किट तैयार कर दी है। इस किट के जरिये अब पता लगाया जा सकता है कि पशु के गर्भ में बच्चा है या नहीं है। वहीं इस प्रक्रिया और किट के लिए ज्यादा खर्च करने की भी आवश्यकता नहीं होगी, इसके लिए महज 10 रुपये का ही खर्च आएगा। हिसार स्थित केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआइआरबी) द्वारा विकसित इस किट को केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने वर्चुअल कार्यक्रम में लॉच किया। आपको बता दें कि अभी तक पशुओं में प्रेग्नेंसी जांचने की कोई भी किट नहीं थी। अब इस किट के द्वारा 20 दिन के गर्भ का आसानी से पता चल जाता है। इसकी जांच करने के लिए केवल पशु के थोडे़ से मूत्र की जरूरत होगी और गर्भ जांच कर सकता है।
यह किट पशुपालकों के लिए हितकारी साबित होगी, अभी तक पशुपालक पशु के 3-4 महिने के गर्भवती होने पर ही इसका पता कर पाते थे जोकि पशु पालकों के लिए बहुत ही नुकसानदायी रहता है। अब 20 दिन के गर्भ का पता करने के बाद पशुपालत अपने अगर पशु गर्भ से नहीं है तो उसका समय पर इलाज करवा सकेगा। कृषि मंत्री ने सीआइआरबी के निदेशक, टेस्ट किट की खोज करने वाले डॉ. अशोक बल्हारा और उनकी टीम की सराहना की है। किट तैयार करने वाली टीम के सदस्य डॉ. अशोक बल्हारा, डॉ. सुशील फुलिया, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. सुमन व डॉ. अशोक मोहंती हैं।

आपको बता दें कि पशुपालकों को पशुपालन में बांझ से हो रहे नुकसान को कम करने के लिए केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गर्भ जांच किट बनाने का निर्णय लिया। जो कि 2-3 साल के प्रयास ओर मेहनत के बाद विज्ञानियों ने इसमें सफलता प्राप्त की जो कि किसानों के लिए बहुत ही लाभदायी होगी। आपको बता दें कि पशुपालकों को पशुपालन में बांझ से हो रहे नुकसान को कम करने के लिए केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गर्भ जांच किट बनाने का निर्णय लिया। जो कि 2-3 साल के प्रयास ओर मेहनत के बाद विज्ञानियों ने इसमें सफलता प्राप्त की जो कि किसानों के लिए बहुत ही लाभदायी होगी।

मंगलवार, 1 जून 2021

विश्व: 35.46 लाख से अधिक लोगों की मौंत, संक्रमण

वाशिंगटन डीसी। विश्वभर में कोरोना वायरस (कोविड-19) का कहर जारी है और अब तक 17.05 करोड़ से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। जबकि 35.46 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केंद्र (सीएसएसई) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार दुनिया के 192 देशों एवं क्षेत्रों में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 17 करोड़ पांच लाख 85 हजार 283 हो गयी है। जबकि 35 लाख 46 हजार 915 लोगों की इसके संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है।

विश्व में महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में कोरोना वायरस की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ी है। हालांकि यहां संक्रमितों की संख्या तीन करोड़ 32 लाख 64 हजार 380 हो गयी है और 5.94 लाख से ज्यादा लोगों की इस संक्रमण से मौत हो गयी है। दुनिया में कोरोना संक्रमितों के मामले में भारत दूसरे स्थान पर और मृतकों के मामले में तीसरे स्थान पर है। पिछले 24 घंटों में 1,27,510 नये मामले आने के साथ ही संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर दो करोड़ 81 लाख 75 हजार 044 हो गया। इस दौरान दो लाख 55 हजार 287 मरीज स्वस्थ हुए हैं जिसे मिलाकर देश में अब तक दो करोड़ 59 लाख 47 हजार 629 लोग इस महामारी को मात दे चुके हैं। सक्रिय मामले 1,30, 572 कम होकर 18 लाख 95 हजार 520 रह गये हैं। इस दौरान 2,795 मरीज अपनी जान गंवा बैठे और इस बीमारी से मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर तीन लाख 31 हजार 895 हो गयी है। देश में सक्रिय मामलों की दर घटकर 6.73 प्रतिशत रह गयी है जबकि मृत्युदर बढ़कर 1.18 हाे गई है।

