रविवार, 19 जून 2022
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शनिवार, 18 जून 2022
काबुल: गुरुद्वारे के पास व्यस्त सड़क पर 2 धमाके हुए
काबुल: गुरुद्वारे के पास व्यस्त सड़क पर 2 धमाके हुए
अखिलेश पांडेय
काबुल। विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि वह अफगानिस्तान की राजधानी में एक गुरुद्वारे पर हुए हमले के बाद काबुल में स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के हवाले से एक बयान में कहा गया है, हम काबुल से शहर के एक पवित्र गुरुद्वारे पर हमले की खबरों से बेहद चिंतित हैं।
उन्होंने कहा, हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और सामने आने वाले घटनाक्रम पर और विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
शनिवार की सुबह काबुल के कार्त-ए-परवान इलाके में गुरुद्वारे के पास एक व्यस्त सड़क पर दो धमाके हुए।
सुरक्षा बलों ने एहतियात के तौर पर इलाके की घेराबंदी कर दी है।
विस्फोट के बाद आसमान में घने धुएं का एक गुबार छा गया और राजधानी शहर के निवासियों की बीच दहशत फैल गई। काबुल में एक गुरुद्वारे में शनिवार को हुए तीन विस्फोटों में कम से कम दो नागरिक मारे गए और तीन सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। कई स्रोतों के अनुसार यह जानकारी दी गई है। गृह मंत्रालय ने विस्फोटों की पुष्टि की है और कहा है कि सशस्त्र विद्रोहियों के एक समूह ने कार्त-ए-परवान इलाके में गुरुद्वारे में प्रवेश किया।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "प्रवेश करने से पहले, दुश्मन ने एक ग्रेनेड से गार्ड पर हमला किया, जिससे आग लग गई और हमारे दो हिंदू देशवासी जो हमले में घायल हो गए थे उन्हें निकाला गया और इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया।"
बयान के अनुसार, अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही विद्रोहियों ने एक कार बम विस्फोट भी किया था।
"सौभाग्य से, वे अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंचे और लक्ष्य तक पहुंचने से पहले एक कार बम विस्फोट कर दिया।"
इस बीच, एक चश्मदीद ने समाचार एजेंसी शिन्हुआ को बताया, "हमने सुबह करीब छह बजे गुरुद्वारे के गेट पर एक बड़ा धमाका सुना। इसके बाद गुरुद्वारे के अंदर दो और विस्फोट हुए।"
उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने एहतियाती उपायों के लिए इलाके की घेराबंदी कर दी है और चेतावनी के लिए गोलियां भी चलाई गई हैं। एक सुरक्षा सूत्र ने बताया कि पहले विस्फोट के दौरान दो लोगों की मौत हो गई।
सोशल मीडिया पर वीडियो में विस्फोट की दीवारों से घिरे दो मंजिला गुरुद्वारे से धुआं निकलता दिख रहा है।
मीडियाकर्मियों और आम जनता को साइट में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है और किसी को नहीं पता कि परिसर के अंदर वास्तव में क्या चल रहा है। इससे पहले दिन में, भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है।
मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के हवाले से एक बयान में कहा गया है कि हम काबुल से उस शहर के एक पवित्र गुरुद्वारे पर हमले की खबरों से बेहद चिंतित हैं।
उन्होंने कहा, "हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और सामने आने वाले घटनाक्रम पर और विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।" मार्च 2020 में, काबुल शहर में एक गुरुद्वारे पर हुए हमले में दो दर्जन उपासक मारे गए थे। हाल के महीनों में, तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार का विरोध करने वाले इस्लामिक स्टेट (आईएस) आतंकवादी समूह द्वारा कथित तौर पर किए गए आतंकवादी हमलों की एक श्रृंखला से युद्धग्रस्त देश प्रभावित हुआ है। शुक्रवार को उत्तरी प्रांत कुंदुज में एक मस्जिद में हुए विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए थे।
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आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान के सामने घुटने टेके
