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शनिवार, 15 मई 2021

मंगल पर सूक्ष्म जीवन तो नहीं हो गया संक्रमित ?

कविता गर्ग   
मंगल ग्रह पर इंसानी बस्ती बसाने की तैयारी चल रही है। इसी बीच वहां सतह और उसके नीचे सूक्ष्मजीवन और उसके संकेतों की खोज जारी है। जब से मंगल ग्रह को इंसान ने धरती पर से ध्यान से देखना शुरु किया है तभी से वहां जीवन की संभावनाओं कई अटकलें लग रही हैं और 30 ज्यादा अभियानों के मंगल और उसके पास पहुंचने के बाद भी इसे खारिज नहीं किया जा सका है। लेकिन यह भी संभव है जीवन के संकेतों की तलाश में वहां सूक्ष्मजीवन पृथ्वी से पहुच कर संक्रमित कर चुका हो।
तेजी से बढ़ी संक्रमण की संभावना

पिछले कुछ सालों में मंगल अभियानों की संख्या में बहुत तेजी आई है। हाल ही में मंगल पर प्रोब, रोवर और ऑर्बिटर की संख्या बढ़ गई है। जहां यूएई और चीन के यान अब भी मंगल के चक्कर लगा रहे हैं। अमेरिका के नासा के बहुत से रोवर मंगल पर घूम रहे हैं। अब एक अनुवांशिकीविद का कहना है कि इस बात की संभावना है कि कुछ सूक्ष्मजीवी पृथ्वी से मंगल पर पहुंच गए होंगे।

हो सकती है बड़ी समस्या

अगर ऐसा वाकई हो गया है तो यह वैज्ञानिकों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या हो सकता है। यह उन आंकड़ों में गड़बड़ी कर सकता है जो मंगल पर जीवन की तलाश के लिए जमा किए जा रहे हैं। इससे मंगल ग्रह पर जीवन या जीवन के संकेत खोजने के पर सवाल पैदा कर सकता है जो बहुत से अभियानों को प्रमुख उद्देश्य है।
आसानी से खारिज नहीं किए जा सकते ये सवाल

मंगल ग्रह पर इस तरह के गंभीर सवालों को खारिज करना आसान नहीं है। मिडिया के मुताबिक अमेरिका के कोर्नेल यूनिवर्सिटी में वेइल कॉर्नेल मेडिसिन में जैवभौतिकी, फिजियोलॉजी और जीनोमिक्स के प्रोफेसर क्रिस्टोफर मेसन का कहना है कि वैज्ञानिकों का दूसरे ग्रह पर जीवन की खोज करते समय यह सुनिश्चित करना होगा कि वह वाकई उसी ग्रह का जीवन है ना कि पृथ्वी में पले बढ़े संक्रमण के कारण जीवन।

मंगल यात्रियों के लिए भी हो सकती समस्या

इस संक्रमण से केवल शोध में ही समस्या होगी ऐसा नहीं है बल्कि मंगल पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को भी समस्या हो सकती है। भविष्य में ये सूक्ष्मजीवी उनके स्वास्थ्य के साथ ही उनकी सहायता के लिए गए उपकरणओं के लिए भी समस्या बन सकते हैं। मेसन को संदेह है कि हो सकता है कि मंगल पर मानव डीएनए भी 1971 और उसके बाद पहुंच गया हो। 1971 में मंगल ग्रह पर सोवियत संघ के दो अन्वेषण यान मंगल की सतह पर उतरे थे।

यह तय करना जरूरी

मेसन का कहना है कि मंगल पर धूल की वैश्विक आंधी से इन यानों से डीएनए मंगल की सतह तक पहुंच गए हों। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जो जीवन हम पता लगा रहे हैं वह पृथ्वी से ही आया जीवन ना हो। ऐसा होने पर यह तय करना आसान नहीं होगा कि जो संकेत मिले हैं वे मंगल के मूल जीवन के ही संकेत हैं या नहीं।
नासा यह प्रयास करता है अभी वैसे तो नासा यह सुनिश्चित करता है कि उसके अंतरिक्ष यान, लैंडर, और रोवर पूरी तरह से विसंक्रमित हों। इसके लिए वह इन्हें खास तरह के कमरों में विकसित करता है जिससे किसी भी तरह का संक्रमण और अशुद्धता किसी नाजुक उपकरण में गड़बड़ी ना पैदा कर दे जिससे वहां से संकेत आने में किसी तरह की कोई समस्या हो। इसके लिए नासा ISO-5 जैसे कठोर प्रोटोकॉल का पालन करता है।

मेसन का दावा है कि यह असंभव है कि मंगल के अभियानों में जो भी यान आदि गए हैं वे सौ प्रतिशत ही सूक्ष्मजीवन से मुक्त हों। नासा के इन सफाई कमरों में भी सूक्ष्मजीवन के प्रमाण पाए गए हैं। वे विकिरण रोधी होने के साथ ठंडे वातावरण में भी पनप सकते हैं। ऐसे में मंगल पर एक मजबूत किस्म के सूक्ष्मजीव पहुंचे हों इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।

