बुधवार, 29 मार्च 2023

नवरात्रि का नौवां दिन मां 'सिद्धिदात्री' को समर्पित 

नवरात्रि का नौवां दिन मां 'सिद्धिदात्री' को समर्पित 

सरस्वती उपाध्याय 

30 मार्च को चैत्र नवरात्रि का नौवां दिन है‌। इसी के साथ नवरात्रि का समापन हो जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा  की जाती है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं और सिंह पर सवार होती हैं। उनके दाहिने नीचे वाले हाथ में चक्र,ऊपर वाले हाथ में गदा और बाई तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है। माता की पूजा से सारे मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही यश, बल,कीर्ति और धन की प्राप्ति होती है। जानिए, नवरात्रि के नौवें दिन का शुभ मुहूर्त, मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, भोग आदि की जानकारी...

महानवमी पूजन और हवन का शुभ मुहूर्त...

ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के मुताबिक चैत्र नवमी तिथि 29 मार्च को रात 09 बजकर 07 बजे से शुरू होगी और 30 मार्च को रात 11 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के हिसाब से महानवमी का पर्व 30 मार्च को मनाया जाएगा। इस‍ दिन राम नवमी भी मनाई जाती है। इसलिए, मां सिद्धिदात्री के साथ श्रीराम का भी पूजन किया जाएगा। मां सिद्धिदात्री और प्रभु श्रीराम के पूजन और हवन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 25 मिनट से 6 बजकर 54 मिनट तक, इसके बाद 8 बजकर 37 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा  3 बजकर 6 मिनट से शाम 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।

महानवमी पर 4 विशेष योग बनेंगे...

इस बार 4 विशेष योग बनने से महानवमी और भी खास हो गई है। इस बार चैत्र महानवमी पर गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। ये सभी योग अत्‍यंत मंगलकारी माने गए हैं। इसमें सर्वार्थ सिद्धि योग तो पूरे दिन रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया कोई भी काम सफल होता है। अगर आप किसी विशेष काम के लिए नई शुरुआत करना चाहते हैं, तो इस दिन से कर सकते हैं।

मां सिद्धिदात्री पूजा और कन्‍या पूजन विधि...

महानवमी के मौके पर मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए रोजान की तरह सबसे पहले कलश की पूजा करें। इसके बाद मातारानी को रोली, कुमकुम,पुष्प, चुनरी, अक्षत, भोग, धूप-दीप आदि अर्पित करें। इसके बाद घर में मा‍ता के मंत्रों का जाप करते हुए हवन करें, मां को भोग लगाएं। पूजन के बाद कन्‍या पूजन करें। कन्‍या पूजन में 2 वर्ष से 9 वर्ष तक की 9 कन्‍याओं को बैठाएं और साथ में एक बालक को बैठाएं। उनके चरण धुलवाएं, विधिवत उन्‍हें भोजन कराएं, तिलक लगाएं, आरती उतारें, दक्षिणा दें और चरण छूकर आशीष लें। इसके बाद व्रत का पारण करें।

माता को लगाएं ये भोग...

माता की पूजा के दौरान उन्‍हें उनका प्रिय भोग हलवा, पूड़ी, चने और नारियल जरूर चढ़ाएं। कन्‍याओं को भोजन कराते समय भी उनकी थाली में माता के प्रिय भोग को जरूर रखें। इस तरह मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करने से माता अपने भक्तों पर प्रसन्न होती हैं। भक्‍तों की मुराद को पूरा करती हैं।

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