ब्राजील संक्रमितों के मामले में अब तीसरे स्थान पर है। इस देश में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से बढ़ रहे हैं और अभी तक इससे 1.65 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। जबकि 4.62 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ब्राजील कोरोना से मौतों के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है। संक्रमण के मामले में फ्रांस चौथे स्थान पर है जहां कोरोना वायरस से अब तक 57.28 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं जबकि 1.09 लाख से अधिक मरीजों की मौत हो चुकी है।कोरोना प्रभावितों के मामले में तुर्की रूस से आगे निकल गया है और यहां कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 52.49 लाख से ज्यादा हो गयी है और 47,527 मरीजों की मौत हो चुकी है। रूस में कोरोना संक्रमितों की संख्या 50.13 लाख से अधिक हो गई है और इसके संक्रमण से 1.19 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। ब्रिटेन में कोरोना वायरस प्रभावितों की कुल संख्या 45.03 लाख से अधिक हो गयी है और 1.28 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

मृतकों के मामले में ब्रिटेन पांचवें स्थान पर है। इटली में कोरोना प्रभावितों की संख्या 42.17 लाख से अधिक हो गयी है और 1.26 लाख से अधिक लाेगों की जान जा चुकी है। कोरोना से प्रभावित होने के मामले में अर्जेंटीना ने जर्मनी को पीछे छोड़ दिया है। अर्जेंटीना में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 37.81 लाख से अधिक हो गयी है तथा मृतकों की संख्या 78,093 है। जर्मनी में वायरस की चपेट में आने वालों की संख्या 36.89 लाख से अधिक हो गई है और 88,492 लोगों की मौत हो चुकी है। स्पेन में इस महामारी से 36.78 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 79,953 लोगों की मौत हो चुकी है। कोलंबिया में कोरोना वायरस से 34.06 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और 88,774 लोगों ने जान गंवाई है। इस बीच ईरान ने पोलैंड को पीछे छोड़ते हुए आगे निकल गया है। 

ईरान में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 29.13 लाख से ज्यादा हो गयी है तथा मृतकों का आंकड़ा 80,156 पहुंच गया है। पोलैंड में कोरोना से 28.72 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं और इस महामारी से 73,745 लोग जान गंवा चुके हैं। मैक्सिको में कोरोना से 24.13 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और यह देश मृतकों के मामले विश्व में चौथे स्थान पर है। जहां अभी तक इस वायरस के संक्रमण से 2.23 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। यूक्रेन में संक्रमितों की संख्या 22.60 लाख से अधिक है और 52,573 लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं। पेरू में संक्रमितों की संख्या 19.55 लाख के पार पहुंच गयी है।जबकि 69,342 लोगों की जान जा चुकी है। इंडोनेशिया में भी कोरोना संक्रमण के मामले 18.21 लाख के पार पहुंच गये हैं जबकि 50,578 लोगों की मौत हो चुकी है। चेक गणराज्य को पीछे छोड़ते हुए नीदरलैंड उससे आगे निकल आया है। 

नीदरलैंड में कोरोना से अब तक 16.76 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और यहां इस महामारी से 17,897 लोगों की मौत हो चुकी है। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस से 16.65 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुये हैं और 56,506 लोगों की मौत हो चुकी है। चेक गणराज्य में कोरोना से अब तक 16.61 लाख से अधिक लोग प्रभावित हो चुके हैं और यहां इस महामारी से 30,108 लोग जान गंवा चुके हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान में अब तक कोरोना से 9.21 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और 20,779 मरीजों की मौत हो चुकी है। अन्य पड़ोसी देश बंगलादेश में भी कोरोना वायरस का प्रकोप जारी है। जहां आठ लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और 12,619 मरीजों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा दुनिया के अन्य देशों में भी कोरोना वायरस के संक्रमण से स्थिति खराब है।

शुक्रवार, 28 मई 2021

दूध में उबालकर पिए तुलसी, अधिक लाभ होगा

तुलसी की पत्तियों का सेवन करने से न सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ती है बल्कि कई तरह के गंभीर रोगों से भी छुटकारा मिलता है। कोरोना महामारी के समय लोग तुलसी की पत्तियों से बना काढ़ा पीकर अपने इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बना रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि तुलसी की पत्तियों को दूध में उबालकर पीने से यह और अधिक लाभकारी हो जाता है और बहुत से रोगों से आपको दूर रखता है। आइए आपको बताते हैं कि तुलसी मिलक पीने से आप किन बीमारियों से बच सकते हैं और इसे बनाने का सही तरीका और पीने का सही समय क्या है।