शनिवार, 8 मई 2021

बदलते मौसम से सर्दी-खांसी और गले में खराश

मदन प्रजापति  
देश में कोरोना का कहर इस कदर बढ़ रहा है कि आजकल थोड़ी सी तबीयत खराब होने पर कोरोना का डर सताने लगता है। हल्की फुल्की खांसी को भी इंग्नोर करना आपको भारी पड़ सकता है। हल्की से तबीयत खराब होने पर कोविड टेस्ट जरुर करा लें। अगर खांसी होने लगे तो टेस्ट के साथ आरटीपीआर टेस्ट के अलावा सीटी स्कैन भी करवाएं। जब टेस्ट ठीक है तो बाकी उपचारों का सहारा लें। क्योंकि लगातार मौसम में बदलाव के कारण ‌‌लोगों‌‌ ‌‌को‌‌ ‌‌सर्दी‌,‌ ‌‌खांसी‌‌ ‌‌और‌‌ ‌‌गले‌‌ ‌‌में‌‌ ‌‌खराश‌‌ ‌‌की‌‌ ‌‌समस्या‌‌ ‌‌हो जाती है।
  • ‌‌कटे ‌‌हुए‌‌ ‌‌लहसुन‌‌ ‌‌की‌‌ ‌‌एक‌‌ ‌‌जड़‌‌ ‌‌भूनें‌‌ ‌‌और‌‌ ‌‌सोने‌‌ ‌‌से‌‌ ‌‌पहले‌‌ ‌‌इसे‌‌ ‌‌एक‌‌ ‌‌चम्मच‌‌ ‌‌शहद‌‌ ‌‌में‌‌ ‌‌मिलाकर‌‌ ‌‌खा‌‌ ‌‌लें।‌ ‌
  • शहद‌‌,‌‌ ‌‌काली मिर्च पाउडर और अदरक वाली गर्म चाय पीने से खांसी ठीक होती है। ‌
  • एक गिलास गर्म दूध में एक चौथाई छोटा चम्मच हल्दी पाउडर ‌‌मिलाएं‌‌ ‌‌और‌‌ ‌‌सोने‌‌ ‌‌से‌‌ ‌‌पहले‌‌ पिएं। ‌
  • गर्म पानी में नमक डालकर उसके गरारे करने से भी खांसी में आराम मिलता है
  • ‌नमक के पानी से गले की‌‌ ‌‌खुजली‌‌‌‌ ‌‌ठीक‌‌ होती है, ‌‌बलगम‌‌ बंद होता है, ‌‌सूजन‌‌ ‌‌और‌‌ ‌‌जलन‌‌ ‌‌को‌‌ ‌‌कम‌‌ ‌‌करने‌‌ ‌‌में‌‌ ‌‌भी‌‌ ‌‌मदद‌‌ ‌‌करता‌‌ ‌‌है।‌पुदीने‌‌ ‌‌की‌‌ ‌‌पत्तियों‌‌ ‌‌का सेवन करें। इनमें‌‌ ‌‌मेन्थॉल‌‌ ‌‌नामक‌‌ ‌‌एक‌‌ ‌‌यौगिक‌‌ ‌‌होता‌‌ ‌‌है‌,‌ ‌‌जो‌‌ ‌‌खांसी‌‌ ‌‌से‌‌ ‌‌ख़राब‌‌ ‌‌हो‌‌ ‌‌चुके‌‌ ‌‌गले‌‌ ‌‌में‌‌ ‌‌तंत्रिका‌‌ ‌‌अंत‌‌ ‌‌को‌‌ ‌‌सुन्न‌ कर‌‌ ‌‌सकता‌‌ ‌‌है।‌‌ ‌‌मेन्थॉल‌‌ ‌‌बलगम‌‌ ‌‌को‌‌ ‌‌तोड़ने‌‌ ‌‌और‌‌ ‌‌जमाव‌‌ ‌‌को‌‌ ‌‌कम‌‌ ‌‌करने‌‌ ‌‌में‌‌ मदद करता ‌‌है।‌‌ ‌खांसी‌‌ ‌‌दूर करने के लिए ‌‌दिन‌‌ ‌‌में‌‌ ‌2-3‌ ‌‌बार‌‌ ‌‌पुदीने ‌‌की‌‌ ‌‌चाय‌‌ ‌पिएं। ‌

बुधवार, 5 मई 2021

घरेलू उपाय खूबसूरती में लगा सकते है चार चांद

कविता गर्ग  
गर्मियों के मौसम में चेहरे का इंस्टेंट ग्लो कम होने लगता है। और इसका सबसे बड़ा कारण है ओपन पोर्स। चेहरे पर ओपन पोर्स की वजह से चेहरे पर पिम्पल्स और रिकल्स दिखने लगते हैं। लेकिन कुछ घरेलू उपाय से आप इनसे छुटकारा पा सकते है। गर्मियों में छाछ पीने के कई फायदे है। लेकिन ये बढ़े हुए रोमछिद्रों को बंद करने या छोटा दिखाने में मदद भी करता है।
  • एक कप में तीन चम्मच छाछ और एक चम्मच नमक लें।
  • इस मिश्रण को अच्छी तरह से मिलाएं और मुलायम ब्रश की मदद से इसे चेहरे पर दस से पंद्रह मिनट के लिए लगाएं।
  • इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे को धो दें।
  • यह उपचार प्राकृतिक होने के साथ प्रभावशाली भी है।ओपन पोर्स को बंद करने के लिए ब्राउन शुगर का लेप भी बहुत असरदार है। ब्राउन शुगर का इस्तेमाल चेहरे पर स्क्रब की तरह करने से मृत त्वचा हटने लगती है, जिसके बाद बढ़े हुए रोमछिद्र कम होने लगते हैं।
  • इसके लिए दो चम्मच ब्राउन शुगर और एक चम्मच ऑलिव ऑयल को मिलाएं।
  • स्क्रब की तरह इस्तेमाल करते हुए चेहरे पर पांच मिनट तक मसाज करें।
  • इसके बाद ठंडे पानी से चेहरा धो दें।
  • पहले इस्तेमाल के बाद से ही फायदा नजर आने लगेगा।
  • गुलाब जल और खीरा
  • गुलाब जल और खीरे का जूस चेहरे को ठंडक देता है और ये एस्ट्रिंजेंट का काम करते हैं। गुलाब जल त्वचा का पीएच लेवल सामान्य रखता है। इसके अलावा इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। खीरे के साथ गुलाब जल का मिश्रण रोमछिद्रों को प्रभावशाली तरीके से छोटा करता है।
    • गुलाब जल और खीरे के जूस को मिलाकर चेहरे पर लगाएं।
    • 15 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें।
    • त्वचा चमक उठेगी।

    चंदन और हल्दी

    चंदन भी चेहरे को चमकदार, मुलायम और कोमल बनाने में उपयोगी है। इसकी तासीर ठंडी होती है। लिहाजा, रोमछिद्रों को छोटा करने में यह कारगार साबित होता है। इसमें हल्दी पाउडर मिलाने के बाद यह एक अच्छा एंटी-बैक्टीरियल मिश्रण बन जाता है।
  • चंदन पाउडर में हल्दी पाउडर और गुलाब जल डालें और अच्छी तरह से मिलाएं।
  • अब इस पेस्ट का इस्तेमाल फेसपैक के रूप में करें।
  • जब फेसपैक अच्छी तरह से सूख जाए तो चेहरे को ठंडे पानी से धो लें।
  • प्रभावी परिणाम के लिए सप्ताह में तीन दिन इस पेस्ट का इस्तेमाल करें।