जो शरिया कानून पर आधारित होगी। टीटीपी आतंकी अगस्त 2021 से लेकर मार्च 2022 के बीच में अब तक कम से कम 119 पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर चुके हैं। टीटीपी ने शांति समझौते को लेकर हो रही बातचीत को देखते हुए ‘अनिश्चित काल के लिए सीजफायर’ का ऐलान किया था। पाकिस्तान की सरकार टीटीपी के शीर्ष नेताओं और कमांडरों को जेल से रिहा करने पर सहमत हो गई है।पाकिस्तानी सेना और टीटीपी के बीच इस समझौते को तालिबानी गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने कराया है। सिराजुद्दीन हक्कानी एक कुख्यात आतंकी है जिसका अलकायदा के साथ मजबूत रिश्ता है। अब हक्कानी टीटीपी को संरक्षण दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अफगानिस्तान में 3 हजार से लेकर 5 हजार आतंकी मौजूद हैं। टीटीपी के साथ शांति समझौता होने पर इनमें से बड़ी संख्या में आतंकी पाकिस्तान आ सकते हैं। इससे पाकिस्तान का कबायली इलाका फाटा टीटीपी आतंकियों का गढ़ बन जाएगा।टीटीपी की प्रमुख मांग है कि उसके नियंत्रण वाले इलाकों में शरिया कानून लागू किया जाए। इसमें पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा कबायली इलाका जिसे फाटा कहा जाता था, शामिल है। यही नहीं टीटीपी फाटा को फिर से खैबर पख्तूनख्वा से अलग करना चाहता है। इस डील का विरोध कर रहे पाकिस्तानी नेताओं का मानना है कि टीटीपी फाटा को ठीक उसी तरह से ‘मिनी इस्लामिक अमीरात’ बनाना चाहता है, जैसे तालिबान ने सत्ता पर कब्जा करने के बाद अफगानिस्तान में बनाया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर टीटीपी खुद को विघटित करने की पाकिस्तानी सेना की मांग को स्वीकार भी कर लेता है तो भी वह अफगान तालिबान की तरह से फाटा में शरिया कानून लागू करने वाला मुख्य संगठन होगा।
खैबर पख्तूनख्वा में सक्रिय अवामी नैशनल पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि इस बातचीत से साफ हो गया है कि टीटीपी को हराया नहीं जा सकता है जिसे तालिबान का समर्थन हासिल है। उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ पाकिस्तानी सेना के अच्छे संबंध हैं, इसलिए यह सेना की सीधे हार की तरह से है। इस बीच तालिबान के पिछलग्गू टीटीपी की बढ़ती क्षमता के पीछे चीन का भी समर्थन है। चीन बार-बार कह रहा है कि वह तालिबान के अपने इस्लामिक परंपरा के हिसाब से शासन करने के अधिकार का समर्थन करता है।
खैबर पख्तूनख्वा में सक्रिय अवामी नैशनल पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि इस बातचीत से साफ हो गया है कि टीटीपी को हराया नहीं जा सकता है जिसे तालिबान का समर्थन हासिल है। उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ पाकिस्तानी सेना के अच्छे संबंध हैं, इसलिए यह सेना की सीधे हार की तरह से है। इस बीच तालिबान के पिछलग्गू टीटीपी की बढ़ती क्षमता के पीछे चीन का भी समर्थन है। चीन बार-बार कह रहा है कि वह तालिबान के अपने इस्लामिक परंपरा के हिसाब से शासन करने के अधिकार का समर्थन करता है।
पाकिस्तान के एक नेता ने खुलासा किया कि चीन टीटीपी के साथ समझौता करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है। टीटीपी के आतंकियों ने हाल के दिनों में चीन के हितों, प्रॉजेक्ट और उनके लोगों पर कई हमले किए हैं। चीन के लिए यह जरूरी है कि पाकिस्तान टीटीपी की कुछ मांगों को मान ले ताकि सीपीईसी के खिलाफ हो रहे हमले ताकि बंद हो जाएं। टीटीपी ने इस डील के बाद चीन के खिलाफ हमले नहीं करने का वादा किया है।खैबर पख्तूनख्वा में सक्रिय अवामी नैशनल पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि इस बातचीत से साफ हो गया है कि टीटीपी को हराया नहीं जा सकता है जिसे तालिबान का समर्थन हासिल है। उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ पाकिस्तानी सेना के अच्छे संबंध हैं, इसलिए यह सेना की सीधे हार की तरह से है। इस बीच तालिबान के पिछलग्गू टीटीपी की बढ़ती क्षमता के पीछे चीन का भी समर्थन है। चीन बार-बार कह रहा है कि वह तालिबान के अपने इस्लामिक परंपरा के हिसाब से शासन करने के अधिकार का समर्थन करता है। पाकिस्तान के एक नेता ने खुलासा किया कि चीन टीटीपी के साथ समझौता करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है। टीटीपी के आतंकियों ने हाल के दिनों में चीन के हितों, प्रॉजेक्ट और उनके लोगों पर कई हमले किए हैं। चीन के लिए यह जरूरी है कि पाकिस्तान टीटीपी की कुछ मांगों को मान ले ताकि सीपीईसी के खिलाफ हो रहे हमले ताकि बंद हो जाएं। टीटीपी ने इस डील के बाद चीन के खिलाफ हमले नहीं करने का वादा किया है।
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