मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023

6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को अलग रखने की वकालत 

6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को अलग रखने की वकालत 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने मंगलवार को मोबाइल परिचालकों के लिये ‘मिड बैंड’ के 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को अलग रखने की वकालत की। 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को 5जी के लिये बेहतर और संतुलित माना जाता है। सीओएआई का कहना है कि यह 5जी सेवाओं के विस्तार के लिये महत्वपूर्ण है।

इसे सभी के उपयोग के मकसद से लाइसेंस के दायरे से अलग रखा जाना चाहिए। इससे गुणवत्ता तथा अगली पीढ़ी की सेवाओं की लागत पर सकारात्मक असर पड़ेगा। दूरसंचार सेवाप्रदाताओं के लिये 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बेहतर और प्रभावी माना जाता है। फिलहाल ‘मिड बैंड’ में मौजूदा स्पेक्ट्रम दूरसंचार क्षेत्र की आवश्यकता से काफी कम है। साथ ही, 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम अपने प्रसार गुणों के साथ घनी आबादी वाले क्षेत्रों, विशेष रूप से शहरी स्थानों के लिये बेहतर है।

सीओएआई के महानिदेशक एसपी कोचर ने संवाददाताओं को 5जी सेवाओं के लिये 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम आवंटन की आवश्यकता के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘‘फिलहाल ‘मिड बैंड’ दायरे में स्थित 720 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम जरूरत के अनुसार पर्याप्त नहीं है। ऐसे में ‘मिड बैंड’ के 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को अलग रखने की जरूरत है।’’

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