बेकिंग सोडा

बेकिंग सोडा रोमछिद्र में फंसी गंदगी और मृत त्वचा को निकालने में काफी असरदार है।

  • एक बाउल में बेकिंग सोडा और एक छोटा चम्मच पानी डालकर पेस्ट तैयार करें।
  • इस पेस्ट को चेहरे पर फेसपैक की तरह लगाएं।
  • पेस्ट को पंद्र्रह से बीस मिनट के लिए छोड़ दें।
  • इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे धो लें।
  • थोड़े दिनों बाद आप खुद फर्क महसूस करने लगेंगी।

शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

फिटकरी के पानी से 'वायरस' को रख सकते हैं दूर

संदीप मिश्र/ हरिओम उपाध्याय                       

कोरोना महामारी से बचने के लिए लोग तरह-तरह के घरेलू नुस्खे आजमा रहे हैं। लेकिन परेशानी की बात यह है कि इनमें ज्यादा चीजें या तो महंगी हैं या फिर इन्हें लेकर चलना मुमकिन नहीं है। लेकिन, अगर आपको हाथ धोने के लिए कुछ नहीं मिल रहा हो तो फिटकरी आपके काम आ सकती है। इस देसी नुस्खे से आप बड़ी आसानी से बैक्टिरिया और वायरस को दूर रख सकते हैं। आयुर्वेदाचार्य डॉ. वीपी सिंह का कहना है कि यदि घर या बाहर साबुन या सेनेटाइजर न मिले तो फिटकरी का टुकड़ा इस्तेमाल किया जा सकता है। 

बता दें कि फिटकरी में एल्मुनियम सल्फेट होता है। जो पानी को बिलकुल स्वच्छ कर देता है। अगर पानी में एक टुकड़ा फिटकरी डालकर उससे हाथ धोते हैं तो बीमारियों से बचने में सहूलियत होगी। कुल मिलाकर फिटकरी घुले पानी से हाथ धोना सादे पाने से कहीं ज्यादा प्रभावी है।

मंगलवार, 16 मार्च 2021

कीमोथैरेपी को मात दे सकता है कैंसर, धोखा

वाशिंगटन डीसी। कैंसर भी कीमोथैरेपी से बच सकता है। उसे धोखा देकर वापस आ सकता है। एकदम कोरोना वायरस की तरह, जैसे कोरोना वायरस के नए वैरिएंट वैक्सीन और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को धोखा दे सकते हैं। ठीक उसी तरह कैंसर की कोशिकाएं कुछ समय के लिए सक्रिय शीतनिद्रा यानी एक्टिव हाइबरनेशन में चली जाती है। या यूं कह लें कि निष्क्रिय हो जाती हैं. इन पर कीमोथैरेपी का असर नहीं होता. बाद में अनुकूल माहौल मिलते ही वापस अपना दुष्प्रभाव दिखाने लगती हैं.न्यूयॉर्क स्थित संस्था के साइंटिस्ट्स ने एक स्टडी में यह खुलासा किया है।वैज्ञानिकों का मानना है कि कैंसर की कुछ कोशिकाएं खुद को बुढ़ापे की ओर ले जाती हैं, उसके बाद उन्हें एक्टिव हाइबरनेशन में डाल देती हैं। ताकि उनके ऊपर की जा रही तीव्र कीमोथैरेपी प्रक्रिया का असर कम हो।
इस स्टडी के होने के बाद अब कैंसर के लिए नई दवाओं और वैक्सीन की खोज शुरु हो सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अब ऐसी दवाएं बनानी होंगी जो कैंसर की कोशिकाओं को हाइबरनेशन में जाने से रोकें और उन्हें तत्काल खत्म कर दें। इसके अलावा उनपर कीमोथैरेपी का भी असर हो।

शनिवार, 6 मार्च 2021

धरती पर हो जाएंगी ऑक्सीजन की भारी कमी

भविष्य में धरती से ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो जाएगी। इसकी वजह से पृथ्वी पर मौजूद कई जीव खत्म हो जाएंगे। ये खुलासा किया है, कि जापान और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने साइंटिस्ट्स के मुताबिक धरती पर 100 करोड़ साल बाद ऑक्सीजन का स्तर काफी कम हो जाएगा। जिसकी वजह से जटिल एयरोबिक जीव और फोटोसिंथेटिक जीवों की जिंदगी पर संकट आ जाएगा। इनके खत्म होने की आशंका बहुत ज्यादा हो जाएगी। धरती के वायुमंडल में ऑक्सीजन का हिस्सा करीब 21 फीसदी है। इंसान जैसे जटिल संरचना वाले जीवों के लिए ऑक्सीजन की मौजूदगी अत्यधिक जरूरी है। लेकिन धरती की शुरूआत में ऑक्सीजन का स्तर काफी कम था। यही हाल भविष्य में 100 करोड़ साल बाद फिर होगा।
इससे वो भविष्य में धरती पर होने वाले वायुमंडलीय बदलाव की गणना कर रहे हैं। दोनों वैज्ञानिकों के मुताबिक अगले 100 करोड़ साल तक धरती का ऑक्सीजन स्तर इसी तरह से बना रहेगा, जैसा अभी है।लेकिन इसके ठीक बाद ऑक्सीजन के स्तर में भयावह कमी आएगी।
वायुमंडल में ऑक्सीजन की मौजूदगी स्थाई उपलब्धि नहीं रहेगी। इसके पीछे बड़ा कारण बताया गया है सूरज की उम्र का ढलना। जैसे-जैसे सूरज की उम्र ढलती जाएगी, वह और गर्म होता जाएगा।