कैसे करें तुलसी मिल्क का सेवन-तुलसी मिल्क बनाने के लिए आपको सबसे पहले डेढ़ गिलास दूध को उबालना है। दूध के उबलने पर इसमें 8 से 10 तुलसी की पत्तियां डालकर उसे और थोड़ी देर उबालना है। जब दूध लगभग एक गिलास रह जाए तब गैस बंद कर दें। दूध के हल्का गुनगुना होने पर इसका सेवन करें। याद रखें इस दूध का नियमित सेवन करने से ही आपकी इम्यूनिटी स्टॉग बनेगी और आप कई तरह के रोगों से दूर रहेंगे।
तुलसी मिल्क किन रोगों से लड़ने में करता है मदद

माइग्रेन से राहत-दूध में तुलसी के पत्ते उबालकर पीने से सिर दर्द या माइग्रेन जैसी बीमारियों में आराम मिलता है। अगर आप लंबे समय से इस समस्या से परेशान हैं हैं तो आप चाय की जगह रोजाना दूध में तुलसी के पत्ते डालकर पी सकते हैं।

तनाव व स्ट्रेस होता है दूर-तुलसी के पत्तों में न सिर्फ औषधीय गुण मौजूद होते हैं बल्कि इन पत्तियों में हीलिंग गुण भी शामिल होते हैं। यदि आप भी अपने ऑफिस के काम को लेकर टेंशन में हैं या फिर परिवार की कलह की वजह से डिप्रेशन जैसी समस्या से घिरे हुए हैं तो दूध में तुलसी की पत्तियों को उबालकर पिएं। ऐसा करने से डिप्रेशन की समस्या से उबरने में मदद मिलती है।

इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद-कोरोना महामारी के दौर में हर व्यक्ति अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने की तरफ ध्यान दे रहा है। कोई भी रोग आपको तभी घेर सकता है जब आपकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। ऐसे में तुलसी के पत्तों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। इसके अलावा तुलसी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल एवं एंटीवायरल गुण सर्दी, खांसी और जुकाम से भी दूर रखते हैं।

दिल का रखता है ख्याल-दूध में तुलसी के पत्तों को उबालकर पीने से दिल भी स्वस्थ रहता है। रोजाना खाली पेट तुलसी मिल्क पीने से ह्रदय रोगियों को काफी फायदा मिलता है।

अस्थमा में लाभ-अगर आप सांस संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो तुलसी मिल्क जरूर पिएं। बदलते मौसम से होनी वाली परेशानियों से यह घरेलू नुस्खा दूर रखता है।

मंगलवार, 25 मई 2021

इंसानों और जानवरों के नर नपुंसक, तो क्या होगा ?

कविता देवी               

भविष्य में पूरी दुनिया एक ऐसी समस्या से जूझेगी, जो किसी भी महामारी से ज्यादा बड़ी होगी। धरती पर मौजूद सभी जीवों की अगली पीढ़ी के लिए खतरा है। आप सोचिए कि कुछ सालों बाद इंसानों और अन्य जानवरों के नर नपुंसक हो जाएं तो क्या होगा ? एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ कि इसके लिए सबसे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक तापमान है। इससे पहले पर्यावरण में शामिल अलग-अलग प्रकार के घातक रसायन भी जिम्मेदार हैं।

हमें पता है कि ज्यादा तापमान जब अत्यधिक की ओर बढ़ता है तो जानवरों की जान जाने लगती हैं। ये उसे बर्दाश्त नहीं कर पाते। नई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि ज्यादा तापमान वाले पर्यावरण में नर जीव नपुंसक हो ही रहे हैं। इसके अलावा जिन जगहों पर तापमान को लेकर इतने बुरे हालात नहीं हैं, उन्हें भी नपुंसक होने का खतरा है। इसका मतलब ये है कि प्रजातियों का विभाजन प्रजनन के मामले में तापमान के चलते गड़बड़ हो जाए। शायद इंसान जलवायु परिवर्तन को कमतर आंक रहा है। यहीं पर गलती हो रही हैं इंसानों से…अगर इसे नहीं रोका गया तो ये किसी भी महामारी से ज्यादा भयानक स्थिति होगी। कुछ जीवों की प्रजातियां तो विलुप्त भी हो सकती हैं।