रविवार, 28 फ़रवरी 2021

भारत के 5 सबसे अमीर भिखारी, जाने संपत्ति-बैलेंस

भारत के टॉप भिखारी: ये 5 है सबसे अमीर भिखारी, है बहुत सारी संपत्तियां और बड़ा बैंक बैलेंस, आइए जाने
रोशन कुमार   
नई दिल्ली। दुनिया में हर आदमी अपना और परिवार का पेट भरने के लिए कोई ना कोई काम या नौकरी करता है। और उससे पैसे कमाता है। अगर आप से पूछा जाए कि आप एक साल में कितना कमाते हैं और कितना बचाते हैं। तो आपका जवाब होगा कि यह इस बात पर निर्भर करता है। कि आप दुनिया में कहां रहते हैं। और आपकी जीवनशैली कैसी है। लेकिन अगर हम बताएं कि कुछ भिखारी आपसे ज्यादा पैसे कमाते हैं। तो आप यह सुनकर हैरान हो जाएंगे। लेकिन यह बिल्कुल सच है। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आईपीएस समेत 27 अपर पुलिस अधीक्षक बदल दिए है। यूपी सरकार प्रदेश में कानून व्यवस्था सुद्रण करने के उद्देश्य से यह ट्रांसफर किया है। प्रदेश सरकार आईपीएस आदित्य लंगहे को वाराणसी में तैनात किया गया है।

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

जहर: मिनटों में तय करता है मौत का सफरनामा

साँप या सर्प, पृष्ठवंशी सरीसृप वर्ग का प्राणी है। यह जल तथा थल दोनों जगह पाया जाता है। इसका शरीर लम्बी रस्सी के समान होता है। जो पूरा का पूरा स्केल्स से ढँका रहता है। साँप के पैर नहीं होते हैं। यह निचले भाग में उपस्थित घड़ारियों की सहायता से चलता फिरता है। इसकी आँखों में पलकें नहीं होती, ये हमेशा खुली रहती हैं। साँप विषैले तथा विषहीन दोनों प्रकार के होते हैं। इसके ऊपरी और निचले जबड़े की हड्डियाँ इस प्रकार की सन्धि बनाती है। जिसके कारण इसका मुँह बड़े आकार में खुलता है। हम आपको विश्व के 4 ऐसे सांपो के बारे में बताएंगे जिनका जहर लोगों की मिनटों में मौत तय कर सकता है तो चलिए शुरू करते हैं।

1- सॉ स्केल्ड वाईपर

यह सांप वैसे तो पूरे संसार में पाए जाते हैं और इनकी ज्यादातर प्रजातियां जहरीली होती है। लेकिन इनकी सबसे जहरीली प्रजाति स्केल्ड वाईपर और चैन वाइपर है। जो कि भारत चीन और साउथ ईस्ट एशिया में पाई जाती है। छोटे आकार का होता है यही सांप भारत में सांपों के काटने से होने वाली सबसे ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार है।

2- ईस्टर्न ब्राउन स्नेक

ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला यह सब बहुत ही जहरीला होता है। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जहर का 14000 वा हिस्सा भी किसी इंसान को खत्म करने के लिए काफी है इसे खराब बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया में इंसानी इलाकों के पास ज्यादा पाया जाता है और ऑस्ट्रेलिया में सांपों के काटने से होने वाली सबसे ज्यादा मौतों के लिए यही सांप जिम्मेदार है।

3- बेंडिड सी क्रेट

पानी वाले सांप जहरीले नहीं होते यह आपकी गलतफहमी है। दुनिया का सबसे जहरीला सांप पानी में ही रहता है। यह सांप साउथ ईस्ट एशिया और नॉर्दन ऑस्ट्रेलिया के समुद्रों में पाया जाता है।यह सांप संसार का सबसे जहरीला सांप है। इस सांप के जहर की कुछ मिलीग्राम बूंदे 1000 व्यस्त इंसानों की मौत के लिए काफी है। समुद्र में पाए जाने के कारण इंसानों के लिए इतना खतरनाक नहीं है। मछुआरे मछली पकड़ते वक्त कभी कबार इसका शिकार होते हैं। इंसानों को काटने से उसकी मिनटों में ही मौत हो जाती है। 

4- इंग्लैंड ताइपन

इनलैंड ताइपन जिसे वेस्टर्न ताइपन भी कहा जाता है। यह दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में से एक है। यह सांप इतना जहरीला होता है कि इसके एक बार डसने से जितना जहर निकलता है। उसे 100 वयस्क लोगों की मौत हो सकती है। इसके काटने से 30 से 45 मिनट के अंदर मौत हो जाती है। अगर इलाज नहीं हुआ तो यह सांप वैसे तो काफी शांत और शर्मीले होते हैं और छेड़खानी होने पर ही काटते हैं और यह काफी फुर्तीले होते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि ऐसा सांप का जहर किंग कोबरा से 50 गुना ताकतवर है।

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

नींबू वंश की दुनिया में 60 से अधिक नस्ल

निम्बू-वंश एक पादप वंश है, जो रुटेसी (Rutaceae) कुल के पुष्पीय पादपों का वंश है। इनकी उत्पत्ति दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों में हुई है।
इस वंश की वर्गिकी और क्रमबद्धता जटिल है और इसकी प्राकृतिक प्रजातियों की सटीक संख्या अस्पष्ट है, क्योंकि कई ज्ञात प्रजातियां कृंतकीय रूप से विकसित संकर प्रजाति हैं और इस बात के आनुवंशिक साक्ष्य हैं कि कुछ जंगली, विशुद्ध-प्रजनित वास्तव मे संकर, मूल की हैं। निम्बू-वंश के कृषि योग्य फल मूलतः चार पैतृक प्रजातियों से संबंधित हैं। वाणिज्यिक रूप से कृषि योग्य प्राकृतिक और मूल संकर प्रजातियों मे महत्वपूर्ण फल हैं, संतरा, चकोतरा, नीबू, नारंगी और किन्नू। 
विटामिन और पौधों के यौगिकों में समृद्ध
सिट्रस विटामिन सी का एक उत्कृष्ट स्रोत हैं, एक पोषक तत्व जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और आपकी त्वचा को चिकना और लोचदार रखता है।
वास्तव में, सिर्फ एक माध्यम संतरे में आपको एक दिन में सभी विटामिन सी की आवश्यकता होती है। खट्टे फलों में अन्य विटामिन और खनिजों की भी अच्छी मात्रा होती है जो आपके शरीर को ठीक से काम करने की आवश्यकता होती है, जिसमें बी विटामिन, पोटेशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और तांबा शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, वे पौधे के यौगिकों में समृद्ध हैं जिनके विभिन्न स्वास्थ्य लाभ हैं, जिनमें विरोधी भड़काऊ और एंटीऑक्सिडेंट प्रभाव शामिल हैं।
इन यौगिकों में फ़्लेवोनोइड्स, कैरोटेनॉइड्स और आवश्यक तेलों की 60 से अधिक किस्में शामिल हैं, और वे खट्टे फलों के कई लाभों के लिए जिम्मेदार हैं।

शनिवार, 23 जनवरी 2021

घरेलू टिप्स से पाएं पैरों की दुर्गंध से छुटकारा

 अक्सर हम सुंदरता में अपनी अपर बॉडी पर ज्यादा ध्यान देते हैं, लेकिन हम अपने पैरों की अनदेखी करते हैं। इसकी वजह से हमें पैरों से आने वाली दुर्गंध का सामना करना पड़ता है। हालांकि इसे दूर करने के लिए लोग कई तरह के डियो और परफ्यूम इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये कोई कारगर उपाय नहीं हैं। अगर आप चाहें तो कुछ घरेलू उपायों के बूते आप अपने पैरों से आने वाली दुर्गंध को दूर कर सकते हैं। चाय से करें दुर्गंध को दूर: चाय में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो संक्रमण से बचाव करते हैं। इनका इस्तेमाल पैरों से आने वाली दुर्गंध को दूर करने के लिए किया जा सकता है। इसके लिए एक गिलास पानी में दो-तीन टी बैग डाल लें। फिर इस पानी को कुछ देर उबालें। जब ये ठंडा हो जाए तो इस पानी को टब में डालें और इसमें थोड़ा सादा पानी मिलाकर इस पानी में अपने पैरों को कुछ देर के लिए डुबा दें। आपके पैरों की दुर्गंध दूर हो जाएगी। मोजे-जूतों में न रहे नमी: कई बार आपके जूते-मोजे गीले हो जाते हैं या फिर मौसम खराब होने की वजह से जूते में नमी आ जाती है और इसकी वजह से इनमें बदबू आने लगती है। ऐसे में आप अपने जूतों को हेयर ड्रायर से सुखा कर ही पहनें। ताकि इनमें नमी न रहे और इनसे बदबू भी न आए। रोज मोजे धोकर ही पहनें: अक्सर लोग ये गलती करते हैं कि समय न मिलने के चक्कर में एक ही मोजा बिना धोए पहनते रहते हैं। इसकी वजह से इनमें दुर्गंध आ जाती है और हमेशा के लिए बनी रहती है। इसके अलावा उसमें बैक्टीरिया भी पनपने लगते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप रोज धोकर ही इनका इस्तेमाल करें या फिर अपने मोजों को रोज बदलें। नमक के पानी में भिगोएं पैर: एक बर्तन में पानी गुनगुना कर लें और इसमें थोड़ा सा नमक मिला लें। फिर इस पानी में कुछ देर अपने पैरों को भिगो कर रखें। आपके पैरों से दुर्गंध चली जाएगी और आपके पैरों की नमी भी बनी रहेगी।

गुरुवार, 21 जनवरी 2021

1 जहरीला मेंढक, 10 इंसानों की मौत का सामान

दुनिया के सबसे जहरीले मेंढक के बारे जानते हैं आप? इस मेंढक की दुनिया भर में तस्करी होती है। एक मेंढक में इतना जहर होता है कि वह 10 इंसानों को मौत की नींद सुला दे। इस प्रजाति के एक मेंढक की अंतरराष्ट्रीय ब्लैक मार्केट में कीमत 2000 डॉलर यानी करीब 1.50 लाख रुपए हैं। आइए जानते हैं कि ये कौन से मेंढक हैं? इनकी तस्करी क्यों होती है? अब इन्हें बचाने की कौन सी मुहिम चलाई जा रही है? मेंढक की इस प्रजाति का नाम है पॉयजन डार्ट मेंढक। ये एक लुप्तप्राय प्रजाति का मेंढक है। आमतौर पर ये मेंढक पीले और काले रंग के होते हैं। कुछ हरे-चमकदार नारंगी रंग और कुछ नीले-काले रंग के भी होते हैं। इस मेंढक की जहर की वजह से इसकी पूरी दुनिया में तस्करी की जाती है।
आमतौर पर इन मेंढकों की लंबाई 1.5 सेंटीमीटर होता है लेकिन कुछ 6 सेंटीमीटर तक बड़े हो जाते हैं। औसत वजन 28 से 30 ग्राम होता है। लेकिन इनके अंदर मौजूद जरा सा जहर 10 इंसानों को मौत के घाट उतार सकता है।
पॉयजन डार्ट मेंढक मूल रूप से बोलिविया, कोस्टारिका, ब्राजील, कोलंबिया, इक्वाडोर, वेनेजुएला, सूरीनाम, फ्रेंच गुएना, पेरू, पनामा, गुयाना, निकारागुआ और हवाई के ट्रॉपिकल जंगलों में मिलते हैं। नर मेंढक ही अपने अंडों का ख्याल रखते हैं। इन्हें पत्तों, खुले जड़ों, या गीली सतहों पर छिपा कर रखते हैं।

बुधवार, 13 जनवरी 2021

जन्मजात दुश्मनी भुलाकर एक साथ आग तापी

दुनिया में भगवान ने इंसान भले ही एक सा बनाया हो, लेकिन जानवरों की अलग-अलग प्रजातियां बनाई हैं। हर जानवर का कोई दुश्मन होता है जिससे उनकी बिल्कुल नहीं लगती। ऐसे ही दो जानवर हैं कुत्ता और बिल्ली। आपने कुत्ते और बिल्ली तो कई बार देखी होगी। लेकिन कई बार परिस्थितियां हर किसी को प्रेम और भाईचारा सिखा देती हैं। कुत्ते और बिल्ली की दोस्ती का ऐसा ही एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है जिसमें दोनों पास तो हैं लेकिन लड़ नहीं रहे। आप देख सकते हैं कि कड़कड़ाती ठंड में कैसे कुत्ते का पिल्ला और बिल्ली एकसाथ चुपाचाप तंदूर के पास बैठे हैं। दोनों गर्मी लेने के लिए तंदूर के पास बैठे थे। ये दोनों बहुत ही प्यारे लग रहे हैं। इस वीडियो को देखकर आपके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी। वीडियो को इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के ऑफिसर सुशांत नंदा ने शेयर किया। आईएफएस ऑफिसर सुशांत नंदा ने इस 15 सेकंड के वीडियो को ट्विटर पर 8 जनवरी को शेयर किया था। वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा, ‘खुद को और हमारे दिल को गर्म करता वीडियो।’ वीडियो को लोग काफी ज्यादा पसंद कर रहे हैं औऱ शेयर कर रहे हैं।