वैज्ञानिकों को कुछ सालों से ये बात पता है कि तापमान बढ़ता है तो जानवरों की प्रजनन क्षमता बिगड़ती हैं।उदाहरण के लिए अगर 2 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ता है तो कोरल्स में स्पर्म बंडल्स और अंडों के आकार में कमी आ जाती है। इसके अलावा बीटल्स और मधुमक्खियों की कुछ प्रजातियों में प्रजनन दर की कमी देखी गई हैं। जितना तेजी से तापमान बढ़ता है, उतनी ही तेजी से मधुमक्खियों जैसे कीट-पतंगों की प्रजनन क्षमता में कमी आती है। ज्यादा तापमान का असर गाय, सूअर, मछली और पक्षियों की प्रजनन क्षमता पर भी असर डालता है। इसके भी उदाहरण वैज्ञानिकों के पास मौजूद है। हालांकि अभी तक वैज्ञानिक इस बात की जांच नहीं कर पाए हैं कि ज्यादा तापमान से जैव-विविधता पर किस स्तर का असर पड़ेगा। इसे लेकर कोई भविष्यवाणी फिलहाल नहीं की जा सकती।

शनिवार, 22 मई 2021

मिट्टी खाना आदत नहीं, बल्कि एक डिसऑर्डर है

बचपन में कई बच्चों को मिट्टी खाने की आदत होती है, लाख कोशिशों के बाद भी बच्चे जमीन से मिट्टी खोदकर या दिवारों से खुरचकर मिट्टी खाते है। लेकिन कुछ लोग बचपन की आदत समझकर इसे टाल देते हैं। लेकिन ऐसे परिजनों को ये समझना बहुत जरुर है कि बच्चे मिट्टी आदत की वजह से नहीं बल्कि एक डिसऑर्डर है। जिसे PICA के नाम से जाना जाता है। मिट्टी के अलावा अगर आपका बच्चा पेंट, प्‍लास्‍टर, चॉक, कॉर्नस्‍टार्च, साबुन या फिर ऐसी चीजें खाता तो तुरंत डॉक्‍टर से सलाह लेने की जरूरत है।
क्योंकि पीका डिसऑर्डर बच्‍चों में काफी आम समस्‍या है। लेकिन लोग इसपर ध्यान नहीं देता। एक स्‍टडी के मुताबिक 10 से 20 फीसदी बच्‍चे पीका डिसऑर्डर से कभी न कभी ग्रसित होते हैं। अमेरिकी वेबसाइट पिडियाट्रिकऑनकॉल.कॉम के मुताबिक बच्चों को डाटने की बजाय डॉक्‍टर से सलाह लेनी चाहिए।पीका डिसऑर्डर को लेकर डॉक्‍टरों का मानना है कि बच्‍चे में खून की कमी होने के कारण वो मिट्टी खाते है। इसलिए बच्चों को सिर्फ दूध ना दें। बच्चों की खुराक में अनाज, दाल या सब्जियों की कमी होने से भी यह दिक्कत देखी जाती है। वक्त रहते मिट्टी खाने की आदत है नहीं छुड़वाई गई तो इसकी वजह से वो ऑटिज्‍म नामक बीमारी से भी ग्रसित हो सकते हैं। अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्‍नोलॉजी इनफॉर्मेशन की मानें तो पीका की वजह से बच्‍चों की रोजाना की गतिविधियों पर असर पड़ने लगता है।
  • ये बीमारी इसलिए पर नुकसानदायक है क्योंकि पीका का कोई इलाज नहीं है।
  • विशेषज्ञों की माने तो इस डिसऑर्डर के लिए आपको अपने न्‍यूट्रीशिनल से सलाह लीजिए।
  • बच्चों की खाने-पीने की आदतों में बदलाव करना चाहिए।
  • न्‍यूट्रीशिनल के साथ किसी मनोवैज्ञानिक से सलाह जरुर लें।