गुरुवार, 7 जनवरी 2021

कम उम्र में धूम्रपान के विरुद्ध बनेगा कानून

युवाओं में ध्रूमपान की बढ़ती लत से चिंतित केंद्र सरकार उम्र सीमा को बढ़ाने जा रही है। बिल में धूम्रपान और तंबाकू उत्पाद सेवन की उम्र बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है। इससे पहले, सिगरेट और तंबाकू उत्पाद खरीदने की न्यूनतम सीमा 18 साल थी। इसके अलावा, खुदरा सिगरेट की बिक्री भी बैन होगा। सार्वजनिक स्थानों पर नियमों का उल्लंघन करनेवालों को बढ़ा हुआ जुर्माना देना होगा।
केंद्र सरकार ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (व्यापार और वाणिज्य उत्पादन, आपूर्ति एंव वितरण का निषेध विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2020 का बिल तैयार कर लिया है। नए संशोधित कानून के मुताबिक, कोई शख्स 21 साल से कम उम्र के लोगों को सिगरेट और तंबाकू उत्पाद नहीं बेच सकेगा। उसे सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पाद की बिक्री, बिक्री की पेशकश या बिक्री की इजाजत नहीं होगी। इसके अलावा शैक्षणिक संस्थानों के एक सौ मीटर की परिधि में सिगरेट और तंबाकू की बिक्री गैर कानूनी माना जाएगा। खुले सिगरेट की बिक्री को बैन करने के लिए भी संशोधन किया जा रहा है। उससे खुले में या खुदरा सिगरेट बेचना प्रतिबंधित हो जाएगा। सिगरेट सिर्फ पैकेट में ही बेची जा सकेगी। 21 साल से कम उम्र को तंबाकू उत्पाद बेचने पर सजा बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। नियमों का उल्लंघन करनेवाले को सख्त सजा समेत कड़े जुर्माने का सामना करना होगा। जुर्माने की राशि 1 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक रखी गई है जबकि जेल की सजा 2 साल से लेकर 7 साल तक किया गया है। अवैध सिगरेट का विनिर्माण दो साल की जेल और एक लाख जुर्माने की वजह बनेगी। 
इसके अलावा, प्रतिबंधित क्षेत्रों में धूम्रपान करते पकड़े जाने पर जुर्माना की राशि 200 रुपए से बढ़ाकर 2 हजार रुपए की गई है। कानून का मसौदा पिछले साल आई एक रिपोर्ट के आधार पर तैयार हो रहा है। भारत में सभी प्रकार के कैंसर की बीमारी के लिए 27 फीसद तंबाकू की भूमिका है जबकि धूम्रपान के कारण देश का स्वास्थ्य पर खर्च 13 हजार 300 करोड़ रुपए है। एक आंकलन के मुताबिक, भारत के तंबाकू इस्तेमाल करनेवालों की 35 फीसद आबादी 18 साल से पहले शुरू कर देती है जबकि 70 फीसद 21 साल की उम्र के पहुंचने पर शुरू करते हैं। अगर वर्तमान रुजहान जारी रहा, तो आज के 250 मिलियन बच्चों की मौत तंबाकू से जुड़ी बीमारियों की वजह से होगी।

रविवार, 3 जनवरी 2021

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चंद्रमा की गति पर आधारित सबसे पुराना कैलेंडर