गुरुवार, 20 मई 2021

26 मई को वैशाख पूर्णिमा के दिन पहला चंद्र ग्रहण

नई दिल्ली। साल 2021 का पहला ग्रहण होगा चंद्र ग्रहण। जो 26 मई को लगने जा रहा है। ग्रहण वैशाख पूर्णिमा के दिन लगेगा। ये पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा जो दुनिया भर के कई देशों में दिखाई देगा। भारत में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण से पहले सूतक काल लग जाता है। सूतक के समय किसी भी तरह के शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण लगने से ठीक 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है। भारत में उपच्छाया चंद्र ग्रहण दिखाई देगा।

कहां देगा दिखाई?

पूर्वी एशिया, प्रशांत महासागर, उत्तरी व दक्षिण अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों और ऑस्ट्रेलिया से पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देगा। भारत के अधिकांश हिस्सों में पूर्ण ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूर्वी क्षितिज से नीचे होगा और इसलिए देश के लोग पूर्ण चंद्रग्रहण नहीं देख पाएंगे। लेकिन पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों के लोग आंशिक चंद्र ग्रहण का आखिरी हिस्सा ही देख पाएंगे, वह भी पूर्वी आसमान से बहुत करीब, जब चंद्रमा निकल ही रहा होगा।

इस नक्षत्र और राशि पर पड़ेगा इसका प्रभाव:

चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगने जा रहा है। इसलिए इस राशि और नक्षत्र के जातकों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। आपके बनते हुए काम बिगड़ने के आसार रहेंगे। स्वास्थ्य को लेकर चिंता बनी रहेगी। वाद-विवाद का सामना करना पड़ेगा। वाणी में कटुता आने से करीबी संबंध बिगड़ेंगे।

चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के उपाय:

चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण खत्म होने के बाद किसी पवित्र नदी या फिर स्नान करने वाले जल में गंगा जल डालकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। स्नान के बाद जरूरतमंदों को यथा संभव खाद्य पदार्थों का दान कर देना चाहिए। इससे चंद्र ग्रहण का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।

बुधवार, 19 मई 2021

झील के नीचे बसा है 160 घरों वाला भूतिया गांव

रोम। इटली में झील के नीचे से 160 घरों वाला गांव निकला है। झील का पानी कम होने पर ये गांव नजर आया। स्थानीय लोगों के मुताबिक ये गांव कभी-कभी नजर आता है, जिसके चलते इसे भूतिया गांव कहा जाता है।cbsnews.com की रिपोर्ट के मुताबिक इटली की झील से दशकों बाद बाहर निकले इस गांव का नाम कुरोन है।1950 में इस गांव में बिजली संयत्र की स्थापना की गई थी, उसी समय इस गांव में बाढ़ आ गई थी, जिसमें ये गांव पूरी तरह तबाह हो गया था। ऑस्ट्रिया और स्विटजरलैंड के साथ इटली की सीमा के पास बसी झील को अब एक जलाशय की मरम्मत के लिए अस्थायी रूप से निकाला जा रहा है। जैसे-जैसे जल स्तर घट रहा है, 160 घरों वाला गांव उभर रहा है।आमतौर पर 14वीं सदी की चर्च की मीनार पानी से बाहर निकल आई हैं।
 लेकिन जैसे-जैसे पानी कम हो रहा है, तो  झील के नीचे से इस गांव की गुफाएं और दीवारें दिखाई दे रही हैं। इटली की झील के डूबे इस गांव को लेकर “क्यूरॉन” नाम से एक वेब सीरीज भी बनी है, इसके अलावा इस गांव पर एक किताब लिखी गई है, जिसमें गांव की पूरी कहानी को बताया गया है।यहां की रहने वाली एक महिला ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि पुराने घरों के मलबे पर चना एक “अजीब एहसास” था. उसने बताया कि ये क्षेत्र हाइकर्स के लिए काफी लोकप्रिय है, जिनके द्वारा गांव की भयानक तस्वीरों को शोसल मीडिया पर वायरल किया गया है। वहीं एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा है कि वह "कुरोन नाम के गांव के अवशेष हैं, जो दशकों से डूबे हुए थे, इटली में LakeResia की निकासी करते हुए मिले हैं।

मंगलवार, 18 मई 2021

स्पर्म ही महिला को प्रेग्नेंसी के लिए देता हैं संकेत

मदन प्रजापति   

नई दिल्ली/सिडनी। किसी भी महिला के लिए गर्भवती होना कोई बहुत आसान प्रक्रिया नहीं होती है। इसमें एक साथ कई सारी चीजें घटित होती हैं। जाहिर सी बात है कि कोई भी महिला पुरुष के स्पर्म शुक्राणुओं के बिना प्रेग्नेंट नहीं हो सकती है। हालांकि नई स्टडी से पता चला है कि प्रेग्नेंसी में सीधी भूमिका के अलावा भी स्पर्म एक और बहुत अहम काम करता है। ये स्टडी ऑस्ट्रेलिया की एडिलेड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने की है।

ये स्टडी नेचर रिसर्च जर्नल कम्युनिकेशंस बायोलॉजी में छपी है। स्टडी के मुताबिक, स्पर्म ही महिला को प्रेग्नेंसी के लिए मनाता है। स्पर्म महिलाओं को प्रजनन ऊतकों को एक ऐसा संकेत देता है जिससे प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है। स्टडी के मुख्य लेखक प्रोफेसर सारा रॉबर्टसन ने कहा, 'यह पहली ऐसी स्टडी है जो बताती है कि महिलाओं का इम्यून रिस्पॉन्स स्पर्म से मिले सिग्नल पर काम करता है और एग को फर्टिलाइज करने की अनुमति देता है, जिससे कि प्रेग्नेंसी होती है।
प्रोफेसर रॉबर्टसन ने कहा, 'स्पर्म को लेकर ये स्टडी हमारी वर्तमान समझ के उलट है जैसा कि अब तक हम इसकी क्षमता को समझते आए थे। इसमें सिर्फ जेनेटिक मेटेरियल नहीं होता है बल्कि ये महिला के शरीर को ये समझाने का भी काम करता है कि वो उसमें अपनी प्रजनन क्षमता का निवेश करे। 'स्पर्म में पाया जाने वाला प्रोटीन प्रेग्नेंसी के समय महिला की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (इम्यून) को नियंत्रित करता है ताकि उसका शरीर बाहरी भ्रूण को स्वीकार कर सके। हालांकि स्पर्म इस प्रतिक्रिया को प्रभावित करते हैं या नहीं, ये अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
शोधकर्ताओं की टीम ने ग्लोबल जीन को समझने के लिए चूहों के यूट्रस पर प्रयोग किया। इसके लिए उन्होंने पूरी तरह से ठीक और कुछ नसबंदी वाले स्पर्म का यूट्रस में मिलान किया। प्रयोग में पाया गया कि पूरी तरह से ठीक स्पर्म की वजह से महिला जीन में ज्यादा बदलाव आए, खासतौर से इम्यून रिस्पॉन्स के मामले में। स्टडी के अनुसार नसबंदी वाले पुरुषों की तुलना में बिना नसबंदी वाले पुरुषों के स्पर्म से महिलाओं को मजबूत इम्यून टॉलरेंस मिलता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि महिलाओं की कोशिकाओं में स्पर्म के प्रभाव का सीधा असर पड़ता है।
नई स्टडी के नतीजों से पता चलता है कि स्पर्म की सेहत का भी प्रेग्नेंसी पर असर पड़ता है। ये ना सिर्फ प्रेग्नेंसी के लिए बल्कि बच्चे की सेहत के लिए भी जरुरी है। उम्र, डाइट, वजन, शराब और स्मोकिंग जैसी आदतों का स्पर्म क्वालिटी पर असर पड़ता है और इसकी वजह से प्रेग्नेंसी हेल्थ भी प्रभावित हो सकती है। प्रोफेसर रॉबर्टसन ने कहा, 'ऐसा माना जाता है कि स्पर्म केवल एग को फर्टिलाइज करते हैं लेकिन प्रेग्नेंसी के अलावा स्पर्म क्वालिटी का असर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला और होने वाले बच्चे की सेहत पर भी पड़ता है।
प्रोफेसर रॉबर्टसन ने कहा, 'मिसकैरेज, प्रीक्लेम्पसिया और समय से पहले बच्चे को जन्म देना जैसी स्थितियां महिलाओं के इम्यून रिस्पॉन्स की वजह से होती हैं और इसमें पार्टनर के स्पर्म भी जिम्मेदार होते हैं।