 पूरी दुनिया ने अपने कैलेंडर बदलकर सोच लिया कि आज से दुनिया में सब कुछ बदल जाएगा ,लेकिन ये इतना आसान नहीं है। आसान इसलिए नहीं है क्योंकि सब कुछ केलेण्डर बदलने से नहीं बदलता । बदलाव की पहल न केवल सामूहिक स्तर पर करना पड़ती है बल्कि निजी स्तर पर भी करना पड़ती है। साल 2021 इस लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि साल 2020 नए साल के जिम्मे ढेर सारी चुनौतियाँ छोड़कर रफूचक्कर हो गया है।
दुनिया में जबसे कैलेंडर बने हैं। तभी से शायद नया साल मनाने की प्रथा शुरू हुई होगी । मै तो नहीं मानता लेकिन दुनिया के पुरातत्वविद दावा करते हैं। कि एडर्बीनशायर इलाके में चंद्रमा की गति पर आधारित दुनिया का सबसे पुराना कैलेंडर खोजा है।उनका कहना है। कि कार्थेस किले में एक खेत की खुदाई में 12 गड्ढ़ों की एक श्रृंखला मिली है। जो चंद्रमा की अवस्थाओं और चंद्र महीने की तरफ संकेत करती है।बर्मिंघम विश्वविद्यालय के नेतृत्व वाली एक टीम के मुताबिक़ इस प्राचीन स्मारक को क़रीब 10 हज़ार साल पहले शिकारियों ने बनवाया था।
दुनिया ने कब कौन सा कैलेंडर ईजाद किया इसकी जानकारी आपको कम्प्यूटर महाशय एक क्लिक पर दे देंगे,मै तो आपसे ये कह रहा हों कि कैलेंडर बदलने से चुनौनियाँ नहीं बदलतीं,वे कोशिशों से ही बदलती हैं और बदली जाती हैं। आजकल पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती जानलेवा विषाणु कोरोना और उसके नए स्ट्रेन से निबटने की ह।। दुनिया के अनेक देशों ने इस विष्णु से निबटने के लिए ठीके ईजाद कर लिए हैं।उनके इस्तेमाल का श्रीगणेश हो गया है। लेकिन बात यहीं समाप्त नहीं होती।
नए साल में कोरोना और उसके नए स्ट्रेन के खिलाफ बनाये गए दुनिया के तमाम प्रतिरोधी टीकों की अग्निपरीक्षा होगी। यदि टीके कामयाब होते हैं। तो दुनिया में एक बार फिर जनजीवन मामूल पर आ जाएगा ,अन्यथा जो बदहवासी कल तक थी वो आगे भी रहेगी। अच्छी बात ये है। कि दुनिया उम्मीदों की तिपाई पर खड़ी रहती है। ये उम्मीदें ही हैं। जो जीवन को गति देती है। कोरोना के खिलाफ भी हमारी उम्मीद कमजोर नहीं हुई है। हालांकि हम अभी तक कोरोना और उसके स्ट्रेन के मूल की खोज नहीं कर पाए हैं। नए साल में हमें टीके के साथ ही इस बीमारी की जड़ की भी तलाश करना चाहिए।
नए साल की बात काटते हुए हमें हर हाल में गए साल की बात करना ही पड़ती है। दुनिया की छोड़िये ,हम अपने देश की बात करते है। हमारे देश में गया साल जिसक अभूतपूर्व किसान आंदोलन का प्रत्यक्षदर्शी बना था,नया साल भी उसके साथ ही खड़ा है। आने वाले दिनों में सरकार और किसान किसी सहमति के बिंदु पर आ जाएँ तो देश का तनाव कम हो। हम जैसे लेखक और साहित्यकार रोजाना एक से बढ़कर एक दुखद विषय पर लिखते है। अनेक बार तो हमें लिखने के बाद न्यायधीशों की तरह अपनी कलम के पाते तोड़ देना पड़ते हैं।क्योंकि जिस ह्रदय विदारक मांमले पर हम लोग लिखते हैं। उस पर दोबारा नहीं लिखना चाहते।
सूरज उगने के साथ ही हमलोग अक्सर सोचते हैं कि लिखने के लिए अब कोई विसंगति नहीं चुनना पड़ेगी ,लेकिन ऐसा नहीं हो पाता क्योंकि ,विसंगतियों का सिलसिला अंतहीन है। विसंगतियों की संगत में रहे बिना हम रह नहीं सकते। शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो जिसमें विसंगतियां न हों। हमारे देश में तो विसंगतियों की इतनी प्रजातियाँ है कि गिनना मुश्किल हो जाए।
हम लेखकों की सबसे बड़ी विसंगति ये है। कि हम सबके मन का नहीं लिख पाते। सबके मन का न लिखा जा सकता है। और न कहा जा सकता ह। हमारे प्रधानमंत्री जी के मन की बात भी इसी तरह की विसंगतियों का जीवंत प्रमाण है। प्रधान जी जब अपने मन की बात करते हैं। तो शायद ही कोई माध्यम ऐसा होगा जिससे उसका प्रसारण न होता हो ,इस तरह उनके मन की बात तो सब तक पहुँच जाती है। लेकिन उन्हें सुनने वालों के मन की बात प्रधान जी तक नहीं पहुँच पाती।
बहरहाल नए साल में हम सब मिलकर देश,समाज और परिवार की समृद्धि और सुदृढ़ता के लिए प्रयत्नशील रहें तो ही कोई सार्थक परिणाम हासिल हो सकते हैं। अन्यथा नया साल भी गए साल की तरह अनपेक्षित दंश देकर हुआ आगे निकल जाएगा। हमें समय के साथ कदमताल करना होगी। दुनिया और हम सब इन्हीं विसंगतियों के साथ आगे बढ़कर खुशहाली तक अवश्य पहुंचेंगे। हमारे पास सभी समस्याओं के हल होना चाहिए । किसानों,मजदूरों,छात्रों,बेरोजगारों की समस्यायों के हल लम्बे आरसे से अनुत्तरित हैं। हमारा प्रयास होना चाहिए की हम नए साल में अपने निर्वाचित सदनों की गरिमा की रक्षा के लिए कृत संकल्प रहें। एक बार फिर नए साल की शुभकामनाएं एवं बधाइयाँ।

सोमवार, 28 दिसंबर 2020

बंद कमरे में अंगीठी का उपयोग बेहद खतरनाक

बस्ती। उत्तर प्रदेश मे बस्ती जिले के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने सोमवार को कहा है कि सर्दी से बचने के लिए बंद कमरे में अंगीठी का उपयोग जानलेवा हो सकता है। बन्द कमरे मे अगर ऐसा कर रहे हैं तो सावधान हो जाईये क्यों कि इससे जान जाने की खतरा बढ़ जाता है।

सोमवार को ''यूनीवार्ता'' से बातचीत करते हुए उन्होने कहा कि अंगीठी में इस्तेमाल होने वाले कोयले या लकड़ी के जलने से कॉर्बन मोनोऑक्साइड के अलावा कई जहरीली गैसें निकलती हैं, जो जानलेवा साबित होता है अंगीठी ही नहीं, इस तरह का खतरा रूम हीटर से भी हो सकता है।उन्होने कहा कि कोयला या अलाव जलाने से कार्बन के अलावा कई जहरीली गैसें निकलती हैं। कोयला बंद कमरे में जल रहा हो, तो इससे एनवायरनमेंट में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है और ऑक्सीजन का लेवल घट जाता है। यह कार्बन, ब्रेन पर सीधे असर डालता है और सांसों के जरिए बॉडी के अंदर भी पहुंचता है। ब्रेन पर असर होने से कमरे में सोया कोई भी इंसान बेहोश हो सकता है। ब्लड में यह कार्बन घुलकर धीरे-धीरे ऑक्सीजन को कम कर देता है।