शनिवार, 15 मई 2021

पूरा जीवन बिना पानी के आसानी से रहता है चूहा

दुनिया में एक ऐसा विचित्र जंतु भी है, जिसको अपने पूरे जीवन पानी की जरूरत नहीं होगी। उसे कंगारू रैट भी कहा जाता है। ये चूहे और कंगारू का मिला-जुला रूप होता है। छलांग लगाता है, तेजी से भागता है लेकिन बगैर पानी के आराम से रह सकता है। सभी पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की जिंदा रहने के लिए पानी की जरूरत होती है। क्या आप सोच सकते हैं कि कोई जंतु ऐसा भी होगा, जो जिंदगीभर बगैर पानी पिये रह सकता है लेकिन एक ऐसा विचित्र जंतु जरूर जो ऐसा कर सकता है। शायद वो दुनिया में इस तरह का अकेला जंतु होगा। ये विचित्र जंतु उत्तरी अमेरिका के रेगिस्तानों में मिलता है। इसे कंगारू रैट कहते हैं। इसकी टांगें और पूंछ आस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले कंगारू से मिलती जुलती है। इसके गालों के बाहर की ओर थैलियों भी होती हैं। इन थैलियों में ये खाने का सामान लाता है। फिर इसे अपने बिलों में इकट्ठा करता है। इसकी इसी हरकत और शारीरिक थैली के कारण इसे कंगारू की तरह माना जाता है और इसका नाम कंगारू रैट रखा गया। ये कंगारू की तरह ही लंबी छलांगें लगाता है। रेगिस्तान में उगने वाले कैक्टस के पौधों को आसानी से कूदकर पार कर सकता है। 
कगारू रैट रेगिस्तानी जीवन का एक खास हिस्सा होता है। ये बेशक पानी नहीं पीता लेकिन इसके शरीर में पानी की मात्रा ज्यादा होने के कारण दूसरे जानवर इसे खा जाते हैं। ये बहुत तेजी से भाग सकता है। ये एक सेकेंड में 06 मीटर की दूरी पार कर लेता है। ये अपने दुश्मनों से बचने के लिए भागते समय खूब तेजी दिखाता है और लंबी पूंछ का इस्तेमाल लगाने और हवा में दिशा बदलने के लिए करता है। कंगारू रैट छलागें मारते हुए चलते हैं और इनकी छलांगे इतनी सही होती हैं कि बड़ी छलांग भी लगा लेते हैं। अब सवाल ये उठता है कि वो बगैर पानी पीये कैसे जिंदा रह लेता है। वैसे ये बात सही है कि रेगिस्तान में वही जीव जंतु और पेड़-पौधे बचे रहते हैं, जिन्हें कम पानी की जरूरत होती है।
इस चूहे को पानी की बहुत कम जरूरत होती है या नहीं होती है। ये अपनी पानी की जरूरत को रेगिस्तान में उगने वाले पेड़-पौधों की जड़ों को खाकर पूरी कर लेता है। पेड़-पौधों में की जड़ों में कुछ ना कुछ नमी जरूर होती है। इसका गुर्दा इतना मजबूत और अच्छा काम करने वाला होता है कि वो इस नमी से ही शरीर के पानी की जरूरत को पूरा कर लेता है। पानी की यही नमी उसको जिंदा रखने के लिए काफी होती है। इन्हीं जड़ों से वो अपने भोजन की जरूरत भी पूरी कर लेता है।

मंगल पर सूक्ष्म जीवन तो नहीं हो गया संक्रमित ?

कविता गर्ग   
मंगल ग्रह पर इंसानी बस्ती बसाने की तैयारी चल रही है। इसी बीच वहां सतह और उसके नीचे सूक्ष्मजीवन और उसके संकेतों की खोज जारी है। जब से मंगल ग्रह को इंसान ने धरती पर से ध्यान से देखना शुरु किया है तभी से वहां जीवन की संभावनाओं कई अटकलें लग रही हैं और 30 ज्यादा अभियानों के मंगल और उसके पास पहुंचने के बाद भी इसे खारिज नहीं किया जा सका है। लेकिन यह भी संभव है जीवन के संकेतों की तलाश में वहां सूक्ष्मजीवन पृथ्वी से पहुच कर संक्रमित कर चुका हो।
तेजी से बढ़ी संक्रमण की संभावना