रविवार, 13 दिसंबर 2020

साल का आखिरी 'सूर्य' ग्रहण, रखें विशेष ध्यान

साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, इन बातों का रखें विशेष ध्यान
हरिओम उपाध्याय  
नई दिल्ली। इस साल यानी 2020 का आखिरी सूर्य ग्रहण सोमवार 14 दिसंबर को लगने वाला है। भारतीय समय के अनुसार यह सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर की शाम 7 बजकर 02 मिनट से शुरू होगा जो 15 दिसंबर की रात के 12 बजकर 23 मिनट पर खत्म होगा। इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटा 21 मिनट की होगी। इससे पहले साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगा था। यह सूर्य ग्रहण मार्गशीर्ष अमावस्या पर लगेगा। सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा। साल 2020 ज्योतिष और खगोलशास्त्र के नजरिए से काफी महत्वपूर्ण रहा है। इस साल कुल मिलाकर 6 ग्रहण लगे, जिसमें से छठा और आखिरी ग्रहण 14 दिसंबर को लगेगा।
यह ग्रहण सूर्य ग्रहण होगा। इससे पहले 30 नवंबर को उपछाया चंद्रग्रहण लगा था। 14 नवंबर को ग्रहण के बाद साल 2020 की विदाई हो जाएगी। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा जिस कारण से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। यह सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका, साउथ अफ्रीका अटलांटिक, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। इसके साथ ही यह सूर्य ग्रहण सऊदी अरब, कतर, सुमात्रा, मलेशिया, ओमान, सिंगापुर, नॉर्थन मरिना आईलैंड, श्रीलंका और बोर्नियो में भी दिखाई देगा। चूंकि यह ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा इसलिए इसका भी कोई सूतक काल नहीं होगा और यहां इसका कोई खास प्रभाव भी नहीं रहेगा। भले ही भारत में इस सूर्य ग्रहण का सूतक मान्‍य नहीं होगा लेकिन प्रभाव जरूर देखा जाएगा। ऐसे में ग्रहण काल के दौरान जीन चीजों की मनाही है उसका लोगों को पालन करना चाहिए। ग्रहण काल में भोजन करना, कुछ पीना, तेज आवाज से बोलना, शुभ कार्य, मांगलिक कार्य आदि नहीं किए जाते हैं। ग्रहण काल में बाहर निकलने से बचना चाहिए।

यूपी: सरकारी नौकरियों में बड़ा आरक्षण का कोटा

यूपी की सरकारी नौकरियों में बढ़ा आरक्षण का कोटा, जानिए अब कितने प्रतिशत होगा रिजर्वेशन
संदीप मिश्र 
लखनऊ। यूपी में सरकारी नौकरियों में अब कुल 60 फीसदी पदों पर आरक्षण होगा। आरक्षण का कोटा 10 फीसदी आर्थिक रूप से कमजारों को शामिल किए जाने के बाद बढ़ा है। प्रदेश के सभी भर्ती आयोग अब इसके आधार पर ही विज्ञापन निकालकर आवेदन मांगेंगे। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी है और भर्ती के लिए जो प्रस्ताव पूर्व से आए थे उसे वापस भेजकर इसमें संशोधन कराया जा रहा है।
राज्य सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम-2020 जारी किया जा चुका है। अपर मुख्य सचिव कार्मिक मुकुल सिंहल ने निर्देश भेज रखा है कि इसे कड़ाई से लागू किया जाए
इसके आधार पर आर्थिक रूप से कमजोरों को 10 फीसदी आरक्षण देना अनिवार्य हो गया है। इसका फायदा केवल यूपी में रहने वालों को ही मिलेगा। यूपी के बाहर वालों को इसका फायदा नहीं मिलेगा। प्रदेश में अनुसूचित जाति के लिए 21 फीसदी, अनुसूचित जनजाति दो फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था पहले से ही है। आर्थिक रूप से कमजारों को शामिल करने के बाद यह प्रतिशत 60 फीसदी हो जाएगा।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग इसके साथ ही भर्ती के लिए मौजूदा परीक्षा प्रणाली में बदलाव करना चाहता है। इसके लिए शासन के कार्मिक विभाग को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इसके मुताबिक प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा का प्रस्ताव है। कार्मिक विभाग ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से इस संबंध में कुछ जानकारियां मांगी थी, इसका जवाब भेजा चुका है।
प्रवीर कुमार, अध्यक्ष, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग कहते हैं ;आयोग सभी भर्तियों में आर्थिक रूप से कमजोरों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए प्रस्तावों को संशोधित करा रहा है। नए भर्ती विज्ञापनों में इसकी व्यवस्था कराई जाएगी, जिससे शासन की मंशा के अनुरूप इस वर्ग को आरक्षण का फायदा मिल सके।

नौकरी की तैयारी करने वालों के लिए खुशखबरी

रेलवे नौकरी की तैयारी करने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी

लखनऊ। भारतीय रेलवे ने विभागीय परीक्षा को लेकर अब नियमों में बदलाव किया है। अब रेलवे में पदोन्‍नति के लिए अब केवल एक परीक्षा होगी। 60 फीसद या अधिक अंक पाने वाले साक्षात्कार के लिए बुलाए जाएंगे। इससे कर्मचारियों का अधिकारी बनने का सपना आसानी से पूरा हो सकेगा।
रेलवे बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि ग्रुप सी से बी में विभागीय पदोन्नति के लिए होने वाली परीक्षा में फिर संशोधन किया गया है। एक माह पहले बनाई गई प्री व मेंस परीक्षा की व्यवस्था समाप्त हो गई है। अब सिर्फ एक परीक्षा होगी। 60 प्रतिशत या ज्यादा अंक पाने वालों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। पहले यह सीमा 75 प्रतिशत रखी गई थी।
आपको बता दें नियमों में बदलाव के बाद एक जनवरी 2021 के बाद खाली पदों के सापेक्ष होने वाली सीमित विभागीय (70 और 30 प्रतिशत) प्रतियोगी परीक्षा में समान रूप से लागू की जाएगी। अब रेलवे कर्मचारी से आसानी से अधिकारी बन सकेंगे।
विभागीय परीक्षा में एक-एक नंबर के 125 बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाएंगे। हर गलत जवाब देने पर एक तिहाई अंक काट लिया जाएगा। इस पश्न में सौ प्रश्न हल करना अनिवार्य होगा। रेलवे के कई जोन में पदोन्नति परीक्षाएं हो रही हैं।

मैच: केकेआर ने आरसीबी को 1 रन से हराया

मैच: केकेआर ने आरसीबी को 1 रन से हराया  मिनाक्षी लोढी कोलकाता। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2024 के मैच नंबर-36 में कोलकाता नाइट राइडर्स (के...