पिछले कुछ सालों में मंगल अभियानों की संख्या में बहुत तेजी आई है। हाल ही में मंगल पर प्रोब, रोवर और ऑर्बिटर की संख्या बढ़ गई है। जहां यूएई और चीन के यान अब भी मंगल के चक्कर लगा रहे हैं। अमेरिका के नासा के बहुत से रोवर मंगल पर घूम रहे हैं। अब एक अनुवांशिकीविद का कहना है कि इस बात की संभावना है कि कुछ सूक्ष्मजीवी पृथ्वी से मंगल पर पहुंच गए होंगे।

हो सकती है बड़ी समस्या

अगर ऐसा वाकई हो गया है तो यह वैज्ञानिकों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या हो सकता है। यह उन आंकड़ों में गड़बड़ी कर सकता है जो मंगल पर जीवन की तलाश के लिए जमा किए जा रहे हैं। इससे मंगल ग्रह पर जीवन या जीवन के संकेत खोजने के पर सवाल पैदा कर सकता है जो बहुत से अभियानों को प्रमुख उद्देश्य है।
आसानी से खारिज नहीं किए जा सकते ये सवाल

मंगल ग्रह पर इस तरह के गंभीर सवालों को खारिज करना आसान नहीं है। मिडिया के मुताबिक अमेरिका के कोर्नेल यूनिवर्सिटी में वेइल कॉर्नेल मेडिसिन में जैवभौतिकी, फिजियोलॉजी और जीनोमिक्स के प्रोफेसर क्रिस्टोफर मेसन का कहना है कि वैज्ञानिकों का दूसरे ग्रह पर जीवन की खोज करते समय यह सुनिश्चित करना होगा कि वह वाकई उसी ग्रह का जीवन है ना कि पृथ्वी में पले बढ़े संक्रमण के कारण जीवन।

मंगल यात्रियों के लिए भी हो सकती समस्या

इस संक्रमण से केवल शोध में ही समस्या होगी ऐसा नहीं है बल्कि मंगल पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को भी समस्या हो सकती है। भविष्य में ये सूक्ष्मजीवी उनके स्वास्थ्य के साथ ही उनकी सहायता के लिए गए उपकरणओं के लिए भी समस्या बन सकते हैं। मेसन को संदेह है कि हो सकता है कि मंगल पर मानव डीएनए भी 1971 और उसके बाद पहुंच गया हो। 1971 में मंगल ग्रह पर सोवियत संघ के दो अन्वेषण यान मंगल की सतह पर उतरे थे।

यह तय करना जरूरी

मेसन का कहना है कि मंगल पर धूल की वैश्विक आंधी से इन यानों से डीएनए मंगल की सतह तक पहुंच गए हों। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जो जीवन हम पता लगा रहे हैं वह पृथ्वी से ही आया जीवन ना हो। ऐसा होने पर यह तय करना आसान नहीं होगा कि जो संकेत मिले हैं वे मंगल के मूल जीवन के ही संकेत हैं या नहीं।
नासा यह प्रयास करता है अभी वैसे तो नासा यह सुनिश्चित करता है कि उसके अंतरिक्ष यान, लैंडर, और रोवर पूरी तरह से विसंक्रमित हों। इसके लिए वह इन्हें खास तरह के कमरों में विकसित करता है जिससे किसी भी तरह का संक्रमण और अशुद्धता किसी नाजुक उपकरण में गड़बड़ी ना पैदा कर दे जिससे वहां से संकेत आने में किसी तरह की कोई समस्या हो। इसके लिए नासा ISO-5 जैसे कठोर प्रोटोकॉल का पालन करता है।

मेसन का दावा है कि यह असंभव है कि मंगल के अभियानों में जो भी यान आदि गए हैं वे सौ प्रतिशत ही सूक्ष्मजीवन से मुक्त हों। नासा के इन सफाई कमरों में भी सूक्ष्मजीवन के प्रमाण पाए गए हैं। वे विकिरण रोधी होने के साथ ठंडे वातावरण में भी पनप सकते हैं। ऐसे में मंगल पर एक मजबूत किस्म के सूक्ष्मजीव पहुंचे हों इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।

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